Book Title: Agam 40 Mool 01 Aavashyak Sutra Part 01
Author(s): Bhadrabahuswami, Kusumpragya Shramani
Publisher: Jain Vishva Bharati
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४७९, ४८०.
४८१.
४८२-४८७.
४८७/१, २.
४८७/३, ४.
४८७/५,६.
४.२७/७८.
४८७/९,१०.
४८७/११-१५.
४८७/१६-१९.
४८७/२०-२३.
४८८.
४८९.
४९०.
४९१.
४९२.
४९३.
४९४.
४९५.
४२६.
४९७.
४९८.
४९९.
५००.
५०१, ५०२.
५०३.
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५०५,५०५/१.
५०६.
५०७-५०९.
५१०, ५११.
५१२.
५१२/१.
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आर्यरक्षित का जीवन-वृत्तान्त |
महाकल्पश्रुत एवं छेदसूत्र कालिकश्रुत के अन्तर्गत क्यों ?
सात निह्नवों की मान्यता एवं उनसे सम्बन्धित नगरों आदि का विवरण ।
बहुरतवाद की उत्पत्ति का विवरण ।
जीवप्रादेशिक मत की उत्पत्ति एवं उसका विवरण । अव्यक्तवाद की उत्पत्ति का कारण एवं उसका समय । समुच्छेदवाद की उत्पत्ति का समय एवं उसका विवरण । द्विक्रियवाद की उत्पत्ति का कारण एवं उसका समय । त्रैराशिकवाद की उत्पत्ति का विवरण ।
अबद्धिकमत की उत्पत्ति का वर्णन एवं उसका समय ।
बोटिक मत की उत्पत्ति का वर्णन ।
भगवान् महावीर के शासन में ही निह्नव, शेष तीर्थंकरों के शासन में नहीं ।
गोष्ठामाहिल के अतिरिक्त सभी निह्नवों की यावज्जीवन दृष्टि ।
निह्नवों की दृष्टियां संसार - भ्रमण का कारण ।
निह्नव साधु या असाधु ? विमर्श ।
बोटिकों के अशनादि का विमर्श । मोक्षमार्ग में सप्तनय की समन्विति । सामायिक जीव या अजीव ?
महाव्रतों की सर्वद्रव्यविषयता का विमर्श ।
सामायिक जीव का गुण अतः जीव ।
उत्पाद, व्यय और परिणमन गुणों का न कि द्रव्यों का ।
द्रव्यार्थिक नय से सामायिक का विमर्श ।
सामायिक के तीन प्रकार ।
अध्ययन के तीन प्रकार ।
सामायिक का अधिकारी कौन ?
सामायिक का स्वरूप और निष्पत्ति ।
श्रावक के पूर्ण प्रत्याख्यान क्यों नहीं ?
श्रावक के लिए बार-बार सामायिक करना आवश्यक क्यों ? मध्यस्थ कौन ?
सामायिक से संबंधित द्वारगाथाएं ।
सम्यक्त्व आदि सामायिक का क्षेत्र- विमर्श ।
आवश्यक नियुक्ति
दिशा के निक्षेप ।
तापक्षेत्र दिशा का वर्णन ।
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