Book Title: Agam 40 Mool 01 Aavashyak Sutra Part 01
Author(s): Bhadrabahuswami, Kusumpragya Shramani
Publisher: Jain Vishva Bharati
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आवश्यक निर्युक्ति
६४५/१.
६४५/२.
६४५/३.
६४६.
६४७.
६४७/१.
६४७/२.
६४७/३, ४.
६४७/५.
६४७/६, ७.
६४७/८.
६४७/९.
६४७/१०.
६४८.
६४९.
६५०.
६५१.
६५२.
६५३, ६५४.
६५५.
६५६.
६५७.
६५८.
६५९, ६६०.
६६१.
६६२.
६६३.
६६४.
६६५.
६६६.
६६७.
६६८.
६६९.
A
नंदी, अनुयोगद्वार आदि आगमग्रंथों का प्रारम्भ नमस्कारपूर्वक ।
पंच नमस्कार सामायिक का ही अंग ।
सूत्रस्पर्शिक नियुक्ति का कथन ।
सामायिक के करण आदि दस द्वारों का निरूपण ।
करण के छह निक्षेप ।
क्षेत्रकरण का निरूपण ।
कालकरण का विवेचन ।
भावकरण की व्याख्या ।
शब्दकरण का स्वरूप ।
अग्रेणीयपूर्व के पाठ का उल्लेख तथा छह बद्ध एवं पांच सौ अबद्ध आदेशों का कथन ।
नोश्रुतकरण के भेद-प्रभेद ।
योजनाकरण की व्याख्या ।
भावश्रुतकरण की व्याख्या ।
सामायिककरण के कृताकृत आदि सात अनुयोगों की व्याख्या । आलोचना आदि नय के आठ प्रकारों का कथन ।
सामायिककरण में गुरु एवं शिष्य विषयक करण कितने ? सामयिक की प्राप्ति कैसे ?
भावकरण की व्याख्या |
'भंते' शब्द की व्याख्या ।
सामयिक के एकार्थक एवं निरुक्त।
द्रव्यसाम आदि के उदाहरण ।
भावसाम का प्रतिपादन ।
सामायिक शब्द के पर्याय ।
सामायिक के कर्त्ता, कर्म आदि विषयक प्रश्न एवं उत्तर ।
कर्त्ता, कर्म एवं करण में अभेद का दृष्टान्त ।
सर्व शब्द के निरुक्त ।
सावद्य शब्द की व्याख्या ।
योग शब्द का विवरण ।
प्रत्याख्यान का निरुक्त तथा निक्षेप ।
द्रव्य प्रत्याख्यान आदि की व्याख्या ।
प्रत्याख्यान के भेद |
'यावज्जीवन' शब्द की व्याख्या । जीवित (जीवन) शब्द के दस निक्षेप ।
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