Book Title: Agam 40 Mool 01 Aavashyak Sutra Part 01
Author(s): Bhadrabahuswami, Kusumpragya Shramani
Publisher: Jain Vishva Bharati
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आवश्यक नियुक्ति
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६२२.
६२३.
बारसंगो जिणक्खातो, 'सज्झाओ कहितो बुहे। तं उवइसंति जम्हा, उज्झाया तेण वुच्चंति ॥ उ त्ति उवयोगकरणे, ज्झ त्ति य झाणस्स होति निद्देसे। एतेण ‘होति उज्झा", एसो अन्नो वि पज्जाओ। उ त्ति उवयोगकरणे, व त्ति य पावपरिवज्जणे होति । झ त्ति य झाणस्स कते, 'उ त्ति' य ओसक्कणा कम्मे ।। उवज्झायनमोक्कारो, जीवं मोएति भवसहस्साओ। भावेण कीरमाणो, होई पुण बोधिलाभाए । उवज्झायनमोक्कारो, धण्णाण भवक्खयं कुणंताणं । हिययं अणुम्मुयंतो, विसोत्तियावारओ होति ॥ उवज्झायनमोक्कारो, एवं खलु वण्णितो महत्थो त्ति। जो मरणम्मि उवग्गे, अभिक्खणं कीरए बहुसो ॥ उवज्झायनमोक्कारो, सव्वपावप्पणासणो। मंगलाणं च सव्वेसिं, चउत्थं होति मंगलं२ ॥ नाम ठवणा साधू, दव्वसाधू य भावसाधू य। दव्वम्मि लोइयादी, भावम्मि य संजतो साधू ॥ घड-पड-रहमादीणि उ, साधेता ‘होंति दव्वसाधु त्ति५ । अहवा वि दव्वभूता, 'ते होंति दव्वसाधुत्ति'१६ ॥
६२७.
६२८.
६३०.
१. अज्झातो देसितो बुहेहिं (म), देसिओ बुहेहिं (अ, ब, दी), सज्झाओ में संकेतित नहीं हैं केवल 'उवज्झाया इत्यादिचतम्रो' गाथा का
बुहेहिं जिणकहिओ (अ), ज्झाओऽयं कधितो बुधे (स्वो), स्वो उल्लेख है। स के अतिरिक्त सभी हस्तप्रतियों तथा स्वो में इन के संपादक मालवणियाजी टिप्पण में उल्लेख करते हैं 'प्राकृतभाषायां गाथाओं का संकेतमात्र है, पूरी गाथा नहीं। केषाञ्चिद् मते ऐकारोऽपि प्रयुज्यते अतः अत्र बुधै इति रूपं साधु ९. करंताणं (म)। बोध्यम्' (स्वोटि. पृ. ७६९)।
१०. स्वो ७०५/३९१३। २. उवझाया (हा, रा), उवज्झाया (ब, स, दी, महे)।
११. स्वो ७०६/३९१४। ३. स्वो ७०२/३९०८, मू. ५११
१२. स्वो ७०७/३९१५। ४. उवज्झाओ (स्वो ७०३/३९०९)।
१३. स्वो ७०८/३९१६। ५. पावाण वज्जणा (ला), पावप्पव' (ब), 'जणा (रा)।
१४. x (ब, म)। ६. ओत्ति (चू)।
१५. साहू य (म)। ७. कम्मा (ब, चू), यह गाथा स्वो और महे में नहीं है। मुद्रित हा, दी, १६. णातव्वा दव्वसाधु त्ति (स्वो ७०९/३९१७), ६२९ से ६३८ तक की
म तथा सभी हस्तप्रतियों में उपलब्ध है। मुद्रित चू में 'अहवा एवं दश गाथाएं महे में नहीं हैं। केवल 'साधुनमस्कारे निरुत्तं' उल्लेख के साथ पूरी गाथा मिलती है।
दशनियुक्तिगाथाः सुगमाः' का उल्लेख है।६२८और ६२९ इन ८. स्वो ७०४/३९१२, ६२५-२८ तक की चारों गाथाएं महे, हा तथा चू दोनों गाथाओं का संकेत चूर्णि में नहीं है।
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