Book Title: Agam 40 Mool 01 Aavashyak Sutra Part 01
Author(s): Bhadrabahuswami, Kusumpragya Shramani
Publisher: Jain Vishva Bharati
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आवश्यक नियुक्ति
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६३२.
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६३५.
निव्वाणसाहए जोगे', जम्हा साधेति साधुणो। समा य सव्वभूतेसु, तम्हा ते भावसाधुणो' । किं पेच्छसि साहूणं, तवं व नियमं व संजमगुणे वा। तो वंदसि साधूणं, एतं मे पुच्छितो साह । विसयसुहनियत्ताणं, विसुद्धचारित्तनियमजुत्ताणं। तच्चगुणसाहगाणं, सहायकिच्चुज्जयाण नमो ॥ असहाए सहायत्तं, करेंति मे संजमं करेंतस्स। एतेण कारणेणं, नमाम' हं सव्वसाधूर्ण ॥ साहूण नमोक्कारो, जीवं मोएति भवसहस्साओ। भावेण - कीरमाणो, होई पुण बोधिलाभाए । साहूण नमोक्कारो, धण्णाण भवक्खयं कुणंताणं । हिययं अणुम्मुयंतो, विसोत्तियावारओ होति ॥ साहूण नमोक्कारो, एवं खलु वण्णितो समासेणं। जो मरणम्मि उवग्गे, अभिक्खणं कीरई बहुसो० ॥ साहूण नमोक्कारो, सव्वपावप्पणासणो। मंगलाणं च सव्वेसिं. पंचमं होति मंगलं११॥ एसो पंच णमोक्कारो, सव्वपावप्पणासणो। मंगलाणं च सव्वेसिं, पढमं हवइ मंगलं१२ ॥
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६३८/१.
१.x (अ)। २. स्वो ७१०/३९१८, मू. ५१२। ३. साहू (रा), स्वो ७११/३९१९ । ४. यह गाथा स्वो में नहीं है। ५.नमामि (अ, हा, रा)। ६.स्वो ७१२/३९२०, ६३५-६३८ तक की चार गाथाओं का स के
अतिरिक्त सभी हस्तप्रतियों में केवल संकेत मात्र है। हा में गाथाओं के स्थान पर 'साहूण नमोक्कारो इत्यादिगाथाविस्तरः सामान्येनार्हन्नमस्कारवदवसेयः विशेषस्तु सुखोन्नेयः इति निर्देशः'का उल्लेख है। ७.स्वो ७१३/३९२१।
८. करेंताणं (म)। ९. स्वो ७१४/३९२२॥ १०. स्वो ७१५/३९२३। ११. स्वो ७१६/३९२४। १२. स्वो ३९२५, यह गाथा अनुष्टुप् छंद में है। यह गाथा हा और महे में
नहीं है। चू में इसका संकेत नहीं है। स, ला, रा प्रति में भी यह गाथा नहीं है। दीपिकाकार ने इस गाथा के लिए नियुक्तिकृदेवाह' का उल्लेख किया है। स्वो (३९२५) में यह भागा के क्रम में है। यह नमस्कार मंत्र के साथ जुड़ी हुई गाथा है अतः निगा की नहीं होनी चाहिए। संभव है यह कालांतर में निगा के साथ जुड़ गई हो। टीकाकार हरिभद्र ने इसकी व्याख्या नहीं की है।
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