Book Title: Agam 40 Mool 01 Aavashyak Sutra Part 01
Author(s): Bhadrabahuswami, Kusumpragya Shramani
Publisher: Jain Vishva Bharati
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आवश्यक नियुक्ति
५१२/२. ५१२/३,४.
५१३.
५१४. ५१५. ५१६. ५१७.
५१८. ५१९. ५२०. ५२१. ५२२. ५२३. ५२४. ५२५. ५२६. ५२७.
प्रज्ञापक एवं भावदिशा का स्वरूप। अठारह भाव दिशाओं के नाम। सामायिक के संदर्भ में क्षेत्रदिक् का प्रतिपादन। सम्यक्त्व तथा श्रुत सामायिक की प्रतिपत्ति का काल। किस गति में कौन सी सामायिक? भव्य और संज्ञी जीव द्वारा सामायिक की प्रतिपत्ति। श्वासोच्छ्वास पर्याप्ति की अपेक्षा सामायिक की प्रतिपत्ति का निषेध तथा दो नयों के आधार पर प्रतिपत्ति का विमर्श। आहारक एवं पर्याप्तक आदि के सामायिक की प्रतिपत्ति। सुप्त, जागृत एवं जन्म से संबंधित सामायिक की प्राप्ति का विमर्श। स्थिति की अपेक्षा सामायिक पर विचार। सामायिक से संबंधित वेद, संज्ञा एवं कषायद्वार का विमर्श । आय एवं ज्ञान के आधार पर सामायिक की प्राप्ति। सामायिक में योग एवं उपयोग का विचार। सामायिक संबंधी संस्थान, संहनन एवं अवगाहना का प्रतिपादन। सामायिक और लेश्या का संबंध। परिणाम के आधार पर सामायिक का विमर्श। सात-असात वेदना, समुद्घात तथा असमुद्घात अवस्था में कौन-कौनसी सामायिक की प्राप्ति? सामायिक से संबद्ध निर्वेष्टन, उद्वर्तना, आश्रव आदि शेष द्वारों का वर्णन। केश, अलंकार आदि को छोड़ने वाले के कितनी सामायिक की प्राप्ति? द्रव्य और पर्याय के आधार पर सामायिक का विमर्श । लोक में दुर्लभ क्या? मनुष्य जन्म-प्राप्ति के दस दृष्टान्त। युग दृष्टान्त की व्याख्या। मनुष्य जन्म में जो परलोक-हित नहीं सोचता उसको मनुष्य-जन्म की पुनः प्रासि दुर्लभ, इस विषयक अनेक दृष्टान्तों का उल्लेख। मनुष्य जन्म प्राप्त कर प्रमाद करने वाला कापुरुष । मनुष्य जन्म में भी सामायिक एवं श्रुति की प्रतिपत्ति दुर्लभ क्यों? युद्ध में जय प्राप्त करने वाले योद्धा की सामग्री। बोधि-प्राप्ति के उपाय। सामायिक प्राप्ति के अनुकंपा, अकामनिर्जरा आदि विविध कारण तथा उनसे संबंधित वैद्य और महावत आदि के उदाहरण।
५२८-५३१. ५३२. ५३३. ५३४. ५३५.
५३७-५४०.
५४१. ५४२,५४३. ५४४. ५४५. ५४६,५४७.
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