Book Title: Agam 40 Mool 01 Aavashyak Sutra Part 01
Author(s): Bhadrabahuswami, Kusumpragya Shramani
Publisher: Jain Vishva Bharati
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५४७/१. ५४८. ५४९. ५५०-५५२. ५५३-५५५. ५५६. ५५७,५५८. ५५९,५६०. ५६१. ५६२. ५६३. ५६४. ५६५. ५६५/१. ५६५/२,३. ५६५/४,५. ५६५/६. ५६५/७-१०. ५६५/११. ५६५/१२. ५६५/१३. ५६५/१४. ५६५/१५. ५६५/१६-१९. ५६५/२०,२१. ५६६. ५६७. ५६८. ५६९. ५७०. ५७१. ५७२. ५७३.
आवश्यक नियुक्ति वानर यूथपति को अनुकंपा से देवत्व की प्राप्ति । सम्यक्त्व सामायिक की प्राप्ति के अभ्युत्थान, विनय आदि अन्य हेतु। सम्यक्त्व आदि सामायिकों की स्थिति। सम्यक्त्व सामायिक आदि के प्रतिपत्ता और प्राक्प्रतिपन्न की संख्या का विमर्श । सामायिक की पुनः प्राप्ति का अंतरकाल और अविरहकाल। एक जीव द्वारा सामायिक चतुष्टय कितने भवों तक? सामायिक संबंधी आकर्ष का विचार। सामायिकयुक्त जीव द्वारा क्षेत्र स्पर्श का विमर्श । सम्यक्त्व सामायिक के एकार्थक। श्रुत सामायिक के निरुक्त। देशविरति सामायिक के एकार्थक। सर्वविरति सामायिक के एकार्थक। सामायिक के आठ उदाहरण। मुनि का स्वरूप। समण का स्वरूप। मेतार्य मुनि की समता एवं संयम में दृढ़ता का वर्णन । आर्य कालक का सम्यग्वाद एवं यज्ञफल का यथार्थ-कथन। चिलातिपुत्र का कथानक एवं उसका गुणानुवाद। चार लाख श्लोकों का एक श्लोक में संक्षेपीकरण । धर्मरुचि अनगार का अहिंसकभाव। इलापुत्र की परिज्ञा। तेतलिपुत्र द्वारा सावद्ययोग का प्रत्याख्यान । सूत्र के लक्षण । सूत्र के बत्तीस दोष । सूत्र के आठ गुण । नमस्कार के उत्पत्ति आदि व्याख्या-द्वार। नमस्कार की उत्पत्ति और अनुत्पत्ति का नयों के आधार पर निरूपण। नमस्कार की उत्पत्ति के समुत्थान आदि तीन कारण। नमस्कार के निक्षेप, पद एवं पदार्थ का वर्णन। नमस्कार की प्ररूपणा के दो प्रकारों में षट्पदप्ररूपणा का स्वरूप एवं विवरण। नमस्कार की प्राप्ति किसको? ज्ञानावरणीय एवं दर्शनावरणीय कर्म के क्षयोपशम से नमस्कार की सिद्धि। उपयोग एवं लब्धि की अपेक्षा नमस्कार की जघन्य और उत्कृष्ट स्थिति।
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