Book Title: Agam 40 Mool 01 Aavashyak Sutra Part 01
Author(s): Bhadrabahuswami, Kusumpragya Shramani
Publisher: Jain Vishva Bharati
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आवश्यक नियुक्ति २३६/१२-१४. तीर्थंकरों के पिताओं के नाम । २३६/१५. सभी तीर्थंकरों का मोक्षगमन । २३६/१६-१८. चक्रवर्तियों का वर्ण और शरीर-प्रमाण । २३६/१९. चक्रवर्तियों के गोत्र। २३६/२०, २१. चक्रवर्तियों का आयुष्य। २३६/२२. चक्रवर्तियों की नगरी के नाम। २३६/२३-२५. चक्रवर्तियों के माता-पिता के नाम। २३६/२६. चक्रवर्तियों की गति। २६६/२७, २८. बलदेव, वासुदेवों का वर्ण तथा उनका देह-परिमाण । २३६/२९. बलदेव, वासुदेवों के गोत्र । २३६/३०-३२. बलदेव, वासुदेवों का आयुष्य। २३६/३३-३६. बलदेव, वासुदेवों के नगर एवं माता-पिता के नाम। २३६/३७. वासुदेव के संयम-पर्याय का निषेध, बलदेव के संयम-पर्याय की वक्तव्यता। २३६/३८, ३९. बलदेव, वासुदेवों की गति।। २३६/४०. वासुदेव अधोगामी तथा बलदेव ऊर्ध्वगामी क्यों? २३७-२३९. तीर्थंकरों एवं चक्रवर्तियों का अंतर-काल। २४०, २४१. किस तीर्थंकर के काल में कौन वासुदेव? २४२.
चक्रवर्ती और वासुदेव के अंतरकाल का निर्देश। २४३-२४५. आदि परिव्राजक मरीचि के भावी जन्मों का कथन। २४६-२४९. भरत द्वारा मरीचि की वंदना एवं स्तुति। २५०.
भरत का अयोध्यागमन। २५१-२५३. भावी जन्मों को सुनकर मरीचि का गर्वोन्माद । २५४, २५५. भगवान् ऋषभ का अष्टापद पर्वत पर दस हजार मुनियों के साथ निर्वाणगमन । २५६. तीर्थंकरों के निर्वाण के पश्चात् देवताओं द्वारा की जाने वाली क्रियाएं । २५७.
भरत को आदर्शगह में केवलज्ञान। २५८-२७१. मरीचि के विभिन्न भव अर्थात् महावीर के सत्ताईस पूर्वभवों का वर्णन। २७१/१-३. तीर्थंकर नाम गोत्र कर्मबंध के बीस कारण। २७१/४. कौन से तीर्थंकर ने तीर्थंकर नामगोत्र के कौन-कौन से स्थानों का स्पर्श किया। २७१/५, ६. तीर्थंकर नामगोत्र का वेदन कैसे तथा इसके बंध की गति।
महावीर का देवानंदा के गर्भ में अवतरण। २७३.
महावीर के जीवन संबंधी स्वप्न, गर्भापहरण आदि १३ द्वारों का उल्लेख। २७४. कुंडग्राम में त्रिशला की कुक्षि से महावीर का जन्म। २७५. महावीर की प्रव्रज्या।
२७२.
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