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प्रस्तावना
आवश्यक सूत्र : एक समीक्षात्मक अध्ययन
[प्रथम संस्करण से]
भारतीय साहित्य में 'आगम' शब्द शास्त्र का पर्यायवाची है। आवश्यकचूर्णिकार ने आगम शब्द की परिभाषा करते हुए लिखा है - जिसके द्वारा पदार्थों का अवबोध होता है, वह आगम है।' अनुयोगद्वारचूर्णि में लिखा है - जो आप्तवचन है, वह आगम है। अनुयोगद्वार मलधारीय टीका में आचार्य ने आगम शब्द पर चिन्तन करते हुए यह स्पष्ट किया है कि जो गुरुपरम्परा से आता है, वह आगम है। आचार्य वाचस्पति मिश्र ने लिखा है - जिस शास्त्र के अनुशीलन से अभ्युदय एवं निःश्रेयस् का उपाय अवगत हो, वह आगम है। अभिनवगुप्ताचार्य के अभिमतानुसार जिसके पठन से सर्वांगीण बोध प्राप्त हो, वह आगम है। इसी प्रकार आचार्य जिनभद्रगणी क्षमाश्रमण ने विशेषावश्यकभाष्य में शास्त्र की परिभाषा देते हुए लिखा है - जिसके द्वारा यथार्थ सत्य रूप ज्ञेय का, आत्मा का परिबोध हो और अनुशासन किया जा सके, वह शास्त्र है। आगम और शास्त्र के ही अर्थ में सूत्र शब्द का भी प्रयोग होता है। संघदासगणी ने बृहत्कल्पभाष्य में सूत्र शब्द की व्याख्या करते हुए लिखा है - जिसके अनुसरण से कर्मों का सरणअपनयन होता है, वह सूत्र है। विशेषावश्यकभाष्य में निरुक्तविधि से अर्थ करते हुए लिखा है - जो अर्थ का सिंचन 'क्षरण करता है, वह सूत्र है। आचार्य अभयदेव ने स्थानांगवृत्ति में लिखा है - जिससे अर्थ सूत्रित / गुम्फित किया जाता है, वह सूत्र है। बृहत्कल्पटीका में लिखा है - सूत्र का अनुसरण करने से अष्ट प्रकार की कर्म-रज का अपनयन होता है, अत: वह सूत्र कहा जाता है। जैन साधना का प्राण : आवश्यक
जैन आगमसाहित्य में आवश्यकसूत्र का अपना विशिष्ट स्थान है। अनुयोगद्वारचूर्णि में आवश्यक की परिभाषा करते हुए लिखा है - जो गुणशून्य आत्मा को प्रशस्त भावों से आवासित करता है, वह आवासक /
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१. णज्जति अत्था जेण सो आगमो।
-आवश्यकचूर्णि १/३६ २. अत्तस्स वा वयणं आगमो।
- अनुयोगद्वारचूर्णि, पृष्ठ १६ ३. गुरुपारम्पर्येणागच्छतीत्यागमः।
- अनुयोगद्वार मलधारीय टीका, पृ. २०२ ४. आसमन्तात् अर्थ गमयति इति आगमः। ५. सासज्जिति तेण तहिं वा नेयमायतो सत्यं । ६. अनुसरइ त्ति सुत्तं।
- बृहत्कल्प भाष्य, ३११ ७. सिंचति खरइ जमत्थं तम्हा सुत्तं निरुत्तविहिणा।
वि.भा. १३६८ ८. सूत्र्यन्ते अनेनेति सूत्रम्।
- स्थानांगवृत्ति, पृ. ४९ ९. सूत्रमनुसरन् रज:-अष्ट प्रकारं कर्म अपनयति ततः सरणात् सूत्रम्। - बृहत्कल्पटीका, पृष्ट, ९५
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