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[ आवश्यकसूत्र
कामसूत्र आदि।
२६. विद्यानुयोग – रोहिणी आदि विद्याओं की सिद्धि का उपाय बताने वाला शास्त्र। २७. मन्त्रानुयोग – मन्त्र आदि के द्वारा कार्यसिद्धि बताने वाला शास्त्र। २८. योगानुयोग – वशीकरण आदि योग बताने वाला शास्त्र।
२९. अन्यतीर्थिकानुयोग – अन्यतीर्थिकों द्वारा प्रवर्तित एवं अभिमत हिंसा प्रधान आचारशास्त्र आदि।
- समवायांगसूत्र इस प्रकार इन २९ प्रकार के पापश्रुतों की श्रद्धा, प्ररूपणा आदि करने से जो अतिचार किया हो तो उससे निवृत्त होता हूँ। महामोहनीय कर्मबन्ध के ३० स्थान -
१. त्रस जीवों को पानी में डूबाकर मारना। २. त्रस जीवों को श्वास आदि रोककर मारना। ३. त्रस जीवों को मकान आदि में बन्द करके धुंए में घोटकर मारना। ४. त्रस जीवों को मस्तक पर दण्ड आदि का घातक प्रहार करके मारना। ५. त्रस जीवों को मस्तक पर गीला चमड़ा आदि लपेट कर मारना। ६. पथिकों को धोखा देकर मारना अथवा लूटना। ७. गुप्त रीति से अनाचार का सेवन करना। ८. दूसरे पर मिथ्या कलंक लगाना। ९, सभा में जान-बूझकर मिश्र भाषा बोलना। १०. राजा के राज्य का ध्वंस करना। ११. बालब्रह्मचारी न होते हुये भी अपने को बालब्रह्मचारी कहलाना। १२. ब्रह्मचारी न होते हुये भी ब्रह्मचारी होने का ढोंग रचना। १३. आश्रयदाता का धन चुराना। १४. कृत-उपकार को न मान कर कृतघ्नता करना। १५. गृहपति अथवा संघपति आदि की हत्या करना।