Book Title: Agam 28 Mool 01 Avashyak Sutra Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Shobhachad Bharilla, Mahasati Suprabha
Publisher: Agam Prakashan Samiti

Previous | Next

Page 145
________________ ७४] [ आवश्यकसूत्र उससे निवृत्त होता हूँ। सिद्धों के ३१ गुण - ___ आदिकाल अर्थात् सिद्ध अवस्था की प्राप्ति के प्रथम समय से ही सिद्धों में रहने वाले गुणों को सिद्धादिगुण कहते हैं। आठ कर्मों की इकतीस प्रकृतियाँ नष्ट होने से ये गुण प्रकट होते हैं । वे इकतीस गुण निम्नलिखित हैं - १. ज्ञानावरणीय-कर्म की पांच प्रकृति नष्ट होने के कारण - १. क्षीणमतिज्ञानावरण, २. क्षीणश्रुतज्ञानावरण, ३. क्षीणअवधिज्ञानावरण, ४. क्षीणमनः पर्यवज्ञानावरण, ५. क्षीणकेवलज्ञानावरण। २. दर्शनावरणीय-कर्म की नौ प्रकृतियों के क्षय से - १. क्षीणचक्षुदर्शनावरण, २. क्षीणअचक्षुदर्शनावरण, ३. क्षीणअवधिदर्शनावरण, ४. क्षीणकेवलदर्शनावरण, ५. क्षीणनिद्रा, ६.क्षीणनिद्रानिद्रा, ७. क्षीणप्रचला, ८. क्षीणप्रचलाप्रचला, ९. क्षीणस्त्यानगृद्धि। ३. वेदनीय-कर्म की दो प्रकृतियों के क्षय से - १. क्षीणसाटावेदनीय, २. क्षीणअसातावेदनीय।

Loading...

Page Navigation
1 ... 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158 159 160 161 162 163 164 165 166 167 168 169 170 171 172 173 174 175 176 177 178 179 180 181 182 183 184 185 186 187 188 189 190 191 192 193 194 195 196 197 198 199 200 201 202 203 204