________________
७६]
[ आवश्यकसूत्र
६. शोभा शृंगार नहीं करना। ७. पूजा एवं प्रतिष्ठा का मोह छोड़कर गुप्त तप करना। ८. लोभ का त्याग करना। ९. तितिक्षा-परिषह-उपसर्ग आदि को सहन करना। १०. शुचि-संयम एवं सत्य की पवित्रता रखना। ११. आर्जव-सरलता। १२. सम्यक्त्वशुद्धि। १३. समाधि-प्रसन्नचित्तता। १४. आचार-पालन में माया नहीं करना। १५. विनय-अरिहन्तादि सम्बन्धी दश प्रकार का विनय करना। १६. धैर्य-अनुकूल-प्रतिकूल परिषह आने पर धैर्य रखना।। १७. संवेग-सांसारिक भोगों से भय अथवा मोक्षाभिलाषा होना। १८. मायाचार न करना। १९. सदनुष्ठान में निरत रहना। २०. संवर-पापाश्रव को रोकना। २१. दोषों की शुद्धि करना। २२. काम- भोगों से विरक्ति। २३. मूलगुणों का शुद्ध पालन । २४. उत्तरगुणों का शुद्ध पालन । २५. व्युत्सर्ग-शारीरिक ममता न करना। २६. प्रमाद न करना। २७. प्रतिक्षण संयम-यात्रा में सावधान रहना। २८. शुभध्यान-धर्म-शुक्लध्यान-परायण होना। २९. मारणान्तिक वेदना होने पर भी अधीर न होना।