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तृतीय अध्ययन : वन्दन ]
[२९ अरिहन्तों के पश्चात् गुरुदेव ही आध्यात्मिक साम्राज्य के अधिपति हैं, उनको वन्दन करना भगवान् को वन्दन करने के समान है । वन्दन करने से विनम्रता आती है। प्राचीन भारत में प्रस्तुत विनय के सिद्धान्त पर अत्यधिक बल दिया गया है। कहा भी है - 'विणयो जिणसासणमूलम्' अर्थात् विनय जिनशासन का मूल है। जैनसिद्धान्तदीपिका में कहा है – 'अनाशातना बहुमानकरणं च विनयः।' अशातना नहीं करना तथा बहुमान करना विनय है। विशिष्ट शब्दों का अर्थ -
जावणिजाए - शक्ति की अनुकूलता से, शक्ति के अनुसार । निसीहियाए - सावध व्यापार की निवृत्ति से। अणुजाणह – अनुमति दीजिये। मिउग्गहं – मितअवग्रह अर्थात् गुरुमहाराज जहाँ विराजमान हों, उसके चारों ओर की साढ़े तीन हाथ चौड़ी भूमि। अहो कायं - अध:काय - शरीर का भाग, चरण । कायसंफासं – काय अर्थात् हाथ से, (चरणों का) सम्यक् स्पर्श । खमणिज्जो - क्षमा के योग्य। भे - आपके द्वारा । अप्पकिलंताणं - शरीरिक श्रम या बाधा से रहित। वइक्कम - अतिचार। अवस्सिया - अवश्य करने योग्य चरण-करण रूप क्रिया। आसायणा - अवज्ञा, अनादर। तेत्तीसन्नयराए - तेतीस प्रकार(की आशातना) में से कोई भी। सव्वकालियाए - सर्व-भूत, वर्तमान, भविष्यत्काल सम्बन्धी। सव्वमिच्छोवयाराए - सर्वांशतः मिथ्या उपचारों से युक्त।
आशातनाएँ तेतीस हैं, वे इस प्रकार हैं -
१.शैक्ष (नवदीक्षित या अल्प दीक्षा-पर्याय वाला) साधु रानिक (अधिक दीक्षा पर्याय वाले) साधु के अति निकट होकर गमन करे । यह शैक्ष की (शैक्ष द्वारा की गई) पहली आशातना है।
२. शैक्ष साधु रात्निक साधु के आगे गमन करे । यह शैक्ष की दूसरी आशातना है। ३. शैक्ष साधु रानिक साधु के साथ बराबरी से चले । यह शैक्ष की तीसरी आशातना है । ४. शैक्ष साधु रात्निक साधु के आगे खड़ा हो । यह शैक्ष की चौथी आशातना है। ५. शैक्ष साधु रात्लिक साधु के बराबरी से खड़ा हो । यह शैक्ष की पांचवीं आशातना है। ६. शैक्ष साधु रानिक साधु के अति निकट खड़ा हो । यह शैक्ष की छठी आशातना है। ७. शैक्ष साधु रात्निक साधु के आगे बैठे । यह शैक्ष की सातवीं आशातना है। ८. शैक्ष साधु रात्निक साधु के साथ बराबरी से बैठे । यह शैक्ष की आठवीं आशातना है। ९. शैक्ष साधु रात्निक साधु के अति समीप बैठे । यह शैक्ष की नवीं आशातना है।
१०. शैक्ष साधु रात्लिक साधु के साथ बाहर विचार भूमि को निकलता हुआ यदि शैक्ष रात्निक साधु से पहले आचमन (शौच-शुद्धि) करे तो यह शैक्ष की दसवीं आशातना है।