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[ आवश्यकसूत्र
११. शैक्ष साधु रात्निक साधु के साथ बाहर विचार भूमि को या विहार भूमि को निकलता हुआ : यदि शैक्ष रानिक साधु से पहले आलोचना करे तो और रात्निक साधु पीछे करे यह शैक्ष की ग्यारहवीं आशातना है।
१२. कोई साधु रानिक साधु के साथ पहले से बात कर रहा हो, तब शैक्ष साधु रात्निक साधु से पहले ही बोले और रात्निक साधु पीछे बोल पावे तो यह शैक्ष की बारहवीं आशातना है।
१३. रात्निक साधु रात्रि में या विकाल में शैक्ष से पूछे कि आर्य! कौन सो रहे हैं और कौन जाग रहे हैं? यह सुनकर भी शैक्ष अनसुनी करके कोई उत्तर न दे तो यह शैक्ष की तेरहवीं आशातना है।
१४. शैक्ष साधु अशन, पान, खादिम या स्वादिम लाकर पहले किसी अन्य शैक्ष के सामने आलोचना करे पीछे रात्निक साधु के सामने, तो यह शैक्ष की चौदहवीं आशातना है।
१५. शैक्ष साधु अशन, पान, खादिम या स्वादिम लाकर पहले किसी अन्य शैक्ष को दिखलावे पीछे रालिक साधु को दिखावे, तो यह शैक्ष की पन्द्रहवीं आशातना है।
१६. शैक्ष साधु अशन, पान, खादिम या स्वादिम आहार लाकर पहले किसी अन्य शैक्ष को भोजन के लिये निमंत्रण दे और पीछे रात्निक साधु को निमंत्रण दे, तो यह शैक्ष की सोलहवीं आशातना है।
१७. शैक्ष साध रात्निक साध के साथ अशन. पान, खादिम स्वादिम आहार को लाकर रात्निक साधु से बिना पूछे जिस किसी को दे, तो यह शैक्ष की सत्तरहवीं आशातना है।
१८. शैक्ष साधु अशन, पान, खादिम स्वादिम आहार लाकर रानिक साधु के साथ भोजन करता हुआ यदि उत्तम भोज्य पदार्थों को जल्दी-जल्दी बड़े-बड़े कवलों से खाता है, तो वह शैक्ष की अठारहवीं आशातना है।
१९. रात्निक साधु द्वारा कुछ कहे जाने पर यदि शैक्ष उसे अनसुनी करता है, तो यह शैक्ष की उन्नीसवीं आशातना है।
२०. रात्निक साधु द्वारा कुछ कहे जाने पर यदि शैक्ष अपने स्थान पर बैठे हुए सुनता है, तो यह शैक्ष की बीसवीं आशातना है।
२१. रात्निक साधु द्वारा कुछ कहे जाने पर क्या कहा' इस प्रकार से यदि शैक्ष कहे, तो यह शैक्ष की इक्कीसवीं आशातना है।
२२. शैक्ष रानिक साधु को 'तुम' कह कर (तुच्छ शब्द से) बोले तो यह शैक्ष की बाईसवीं आशातना है।
२३. शैक्ष रात्निक साधु से चप-चप करता हुआ उदंडता से बोले तो यह शैक्ष की तेईसवीं