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कछुई
१९२०
कजात
. मिलाकर सेवन करने से भी उपयुक लाभ | पड़ जाना । ( Foreign body in the होता है।
-लेखक । Ear) कछुई-दे० "कच्छपी"।
| क़ज़ र-[अ] (1) मैला कुचैला होने का भाव । कछुवा-संज्ञा पुं० दे० "कछुआ"।
अपवित्रता । निजासत। (२) कराहत होना। कळूर, कच्छूर-[कों ] चन्द्रमूल | सुगंधबच । कपूर- | घिन मालूम होना। कचरी-(गु०. मरा०)।
| कज़र-[फा०] कचूर । ज़रंबाद । करम् कच्छूरम्-[ मल] चन्द्रमूल। कपूरकचरी | कजर-शिक्काय- ता. 1 कंजा । कठकरंज । सागर-(गु०, मरा०)।
गोला। कछोल-कलंगु-[ ता०] चन्द्रमूलिका । चंद्रमूल । कजरा-संज्ञा पु. [?] (१)दे० "काजल"। (२) एक
कपूरकचरी (गु०)। ( Kaempferia. gal- प्रकार का बैल जिसकी आँखें काली रहती हैं।
anga, Linn.) कचूलकलंगु ( ता०)। [म.] कुचिला । कुचला। कज-संज्ञा पु | सं० को०] (१) कमल | पद्म। कजरी- संज्ञा स्त्री.] दे० "कजली"। रा०। (२) अमृत । मे० जद्विक ।
___ संज्ञा पु [सं० कजल ] (१) एक प्रकार क-काः । क़ज़ अ०] एक प्रकार का रेशम । की ईख । काला गन्ना । कृष्णेच । (२) एक कजा . ] दे. "क़ज़" ।
धान जो काले रंग का होता है। कज़-अ.] छोटी पथरी।
| कजल-संज्ञा पुं० [सं० की. ] अञ्जन । कजल । क ज़- अ०] (1) आज्ञा । आदेश । (२) अनु- |
काजल । मान। अंदाजा। (३) पूरा करना । (४)
कजला-संज्ञा पुं॰ [हिं काजल ] (१) कजरा । अंत करना । (५) मृत्यु । मौत।
काजल । (२)एक काला पक्षी। मटिया (३) कजङ्गबीन-[फा०] एक प्रकार का मधुर द्रव्य जो काली आँख का बैल । श्रोस की तरह भाऊ वा अन्य वृक्षों पर तुरञ्जबीन
कजली-संज्ञा स्त्री० [सं० कजली, हिं. काजल ] के समान जम जाता है। भावुकशर्करा ।
(1) कालिख । श्यामता । (२) एक जाति कज गु- ते०, मल०] सुपारी । क्रमुक । गुवाक । की ईख जो बर्दवान (वद्धमान )में होती है । (३) कज ज-[अ० ] छोटी पथरी।
पोस्ते की फसल का एक रोग जिसमें फूलते समय क़ज़ज़-अ.] पिस्सू ।
फूलों पर काली-काली धूल सी जम जाती है जिससे कज त्रिक-कुरु-[ मल.] कंजा । कठकरंज ।
फसल को हानि पहुँचती है। (४) एक साथ कजनन-[हिं० ] बोरहे अरमनी।
पिसे हुये पारे और गंधक का चूर्ण। कज्जली । कजपूती-संज्ञा स्त्री॰ [अं० केजुपुटी ] कयपूती ।
वि० दे० "पारा"। (५) एक गाय जिसको कायापुटी । केजुपुटाई।
आँख काली हो । (६) एक प्रकार की सफ़ेद कजब-[ ?) कचा अंगूर । गोरः (का.)।
भेंड़ । इसकी आँख के पास काले बाल होते हैं। क जब-[अ०] (१) बड़ा पेड़। (२) शलगम ।
संज्ञा स्त्री० [बं०] ईख । ऊख । गला । इसपस्त ।
संज्ञा स्त्री० [बम्ब०] विष्णुकांता । अपराजिता । क जबः-[अ०] रतबः । इसपस्त ।
कजह-[फा०] लहात। कज या-अ०] (1) आँख में किसी बाहरी चीज़ क़ज़ ह [१०] पिस्सू । "जैसे. तिनका आदि का पड़ जाना | Foreign- कजा-संज्ञा स्त्री० काँजी। माँड़। body in the Eye, (२) वह चीज़ जो | कज़ाजह-[अ०] सोने का टुकड़ा। आँख में पड़ जाय।
| कजानः-[फा०] रेशम का कीड़ा। कज याउल-उऊ न-[१०] कान में किसी चीज़ का क जात-१०] (1) दौर्बल्य । कार्य । दुबला