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कमविसर्प
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कर्नु ल बंकर ईम विसर्प-संज्ञा पुं॰ [सं० पु.] विसर्प रोग | कर्नपूर-संज्ञा पुं॰ [सं० कर्णपूर ] श्रासापाला का
का एक भेद । इसमें कफ पित्त के कारण ज्वर, __ फूल । स्तम्भ (अंगों का जकड़ना), निद्रा, तन्द्रा, शिर | कर्नब-संज्ञा पुं॰ [ करम फ़ा० से मु१०] (१) में पीड़ा, अंग साद, विक्षेप, प्रलेप, अरुचि, भ्रम, करमकल्ला । पातगोभी। इसके तीन भेद हैं-(१) मूर्छा, मंदाग्नि, हड़फूटन, प्यास, इन्द्रियगारव, ____ बरी, (२) बहरी और (३) बुस्तानी । (४) श्राम गिरना और मुखादि स्रोतों का कफ से लिप्त ___कुचला । क़ातिलुल कल्ब ।। रहना इत्यादि लक्षण होते हैं । यह प्रामाशय में | कर्नब नब्ती-अ.] बाग़ी करमकल्ला । उत्पन्न होकर पीछे सर्वत्र फैलता है । इसमें थोड़ी कर्नब बरी-अ.] एक प्रकार का करमकल्ला । पीड़ा होती है और अत्यन्त पीली, तबेके रंग की, | कर्नब बहरी-अ.] करमकल्ला का एक भेद । सफेद रंग को पिड़िकायें होती हैं जो चिकनी,सुरमा | कर्नब शामी-[अ० ] गोभी । के समान काली मलिन सूजन युक्र, भारी भीतर से पकी हुई होती हैं। उनमें दाह होता है तथा दबाने से तत्क्षण गीली हो जाती हैं और फट
[यू०] (१) करमकल्ला । कर्नब । (२) जाती हैं। कींच के समान होकर उसका मांस | लोबिया । गल जाता है। मांस के गलने से इसमें शिरा [कर्नबाद का अल्पा० ] करोया । स्नायु आदि दीखने लगती हैं और उससे शव की | क़नबाद-[?] करोया । सो दुर्गंध आती है। इसे कम विसर्प कहते हैं। कर्नबा इप्रिया-[ यू०] जंगली कर्नव । मा०नि० । वि० दे० "विसर्प"।
कर्नबाद माया-[सिरि०] नीलोफर । कईमाटक-संज्ञा पुं० [सं० पु.] विष्ठा इत्यादि | कर्नबादेरा-[सिरि० ] कर्नब बरीं। फेंकने की जगह । श० ० ।
कनेबी अन्मारस- यू० ] बागी कर्नब । कई मिनी-संज्ञा स्त्री० [सं० स्त्री.]. कीचड़वाली | कर्नबुलमाऽ-अ.] नीलोफ़र । धरती । दलदली ज़मीन ।
कर्नबिय्यः-[अ० ) वह गिज़ा जिसमें करमकल्ला कमी-संज्ञा स्त्री० [सं० स्त्री.] मुग्दर वृक्ष । मोगरा पड़ता हो । करमकल्ला मिला हुभा आहार ।
__ का पेड़ । रा०नि० व०१०। गंधराज का पेड़। कनो-संज्ञा पु० दे० “करना" । कमी-संज्ञा स्त्री० दे० "कईमी"।
संज्ञा पुं० [ देश० दिल्ली] खट्टा का फूल । कर्ने-अ० ] [ वहु० कुरून ] (१) सींग। शृंग।
कावेला-[?] बारहसिंगे का सींग । शाख । (२)एक वृत्त का नाम । (३)उभार । कर्नियून-[ यू० ] शाह बलूत । ज़ाइदः। (४)१००वा ८० वर्ष का ज़माना । की-संज्ञा स्त्री० [?] एक प्रकार का फूल । Cornu.।
कर्नीन-[अ०] दे॰ "केरेटीन' । कर्नः-१०] सींग।
क़र्निय्यः-[अ० ] Cornea कर्न:-[१] (१) ऊँटकटारा । उश्तर ख़ार । (२) | कर्नुल अजुज़- अ० ] अजुज़ अर्थात् चूतड़ की हड्डी कुराद । चिचड़ी।
में नीचे की ओर का उभार । Sacral Corकर्न ईल-[१०] बारहसिंगे का सींग । कर्नुलईल ।
nua कर्नूकार-) [?] करोया।
कनुल अनज़-[अ०] (१) बकरे का सींग। कर्नफ़ार
(२) मेथी। कर्नपात-संज्ञा [सं० कर्णपत्र ] एक बूटी जिसमें | कनु ल उसउस-[अ०] पुच्छास्थि में ऊपर की तरफ
फूल और पत्ते नहीं होते । और यह उभय पार्श्व में पक-एक उभार है ।(Coccyg. कालापन लिये खाकस्तरी होती है । यह _eal Cornua) बूटी नाखून से चुनी हुई चीज़ की तरह होती है। कनु ल बकर-[१०] (१) बैल का सींग। वृष प्रज,फ्रारुजन । दे. "करनपात"।
| भंग । (२) सूखी मेथी।