Book Title: Aayurvediya Kosh Part 03
Author(s): Ramjitsinh Vaidya, Daljitsinh Viadya
Publisher: Vishveshvar Dayaluji Vaidyaraj

Previous | Next

Page 711
________________ मिलने का पता - श्रीहरिहर औषधालय, बरालोकपुर - इटावा यू० पी० । १० - सिद्धौषधिप्रकाश ६- श्वास रोग चिकित्सा लोग कहते हैं कि दमा दम के साथ जाता है, यह उनकी बड़ी भूल है । वर्तमान समय में यह दुष्ट रोग ऐसा फैल रहा है कि दांतों तले अंगुली दबानी पड़ती है । इस पुस्तक में श्वास (दमा) सम्पूर्ण लक्षण तथा उनके रूप आदि का सविस्तार से वर्णन हैं, प्रयोग ऐसे ऐसे उत्तम दिये गये हैं जो कि सेन्ट परसेन्ट सफल हैं, जिनको हरएक आसानी से बना सकता है । ऐसी अनोखी पुस्तक की कीमत केवल 1) मात्र है । आर्डरों की भरमार ? सारी प्रतियां समाप्त हो चली हैं। इसीलिये तो कहते हैं कि आज ही एक कार्ड डालकर मंगा लीजिये । इस पुस्तक में सर से लेकर पैर तक के सम्पूर्ण रोगों के कारण निदान तथा उनकी चिकित्सा बड़े सरल ढङ्ग के साथ सुलझाई गई है। पुस्तक में सैकड़ों प्रयोग हैं। जो अनुभूत योग हैं। ऐसी पुस्तक का मूल्य केवल १11) मात्र है । ७- अर्श रोग चिकित्सा अपने ढंग की यह एक ही पुस्तक है। इसमें बबासीर रोग की उत्पत्ति मय कारणों के एवं स्वरूप समेत भली भांति सरल भाषा में दर्शाई गई है प्रयोग बड़े ही उत्तम और अनुभूत हैं, मू० केवल II) ८ - स्त्री रोग चिकित्सा स्त्री जाति कितनी कोमल पुष्प है, यदि इसमें असमय ही में तुषार पड़ जाय तो इसमें किसका दोष है । इस पुस्तक में स्त्रियों के रोग कैसे दूर हो सकते हैं। श्वेतप्रदर, रक्तप्रदर, मासिक धर्म आदि की पूर्ण खराबियोंका सम्पूर्ण विधान तथा चिकित्सा वर्णित हैं, हम चाहते हैं कि यह पुस्तक प्रत्येक गृहस्थ के हाथ में हो ताकि वह अपना जीवन श्रानन्द मय बना सकें । पुस्तकका मू० भी केवल |) ही है । ९ - व्रणोपचार पद्धति इस पुस्तक में समस्त प्रकार के घावों का इलाज है । जैसे बिद्रधि, जहरवाद, नहरुवा, अग्नि से जलना, चोट लगने का घाव, गलगड, गंडमाला, भगंदर, ग्रंथि, अर्बुद, पामारोग आदि आदि रोगों की सरल चिकित्सा लिखी है । पुस्तक का द्वितीय संस्करण छप गया है। मू०] केवल 12 ) है | [ ३ ] ११ – वैद्यक शब्दकोष अकारादिक्रम से संस्कृत औषधियों के नाम हिंदी भाषा में लिखे गये हैं । पुस्तक बड़ीही अच्छी और उपयोगी है। प्रत्येक वैद्य पास रहनी चाहिये । मू केवल ।) 1 १२ - हरिधारित ग्रन्थरत्न पुस्तक क्या है गागर में सागर वाली कहावत को लेखक ने चरितार्थ कर दिया है । सम्पूर्ण रोगों की बड़ी अच्छी विवेचना की गई है। पुस्तक प्राचीन और अनुभव पूर्ण सुन्दर भाषा टीका में बर्णित है | मू० केवल 1 ) १३ - भारतीय रसायनशास्त्र इस पुस्तक में सोना चांदी आदि २ बनाने की अपने शास्त्रों में प्रतिपादित सभी विधियों का संग्रह है । प्रत्येक वैद्य को इससे अवश्य ही लाभ उठाना चाहिये। पुस्तक बड़ी ही अच्छी है मू० ॥ १४ - औषधि - विज्ञान दो भाग यह पुस्तक आयुर्वेद के विद्यार्थियों एवं वैद्यों के लिये अत्यन्त उपयोगी है। इस पुस्तक में षधि निर्माण संबन्धी प्रक्रियायें चिकित्सा संबंधी प्रक्रियायें औषधियों के भिन्न २ वर्ग और उनके गुणधर्म प्रभाव इत्यादि एवं दीपक, रेचक, प्राही शीत तथा पित्त हर द्रव्यों का पूरा पूरा स्पष्ट दिग्दर्शन कराया गया है । अमुक रोग में अमुक औषधि एवं उसका पूरा २ विधान आदि सविस्तार से वर्णित है । पुस्तक अत्यन्त उपयोगी है । मू० १) द्वितीय भाग मू०|)

Loading...

Page Navigation
1 ... 709 710 711 712 713 714 715 716