Book Title: Aayurvediya Kosh Part 03
Author(s): Ramjitsinh Vaidya, Daljitsinh Viadya
Publisher: Vishveshvar Dayaluji Vaidyaraj

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Page 713
________________ मिलने का पता - श्री हरिहर औषधालय, बरालो कपुर - इटावा यू० पी० । [५] २९ - सरलरोग - विज्ञान निदान जैसे उपयोगी विषय को सर्वाङ्गपूर्ण सरलता से समझाने बाली अपूर्व पुस्तक है। यूनानी आंग्ल एवं आयुर्वेदीय सभी पद्धतियों को एक साथ मिलाकर ऐसा उपयोगी बना दिया गया है कि साधारण से साधारण की समझ में निदान आ जाय और कोई नवीन रोग शेष न रहे कि जिसका निदान इसमें न हो । पुस्तक प्रत्येक वैद्य एवं आयुर्वेद प्रेमी के देखने योग्य है कोष साइज के ४५० पृष्ठ की पुस्तक का दाम ३) सजिल्द 311 ) ३० - एक दिन में ज्योतिषी प्रत्येक मनुष्य अपने भाग्य का हाल जानने के लिये उत्सुक रहता है। बड़ी खोज के साथ ज्योतिष शास्त्र का सार लेकर उदाहरण के रूप में समझाया गया है ताकि सभी साधारण जन लाभ उठा सके। प्रत्येक के लिये बड़ी उपयोगी पुस्तक है । मू०|) ३१ - एक दिन में कवी • २५, २६ - शिफाउल अमराज ) इस पुस्तक में यूनानी साहित्य का सारानिचोड़ भर दिया गया है। यूनानियों ने हमारे साहित्य का निचोड़ लेकर अपनी भाषा में भरकर अपने साहित्य को सर्वाङ्ग पूर्ण बना लिया और अपना यह दोष ( कि हमने किसी के यहां से कुछ लिया या नहीं मिटाने के लिये जिन-जिन ग्रन्थों से विषय लिया था उनका नामोनिशान सदा के लिये मिटा दिया ऐसी दशा में अब जरूरत है कि हम अपना साहित्य पूर्ण कर सर्वज्ञ बने तो इधर उधर की साहित्य से संग्रह करना पड़ेगा, जब आप इसको एक बार पढ़ेंगे तो आपको आश्चर्य होगा, कि हम वास्तविक भूल से अन्य साहित्य का देखना पाप समझते थे। इससे हमें बहुत कुछ शिक्षा प्राप्त हो सकती है, आयुर्वेद के मर्मज्ञ बनने की इच्छा प्राप्तहो तो इस ग्रन्थ का अध्ययन अनिवार्य होगा, आप निदान और लाजबाब योंगों को देख बाग-बाग हो उठेंगे । मू० प्रथम भाग का १) द्वितीयभाग का ? ॥ ) २७ - दीर्घजीवन 'माला' सम्पादक द्वारा लिखित, हजारों प्रशंसा पत्र प्राप्त, अपने ढंग की निराली पुस्तक है। गृहस्थ जीवन की ऐसी पुस्तक आज तक नहीं निकली प्रातः से सायं तक के कर्तव्य वर्णित हैं । १०१ विषयों का समावेश किया गया है । मू० ॥ ) २८ - कर्तव्य शिक्षण ( हिन्दू लाँ ) राजा प्रजा, पति-पत्नी, भाई-बहिन, स्वामीसेवक, माता-पिता का पुत्र के प्रति तथा पुत्र का माता-पिता के प्रति कर्तत्रयों का विशद् वर्णन है । अपने २ कर्तव्यों का पालन करने में कैसे सुख शांति प्राप्त हो सकती है, इस समय क्रांति क्यों मची है कैसे दूर की जा सकती है, पढ़कर शांति स्थापन करने में सहायक बनिये और स्वतः शांति स्थापित कीजिये, अपने विषय की पहली पुस्तक है जो प्रत्येक मनुष्य कहलाने वाले के लिये पठनीय है । मू०॥ प्रत्येक जन कविता करने की इच्छा करता है कौन छन्द कितने अक्षरों से कितने गुरु लघु से बनता है इसमें नकशा द्वारा बताया गया है । देखते ही छंद बनाना आजाता है । मूल्य केवल मात्र ३२ - आयुर्वेदीय विश्वकोष प्रथम भाग निघण्टु विषय का सबसे अधिक विस्तृतनबीन और प्राचीन सभी यूनानी आंग्ल आयुर्वेदीय खोजों से पूर्ण ग्रन्थ है संसार में एक दम नवीन और वहुत उपयोगी है। ऐसा ग्रन्थ न अबतक था और न होगा ६५० पृष्ठ के प्रन्थ का दाम सजिल्द ६) अजिल्द ५ ) रु० शब्द संख्या १०२५० सहित । द्वितीय भाग का सजिल्द ६ ) और अजिल्द ५11) तृतीय भाग का ६) और ५1 ) रु० है । तीनों भागों की पृष्ठ संख्या २४३६ है । 'अ' से 'क' तक का वर्णन है । शेष भाग शीघ्र ही छप रहे हैं। आप भी १) भेज, स्थाई ग्राहक बनिये । •

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