Book Title: Aayurvediya Kosh Part 03
Author(s): Ramjitsinh Vaidya, Daljitsinh Viadya
Publisher: Vishveshvar Dayaluji Vaidyaraj

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Page 714
________________ [६] मिलने का पता - श्रीहरिहर औषधालय, बरालोकपुर-इटावा यू० पी० । ३३- करावादीन कादरी आयुर्वेद में जिस प्रकार भैष०-रत्नावली, भैष, रत्नाकर आदि में भेषज संग्रह है, उसी प्रकार यह करावादीन कादरी यूनानी चिकित्सा में व्यहृत होनेवाली विविध प्रकार की औषधियों के संग्रह से परिपूर्ण हैं। जहां आयुर्वेदीय औषधियां कड़वी कली होने के कारण पुराने या सुकुमार प्रकृति के लोग खाने में हीला हवाला करते हैं। वहां यह सुस्वादु दवायें खाने को लालायित रहते हैं। सुकुमार प्रकृति के नवाबों के लिये ही इस चिकित्सा का जन्म हुआ था। इसमें बड़े २ चमत्कारिक योगों का वर्णन आया है । जो वैद्यों के नाम यश एवं द्रव्य पैदा कराने में कमाल का काम देता है । दूसरे इसके योग बड़े लाभदायक होते हैं । यह पुस्तक चार भागों में प्रकाशित हुई है। प्रथम भाग का १), द्वितीय भाग का १ ), तीसरा भाग का १), भागका १) है। I ३४ - करावादीन शफाई यूनानी के प्रसिद्ध २ योगों का अकारादि क्रम संग्रह है। यूनानी हिकमत में इसका श्रेष्ठ स्थान है। मू० १) ३५ - मखज़न उल मुफ़रदात ( निघण्टु बिज्ञान ) यह यूनानी का निघण्टु है । इसमें ६५० औषधियों के गुणधर्म और हकीमों के अनुभव हैं, वैद्यों के बड़े काम की चीज़ है । मू० २) ३६ - अर्धी फार्सीका कोष यूनानी चिकित्सा में औषधियों के नाम चर्बी एवं फार्सी में होने के कारण चिकित्सकों को बड़ी उत्साह भंग हो जाता था और वह इसी कारण यूनानी चिकित्सा से नाक भौं सिकोड़ा करते थे । उन्हें क्या पता कि वादियान सौंफ को और समग गोंद को कहते हैं इसलिये कोष की रचना की गई है, अब आप इसके सहारे यूनानी चिकित्सा का तौल, परिभाषायें, भस्म एवं शोधन आदि का भी भी रसास्वादन सहज में कर सकेंगे। इसमें यूनानी खूब खुलासा वर्णन शामिल है । मू० = ) ० है । ३७ - प्रत्यंगिरा सुविधा थी, वह बिचारे घर में रक्खी हुई वस्तु को न जानकर पंसारियों के पास दौड़ लगाते थे । देशी पंसारी भी उन्हें नहीं जानते थे, अतः उनका ब्राह्मणों का वही गुप्तप्राय शस्त्र है, जिसके बल से ब्राह्मणों की सत्ता संसार मानता था, ब्राह्मणों के देखने योग्य है । मू० ।) ३८ - दत्तात्रय तन्त्र तत्रग्रन्थों में दत्तात्रयतन्त्र का बहुत उत्तम स्थान है, गृहस्थियों के काम के योग्य प्रायः सभी यन्त्र, मन्त्र, तंत्र, इसमें हैं, बिना इसके पूर्ण शान्ति गृह में नहीं रह सकती, सरल भाषा टीका सहित का मू०|) आना है । ३९ - कुञ्जिकास्तोत्रम् सप्तशती ( दुर्गापाठ) के महत्व को सभी जानते हैं, वह क्यों सफल नहीं होती, उसका कारण मय विधि विधान के दिया गया है, देवी उपासकों के लिये अमूल्यनिधि है । मू० 1) ४० - वगला विधानम् कितना सिद्ध उपाय है, यह बात सभी जानते हैं, परन्तु विधान न जानने से लोग नराश्रित हो जाते हैं, यदि आप अपनी इच्छापूर्ति करना चाहते हों, तो इसे अवश्य पढ़ें । मू० 1) ४१ - गायत्री पुरश्चरणम् गायत्री सफल होने की अभूतपूर्व विधियों के सहित बहुत उपयोगी ग्रन्थ है । मू० 1)

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