Book Title: Aayurvediya Kosh Part 03
Author(s): Ramjitsinh Vaidya, Daljitsinh Viadya
Publisher: Vishveshvar Dayaluji Vaidyaraj

Previous | Next

Page 694
________________ कंटौच २४२६ क तरतुलमुख्खे. कटौच-[पं०] आखी। अखरेरी कंटियान । चुत्रा | कंडियारी-[ काश.] गुनाच । तुलौच । [40] (लाहौर)। (१) कौड़ी बूटी । मरग़ीपाल । हुवा । (२) कंट्या निवली-[को॰] नागफनी। फणिमनसा । । खारेजा । (३) भुइ पुटकंडा। (४) लाप कंट्री इपीकाकाना- अं० Country Ipeca- | पताकी । कमल । फपड़ी। _cuanha] पित्तपापड़ा । पित्तमारी। कंडी-संज्ञा स्त्री० [हिं० कंडा] (१) छोटा कंडा । (Naregamia alata, W.&A.) ____गोहरी । उपली। (२) सूखा मल । गोटा । - कंट्री मैलो-[अं० Country Mallow ] कंधी | ककही। - [सिंध ] शमी । कमरा। कॅटेला-संज्ञा पुं० [हिं० काठ+केला] एक प्रकार | कंडी (दी) र याक-[ तु.] भाँग के बीज का तेल । का केला जिसके फल बड़े और रूखे होते हैं। | कंडीरी-[पं०] लखटी। यह हिंदुस्तान के प्रायः सभी प्रांतों में होता है। कंडलु- ते०] अरहर । बाढ़की। कठकेला । कचकेला । काष्ठ कदली । कँडवा-संज्ञा पुं० [हिं० काँदो वा सं० कंडु ] बाल - कंठ उन्हली-[म.] सफ़ेद राई। वाले अन्नों का एक रोग। कँजुश्रा । झीटी। कंठंग-[ मल० ] काँदा । वनपलाण्डु । जंगलीप्याज़ । कंडो। . . कंठेल-[बं०] कटहल । पनस । कंडूल-[ मरा० ] गुलू । कुलू । । - कंडंग हेटरि-ले० Cundung ] कटेरी कंडेर-[पं०] कबर । करीर । Capparis spiकँडरा-संज्ञा पुं० [सं० कंदल ] [ स्त्री० कँडरी ] मूली सरसों आदि के बीच का मोटा डंठल जिसमें कंडेरी-[पं०] ( Astragalus multiceps. फूल निकलते हैं । इसका लोग साग बनाते और Wall.) . अचार डालते हैं। कंडेलिया रहीडियाई- ले. Kandelia Rheकंडल-[बुख़ारा] उशक का गोंद। edii] एक ओषधि । . [हिं०] कन्नल | निरपागोण्डी। कंडौर-[ संज्ञा पुं॰ [सं० कंडु वा हिं० काँदो] बाल कंडल-कमा-[ फा०] (१) हरीरूद घाटी में वाले अन्नों का एक रोग। इसमें बाल पर काले इस नाम से प्रसिद्ध एक पौधा | उशक । (२) रंग की चिकनी धूल वा भुकड़ी बैठ जाती है सकवीनज । म. मु.।। जिससे उसके दाने मारे जाते हैं। यह रोग धान, कंडा-संज्ञा पुं॰ [सं० स्कंदन-मलत्याग] गेहूं, ज्वार, बाजरे आदि के बालों में होता है। [स्त्री० अल्पा० कंडी] (१) सूखा गोबर जो ईधन के काम में आता है । (२) सूखा । | कडुवा । कँजुश्रा । झीटी । कंडो। मल । गोटा । सुद्दा । कंतनी-[सिरि०] पखान बेद । जितियाना। संज्ञा पुं० [सं० कॉड ] (1) मूंज के कंतर:-[१०] (1) सेतु । पुल । (२) ऊँची पौधे का डंठल । सरकंडा। (२) शकरकंद। इमारत । [पं०] गीदड़ द्राक । द्राङ्गी । कंतरतुल् मुख्ख-अ.] मस्तिष्क के मध्य सेतु के [ सतलज ] कंटा। श्राकार का वह भाग जो ऊपर वृहत् मस्तिष्क, कंडापिंडी-संज्ञा स्त्री० [?] (1) पत्थरफोड़ी, (२) पीछे अणु मस्तिष्क और नीचे सुषुम्नाशीर्षक से लगा रहता है। मानो यह भाग मस्तिष्क के शेष प्राटा। तीनों भागों को परस्पर मिलाता है। इसके तंतु कं (कु) डा मामिडी-संज्ञा स्त्री० अमड़ा । अाम्रा खड़े और आड़े होते हैं । आड़े रेशे वृहत् मस्तिष्क कंडियार-[पं०] सरमूल । के दोनों गोलाद्धों को परस्पर मिलाते हैं । बर्ज़न[ कोल ] पाढल। दिमाग़ । जसरकारूलियूस । Pons Varolli [पाली ] खारेजा। पाञ्ज वैरूलाई। तक

Loading...

Page Navigation
1 ... 692 693 694 695 696 697 698 699 700 701 702 703 704 705 706 707 708 709 710 711 712 713 714 715 716