Book Title: Aayurvediya Kosh Part 03
Author(s): Ramjitsinh Vaidya, Daljitsinh Viadya
Publisher: Vishveshvar Dayaluji Vaidyaraj
________________
कषायी
२३५०
कस
रज।
शुद्र दुरालभा । रा०नि० व० ४ । (३) प्रामका | कष्टनाशक-संज्ञा पु. [सं०] भूमिपल्ली। .. अाम्रातक । (४) खजूर का पेड़ । खजूरी वृक्ष । | कष्टरज-संज्ञा पु० [सं०] कृच्छरज । कष्ट से वै०नि०। (५) पटुमा । जूट । कौशिकामी।
___ रजःस्राव होना । पीडायुक्त मासिकस्राव होना। के. दे. नि। (६) निशोथ । गण० नि। कष्टरज नाशक-वि० [सं० वि०] जिसके सेवन से नि०शि०।
___ कृच्छ रज का नाश हो। सुखपूर्वक मासिकस्राव कषायो-संज्ञा पुं॰ [सं० पु. कषायिन् ] (१) राल करनेवाली औषधि ।
का पेड़ । सर्जवृक्ष । (२) शाल का पेड़ । साखू कष्टरजःव्यथा-संज्ञा स्त्री० [सं० स्त्री.] कृच्छ रज रा.नि.व. जटा०(३) खजूर का पेड़। जनित पीड़ा। खजूरी वृक्ष । (५) लचुक का पेड़। वड़हर । कष्टरजःस्राव-संज्ञा पु. [ सं०] कृच्छ रज । कष्टरा. नि. व०११। (५) सागौन का पेड़। शाकक्ष । (६) छोटा कटहल | 'जुद्रपनस । वै० | कष्टरजःस्र ति-संज्ञा स्त्री० [सं०1 कष्टरजःस्राव । निघ० । (७) तुद्र दुरालभा । छोटा धमासा । कष्टरा-संज्ञा स्त्री० [सं० स्त्री.] दुरालभा। कच्छुरा नि०शि०।
नि०शि०। कषिका-संज्ञा स्त्री० [सं. स्त्री०] पक्षिजाति । कोई कष्टसाध्य-वि० [सं०नि०1(१)जिसका साधन चिड़िया। उणा।
वा करना कठिन हो। मुश्किल से होनेवाला । कषीका-३० "कषिका"।
जैसे-कष्टसाध्य कार्य। (२) उपचार द्वारा कषरुका-संज्ञा स्त्री० [सं० स्त्री.] (1) कशेरुका ।
जिसका साधन कठिन हो। मुश्किल से ठीक पृष्ठास्थि । . टी. रा० । (२) कसेरू । होनेवाला (रोग)। जो कठिनता से अच्छा हो । कशेरू।
जैसे-कष्टसाध्य रोग। ककलांगी-संज्ञा स्त्री० [सं० स्त्री० ] गोराटिका । कष्टस्थान-संज्ञा पुं॰ [सं० की.] वह जगह जहां - सारिका । मैना ।
पीड़ा हो । पीड़ा जनक स्थान । हारा। कष्कष- वै. पु.] एक प्रकार का ज़हरीला कीड़ा । | कष्टहीन-संज्ञा पुं॰ [सं० पु.] बकुची । सोमविषैला कृमि बिशेष।
राजी। "येवाषास: कष्कषासएजत्का:शिवबित्नुका । कष्टार्तव-संज्ञा पु० [सं० पु.] कृच्छ,रज । रजःदृष्टश्च हन्यतां कृमिरुतादृष्टश्चहन्यताम् ।। कृच्छता।
(अथर्ववेद ५।२३।७) | कष्टि-संज्ञा स्त्री० सं० स्त्री०] (१) पीड़ा। वै. कष्ट-संज्ञा पु० [सं० की. (1) पीड़ा । केश। निघ। (२) कसौटी । (पत्थर) कषपट्टिका । वेदना । तकलीफ । व्यथा । दुःख । दर्द । के । कसने का पत्थर । स्पर्शमणि ।
कष्टी-वि० स्त्री० [सं० कष्ट ] प्रसव वेदना से पीड़ित । वि० [सं० त्रि. ] (1) कष्टसाध्य । (स्त्री.)। मुश्किल । कृच्छ।
कष्ठीर-संज्ञा पुं॰ [सं० क्री० ] राँगा नामक धातु । कष्टकर, कष्टकारक-वि० [सं०नि०] जो तकलीफ
रंग । वंग। रत्ना। दे। जिससे क्रेश हो। पीड़ा देनेवाली। तकलीफ
संज्ञा पुं॰ [सं० पु.] कसौटी । सोना चाँदी देह । कष्टप्रद । पीड़ाकर । त्रिका०।
कसने का पत्थर । कसनी। कष्टकल्पना-संज्ञा स्त्री० [सं०] बहुत खींच खाँच की | कस-संज्ञा पु. [ सं० कष] परीक्षा । कसौटी। और कठिनता से ठीक घटनेवालो शक्ति। विचारों
जाँच । का घुमाव फिराव।
__ संज्ञा पुं० [सं० कषीय, हिं० कसाव ] (१) कष्टगंधिनी-संज्ञा स्त्री० [सं० स्त्री.] अश्वगंधा । कसाव' का संक्षिप्त रूप । (२) निकाला हुमा असगंध।
अर्क। (३) सार । तत्व
Page Navigation
1 ... 616 617 618 619 620 621 622 623 624 625 626 627 628 629 630 631 632 633 634 635 636 637 638 639 640 641 642 643 644 645 646 647 648 649 650 651 652 653 654 655 656 657 658 659 660 661 662 663 664 665 666 667 668 669 670 671 672 673 674 675 676 677 678 679 680 681 682 683 684 685 686 687 688 689 690 691 692 693 694 695 696 697 698 699 700 701 702 703 704 705 706 707 708 709 710 711 712 713 714 715 716