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कषायी
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कस
रज।
शुद्र दुरालभा । रा०नि० व० ४ । (३) प्रामका | कष्टनाशक-संज्ञा पु. [सं०] भूमिपल्ली। .. अाम्रातक । (४) खजूर का पेड़ । खजूरी वृक्ष । | कष्टरज-संज्ञा पु० [सं०] कृच्छरज । कष्ट से वै०नि०। (५) पटुमा । जूट । कौशिकामी।
___ रजःस्राव होना । पीडायुक्त मासिकस्राव होना। के. दे. नि। (६) निशोथ । गण० नि। कष्टरज नाशक-वि० [सं० वि०] जिसके सेवन से नि०शि०।
___ कृच्छ रज का नाश हो। सुखपूर्वक मासिकस्राव कषायो-संज्ञा पुं॰ [सं० पु. कषायिन् ] (१) राल करनेवाली औषधि ।
का पेड़ । सर्जवृक्ष । (२) शाल का पेड़ । साखू कष्टरजःव्यथा-संज्ञा स्त्री० [सं० स्त्री.] कृच्छ रज रा.नि.व. जटा०(३) खजूर का पेड़। जनित पीड़ा। खजूरी वृक्ष । (५) लचुक का पेड़। वड़हर । कष्टरजःस्राव-संज्ञा पु. [ सं०] कृच्छ रज । कष्टरा. नि. व०११। (५) सागौन का पेड़। शाकक्ष । (६) छोटा कटहल | 'जुद्रपनस । वै० | कष्टरजःस्र ति-संज्ञा स्त्री० [सं०1 कष्टरजःस्राव । निघ० । (७) तुद्र दुरालभा । छोटा धमासा । कष्टरा-संज्ञा स्त्री० [सं० स्त्री.] दुरालभा। कच्छुरा नि०शि०।
नि०शि०। कषिका-संज्ञा स्त्री० [सं. स्त्री०] पक्षिजाति । कोई कष्टसाध्य-वि० [सं०नि०1(१)जिसका साधन चिड़िया। उणा।
वा करना कठिन हो। मुश्किल से होनेवाला । कषीका-३० "कषिका"।
जैसे-कष्टसाध्य कार्य। (२) उपचार द्वारा कषरुका-संज्ञा स्त्री० [सं० स्त्री.] (1) कशेरुका ।
जिसका साधन कठिन हो। मुश्किल से ठीक पृष्ठास्थि । . टी. रा० । (२) कसेरू । होनेवाला (रोग)। जो कठिनता से अच्छा हो । कशेरू।
जैसे-कष्टसाध्य रोग। ककलांगी-संज्ञा स्त्री० [सं० स्त्री० ] गोराटिका । कष्टस्थान-संज्ञा पुं॰ [सं० की.] वह जगह जहां - सारिका । मैना ।
पीड़ा हो । पीड़ा जनक स्थान । हारा। कष्कष- वै. पु.] एक प्रकार का ज़हरीला कीड़ा । | कष्टहीन-संज्ञा पुं॰ [सं० पु.] बकुची । सोमविषैला कृमि बिशेष।
राजी। "येवाषास: कष्कषासएजत्का:शिवबित्नुका । कष्टार्तव-संज्ञा पु० [सं० पु.] कृच्छ,रज । रजःदृष्टश्च हन्यतां कृमिरुतादृष्टश्चहन्यताम् ।। कृच्छता।
(अथर्ववेद ५।२३।७) | कष्टि-संज्ञा स्त्री० सं० स्त्री०] (१) पीड़ा। वै. कष्ट-संज्ञा पु० [सं० की. (1) पीड़ा । केश। निघ। (२) कसौटी । (पत्थर) कषपट्टिका । वेदना । तकलीफ । व्यथा । दुःख । दर्द । के । कसने का पत्थर । स्पर्शमणि ।
कष्टी-वि० स्त्री० [सं० कष्ट ] प्रसव वेदना से पीड़ित । वि० [सं० त्रि. ] (1) कष्टसाध्य । (स्त्री.)। मुश्किल । कृच्छ।
कष्ठीर-संज्ञा पुं॰ [सं० क्री० ] राँगा नामक धातु । कष्टकर, कष्टकारक-वि० [सं०नि०] जो तकलीफ
रंग । वंग। रत्ना। दे। जिससे क्रेश हो। पीड़ा देनेवाली। तकलीफ
संज्ञा पुं॰ [सं० पु.] कसौटी । सोना चाँदी देह । कष्टप्रद । पीड़ाकर । त्रिका०।
कसने का पत्थर । कसनी। कष्टकल्पना-संज्ञा स्त्री० [सं०] बहुत खींच खाँच की | कस-संज्ञा पु. [ सं० कष] परीक्षा । कसौटी। और कठिनता से ठीक घटनेवालो शक्ति। विचारों
जाँच । का घुमाव फिराव।
__ संज्ञा पुं० [सं० कषीय, हिं० कसाव ] (१) कष्टगंधिनी-संज्ञा स्त्री० [सं० स्त्री.] अश्वगंधा । कसाव' का संक्षिप्त रूप । (२) निकाला हुमा असगंध।
अर्क। (३) सार । तत्व