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कस्तूरी २३८३
कस्तूरी ५ (७) सातवीं परीक्षा विधि यह है कि कस्तूरी औषध-निर्माण-अायुर्वेदीयः
के चंद दाने कोयले की आग पर डालते हैं । यदि कस्तूरी भूषण रस, कस्तूरी भैरव रस, (स्वल्प, वे पिघल जाते हैं और बुलबुला देते (Bubble) मध्यम, वृहत् ); कस्तूरी गुटिका कस्तूरी मोदक, हैं तो यह समझा जाता है कि शुद्ध कस्तूरी है। कस्तूरी रस, कस्तूर्यादि चूर्ण, कस्तूर्यादि स्तम्भन, यदिवे तुरत कड़े और जलकर राखहो जाते हैं तो उसे मृगनाभ्याद्यवलेह (भा०); वसंत तिलक रस (२० मिश्रित वा अशुद्ध समझा जाता है । जलते समय सा० सं०) लक्ष्मीविलास रस, इत्यादि । असली कस्तूरी से एक विशेष प्रकार की गंध मात्रा-२॥ रत्ती से ५ रत्ती वटी वा मिश्रण पाती है । जो अन्य असली कस्तूरी की चीजों के (Mixture) रूप में। जलने से नहीं होती।
एलोपैथी(८) आठवीं यह कि दफ़न करने वा गाड़ने
असम पर उसकी गंध नहीं बदलती। पर जब यह
( Not official Preparation ) अशुद्ध वा नकली होती है तो इसकी गंध पूर्णतः (१) मिस्च्युरा मास्काई Mistura परिवर्तित हो जाती है।
Moschi करतूरी द्रव । मज़ीज मिश्क । योग(6) नवीं परीक्षा स्पर्श द्वारा होती है।
कस्तूरी : ग्रेन, अकेशिया ई ग्रेन, शर्करा ६ ग्रेन, असली कस्तूरी छूने में मृदु और नकली कड़ी
रोज़ वाटर १० पाउंस, मात्रा-1 से २ आउंस होती है।
या अधिक। (१०) अणुवीक्षण यन्त्र से परीक्षा करने पर (२) पिल्युला मास्काई Pilula Mos यदि असली कस्तूरी में शुष्क रक्क मिति हुश्रा chi कस्तूरीवटिका, हब्ब मिश्क । योग-कस्तूरी हो तो वह रक्त और उसके अंश साफ दिख १२ ग्रेन, बब्बूल निर्यास चूर्ण ३ ग्रेन, मधुयष्टी जाते हैं।
चूर्ण ३ग्रेन, सबको परस्पर मिलाकर चार वटिकाएँ . (११) असली कस्तूरी को जल में घोलकर प्रस्तुत करें । मात्रा-१ से २ वटिकायें । उसमें ( BI-Chloride of mercury) (३) टिक्च्यु रा मास्काई Tinctura मिश्रित कर देने से कोई भी वस्तु जल से पृथक Moschi मृगमदासव । तअफ़ीन मुश्क । योग नहीं होती।
एवं निर्माण विधि-कस्तूरी ६ ग्रेन, सुरासार (१२)जो मुश्क खाने में अत्यन्त तिक्त एवं (६०%) १ श्राउंस । करतूरी को सुरासार में तीक्ष्ण, रंग में पीला और सेव की सुगंधि वाला सप्ताह पर्यन्त भिगो रखने के उपरांत उसे छान तथा खता, तिब्बत कोटकाँगड़ा या नैपाल देश में लेवें। मात्रा-1 से १ ड्राम । उत्पन्न हुआ हो, वह असली और विशुद्ध है। नोट-भलीभाँति सुखाई हुई उत्तम कस्तूरी और जो अत्यन्त श्यामवर्ण का भारी, कषाय वा को थोड़ा सुरासार में क्लोदित कर पुनः सबको जल अन्य स्वाद युक्र, अल्प गंधी वा दुर्गन्धयुक्त हो | में घोलकर चौबीस घंटे पड़ा रहने देवे। कस्तूरी उसे बनावटी समझना चाहिये । (ख० अ०) जल में सुविलेय होतीहै और पूर्व व्यवहार पद्धति
(१३) कस्तूरी को थूक वा पानी के साथ से लगभग ७०, ७५ प्रतिशत भाग तक लीन हो हथेली पर मलने से यदि वह घुल जाय तो वह जाती है। प्राप्त विलयन को किंचित् ताप देने पर असली और यदि बत्ती बन जाय तो बनावटी कस्तूरी का शेष रहा थोड़ा और भागभी उक्त विलसमझना चाहिये। (स्व० अ०) यन में मिल जाता है। परंतु उन व्यवहार से
(१४) अरस्तू की परीक्षाविधि यह है- कस्तूरीगत उड़नशील पदार्थ के नष्ट होने का भय कस्तूरीको पीसकर तौल लेवें। इसके उपरांत उसे रहता है । अतएव यह ठीक नहीं है। पाई पात्र में एक क्षण रखकर पुनः तौलें। यदि वाणिज्योपयोगी कस्तूरो-निर्माण-पद्धति बज़न बढ़ जाय, तो असली, वरन् नकली बाजार के लिये व्यापारोपयोगी कस्तूरी प्रस्तुती जानें।
करण की अनेक रीतियाँ प्रचलित हैं। उनमें