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कसक
कसेरू
सेतक- संज्ञा पुं॰ [सं० पुं०] (1) कसेरू । (२)
नागरमोथा । नागरमुस्तक । सु० चि० ३७ प. कसेहका-संज्ञा स्त्री० [सं० स्त्री०] (१) कसेरू ।
गुण्डकन्द । रा०नि० व०८ । (२) पृष्ठास्थि ।
रीढ़ की हड्डी । पृष्ठदण्ड । रा०नि० व० १८ । कसेरुदिला-[पं०] कसेरू। कसेरुवा-[ मरा०, कर० ] कसेरू । कसेरू-संज्ञा पुं० [सं० कशेरूः ] एक प्रकार के मोथे
की जड़ जो तालों और झीलों में वा उनके किनारे जहाँ पानी रुका होता है अथवा भाद्र भूमि में उपजता है। कोई-कोई इसे गोंदपटेरे का एक भेद बतलाते हैं । कसेरू के पौधे को कहीं२ गोंदला भी कहते हैं । संस्कृत में इसे गुण्डः कहते हैं और
इसका कन्द-गुण्डकंद कसेरू कहलाता है। ... यह कंद वा जड़ अंडाकार गोल गाँठ की तरह .. होती है और इसके काले छिलके पर काले रोएँ
या बाल होते हैं । इसके भीतर का गूदा बहुत सक्नेद स्वाद में मधुर सुस्वादु किंचित् विस्वाद (फोका) और सुगंधित होता है। इसके चाबने से कुछ-कुछ मोथे की सो गंध आती है। कसेरू खाने में मीठा और ठंढा होता है। फागुन में यह तैयार होजाता है । और अषाढ़ तक मिलता है।
रूपाकृति भेद से कसेरू अनेक भाँति का होता है। राजनिघण्टुकार ने स्थूल, वृत्त और लघु भेद से इसे तीन प्रकार का लिखा है-"तत्रस्थूलो लघुश्चान्यानधाऽयं" | भावप्रकाशकार को भी इसके निम्न दो भेद स्वीकृत हैं । वे लिखते हैंकसेरू द्विविधं तत्तु महद्राजकसेरूकम् । मुस्ताकृति लघुस्याद्यत्तचिचोड़मिति स्मृतम् "
अर्थात् कसेरू दो प्रकार का होता है। (१) महत् कसेरुक वा राजकसेरुक और (२) चिचोड़ । इनमें से जिसका कन्द अपेक्षाकृत बृहत् (जाय. फल के बराबर वा उससे बड़ा) होवे, वह कसेरू
वृहत् कसेरू वा राजकसेरू एवं जो मोथे की शकल : का और छोटा होता हो, वह चिचोड़ वा छोटा . कसेरू है। धन्वन्तरीय तथा राजनिघण्टुकार ने
मोथा वा मुस्ता के पर्यायों में कसेरू और राज कसेरू का पाठोल्लेख किया है।
पथ्यो-कसेरू का पौधागुण्डः, कारडगुण्डः, दीर्घकाण्डः, त्रिकोणका, छत्रगुच्छः, असिपत्रः, नीलपत्रः, त्रिधारकः, वृत्तगुण्डः,वृत्तः, दीर्घनालः, जलाश्रयः, -सं० । कसेरू तृण, कसेरू का पौधा, गोंदला, केउटी -हिं० । केशुरघास, गै रोकेशुर -बं० । गुडावत, तिधारी, बलहातीनि -मरा०। मुरुोरु -का० । (१) कसेरू, राजकसेरू, स्किपास कैसूर Scirpus. Kysoor, Roxb. स्किर्पस व्यु बरोसिस Scirpus Tuberosus, (२) छोटा कसेरू वाचिचाड-स्किर्पस प्राटिक्युलेटस Scirpus Articulatus, Linn & Esculentus. -ले। (३) वृत्तगुण्ड-स्किर्पस प्रोसस Scirpus Grossus, Linn -ले०।
कंद वा जड़ अर्थात् कसेरू(१) कसेरू-गुण्डकन्दः, कसेरुः, द्रमुस्ता कसेरुका, सूकरेष्टः, सुगंधिः, सुकन्दः, गन्धकन्दकः (रा. नि०) कशेरुः, कशेरुकः, कशेरूः, कशेरुकम् कशेरूकम्, कशेरुका, कशेरूका, कसेरुकः, शूकरेष्टः, केसूरः, (द्रव्याभि.) -सं० । कसेरू-हिं। केशुर, -बं० । स्किस कसूर Scirpus Kys 001, Roxb., स्किर्पस व्युबरोसस Scirpus Tuberosus, -ले। वाटर चेष्टनट Water Chestnut, ग्राउंड चेष्टनट Ground Chestnut -अं० । गुडतुगगड्डि, सेकिनगड्डु नगगडु -ता० । इटिकोति, गुंडतिगागड्डि -ते. । कसेरुवा, कचरा, कचेर, फुरड्या -मरा० । सेकिन गड-कना० । कचेरा, कचरा -बम्ब० । कलादुर विशेषयक् -सिं० । कसेलान -गु० । कसेरुडिला -पं०।
(२) छोटा कसेरू वा चिचोड़-चिञ्चोटः, चिञ्चोटकः, चिचोढ़ -सं०। छोटा कसेरू, क्षुद्रकसेरू चिचोड़ -हिं० । लघु केशुर -ब० । स्किर्पस प्रार्टि क्युलेटस Scirpus Articulatus., -ले । (३) गोल कंदवाला अर्थान वृत्तगुण्डकन्द ___ कशेरू -हिं०, सं० । केशुर -वं० । कसेरुडिना -पं० । गुगडतिगागहि-ते।