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कश्मीरीनाथ .. और दुग्ध एवं मूत्र की वृद्धि करता है। शीतल कश्नीन-[फा० ) मटर।
प्रकृति वालों को वीन करमस, तुरुम करप्स वा कश्नू-मा०] खली । खल । कंजारः । सौंफ के बिना इसका उपयोग वर्जित है। कशा-०(१)किसी चीज़ परसे पर्दा उठाना । (ख० प्र०)
खोज देना । (२) किशार कुदुर । कश्ज-प.] छाछ।
कश्फ तिब्बी-[भ] रोग शाम के लिये रोगी की कश्त-[१०] कोई वस्तु किसी अन्य वस्तु पर से
वैद्यकीय परीक्षा । . उठा लेना । उतार लेना। नग्न कर देना । बे पर्द
Medical inspectiva ... कर देना।
कश्म-[भ० ] ह्दः । कस्त, कश्व-[१] कुर । कुष्ठ । कुस्त । करत:-[फा०] (1) सूखे मेवे । (२) उस्तो
उसो कश्मल-संज्ञा पुं० [सं० क्री०] () मोह ।
मूर्छा । बेहोशी । प्रम। (२) पाप । मष । नहस ।
शब्दर० । (३) अंबरबारीस । दारहलाद । कश्तक-[फा०] गुबरैला।
__ संज्ञा पुं॰ [शिमला। पं०] अंबरवारीस । करत( कुश्त)-[फा० ] कुट । कुष्ठ। कुस्त ।
दारुहलदी । (२)जिंगनी। कश्ती-संज्ञा स्त्री० [फा०] नौका । नाव । ___संज्ञा स्त्री० [ देश० हिमालय ] चिलगोजा ।
कश्मलु-[ देश० ५० ] तूतमलंगा । तुम्म मलंगा । कुश्तुलऐ.न-अ.] आँख पर से नाख्तूना उतारना । |
- तुम बालंगो।
| कश्मीर-संज्ञा पुं॰ [सं० पु. (१) एक देश । (२) कश्तू, कश्तूर-[फा०] खटमीठा अंगूर ।
कुट । कुष्ठ । कश्तक-[फा०] कछुना।
कश्मीरज, कश्मीरजन्म-संज्ञा पु० [सं०जी० पु.] कस्तूरा मृग-संज्ञा पुं॰ [ देश० गढ़वाल ] कस्तुरा |
केशर । कुंकुम । अ० टी० रा०। मृग।
करमीरी-वि० [हिं० कश्मीर+ई ( प्रत्य. ] कश्तूरी-संज्ञा स्त्री० [ देश० ] कस्तुरी ।
कश्मीर का । कश्मीर देश में उत्पन। कश्तः -[फा०] (1) करनज । (२) इस्पस्त ।
संज्ञा स्त्री. एक प्रकार की चटनी । विधिरतवा।
प्रादी को छीलकर उसके छोटे छोटे टुकड़े कर करन सिरि० ] कड़ । तुम।
डाले । पुनः उसमें मिर्च, कंकोल, केसर, इलाकरनक-[फा०] मटर।
यची, जावित्री, सौंफ और जीरा-इनको चूर्ण कर कश्न खुर्मा-[फा०] खुर्मा की कली । तल्क। मिलावें। अंत में इसमें लवण, सिरका और कातज-अ.] कमात का एक भेद जो रेतीली भूमि |
शर्करा मिलावें । बस चटनी तैयार है। - में उगता है।
संज्ञा पुं॰ [हिं. कश्मीर ] कश्मीर देश का कश्नी-[सिरि०] कड़ । कुर्तुम । कुसुम का बीज । घोड़ा। क्रश्नीज-[फा० करनीज़ से मुश्र ] धनिया। कश्मीरी पत्ती-संज्ञा स्त्री० [हिं० करमीरो+पत्ती] कश्नीज, कश्नीज, किश्नीज-[ फ्रा० ] धनिया । एक प्रकार की पत्ती जो पाँच छः अंगुल लंबी और धान्यक।
लगभग १॥ अंगुल चौड़ी पिलाई लिये होती है कश्नीज़ कोही-[फा०] तुरुम मुखल्लसः ।
और दर्द शिर की सुधनियों में पड़ती है। जैसेकश्नीज दश्ती-[फा०] (1) जंगली धनिया ।
कायफल, कश्मीरी पत्ती, नकछिकनी, कनेर की (२) बिल्लीलोटन का एक छोटा भेद । (३)
पत्ती, कपूर, इलायची छोटी सबको बराबर लेकर पाहतरा (पित्तपापड़ा) का एक भेद । (४)
कूट कपड़ छान कर बारीक बुकनी बनाएँ। इसका
आधासीसी और प्रतिश्यायजनित, सिर के दर्द करनीज़ मुत्आरफी-[फा०] Coriandrum आदि में नस्य देने से लाभ होता है। Sativum
| कश्मीरी नाख-संज्ञा पुं॰ [देश॰] बिही का फल ।