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कोवल
कक्क़ीवल - [ ? ] लवा पक्षी । क्लक़स-[ ? ] एक प्रकार की कीमती लाल जो रूस तुर्किस्तान से लाई जाती है । फ़नक । कर्कास - [ फ्रा० ] ( १ ) दोसर । ( २ )
शैलम का
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कर्कोटकी
कर्केस - [ कर्केशका मुश्रु० ] एक प्रकार का बाबूना । कर्कोट, कर्कोटक-संज्ञा पुं० [सं० पु० ] ( १ ) बेल का पेड़ । बिल्ववृक्ष । मे० कचतुष्क । ( २ ) खेखसा । ककोड़ा । काँकरोल । यथा - " कर्कोटकं पर्पटकम् । च० द० ज्व० चि० शाक विधि । गुण - खेखसा और परवल दोनों कफ पित्त नाशक, वीर्यनाशक और रुचिकारक है । खेखसा गुणा में करेले के समान होता है । यथा - " कर्कोटकं फलं ज्ञेयं कारवेल्लकवद्गुणैः । " राज० ३प० । aar (कर्कोटक ) त्रिदोष नाशक, रुचिकारक और मीठा होता है। अत्रि १६ श्र० ।
( ३ ) सुश्रुत के अनुसार स्थावर विषों में से एक प्रकार का फल विष । सु० कल्प० २ श्र० । दे० " फलविष" । ( ४ ) ईख । गन्ना । रा०नि० व० १४ । ( ५ ) एक साँप का नाम | इसे विष ( जिसके देखने से ही ज़हर चढ़ जाय ) भी कहते हैं । मे० ।
कर्कोटका, कर्कोटकी - संज्ञा स्त्री० [सं० स्त्री० ] ( १ ) एक प्रकार का फल शाक । गोल कुम्हड़ा । कोहले ( मरा०
गुण - मूत्राघात नाशक, प्रमेहनाशक, मूत्रकृच्छ और पथरी का भेदन करनेवाला, पाखानापेशाब रोकनेवाला, बलकारक थोर पित्तनाशक है । aarat रुचिकारक, चरपरी, दीपन, कड़ ुई; गरम, वात कफनाशक, विषनाशक और पित्तनाशक है । वै० निघ० । ( २ ) एक प्रकार की तुरई । पीतघोषा | झिंगा । वन तरोई । कटोली, काकली ( मरा० ) । रत्ना ० । ( ३ ) तथा धाम | तुरई । तरोई । कोषाती । ( 1 ) ककोड़ा | देखसा | बाँझ खेखसा | वन्ध्या कर्कोटकी । रा० नि० । नि० शि० ।
कर्कोटकादि नस्य- संज्ञा पु ं० [सं० नी० ] उक्त नाम का एक योग-बॉस ककोड़े की जड़ को बकरी के मूत्र में भावना देकर रख लें। इसको काँजी में घिस कर नस्य लेने से विष का प्रभाव नष्ट होता है । वृ० नि० २० ।
कर्कोटकी फल- संज्ञा पु ं० [सं० नी० ] ( १ ) घोषा फल । तोरई । तुरई । ) गोल कोहड़ा । वृत्त कुष्मांड । ( ३ ) सिंगाफल । वै० निघ० । ( ४ ) ककोड़ा । खेखसा । ककोट फल । काँकरोल ।
बीज ।
कर्कश, कर्केश - [ मिश्र० ] बाबूना | उक़हवान | कर्कास पस - [ ले० Curcas purgans ] jatropha curcas व्याघ्रैरंड । काननैरंड | artis |
किमान, क़िकिमान -[ ० ] अलकतरे (कीर ) की तरह की एक चीज़ जो वृत्तों के भीतर पैदा होती है । दे० "किर्किमान" ।
मास - [फा०] केशर । जाफ़रान । क़क़नू - [ यू० ] केकड़ा ।
कर्कीरा - [ सिरि० ] जर्जीर । तरामिरा ।
ककु'न-[ पं० ] Reinwardtia_trigyna,
Planch.
कु -[ ० ] केशर | ज़ाफ़रान ।
[अ०] ( १ ) केशर । ज़ाफ़रान । मामीरान | कुमा - [ ० ] जाफरान की तरह एक लाल वस्तु यमन से आती है । वर्स । हस ( ० ) । Flenungia Grahamiana, Wfn. कुमान - [ro ] विषखपरा । हंदक़की । क़क़ू–[ यू०, सिरि० ] केशर । ज़ाफ़रान । ककू - [ शीराजी ] कच्चा खरबूजा ।
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लक् गमा, क़क़न, क़क़ूममा, क़क़ मारमा - [ यू०] रोगन ज़ाफ़रान की तलछट । दे० " केसर" | क़क्क़ूस-[ यू॰] सनोबर के वृक्ष की गोंद | रातीनज । कर्केतन - संज्ञा पुं० [सं० पु०, क्री० ] एक रत्न वा
बहुमूल्य पत्थर | ज़मुर्रद । पन्ना । "कर्केतनं मर कतं ।" वा० उ० ३६ श्र० | गरुड़पुराण में इसकी उत्पत्ति श्रादि के संबंध में विलक्षण श्राख्यायिका आई है । वि० दे० " पन्ना” ।
कर्केतर - संज्ञा पु ं० [सं० पु० ] कर्केतन रत्न । ज़मुद । दे० " कर्केतन" ।
कर्केधुकी - संज्ञा स्त्री० [सं० स्त्री० ] झड़बेरी | भूवदरी । बै० निघ० ।
कर्केश - [ मिश्री ] बाबूना |