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- कपास
है । बिच्छू के दंश पर इसकी पत्ती और राई एकत्र पीसकर लेप करें। ( ई० मे० मे० पृ० ४०३)
इसके पत्ते सेंककर बाँधने से दर्द आराम होता है । इसके पत्तों का स्वरस सेब के शर्बत के साथ दस्त बंद करता है, वातरक्त वा निकरिस (Gont) पर लगाने से उपकार होता है। खुरके के साग के साथ गठिया को लाभ पहुँचाता है । इसके पत्तों के काढ़े में बैठने से योषापस्मार में लाभ होता है। इससे वेदना शांत होती है । इसके पत्तों का चाय 1 पिलाने से दस्त बंद होता है । यदि क्षण-क्षण पर मलोत्सर्ग की प्रवृत्ति वनी रहती हो, तो इसके पत्तों के काढ़े से गुदा में भपारा देने से लाभ होता है । इसके पत्तों का रस पिलाने से चांद के दस्त बंद होते हैं । पत्तों को तेल से चुपड़ कर बांधने से संधिशोथ मिटता है । इसके पत्तों को दही में पीसकर लेप करने से नेत्र शूल नष्ट होता
। इसके और पावर के पत्तों के खालिस रस में मधु सम्मिलित कर पिलाने से दस्त बन्द होते हैं इसके पत्तों को तिल तैल में पकाकर लेप करने से वायुजनित शूल निवृत होता है । ( ख० प्रदर पर पत्तों का रस प्रातः सायं उचित मात्रा में पिलावे ।
० )
गर्भाशय की पीड़ा निवारणार्थं कोमल पत्ते और जड़ को एकत्र कूट तथा जल में उबाल, टब में भरकर कटि-स्नान करें ।
इसकी पत्ती छाछ में पकाकर आँख के ऊपर बाँधने से उपकार होता है । (म० मु० )
शिश्वतिसार निवारणार्थं इसकी पत्तियों का स्वरस सेवनीय है ।
संधिशोथ जन्य शूल पर गुलरोगन के साथ इसकी पत्ती का लेप गुणकारी होता है ।
इसकी पत्ती का बारीक चूर्ण श्रवचूर्णित करने से क्षत जात रक्तस्राव बंद होता है ।
कपास के पञ्चाङ्ग का प्रलेप श्रामशयबलप्रद और बिलायक है । (बु० मु० )
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कपास के पत्तों का रस, चावलों के धोवन के साथ, पीने से प्रदर रोग श्राराम होजाता है ।
कपास
कपास के पत्ते और फूल श्राधपाव लाकर, एक हाँड़ी में एक सेर पानी के साथ जोश दो । जब एक पाव जल शेष रह जाय, उसमें चार तोले गुड़ मिलाकर छान लो और पी। इस तरह करने से मासिक धर्म होने लगेगा । चि० चं०२ भा० ।
फूल
पर्या० – कार्पास पुष्प, कपास का फूल - हिं० ।
गुणधर्म
हकीम इसे गरम तर लिखते हैं। आमयिक प्रयोग आयुर्वेदीय मतानुसार
चरक - कुष्ठ पर कार्पासी त्वक् एवं पुष्पवाग्भट - चतुर्विध कुष्ठ पर कार्पासी पुष्प श्रौर कपास के फूल को सिल पर पीसकर लेप करने से चारों प्रकार के कुष्ठ नष्ट होते हैं। यथा"* * पुष्पं कार्पास्या
पिष्टा
* चतुर्विधः
।
कुष्ठहा लेपः ॥"
( चि० १६ श्र० )
नव्यमत
डीमक और खोरी - ( उत्तेजक एवं मनोल्लास कारी होने के कारण ) कपास के फूल का शर्बत ( Syrup) विमर्शात्मक मनोविकार (Hypoo hondriasis) में सेवनीय है । अग्निदग्ध किंवा प्रत्युष्ण तरल वस्तु द्वारा दग्ध अंग पर इसके फूल का प्रलेप हितकर है। फा० इं० १ भा० पृ० २२५ | मे० मे० इं०, २ य खंड, ३६ पृ० । ई० मे० मे० ४०४ पृ० । ख० अ० |
नादकर्णी - इसके फूल और बिनौले का काढ़ा धतूरे के विष कागद है । इं० मे० मे० ४०४ पृ० ।
एक तोला इसके फूलों की भस्म फँकाने से नियत मात्रा से अधिक रजःस्राव का निवारण होता है । ख० श्र० ।
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नेत्राभिष्यन्द पर फूलों की पखुरियों को गायके दूध में पीसकर, ऊपर से बाँधे और लेप करें इसके फूलों का शरबत पिलाने से सभी प्रकार के उन्माद आराम होते हैं और चित्त प्रफुल्लित होता है ।