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करीन
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जाते देख कुढ़ती और जलती है । पत्र न पाने | पर कवि इसी के अदृष्ट को बुरा बताते हैं। वसंत पर कोई दोष नहीं लगाते ।
टिप्पणी-द्रव्य गुण विषयक अरबी, फारसी, उर्दू तथा देशी औषधियों के सम्बन्ध में लिखे पाश्चात्य लेखकों के अंगरेजी श्रादि ग्रंथों में प्रायः इसी को यूनानी निघंटूक 'कबर' लिखा है। किसी किसी ने करील और कबर का अलग-अलग उल्लेख किया है । अस्तु, अब देखना है कि करीर और कबर एक हैं वा भिन्न । यूनानी चिकित्सकों के अनुसार कबर एक कँटीला वृक्षहै । इसकी शाखाएँ भूमि पर झुकी और फैली होती हैं । पत्ते किंचित् चौड़े वा गोल होते हैं। फूल हरे रंग के कोष से भावृत्त होता है और प्राकृति में छोटे से जैतून और चने के दाने के बराबर होता है। खिलने पर वह सफ़ेद पड़ जाता है, जिसमें बारीक तन्तु होते हैं । फूल के झड़ जाने पर इसमें बतूल के
सदश लंबा फल लगता है । इस फल को अरबी ... में खियार कबर कहते हैं। इसके भीतर का गूदा
लाल होता है। बीज पीले होते हैं। किसी किसी
के अनुसार यह अनारदाने के समान छोटे २ और .... लाल रंग के होते हैं। इसमें किंचित् श्रार्द्रता एवं
प भी होता है। इसका सर्वाङ्ग बिशेषतः जड़ तिक, तीक्ष्ण और किंचित् क्षारीय होती है। इसकी जड़ प्रायः काम में आती है और अधिक बलशालिनी होती है । यह सफ़ेद बड़ी और लंबी होती है। इसकी छाल मोटी होती है और सूख जाने के उपरांत प्रायः भिन्न होजाती है। इसमें पाड़े रुख दरारे होती हैं । यह वाहर से भूरी और भीतर से सफ़ेद होती है। महज़नुल् अदबिया प्रभृति यूनानी द्रव्य-गुण विषयक ग्रन्थों में इसका उत्तम वर्णन पाया है।
उपयुक्र वर्णन से यह स्पष्टतया ज्ञात हो जाता है कि कबर करील नहीं, प्रत्युत उसी वर्ग का उससे एक भिन्न पौधा है । इसे सफेद फूल का करीर कह सकते हैं। संभव है सफेद फूल का भी करीर होता हो । भारतवर्ष में इसका आयात अन्य देशों से होता है । इसके पूर्ण विवेचन के लिए दे. "कबर"।
पर्या-करीर, गूढपत्र, शाक पुष्प, मृदुफस प्रन्थिल, तीक्ष्णसार, चक्रक, तीक्ष्ण कण्टक, (ध० नि०), निष्पत्रक, करीर, करीर ग्रंथिल्ल, कर, गूढपत्र, करक, तीक्ष्णकण्टक (रा० नि०), करीर, करीपत्र, ग्रन्थिल, मरुभूरुह (भा०), क्रकर, क्रकच, (अटी.) ग्रन्थिल, निष्पत्रिका, अपत्रा, करिरः, कट्फल, कण्टकी, निष्पत्र, शोणपुष्प, अग्निगर्भा, विदाहिक, उष्णसुन्दर, सुफला, शतकुन्त, विष्वपत्र, कृशशाख -सं० । करीर, करील, कचड़ा, (मथु०) कर्रिल, करु -हिं० । घटुभारंगी, नेपती, करील, केरा, तिपाती, कारवी -मरा० । कवर, कुराक, एनुगदन्तुमु मोदतु -ते।। करील -३० । निष्पतिगे, निष्पातिगाप -कना० । केरडो, केर, करेडी, -गु०। किराड, किराम, किरूं। डोड़ा, किराल -सिंध । पेंचू, पैंचू, करिया, करीस किरी, केरी, करील, -पं० । करि -बम्ब० । करयल -मद० । करी -बिहार । कैपरिस अफाइला Capparis-aphylla, Roth, Rox -ले। केपर प्लांट Caper-plant -अं० । केपरीर कम्यून Caprier-Commun -फ्रां० कैडबा अफाइला Cadaba-Aphylla, .
Roth. -ले। . ___ करीर का फल–कारीर -सं० । टेटी, टींट, कचड़ा -हिं।
करीर तैल-करीर का तेल, करील का तेल, -हिं० । करील का तेल -दः। Oil of Copparis-a phylla, Roxb.
करीर वर्ग (N. 0. Capparidece. ) उत्पत्ति-स्थान-संयुक्त प्रांत की ऊसर भूमि, जैसे, व्रज आदि में तथा रेगिस्तान विशेषतः राजपुताना, पंजाब, सिंध, गुजरात डकन और दक्षिण कर्नाटक में करील बहुत होता है। अरब, मित्र और नूबिया में यह पाया जाता है।
औषधार्थ व्यवहार-समग्र सुप, मूल-त्वक् और फल (टेंटी)। .
रासायनिक संघटन-इसकी छाल में सेनेजन (Senegen) के समान एक उदासीन तिक तत्व होता है। फूल की कलियों में केपरिक एसिड