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कमल
कमल
प्रकार के कमल और कई का वर्णन करते हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि वे किसी प्रकार कमल | को कूई से बढ़कर नहीं मानते थे और सफ़ेद एवं नीले क्रिस्म को अपेक्षाकृत अधिक पसंद करते थे पारस्य देश से नाना स्थानों को उत्पल का बीज भेजा जाता है । हिन्दू और मुसलमान दोनों ही इसके फूल को विशेष शीतल एवं संग्राही मानते हैं। फलतः प्रकुपित दोषोत्पन्न नाना व्याधियों में वे नाना प्रकार से इसका उपयोग करते हैं ।
मुलेठो के साथ ये क्वाथ रूप में काम श्राते हैं। अथवा एक प्रकार के शर्बत की शकल में जिसमें
भाग शुष्क पद्मपुष्प १ भाग शकरा ओर ५ भाग पानो पड़ता है। इसको मात्रा २-३ ड्राम तक है। इसका चूर्ण भो व्यवहार में आता है। शीतल प्रलेप रूप से कमल पुष्प, चंदन और प्रांवला इनका वाह्य प्रयोग होता है । (फा० इ० १ भ० पृ०७१-२)
तालोफ़ शरीफ़ में कल्हार के अन्तर्गत कमल और कूई दोनों के गुणधर्म वर्णित हैं ।
औषधार्थ व्यवहार-पत्र, कोमल पत्र, पुष्प, केसर, नाल, बीज (कमलगट्टा ) 'कन्द।
रासायनिक-संघट्टन-पाताती धड़ और बीज में राल, ग्लुकोज़, मेटाढेन ( Metar. bin) कषायिन (Nupharine ), वसा, न्युफर ल्युटियम् ( Nuphar-luteum) द्वारा प्राहृत न्युफरीन (Iannin) नामक क्षारोद सदृश एक क्षारोद ये उपादान वर्तमान होते हैं। ( Materia Medica of India, pl ii, p. 39.) मतांतर से इसमें कमलीन (Nelum bine) संज्ञक क्षारोद विद्यमान होता
पुष्प वा बीज चूर्ण, मात्रा-५ से १५ रत्ती, बीज की गिरी का अवलेह ।।
पत्र-कल्क-कमल का फूल, सफेद चंदन और आँवला इनका कल्क वाह्यशीतल प्रलेप रूप से व्यवहृत होता है।
__गुणधर्म तथा प्रयोग
आयुर्वेदीय मतानुसार-(पुष्प) ___ उत्पलानि कषायानि रक्तपित्त हराणि च । कुमुदोत्पल 'नालास्तु' सपुष्पा:सफला स्मृताः। शाता: स्वादुकषायास्तु कफमारतकोपनाः । कषाय मोषद्विष्टम्भि रक्तपित्तहरं स्मृतम् । पौष्करन्तु 'भवेद्वीज' मधुरं रसपाकयोः ।
(चरकः) सतिक्तं मधुरं शीतं पद्मं पित्तकफापहम् । मधुरं पिच्छिल स्निग्धं कुमुदं हादि शीतलम् । तस्मादल्पान्तरगुणे विद्यात् कुवलयोत्पले।
(सुश्रुतः)
कमलं शीतलं स्वादु रक्तपित्तश्रमातिनुत् । सुगन्धि भ्रान्तिसंताप शान्तिदं तर्पणं परम् ।।
(रा०नि०) कमल-शीतल, स्वादु ओर सुगंधि है। तथा रक्रपित्त, श्रमजन्य पीड़ा भ्रांति और संताप का निवारण करता और पाम तृप्तिकारक है। कमलं शीतलं वयं मधुरं कपित्तजित् । तृष्णादाहास्त्र विस्फोट विष वीसर्प नाशनम् ।
(भा० पू० ख०, प्र०व०) कमल-गीतल, वर्णकर्ता, मधुर, कफपित्त नाशक और विषनाशक है तथा प्यास, दाह, रुधिर विकार, विस्फोट और विसर्प रोग को नष्ट करता है। पद्मं कषायं मधुरं शीतं पित्तकफास्रजित् ।
(राज.) कमल-कसेला, मधुर, शीतल, तथा पित्त कफ और रुधिर विकार को दूर करता है। कमलं शीतलं स्वादुः सुगन्धिभ्रान्ति तापहम् । वयं तृप्तिकरं चैव रक्तपित्तश्रमापहम् ॥
औषध-निर्माण-शुष्क पुष का शर्बत, मात्रा-१ से ३ ड्राम । कमल का फूल भाग, शर्करा १ भाग, जल ५ भाग-इनका शर्बत, मात्रा-२से३ ड्राम । कमल का फूल और मुलेठी इनका काढ़ा । पद्म पुष्प और तंतु, मुलेठी, मिश्री इनका काढ़ा (१० में १), मात्रा-से १॥ श्राउंस ।