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कदम
२०००
कदम
अहम, करWilanocep
कादम्बः (अ० टी०), षटपदेष्टः, (२०), जालः (मे०), सीधुपुष्पः, जीर्णपूर्णः, महादयः (२० मा०), नीपकः, शततारका, हारिद्र प्रियक,-सं० कदम, कदंब, -हिं०, बं० । कदम गाछ -बं० । बाइल्ड सिङ्कोना Wild Cinchona -अं० । ऐन्थोसेफेलस कैडंबा (Anthocephalus) Cadamba, Mig नाक्लिया कैडंबा (Nau clea cadamba)साकों सेफेलास कैडंबाSarco Cephlas Cadamba, Kurz) Cadamba, Rozb.-ले। वेल्ल कदंब,ता० । कड़िमि चेटु, कंबे, रुद्राक्षकंब, कदंब चेह, ते० । कलंबु, कलंब, न्ह्म , कदम, कदंब, न्हीव, राज कदम-मरा० । कडवाल मर, कड़ेब, कडऊ, कडग, कडबेलु कदबेदु,-कना० । कदंब-गु०, कलम, न्हीश्रो, न्हीयू-(पंच महल)। हेल तेगा, अरसन तेगा-मैसू० । कदंब, न्यु-बम्ब० । कदंबो उड़ि। रोधू-पासा० । कोदम-(मीची)। पंदूर लेप० । संको-कोल° | बोल कदम-(चिटागाँग)। कलोन्-सिंहली।
कदंब वर्ग (N.O. Rubiace.) उत्पत्ति-स्थान-उत्तरी और पूर्वीय बंगाल, पेगू और पश्चिमी समुद्र-तट पर यह जंगली होता है । उत्तर भारतवर्ष में इसके वृक्ष लगाये जाते हैं। इसके सिवा बंबई, पंच महल, ब्रह्मा और सिंहल में भी यह सुन्दर वृक्ष उत्पन्न होता है। सारांश यह कि हिमालय से लंका पर्यत इसके वृक्ष या तो जंगली होते हैं वा लगाये जाते हैं । ___ कदम-भेद-धन्वन्तरीय निघन्टु में धारा एवं धूलि कदंब और राजनिघन्टु में धारा, धूलि एवं भूमि इन तीन प्रकार के कदम के वृक्ष का उल्लेख दिखाई देता है। धाराकदंब के "प्रावृष्य" वा "प्रावृषेण्य" एवं "सुपास" इन पर्यायों का यह अर्थ है कि यह बरसात में फूलता है और इसका फूल सुगंधित होता है। इससे यह प्रतीत होता है कि जिसे सचराचर लोग कदम कहते हैं, वही "धाराकदंब" है। धूलिकदंब के नामांतर "वसन्तपुष्प" और "क्रमुक प्रसून" हैं, जिसका यह अभिप्राय है कि धूलि कदंब वसंतकाल में
पुष्पित होता है और इसका पुष्प(वस्तुतः पुष्प नहीं. प्रत्युत पुषधि) सुपारी की तरह होता है। जहाँ तक हमें ज्ञात है, इस देश में 'केलिकदम' शब्द से जिस कदम का अर्थ लिया जाता है, वह भी, वसंतकाल में ही फूलता है और उसका फूल प्राकार में बड़ी बेर वा सुपारी की तरह होता है । अस्तु, धूलिकदंब का ही भाषा-नाम केलिकदम् है, इसमें और किसी प्रकार का संदेह नहीं होना चाहिये। धन्वन्तरीय निघंटुकार ने धारा एवं धूलि उभय कदंब के पर्यायों में नीप शब्द का पाठ दिया है। इससे यह बोध होता है कि "नीप" कदम्ब की साधारण संज्ञा है । धूलिकदंब अर्थात् केलिकदंब का फूल भी सुगंधित होता है । परन्तु धारा कदंब वत् सुन्दर नहीं होता। कोचविहार में केलिकदम को 'खेलिकदम्' कहते हैं। डाक्टर उदय चाँद, डिमक और खोरी प्रभृति ने धाराकदंब का बंगला नाम केलिकदंब लिखा है। वैद्यक शब्दसिंधु के संकलयिता महोदय भी उन्हीं के मत का अनुसरण करने से भ्रम में पड़ गये हैं। केलिकदंब का संस्कृत नाम धूलिकदंब है, धाराकदंब नहीं। इसका विवेचन प्रथम हो चुका है। इस प्रकार धारा एवं धूलिकदंब का निर्णय हो जाने के उपरान्त अब यह देखना है कि 'भूमिकदंब' क्या है ।
धन्वन्तरीय निघंटुकार ने भूमिकदम्ब नाम से किसी प्रकार के कदम का उल्लेख नहीं किया है। भूमिकदम्ब और भूकदम्ब वस्तुतः एक ही उद्भिद् के दो नाम हैं । एक होने पर, भूमिकदंब को कदंब से निर्वासित करके, धन्वन्तरीय निघंटुकार ने सुविचार प्रदर्शन किया है। कारण भूमिकदंब, "मुण्डतिका" अर्थात् मुंडो को कहते हैं और मुण्डतिका वा मुडी वृक्ष नहीं, अपितु प्रतानवती है । वरन् इस प्रकार के वृक्ष विटपका एक नाम से उल्लेख करना दोषाबह न होता । विटप करा वृक्ष करञ्जवत्, विटपकदम्ब वृक्ष कदम्बवत् ग्राह्य होता । ग्रथों के अवलोकन से प्रतीत होता है कि इसी कारण टीकाकारों ने कदम्ब शब्द की व्याख्या में "कदम्बः वृक्षकदम्बः" लिखकर (डल्वण सू० ३६ अ० रोध्रादि व० टी०)विटपकदम्ब (भूकदम्ब) का प्रतिषेध किया है । अथवा भूकदम्ब शब्द से रुद्र कदम्ब वृक्ष (Nau clea tetrandra)