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राजस्थान पुरातन ग्रन्थमाला
प्रधान सम्पादक-पद्मश्री जिनविजय मुनि, पुरातत्त्वाचार्य . [सम्यपान्य सञ्चालक, राजस्थान पाच्यविद्या प्रतिष्ठान, जोधपुर ।
ग्रन्थाङ्क ४६
मुंहता नैणसी कृत
मुंहता नैणसीरी ख्यात
भाग २
प्रकाशक
राजस्थान राज्य संस्थापित
राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान · RAJASTHAN ORIENTAL RESEARCH INSTITUTE, JODHPUR
जोधपुर ( राजस्थान)
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राजस्थान पुरातन ग्रन्थमाला
राजस्थान राज्य द्वारा प्रकाशित सामान्यतः अखिल भारतीय तथा विशेषतः राजस्थानदेशीय पुरातनकालीन संस्कृत, प्राकृत, अपभ्रंश, राजस्थानी, हिन्दी आदि भाषानिबद्ध
विविध वाङ्मयप्रकाशिनी विशिष्ट ग्रन्थावलि
प्रधान सम्पादक पद्मश्री जिनविजय मुनि, पुरातत्त्वाचार्य सम्मान्य संचालक, राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान, जोधपुर
ऑनरेरि मेम्बर ऑफ जर्मन ओरिएन्टल सोसाइटी, जर्मनी; निवृत्त सम्मान्य नियामक (ऑनरेरि डायरेक्टर ), भारतीय विद्याभवन, बम्बई; प्रधान सम्पादक,
सिंघी जैन ग्रन्थमाला इत्यादि
ग्रन्थाङ्क ४६ मुंहता नैरणसी कृत
मुंहता नैणसीरी ख्यात
भाग २
प्रकाशक
राजस्थान राज्याज्ञानुसार । सञ्चालक, राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान ...
जोधपुर ( राजस्थान )
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मुंहता नैणसी कृत
मुंहता नैणसीरी ख्यात
भाग २
विक्रमाब्द २०१८
प्रथमावृत्ति ७५०
सम्पादक
श्री बदरीप्रसाद साकरिया
प्रकाशनकर्त्ता
राजस्थान राज्याज्ञानुसार
सञ्चालक, राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान जोधपुर ( राजस्थान )
भारतराष्ट्रीयः शकाब्द १८८३
ख्रिस्ताब्द १९६२
मूल्य ६.५०
मुद्रक - श्री हरिप्रसाद पारीक, साधना प्रेस, जोधपुर
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RAJASTHAN PURATANA GRANTHAMALA
PUBLISHED BY THE GOVERNMENT OF RAJASTHAN
A series devoted to the Publication of Sanskrit, Prakrit, Apa bhramsa, Old Rajasthani-Gujarati and Old Hindi works pertaining to
India in general and Rajasthan in particular.
GENERAL EDITOR PADMASHREE JIN VIJAYA MUNI, PURATATTVACHARYA
Honorary Director, Rajasthan Oriental Research Institute, Jodhpur
Honorary Member of the German Oriental Society, Germany; Retired Honorary Director, Bharatiya Vidya Bhawan, Bombay;
General Editor, Singhi Jain Series etc, etc.
No. 49
MUNHATA NAINSIRI KHYAT
of Munhata Nainsi
Part-Second
Published
Under the Orders of the Government of Rajasthan
By The Hon. Director, Rajasthan Prachya Vidya Pratisthana
( Rajasthan Oriental Resealch Institute )
JODHPUR ( RAJASTHAN)
1. 5. 2018 ]
:
All Rights Reserved
[ 1962 A.D.
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RAJASTHAN PURATANA GRANTHAMALA
General Editor - Padmashree Jin Vijaya Muni, Puratattvacharya
[ Honorary Director, Rajasthan Prachyavidya Pratisthan, Jodhpur )
MUNHATA NAINSI-RI KHYAT
MUNHATA NAINSI-RI KHYAT
[ Rajasthani ]
Second Part
Published by Rajasthan Prachyavidya Pratisthana [ The Rajasthan Oriental Research Institute ]
Government of Rajasthan
JODHPUR
V.S. 2018 ]
All rights reserved
[ 1962. A.D.
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सञ्चालकीय वक्तव्य
मुंहता नैणसी विरचित ख्यातके प्रथम भागका प्रकाशन राजस्थान पुरातन ग्रन्थमालाके ४८ वें ग्रन्थाङ्कके रूपमें किया जा चुका है। अब उक्त ख्यात का यह द्वितीय भाग प्रस्तुत किया जा रहा है ।
'मुंहता नैणसीरी ख्यात' राजस्थानी भाषामें लिखित गद्यकी एक महत्त्वपूर्ण रचना है और इसके पूर्ण रूपेण प्रकाशित होने पर अनेक वर्षोंसे अनुभव किये जाने वाले एक अभावकी पूर्ति हो जावेगी। ऐतिहासिक दृष्टिसे भी यह रचना कम महत्त्वकी नहीं है। प्रस्तुत रचनामें मुख्यतः राजस्थानका प्राचीन और मध्यकालीन इतिहास निगुम्फित है किन्तु प्रासङ्गिक रूपमें राजस्थानसे संलग्न प्रदेशों, जैसे गुजरात और मध्यभारत आदिकी इतिहास-विषयक पर्याप्त सामग्री भी उपलब्ध होती है। मुंहता नैणसीकी इतिहास-विषयक व्यापक जानकारीका परिचय भी इस रचनासे प्राप्त होता है। .. राजस्थानी भाषाके इस महत्वपूर्ण ग्रन्थका प्रकाशन भारत ... सरकारके वैज्ञानिक और सांस्कृतिक मंत्रालयके सहयोगसे अाधुनिक ... भारतीय भाषा-विकास-योजनाके अन्तर्गत किया जा रहा है, जिसके .. लिए हम भारत सरकारके प्रति आभार प्रकट करते हैं ।
मुंहता नैणसीरी ख्यातकी शेष सामग्री तृतीय भागके रूपमें शीघ्र ही प्रकाशित करनेका प्रयत्न चालू है । ग्रन्थगत नामानुक्रमणिका और सम्पादकीय प्रस्तावना आदि भी ग्रंथके तृतीय भागमें ही प्रकाशित किये जावेंगे। ....
जोधपुर. ता०३ अप्रेल, १९६२ ई.
मुनि जिनविजय
सम्मान्य सञ्चालक राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान
___ जोधपुर.
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॥ ॐ शिव ॥
विषयानुक्रमणिका
१ ख्यात भाटियांरी
२ वात भाटियांरी
३ जेसलमेर देसरी हकीकत वोठळदास लिखाई
४ विगत खडाळरा गांवांरी
५ जेसळमेररा देसरी हकीकत मुं || लख मंडाई
६ वात भाटियांरी पीढी चारण- रतनूं गोकळ मंडाई
७ वात रावळ घड़सीरी
वात (सोमवंसी भाटियांरी हरिवंस पुरांण मां है )
६ वात (वरिहाहारी)
१० वात (मुंहतैरी )
११ वात भाटियांरी (साख मंगरिया )
१२ वात गजनी पातसाहरी
१३ वात ( रावळ जेसळरी )
१४ वात ( जेसलमेररी रांग मंडाई)
१५ वात राठोड़ सीमाळरी
१६ वारता (नीकमसीरी )
१७ वात (पातसाहरा गुरु मारियांरी)
१८ वात (मूळराजने कमालदीरी )
१६ वात (मूळराज कना कमालदी लोयां मांगी )
२० वात ( रावळ दूदैरी )
२१ वात ( रावल दोनं तिलोकसी मुंत्रांरी)
२२ वात ( रावळ घड़सीरी)
२३ वात ( रावळ हुआ तिगांरी नै साखांरी) २४ पीढी
२५ वात ( रावळ भीमरी )
२६ वात ( रावळ भीमरी फेर)
२७ मनोहरदासरा प्रवाड़ा
२५ वात (भाटियां मांहे केल्हरणांरी साख )
२६ चात ( भाटी जेसो कलिकरनरो)
३० रूपसी भाटियांरी साख
३१ सरवहियांरी पीढी, जादव
पृष्ठ संख्या
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···
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१
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१५२
१६६
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३२ वात सरवहिया जेसारी
३३ वात ( सरवहिया जेसान पकड़गरी ) ३४ वात जाड़ेचांरी
३५ वात ९ रायघरण भुजरा घरियांरी ३६ वात लाखेरी
३७ वात (जाड़ेचा फूल घवळरारी)
३८ वात जांम ऊंनड़ सांवळसुघ कवि रोहड़ियानूं ग्राऊठ कोढ़
सांई दी तिरी
३६ वात १ जांम ऊंनड सांवळसुधरी
४० वेढ १ जांम सत्तै नै श्रमीखांन हुई तिगरी वात
४१ वात १ झाला रायसिंघ मानसिंघोत ने जाड़ेचा जसा घवळोत नै जाड़ेचा सायव हमीरोत वेढ हुई तिगरी
[२]
४२ वात
४३ वात १ जी रतनूं धरमदासांणी कही ने पहला सुगी थी तिका तो लिखी हीज हुती । वात जाड़ेचा साहिवरी ने झाला
रायसिंघरी फेर लिखी
४४ वात भालारी
४५ मेवाड़ भालांरी वात
४६ मेवाड़रा झालांरी पीढी ४७ रावजी श्री सीहेजोरी वात
४८ वात राव श्रासथानजीरी
४९ वात राव कांनड़देजीरी ५० रावळ मालोजोरी वात
५१ वात वीरमजीरी
५२ वात रावजी चूंडैजीरी
५३ गोगादेजीरी वात
५४ अरड़कमलजी चूंडावतरी वात
५५ वात रावजी रिणमलजीरी
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...
144
978-8
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२०६
२०७
२०६
२०६
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२६६
३०६
३१७
३२४
३२६
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मुंहता नैणसीरी ख्यात
भाग २ अथ ख्यात भाटियांरी लिख्यते अ जदुवंशी कहीजै। बज्रनाभ प्रदुमनरो बेटो, श्रीकृष्णदेवरो पोतरो१ खीर ।
१ जादव गिरनाररा धणी। २ खडेर ।
१ सांम श्री कृष्णदेवरो १ जादव वाघोर करोली
बेटो। जाड़ेचा सांमा वाळा ।
कहावै । हाल रायधण। सरवहिया अरबिंबरा - १ वोटी।
१ खीटवाळ । रावळ वछु । १ पाहु बापै रावळरो । बापो रावळ वछुरो१ सिंघराव वछुरो।
१ रावळ विजैराव चूडाळो। चूड़ा समारो उतन" भड़ियाद, कांप, घोळहरा । मैं तीनूं चूड़ा समारै बसणा गांम छै, परगनै धांधूकै लागै । भड़ियाद हमार' भोज भींव । चूड़ा समारो बेटो सबळ सिंघ देवीदास धवळहरै वसै छै।
रांणा राजपाळरा पोतरा-रांणो राजपाळ सांगारो। सांगो मंझमरावरो१ बुध।
१ हईया। १ लहुवा।
१ भईया । १ छेना।
१ जैतुंग तणुंरो । तणुं वडा १ छोकरण ।
केहररो। विकूपुर, जैस१ पाहोड़।
ळमेर, बीकानेर विचै । १ अटेरण।
१ अभोहरिया रावळ दुसा१ लपोड़।
झरा । पीरोजशाह
I ये यदुवंशी कहे जाते हैं। 2 पोता । 3 श्री कृष्णदेवका पुत्र साम्ब, जिसके वंशज सामा-जाड़ेचा कहलाते हैं । वर्तमानमें रायधरण इस शाखाका है। 4 अर्द्धविम्बके वंशज सरवहिया कहलाते हैं। 5 निवास स्थान। 6 ये तीनों गांव चूड़ा समाकी बैठकके हैं, जिनका परगना धंधुका लगता है। 7 अभी। 8 दूसरी कई प्रतियोंमें यह नाम नहीं है। 9 रावल दुसाझके वंशज अभोहरिया भाटी।
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मुंहता नैणसीरो ख्यात पातसाहरो मामो भाटी
काल्हण जैसळमेर दोलतखांन खंधारवाळो विकूपुर। किलेदार।
१ जसहड़, पाल्हण, काल्हण, लांजो विजैरावरा
इणांरो वडो धड़ो' । १ राहड़ जैसळमेर ।
रावळ लखमणरा १ मंगरिया, इणरा थळ
पोतरा। गाँव ४० मुसलमान
१ रूपसी, जैसळमेर गांवका हुवा। १ गाहड़रो गांव बीकानेर
१ राजधर । कनै गाहिड़वाळो ।
१ उरगो वैरसीरो सावड़ारावळ सालवाहनरा
वाळो। १ वानर, इणांरै जैसळमेररै
१ सतो वैरसीरो। रावळ देस गांव डाभलो।
लखणसेनरा पोतरा। १ कड़वारै जैसळमेररो
१ मूळपसाव । गांव भैंसड़ो। रावळ
१ लूणराव । काल्हणरा पोतरा। रावळ केहररा पोतरा१ सीहड़, साल, वीकमसी, १ सांवतसी केहररो। लखमसी, झै काल्हणरा। १ मेहाजळ केहररो। जैसळमेर वड़ा रजपूत । १ जैसो कलकरणरो। परधान गांव ब्रह्मसर।
कलकरण केहररो। १ जैचंद लखमसी काल्हण। रावळ केलणरा१ भुणकमल झांझण
१ विकूपुररा।
I लांजा विजयरावके वंशज । 2 मंगरिया (मंगलिया), इसके थलके (थरके) ४० गांव एक साथ मुसलमान हो गये । 3 गाहड़के नामसे बीकानेरके पास गाहिड़वाला गांव है । 4 वानर, इनका जैसलमेरमें डाभला गांव। 5 रावल काल्हणके पोते कड़वा भाटियोंके जैललमेरका गांव भैंसड़ा। दूसरी प्रतियोंमें कड़वोंका उल्लेख नहीं है। उनमें भैसड़ा गांव वानरोंका तथा वानर राव काल्हग्गाके पोते वताये गये हैं। 6 सीहड़, साल, बीकमसी और लखमसी ये काल्हणके वंशज । जैसलमेरमें बड़े राजपूत । इनका प्रधान गांव ब्रह्मसर । 7 इनका समूह . . . . वडा । 8 रूपसी जैसलमेरके काछा गांवमें ।
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..
___ मुंहता नैणसीरी ख्यात १ पुंगळिया। .
सेखासर' । १. वैरसल पुरिया । रावळ राजरा पोतरा१ किसनावत ।
१ उरजनोत । १ खींवा ।
१ हमीर । १ नेतावत रिणमलरा रांणा रतनसीरा पोतरापोतरा।
१ ऊंनड़। १ खरड़वाळा केलण ।
१ कीता गोगली। १ अकै केलणोतरा पोतरा
सोमसीरा पोतरा। वात भाटियारी # सोमवंसी, एकादसमें तीसमें अध्यायमें जादवस्थलमें इतरा जादवांरा वंस कह्या । प्रभासक्षेत्र श्रीकृष्णजी नावै बैस पधारिया समुद्र मांहै । सरस्वती नदी प्रभासखेत्र छ, तिणरो महातम कह्यो छै। विगत
१ दसार्क । . १ विष्ण। १ अंधक। १ भोज । १ सत्वात । १ मधु । १ अर्बुद। १ माथुर । १ सूरसेन । १ कुंत ।
१ विसरजन । १ कुकर। अथ जैसळमेररै देसरी हकीकत वीठळदास लिखाई -
जैसळमेरथी खडाळरो छेह कोस १० कणवण देवड़ावाळो । नै' पैलो छेह तांणुकोट जैसळमेरथी' कोस ४०, कोर डूंगररां कोस ५०, तिणमें अतरा11 गांव खडाळमें छै ।
___I केलणका बेटा अकाके पोते शेखासरमें। 2 ये भाटी सोमवंशी कहलाते हैं। महाभारतके एकादश और तीसवें अध्यायमें यादवस्थलीके वर्णनमें यादवोंके इतने वंश कहे हैं । . 3,4 उसमें प्रभासक्षेत्र, श्रीकृष्णजी नावमें वैठ कर समुद्र में पधारे और सरस्वती नदी जो प्रभास
क्षेत्रमें है-उन सवका महात्म्य उसमें कहा गया है। 5 जैसलमेर देशका वृत्तान्त जो विट्ठल
दासने लिखाया। 6 किनारा, सीमा । 7 और । 8 दूसरा, आगेका। 9 से । 10 जिसमें । ___ II इतने ।
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४]
मुंहता नैणसीरी ख्यात विगत खडाळरा गांवांरी
१ खीरड़ खालनांरी। १ खींवलसर बांभणांरो खालसो रु० ४०००) रो।
१ टेहियो। १ डांवर। १ नेहड़ाई। १ हावुर । १ मुंगाह । १ सपहर । १ देवो। १ सीतहळ। १ लवीह । १ झरो। १ दुजासी । १ मायथी। १ आकुवाई.। १ तणोट । १ बांधड़ो। १ सापली । १ माडाऊ। १ सजडाऊ। १ खारी । १ घंटियाली । १ दुजासर । १ पासो । १ कोळू । १ घोडाहड़ो। १ हडेल ।
१ फलीड़ी। १ देरासर । १ तणूंसर । इतरा जैसळमेररै उगवणनूं गांव'
१ वासणोपी। १ जेराइत । १ डाभळो। १ आकळ । १ पछवाळो । १ तई अईतरो । १ मोकळाइत । १ जेसु रांणारो। १ जगिया । १ चाहड़ । १ पाहप। १ छोड़ो। १ पासणी कोट । १ बोळो। १ बांहाळो। १ कोटड़ी। १ भंभारो। १ प्रासलोई। १ वीझोतो। १ बसाड़। १ गोयंद। १ सांवतसीरो गांव ईकड़। १ खुहड़ी। १ मालगाडो। १ कांणाऊ। १ कुछाऊ। १ खत्रियाळो। १ आहाळो। । १ टीवरियाळो। १ खड़ोरांरो गांव। १ बालांरो गांव । १ भांवरी। १ रावतसर। १ लांणेलो। १ गोही। १ काछो। १ ब्रह्मसर । १ कांगावद । १ कीलो डूंगर। १ खवासरो। १ जीजियाकी। १ भादासर । १ रबीरो। १ गजिया गांव । १ हेकल। १ तेजसीरो गांव । १ चांपासर । १ सोझेवो । १ अरजणियारो। . . १ थहीयायत । बुजेरो। खडीण । उनावा।। जैसलमेरथा कोस ५ प्राथूणनूं काक नदीरो पांणी आवै ।
1 इतने गांव जैसलमेरकी पूर्व दिशामें। 2 अन्य दो प्रतियोंमें 'पासणीको नीट' लिखा है। 3 से। 4 पश्चिम दिशाको।
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मुंहता नैणसीरी ख्यात
तिणसूं भरीजै, पाखती
4.
8
कोटड़ो, छहोटणरा भाखरांरो' पांणी प्रावे च्यांरू तरफ भाखर छै, नै बीच ऊंडाळ छै । कोस ३ बीच पांणीसूं भरीजै, तद दस पनरै वांस पांणी चढे । पांणी निकलणरी ठोड़ को नहीं" । सवळो भरीजै तद हासल इजाफा हुवै' । काठा गोहूँ मण १५००० बीज बावै तिकै साठा नीपजै । बीज बावै तितरो भोग वै' । बीजी लागत घणी छै" । पांणी घटै तद मांहै बेरी दोय सौ, च्यारस आखारी सी हुवै छै । ऊपर छोतरा, गोंहू, तरकारी हुवै । पांणी मीठो । विणां," फागुणिया मूंग, जवार, सेलड़ी सोह हुवै । तिण ऊपर गांव १२ बांभणांरा 14 छै । हैंसा ५, दोढवाड़ कूंतो " ।
10
11
12
3
I
5
गांवांरी विगत
१ खींवो । १ थुळाया । १ बोधरी । १ दमोदर । १ गलापड़ी । १ सेलावट । १ कुंभाररो कोट । १ नीनरिया | १ जाळिया । १ घांमट । - १२
५
१ नीभिया ।
१ जिगिया ।
मुहारारैं खड़ीणरो उनाव " जैसलमेरसूं कोस ६ तथा ७ दिखनूं बड़ी ठोड़ कोस ५ मांहै उनाव भरीजै । पाखतीरा भाखरांरो पांरणी आवै । मांहै गोहूं मण ५००० बीज वहै तितरो भोग अखै 1 " । पांणी निठ जदी वेरा" मांहै २० तथा २५ बंधायोड़ा, पांणी घणो मीठो । तिणां कोसीटां" गोहूँ, छोतरा, तरकारी, सेलड़ी हुवै । वड़ी हासलरी ठोड़ | तिण ऊपर गांव ३ बांभणांरा
.18
20
21
I पहाड़ोंका 12 जिससे । 3 पास में 1 4 और बीचकी भूमि गहरी (ऊंडी) है | 5 बीचकी उस भूमिका भाग ३ कोस तक भर जाता है तब उसकी गहराई दससे. १५ बांस तक हो जाती है। 6 पानी निकलनेकी जगह कहीं नहीं है । 7 खूव भर जाता है तब हासिल अधिक आता है । 8 १५००० मन काठे - गेहूलका बीज बोया जाता है जो सांठा (साठ गुना ) उत्पन्न होता है । 9 जितना वीज बोया जाता है उतने ही भोग के ( एक करके) रूपमें गेहूँ प्राप्त होते हैं । 10 दूसरे करोंकी आमदनी भी बहुत है । 11 जब पानी घट जाता है तव उसमें दोसौ-चारसौ कुंइयोंसे सिंचाई होती है । 12 कपास । 13 सब । 14 ब्राह्मणोंके । IS ड्योढा कूंता (अनुमानित उपज) किया जाकर उसका पांचवां भाग लिया जाता है | 16 एक जल-स्थानका नाम । 17 उसमें ५००० मन गेहूँ वोये जाते हैं और इतना ही भोग आता है । 18 खतम हो जाता है । 19 कुए । 20 चरसे द्वारा सिचाई किये जाने वाले कुए । 21 गन्ना ।
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६ ]
मुंहता नैणसीरी ख्यात
१ गोरहरो बांभणांरो ।
१ जांझोरो बांभणांरो ।
१ सीयळांरो ।
सीयळ पंवार लुद्रवारी रैत ज्यों भोग दै' । मुहार रावळ भीमरी वार मांहै खेतसी मालदे श्रोतनूं थो । पछे रावळ मनोहरदासरा मांन खींमावतनूं पटै दियो थो ।
अतरा गांव कोटड़ारा जैसलमेर वांस रांणा चांपा पछै जको रावळ टीकै बैठो तिकै' लिया
१ कौडीवास ।
1
१ मांडाही । १ वींजोराही ।
१ रिडी ।
१
भूवो । १ धनवो ।
१ ओळो ।
१ सांगण ।
१ पेथोड़ाई । १ सीतहड़ाई । १ वापणसर । १ जालेळी | १ डांगरी । १ सोळियाई । १ पीपळवो । १ नेगरड़ो । १ भागीनड़ो । १ प्रोड़ो । १ आरम । १ चोचरो । १ जांनरो । १ कांनासर ।
11
जैसळमेरथी' कोस ७० सोढांरो ऊमरकोट छै । तिण मांहै कोस ३५ श्रधोफर दागजाळ छै, तठे" ऊमरकोट जैसलमेर सींव " छै । तठे नजीक गांव १ भांभेरो कोस १८ ।
भूण कांमळांरो उतन । १ दहोसतोय भाटी सतांरो जैसळमेरथा' कोस २२ । १ फूलियो भाटी मेहाजळरो जैसळमेरथा कोस ३० तिण 14 प्रागै कोस ५ दागजाळ छै ।
जैसलमेररा देसरी हकीकत मुं || लखै मंडाई, संमत १७००रा माह वदी & मुकांम मेड़तै ।
15
1 सीयल पँवार भी लुद्रवाको प्रजाकी भांति भोग (नाज के रूपमें दिया जाने वाला एक कृषि - कर) देते हैं । 2 मुहार गांव रावल भीमके समय खेतसी मालश्रोतको मिला हुआ था । 3 इतने 1 4 बादमें, पीछे | 5 जो । 6 उसने । 7 से 8 ग्राधी दूरीमें, ठीक बीचमें । 9 जहां | 10 सीमा । II पास । 12 भूरण गांव कामलोंका निवास-स्थान 1 13 से 1 14 उसके 115 लिखवाई।
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[७
__मुंहता नैणसीरी ख्यात मालरो बाब'
कसबामें महाजनांरै घर १ दीठ दुगांणी ८। . महाजनांरा घर हजार २५००-रु० ५००)री ठोड़।
५००.....................। १५०० प्रोसवाळारा। ५०० महेसरीयांरा।
दीवाळी होळीरै मिलणरा रु० ५००) गुळरा पेसकसी मंगळीकरी । इण भांत रु० १५०००) रजपूत मुसलमान खालसैरा सिगळे देसरा आवै। देसवाळी लोगांरै जेजियो नै बाबरा करी रु० ४०००) री ठोड़ २००००) । दांण तुलावट'
दांणरो ऊंठ १ तोल २०रो मण बारै वहतीवारण - रेसम रु० ३५)। रुई मजीठ - रु० ५)। मैंण11 रु० ६)। घ्रत
फीटकड़ी रु० ४)। खारक'
___रु० ५)। लाख लोवड़ी12 रु० ६)। नाळेर' रु० ५)। किरांणारै ऊंठ रु० ३)।
बीकानेररै देसथा वहै तिणनूं रु० ॥) देसमें वहतीवांणनूं लागै14 । ... घोडै १ दीठ रु० ४) वहतीवांण कारवांन नै लागै15 सरब रु० १५०००)री ठोड़ वरस १री तुलावट विकरी। कसवै वस्तु विकै
I माल पर लगने वाला कर । 2 कस्बेमें महाजनोंके प्रति घर ८ दुगानी लगती है। . (दुगानी=एक प्राचीन सिवका) । 3 महाजनोंके घर २५०० जिनसे रु० ५००) निश्चित कर। 4 दिवाली और होली आदि मांगलिक त्यौहारों पर गुड़के नामसे लिखी जाने वाली भेट । 5 सव। 6 जजिया। 7 तुलाई पर सायर महसूल । 8 सीमामें होकर चलनेका महसूल । 9 छुहारा । 10 नारियल । II मोम। 12 लाखसे रंगा हुआ (लाखी रंगका) लोवड़ी वस्त्र, अथवा लाख और लोवड़ी वस्त्र । 13 किराना । 14 बीकानेरके देशसे सीमामें चलने वालोंसे वहतीवान कर बारह आने लगते हैं। 15 कारवांके साथ प्रति घोड़ेके रु. ४) वहतीवान लगता है।
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८]
.
मुंहता नैणसीरी ख्यात तिणरो मण १ सेर १ नै रु० ४०) पोरोजी १ रु० ५०००)री ठोड़। ____टंकसाळ व्याजमें हैंसो' ४, मुदत उप्रेत हुवां हैंसो ८ तिणरा रु० २०००)री ठोड़।
परचूंण पाट १ खतरी, कसाई तंबाखु और ही बाव रु० १०००)।
खारो, गूगळ, लूंण इग भांतरी रकम ४ तथा ५ छ । रु० ८०००)री ठोड़ रु० ३०००), १०००), ४०००)।
रु० ३१००) गांवांरो हासल । वांभणीके गांव लागै-गांव . ६० तथा ७० छै । भोग दे, हैंसो ५मो, मणरो दोढ़ मण लीजै । सांवणु हैंसो ४ तोल २०रो भोग म० २०००) ऊनाळी* हैंसो ५मो, मणरो दोढ़ मण लीजै । भोग म० १०००) देसवाळिया लोगांरै गांव छै तिणांमें बीजो' रजपूतांनूं पटै चाकरी करै ।
जोड़ नाचणो जैसळमेरथा' कोस २ ऊगवणवू कोस १, घास करड़, अहखरो । जैसळमेरथा दिखण→ कोस २ घास सेवण, कोस २रै फेर ।
खरगो, लुद्रवा कनै10 । घोड़ा, ध्राव, वडी वांकी ठोड़,11 मुंहारा दिसी, जैसळ मेरथा कोस १६, खडाळामें ।
आसणीकोट गांवथा कोस २ घास सेवण । वांभणीका गांव कोटड़ा दिसै नै प्राथूण जैसळमेररै परै ।
१ वीझोळाई। १ सोतहळाई। १ कौडियावास। १ मांहिडिहाई। १ पेथेड़ाई। १ उनो। १ रिड़ियो। १ वाझनाइयो। १ धनुवो।
१ बुचकठो। १ लोलापुड़ी। १ लांगेलो। खांडररो तरफ जैसळमेरथा आथूण दिसी
१ जेसुरांणो। १ गुलियो। १ कुळधर । १ चंदेरियांरो गांव ।
I हिस्सा । 2 उपरान्त । 3 ब्राह्मणोंके । 4 चैती फसल । 5 दूसरा। 6 राजपूतोंके जिम्मे चाकरी करना। 7 से। 8 पूर्व दिशाको। -9 दो कोसके फैलावमें। 10 पास । II घोड़ों और पशुओंके लिये बहुत अच्छी जगह । 12 मुहार गांवकी ओर । 13 पश्चिम दिगाकी और।
..
पासा
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मुंहता नैणसीरी ख्यात
१ टीबी ।
१ खेतपाळियांसे गांव | १ टेईयो । १ भनियो । जैसलमेरथी पोकरणरी तरफ ऊगवणनूं
१ जांनड़ । १ पोटळियो ।
१ वासणी । १ आसणीकोट कोस १२ ।
वात
भाटियांरी पीढ़ी चारण रतनूं गोकळै इण भांत मंडाई' -
१ प्राद श्रीनारायण ।
१६ अनिरुद्ध |
२ कमळ ।
३ ब्रह्मा ।
४ अत्रि ।
सोम
1
५.
६ बुध । ७ पुरूरवा ।
८ प्राग ।
६ पाइत ।
[ &
१ देवो । १ नेहड़ाई ।
१० निरघोस ।
११ राजा जजात' ।
१२ राजा जदु ।
१३ जादम' ।
१४ सहस्रार्जुन ।
१५ सूरसेन ।
१६ वसुदेव ।
१७ श्री क्रष्णदेव |
१८] प्रद्युम्न । १८ साम्ब ।
२० वज्रनाभ ।
२१ प्रेतारथ ।
२२ रुचिरा ।
२३ पदमरिष ै ।
4
२४ गोतम ।
२५ सहजसेन !
२६ जैतसेन 1
२७ अरधबिंब 1
२८ राजा सालवाहन | बोटी नै खोटीवाल डीडवांणं कनै ।
२६ भाटी नै राजा रीसाळू भाई |
३० वछराव |
३१ विजैराव ।
३२ मंझमराव ।
३३ मंगळरावं ।
I गोकुल रतनू चारणने भाटियोंकी पीढ़ियां इस प्रकार लिखवाई । 2 ययाति ।
3 यादव 1 4 पद्म ऋषि | 5 राजा शालिवाहन जिसके वंशमें से वोटी श्रौर खोटीवाल शाखाएँ चलीं जो डीडवाना के पास रहते हैं ।
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१० ]
मुंहता नैणसीरी ख्यात
३४ केहर वडो, जिरण केहर बसायो ।
३५ तणु, जिरण तणोट
वसायो |
३५ विजैराव चूडाळो, केहर वडारो' ।
३६ देवराव, तिण देरावर
वायो ।
३७ मुंध ।
३८ वछु । अणघा, पाहू, वापरावरो सिंघराव" ।
३६ दुसाझ ।
४० रावळ जेसळ दुसाझरो । ४० देसळ, जिरा प्रभा
हरिया भाटी, अभोहर वींठाडा कनै । नौ पीरोसाह पातसाहरो
मांमो | भाटी दोलतखांन* ।
४१ रावळ सालवाहन |
४१ रावळ कालण जेसळरो । वानर भाटी डाभला वाळा | भेसड़ेवा वासणपी वाळा ।
४२ रावळ चाचगदे । ४२ तेजो रावळ कालणरो ।
४३ रावळ करण | ४४ रावळ जैतसी वडो ।
४५ रावळ मूळराज । ४५ रांणो रतनसी जैतसीरो । ४६ रावळ घड़सी रतनसीरो ।
४७ रावळ केहर देवराजरो । ४८ रावळ लखमण केहरो ।
भाटियांरै नव गढ कहीजे, तिणांरा नांव - १ जैसलमेर । १ पूंगळ | १ विकूंपुर 1
१ ममणवाहण | १ मारोट 1 १ देरावर | १ केहरोर |
१ वरसळपुर ।
१ आसणीकोट ।
रावळ वछु धरो, ग्रांक, ३८
३६ वापो रावळ तिणरो वेटो पाहू । इरणारा इतरा गांव जैसळ
मेरै देस, गांव ३
:
1 केहर बड़ा जिसने कहरोर वसाया । 2 विजयराव चूड़ाला वड़े केहरका बेटा | 3 राव चापाके बेटे अगधा, पाहू और सिंहराव | 4 देसलके वंशज प्रभाहरिया भाटी जो भोहर वहाड़ाके (नटिंडा के ) पास रहते हैं । यह वादशाह फिरोजशाहका मामा था । भांटी दौलतखां इसी शाखाका था। 5 भाटियोंके नौ गढ़ कहे जाते हैं, उनके नाम ये हैं। 6 इसके इतने गांव जैसलमेर के देश में हैं ।
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सिंघ ।
मुंहता नैणसीरी ख्यात
[११ १ चीझोतो। १ कोटहड़ो। १ सेतोराई जैसळमेरथा कोस ८ ।
किसनावत भाटियांरा गांव आगै तो पूंगळ वांस हुता, हमैं तो वीकानेर वासै छै । औ गांव ४० तथा ५० पाहुवैरो कहावै -
१ खीरबारो। १ रांणेहर । १ रायमलवाळी। १ हापासर । १ मोटासर। ४६ रावळ वैरसी लख
हरराज । भांनीदास । मणरो। ५० रावळ चाचगदे वैरसीरो।
रावळ हरराज । ऊमरकोटरै सोढे
रावळ भीम। मारियो ।
रावळ कल्याणमल । ५१ रावळ देवीदास चाचारो।
अरजन । भाखरसी। ५२ रावळ जैतसी।
सुरतांण । रावळ लूणकरण।
रावळ मनोहरदास रावळ मालदे।
कलाउत । इतरी साखरा रांणा राजपाळरा बेटा-पोतरा
१ वुध । १ पोहड़। १ छेना। १ छीकण । १ लहुवा । १ अटेरण । १ लपोड़। १ हईया । १ भईया।
रांणो राजपाळ सांगो, मंझमराव, मंगळराव, विजैराव, तिको मुथरा राजथांन हुतो । राजपाळनं मुगलां मथुरा मारियो तरै राजपाळरो बेटो बुध उठाथी' छाड्नै खरड़ आय बसियो। तिका खरड़बुधेरो अजेस कहावै । तिण वांसे गांव १४० कहीजता । प्रा ठौड़ पोकरण-फळोधी नजीक । बुध राजपाळरो बेटो बाप कनै प्राय बसियो । तिणरो बेटो
I पूगलके पीछे थे। 2 अव बीकानेरके पीछे (अधिकारमें) हैं। 3 इन ४० व ५० गांवोंका समूह 'पाहुवेरो' कहलाता है । 4रावल चाचगदेव वैरसीका बेटा । इसको उमरकोटके सोढोंने मारा। 5 राणा राजपाल के इन वेटे-पोतोंसे इन्हीं नामोंकी शाखाएं चलीं। 6 इनका राजस्थान मथुरामें था। 7 वहांसे । 8 अभी तक वह 'बुधेरो खरड़' कहलाती है। 9 पास ।
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१२ ]
मुंहता नैणसीरी ख्यात
कमो घोरंधार बापसू कोस १ वावड़ी तठे वसतो, तिको रांणा रूपड़े पड़िहाररी बेटी परणियो थो ।
खरड़रा गांव
१
१ बाप । १ बावड़ो । १ लीकड़ा । १ भदळो ।
घंटयाळी । १ वारू ।
नींबली |
१ अहवा ।
१ कमळो ।
१ कानासर । १ चूंनी । १ नाचणो । १ सतिहाहो ।
१ सेखासर । १ खीरखो ।
१
१ झाड़हर । १ बूटहर ।
आ' खरड़ कमो भोगवतो' । पछे रांण रूपड़े चूक करनै कमानूं मारने पड़िहारै खरड़ लीवी । तठा पछै रावळ केलण विकूंपुर पूंगळ धणी हुवो, नै मूंवो जदी टीको रिणमल केलणोतनूं वो । त रिणमल मूवो तरै टीकै जगमाल रिणमलोत बैठो । पछै जगमालरो भाई को रिणमलोत मुलतांण जाय तुरकांरो कटक ले आयो । जगमालनूं मारनै प्रचळो आापरा वडा भाई गोपानूं पाट विकंपुर वँसांणियो;" तरं जगमाल रो बेटो जैतो पड़िहारांरो भांणेज हुतो' सु नीबलायां नांनांणै वसियो । तठा पर्छ पडिहार दिन दिन गळता गया' अँ दिन दिन बधता गया । पडिहार भूका, 1° तर इणे पैहली घोड़ा ऊंठ दीठा'' तिकै लिया । पछै क्यूं देनै गांव लिया । पछै पड़िहार तूट 'गया' । सारी खरड़ केलरणां हेठ आई । आ खरड़ विकूंपुरसूं जुदी । जैसलमेर जुदी चाकरी करे; सु पड़िहार अजै इणां गांवां मांहै रहै छै । वडा वडा तळाव, कोहर इरणां गांवां पड़िहारांरा खणाया छै । मुदै गांव छारू, तिणमें कोहर " १२; वडो कोहर १ हेमराजसर पड़िहारांरो खणायो'
12
5
16
१ अंतरगढो ।
पोहड़ रांणा राजपाळरो । आगे इणांरै घणी धरती हुती" । इतरा कोट पोहड़रा "
1
वहां । 2 यह । 3 उपभोग करता था । 4 दगा करके 15 और जब मर गया तत्र टीका केलरणके बेटे रिणमलको हुया । 6 बैठाया । 7 था। 8 ननिहाल । 9 जिसके बाद पड़िहार दिन-दिन कमजोर होते गये । 10 असमर्थ, गरीब । II देखे । 12 पीछे पड़िहार कमजोर हो गये । 13 सारा खरड़ प्रदेश केलरण भाटियों के अधिकारमें या गया । 14 मुख्य ।' 15 कुए। 16 खुदवाया हुआ । 17 थी । 18 पोहड़ों के इतने कोट हैं ।
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मुंहता नैणसीरी ख्यात
[ १३
१ नाहवार । ९ वीझणोट । १ नांदणौ । १ कोटड़ो । १ काळो डूंगर । १ वछणोट । १ जेसूरांणो । १ सापली । ९ द्रेग । - पोहड़ारे कोहेक दिन कोटड़ो हुतो । नीभड पोहड़ कोटड़े धणी तो, सु रावळ मालार भैंस १ वेल नांमा हुती, तका कोटड़ांरो गांव सिव, तिगरी वाड़ी भैंस खाय जाय, तरै मालो वाड़ीरो धणी कोटड़ारा धणी नीभड़नूं पुकारियो, तरै उण वेल नांवे भेंस वाढ़ी नीभड़; * तिरण ऊपर पोहड़ ने राठोड़ै वेढ़ हुई । पछै रावळ मालै द्रे ऊपर हईया मारिया, सु हिंदू हुता । पछै रांगा राजपाळरा पोतरा पोहड़रा भाई उण मांमलै हईया पोहड़ भेळा मारांणा' । रावळ मालानूं उण मांमलारो गीत छै तिण मांहै नांव प्रांणिया छै' ।
4
वात रावल घड़सीरी
1
12
13
रावळ घड़सी घणां दिनांसूं जैसलमेर बोलायो छै । नै तद धरती मांहै हईया पोहड़ सबळा' मांणस द्रेग रहै, सु रावळ घड़सीनूं को वदै न छै° । अमल मांनै न छै । पण पोहच सकै नहीं 1 2 । सु रावळ मालदेजी पिण हईयारं परणिया छे सु रावळजी हईयां या करै छै न रावळ घड़सीनूं पिण रावळ मालदेजीरी बेटी दी छै 14 सु रावळ घड़सी नै जगमाल मालावत सुख घणो, " सु रावल मालदेजी देवीरी जात द्वेग आया छै । रावळ घड़सी जगमाल मालावत साथै छ, सु रावळ घड़सी जगमालनूं कहै छै - " औ हईया पोहड़ द्रेग वसै छै, तिकै म्हांनूं लिगार मात्र वदै न छै ' " । . जठा तांई " जैसळमेररी धरती में छै, तितरै " म्हांनूं धरतीरी स
16
18
I किसी दिन | 2 नामक | 3 वाटिका । 4 तव उस वेल नामक भैंसको नीभड़ने कटवा दी। 5 जिस पर पोहड़ और राठौड़ोंमें लड़ाई हुई। 6 उस मामले में ( लड़ाई में ) हईया और पोहड़ साथ में मारे गये । 7 उस लड़ाई में रावल मालाका एक गीत ( छंद) है जिसमें उन सबके नाम दिये गये हैं 1 8 उस समय । 9 सबल | JO सो रावल घड़सीको कोई कुछ नहीं समझता है । II उसके अमलको कोई नहीं मानता। 13 कृपा । 14 बेटी ब्याही है । IS प्रेम बहुत । 16 ये
12 लेकिन वश नहीं चलता । हमें किंचित भी नहीं मानते ।
17 जब तक ।
18 तब तक ।
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१४ ]
मुंहता नैणसीरी ख्यात काई' नहीं।" तरै जगमाल कह्यो-"इणांनूं मारण सहल छै, पण इणांसू रावळजी मया करै छ ।' तरै घड़सी वोहत दिलगीर हुवो। .. तरै जगमाल कह्यो-“जमैखातर राखो, इणांनूं तोत कर मारस्यां।" सु रावळजीनूं सवारै जाय कह्यो-"म्हे फलांणो गांव मारस्यां सु राज साथनूं हुकम करज्यो ।" सु रावळजी मालदेजी दातण-कुरळासिनांन करनै दिन पोहर १ चढ़तो तठा तां" बोलता नहीं, सु जगमाल हईया पोहड़ा दरवार बैसांणिया' नै पछै रावळजी कनै जायनै कांन मांहै कह्यो -"म्हे फलांणा' गांव ऊपर चढ़ां छां,10 राज11 साथनूं हुकम करो।" तरै रावळजी साथनूं वोलिया तो नहीं नै हाथसूं हुकम कियो । तर जगमालजी साथनूं कह्यो-“सको उठो, रावळजी हुकम कियो छ सु काम करां।" बाहिर आयनै साथनूं कह्यो-"हईया पोहड़ मराया छ,'13 सु कूट मारिया ।
गीत रावळ भींव हरराजोतनूं भवनो रतनूं वंसावळीरो कहै । असुधसो गीत छै16
दादै जैतल करण दादै देदल वानगदेव , वैरसीह . लखमण विरद - विसाळ' । मालाहरौ18 मनमोट19 मोट पाट मेरगिर , भाटियां भवाड़े भला भींवजी भोवाळ°° १ धरमी केहर देदे घड़सी घेरणां धर , . छोगाळा रतन मूळू जैतसी छात्राळ1 । करन तेजल कुळ-कळाधारी नवे कोट ,
I कुछ 1 2 इनको मारना सहज है। 3. तसल्ली रखो, इनको धोखेसे मार देंगे। 4 दूसरे दिन प्रातःकाल । 5 हम अमुक गांव पर छापा मारेंगे अतः आप सायको (सरदारोंको) हवम दें। 6 तब तक । 7 हईया और पोहड़ भाटियोंको दरवारमें बैठा दिया। 8 पासमें जाकर कान में कहा । 9 अमुक । 10 चढ़ाई करते हैं। II आप। 12 सभी उठो। 13 हईया और पोहड़ोंको मारनेकी आज्ञा हुई है। 14 अत: मार दिया। 15 रावल भीम हरराजोतके संबंधमें रतनूं भवनाने वंशावलीका गीत कहा है। 16 गीत अशुद्धसा है। . 17 विशाल विन्द वाला । 18 मालाका वंशज । 19 उदार, दानी। 20 भूपाल । 21 छत्र- . धारी जैसलमेरके रावल । 22 प्रकाशमान् ।
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[ १५
3
रखपाळ ॥ २
मुंहता नैणसी ख्यात
हराउत' खागधारी" रेरणा चाच कालहण सालवाहण जसल चाह, दुसाझ वछुह मुंध देद विजपाळ | हुवा तेणे वस हुवो हिंदूकार हरि हंस, राव राजा जांणै रांणा रावळ रंढाळ * ॥ ३ तणु केहर मंभमराव मांगळराव तुंगेस, भूपाळे भूपाळ भाटीवटी " वखत - वडाळ" । जादव जगत-जेठा' जेसा भीमेण जेम', जांणरणा छतीस भाख साख उजवाळ ।। ४ बाळ बुधतणा ब्रद सोढाळ गज समांग, वरज अनुरुध वंस सूरत विसाळ | पूरो,
प्रदमन कान्ह पाट परम भगत
10
सुवरण सुजांण देह सोहै साखपाळ ॥ ५ भाटी छत्राळा कहीजै छै तिणांरी" वात । संमत १७०६३ फागुण सुद १५ प्राढा महेसदास किसनावत कही, जिगरा दोय भेद 11
2
१ रावळ टीके से " तरै 13 छत्र प्रापरै बारहटां माथै मंडावै, सुदान छत्र दियो, तिण छात्राळा कहावै' 1
.14
15
१ कहवत यूं छै" - एक गढ़ां मांहै दिली छत्र, एक गजनी छत्र, हिंदुसथांनरा गढां ऊपर है जैसलमेर छत्र । तिण कारण भाटी छात्राळा कहीजै ।
6
वात
17
भाटियांरी सोमवंसी विंस पुरांण मांहै इणांरी'' उतपत कहीपहला तो ऋष्णजीरा बेटा प्रदमनरी 18 औलाद, गुणां गीतां मां कह्या छै । नै जाड़ेचा भुज नवानगर
19 भाटी धरणी, भै
4 जबरदस्त ।
1 हराका बेटा । 2 खङ्गधारी । 3 पृथ्वीकी रक्षा करने वाला । 5 भाटी क्षत्रियोंका देश, भाटीपा । 6 भाग्यशाली । 7 जगत में श्रेष्ठ । 8 जैसलमेर । 9 जिस प्रकार | 10 जिनकी । II जिसके दो भेद हैं । 12 बैठे । 13 तब । 14 जिससे छात्राला कहाते हैं । 15 एक लोकोक्ति यों भी है । 16 हिन्दुस्थानके गढ़ों ऊपर जैसलमेर छत्र है इस कारण भाटी छत्राला कहे जाते हैं । 17 इनकी । 18 प्रद्युम्नकी । 19 ये ।
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मुंहता नैणसीरी ख्यात स्यांमा कहावै, तिकै ऋष्णजीरा बेटा सांमरी' अोलाद सुणिया छै। ___ऋष्णजीतूं पीढी। राजा जदु पैहला हुवो छै, तिणांसू जदुवंसी कहावै छै । नै भाटी, प्रदमन पर्छ पीढ़ियां....... 'हुवो छ, तिणरो नांव भाटी हीज हुतो, तिणरा पोतरा सारा भाटी छै । मुथरा छूटी तरै भाटी कोहेक दिने गूढो कर लखी जंगळमें भटनेररी ठोड रह्या था । पछै ओ सहर वसियो, तिणरो नांव भटनेर पड़ियो। इतरी साख
१. जाड़ेचा भुज, नवैनगररा धणी । १ सरवहिया जूनगढ़रा धरणी । १ चूड़ासमा भखछरा धणी । हमैं धांधुकारै परगनै ग्रासिया छ । १ जादव वाघोर करोलीवाळा, वज्रनाभरी ओलाद । पीढ़ी मंगळराव मंझमरावरो। ऊपरली पीढ़ीसूं तो पीढ़ी ३३ छै. पण .. अठा आगै इणसूं हीज' आदरो आंक दियो छ । १ मंझमराव। २ मंगळराव । तिण मंगळरावरो परवार३ सांगम मंगळरावरो।। ४ रांणो राजपाळ । केलणांवाळी खरड़रो धणी । तिणसू इतरी साख चाली' ! रांणो राजपाळ मुथरामें हुवो । पछै उठै मुगले धरती लीवी, तरै बुध नै वीजा' बेटा खरड़ पाया । खरडरो नांव बुधेरो। ५ बुध । ५ लहुवो। ५ छेना, तिणांरो'1 गांव १ जैसळमेररै देस गोरोटी लुद्रवै कनै । तळाई १ मांणल देवाइतरा तळाव कनै चांपा छैनैरी कराई, वीकानेररै देस छ। पांणी मास ८ तथा १० रहै ।।
नाम्बकी। 2 जिससे । 3 जिसका नाम। 4 तव । 5 यह। 6 ग्रास रूपमें जागीर पाने वाला जागीरदार। 7 इससेही। 8 आदिका, शुरुका । 9 जिससे इतनी शाखाएं प्रचलित हुई। 10 दूसरे। II जिनका ।
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मुंहता नैणसीरी ख्यात
[१७ ५ छीकण।
पूत हुवो । जिण आपरै ५ आटेरण।
नांवै' खाडाळ मांहै ५ पहोड़।
लणोट कोट करायो। ५ लपोड ।
पछै तणुऊपर अरोड़५ हईया।
भाखररी फौज आई, ३ केहर वडो, जिण आपरै तरै तणुं बाज मुंवो। __नांव सिंधमें केहरोर
तिणरा बेटा- नवो सहर वसायो।
५ विजैराव चूडाळो। ४ तणुं केहररो, वडो रज- ५ जैतूंग।
विजैराव चूड़ाळो निपट वडो रजपूत आखाड़सिद्ध हुवो तणुंरो बेटो । इणरी ठाकुराई पैहली तो आछी ती, पछै तिण ऊपर सिंधरी वडी फोज आई नै विजैराव नीसरणवाळो' रजपूत नहीं, सु आप देवीजीरी घणी पूजा करतो, सु तरै देवीजीसूं इंछना करी, मो आग आ फोज भाजै तो हूं तुरत देवीजीनै म्हारो माथो चाहूं । मन माहै इंछना की । वात किणही जणाई नहीं । देवीजी रथ आया, वेढ हुई, विजैराव जीतो, मुगल भागा । पछै राव आपरै घरै आयो । प्रा वात किणहीसूं जणाई नहीं' । आधी रातरा आप एकलोहीज ऊठ नै देवीजीरै देहुरै गयो । उठे जाय हाथ-पग धोयनै आपरी तरवार काढ़ नै कंवळपूजारै वास्तै गळा ऊपर मेली । तरै देवीजी कह्यो-''मां! मां !" तरे इण जांणियो, वांस1 कोई मांणस आयो, सु तरवार परी कीवी।
बीजै फेरै वळे तरवार कांधै मांडी, तरै देवीजी मोहडै बोलिया - .." तूं विजैराव कंवळपूजा मत करै, म्हेतो थारी पूजा मांनी।" इतरो ... कहि अबोला रह्या । तरै इण वळे कांधैनूं तरवार मांडी। तरै
_1 नाम पर । 2 जिसने अपने नामसे । 3 तब तणू युद्ध करके काम आया। 4 युद्धविशारद । 5 भाग कर निकल जाने वाला। 6 इच्छा, कामना । 7 यह बात किसीको प्रगट नहीं होने दी। 8 मस्तक अर्पण करके पूजा करनेके निमित्त (शिरच्छेदन करनेको) अपनी तलवार गर्दन पर रखी। 9 मत, नहीं। 10 पीछे । II सो तलवार हटा दी। 12,13 दूसरी बार पुनः तलवारसे कंधेका संधान किया तब देवीजी मुंहसे बोलीं। 14 इतना ह ककर चुप हो गई।
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१८ ]
मुंहता नैणसीरी ख्यात
2
देवीजी वळं कह्यो - "तोनूं म्हे बगसियो,' उवारियो, तूं कंवळपूजा मत कर ।" तरं इण कह्यो - " माताजी, यूं तो हूं मांनूं नहीं ।" तरै माताजी प्रापरा हाथरी सोनारी चूड़ उतार नै विजैरावरै हाथ पहराई नै सीख दी, कह्यो विजैरावनूं - "घरे जा ।" पछै घरे आयो । विजैरावरै हाथ देवीजी चूड़ी घाली तठाथी विजैराव चूड़ाळो कहायो ।
3
तठा पछै वरहाहा रजपूत, कहै छै, पँवारां भिळे, तिणांरी ठाकुराई ऊंचदेरावर कनै छै, तठे हुती । नै खाडाळ मांहै विजैराव रहे, सु भाटियांरो साथ वरिहाहांरा सासता विगाड़ करें, सु इणांनूं जोर खारा लागे तरै दीठो, बीजो तो पोहचां नहीं, नै दाव करां । तरै विजैरावनूं वरिहा नाळेर मेंलियो । तरै श्रपरं नांवे तो विजैराव न झालियो, ने देवराव वरसे ५ में बेटो हुतो, तिरणरै नांवे नाळेर झालियो, नै साहो थापियों" । रावळ श्राप नान्हा बेटारे कोडर वास्त आयो । पैहले दिन वीमाह हुवो नै बीजै दिन गोठ की, नै साथ सदोरो हुवो, त चूक कर नै विजैरावनूं मांणस ७५० सूं मारियो तरै देवराजरी धाय डाही थी, ' तिण देवराजनूं प्रौ ॥ लूंणानूं सूंपियो, कह्यो- "थांरै सांढ° १ हाथबाथ छै, 11 तिका नांवजादीक छै । थे इतरो ग्रापणा धणीरो बीज उवारो, ले नीसरो" । " तरै प्रौ।। लूंणो देवराजनूं ले नीसरियों । वांसै देवराजनूं वरिहा डेरांमें घणो ही जोयो पण लाघो नहीं " । त कह्यो - " मारग में पग देखो, कोले नीसरियो न छै?” तरै उणें सांढरा पग मारगमें दीठा । तरैं कित रोहेक साथ वांस बाहर चढ़ियो । सु सांढ वाहर पड़ावण सारीखी
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I तुझको हमने बख्शिश किया । 2 बचाया । 3 निरंतर । 4 सो इनको बहुत ही बुरा लगता है । 5-तब देखा कि छल करने के अतिरिक्त इनको पहुंच ( जीत ) नहीं सकते । ( बीजो = प्रतिरिक्त, अलावा ) 16 और विवाहका दिन निश्चित किया । 7 रावल स्वयं अपने छोटे बेटेके लाड़-प्यार के लिये साथमें प्राया । 8 वहां बोखा करके विजयराजको ७५० मनुष्योंके साथ मार दिया। 9 तव देवराजकी धाय जो बड़ी समझदार थी । 10. ऊँटनी 1. II अपनी इच्छा अनुसार तेज गति से चलाई जा सकने वाली है । 12 अपने स्वामी के वीजको (वंशको ) बचानेके लिये इतना काम करो और इनको लेकरके यहांसे निकल जाओ । 13 परंतु मिला नहीं ।
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मुंहता नैणसीरी ख्यात नहीं । प्रोहित लूणारा घर पोकरण कन्है था; त, देवराजनूं ले कुसळे आय पुंहतो । वरिहाहांरो साथ वांस हुवो आयो । आयनै बांभण रतन लूंणोतरानूं पूछियो-“थे देवराजनूं ले आया छो ?" तरै बांभण लाप कह्यो-“म्हे तो किण ही ले आया नहीं।" वळ उणांनूं कह्यो"थारै मन माहै • भरम रहै छै तो थे म्हारा घर जोवो ।” उणा फिर फिर सारा वस्तीरा डावड़ा जोया । जोवतां जोवतां देवराजनूं उणां मांहै प्रोपरो सो दीठो, तरै बांभण पूछियो-"अो डावड़ो कुण छै ? ओपरो सो दीसै छै ।" तरै बांभण कह्यो-“ो म्हारो बेटो छै ।" तरै उणै वरिहाहारा आदमियां कह्यो-“थांहरो बेटो पोतरो छ, थे भेळो ले जीमो, ज्यूं म्हे परा जावां ।" तरै बांभण आप तो भेळो ले न बैठो नै वडा बेटा रतनानूं देवराजरै भेळो बैसांणियो नै जीमियो । तरै
वरहाहांरा आदमी फिर गया। देवराज तो इण भांत वचियो। तठा . पछै वीजा बांभणां रतनरा भाईयां रतन पांत मांहिथा परो काढ़ियो'।
तरै रतन जोगी हुयनै सोरठ गयो । उण बांभणरी जात लूंणोत नांव
लांप वसुदेवरो सीहथळी गांव वसै छै ।। ... तठा पछै देवराज मोटो हुवो। तुरकारी चाकरी गयो । वांस
रबारी सांगी देवराजरो वरिहाहारै उठ गयो हुतो सु उरण रबारीनै वरहाहारी बैर' रवाय भाई कह वतळायो तो सु उण रबारी आयांरी खबर रवायतुं हुई, तरै उण रबारी रवाय तेड़ लियो । वात- ' विगत पूछनै. बेटी हुरड़ दिखाय नै जीव दोहरो करण लागी; तरै रवारी सांगी कह्यो-“थे किण वासत जीव दोहरो करो छो11. ?"
I वह सांढ़ (ऊंटनी) पीछा करने वालोंकी पकड़में अा जाय वैसी नहीं है। 2 पहुंचा। 3 तुम्हारे मनमें कोई वहम है तो हमारे घर देख लो । 4 लड़के, वच्चे। 5 देखते-देखते उन सबमें देवराजको कुछ अजनवी सा देखा । 6 तुम्हारे बेटे-पोतोमें से ही है तो तुम उसको अपने शामिल बैठा कर भोजन करो, ताकि (हमारा वहम मिट जाय और) हम चले जायं ।
7 जिसके बाद दूसरे ब्राह्मणों और रत्नके भाइयोंने पंक्ति मेंसे निकाल दिया (जाति-च्युत ' कर दिया) । 8 वह वसुदेवका पुत्र लांप नामसे लूणोत जातिका ब्राह्मण सीहथली (सिंह
स्थली) गांवमें रहता है। 9 स्त्री। 10 तव उस रैबारीको अपने पास बुला लिया। II तुम किसलिये जी उदास कर रही हो।
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किस
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मुंहता नैणसीरी ख्यात तरै कह्यो-"बेटी इतरी मोटी हुई, नै इणरै वररी खवर ही नहीं। न जांणां मुंवो, किना' कठी ही जोगी सन्यासी हय गयो।" तरै रबारी सांगी कह्यो-"मोनूं वधाई दो, थांहरो' जमाई सलामत छै, मोटो हुवो छ, लायक छ ।” तरै रबाय घणो सुख हुवौ । पछै घणी .... अजीजी की—'जु किणही सूल देवराजनूं अठै प्राणो,' तिका वात करो।" तरै इण कह्यो—“मोनू थांहरो, थांरा धणीरो वेसास नावै ।" तरै रवाय घणा वचन किया । तरै रवारी सांगी देवराजनूं छांन11 ले पायो । रवाय घर मांद ले राखियो। कितराहेक दिन वतोत हुआ । रवायरो धणी जाण नहीं । पछै कितरैहेक दिने हुरड़नूं प्राधांन रह्यो, तरै बैर किणही भांत आपरा धणीनूं समझाय नै बोलबंध लेनै देवराज आपरा धणीसू मिळायो। पछै देवराज को दिन उठेहीज15 रहतो हुतो । उठे देवराज मैड़ीमें पोट्टै छ, तठे जोगी बाबो रैहतो । एकरसां" इणरो कूपो' रवायनूं खूप गयो थो । भरम . भागो न थो। सु उण कूपा मांहिथा टबको १ छरण नै हेठो पड़ियो,' तिको देवराजरी कटारीरै लागो, सु लोहरी थी सु सोनारी हुई। तरै सवारै देवराव दीठी, तरै विचार दीठो जु-"इण कूपा मांहै काई बलोई छ ।” तरै प्रो कूपो देवराज उरो लेने कबज कियो1 । सवारै मैडो रातरी बाळदी, तरै रवाय जांणियो-“कूपो मांहै बळ गयो।" तठा पछै कितराहेक दिने उठाथी देवराव सुसरा सासूनूं कह्यो-“मोनूं लोक सको 'हुरड़वनो: कह वतळावै छै । हूं थांसू जुदो वसीस। तरै नदीरै पैलै कांठे जाय आपरो गूढो कर रह्यो । तिणनूं ही लोग 'हुरडवाहण' कैहण लागा । तिका ठोड़ हमैंही 'हुरडवाहण' कहीजै
19.
1 इतनी। 2 इसके । 3 पतिकी । 4 मर गया। 5 अथवा । 6 कहीं। 7 मुझको। 8 तुम्हारा। 9 किसी भी प्रकार देवराजकों यहां लायो। 10 तुम्हारे पतिका विश्वास नहीं होता। II गुप्त । 12 हुरड़को गर्भ रहा । 13 पत्नी । 14 वचन । IS वहां ही। 16 एक बार । 17 कुप्पा । 18 संदेह दूर नहीं हुआ था (कुप्पेमें क्या वस्तु थी, इसका पता नहीं था) 19 उस कुप्पेमेंसे छन कर एक बूंद नीचे गिरी। 20 देखी । 21 तव इस कुप्पेको देवराजने लेकर अपने कब्जे में कर लिया। 22 दूसरे दिन मंडीमें आग लगा दी। 23 सभी। 24 हुरड़ का पति । 25 मैं तुम्हारेसे अलग रहूंगा। 26 परले किनारे। .
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___ मुंहता नैणसीरी ख्यात
[ २१ छ । तरै देवराज मनमें विचारियो-हं अठ रहं तो म्हारा माईतारो नांव जाय' । तरै उठाथी छाड़ नै मामा भुटादेरावर नजीक किणही ठोड़ रहता था तठे नजीक आय रह्यो, न मांमारी घणी चाकरी करी, नै माल तो देवराज कन्है उण रस कूपा कर घणोई छ । सासतो पांच दस कोस फिर आवै । सु एक ठोड़ गढ़नूं देखतो फिरै छै। सु · किणहीक देवराजनूं, 'जिण ठोड़ हमें देरावर छ, तिका ठोड़ वताई ।
कह्यो-"कोस ४०री सिंध दिसा. उजाड़ छै, कोस ६० तथा ८० माड" . दिसा उजाड़ छै, नै इण ठोड़ पांणी छै ।" तरै मामा भुटारी घणी
चाकरी करण मांडी । मांमो खुसी हुवो, कह्यो-“तूठो भाणेज ! क्यूं मांग" । म्हे म्हारा घर सारू दां ।” तरै इण देवराज कह्यो-"ब्रह्मवाचा, रुद्र वाचा, हूं दिन दोय मांही विचार नै मांगीस' ।" तठा पछै दिन दोयनें कह्यो-“एक आसरा जोगी ठोड फलांणी जायगा पाऊं।" तरै इण मांमै कह्यो-“भली वात ।" तरै उणरै परधान भाइयां-बंधवां मांमानूं समझायो, कह्यो-“ो किण घररो छोरू छै। अो अठै रह्यो थांनूं दुख देसी ।" तरै वळे नटियो । तरै देवराज कह्यो-“मैं कदै थां कनां धरती मांगी थी । थे थांरी उचितसूं मोनूं तसलीम कराई थी । हमैं तो म्हारो थारो ना कह्यो भलो न दीसै ।
हमैं पांच लोगै वात सुणी ।" तरै भुटै कह्यो-“म्हे थोड़ी धरती देस्यां।" .. तरै कह्यो-“जिका राज खुसी होय देस्यो तितरी म्हे माथें
चढाइ लेस्यां"।" मांमै लिखदी-एकण भैंसरा चाम मांहै आवै तितरी दीनी । पछै देवराज पटो मांथै चढ़ाय लियो । भुटै साथै आदमी दिया । तरै कह्यो-“राज! आदमियां हुकम करो, हूं भायसो
..
I मैं यदि यहां रहता हूँ तो मेरे माता-पिता का नाम चला जाता है । 2 नजदीक । 3 बहुत ही। 4 निरंतर । 5 जैसलमेर प्रान्त (पहले मड्ड जैसलमेरसे अलग-प्रदेश माना जाता था)। 6 भानजे ! तेरे पर मैं प्रसन्न हुवा। 7 कुछ मांगले। 8 हम अपने घरकी हैसियतके अनुसार तुमको देंगे। 9 मांगूंगा। 10 आश्रय योग्य एक स्थान अमुक जगह पर पाऊं। II पुत्र, औलाद ।। 12 तब फिर नट गया। 13 मैंने कब तुम्हारे पास धरती मांगी थी। 14 आपने अपनी इच्छासे मुझे अंगीकार करवाया था। 15 जितनी । 16 आप । 17 उतनी हम सिर चढ़ा कर लेंगे। 18 भैसका पाला (बिना कमाया हुअा कच्चा) पूरा
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चमड़ा।
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२२ ]
मुंहता नैणसीरी ख्यात भिजोय चीराइ नै वाध कढाईस, तिण हेठ आवसी तितरी लेईस । भुटै दीठो बुरी हुई, पिण कांसू करै। 'बोल बोलिया, धन पराया, तिका वात हुई। देवराज अठै आइ नै भायसो एक भिजोय नान्हो चीराय नै जटै पांणी हुतो तितरी धरती दोळो फेर आपणी कीवी । .. पछै घणो साथ राखियो । घणा घोड़ा लिया। गढ़ घातणरी रांग .
रोपाई । भीत हूंण लागी, सु उठ खेड़ा देवत, सु भींत दीहारी करै, तिसड़ी रातरी पाड़ नांखें', वाज आयो । पछै देवी ऊपर . लांघण' पांच दस किया । देवी प्रसन हुई, कह्यो-"तूठी, मांग।" तरै कह्यो-“गढ़ करण दीजै, गढ़री राज रिख्या करो"। तर .. देवीजी हुकम कियो-"एक थारी पाकी ईंट, एक मांहरै नांव काची .. ईंट, इण भांतरो गढ़ कराय, वज्रमई दुरंग अविचळ हुसी । वाहिरलो कोई ले नहीं सकै, मांहिलांरो दियो जासी14 ।" पछै इण भांत देवराव देरावर देवीरै हुकमसूं करायो। वडो दुरंग हुवो। कोहर15 ४ कोट मांहै, कोट भरत हुवो" । तळाव १ कोट मांहै, तळाव १ काचो पाको कोटरा पट्ठा हे? खाईरी ठोड छै। कोहर ४ कोट माहै सीगीवंद", पांणी मीठो। वडो कोट हुवो। सारी सिंधर फळसै1 । सारांरै ऊपर माडरो गढ़ हुवो । सारो राह मुलतांन. सिंधरो अठै वहै ! वाहिरला मिळनै तळावरो पाणी पीवै । जोरावरी को सांम्हो जाय न सके। देरावर नागजो कोट छै । लगाव को नहीं। निपट वडो अगजीत कोट । कोस १० तथा १५ उरै पांणी कट ही नहीं । कोट तयार हुवो, तरै देवराज घणा घोड़ा रजपूत उण
___ I लम्बी पट्टी । 2 लूंगा। 3 सैकड़ा चिरवा कर । 4 चारों ओर। 5 गढ़ बनानेकी नींव रखी। 6 दीवाल होने लगी। 7 स्थान देवता, क्षेत्रपाल । 8 दिनको। 9 उतनी ही रातका गिरा डाले । 10 हैरान हो गया । II लंधन। 12 रक्षा। 13 दुर्ग। 14 भीतर कानोंका दिया हुया जायेगा। 15 कुएँ । 16 कोट सर्वाग संपूर्ण हुआ। 17 पक्के बँधे हुए। 18 नमन्त सिंधके द्वार (सीमा) पर। 19 सब गढ़ोंके ऊपर मांड प्रदेशका यह गढ़ तयार हुग्रा। 20 मुलतान पीर सिंधके सभी मार्ग इधर होकरके चलते हैं। 21 देरावर नहीं टूटने वाला कोट है। (वि० एक प्रति में 'देरावर नागोजोगी कोट छ' लिखा है।) 22 नहीं जीता जाने वाला बहुत बड़ा कोट ।
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मुंहता नैणसी री ख्यात
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[ २३ रस-कूंपारो माल करने राखिया । तठा पर्छ वरिहाहांसूं दावो मांगणरी मनमें राखै, सु घणो साथ राखियो । घणा घोड़ा पायगाह किया । वडी राजवट जमतो गई । पाखर, जीन सालरो वडो सामान कियो नाळां श्राराबैगढ़ साभियो । सुवरिहाहां मारणनूं हजार दाव प्रपंच करें । सु. जिसड़ो' साथ करै, तिसड़ी जांण उठे पड़े' । सु वरिहाहां पिण चकिया रहै छै । तिसड़ समै ऊ रस- कूंपा वाळो जोगी देवरावरी सासू रवाय कनै आयो । कह्यो - "ऊ कूंपो लाव ।” तरै इको- "ऊ कंपो म्हे माळिया मांहै मेलियो थो", म्हारो जमाई मांहै सूतो थो, सु. एक दिन लाय लागी, सु कूंपो मांहै बळियो । " तर जोगी मनमें जाणियो, दीसँ छे, "उण मांहिली कोईक बूंद पड़ी छै, तिणसूं लोहरो सोनो हुवो छै । तिण भरम मिटावणनूं जांणीजै छै लाय लगाई छै नै कूंपो उण लियो छै" । " तरै जोगी रवायनूं कह्यो--"कूंपो बळै नहीं, पिण लायरो उपाय थारै जमाई कियो' 3, नैः कूंपो उण लियो छै ।" तरै कह्यो - "ऊ जमाई हमैं मांहरै हाथ नहीं 1 4 | - उण मांहरी धरती कितरीहेक तोत कर ली, " ने हमें म्हांनूं मारणं सासता साथ करै छै । नै प्रो देवराज उठाथी कोर्स ३० बैठो छ । नवो गढ़ करायो छै ।" तरै उण जोगी लोगांनूं पिण समाचार पूछिया । लोग पण हीज समाचार कह्या ” । तरै जोगी देरावर आयो । देवराज पैहलां हीज जांणियो - " प्रो कूंपा वाळो जोगी छै ।" तर निलाड़ पिण दीठी, मुंहडारो नूर अटकळियो " । देवराज आय सांम्हो पगै लागो । घणो जोगीरो प्रादर-भाव कियो । जोगी पिण
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1. तब देवराजने उस रस - कुप्पे के द्वारा ( लोहे से सोनेका) माल बना कर बहुत से घोड़े और राजपूत ( सैनिक ) रख लिये । 2 जिसके बाद वरिहाहोंसे प्रतिकार लेनेकी मनमें धारे हुए है । 3 हाथीकी भूल, हाथीका कवच -1 4 घोड़ेका कवच 15 बंदूकों और आराबोंसे गढ़को सजाया । 6 जैसा, जितना । 7 वैसी ही उधर जानकारी हो जाय । 8 सावधान । 9 वह । 10 रखा था । II सो एक दिन ग्राग लग गई । 12 मालूम होता है उस संदेहको मिटानेके लिये ग्राग लगा दी गई है और कुप्पा उसने ले लिया है । 13 ग्राग लगा देनेका प्रयत्न तुम्हारे दामाद ने किया । 14 वह दामाद अब हमारे वशमें नहीं। 15 धोखा करके ले ली । 16 भी । 17 लोगोंने भी ये ही समाचार कहे । 18 ललाट । 19 अनुमान किया, समझा ।
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२४ ]
मुंहता नैणसीरी ख्यात देवराजनूं देख प्रसन्न हुवो। देवराजरो दिन पिण वळियो सु सांमीरै मनमां भली हीज आई । दिन १ तो सांमी देवराजनूं वात पूछी ही नहीं । देवराज सेवा निपटही घणी करै, सु सांमी एक समै देवराजनूं एकलो देखनै कह्यो-“बाबा ! उण कूपारो कांसू विचार हुवो' ?" .. तरै देवराज कह्यो-"जिका वात हुई सु बाबाजीतूं मालम छ। मोनूं तो क्यूं राज सोंपियो न थो । नै जि• भलो छै, जिको रावळो प्रसाद छै ।” सु देवराजसू सांमी प्रसन्न हुयनै कह्यो-“वात हुई सु म्हे जांणी । हिमैं तूं नांव, सिक्को मांहरो माथै ऊपर राख ।" तरै देवराज कह्यो-“भली वात । म्हारै माथै भाग, जो राजरा हाथ माथै ऊपर हुसी । कतो हूं मोटो हुईस, नै मांहरी धरती गई छै सु वाळीस' । मांहरो दावो वरिहाहां माहै छ, सु वळसी। राजरी मैहरथा मांहरै सोह वात भली हुसी ।" तरै जोगी देवराजनूं कह्यो-“थारा बळ रो विरद वधो' ।" नै मेखळी, नाद दियो, पात्र दियो, नै कह्यो"श्रो थे पाट बैसो तद दीवाळी दसरावै धारिया करो।" । तरै जोगी वावै कयो सु यां कबूल कियो । तरै जोगी आपरी मेखळी, नाद, पात्र देवराजनूं दिया । तिका मेखळी देवराज गळे में घाती'; नाद गळा माहै घालियो;1 पात्र प्रागै मेलियो; नै जोगीरो सिक्को ... धारियो । तरै जोगी खुसी हुय दवा दीनी' ।-कह्यो-"थांहरी ठाकु- . राई दिन दिन वधसी, थांहरै पगसूं आ धरती कदै नहीं जाय, थांहरा दावा वळसी ।" सु जोगी तो दवा दे रमतो हुवौ नै देवराज वरि-. हाहां माथै मारंणनूं साथ भेळो कियो, सु हुरड़ रोजरो रोज14 वरिहाहांनूं खबर दे नवा-नवा रूप करि । तिण कर वरिहाहांनूं देवराज ..
I देवराजका दिन भी फिरा (सुदिन अाया)। 2 उस कुप्पेका क्या किया ? . 3 मुझे तो कोई आपने सौंपा नहीं था। 4 और जो कुछ अच्छा है वह अापकी कृपाका फल है। 5 अब तु हमारा नाम और सिक्का अपने मस्तक पर धारण कर । 6 वहुत अच्छी बात, मेरा नौभाग्य जो आपके हाथ मेरे सिर पर होंगे। 7 और मेरी धरती गई है उसको लौटाऊंगा। 8 अापकी कृपाले मेरी सब वातें भली होंगी। 9 तेरे बलकी कीत्ति बढ़ो। 10 पहिनी, डाल दी। II पहिन लिया। 12 तब योगीने प्रसन्न होकर आशिप दी। 13 तुम्हारे पांवोंसे यह धरती कभी नहीं जायेगी और तुम्हारे स्वत्व तुमको मिलेंगे। 14 प्रति दिन । . .
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मुंहता नैणसीरी ख्यात
[ २५ मार सके नहीं । सु एक दिन देवराज मांचै बैठो थो, सु हुरड़ मिनकीरो' रूप कर मांचा हेठासू नीसरी । देवराज अटकळी । तरै बरछी पड़ी थी सु ले नै मिनकीरै दीनी, सु अटै मिनकी मुंई, नै उठे हुरड़ मुंई । तठा पछै साथ करि देवराज वरिहाहां ऊपर गयो सु
आदमी ६००सूं वरिहाहांनूं मारियो । वरिहाहारो गांव लूटियो । सासू रवायरा लूगड़ा खोसांणा' । सु देवराज देखतां खोसांणा । सु देवराज खोसणवाळांनूं पालिया नहीं, नै सासू देवराजनूं मांटी छांनो राखियो थो,' घणा हीड़ा रवाय किया था । सु रवाय उण वखत दूहो कह्यो
"विरस भलो वरिहांह; मित न भल्लो भाटियो। जे गुण किया रवाह, ते सब कालर झल्लिया ॥" १
वात
- .... वरिहाहारो खांनो खणियो। घणो माल, वित, घणा घोड़ा, ऊंठ
सारो सामांन हाथ आयो । धरती सारी आपरो अमल कियो। विकं. पुर देरावर विच आ धरती चित्रांगलस प्रा अजेस'1 'वरिहाहो' .. कहीजै । सु आ धरती सारी हाथ आई। कितरीहेक माडरी धरती
देवराजरै रावळे उघरै छै"। तिण समै देवराज रतननूं चीतारियो ।
रतनरै बाप लांपर्ने सीहथळीती तेडायो14 । बात पूछी-"थांहरो बेटो .. रतन कठै ? जिको थे मो भेळो बैसाण जोमायो थो।" तरै लांप
कह्यो-"उणनूं तो तदहीज उणरै भायां पांत बाहिर काढ़ियो, सु जोगी
___I विल्ली। 2 निकली। 3 जान लिया। 4 मर गई। 5 सास रवायके वस्त्र खोसे गये। 6 देवराजने खोसने वालोंको रोका नहीं। 7 और सासने देवराजको अपने पतिसे छिपा कर रखा । 8 रवायने उसकी बहुत सेवा की थी। 9 वरिहाहा-क्षत्री शत्रु भी अच्छा, किन्तु
भाटी क्षत्री मित्र भी अच्छा नहीं। रवायने जो उपकार (देवराजके साथ) किये, वे सब . कल्लर भूमिमें वर्षा के समान हुए (निरर्थक हुए)। 10 वरिहाहोंका खोज उठा दिया । .II अभी तक। 12 कितनी . माड प्रदेशकी धरतीका राजस्व देवराज प्राप्त करता है। • I3 याद किया। 14 रत्नके वाप लांघको (सिंह-स्थली) सीहथलीसे बुलवाया। IS जिसको . तुमने मेरे शामिल बैठा कर भोजन करवाया था।
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२६ ]
मुंहता नैणसीरी ख्यात हुय सोरठ-गुजरातनूं गयो । तरै देवराज लापनूं कह्यो"-थे उठे जावो, ... म्हारा आदमी खरच दै साथै थांहरै मेलस्यां; दावै तठासूं ले
आवो; म्हारै माथै रतनरो घणो किरावर छै । म्हे रतनसूं घणो भलो करस्यां ।' पछ लांपर्ने देवराजरा आदमी सोरठसू रतननूं ले
आया। पछै देवराज रतननूं आपरो बारहटो दियो। माथै छत्र मंडायो । तिणरै पछै देथा चारणारी बेटी देवराज मांगनै रतन परणाई । तिण रतनरै पेटरा भाटियारै चारण रतनूं छै ।
तठा पछै एक वार रावळ देवराज धार ऊपर गयो,' तद आपरा भाणेजनूं देरावर सूप गयो हूंतो, सु एक वार तो भाणेज फिर बैठो हुतो । पछै देवराज गढ़नूं ढोवो कियो, तरै उण डरनै प्रोळ खोल दी। ... तरै देवराजरै मनमें वात आई। इण गढ़री ठोड़ सूरमी न छै । तदसं बीजी ठोड़ खाटणरी मन धारी11 । तिण दिन लुद्रव पवांरांरी वडी ठाकुराई छै । वीजी ही तिण ठोड़ घणी ठोड़ां पँवांरांरी ठाकुराई छै । सु देवराज लुद्रवो लेणरा दाव-धाव घड़े छै । तरै पैहली तो ... पँवांरांतूं मास ४ कागळवाई13 कीवी । काई अवीरी भली वस्तु व्है. सु मेलै । तिणां साथै आपरै घर माहै. रूड़ेरा आदमी मेलै । उणां आदमियांनूं कहै-"उठारो चास-बास देख आवो।" यूं .. करनै आवो-जाव कीवी । पछै मास ४ प्राडा घात नै लुद्वारा धणियां पँवारां कनै यादमी ४ आपरै घर माहै रूड़ा हुता सु मेलिया । उणां साथै सिंधरी तरफरो कपड़ो, घोड़ा मेलिया नै कागळ दिया। कहाव करायो'- "कहो तो खाडाळ माहै पांणीरो तळाव न छ, नै मांहरै तळाव ३ करावणा छै । थे कहो तो म्हे खाडाळ मांहै तळाव करावां,
I मेरे आदमियोंको खर्च देकर तुम्हारे साथ भेजूंगा। 2 चाहे जहांसे ले पायो । 3 मेरे ऊपर रत्नका बहुत उपकार है। 4 रत्नके साथ बहुत भला व्यवहार करूंगा। 5 बारहटका पद । 6 उस रत्नके वंशज भाटियोंके रतन चारण कहलाते हैं। 7 धार ऊपर चढ़ करके गया। 8 सो एक बार तो भानजा वदल गया था। 9 पीछे देवराजने गढ़ पर . घावा किया । 10 इस गढ़की भूमि शूरवीर (वीरभूमि) नहीं है। II जवले दूसरी जगह प्राप्त करनेका विचार किया। 12 घाव करनेके प्रयत्न (दाव-पेच) सोच रहा है। 13 पत्रव्यवहार। 14 कोई अनोखी अच्छी वस्तु हो तो वहां भेजे। IS उसके साथ अपने घरके चपुर मनुष्योंको भी भेजे । 16 वहांके रंग-ढंग (भेद) देख कर पात्रो। 17 कहलवाया।
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· · मुंहता नैणसीरी ख्यात
[ २७ नांव माहरो हुसी नै तळाव काम थांहरी रैतरै थाहरा रजपूतारै
आवसी' । तरै एक वार तो पँवार नटिया, पछै देवराजरा परधान मास खंड उठे रहिनै पाखा देवळी सारी भरमारी । आपरै हाथ पईसारै पांण सोह वस करने जैसळमेरसूं कोस.... 'काळो डूंगर खाडाळरै मध्य भाग छ, तठै तळाव ३रो दुवो कढ़ायो,' नै परधान देवराज कनै अायो। सु देवराज गाढो राजी हुवो । तळाव ३ मंडाया
१ तणुंसर । १ विजैरावसर।
१ देवरावसर । झै तीन तळाव मंडाया । तिणां करणनूं पैहला तो आपरो कामदार मुसालो मेलियो । पछै तळावर बांहनै उठे वस्ती कीवी । उठै सादीसी आपरै रहणनूं हवेली वणाई । पछै आप पिण आया करै । जिको पंवारांरो आदमी पावै तिण आगै पंवारांरी घणी वडाई करै। झै वडा ठाकुर छै । तळावां मांहै मांहरो' कासू10 छै । जिणांरी11 धरती छै तिणांरो धरम छै । जिको आवै तिणनूं पईसा दे राजी करै । मुसालानूं सासता आदमी लुद्रवै आवै । तिणां साथै परधांनां, कांमदारां, खवास, पासवांनां, छड़ीदारां सारांनूं भली-भली वस्त मेलै । सारी साहिबी हाथ कीवी । कोई यूं रोकणहार नहीं रह्यो, जु-"ओ देवराज मास-मास दोय-दोय मास अठै रहै छै सु भलो नहीं।" यं करतां तळाव तो पूरा हंणरी तयारी हुई, तटै पंवारां ठाकुरांसूं कहाव कियो 3-"मोनूं रावळी बेटी दो, मोनूं राजपूत करो।"
___ I नाम तो मेरा होगा ही किन्तु ये तालाव तुम्हारी प्रजा और राजपूतोंके लिये काम
आयेंगे। 2 पीछे देवराजके प्रधान मनुष्योंने मास-दिन वहां रह करके सभी कर्मचारियोंको -
बहुत धन देकर अपने वशमें कर लिया। 3 वहां तीन तालाव करवा देनेकी आज्ञा प्राप्त की।
बहुत धन .4 ये तीन तालाब करवाने शुरू किये। 5 उनको बनकानेके लिये पहले तो अपने कामदारको
और पत्थर-चूना आदि मसाला भेजा। 6 पीछे तालावोंके मिस वहां पर कुछ वस्ती भी ... बसाई। 7 और एक सादी हवेली भी अपने रहने के लिये वहां बनवा ली। 8 प्रशंसा ।
9 हमारा । TO क्या । II जिनकी। 12 उनका। 13 कहलवाया। 14 मुझको अपनी . कन्या दें और मुझको राजपूत बनायें (मुझे भी योग्य राजपूतोंमें समझ कर अपनी कन्याका . विवाह मेरे साथ करें)।
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२८ ]
मुंहता नैणसीरी ख्यात तरै पंवारै कह्यो-“म्हे देवराजसू डरां ।” तर अादमी फिर पाछा .
आया । मास २ वीच पाड़िया । राजलोगनूं, रांणीनूं भली-भली वस्त मेलनै आपरै हाथ किया' । मास २ पछै रांगी साथै कहाव करायो । तरै राजा कह्यो-“यो खोटो आदमी छ, कोहेक दगो दै ।" तरै कह्यो"किसो अठै दगो देसी ? उणरा आदमियांनूं सूधो कहिस्यां, सो.. १०० आदमियांसू आवो । इधक आदमियांसू आवगा न दां।" तरै श्रा वात थापी । तरै देवराज कह्यो-" भली वात ।'' पिण आदमी पाछा मेलिया, कहाड़ियो-"म्हारै माथै वैर छै, हूं फलांणां' दिनरै साहा ऊपर आईस । घणो जताव राज किरणहीसूं मत करो । नै लुद्रवारी बारै प्रोळ छै, सु म्हे अवेरा-सवेरा किणही प्रोळि अावस्यां । सारी प्रोळिरा प्रोळियांनी हुकम कर राखो, म्हे जिण प्रोळि अावां, म्हां उण प्रोळि मांह असवार १०० एक वींदावण देज्यो।" इसड़ो दूवो कढायो,' नै आया सु प्रोळियां सारांनं पईसांसू पैहली भर . मारिया था । सारांनूं राजी कर राखिया था। पछै साहारै दिन बारैसो १२०० असवार जीनसाळिया करि ऊपर ढीला वागा पैहर केसरिया करने वारे वींदारै माथै मोड़ बांधनै बारै जांन15 करने एकण समचे बारां ही प्रोळि मांही पैठा। मांहै जाय पंवारांनूं कूटमार देवराज लुद्रवो लियो। आपरी प्रांण-दोण फेरी18 | वडी .. साहिबी जमी । पछ कितरेके दिनैं देवराज अरोड़रै तुरके सिकार रमतानूं मारियो ।
___ I अपने वश किये। 2 यहां कौनसा दगा देगा। 3 उसके आदमियोंको स्पष्ट कह देंगे। 4 अधिक । 5 तब यह वात निश्चित हुई। 6 हमारे ऊपर शत्रुता रखने वाले हैं। 7 अमुक । 8 आप किसीको इस संबंधकी अधिक जानकारी नहीं होने दें। 9 मो हम बेरअबेर किसी समय किसी भी पोल से आयेंगे। 10 पोलके पहरेदार। II दूल्हा। 12 ऐसा हुक्म निकलवाया । 13 सबको पैसे देकर अपने वशमें कर लिये थे। 14 कवचधारी घुड़मवार | 15 वरात । 16 एक ही संकेतसे, एक ही साथ । 17 प्रवेश किया। 18 अपनी ... अान-दुहाई प्रवर्त की। 19 फिर कितनेक दिनोंके बाद अरोड़के मुसलमानोंने देवराजको शिकार खेलते हुएको मार डाला।
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____ मुंहता नैणसीरी ख्यात
[ २६
वात
तिण समै धार पंवार धणी छै। पंवारांरै एक मुंहतो' वडो आदमी छै । परधान वडो आदमी नांवजाद छै । तिणरै माथै केहेक रुपिया हुवा, नै हाथो सोएक माथै हुवा । सु पईसा तो ज्यूं त्यूं कर भरिया, नै हाथी कठेही जुड़े नहीं । सु उण परधानरो कबीलो सारो अटक माहै', तिको बिना हाथी दियां छूट नहीं । सु मुंहतो घणी ही राईतनां फिरियो, पिण हाथी कठेही जुड़े नहीं । हाथी मांगियां कुण दै ? सु तिण दिन रावळ देवराज वडो दातार, वडो जूंझार, वडो नांवजाद । सु धाररा धणियांरो मुंहतो रावळ देवराज कनै आयो । सु प्रो मुंहतोई नांवजाद थो, सु देवराजरा हुजदारांसू' मिळियो, उणां घरै उतारियो । घणो आदर-भाव कियो, वात पूछी, कह्यो-"क्यूं
आया छो ?' तरै प्रापरी वात मांड कही । नै देवराजरा हुजदार
पिण वडा माणस हुता, तिण भलो समो' जोयनै धाररा मुंहता, . रावळसू मिळायो । वात एकंत मिळ सको कीवी11 । आगला राजा
सती हुता । अचड़ां बोल उबारणरी घणी वात मन मां राखता13। तरै देवराज कामदारांनूं कह्यो-"प्रो वडो मुंहतो वडै दरबाररो पर. धांन इतरा4 राईतन छोड़नै मोनूं जांणनै इतरी भूय प्रायो, तौ इणरो जरूर अरथ सारणो” ।" तरै हाथी सौ दिया । मुंहतानूं घोड़ो सिरपाव दै सीख दी18 । हाथियांरै बांट-खरचरा दाम लेखो कर दिया19 | महावत भोई साथै दिया। कह्यो-"धार जायनै पोहचाय
1 महता, कामदार, प्रधानामात्य । 2 अपने नामसे पहचाना जाने वाला। 3 जिसके ऊपर कई रुपयोंका और एकसौ हाथियोंका कर्जा हो गया। 4 और हाथी कहीं भी मिले नहीं। 5 सो इस कारण उस प्रधानका सारा परिवार भी जेलमें। 6 सो वह प्रधान कई रजवाड़ोंमें फिरा (राईतन=राजा)। 7 प्रमुख कर्मचारियोंसे। 8 उन्होंने उसे अपने घरमें ठहराया। 9 तब अपनी अथसे इति तक कही । 10 मौका। II एकान्तमें मिल कर सब बात कही। 12 पहलेके राजा दानी थे (सती=दानी, सत्यवादी)। 13 श्रेष्ठ पुरुषोंकी
वात (प्रतिज्ञा) निवाहनेकी मनमें बहुत उत्सुकता रखते थे। 14 इतने । I5 रजवाड़े, .. राज्य, राजाओंको। 16 दूर । 17.तो इसका काम जरूर पार लगाना। 18 प्रधानको
घोड़ा और सिरोपाव देकर रवाना किया। 19 हाथियोंके जैसलमेरसे धार पहुँचने तकके ....... - मार्ग में लगने वाले दिनोंकी खुराक खर्चका हिसाव करके उतनी रकम भी दी।
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३० ]
मुंहता नैणसीरी ख्यात आवो।" पछ कितरेहेक दिन मुंहतो हाथी ले धार आयो। हाथियांनूं भली-भांत सांतरा करनै धाररा धरणीरी नजर गुदराया। तरै धाररा धणी इचरज हुवो, नै पूछियो " हाथी किण दिया ?" तरै कह्यो"रावळ देवराज भाटी दिया ।" तरै आप मनमें ऊणो गयो । जु"हूं इसड़ा घरा छोरुवांनूं घर-घर भीख मंगाड़ी' नै देवराज . उपगाररै वास्तै सौ, सौ हाथी दै।” मनमा तो आ वात जांणी, नै मुंहडा ऊपर कहण लागो -"भाटियारै हाथी भूखां मरता हुता, आंखियां अदोठ किया । इणरै माथै चढ़ाया ।" पछै मुंहतरा माणस छूटा । ने माहवतां, भोयानूं मुंहत मारग खरच देने सीख दी। वे पाछा देवराज कनै देरावर जाय मुजरो कियो। मुंहतारा कागळ गुदराया । तरै रावळ वात पूछी जु-"धाररै धणी अँ हाथी देखनै कांसू कह्यो ?" तरै किणीहेक' कह्यो-"पंवार कहण लागो, भाटियारै हाथी भूखां मरता हुता, अांखे अदीठ किया।" तरै प्रा बात रावळ देवराज सुणने घणो बुरो मानियो। तरै आदमी दोय माणम' घररा चाड़ने मेलिया। कहाड़ियो' -"म्हें भूखा मांहरा .. हाथी यांखियां अदीठ किया था सु उरा दीज15 1 नहीं दो तो म्हां नै श्रां बुराई होसी । वे रावळरा आदमी धार गया। पंवारसूं जाय मिलिया । रावळ कहाड़ियो थो सु कह्यो। वात हँसीरी विख-सी. हुई । “देवराज नांमसाद इसड़ो जु सको जांग मुंहडा वार काढी छ तो करसी । पिण क्यूं सौ, सौ हाथी वातां साट दिया जाय नहीं।'
हाथियों को अच्छी तरह सजा कर धारके स्वामीको पेश किये। 2 आश्चर्य । गेहाथी किसने दिये? नव साप मनमें लजित हुया (जसो-छोटा, कम)। मैंने को प्रतिदिन परयः गाउनको घर-घर भीख मांगने के लिए विवश किया (छोरू=पुत्र, निजी। 6 और प्रगटम कहने लगा 17 भाटियोंके यहां हाथी भूखे मरते थे, अांखोंने दूर जिस आर पहनान चढ़ा दिया। पीछे प्रधानके कुटिम्बीजन मुक्त हुए।
मानजी पर देवयजने काम दिले थे. पेन किये। 11 धारके स्वामीने इन हाथियोंको नाम क्या कहा। 12 कि.मी गाने 15 अच्छे प्रादमी। 14 कहलवाया। IS हम भूखे
सिने अपने साथियोंको आंखों में प्रदीट किये लेकिन वनावित हैं। मोदी हमारे और नम्हारे बीच में लदाई हो जायेगी। 15 नीकी वातमें विप मैदानमा टेवगाज जातिप्राप्त है नो नव जानते हैं। 19 जो बात
पर गार बनाया। 27 परंतु नी, नी हावी बातों के बल पर
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मुंहता नैणसीरी ख्यात
[ ३१ मांहोमांहै परधांनां नै पंवारांरै बोलाचाली हुई । नै परधान पाछा आया । हाथी पंवारां न दिया । तठा पछै रावळ देवराज धार ऊपर कटक कियो, सु पंवारांरा वावसूता त्यां रावळ चढ़ियांरी खबर दी । तरै पंवार सांमां मेड़तै आया, हाथी लाया और डंड दे मन मनायो देवराजरो।
रावळ मुंध देवराजरै पाट हुवो । . रावळ मुंधरा बेटा१ रावळ वछु । १ जगसी।
वात भाटियारी
भाटियां मांहै एक साख* मंगरिया छै। पैहली तो सुणियो थो, अ मंगळरावरा पोतरा छ । पछ गोकळ रतनूं कह्यो-"ौ विजैराव लांजो रावळ दुसाझरो तिणरी औलादरा छै । पैहली हिंदू था, हमैं
तो किणही सबब मुसलमान हुवा छै । तिकै जैसळमेरथा' कोस २५ . आथवणनूं मंगळीका-थळ छै, तठे रहै छै। वा ठोड़ मंगळीका-थळ कहावै छै । तद्रम छै । सु भोमियो होय सु डांडी आवै। असैंधो डांडी टळे सु घोड़ो असवार गरक हुजाय । अभूमियो डांडीसौं टळे सु मरै । इणांरो ऊमरकोट खाडाहळवें सीव-कांकड़13 एकणकांनी चीन्हातूं सींव । सिंधरै सावड़ातूं सींव, भाखररा गांव हींगोळजांतूं सीव । एकण कांनी मैहरसूं सीव । खाटहड़ा खारी सौं, मैहर तुरक थळ माहै रहै. छ, सु जैसळमेररा चाकर । गांव सांखली, खुहियो,
..
-
. I भाटियोंके प्रधानोंमें और पंवारोंके परस्पर कहा-सुनी हो गई। 2 चढ़ाई की। 3 पंवारोंके जो जासूस थे उन्होंने रावलकी चढ़ाईकी खबर पहुँचाई। 4 वंशशाखा । 5 पौत्र । .6 अव । 7 से। 8 पश्चिम दिशाकी ओर। 9 वहां एक ऐसा मरुस्थल है। (द्रसप्रचंड वायुवेग-आंधियोंके कारण निरंतर बदलते रहने वाले टीवोंका मरु-प्रदेश । 10 जानकार हो सो तो पगडंडी चला आवे। II अपरिचित यदि पगडंडीसे टल जाय तो घोड़ा और सवार दोनों उसमें धंस जाते हैं। 12 अनजानसे यदि पगडंडी छूट जाय तो वह मर जाता है। 13 सीमा-सरहद । J4 एक ओर ।
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३२ ]
मुंहता नैणसीरी म्यात लाखारो-घट अ जागीर छै, थटैरा पातसाही चाकर' । तेरे माणस २०००री जोड़ । उण मंगरियांरा ३ धड़ा छै-१ चांवडदे, १ वीरमदे, १ ढेढिया । इणांरै मुदै गांव वीरमो छै। वीजार" साहळवो छ । तीजारै गांव झड़वो-सुरड़ियो छ । गांव चाळीस वसै छै। सूनी धरती घणीही छै । पांणी पुरसै १४, कठेही पुरसै ३०, कटही ६० . साठे' । चांडीसो महादेव उठे छै । तठं मकर-संक्रांत लागें तद दिन आठ पांणी वैहत १ हेढ़ नीसरै" ।
रावळ वछु मुंधरै पाट बैठो । रावळ दुसाझ वछुरो। रावळ दुसाझरा बेटा
१ रावळ जेसळ । १ रावळ विजैराव लांजो ।
१ देसळ, जिणरा अभोहरिया भाटी10 ।
राहड़ अांक ४०, रावळ विजैरावरो वेटो । तिण राहड़ारे इतरी . ठोड़ जैसळमेररै देस
गांव ३ खाडाळ मांही । भोपत राहड़ोतरा पोतरा।
२ वाराहा, नहवरथा कोस १० तठै धड़ा २, १ पुनराजरो, १ साजनांरो। १ देवरासर तळाव मांथै गांव २० बसे। कोहर नहवरथा कोस ५ छै । १ नीलपो। १ समदड़ो। १ काका। १ देवरी- . सररी वावड़ी । १ वीखरण माह वावडो १४०१ वणी' । १ राहड़धोधो रांणा राहड़ोतरा पोतरा, गांव माळोगड़ो । ऊमरकोटरै काठ12 जैसळ मेरथा कोस १५: तठे घर ५० तथा ६० । तिण नजीक गांव
I सांखली, खुहियो और लाखारो-घट ये तीन गांव जागीरीके हैं जो (जागीरदार) थट्टेके वादशाहके चाकर हैं। 2 इनके पास दो हजार मनुष्योंकी (सुभटोंकी) जोड़ है। 3 उन मंगलियोंके चावड़दे, वीरमदे और ढेढिया ये तीन धड़े (विभाग) हैं। 4 वीरमो इनका खास गांव है। 5 दूसरोंका, दूसरे धड़े वालोंका। 6 तीसरे धड़े वालोंका। 7 कहीं-कहीं ६० पुरुप नक गहरा। 8 वहां चंडीश्वर महादेवका (मन्दिर) है। 9 जव मकर-संक्रांति लगती है तब वहां (उस निर्जल भूमिमें) आठ दिन तक सिर्फ एक बालिस्त नीचे ही पानी निकलता रहता है। 10 देसल, जिसके वंशज अभोहरिया भाटी हैं। II वीखरणमें एक वावड़ी सं० १४०१में बनी हुई है । 12 किनारे (सीमा) पर। 1 3 से। .
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__ मुंहता नैणसीरी ख्यात :: : १ हट-हटांरो। १ सीहडांणो । १ करंडो सत्तारो। १ पोछीणो । .. १वीकानेरर देय पीलाप, भरेसर नजीक । माङ राठीवाळी त? वास' ४ राहड़ वैरसळ जसारो वसै छै ।
रावळ विजैराव लांजो, रावळ दुसाझरो बेटो । वडो माणस ठाकुर हुवो । सिद्धराब जैसिंघदेरै पाटण परणियो हुतो । उठे सिद्धरावरै कपूर-वासिया पांणीरो क्यूं चरचा हुई । तरै रावळ विजैराव पाटण माद कपूर थो सु सारो मोल लेनै सहसलिंग तळाव माहै नाखियो । सारै सहर कपूर-वासियो पांणी पियो । तठाथी रावळ विजैराव ‘लांजो' कहांणो ।
रावळ विजैरावरा बेटा
१ भोजदे रावळ । १ राहड़ । १ देहुल । १ मांगरिया । इतरी साख लंजै विजैरावरा पोतरा -
१ पाहु वापैरावरो । बापोराव विजैरावरो' ।
१ साख 'गाहिड़' भाटियां मांहै तिकै रावळ विजैराव पोतरा । जोधपुररै देस वरणाड़ कदीम गाहिड़ारो गांव । वीकानेररै देस गाहिड़वाळो गांव, बीकानेरथा कोस ३ छ । . रावळ भोजदे विजैराव लांजारो बेटो लुद्रवे धणी हुवो । निपट वडो रजपूत हुवो । कहै छै वरसां १५ तथा १६री ऊमर माहै पचास वेढ़ जीतो हुती ।
वात गजनो पातसाहरी छै
I राठी वालोंका माड गाँव जिसमें चार अलग-अलग बस्तियां हैं। 2 राहड़ गाँवमें . जसाका पुत्र वैरसल रहता है। 3 बड़े व्यक्तित्व वाला ठाकुर हुआ। 4 विजयराव लंजा
जिसका विवाह पाटणके सिद्धराव जयसिंहदेवके यहाँ हुआ था। 5 वहां सिद्धरावके यहां
कर्पूर-वासित पानीकी कुछ चर्चा चली। 6,7 तब रावल विजयरावने पाटणमें जितना कपूर ___ था सो सब खरीद करके सहस्रलिंग तालाबमें डलवा दिया। 8 सारे शहरने कपूर-वासित
पानी पीया । तबसे रावल विजयराव 'लंजा' कहा जाने लगा ।। (लंजा = बहुत शौकीन ।
खूब रंगीला) 9 लंजा विजयरावके पोतोंसे इतनी शाखायें प्रचलित हुई। 10 विजयरावका ... पुत्र राव बापा और राव बापाका पुत्र पाहु, जिससे पाहु शाखा चली। II कहा जाता है
- कि रावल भोजदेवने १५-१६ वर्षकी आयुमें ५० लड़ाइयां जीती थीं।
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३४ ]
मुंहता नैणसीरी ख्यात तिण समै विजैराव लांजो आबूरा पंवारांरै परणियो, तरै सासू निलाड़ दही दियो तरै कह्यो'___ "बेटा ! उत्तर दिसि भड़-किंवाड़ हुए।" सु रावळ विजैराव तो काळ-प्राप्त हुवो छ । तिण समै गजनीरो पातसाह अावू ऊपर अजांगजकरो' जाय छै । रावळ भोजदेनूं कहाड़ियो, प्रागै प्रादमी मेल - .. "म्हे पँवारां ऊपर आबू जावां छां, तूं आगै खबर मत देई । म्हे थारो विगाड़ क्यूं नहीं करां ; तू थारा लुद्र वा माहै बैठो रहै ।" सु तिण दिनां जेसळ दुसाझरो ग्रासियो हुय बारै नीसरियो छ । पातसाहनूं कहै छै-"पँवार इणांरै मांमा छ, यो खबर विगर दियां रहसी नहीं।" नै भोजदे पातसाहतूं वात की छै, "म्हे कटकरी खवर बाबू नहीं दियां ।"
आ वात भोजदेरी मा सुणी, तरै भोजदे कनै आइ कहण लागी,-"थारै वापरी निलाड़ म्हारी मा दही दियो तरै कह्यो थो–“बेटा जमाई ! उत्तर-दिस भड़-किंवाड़ हुए। तरै थारै बाप वात कवूल की थी। तिको वोल थारा वापरो जाय छै । पाखर एक दिन जायो पूत मरेबो छ ।' तरै रावळ भोजदे नगारो दियो । पातसाह लुद्रवाथी कोस १ मेढ़ीरो माळ छ, तटै उतरियो थो सु पातसाह ही नगारो सुणियो । प्रागै जेसळ लगावतो हुतोईज12 । पातसाह चढ़ लूद्रवा ऊपर आयो। रावळ भोजदे बाज काम आणे ' । पातसाह सारो सहर लूटियो । रावळरो घर-भार-भरत जेसळ दियो । जेसळमेर माथै टीको काढ रावळाई दो । पातसाह फिर पाछो गयो । भोजदे बाळक थको काम प्रायो। बेटो नहीं16 ।
_I तोरन-द्वार पर जब सासने विजयरावकी ललाट पर दहीका तिलक निकाला था, तव कहा था। 2 बेटा ! तू उत्तर दिशाका रक्षक होना। 3 रावल विजयराव तो मृत्युको प्राप्त हो गया। 4 अचानक । 5 आगे अादमी भेज कर रावल भोजदेवको कहलवाया । 6 तेरे । उन दिनोंमें दुसाझका पुत्र जेसल ग्रासिया होकर बाहर निकल गया है। 8 हम तुम्हारे कटक लेकर आनेकी खवर आबू नहीं देंगे। 9 आखिर एक दिन जिस पुत्रने जन्म लिया है वह तो मरने वाला है ही। 10 तव रावल भोजदेवने युद्धका नगाड़ा बजवाया। II लुद्रवासे एक कोश पर 'मेढीरो माळ' नामक स्थान पर बादशाह ठहरा हुया था, वहां उसने नगाड़ा सुना। 12 इधर जेसल भोजदेवके विरुद्ध उसे भड़का ही रहा था। 13 रावल भोजदेव लड़ कर काम प्राया। 14 रावल भोजदेवके घरका सभी सामान, मालमत्ता जेसलको दिया। .. 15 जेसलके तिलक निकाल कर जैसलमेरका रावल पद दिया। 16 इसके वेटा नहीं : .
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[ ३५
वात
रावळ जेसळ दुसाझरो बेटो, तिणनूं गजनीरै पातसाह रावळ भोजदेनै मारनै लुद्रवो दियो, सु जेसळ मन मांहै जांण जु “श्रा ठोड़ पाधर' माहै नै मांहरै माथै हजार दुसमण छै, सु कठै कै म्है वांकी ठोड़ देखनै गढ बीजो करावां ।” तरै गढरी ठोड़ देखतो फिरै छै । पछै जेसळमेरथा कोस... प्राथवण सोहागरा भाखर छ, तठे गढ मंडायो, सु बांभण ईसो वरस १४०रो हुवो थो" ; उणरा बेटा रावळ जेसळरी चाकरी करता था सु गढनूं कबाड़ो जाय, सु गाडा नीसरै, तिणरो सोर-हाबो हूंण लागो' । तरै ईसो बेटांनूं पूछियो-“ो सोर कासू हुवै छै ।" तरै ईसारै बेटां कह्यो-"रावळ जेसळ लुद्रवासूं राजी नहीं, सु सोहांणरै भाखर गढ करावै छै, भुरज दोय हुवा छै ।" तरै ईसै बेटांनूं कह्यो-“रावळ जेसळ थे मो तांई तेड़ आवो' । म्हे गढनूं ठोड़ जांणां छां, तिका बतावसां।" पछै ईसारा बेटा जाय नै रावळ जेसळनं तेड़ लाया । तरै ईसै जेसळनं पूछियो-“थे कठै गढ मंडावो छो ?" तरै जेसळ सोहांणरी ठोड़ वताई । तरै ईसै कह्यो-"अठै गढ मत करावो, नै म्हारो नांव राखो जु गढरी ठोड़ हूं वताऊं । मैं पुरातन वात सुणी छै; नै एक वात मैं सुणी छै ।” ईसै वात कही सु कबूल कीवी जेसळ । तरै ईसै वात कही-“एक तो वात मैं यूं सुणी छै–''एकण समै श्री कृष्णदेव अठ किणही काम नीसर आया । अठै म्हारी डोळी छ, कपूरदेसररी पाळ हेटै, तटै आया' । अरजुनजी साथै छै । तद भगवांन अरजनजीनं कह्यो-"इण ठोड़ वांस मांहरी अठै राजधांनी हुसी'2 तठै जेसळमेर गढ मांडियो छैन । अठै तिण माहै जेसळु मुदायत वडो
I मैदान । 2 दूसरा। 3 पश्चिम दिशाकी ओर। 4 पहाड़। 5 ईसा नामका एक ब्राह्मण जो १४० वर्षकी आयुका हो गया था। 6 मकान आदि बनानेका सामान । 7 जिसका शोर-गुल होने लगा। 8 यह शोर क्यों हो रहा है। 9 रावल जेसलको तुम मेरे पास बुला लाओ। 10 एक समय । II यहां कपूरदेसर तालाबकी पालके नीचे मेरी डोलीकी जमीन है, वहां आये । (डोहली, डोळी-दानमें दी हुई भूमि)! 12 यहां हमारे पीछे (हमारे वंशजोंकी) इस स्थान पर राजधानी होगी। 13 जहां जैसलमेरका गढ बना है।
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३६ ]
___ मुंहता नैणसीरी ख्यात कोहर छै । त, अरजुननें कह्यो “अटै वडो पांणीरो कुंड तळसीर छ ।
ओ वचन छै ।" नै ईसे कह्यो-"उठे म्हारी डोहळी, कपूरदेसरी पाळ हेठे, तिण कपूरदेसर माह सिला १ लंबी फलांणी ठोड़ छै, सु थे उठ जाय, वा सिला उथळ देखो, उण बांस लिखियो छै सु करीजो' । उठै वडो गढ हुसी । लंकारै आकार तिखूगो करज्यो । थांहरै घणी पीढी रहसी। वडो अगजीत दुरंग हुसी ।" पछ जेसळ कारीगरां सारांनूं ले ॐ प्रायो। सिला वताई थी सु उलट दीठी । उण हे लिखत नीसरियो - दूहो- "लुद्रवा हूंती ऊगमण, पांचै कोसै मांम ।
ऊपाड़े प्रो मंडज्यो, तिण रह अम्मर नाम ॥१ .
वात
-
वा
वांभण ईसारै कहै रावळ जेसळ कपूरदेसररी पाळ कनै रडीसी थी उण कुंडरा पांणो ऊपर संमत १२१२रा सांवण वद १२ अादीतवार मूळ नखत्र रावळ जेसळ जेसळमेररी रांग'' मंडाई । थोड़ो-सो कोट, आथवण दिसली प्रोळ तयार हुई । वरस ५ पछ रावळ जेसळ काळ कियो । पाट रावळ सालवाहन जेसळरो बैठो। अांक २।
रावळ सालवाहन जेसळरो । जेसळ पछै जेसलमेर पाट वैठो। सालवाहण निपट वडो ठाकुर हुवो । जेसळमेररो गढ जेसळ मंडायो थो पण गढ, मोहल, प्रोळ कोहर सारो काम सालवाहण करायो । जेसळमेर. सालबाहण वडो करमप्रसाद धणी हुवो । घणी धरती नवी
___[ और उसमें जेसलू नामका मुख्य और बड़ा कूप है। 2 तल-स्रोत वाला। जिसमें तल-स्रोतका अपार पानी हो । 3 दान में दी हुई भूमि । 4 अमुक । 5 उसके पीछे जो लिखा हुया है उसके अनुसार करना। 6 लंकाके त्रिकोण गड़के आकारमें बनवाना। 7 किसीसे . नहीं जीता जाने वाला वह दुर्ग होगा। 8 जिसको स्थल करके देखा। 9 उसके नीचे यह लिखा हुआ निकला। 10 लुद्रवासे पांच कोस पूर्व दिशामें जो स्थान है उसके पास यह गढ़ बनवाना, जिससे नाम अमर हो जायगा। II पथरीली ऊंची भूमि । 12 नींव । 13 पश्चिम दिशा वाली। ' 14 जैसलमेरका गढ जेसलने बनवाना शुरू किया था किन्तुगढ़, महल, पोल ... और कुएं प्रादि दूसरा सारा काम शालिवाहनने बनवाया था। IS भाग्यशाली।।
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मुंहता नैणसीरी ख्यात
[ ३७ खाटी' । वरस २२ राज कियो। पछै काळ कियो । तरै सालवाहनरो बेटो वैजल एकरसूं पाट बैठो । वैजलमें लखण क्यूंही नहीं। मात्रईथा चूको । तरै वैजल भाटियां मारि परो काढियो ।
कवित्त भाटी सालवाहणरा "सहस बीस हण सुवग सद्द ढोलां सम चलत, तिण ऊपर भड़-अभंग' लीण मतवाळा लोडत । दस सहँस पायदळ' फरद पायक्क फरीधर, बीस खट्ट वाजंत्र रोळ खळ हण रिण पाखर । खट तीस वंस दरगह खड़ी दीपै जे दीवांण गहि, जादव नरंद जै जै जपत सकळ कमळ सालवाहण लहि ।।१ दुअति दुअति ताय दीपत नमत अनमति' ताय नांमत 9, कहत कहत न न करत कर्म जाय करत सुन करत । रचे दुरंगव रूप आप पित नाम अचंचळ, बारंगना चंद करत जगत धिन संभ्रम जेसळ11 । सेहरो चंद सूरह समै राहै न सकै तूझ रहि, जादव नरंद जै जै जपत सकळ कमळ सालवाहण लहि ॥२ संहँस एक श्रृंगार काम हांमा के करि अति, बिहु थांनै त्रिय रभह सुसुर वाजिन वाज जिति । अद्वेसर मद लहै कोड़ आखाड़ा कीजत, . लीला अंग सुलंक'' रंग त्यै रावळ रीझत । अनभाख साख अन अन अवर अमल मलै दाझै असह, जादवै नरंद जै जै जपत सकळ कमळ सालवाहणह ॥३ कंकण दांमण सघण काछ पंचाळ निरंतर,
I प्राप्त की। 2 मर गया। 3 तब शालिवाहनका बेटा वैजल एक वार पाट बैठ गया। 3 वैजलमें समझदारी कुछ भी नहीं। 4 किसी मातृ-समान पूज्यासे अनुचित सम्बन्ध हो गया। 5 तब भाटियोंने वैजलको ठोक-पीट कर निकाल दिया। 6 शब्द । 7 अजीत सुभट । 8 पैदल । 9 नहीं झुकने वालोंको, अनम्रोंको। 10 झुका दिया। II जेसलका पुत्र । 12 सुन्दर कटि वाली।
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३८ ]
मुंहता नैणसीरी ख्यात सेतबंध रांमेस लगो नव दीपां सायर' । झाड़खंड मेवाड़ खंड गुज्जर वैरागर, बागड़ महियड़ सहित खेड़ पावट पारक्कर । मुरधरा खंड अाबू मंडळ सहित पाल ईढहि सवै, सालवाहग जो एती सुपह भोम भेयटी भोगवै ॥४ सांसण कोड़ सवाय उभै हसती सो हैमर, दस्स सहँस दारक्क' सहँस दस भैंसा सद्धर । सहँस गाय सुवाय सहँस दस गाडर' छाळी", मांणो एक मोतियां वसुह दै मौज वडाळी । सालवाहण जेसळ-संभ्रम कवियां दाळिद्र कप्पियो, करि वीर मूठ बूजो सुकव थिर बारहठ थप्पियौ ।।५
चारण रतनरा बेटा बूजानूं रावळ सालवाहण गांव सांसण सिरवो .. कर दियो । पासणीकोटसू कोस २, पाणी पासणीकोट पीवै ।
रावळ कालण जेसळरो । वैजळ पर्छ पाट वैठो । वरस १८. राज कियो । कालणरो पेट जोर वधियो1° । जोधपुर रिणमलां माथै मंड11 त्यूं जेसळमेर कालणरा परवार ऊपर सारी साहिवीरी मदार' । धणो सारव कालणसू मिळे । अांक २ । बेटा
३ रावळ चाचगदे कालणरो। ७ ऊगो। ३ पासराव कालणरो।
८ मेहाजळ । .. ४ भूणकमळ आसरावरो। ६ देवो। ५ जांझण।
१० अमरो। ६ भवणसी।
११ तेजसी। ६ थिरो
१२. आसो। १३ अजु । इणांरा गांव १२सूं भांभेरो ऊमरकोटरै मारग ।
..
____ I सागर । 2 भाटी । 3 घोड़े। 4 ऊँट। 5 भेड़। 6 बकरी। 7 चारसौ भरीका एक माप । 8 दान । 9 सिरवा गाँव शासनमें दे दिया। 10 कालणका वंश खूब बढ़ा। II जिस प्रकार जोधपुरमें रिणमलके वंशजोंका फैलाव और आधार। 12 उसी प्रकार जैसलमेरमें सारी साहिबीका अाधार कालणके परिवारके ऊपर है। 13 वहुत-सी शाखायें कालणसे मिलती हैं। 14 इनके १२ गाँवोंके साथ भांभेरो गांव ऊमरकोटके मार्गमें। ...
।
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मुंहता नैणसीरी ख्यात
१ गांव झूरों जेसळमेरथा कोस १० उत्तरनूं । गांव विकूंपुर में भूणकमळांरा नौख, चारण वाळो । वीकानेररै देस १ हदांरो वास जझू करें ।
४ वीकमसी ।
१ उदलियावास खींदासर कनै ।
३ पालण कालणरो ।
४ जसहड़ ।
५ रावळ दो ।
५ तिलोकसी । भैसड़ा,
राकड़वा, सांजीत, लूणोई, नेडांरण, जेबांध' ।
५ सांगणद्रेग ।
बांगण चांधण | ३ लखमसी कालणरो ।
[ ३६
वरस ३२ दिन जेसळ२० मेर राज कियो । तिणरा बेटा
५ रावळ तेजसी वडो करनरो । क ४ ।
४ रावळ करन चाचगदेरो । चाचगदे पर्छ टीकै बैठो | वरस २८ 1 मास ५ जेसलमेर राज कियो । तिगरा बेटा
५ रावळ जैतसी वडो करनरो । घणा वरस जीवियो ।
६ रावळ मूळराज । तिणरा उरजनोत । जोधपुर चाकर । ६ - राणा रतनसीरो हमीर । हमीर जेसळमेर चाकर । ५ रावळ लखसेन करनरो ।
४ रावळ करन चाचगदे । ४ तेजराव चाचगदेरो ।
५ साल्ह ।
६ सीहड़ । व्रमसर, मदासर गांव
|
४ जैचंद लखमसीरो । प्रांक ३
३ रावळ चाचगदे कालणरो, काल पछै पाठ बैठो ।
६ मूळपसाव भाटी । इणांरै गांव कूंछड़ी जेसळमेरसूं कोस २० । ६ लूंणराव । इणांरै गांव २- सोजेरो, अरजणी, चांधणथा' कोस ६ ।
५ रावळ लखणसेन करनरो । करन पछै पाठ बैठो । भोळो-सो ठाकुर हुवो । वरस १८ जेसळमेर भोगवियो । तिण समै रावळ कांनइंदे सांवतसीयोत सोनगरो जालोर धणी छै । तिण रावळ कांनड़दे
I तिलोकसीके ६ गाँवोंके नाम हैं । 2 से 3 सामन्तसिंहका पुत्र कान्हड़देव ।
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४२ ]
___ मुंहता नैणसीरी ख्यात नींबो माणस ४०.०सं जाळोर आयो। पछै कितरेहेक दिनै राजड़ियै सूरमालणरै बेटै घात घाली । पछै नींवा चूक कर मारियो । नींवो मरतो राजड़िया ले मुंबो । ने पंजूपायक छोड नै पातसाहरै गयो ।
वात राठौड़ सीमालरी सीमाळ पैहली कांनड़देजी तीरै रहतो । पछै कानड़देजी जाळोर ऊपर घर कराया, तिकै देखण सीमाळ नूं मेलियो ने सूरमालगनूं साथै मेलियो, सु सोमाळ मेहलायत देख क्यूं तमें खोड़ काढी । तरै सूर कह्यो-"तूं कानड़देजीतूं ही घणो समझै ?" यूं करतां माहोमांही बोलाचाली हुई । तरै सीमाळ सूरनूं लोह वाह्यो, सु चूको । सूर लोह वाह्यो सु सीमाळ काम आयो ।
पछै रावळ लखणसेन कानड़देरी वेटी वांसे मेल आप प्रागै जेसळमेर गयो हुँतो, नै सूरमालण कानड़दे वेटी साथै मेलियो थो सु नींवो मंडळ परै तळाव झूलतो थो, सु क्यूं सवण' बोलियो। तरै नींवै सवणीनूं पूछियो, तरै सवणी कह्यो-"यो सवण यूं कहै छै"जांम° ४ अटै रहसी तो वापरो मारणहार हाथ आवसी, नै एक पदमणी सारीखी बैर हाथ अावसी'।" तरै नींवो उठ रह्यो । अतरै सोनगरी सेझवाळो नै साथै सूरमालण आयो। तर अठै नींवै सूरमालणनूं साथ सूधो मारनै कानड़देरी बेटी ले गयो।
६ रावळ पुनपाळ लखणसेनरो। एक वार, लखणसेन काळ कियो। इणरै माथै टीको नीसरियो'। वरस २मां दिन ५ हुवा तरै जैतसी तेजरावरो वेटो, चाचगदेरो पोतरै गढ लियो । टीको कढायो । पुनपाळनूं पूंगळ दे नै उठीनूं परो मेलियो। .
___I पीछे कितनेक दिनोंके वाद सूरमालनका बेटा राजड़िया उसे मारनेकी ताकमें रहता रहा । 2 फिर नींवैको धोखेसे मार दिया। 3 नींवा भी मरता हुआ. राजड़ियाको ले मरा। 4 पास 1 5 सीमालने महलोंको देख कर मापमें कुछ कसर निकाल दी। 6 सो टल गया। 7 स्नान कर रहा था। 8 शकुन । 9 शकुनी। 10 प्रहर । II और एक पद्मिनीके समान स्त्री हाथ आयेगी। 12 इतनेमें। 13 लखनसेनकी मृत्यु हुई तब एक बार तो इसके सिर पर ही तिलक निकला | 14 दो वर्ष और पांच दिन हुए तब चाचगदेके पोते, तेजराव के बेटे जैतसीने गढ़ ले लिया। 15 पुण्यपालको पूगल प्रदेश दे कर उधर भेज दिया।
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मुंहता नैणसीरी ख्यात
[ ४३
जेसळ -
मूळपसाव है छै, पुनपाळरा पोतरा छै । इणांरै गांव १ मेररै देस गांव कुछड़ी, जेसळमेरथा कोस २० सोढां दिसी' । लूंणराव इणांरै जेसळमेररै देस गांव २ सोजेवो नै प्रारजणी, चांधणथा कोस ६ ।
५ रावळ जेतसी तेजरावरी । तेजराव रावळ चाचगदेरो बेटो । तिण रावळ लखणसेनरा बेटा पुनपाळ कना जेसलमेर जोरावरी लियो' | निपट वडो ठाकुर हुवो । यो रावळ घणा वरस जीवियो । इणांरै बेटा मूळराज रतनसी लायक हुता । राजरी सारी मदार प्राप जीवतां बेटां ऊपर है । रावळ जैतसीरै परधांन सीहड़ वीकमसी, तिको भली भांत ठाकुराई चलावै छै । रावळ प्राप पुखतो हुवो छै सु मांहै बैठो रहै छै । राज भली भांत वीकमसी चलावै छै । रावळरै इतबार सारो वीकमसीरै हाथ छै । सु रावळरा सारा भाई -बंध वीकमसी माथै लागै छै । सु रावळ जैतसी तो पुखतो ठाकुर सो किणहीरो कह्यो मां नहीं | यूं करतां रावळ निपट बूढांणो ' ; प्रांखियां ऊपरलो मांस छिटक डोळां ऊपर आयो । राजरी मदार सारी कंवर ऊपर मंडी । कंवर मोटियार तिरण आगे सको वीकमसीरी घात घातण लागी ' । कंबर परंण सुणण लागा । कंवर मूळराजरै कनै जसहड़रा बेटा रहे । ति दिने निपट लायक छै । दूदो तिलोकसी, सांगण, बांगण मनमें धरतीरो ग्रासवेध राखै छै । पण मूळराज रतनसी कंवर निपट जोरावर, परधांन सीहड़ वीकमसी निपट जोरावर, तिण आगे कठैही क्यूं धरती मांहै खाय सकै नहीं । सु एक दिन आसकरण जसहड़ोत मूळराज रतनसीनूं कहण लागो - " रावळजी तो निपट बूढा हुवा, थे बेपरवाह | कोई राजरी खबर ल्यो नहीं । परधान वीकमसी तिको
I जैसलमेरमे वीस कोस सोढोंकी प्रोर । 2 जिसने रावल लखरगसेनके बेटे पुण्यपाल से जैसलमेर जबरदस्तीसे ले लिया । 3 वृद्ध | 4,5 विश्वास करने योग्य सभी कामोंकी जिम्मेवारी रावलकी प्रोरसे बीकमसीके हाथमें है, इसलिये रावल के सभी भाई-बंधु बीकमसीसे नाराज रहते हैं । इस प्रकार चलाते रावल निपट बुड्ढा हो गया । 7 कुंवर जवान हो गया, अब उसके आगे सभी वीकमसी के विरुद्ध दांव घातकी बातें करने लगे । 8 कुंवर भी उस ओर ध्यान देने लगे। 9 दूदा, तिलोकसी, सांगरण और बांगरण ये मनमें धरतीका ग्रासवेध रखते हैं । TO उसके नागे देशमें ये कुछ भी खा नहीं सकते ।
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४० ]
मुंहता नैणसीरी ख्यात रावळ लखणसेननूं आपरी वेटीरो नाळेर मेलियो छ । सुग्रागै लखरसेनरै बैर' सोढी ऊमरकोटरी हुती, सु निपट जोरावर हुती' । रावळ इणरो कह्यो लिगार लोप सके न छै । सु नाळेर अायो तरै गाढो सचीतो हुवो" ; पछै सोढीनूं पूछण लागो-"रावळ कानड़देरो बडी ठोड़रो नाळेर अायो छै सु पाछो फेरस्यां तो राईतनां मांहै बुरा दीसस्यां' । थे कहो तो नाळेर झालां । तरै सोढी कह्यो-“इतरी वात कबूल करो, आकरा देवाचा करो तो नाळेर झालण दूं।" तरै रावळ कह्यो-"किसी वात दिसा थे देवचो करावो छो' ।" तरै सोढी आ वात कही-“एक तो सांमेळे कंवर वीरमदे श्रावसी'", तरै थे कहिजो-“सांमेळो चहुवांणांरो भलो पण सोढां सारीखो नहीं । एक गढ माहै पधारो तरै कहिजो-“सहर ऊमरकोट सारीखो नहीं । एक सोनगरीसूं हथळेवो जोड़ो तरै कहिजो -"सोढी सारीखो सोनगरीरो हाथ नहीं।" पछै परण नै सीख दै तरै सोनगरीनूं वांस मेलनै इळगार कर आवजो" ।' सु इण भोकै ठाकुर सोह वात कबूल की । उठ गयो तरै सारी वात यूंहीज' कोवी । रावळ कानड़दे, वीरमदे, राजलोग सको दिलगीर हुवा । पछै रावळ लखणसेननूं सीख दी . कांनड़दे परी बेटीनूं वळाई । सुरमालण कितराहेक साथसूं साथै दियो छै । नै रावळ लखणसेन तो इळगार कर सोनगरी वांस छोड़..
___1 अपनी बेटीका सम्बन्ध करनेके लिये नारियल भेजा है। 2 पत्नी । 3 थी। 4 जो बड़ी जबरदस्त थी। 5 रावल इसके कहे हुएको किंचित् भी लोप नहीं सकता है। 6 जव नारियल पाया तो खूब चिंतित हुआ। 7 रावल कान्हड़देके जैसे बड़े राज्यका नारियल आया है सो इसको यदि वापिस लौटा देंगे तो अन्य राजाओंमें हम बुरे दिखेंगे। 8 तुम कहो तो नारियल स्वीकार कर लें। 9 तव । 10 इतनी बात कबूल करें और दृढ़ प्रतिज्ञा करें तो नारियल ग्रहण करनेकी आज्ञा दूं । वि०-देवाचा='दे' (क्रिया)+'वाचा' (संज्ञा) दोनों शब्दोंका (संज्ञाके रूपमें) समास है। 'देवचो' एक वचन समास रूप है। II कौनसी वातके लिए तुम प्रतिज्ञा करा रही हो । 12 एक तो यह कि सामेलेमें कुमार वीरमदेव आवेगा। 13 सम्मिलनोत्सव, स्वागत-समारोह । 14 परन्तु । I5 तव । 16 हस्त-मिलाप, पाणिग्रहण । 17 फिर विवाह करनेके बाद जब विदाई दे तव सोनगरीको घृणा और ... तिरस्कारके साथ पीछे छोड़ आना। 18 सब । 19 इसी प्रकार । 20 सब। 21 फिर रावल लखगसेनको विदाई दी। 22 कान्हड़देने अपनी पुत्रीको विदाई दी।
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मुंहता नैणसीरी ख्यात
[ ४१ परो गयो छै । सोनगरी दिलगीर थकी अावै छै । निसींगड़ी गांवरै तळाव मंडळप कनै प्राय नीसरियो। प्रागै मंडळपरा तळाव मांहै रा ।। नींबो सीमाळोत कसतूरियो मिरध जबादि जळहर झूलै छ । अठ पांणी ऊपर सोनगरीरो पिरा सेझवाळो प्राण ऊभो राखियो छ । सोनगरी प्रापरी छोकरीनूं कह्यो-"झारी तळावथी भर ल्याव ।" तरै छोकरी झारी भर ल्याई । तरै सोनगरी पूछियो-"पांणी मांहै इसड़ी सुवास, इसड़ो तिरवाळो किण भांत पड़े छै ?" तरै छोकरी कह्यो-"अठै तळाव माहै नींबो सीमाळोत कँवर १४० सारीखा मलूक लियां झूलै छ, तिणरी. सुवास छै ।" तरै सोनगरी बळती-जळती जाती थी' पछै छोकरी मेल नींवारी खबर कराई । वात वणाई । पछै उठे सूरनूं कहि डेरो करायो । पछै नींवै सूरमालणनूं सगळा साथ सूधो मारनै सोनगरी, प्राणी । पछै रावळ लखणसेन तो नींबाखू को दावो कियो नहीं ° । नै तठा पछै कितराहेक दिनै रावळ कानड़देरै वळे व्याह मांडियो1; नींवारै कानडदेरी बेटी ऊधळ आई, तिगरी मा रावळ कानड़देरै सुहागण छै', सु ा बैर कानड़देसूं हठे पड़ी, कहै 3-"व्याह ऊपर म्हारी बेटी जमाई तेड़ावो।" तरै कानड़दे तो घणूंही कह्यो-"वे कुण ? म्हे कुण ?" पण बैर रढ मांड रही । तरै नीवासू कहाव कियो । तरै नींबै कह्यो-'म्है बोहत गैर की छै सु पंजूंपायकरा वोल" हुवे तो हूं आऊं ।” पछै पंजूरा बोल दिया । तरै
___ I सोनगरी उदास होकर आ रही है। 2 आगे मंडलप तालाबमें सीमालका बेटा राठौड़ नींवा तालाबके पानीको मृगमदसे सुगंधित करके स्नान कर रहा है । 3 यहां पानीके किनारे सोनगरीकी सेजवाल लाकर ठहरा दी गई है। 4 दासीको। 5 पानीमें ऐसी सुगंध और चिकनाई (तिरमरा) किस बातकी है ? 6 यहां तालावमें नींवा सीमालोत अपने १४० समवयस्क कुमार और मित्रोंके साथ जल-क्रीड़ा करता हुआ नहा रहा है। यह सुगंध उसकी है। 7 तव सोनगरी तो पहलेसे ही जली-भुनी जा रही थी। 8 बात निश्चित की। 9 फिर नींवा सूरमालण और दूसरे साथ वालोंको मार करके सोनगरीको ले आया। 10 फिर रावल लखणसेनने तो (उसकी औरतको भगा कर ले जानेके विरुद्ध) नींबासे कुछ भी झगड़ा-टंटा नहीं किया । II रचा। 12, 13 जिसकी मां रावल कान्हड़देकी मानिनी पत्नी है सो यह स्त्री कान्हड़देसे हठ करके कहती है । 14 परन्तु स्त्री अपनी हठ पकड़े रही। 15 अनुचित। 16 वचन ।
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४४ ]
मुंहता नैणसीरी ख्यात सूंक-भाड़ा लै आपरो काम करै' । उपजै सु सोह खाय जाय, थांनूं क्यूं . दै नहीं।" इण भांत कंवरांनूं भखावै छै । एक दिन मूळराज रतनसी दरबारै वैठा छै । दूदो जसहडोत कनै बैठो छ, तरै साकारी वात चली। तरै दूदै जसहडोत मूळराज रतनसीनूं कह्यो-"जेसळमेर इतरी वडी ठोड़, नै पीढ़ी ५ तथा ७ आपणो हुई, नै साको न हुवो । साका विगर नाम न रहै, सु एक साको कीजै ।" तरै मूळराज, रतनसी नै दूदै साकैरी निसचे करी, नै पातसाहसू विरोध वधावणरी करै । पिण वीकमसी करण न दै । वळे आसकरण वीकमसीरी घात कंवरां कनै घातो' सु कहै-"पागलै दिन वोखारी सेखां कनै रु० १३०००) वीकमसी लिया , ज्यांमें रु० ७००) रावळे दिया ।" औ वातां करै । सु इणारी वातांसूं मूळ राज रतनसी वीकमसीनूं मारणरो विचार कियो। दूहा-नभै दुरंग दूवा नरां, सोह' आलोचै सीर। ..
कंवरो सत्र13 वीकम कहै, हीया पलट्ट हीर ।।१ मळू मंकड़ दोयण मुख, कर लागौ कूटाळ । .. वीकमसी वीसूत्रसौं, रतनो पूंछ रंढाळ ॥२
वारता आसकरण नै मूळराज रतनसी वीकमसीनूं मारणरो विचार कियो सु आ वात रावळ जैतसीरी रांणी सुणी । तरै वीकमसीनूं एकंत तेड़ कह्यो-"तूं परो जा। कंवरांमें लखण क्यूं न छै ।" तरै वीकमसी कह्यो-"हूं कठी जाऊं? ?" पण रावळ सूंस दे वीकमसीनूं जांणो थपायौ18 |
I प्रधान वीकमसी रिश्वतें आदि लेकर अपना काम चलाता है। 2 जो उपज होती है सब वह खा जाता है, तुमको कुछ नहीं देता। 3 इस प्रकार कुंवरोंको बहकाते हैं। 4 और कोई साका (ख्यातिका काम या युद्ध) नहीं हुआ। 5 सो एक साका किया जाय । 6 लेकिन वीकमसी करने नहीं देता। 7 आसकरणने भी वीकमसीके विरुद्ध कुंवरोंके कान भरे। 8 सो यह कहता है कि अभी थोड़े दिन हुए बुखारी शेखोंसे रु. १३०००) वीकमसीने लिये। 9 जिनमें से रु. ७००) ही आपको दियें। 10 ऐसी बातें करते हैं। II निर्भय।. 12 सभी । 13 शत्रु। 14 शत्रु । I 5 जिद्दी, हठी। 16 तू यहांसे चला जा, कुंवरोंमें कुछ भी विवेक नहीं है। 17 मैं कहाँ जाऊं। 18 परंतु रावलने शपथ देकर वीकमसीको जानेका निश्चय करवाया।
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[४५
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मुंहता नैणसीरी ख्यात दूहा- केथ' रयण मूळू सु कुण, देखें नाहीं देख ।
औ वीकम ऊवेळिया, बोखारी नै सेख ॥१ सोनो रूपो सावटू, लाखां लेखा लेह । लीण महाघण लाखउत, लोभ कंवर लोपेह ॥२ सोनो जैत संभारियो, हय हय प्रांग हत्थ । तूं भाई परधान तूं, वीकम छंड कुवत्थ ॥३ उर करवत वहि प्रापरे, साठ भड़ां सप्रमाण । वीकम सिव मारग वहै, ले दीना मोजांण ॥४ सांम पसावै सांमध्रम, कीधा मैं क्रम कोड़ । प्रगट रिजक दिन पाधरै, जपै वीक कर जोड़ ॥५ वीकमसी रावळ वर्दै', करदै जो करतार । हं जेसळगिर हेकठा, वळे प्रधांनै वार ॥६ वीक विदेसज चालियौ, विजड़हथो बळ बांध । मूळे तोड़ी मुण सुगुर, साहि आलमसूं सांध ।।७
वात
वीकमसी आगै काई बुराई कर सकतो नहीं, पाल-पाल राखतो वीकमसो" । पछै मूळराज अाप-मुरादो हुवो । तरै पातसाहतूं तोड़णरी कीवी । सु पातसाहरा गुर रूम-झूम गया था। सु रूम-झूमरै पातसाह इणां पीरजादांनूं तेरै कोड़ रुपियारो माल दियो नै विदा किया', सु पाछा वळता जेसळमेर आय उतरिया' । असवार २०० पातसाहरा
सेखरै साथै वोळाऊ11, सु मूळराज रतनसी उणांनूं मारनै वित सोह ....लियो । पातसाहरा गुर बेऊ मारिया । तेरै कोड़ रुपिया नै घोड़ा लिया ।
.. | कहां । 2 एक वस्त्र । 3 दान | 4 कहता है। 5 जिसके हाथमें तलवार है, खड्गधारी। 6 कोई । 7 वीकमसी उन्हें रोक-रोक रखत।। 8 फिर मूलराज स्वेच्छाचारी हो
गया। 9 सो रूम-सूमके बादशाहने इन पीरजादोंको तेरह करोड़ रुपयोंका माल दिया और ..फिर वहांसे रवाना किया। 10 सो लौटते हुए ये जैसलमेर आकर ठहरे । II यात्रा-रक्षक । .. . 12 मूलराज और रतनसीने उनको मार करके उनका सब धन ले लिया। 13 बादशाहके . .. दोनों गुरुओंको मार दिया।
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४६ ]
मुंहता नैणसीरी ख्यात दूहो-हुओ हमल्लो हिंदवां, सिंधारै सुजड़ेह ।
तरै कोड़ी माल ले, पीट सईदां देह ।।१ उणां सेखजादांनूं मारिया । माल घणो दीठो, जु ओ माल पात- साहरै घररो सु इण वांसै उपद्रव हुसी । जिणे ठाकुरै कहि नै माराया था, तिणांसूं वुरो मानियो । माल सगळो गढ नीचे भुंहरा छ तिणां माहै घातियो । पछै या वात पातसाह सांभळ नै गाढो कोपियो । कह्यो-"मैं इणांनूं घणा गुना माफ किया था, पिण ो गुनो माफ करूं नहीं।" दूहा-जेसळमेर दुरंग गढ, वसै न काही वाक ।
खून बगस्सै खाफरां', ते सुरतांण तलाक ॥१ बालम' दाढी कढ्ढ कर, घातै वेवै हाथ । साझू गढ हूं मूळ रयण, लेखू चंद्रप्रसाथ ।।२
वात
पातसाह जेसळमेर ऊपर फोज विदा कीवी, तिणमें सिरदार कमालदी, घोड़ा हजार तीससौं विदा कियो । कमालदी गढ पाय घेरियो । घणा दिन हुवा पण गढ तूटो नहीं। वरस २ तथा ३ हुवा सु कमालदीनूं सोगटां13 रमण घणी चूंप14 हुती, सु एक दिन मूळराज सादो . सो वागो पेहर सादा हथियार वांध नै कमालदी चोपड़ रमतो थो त,15. आय ऊभो रह्यो, दांण बतावण लागो'" । सखरा दांण करै । तरै आप कमालदी रमण लागा सु मूळराज दांण २ जीतो। ऊठतां दांण १ कमालदी जीतो19 । तरै तो परा ऊठिया। दिन १० तथा १५
___I कटारियोंसे मार दिया । 2 माल बहुत देखा, तव सोचा कि यह माल वादशाहके ... घरका सो इसके पीछे उपद्रव होगा। 3 जिन ठाकुरोंने कह करके इनको मरवाया था उनसे नाराज हो गये। 4 सारा माल गढ़के नीचेके तलवरोंमें डाल दिया। 5 पीछे बादशाहने जब यह वात सुनी तो वहुत क्रोधित हुआ। 6 प्रकार । 7 अपराध । 8 काफिरोंको। 9 शपथ, . प्रण | 10 वादशाह । II दोनों। 12 अधिकार करूं, नाश करदं । 13 चौपड़के पासे । . . 14 इच्छा, शौक । 15 वहां। 16 खेलको चाल बताने लगा। 17 अच्छे दाँव करता है। 18 तव आप और कमालुद्दीन खेलने लगे उसमें मूलराज दो दाँव जीत गया। 19 उठनेके समय (वाजी समाप्त करते समय) एक दाँव कमालुद्दीन जीता।
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.. मुंहता नैणसीरी ख्यात
[ ४७ रमतां हुवा । तरै कमालदी रावळ मूळराजनूं अोळखियो' । तरै कमालदी रावळनूं कह्यो-“थे अठै सासता रमणनूं पाया करो । अठै आवतां-जावतां थाने बुरो चाहसी नहीं । तिण वातमें खुदाय विचै छै ।" तठासू रावळ रमण सासतो आवै । सु कितराहेक दिन हुवा । तरै पा वात पातसाहजी सांभळी', सु पातसाहरै कपूरो मरहठो पंच-हजारी उमराव थो, तिण पातसाहनूं मालम कियो-"मूळराज कमालदी सोगटै रमै छै। गोठिया हुवा रहै छै' । गढ़ ले कुण ? म्हांनूं हजरत निवाजस कर विदा करै तो म्हे गढ़ ल्यां।" तरै पातसाह इणांनू बार-हजारी कर विदा करण लागा । तरै यो कह्यो- हजरत ! एक कोई सिरदार कर मेलो, जिणांरै मुंहडा प्रागै म्हे दोड़ा।" तरै मिलक केसर पातसाहरो भाणेज अर जमाई पण हुँतो तिणनूं13 घणो साथ दे विदा कियो । सु फोज लेनै जेसळमेर नजीक आयो । कमालदी पण साम्हो प्रायो। उणांनूं कह्यो-“गढ घाए लिरीजसी नहीं । गढ सांमो तूटसी जद लिरीजसी । थे गढ घेर बैसज्यो।" सु अ मांनै नहीं । तरै कमालदी कह्यो-'थे मोनूं लिखद्यो । सु कमालदी कह्यो घणोही, पिण इणां मानियो नहीं ।" तरै कमालदीनूं रुक्को कर दियो । कमालदी उतरियो । उणै गढनूं चलाया । तरै कमालदी मूळराजनूं कहाड़ियो” जु-“मांहरी रोजी मनै व्है छै18 । देखां थे किसड़ी वेढ करो छो ।” तरै मूळराज रतनसी साथ कह्यो जु"तुरकानुं गढ लगाव दो, कांगुरै हाथ घाततां तांई कोई तीर गोळी मत चलावो । सु गढरोहो व्है छै 1, नीसरणियां लागै छै, गढरै ठठ
I पहिचाना। 2 निरन्तर । 3 यहां आते-जाते रहनेमें तुम्हारा कोई अहित नहीं चाहेगा। 4 इस बातके लिये खुदा बीचमें है। 5 उस दिनसे । 6 यह बात बादशाहने सुनी। 7 परस्पर मित्र हुए रहते हैं। 8 गढको कौन फतह करे ? 9 हजरत, हमें कृपा कर भेज दें • तो हम गढ फतह करें। 10 बारह हजारी मनसब । II जिसके आगे हम सेवा बजावें। 12 था। 13 उसको । 14 उनको कहा- केवल लड़ाई करनेसे गढ़ नहीं लिया जा सकेगा। 15 सामनेसे गढ़ टूटेगा तब लिया जा सकेगा। 16 तव कमालुद्दीनने कहा--तुम मुझे लिख कर दो। कमालुद्दीनने बहुत कहा, परन्तु इन्होंने नहीं माना। 17 कहलवाया। 18 मेरी रोजी मारी जा रही है। 19 कैसी । 20 लड़ाई। 21 सो गढ़का घेरा लग रहा है।
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मुंहता नैणसीरी ख्यात रियांरी ओट जूंझार जाय लागा छै गढनूं, नै मरहठो कपूरो साथरी मदत करै छै; नै मिलक केसर, रामसा, सराजदीन प्रोळरी अणी मांहै छै । हाथी १५ किंवाड़ भांजणनूं आग किया छै । नै मूळराज प्रोळरी हाटां मांहै जीनसाळ पैहर माणस हजार दोयसू रह्यो छै । न तुरक नीसरणियां चढिया छ । नै मूळराज साथसूं ताकीद करै छ जु-"जरैही ।। भेर व्है, तरै सको लोह करज्यो । सु तुरकै कांगुरांनूं हाथ घातियो नै नजीक आया तर भेर हुई । तरै कांगुरांसू मतवाळां डांगरजंत्र* छोड़िया, सु घणा आदमी मारिया। नै प्रोळरै मुंहडै मूळराज हाटां मांहिंसूं. ऊठियो लोहै मिळियो । नै किंवाड़ नांख नै रतनसी पण लोहै मिळियो। उठे मिलक केसर सराजदीन, रांमसा बीजाही घणा सिरदार मारिया, घणो साथ काम आयो । आदमी हजार सित्तर मारांणा । हाथी १५ .. मारिया । कपूरो मरहठो भागो । वीजी ही पातसाही फोज भागी।
दूहा-केसर मिलक सराजदी, बे मूळ हत्थाह ।
जांण कंदोई ऊथळे, खाजो मंझ कड़ाह ।।१ भाणेजो पतसाहरो, जामादो° पतसाह। मुणसज खाधो मूळरज, सवळे ऊभी वांह ॥२ ... रांमसाह हर रतनसी, खांचिय पांणो वाण । सिर धड़ सहितो संग्रहै, लीधो जोर विनांण ॥३ सित्तर सहँस निकंदिया, कोट भयंकर काळ। वंधव सेन विछोड़िया, के कूटत कपाळ ॥४ कांही सेवग सांभरै, के संभारै सांम । हूंकळ भेरी मूळ रज, जीतो गढरो काम ॥५ पनरै पट-हसती पड़े, सतर हजार कमंध । कप्पूरौ नै मरहटो, वे भागा अनमंध ॥६
___ और मलिक केसर, रामशाह और सराजुद्दीन ठीक पोलके सम्मुख आ गये हैं। ... 2 बोर मूलराज पोनकी शालोंमें दो हजार सैनिकोंके साथ कवच पहिन कर तैयार हो रहा है। 3 जिस समय भेरी बजे तब सभी एक साथ प्रहार कर देना। 4 एक प्रकारको तोप ।
और भी। 6 दूसरी भी। 7 दोनों। 8 हाथोंसे। 9 हलवाई जिस प्रकार कड़ाही में वाजा उलट रहा हो। 10 दामाद । II नाश किया।
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मुंहता नैणसीरी ख्यात
वात
फोज भागी तर कमालदी प्राय मूळराजसूं अरज की - "जु मिलक केसर, सराजदी, रांमस्या बीजा ही भला माणस कांम आया छै, तिणांरी लोथां दो जु मक्कै मेलां ।” तर मूळराज कह्यो–“लोथां द्यां नहीं, लोथां आगमें घात नै बाळसां' । बीजी लोथां स्याळ, जरख जिनावर खासी, पिण द्यां नहीं ।" तरै कमालदी कह्यो - "थे लोथां नहीं दो तो पातसाह मांहरी खाल पाड़सी । हूं इतरी अरज करूं छं जु लोथां पाऊं"।"
दूहा- कप्पूरो
मांगै
भूत । ताबूत ॥ १
1
2
17
नै मरहटो, मरहटो, भड़े उतारे भड़े साह कमालदी. कमालदी, केहररो मिलक कहै 'मूळा सरस, राय म' कर मन रोस । साहि आलम पड़ावसी, मूझ" सकांनी " पोस " ॥२ जड़-धड़' जरखां'' जंबकां 15, मिलक कमाल म- मग्ग 16 । पेस करै जे पातसा, केहर जाळिस अग्ग ? ॥३ तेरी माई पुत्र हूं, मेरा सुरतांण । बाप ! तूझ मो बाप मूळू कहै कमालदी, सत्र " न केहररो ताबूत लै, मैं मुसलमान कांधे बिहू, 20 मूळू नै कम्मालदी, बंधव हुवा ऊपाड़े नरवाहणां, आसी" सौ रारी व्रन्नां±4 चोळ" मुख, साह धखै जमदूत ॥७
तू
है 18, मूळू जोय
प्रमांण ॥४
19
तोनूं
22
ताबूत
3
24
[ ४६
ऊतारं
कोई देह |
दीनेह ॥५
ताबूत ।
21
जुगून ॥६
उनकी लाशें दो सो मक्के भेज दें । 2 लाशें नहीं दें, लाशोंको आागमें डाल कर जलायेंगे | 3 दूसरी लाशें भेड़िये जरख प्रादि जानवर खायेंगे, परन्तु देंगे नहीं । 4 तुम लाशें नहीं दोगे तो वादशाहं मेरी चमड़ी उतार देगा। 5 मैं इतनी प्रार्थना करता हूँ कि इनकी लाशें मुझे मिलें । 6 लाश, जनाजा । 7 मत, नहीं । 8 क्रोध । 9 उतरवायेगा, खिंचवायेगा । 10 मेरी । II सबकी 1 12 पोश, चमड़ी। 13 सिर और शरीर । 14 भेड़िये । 15 जंबुक, गीदड़ | 16 मत मांग। बाप है । 19 शत्रु । 20 दोनोंको | 21 दोनों 25 लाल ।
17 श्रागमें जलाऊंगा । 18 तू मेरा 22 आयेंगे । 23 नेत्र । 24 वर्ण, रंग ।
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५० ]
मुंहता नैणसीरी ख्यात ताबूतां ऊतारिया, प्रह ढोई मड' हांण । पड़िया दिल्ली पीटणा', भोखिस दुक्ख दिवाण ।।८ डसण-गयंदां नांखिया, भारवंध भुज ठोर। कनछ रजां पट्टाझरण', जेहा पावस घोर ॥६ पेरोसा सुरतांण धिख, बळ छळ देखै वेव । कप्पूरौ नै मरहटो, सिर मुंडै गद देव ॥१० सांभळ' मिलक कमालदी, सुज' भाखै पतसाह । केहर मार अदावदै, से भाटी चावाह1 ॥११
वात
पातसाह वळे कमालदीनूं विदा करै छ । कमालदी उजर करै छै जु-"हजरत मरहटा कपूरारै कहै मोनूं हळको पाड़ियो । म्हारा भाई-भतीजा रजपूत मराया, खराब हुवो नै हजरत पण भलो न मांनियो सु हूं जेसळमेर ऊपर जाऊं नहीं।" तरै पातसाह घणो हठ करनै कमालदीनूं विदा कियो। दूहो-सुण फुरमांण न खांण अन, एक न दूजी वार ।
हंसां वचन संभाहियो, गढचे रंद दुवार ॥१
वात
कमालदी घोड़ा हजार अस्सी ले आयो। गढ घेरियो । दिहाडै ढोवा हुवा छै", सु परधान वीकमसी ईडर जाय चाकर हुवो थो, सु गढ विग्रहियो सांभळ नै आयौ । आयां पछै कहण लागो जु-"राज मोनूं कूड़ो. कळंक दे चोरीरो काढियो थो सु हमैं साच कूड़रो
1 युद्ध । 2 रोना-धोना । 3 कहेगा। 4 हाथियोंके दांत । 5 डाल दिये। 6 केवाँच ?. 7 हाथी। 8 दोनों। 9 सुन कर । 10 पुनः । II शत्रुतासे । 12 सभी, समस्त । 13 प्रसिद्ध । 41 मरहट्टा कपूरेके कहनेसे हजरतने मुझे हल्का दिखाया। 15 दिनको आक्र. . मण हो रहे हैं। 16 गढ़के घिर जानेकी बात सुन करके आया। विग्रहियो युद्ध होना। 17 झूठा । 18 अब।
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मुंहता नैणसी · ख्यात
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[ ५१ आसकरणनै पूछे नै नवेड़ो' लीजं । तिन दिन राजनं म्हें कह्यो नहीं, पिण हमें साच लीजै' ।” तरै आसकरण झूठो हुवो । तरै मूळराज रतनसी जांणियो - "ओ मांहरो' दुसमण थो सु म्हांरो भलो चाकर गमायो । तिथी' इणां' ठाकुरांरै माहोमां है' असुख' घणो वधियो " । तरै जसहड़ोतां जांगियो - "म्हांसूं बुरो मांने तो म्हे क्यूं मरां " ? तरै दो नीकळण मांहै नहीं । तरें प्रासकरण सूतानूं बांध मांचा मांहै घात नै ले नीसरियो । औ ठाकुर परा गया । दूदो पारकर परणियो तो, उठ गया छै" । पर्छ मूळराज जैतसी गढ विढिया " । पछै रावळ जैतसी रांम कह्यो । पछे मूळराज रावळ हुवो । रतनसीनूं रांणाईरो विरद” । मूळराज वरस १ नै मास ६ राज कियो । वरस १२ बारै गढ विग्रहियो रह्यो " । पछै गढ मांहिलो सांमांन तूटो, बीजो" धांन नहीं, काळबी ज्वार " मास ६ री हुती, सु मूळराज रतनसी कह्यो - " खावां नहीं; असत धांन छै ।" तरै मरणरो मतो कियो । हो - पांच कले परवारसूं, रावळ आलोचेह | ग्रांपै” मर गढ आपस्यां", विजड़ा" वार करेह ॥ १
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वात
कमालदीनूं कहाड़ियो जु - " थे म्हांरा भाई हुवा था, सु आज भाईयांरी वेळा छै, म्हांरो बीज उबार राखो ।”
निर्णय । 2 उस दिन ग्रापको मैंने कहा नहीं, परन्तु अब सच बात क्या है, इसका पता लगावें । 3 हमारा । 4 हमारा। 5 खो दिया, दूर कर दिया । 6 इससे । 7 इन 1 8 परस्पर, आपसमें । 9 शत्रुता । 10 बढ गया । II तब जसहड़ोतोंने विचारा | 12 हमसे वे शत्रुता मानते हैं तो फिर हम क्यों मरें । 13 दूदाका विचार तब भी वहांसे निकलनेका नहीं । 14 तब ग्रासकररणने उसे सोते हुएको बाँध दिया और खाटमें लेकर निकल गया । 15 ये सरदार चले गये । 16 दूदा पारकर व्याहा था, इसलिये वहां चला गया । 17 फिर मूलराज और जैतसीने गढ़में युद्ध किया । 18 जिसके वाद रावल जैतसी मर गया । 19 रतनसीको रानाकी पदवी और विरुद | 20 बारह वर्ष तक गढ घिरा रह कर युद्ध चलता रहा । 21 दूसरा । 22 काली ज्वार । 32 सत्वहीन धान्य है । 24 तव मरनेका निश्चय कर लिया । 25 अपन 1 26 देंगे। 27 तलवारोंसे । तुम हमारे धर्म-भाई हुए थे सो आज भाइयोंकी सहायता करनेका समय है, हमारा बीज (वंश) बचा कर रखो ।
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मुंहता नैणसीरी ख्यात दूहा-"मूवां गाढे तै हुवै, दीनो वचन सतोल ।
क्यं पाळीस कमालदी, बंधवतणरा बोल ॥१ अखै कमालहि मूळ रज, सुण नरवै नरनाह । साय अमांन समंधरै, सहिया सोह पतसाह ॥२ इक भाणेज असांहजो', कुंवर वचाय चियार । मूळू कहै कमालदी, सां कीधा तो सार' ॥३
दूहा-सोरठा असहांजी अमान', मूळू कहै कमालदी। म करै मूसलमांन", मिलक म मारै म नव हथ ।।४ इमांन मां11 उतपत्ति जे, नोज12 मजार निवेस । कमाल पयंपे' मूळरज, तास न कोई वेस14 11५ कमाल पयंपै मूळरज, सुण मेरा सुरतांण ।
जां धड़ ऊपर सीस छै", पाळिस वाच प्रमाण ॥६ इतरा सिरदार कमालदीनूं सांपिया-घड़सी, लखमण, मैंगळ भाटी, कानड़दे, ऊनड़। पछै किंवाड़ प्रोळरा नांख माणस १२०स कांम आयो।
साखरो गीतघड़ रयण-गळंती घड़ी-घड़ी घर, पुड़ लोना खत्रमाळ- प्रज।। मेर-सिखर उर ऊपर मंडियो , मन धू चळे न मूळरज।
I पालन करेगा। 2 भाईकी प्रतिज्ञाको। 3 कहता है। 4 नृपतियोंका नृपति 5 हमारा । 6 चारों। 7 अपनी प्रतिज्ञाको याद कर । 8 हमारी 19 अमानत । 10 उन्हें मुसलमान मत बना लेना। II धर्ममें । 12 नहीं। 13 कहता है। 14 तेरे साथ कोई कपटक वात नहीं है । 15 जव तक धड़के ऊपर शीश है । 16 प्रामाणिक पुरुपकी तरह अपने वचनोंक पालन करूंगा। 17 कमालुद्दीनको इतने सरदार सुपुर्द कर दिये। 18 पीछे पोल के किंवाड़ खोल कर १२० मनुप्योंके साथ काम आया । 19 पिछली रात 1 20 नक्षत्रमाला 21 सुमेरुगिरि पर्वतका शिखर । 22 मूलराजका मनरूपी ध्रुव चलायमान नहीं होता।
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.. मुंहता नैणसीरी ख्यात
[ ५३ तरण' धाय निस फोज तूटती , उडियण नर जाते आवग्ग । सुगिर सुरंग उर सुचित जैत-सुत । खित डोलियो नवहतो' खग ॥२ निसा फोज घटी तो नीमटती , फिरतै नर नाखत्र' अणफेर । उरधज कियौ न जैत-अगोभ्रम, मन मूळरज ज्यूंही धू मेर' ॥३
रावळ मूळराजरा बेटा, प्रांक ६. ७ देवराज मूळ राजरो, तिको टोकै तो न बैठो । मूळ राज
रतनसी मरियां पछै दूदो जसहड़ोत रावळ हुवो" । दूदो तिलोकसी साको कर मुंवां पछै रावळ घड़सी रतनसीयोत पातसाहनूं अौळग नै धरती वाळी" । पछै घड़सीनूं जसहड़ तेजसी चूक कर मारियो । घड़सीरै बेटो को न थो18 । पछै विमळादे रावळ मालदेरी बेटी केहर रांणा रूपड़ारो दोहीतरो", तिणनूं ° बारूछांहिणसूं तेड़नै जेसळमेर टीको दियो।
८ केहर देवराजरो रावळ हुवो, रावळ घड़सी पछै ।
८ हमीर देवराजरो। जिणरा वांसला उरजनोत भाटी सत्तारा . पोतरा। जोधपुर चाकर छै। हमीर देवराजोतरै मारोठ हुती ।
हमीररो धड़ो १ जेसळमेर चाकर । आगै पोकरणरा वाहळा24 ऊपर रहता । उरजनोत जोधपुर चाकर । जैतो साळोड़ी पीपळ-वडसायै
I सूर्य । 2 रात । 3 तारे । 4 समस्त । 5 शृंग। 6 कंपायमान हुआ। 7 सिंह । 8 तीन । 9 बीतती हुई। 10 नक्षत्र । II नहीं फिरने वाला । 12 जैतेके वंशजने । 13 जिस प्रकार ध्रुव और मेरु अटल हैं उसी प्रकार मूलराजका मन अटल है। 14 मूल राजका बेटा देवराज
गद्दी नहीं बैठा। 15 मूलराज और रतनसीके मरनेके बाद दूदा जसहड़ोत रावल हुआ। ... 16 दूदा और तिलोकसीके मर जानेके. बाद रावल घड़सी रतनसीयोत बादशाहकी खुशामद ... करके धरतीको लौट आया। 17 फिर घड़सीको जसहड़ने धोखेसे मारा । 18 घड़सीके बेटा
कोई नहीं था। 19 दोहिता। 20 जिसको। 21 बुला कर। 22 जिसके पीछेके । 23 पोते। 24 नाला।
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५४ ]
मुंहता नैणसीरी ख्यात परणीजण आयो हुतो सु किणही सूल व्याह तो न हुवो', नै मांगणं . . घणा भेळा हुवा । तिणां विना परणियां त्याग दियो । जसहड़रा बेटा
१ रावळ दूदो। १ तिलोकसी। १ वांगण। १ सांगण । १ आसकरण ।
रावळ दूदो जसहड़ोत नै तिलोकसी जसहड़ोत अ बेहूं भाई, जसहड़रा बेटा । जसहड़ पाल्हणरो। पाल्हण काल्हणोत । सो अ क्युंही टीकायत हुता नहीं। मूळराज, रसनसी काम पाया तरै गढ़ : पातसाह लियो नै रांणा रतनसीरा बेटा घड़सी, कानड़, ऊनड़-मूळ- ... राजरा । भायेलो कमालदी थो, तिणनूं बीज' उबारगनूं सूपिया था, सु कमालदी जीव ज्यां राखै छै । पछै पातसाहनूं खवर हुई तरै कमालदी घोड़ां ४ चाढ नै काढिया सु झै नागोर आया । पछै गढ़ सूनो पड़ियो; तद रावळ मालदेजीरी वडी ठकुराई थी सु राठोड़ जगमाल मालावत गढ सूनो देख नै लेणरो विचार कियो। गढ़में वसणरी तयारी कीवी। गाडा ३०१ सीधारा' भर चलाया सु जाय गढ़ पोहता'", सु बारहठ रतनूं चंद्रव मालारो विखायत थको महेवै रह्यो थो", तिण'। जांगियो गढ़ माहरा ठाकुरांसूं जाय । तरै भाटी दूदो तिलोकसी जसहड़रा बेटा पारकर रेहता उणां13 खवर कराई, जु-"गढ़ लीजै छै ।" तरै दूदो तिलोकसी प्राय गढ मांहे पैठा" सु जगमाल बांसाथी आयो । तरै आगै घोड़ारो घंस दीठो', तर कह्यो-'अ कुण' ?" तरै वारहठ चंद्रव राठोड़ जगमाल कनै1 .. रहतो सु बारहठ कह्यो-"वीजो तो कोई इसड़ो1 भाटी जांणियो
.......... ............... .................... जैता सालोड़ी पीपल-बड़ लग्नमें विवाह करनेको आया था परन्तु किसी कारण . विवाह नहीं हो सका । 2 परन्तु वहां मांगने वाले बहुत इकट्ठे हो गये उनको विना विवाह हुए ही त्याग (विवाहका दान) दिया। 3 दोनों। 4 तव । 5 मित्र । 6. जिसको। 7 वंश। 8 ये। 9 भोजन सामग्रीके | 10 पहुँचे। II मालाका बेटा रतनूं-बारहठ चंद्रव .. संकट कालमें मेहवेमें रहा था। 12 उसने । 13 उनको। 14 गढ ले रहे हैं। 15 प्रवेश ... किया। 16 पीछेसे। 17 तव आगे घोड़ोंका झुंड देखा। 18 ये कौन ? .19 पास । ' 20 दूसरा। 21 ऐसा ।
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मुंहता नैणसीरीः ख्यात
[५५ · नहीं नै भाटी दूदो तिलोकसी जसहड़रा बेटा पारकर रैहता, सु झै
है तो खबर नहीं ।" तरै जगमाल उठै उतरियो', नै प्रागै खबर करण→ आदमी २ मेलिया तिकै जाय देखै तो दूदो तिलोकसी छ । सु इणे ठाकुरै जगमालजीनूं जुहार कहाड़ियो नै कह्यो-“मांहरो गढ़ थो, म्हे लियो ।" तरै आदमियां पछै जगमालनूं कह्यो । तरै जगमाल वळे कहाड़ियो-"जु गाडा ३०१ सीधारा म्हारा छ, सु उरा द्यो'।" तरै दूदै तिलोकसी कह्यो-"त्रै तो म्हे लिया । थे म्हारा गाडा जांणो तठारा लेज्यो ।. जगमाल पाछो आयो। नै रावळ दूदो पाट बैठो, सु दूदो पण वडो औनाड़' हुवो नै रावळ मूळराज, रांणो रतनसी जसळमेर नेम घातियो', तद दूदै पण नेम घातियो थो, तिका वात मूळराज रतनसीरी वात मांहै लिखी छै । सु एक दिन रावळ दूदो आरीसो जोवतो श्रो. सु पळी १ दाढी माहै दोठी तरै मूळ राज रतनसी भेळो नेम लियो थो सु दूदायूँ नेम चीत पायो । तरै रावळ मन-मांहै जांणियो जु-"जरा तो नेड़ी आई15; यूंही मर जाईजसी'; किणीक सूल नाम रहै तिका वात कीजै ।" तरै तिलोकसीनूं कह्यो, तरै तिलोकसी कह्यो-“भली वात छै ।" सु रावळ दूदै वरस १० मास ..दिन ७ राज कियो। दूदै तिलोकसी पातसाही धरतीरा बिगाड़ करणा मांडिया, सु रावळ दूदो तौ गढ़में रहै नै तिलोकसी च्यारूं ही तरफां पातसाही धरतीरो रोज बिगाड़ करै, सु कांगड़ो बलोच मारे नै घणी घोड़ियां प्रांणी । बाहेली गूजरांरी थाट भेंसियांरी लाहोर कनैथा प्रांणी। सोनारो मथांण ले आयो। पातसाहरै पाणीपंथा घोड़ारी सोबत आवती थी सु मार ली। मैं तो वड़ा विगाड़ किया नै
____ I सो ये हों तो पता नहीं। 2 तब जगमाल वहां ठहरा । 3 भेजे। 4 वे। 5 सो इन ठाकुरोंने जगमालजीको प्रणाम कहलवाया। 6 दूसरी बार । 7 सो दे दें। 8 ये तो हमने ले लिये। 9 तुम हमारी गाड़ियां चाहे जहांसे ले लेना। 10 अनम्र, जबरदस्त । 1 नियम धारण किया था। 12 देखता था। 13 सफेद वाल । 14 याद । 15 बुढापा तो निकट आया। 16 यों ही मरना हो जायेगा। 17 किसी भी प्रकार नाम रह जाय वैसी बात की जाय।
18 सो कांगड़ा बलोचको मार करके बहुतसी घोड़ियें ले आया और बाहेली गूजरोंकी भैंसियोंका .. समूह लाहोरके पाससे ले आया। 19 उनकी सोनेकी मथानी ले पाया। 20 बादशाहरू ___ लिये (पानीपंथा) पवनवेगी घोड़ोंको सोहबत आ रही थी उसे भी मार कर खोस लिया।
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मुंहता नैणसीरी ख्यात बीजा' विगाड़ किया तिणांरी संख्या ही नहीं। सु पातसाह कनै ठोड़ठोड़री पुकारां गई । तिण ऊपर पातसाह घणो कोप कर फोज विदा की, सु गढ पाय घेरियो, सु दूदै तिलोकसोरै साको करणरी मनमें हुती, जिणसूं दूदै तिलोकसी गढ साझियो नै सासता ढोवा हुवै छै । तिण साखरो रतनूं आसरावरो कह्यो घणो गुरग छ, तिण माहिलादूहा-आवटियो एकोहटा, दे दुरहटा" मेल्हांण ।
सांभर आपो आपरा, गा सोधे रिण ढांण ||१ एक सु तत्तै संग्रहै, हूंता सेन वहूत । थेटा-लग काढे परी, किय तुरकै ताबूत ॥२ मड्ड हुवा आयो मुगल, नाया ढलपति ढाल । पड़ियो दिल्ली पीटगो, गो रण तोड़े गाल ॥३ दांतूसळ हसती तणा', सांकळ केकाणेह । साखत आई सोवनी, तणीज तुरकांणेह ॥३ ऊसस्सै14 15 सासियो, धिखियौ" दाणव-राह। हिंदू ग्राध न आवही, नहीं मळेछ माह ।।५ परवांणो पतसाहरौ, लिख मूकै मेलांण ।। इण गढ हिंदू वांकड़ौ, कर ग्रहियां केवांण ॥६ जेसळमेर दुरंग गढ़, दूठ ज दूदो राव। मेघाडंवर-छत्र सिर, दोध निसांणे घाव ॥७ .. नीसांणै घाव वाजिया, गाजै गहरै सह। प्राक पतसाह दळ , पडहायौ पर-मद्द।।८
I दूसरे । 2 उनकी । 3 इसलिये दूदे और तिलोकसीने गढ सजाया और निरन्तर हमले हो रहे हैं। 4 वर्णन । 5 क्रोध किया, नाश किया। 6 एक वार । 7 दुवारा 8 अंत. तक । 9 दांत (हाथीकी)। 10 का। II घोड़ोंकी । 12 घोड़ेकी जीनका सामान, जीन। 13 होनेकी । 14 जोशमें आ कर । 15 करके । 16 संधान किया, संभला । 17 युद्ध किया, भिड़ा। 18 मुसलमान 1 19 फरमान । 20 लिख कर भेजता है। 21 वंका। 22 तलवार। 23 दुर्ग। 24 जबरदस्त। 25 नगाड़े पर। 26 डंकेकी चोट। 27 शब्द, आवाज । 28 भयभीत होता है, धूजता है। 29 मर्दन कर दिया। 30 शत्रुका गर्व ।
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मुंहता नैणसीरी ख्यात
[ ५७ जेतो' «य गोळा वहै, सर पूजै सर वाव । तेती ढूक न सक्कही , मारै दूदौ राव ॥६
ओ मारै ऊ' मोकळे , रहिया दळ नेठाह । हठ हूवौ दुदै सरस, प्रारंभ पेरोसाह ॥१०. हिंदू कोट न छांडही, ना तुरकै मेल्हांण । विग्रह1 थौ बार-बरस", दूदै नै सुरतांण ॥११ . रावळ भुरज पधारियौ, ए ऊपाव करेह । जंत्रमें चरू14 नखाड़ियौ15, घ्रत खंड खीर भरेह ।।१२ ऊपड़िया पतसाह-दळ", वागी भेर निसांण । भाटी दांनो भीमदे, तव गाढम1 प्रामांण ॥१३ सुधन भंडारां निठ्ठियो, लिख मोकळिया खत्त । जो असताई सांभळे, रावळ भखण परत्त ॥१४ ढोवै ढूक न सक्किया, तोखै जोया त्रांण" । थाहर" आपो-यापरी , ग्रह रहिया मेलांण ॥१५ सूंडाळा-घड़ सांमही, फेरी जेसळमेर । पाछो दळ पतसाहरो, घिरियो घातै घेर३° ॥१६ दूदो कहै तिलोकसी, तो सिर छत्र धरेह । परत न भंजां आपणो, गढ छळ घणो करेह ।।१७
आद अनादि उपाविया, लोचनहूंत जवार । जीभां हूं। गोहूं किया, कोरड़ उरह 8 मँझार ॥१८
I जितनी। 2 भूमि, दूरी। 3 बारण । 4 पहुंचता है। 5 उतनी दूरी तक शत्रु लक्ष्य नहीं कर : सकता। 6 यह । . 7 वह, उसके। 8 (१) वहुतसा, (२) भेजता है। 9 समाप्त, खत्म । 10 युद्ध । II युद्ध । 12 बारह वर्ष । 13 और । 14 भोजन-सामग्री रखनेका एक पात्र,
चरू। 15 डलवाया। 16 चले, रवाना हुए। 17 बादशाही सेना। 18 बजी। 19 दुंदुभी। ... 20 नगाड़ा, ढोल । 21 बल, शक्ति । 22 समाप्त हो गया। 23 भेजे । 24 प्रतिज्ञा ।
25 हमलेके स्थान पर (रणांगण में) पहुँचनेका साहस नहीं कर सके। 26 घोड़ोंने (अश्वारोही . सेनाने) शरणकी तलाश की। 27 रक्षा-स्थान । 28 अपनी-अपनी। 29 हस्ती-सेना । .30 चक्कर लगा कर वापिस लौटा। 31 किसी भी प्रकार । 32 के लिए। 33 से ।
34 ज्वार । 35 जीभसे। 36 गेहूँ। 37 (१) एक जंगली धान्य, (२) मोठ । - 38 हृदय, छाती।
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५८ ]
मुंहता नैणसीरी ख्यात हाडां हूं' चावळ हुवा, रू, राई, खड़', धन्न । तो असताई संभळी, ते क्यूं टूकै मन्न ।।१६ रावळ अन परतावियो', सो क्यूं अन्न भखेह । तो प्रोळी बोलाय कर, सिर क्यूं छत्र धरेह ॥२० तो वैठे मैं सारिया, कज्जा लाख सवाय । मो बैठां वंजिये कवण', कसवां करसी घाय ॥२१ अंतेवर पूछाड़ियो, वां केहा11 परियांण । सोढी आगै इम' कहै, सो चाढो निरवांण ||२२ अंतेवरै कहावियो, साहस पूर न गत्त। वांस न रहो सांकवा, सांही अच्छ परत्त ।।२३ रावळ जमहर राचियो, कुसळे पुत्र बोहळाय। नीमणियाइत' के रह्या, रहया जु अन परताय ।।२४ कोट तणै छळ वंस छळ, सरगतणीजगीस। रावळसूं अपनेमिया , रहिया सुभट पचीस ।।२५.. ... कोट तण छळ वंस छळ, सरग समेळे साथ। माधू खड़हड़ भाटिय, खग आवजियो हाथ ।।२६ । दूसळ अनियै देवरज, कहि भांणव अरणपाल । पतसाही दळ झवा, भडां23 भेडू कमाल ॥२७ सातळ सोह हमीर दे, चक्रवत झै चहुवांण । भाला भंवाडै पून रज, अधिक कळह परमांण ।।२८ वैर सनेही वाळियो, फिटक संभ्रम कुळ-मोड़ । खेडेचो खग ऊभियो, रहै हरो राठोड़ ।।२६ . सांम ज संवाहै करै, कर सोळह खंगार। .
I हड्डियोंसे । 2 रूई । 3 घास । 4 धान । 5 अन्न । 6 त्याग दिया। 7 बनाये, . सम्पन्न किये। 8,9 भागा कैसे जाय । 10 जनानाने (पत्नी ने) | II कैसा। 12 इस प्रकार। 13 महिलाओंने कहलवाया। 14 पीछे। 15 जौहर । 16 बहुतसे । 17 चुने हुए लोग। 18 के लिये । 19 युद्ध । 20 नहीं चुने हुये । 21 धारण किया । 22 चारण। 23 वीरोंको। 24 चक्र दिलाये । 25 पवन । 26 युद्ध । 27 पुत्र । 28 वंश-शिरोमणि ।
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मुंहता नैणसीरी ख्यात
[ ५६ आ रांणी रावळ अगै, गळ तुळछीदळ हार ॥३० तेलोचन तेही-वदन', तेवै थन गज थन्न । दुय भायां तणा विसावणा, जांण अंतेवर कन्न ॥३१ रावळ जमहर रच्चियौ, अंतर सरग प्रमाण । सोढी कहियौ सांमनूं, मो आपो अहिनांण" ॥३२ जे सोढी सिर कापियो, चहरो थियै संसार । कहसी रावळ ओ कियो, एहो' दोख विचार ।।३३ . जे कर काटां दाहिणो, खांडो किह झालांह' । प्रोळी हुयसी प्रह1 समै, मेळो मिलकांणांह ।।३४ रावळ अंग निसंग कर, आ1 वाहै14 केवांण । चलणह काट पापियो", नांउ पुरख सहनांण ॥३५
वात
रावळ दूदो तिलोकसी जसहड़ोत जेसळमेर गढ ऊपर छै । पातसाही फोज तळहटी छै । वरस १२ विग्रहनै हुवा छै। मामला घणाही हुवा, पण गढ हाथ आवै नहीं । तर एक दिन रावळ दूदै अँडसूरियां गढ ऊपर हुती, तिणांरी दूधरी खीर कराय पातळारै खीर लगायनै वे पातळां तळहटी नांखी । पछै वे पातळां लसकररै लोग ले जाय माहै सिरदार थो तिणनूं28 दिखाई ;तरै कटकरै सिरदार विचारियो-“बारै बरस तो हुवा, अजेस29 गढ माहै संचो अतरो1 जु दूध दही हुवै छै", सु गढ हाथ आवरणरो नहीं।" तुरकै डेरो उपाड़ियो । तरै भाटी भीमदे आसकरणोत, आसकरण जसहड़ोतरै,
I यह। 2 त्रिलोचन । 3 त्रिवदन । 4 तीनों 1 5 चिन्ह । 6 अपकीर्ति । 7 ऐसा । 8 किस प्रकार । 9 पकडू। 10 होगा। II प्रभात । 12 काट कर । 13 यह। 14 प्रहार करे । 15 तलवार । 16 पांव । 17 दिया। 18 नाम । 19 चिन्ह । 20 पहाड़के नीचेकी भूमि। 21 युद्ध को । 22 अाक्रमण बहुत हुए। 23 मैलाखोर सूअरियें, ग्राम-शूकरिये। 24 थीं। 25 जिनकी । 26 पत्तलोंके । 27 गिरादीं। 28 जिसको । 29 अभी तक | 30 संचय । 31 इतना । 32 प्राप्त हो रहा है । 33 तुकोंने मोर्चा उठा दिया । 34 तव ।
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६० ]
मुंहता नैणसीरी ख्यात भेद दियो। नै कोई कहै छ, सुरणाई वजाई, तिणमें काई वात जणाई। केई कहै छै, भीमदे आदमी मेल कहाड़ियो, “गढरो संचो तूटौ छै', ओ दूध दीठो जिको भँडसूरियांरो छ, थे पाछा पाय उतरो" । दिन २ नै तथा ३ नै रावळ गढरा किंवाड़ नांखसी ।" तरै मुगल फिर पाछा उतरिया । तरै रावळ दूदै तिलोकसी मरणरो विचार कियो । भीमदे भेद दियो तिणरो हो
गेमी नांव धरावियो, आसावत अणजाण । भाटी दीनो भीमदे, तव गढ भेद प्रमाण ।।१
वात
रावळ दूदै पहलै दिन जमहर कियो, तरै सोढी रांणी रावळसूं अरज करी-"क्युंही रावळे11 डीलरो सहनांण पाऊं।" तरै अंगूठो पगरो काटि दियो । दसमीरै दिन जमहर हुवो नै एकादसीरै दिन । रावळरै मरणरो विचार छै, सु रावळरी बेटी १ वरस : नवरी छै. सु आग मांहै. पैसती डरै, बळी न छै", सु दसमरी रात आधी गई छै नै वा डावड़ी15 रावळ दूदै कनै छै । नै रावळ कनै रजपूत मरणीक' हुय रह्या छ । तिणां मांहै रजपूत १ धाऊ भेछळो वरस . १५रो कंवारो छै; सु मरणीक जूंझारां माहै रह्यो छ, तिको रावळरी पगथळी खुजाकै छै। उण निसासो नांखियो, तरै रावळ कह्यो"कुण वास्तै२° ? आप तो सरगरा हेड़ाऊ छां1, तोनूं दिलगीरी मनमें क्यूं आई ?" तरै धाऊ भेछळे कह्यो-“दूजी तो दिलगीरी काई नहीं
___I शहनाई बजाई । 2 जिसमें किसी सांकेतिक वातकी सूचना दी । 3 कई कहते हैं कि भीमदेने आदमी भेज कर कहलवाया । 4 गढका संचय खत्म हो गया। 5 यह दूध जो देखा है वह ग्राम-शूकरियोंका है। 6 तुम लोग वापिस लौट कर मुकाम कर दो। 7 गिरा देगा। 8 देशद्रोही। 9 मूर्ख । 10 कुछ भी। II आपके, श्रीमानके। 12 शरीरका। 13 रावलकी पुत्री एक नौ वर्षकी है। 14 जली नहीं है। जौहर नहीं किया है। 15 लड़की। 16 पास। 17 मरनेको तत्पर। 18 उनमें । 19 उसने निःश्वास छोड़ा। 20 किस लिये । 21 हम तो वीरगतिको प्राप्त कर स्वर्गमें एक साथ जाने वालोंमें हैं। 22 कुछ भी।
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मुंहता नैणसीरी ख्यात
[६१ पिण सास्त्र पुरांण माहै सुणां छां', कँवारांनूं गत नहीं । आभा मांहै प्रो कँवार-मग वतावै छै । तरै राव दूदै विचार दीठो -" जुआ डावड़ी पण कँवारी छै नै ओ पण रूड़ो रजपूत छै ।" तरै प्रापरी दीकरी धाऊ भेछळेनूं परणाई", सु वा दीकरी पण सवारै इग्यारस थी, सु सत करने बळी' । नै रावळ प्रोळरा किंवाड़ नांख नै दूदो तिलोकसी गढसूं लड़णनूं ऊतरिया, सु साथै २५ तो रजपूत नेमणीयायत उतरिया; बीजो ही घणो साथ ऊतरियो । वेढ हुई सु तिलोकसीरै मुंहडै पांजू पायक आयो सु तिलोकसी पांजूनूं झटको वाह्यो'", सु पांजूनूं सरूं खेलणरी उरजस थी", हाथ-पग भेळा कर कुळाचसू झटको टाळतो थो सु सारै ही डीलमें तरवार वह गई, नव टुकड़ा हुय पड़ियो14 । साख-तील्हरै घाव सौं पांजुरो हेक1 तण,
नवै कुटके हुवो वहि गयो नीझरण।
वात
तरै रावळ दूदै घणो वखांणियो, तरै तिलोकसी कह्यो"भली हुई, आज ही वखांगियो।" तरै रावळ कह्यो-"म्हारी दीठ लागै छै ।" सु तिलोकसीरो तिणही वेळा जोव नीसर गयो । माणस १०० रावळ दूदो काम प्रायो। नै रावळ दूदारी बैरां बीजी तो सगळी ही गढ ऊपर ऊंवर कर बळी । एक लखां मांगळिया रांणीरी
.I परन्तु शास्त्र और पुराणोंमें सुनते हैं । 2 क्वारे मनुष्यकी मरने पर गति नहीं होती। 3. आकाशमें क्वार-मग नामक नक्षत्र-समूह (आकाश गंगा) यही सूचित करता है। 4 तव राव दूदाने विचार कर देखा । 5 अच्छा राजपूत है। 6 तब अपनी कन्या धाऊभेछलेको ब्याह दी। 7 सो वह पुत्री दूसरे दिन जव एकादशी थी सती हो गई (धाऊ-भेछलेके साथ जल गई)। 8 चुने हुए । 9 दूसरा भी। 10 प्रहार किया। II सो पांजूको सिमट कर तलवारसे खेलने का अभ्यास था। 12 इकट्ठ कर, समेट कर । 13 कुलाँच, छलांग । -14 नौ टुकड़े होकर गिर पड़ा। 15 एक । 16 शरीर । 17 नौ टुकड़े हो गये और खून का झरना बह गया। 18 बहुत | 19 प्रशंसा की। 20 मेरी नजर लगती है। 21 तिलोकसीका उसी समय प्राण निकल गया। 22 रावल दूदा सौ मनुष्योंके साथ काम आया । 23 और रावल दूदाकी दूसरी तमाम स्त्रियें गढ़ पर जौहर कर के जल गई।
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६२ ]
मुंहता नैणसीरी ख्यात
बेटी खींवसर थी । सु पातसाह खींवसर कनै आयो, तरै इण दूदारी बैर कह्यो'–“दूदारो माथो ग्रांण दे तो हूं बळू" । " तरै हूंफो सांदू पातसाह कनै जाय माथो मांगियो ; तरै पातसाह कह्यो - " तीन मास हुवा, माथारी किसी खबर ?" तरै हंफैं कह्यो - "हू माथो श्रोळखूं छू, दूदारो माथो हूँ मुंहडै बोलाईस, मोनूं दिखावो ।” तरै माथो दिखायो । तरै दूदारो माथो हसियो, बोलियो ।
6
तिणरी साखरो गीत हंफा सांदूरो कह्यो' -
गीत
क्रम केत स्वरग कज नह भारथ कज', दूठ दूदड़े दळचा दुजोरा ।
11
पह'' तिण12 भवणै- त्रिण 13 पेखियो 14,
.15
16
धड़ पाखै नाचतो धोण " ॥ १
वांछतां वरमाळ वेगड़ा, वकता सुणै दूदै वसियो । जेसळगिरा" तिको दिन जांग,
हाथां ताळी दे हसियो ॥ २ हूं हूंफड़ा मरण किम हारूं, धर सांमी लीजंती धर ।
9
20
मेलूं मूंछ " मीर पण मांन,
21
कमळ" " कहै जो हुवै कर ॥३ कर विण मूंछ भ्रू हसौं सुजकर, अब पियो अंजसियो " गढां गिळेवा आदम गोरी,
22
हड़ हड़ हड़ दूदो हसियौ ॥४
I तव इस दूदाकी स्त्रीने कहा । 2 दूदाका सिर मुझे लाकर दिया जाय तो मैं उसके
साथ जल कर सती हो जाऊं । 3 सिरका क्या पता ? 4 मैं सिरको पहचानता हूँ 15 दूदेके सिरको मैं मुंहसे वुलवाऊंगा, वह मुझे दिखाया जाय । 6 जिसकी साक्षीका चारण हूं फा सांदूका कहा हुआ गीत (छंद) 1 7 लिए 1 8 जबरदस्त । 9 नाश किया 1 10 शत्रु । II स्वामी 1 12 जिसने । 13 तीनों भुवनोंमें 1 14 देखा । 15 पार्श्व में पासमें । 16 सिर । 17 जेसलमेरका निवासी, जेसलमेरका स्वामी । 18 मैं 1 19 मूंछों पर हाथ रखूं। 20 प्रतिज्ञा 1 21 सिर 1 22 अपूर्व भांतिसे शोभित और गर्वित हुत्रा ।
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मुंहता नैणसीरी ख्यात
[ ६३ दूहो, रावळ दूर्दै आपरो कह्यो
मैं जाणंत मेल्हियो, विसहर माथै पाव ।
मनखत मांणी आपरी", अहिवा खाव म' खाव ॥१ गीत वीठू बोहड़रो कह्यो
धर काज धीरत मल धरै धीर तण', आपांणो बळ आउठ गिर । पाव परठवै दूद परगंजण' । सरप कसण सुरतांण सिर14 ।।१ सु विख किलंब15 सिर केहर दुजरणसल पाव परठवै सझै फण। कंदळ करण घणूं कसमसियो", फेर न सकियो किही18 फण ॥२ मिणधर19 मेछ. कमळ मह-मोहण, चाच वंसोधर दे चलण । {णस वट तो तण माडेचा, मनखत मांणी निभै मण ॥३ वडगिर? ? विखम वडो-वड रावळ, दुरंग29 पण ते दईव डरै । पोह° पतसाह पाळ-कुळ1 पैहडै । कीधो पग तळ राज करै ।।४
___ I रावल दूदेके स्वयंका कहा हुआ दोहा । 2 जानते हुए। 3 रखा। 4 सर्प । 5 सिर पर । 6,7 जैसा चाहा वैसा ही उसके साथ किया। 8 सर्प। 9 नहीं, मत । 10 लिये। II शरीर। 12 रखना, धारण करना। 13 शत्रुओंका नाश करनेके लिये। 14 सर्परूपी सुल्तानके सिर पर कृष्णके समान । I5 मुसलमान । 16 युद्ध। 17 (व्यर्थ) प्रयत्न किया । 18 किसी भी प्रकार । 19 सर्प । 20 म्लेच्छ, मुसलमान। 21 महामोहन (श्रीकृष्ण) । 22 सिर । 23 वंशको रखने वाला, वंशको उज्ज्वल करने वाला। 24 पाँव । 25 माड धराका स्वामी, जैसलमेर प्रदेशका भाटी क्षत्री। 26 निर्भय होकर जैसा चाहा वैसा किया । 27 जैसलमेरका किला । 28 बड़े-बड़े। 29 दुर्ग, किला । 30 प्रभु, स्वामी । 31,32 कुलकी मर्यादा छोड़ देते हैं। किया।
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६४ ]
गीत दूजो
मुंहता नैणसीरी ख्यात
जेसलमेर धणी राव जादव, घण दळ सरस मचतै घोय | काल्हणहरो' पड़े कम सीसै, पड़त न फिरियों मिलकां पाय ॥ १ असी लाख आलम-दळ ईखे 3,
4
सांहण* लख आये सुरतांण । भुरज-भुरज भुरज भुरज फिरियो राव भाटी, दो नह फिरियो दीवांण ॥२ सुत जसहड़ सांमां सुरतांण, नित-नित ढोवा कटक नवीन । क्रम राखण दीन्हा नव-कोटां, दूदै धरम-द्वार नह दीन ॥३
गीत दूजो
पटहथ' पतसाह मयंद मोताहळ', पै भांजतां जु भुय" पड़िया ।
.10
.12
11
दूद
दीठा'' मैं चक्रवत चुणता'
कळत 13 स आभरण किया ॥ १
5
,
किलम14 कुंजर नर केहर जुवा कर, पग पग पेखीजै" पड़िया । अविध सुधपत" अधकंठ अबळा, जसह संभ्रम छै जड़िया ॥२
8
.17
काल्हका वंशज । 2 वादशाही सेना । 3 देखता है । 4 घोड़े, घुड़सवार, घुड़सेना | 5 आक्रमण | 6 किन्तु दूदा शरणागत नहीं हुया । 7 हाथी । 8 मृगेन्द्र सिंह | 9 मुक्ताफल, मोती । 10 भूमि पर । II देखे | 12 चुनते हुए | 13 स्त्रियोंके । 14 मुसलमान । 15 अलग करके 116 दिखाई देते हैं । 17 अधिपति, राजा । 18 पुत्र ।
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- मुंहता नैणसीरी ख्यात
[ ६५ सादूळा तै जसहड़ संभ्रम, भिड़ भद्रजाती' असुर' भगा । दीसैं रायहरै दुजणसल,
मोती महिळां' मवड़ लगा ॥३ गीत भाटी तिलोकसी जसहड़ोतरो
तांतलीया तुरंग म खड़' खग लीना , जुड़वा रथ जोगणपुर' जाय । असपत' राव तणा11 दळ' आया, तिलोकसी नह विसरै ताय ।।१ भणै तील्ह रिणभोम भयावण, डरियां मम डरायो। नर नीसरै14 जकै सनियाई, अनियाई" हूं18 आयो ॥२ . अविहड़'' मन जसहड़ अंगोभ्रम, वडफर1 वजै न विहंडे वंस । तील्हा तणो कोट बकारण",
हांगूं करतो उडियो हंस ॥३ . रावळ दूदैरा बेटा. : १ वीसळदे दूदावतरो कडूंबो जेसळमेररै देस भैंस. बालो राव चूंडारो मामो, नागोर चूंडा साथै काम आयो । .: १. रांणो दूदावत । ..
... I हाथी । 2 मुसलमान । 3 दिखाई देता है। 4 रायसिंहका वंशज । 5 महिलाओंके । 6 मस्तकाभूषण । 7 चला करके । 8 खङ्ग, तलवार । 9 दिल्ली। 10 राजा। II का। .
12 सेना। 13 कहता है। 14 निकल जाते हैं। 15 वे। 16 न्यायी (निर्मुक्त)
- 17 अन्यायी (बन्धनसे नहीं डरने वाला, निर्भय) । 18 मैं । 19 अखंड, निर्भय। 20 पुत्र, .:. पौत्र, वंशज । 21 ढाल । 22 नाश करता है । 23 का। 24 ललकारनेको। 25 उत्साह
पूर्वक प्राण-विसर्जन कर दिया, युद्ध करते-करते प्राण छोड़ दिया। 26 दूदाका पुत्र वीसलदेव और जैसलमेर राज्यके भैंसड़े गाँव वाले उसके कुटुम्वियोंमेंसे बाला. जो राव चूंडाका मामा लगता है, उसके साथ नागोरकी लड़ाईमें राव चूंडाके साथ वह भी मारा गया ।
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६६ ]
मुंहता नैणसीरी ख्यात २ पूनो, राव रिणमल चंग वेढ हुई तठे काम आयो । ३ दुरजणसल । ३ जैतो। ३ खेतो। ३ चाचो । ४ रायमल तिणरो करायो रायमलवाळो तळाव ।
२ वणवीर रांणारो चाकर थो। राव जोध मंडोवर लियो तद कांम प्रायो।
३ भाटी जैतो पूनावत । तिणरो परवार जोधपुर चाकर, प्रांक ३ ४ भांडो।
८ तेजसी। ५ वनो।
६ रांमो। ६ रायसल । ६ भैरव ।
१० मांनो । १० करन । ६ नांदण । ६ तेजो। ६ जेसो।
६ सूजो । ६ सांईंदास । ७ भारमल ।
६ पीथो। ८ हाथी।
८ पिराग । ६ नरसिंघ । ६ करमचंद । ६ पंचाइण । ६ मोटो।
८ कलो।
.
वात
रावळ घड़सी राणा रतनसीरो बेटो । मूळराज, रतनसी साको कर मुंवा तद कमालदीनूं आपरो बीज उबारणवू घड़सी, ऊनड़, कां-... .. नड़ आपरा छोरू नै एक देवड़ो भाणेज कमालदीनूं सूपिया था । कमालदो नै मूळराज इण विखा माहै भाएला हुवा था ; पाघड़ी पलटी हुती । सु कमालदी नै कमालदीरी बैर' इणां° छांना राखे ।
I चंग गांवमें राव रिड़मलके साथ हुई लड़ाईमें पूना मारा. गया। 2 रायमल .. जिसका बनवाया हुआ रायमल वाला तालाव' है । 3 बनवीर, राणाजीका चाकर, राव जोधाने मंडोर पर अधिकार किया तव काम आया। 4 पूनाका पुत्र भाटी जैता जिसका परिवार जोधपुरमें चाकर है । 5 मूलराज और रतनसी दोनों साका. (क्षत्रियोचित कीर्ति-कार्य) करके मर गये। 6 उस समय रतनसीने अपनी वंश-रक्षाके लिये घड़सी, ऊनड़ और कानड़, अपने तीन लड़कोंको और चौथा अपना एक देवड़ा भानजा, इन चारोंको कमालुद्दोनके सुपुर्द कर दिया । 7 कमालुद्दीन और मूलराज दोनों इस संकटमें (युद्ध में) पधड़ी-बदल भाई . . (धर्म भाई) हो गये थे। 8 प्रार। 9 स्त्री । 10 इनको। II गुप्त । ::
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मुंहता नैणसीरी ख्यात
[ ६७ आपरा छोरूवांसू उपरंत किया राखै छै । इणांरै रसोईदार बांभण २ जुदा-जुदा राखिया छै। पछै कमालदी जेसळमेर ले पातसाहरी हजूर अायों ; तरै कपूरै मरहटै पातसाहनूं अरज गुदराई - "कमालदी नै मूळ राज रतनसी भाएला था', सु मूळ राज रतनसी साको कर मुंवा, तरै आपरा" बेटा-भतीजा कमालदीनूं सूपिया छ, सु कमालदी कनै छै ।" पछै कमालदी दरबार आयो तरै पातसाह पूछियो-'थारै घरै रतनसीरा बेटा घड़सी, कानड़, ऊनड़ तीनैई भाई नै देवड़ो १ मूळराज रतनसीरो भाणेज छै, सु प्रांण हाजर कर' ।” तरै कमालदी कह्यो"हजरत ! म्हारै कनै को न छै", हुसी तो वळे खबर करीस11 ।" तरै कमालदी घरै आयो। आयनै घड़सी, कानड़, ऊंनड़, देवड़ो यां च्यारां ही नै ४ च्यार वडा घोड़ा दे नै काढिया, सु औ अठारा नीसरिया नागोररै सकरसर अाया' । सु पातसाह ठोड़-ठोड़ जासूस
मेलिया था, सु घड़सी, कानड़, ऊंनड़, देवड़ो यां च्यारां हीरा ... अहिनांण" लिखिया जु-"इसई अहिनांण छै", तिकारी खबर
करज्यो', अठारौँ नीसरिया छै19 ।" सु झै अठै नागोररा हाकमरै पांनै पड़िया, सु पो लेनै पातसाहरी हजूर जातो थो। पछै निवाज करतानूं घड़सी उणरीहीज तरवारसूं उणरो माथो काटनै उणहीजरै 'घोड़े चढनै नीसरिया सु चांमं आया। आयनै23 पछै कठेक भायांनूं राखने, देवड़े मैंगळदे भाणेजनूं पोहचावणनूं
I अपने पुत्रोंसे भी विशेष समझ कर उनकी रक्षा करती है। 2 इनके लिये । 3 फिर कमालुद्दीन जैसलमेर पर अधिकार करके जव बादशाहके दरबारमें आया। 4 तब कपूर मरहट्ठने बादशाहसे अर्ज की। 5 कमालुद्दीन और मूलराज तथा रतनसी परस्पर मित्र थे। 6 तब। 7 अपने। 8 वे कमालुद्दीनके पास हैं। 9 उनको लाकर हाजिर कर । 10 हजरत ! वे मेरे पास नहीं हैं। II यदि होंगे तो मैं पता लगाऊंगा। 12 आकर के। 13 इन चारों हीको चार बड़े घोड़े दे करके रवाना कर दिया। 14 सो ये यहांसे निकल कर नागोरके सकरसर गांवमें आये। 15 बाहशाहने जगह-जगह जासूस भेज दिये थे। 16 चिन्ह, हुलिया। 17 ऐसे हुलिया वाले हैं। 18 जिनका पता लगाना। 19 यहांसे निकल गये हैं। 20 सो ये यहां नागोरके हाकिमके हाथ लग गये। 21 सो यह उन्हें लेकर के बाद- शाहकी हुजूर जा रहा था। 22 फिर घड़सीने नमाज पढ़ते हुए उस हाकिमका उसीकी 'तलवारसे सिर काट कर उसीके घोड़े पर चढ़ करके रवाना हुआ सो चांमू पाया। 23 आकर के। 24 किसी स्थान पर ।
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६८ ]
मुंहता नैणसीरी ख्यात घड़सी पाबू दिसा गयो तो', सु पाछो वळतो मेहवा मांहै आयो । माळी घरे डेरो कियो, सु जगमाल सिकार चढियो, तरै घड़सी ऊभो थो सु जुहार न कियो । तरै रावळजीनूं जगमाल आय कह्यो"जु गांव मांहै आज इसड़ो रजपूत आयो छ, सु कैतो कोई गिवार छै, के कोईक राजवीरै घररो छोरू छै।" तरै रावळजी तेड़ियो', सु खबर को पड़े नहीं । तरै चाकरनूं पूछियो, कह्यो-"तूं जांण छ, प्रो कुण छै1° ? "तरै चाकर कह्यो-हूँ तो क्यूं जांणूं नहीं1; नै .. . एक दिन म्हनै घड़सी मारणो विचारियो थो, तरै मोनूं कह्यो-"तूं हथियार नांख दे, रावळ मूळराज राणा रतनसीरी आण, तोनूं मारूं नहीं।" तरै रावळ मालदेजी अटकळियो जु मूळराज रतनसीरो बेटो-भतीजो छै1 । घणो आदर-भाव कर राखियो14 1 पछै रावळ मालदेजी आपरा बेटा जगमालरी वेटी घड़सीन परणाई13 । तठा पर्छ कतराईक दिन घड़सी रावळ मालदेजी कनै रह्यो । पछै मास ५ तथा ७ प्राडा घातनै घड़सी रावळ मालदेजीसू अरज कराई"-"जु राज कहो तो हूँ पातसाहरी अोळग जाऊ18 । मांहरी धरती वळणरो काई सूल करां।" तरै रावळ मालदेजी खुसी हुयन सीख दीवी। तरै रावळ घड़सी आपरा माणस लेने 1 फळोधीरै किनारै किरड़ार
1 घड़सी अपने भानजे मैंगलदेवको प्रावूकी ओर पहुँचानेको गया था। 2 वह वहांसे ... लौटता हुआ मेहवामें आया। 3 किसी मालीके घर पर डेरा लगाया। 4 उस समय घड़सी खड़ा था परंतु उसने जगमालको जुहार नहीं किया। 5 ऐमा । 6,7 सो या तो वह कोई . गँवार है या किसी राजवंशीके घरका पुत्र है। 8 तव रावलजीने उसे अपने पास बुलवाया। 9 परंतु कोई पता नहीं लगा । 10 तू जानता है क्या, यह कौन है ? II मैं तो इसके बावत: कुछ नहीं जानता । 12 किन्तु एक दिन जब कि इस घड़सीने मुझे मार डालनेका इरादा कर लिया था, लेकिन फिर उसने मुझे कहा कि 'तू शस्त्र डाल दे तो तुझे नहीं मारूंगा, मुझे . रावल मूलराज और राणा रतनसीकी शपथ है ।' 13 तव रावल मालदेवजीने अनुमान लगाया कि यह मूलराज और रतनसीके बेटे-भतीजोंमेरो है। 14 फिर वहुत आदर-भावसे रखा। 15 पीछे रावल मालदेवजीने अपने पुत्र जगमालकी पुत्रीका घड़सीके साथ व्याह कर . दिया। 16 जिसके वाद कितनेक दिन घड़सी रावल मालदेवजीके पास रहा। 17 फिर . . ५-७ महीने बीत जाने के बाद रावल मालदेवजीसे अर्ज करवाई। 18 यदि श्रीमान ग्राना करें तो मैं बादशाहकी सेवामें जाऊं। 19 हमारी धरती (देश) प्राप्त करनेका कोई उपाय करु। 20 तब रावल मालदेवजीने प्रसन्न होकर जानेकी आज्ञा दी। 21 तव रावल घड़सी अपने प्रादमियोंको लेकर ।
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मुंहता नैणसीरी ख्यात
[ ६६ किनारै गांव बधाउड़ो छै, तटै माणसांन राखनै आप पातसाहरी अोळग
गयो । उठे वरस १२ चाकरी कीवी । आदमी १० तथा १२ - भाटी नै आदमी २ चारण कनै था, सु उठै बोहत परेसान हुवा । - भूख गाढा दबाया।
एक वात युं पण सुणी छै । जु घड़सी आप चतुर थो, सु उठे ... किणांहेकां सिरदारां-उमरावांरा वागा डेरै बैठो सीवतो । वागै एक
.. रुपियो एक मसकतरो लेतो' । यूं कर आपरै डेरारो खरच कर आयो ... काढतो, पण पातसाहरी चाकरी करतो' । तिसडै पूरबरो पातसाह
समसदी, तिको दिल्लीरा पातसाह ऊपर आयो । कोस २० रो दोनूं फौजार वीच रह्यो, तरै पूरबरै पातसाह कबांण १ दिल्लीरै पातसाहनूं मेली'',-"जुथांहरा कटक मांहै कोई इसड़ो छै, जिको श्रा कबांण चाढै ।" तरै पातसाहरो बीड़ो सगळे ही कटक मांहै फिरियो4, "जिकोई प्रा कबांण चाढे तिकैनूं म्हे बहोत निवाजस करो।" सु लसकररा सिपाइयां सगळां कबांण दीठी16; पिण किणहीथा कंबांण चढावणरी प्रासंग पड़े नहीं' । सकोई कबांणसूं खस-खस परा गया18 । तरै रावळ घड़सीरै चाकर १ भाटी खूणग ऊदळरो बेटो, जैचंदरो पोतरो, तिण घड़सीनूं कह्यो-'थे कहो तो
I अपने मनुष्योंको वहां पर रख कर स्वयं बादशाहकी सेवामें गया। 2 १२ वर्ष तक वहां रह कर चाकरी की। 3 १०-१२ भाटी राजपूत और २ चारण उसके पास थे। 4 भूखने (गरीवीने) बहुत कष्ट पहुंचाया। 5 एक बात यों भी सुनी जाती है। 6 वह वहां . पर कईएक सरदारों-उमरावोंके डेरोंमें बैठ कर बागे सिया करता था। 7 प्रति बागा एक
रुपया मजदूरीका लेता था। 8 ऐसा करके अपने डेरेका खर्च चलाता था। 9 फिर भी बादशाही चाकरी तो करता रहा। 10 इस बीच पूर्वका बादशाह समसुद्दीन दिल्लीके बादशाह पर चढ कर आ गया। II दोनोंकी सेनाओंमें २० कोस का अंतर रहा । 12 तव पूर्व के बादशाहने दिल्लीके वादशाहके पास एक कमान (धनुष) भेजी। 13 तुम्हारी सेनामें
कोई ऐसा वीर है जो इस कमानको चढ़ा दे। 14 तब बादशाहका बीड़ा इस घोषणाके . . साथ सारी सेनामें फिरा। 15 जो कोई इस कमानको चढा दे उस पर हम बड़ी कृपा
करेंगे। 16 सेनाके सभी सिपाहियोंने कमानको देखा। 17 परंतु किसीकी भी कमान चढानेकी हिम्मत नहीं होती। 18 सभी कोई उससे पत्र-पच कर चले गये। 19 घड़सीका एक सेवक जिसका नाम भाटी लूणग, जो ऊदलका बेटा और जयचंदका पोता था, उसने
'घडसीसे कहा।
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७० ]
मुंहता नैणसीरी ख्यात हूंबीड़ो लूं, कवांण चढाऊं।" तरै घड़सी कह्यो-"बीडोले।" तरै लंणसी बीड़ों लियौ । तरै लूंणगनूं पातसाह कनै ले गया। उठै पातसाह माहला मांडै तेड़ने लंणग प्रागै कवांण नांखी; तरै उठे लूंणग कवांण चढाई। चढायनै एक पातसाहरी सहेलीरै गले में घाती , नै कयो-"हमैं राज जांणो तिण कना कढावज्यो ।" इतरी कहिन लूंणग डेरै आयो । वास' पातसाह जोरावर तिके जांणतो त्यांनी तेड़ाया; पिण' किणहीसूं कबांण निकळी नहीं। तरै वळे' लूंणगनूं हीज तेड़ कवांण कढाई। पछे पातसाह लूंणगसू खुसी हुवो, कहयो-"थारै जोईजै सु मांगा।' तरै लूंणग कहयो-"म्हारै नै म्हारा ठाकुररै चढणनूं घोड़ा निवळा . छ । दोय भैराकी घोड़ा म्हे पावां।" तरै पातसाह आपरी असवारीरा दोय घोड़ा दिया । पछै दिन दोयनं वेढ' हुई; तरै घड़सीनूं लूंणग कहयो-“प्रांपै वेढसूं अलाहिदा रहिस्यां, नै अांपांनूं धरती वाळणी छै। . प्रांपै आगला पातसाहनूं निजरमें राख ठावो करां तो फाइदो छै', सु हमैं वेढ तो प्रांमो-सांमी हुवै छै ।" तिण वेळा घड़सी नै लूणग दोन असवार पाखतीवांणा ऊभा रहया 1; नै आदमी १० आपरांनूं जासूस मेलिया था, जिकां आय कहयो-"सुपेद हाथी, तिणरै ऊपरै अंबारी, तिणरै मोती लटकै, उण अंबारी माहै पातसाह छै ।" तरै पातसाहरा हाथी नजीक आया, तरै बेऊ असवारे घोड़ा उपाड़ . नांखिया, सु लूंणग तो पातसाहरै हाथीनूं झटको वाहयो, सु सूंड
__I आप कहें तो मैं बीड़ा उठा लूं और कमानको चढ़ा दूं। 2 पास । 3 वहां वादशाहने लूणगको भीतरी मंडपमें बुला करके उसके आगे कमान डाल दी। 4 कमान चढ़ा करके वहां खड़ी एक बादशाहकी दासीके गले में डाल दी। 5 और कहा 'अब श्रीमान् जिसको अच्छा शक्तिशाली जाने उससे निकलवा देना। 6 इतना कह करके लूणग अपने डेरे आ गया। 7 जिसके जाने के पीछे। 8 शक्तिशाली 1 9 जिनको। 10 उनको। II बुलवाया। 12 किन्तु । 13 किसीसे भी। 14 फिर । 15 तेरे चाहिये सो मांग। 16 निर्वल। . 17 लड़ाई। 18 अपन अलग रहेंगे, क्योंकि अपनेको अपना देश पुन: प्राप्त करना है। 19 अपन अगले (अाक्रमणकारी) वादशाहको लक्ष्य बना कर आक्रमण करें तो अपनैको लाभ .. है। 20 सो अव युद्ध तो आमने-सामने हो रहा है। 21 उस समय घड़सी और लूणग दोनों . घुड़ सवार एक ओर खड़े रहे। 22 और जिन अपने दस आदमियोंको जासूस बना कर भेजा था। 23 उन्होंने । 24 जिसके। 25 नजदीक । 26 तब दोनों सवारोंने अपने घोड़े उठाये ।
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[ ७१ . वाढी' । नै घड़सी हाथीरा दांतूसळां माथै पग देने, अंबाड़ी मांहै
पग देने पातसाहनूं हेठो नांखियो ; नै पातसाहरै माथैरो टोप सवा लाखरो थो सु उरो लीनो । लूणग हाथीरी सूंड उरी लेनै घोड़ारी पाहोरी माहै घाती । अतरै बोजोही साथ पातसाही प्राय पुहुँतो, तिको पातसाहनूं पकड़ ले गयो, सु पातसाह आगै सको वडा उमराव झूठा प्रवाड़ा कहण लागा' । पछै पातसाह समसदीनूं पूछियो-"थांसू मुकालबै (बल) मांहरा वडा उमरावां मांहै कुण-कुण हुवा ?" तरै समसदी कह्यो-"नांव तो हूं जांणूं नहीं', नै मोसूं मामलो° कियो त? थांहरावड़ा उमरावां मुसलमांनां मांहै घणा साथरोधणी को न हुतो। वे तो असवार २ हिंदु हुता, तिणां म्हांनूं झालियो, नै उणै म्हारा माथारो टोप रुपिया सवा लाखरी कीमतरो लियो छै; हाथीरी सूंड पाड़ी छै सु लीवो छै, नै हूं उणांनै देखू तो वताय दूं।" तरै पातसाहरा वडा उमराव प्रवाड़ावै हुता तिके प्रांण दिखाया। पूरबरै पातसाह उणां मांहै कोई कबूल न कियो । पछै सारा उमराव पंचहजारी था लेने (म) सदी ताऊं सारो लोग दिखायो"। सिगळां पछै रावळ घड़सी नै खूणग अाया; तरै समसदी पातसाह इणांनूं दीठा'"; तरै कह्यो-"ौ हुवै ।" तरै घड़सी माथारो टोप सवा लाखरो हाजर कियो । लूंणग हाथीरी सूंड पाहोरी मांहिस्रं काढ हाजर कीवी। पातसाह गाढो राजी हुवौ । इणांनूं फुरमायो-"चाहै सु मांगो, म्हे
... I सो लूणगने तो बादशाहके हाथी पर तलवारसे प्रहार किया और उसकी सूंडको काट दिया। 2 दाँतोंके ऊपर । 3 अंवारीके अन्दर पाँव रख कर बादशाहको नीचे गिरा दिया । 4 सो ले लिया। 5 लूणगने हाथीकी सूंडको लेकर के अपने घोड़ेकी पाहोरीमें (थैलीमें) डाल दी। 6 इतने में दूसरे वादशाही सैनिक भी आ पहुँचे। 7 सो वे सभी बड़े उमराव अपनी वीरताके झूठे बखान करने लगे। 8 हमारे बड़े उमरावोंमेंसे तुम्हारेसे मुका
बिलेमें कौन-कौन हुआ था। 9 नाम तो मैं जानता नहीं। 10 युद्ध । II तुम्हारे । .. 12 कोई नहीं था। 13 जिन्होंने मुझे पकड़ा। 14 और मैं उनको देख लूं तो बता दूं।
15 तब बादशाहके उन बड़े उमरावोंको जो अपनी वीरताकी शेखी हांकते थे, उनको ला कर दिखलाया। 16 पूर्वके वादशाहने उनमेंसे किसीको स्वीकार नहीं किया। 17 पीछे सभी पंच-हजारी उमगवोंसे लेकर...सभी लोगोंको दिखलाया। 18 सबके पीछे। 19 तब बादशाह समसुद्दीनने इनको देखा। 20 ये हो सकते हैं। 21 बादशाह बहुत प्रसन्न हुआ ।
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७२ ]
मुंहता नैणसीरी ख्यात थांन इनाइत करां ।" पछै इणे अरज कीवी-"मांहरो उतन जेसळमेर पावां ।" तरै पातसाहजी अरज मानी। जेसळमेररी तसलीम कराई । दीवांण, बगसियांनूं फुरमायो-"फुरमांण कर दो।" सु रावळ . . साथै महिपो जैतुंग कोल्हारो बेटो साथै हुतो, तिणरै पईसा था', सु उणरा पईसा खरच-तालीको करायो । और ही इण पईसो-टको सारां नेगियां-लागदारांनूं दियो । सारी सिरकाररो लोग राजी कियो, नै एक हलालखोर खासानूं क्युं न दियो हुतो"; तिण एक वार घात घाती थी11; पछै उणनं ही राजी कियो । पछै पातसाही दरगाहसं विदा हुय चालिया। जेसळमेरथा'4 कोस ३ वासणपीरै आगै जेसळमेरथा कोस ३ राजबाई कनै गया, राजबाईरी तळाई वासणपी नै. जेसळमेर विचमें छ, सु तठे आया। सु उठे कोई कसवण हुवो", तरै क्युं पग ठोभिया", उठे उतरिया, सवणी बुलायो, तरै सवणी कह्यो-“एक आदमी अटै वळ दियो जोईजें ।" तरै रावळ साथै प्रादपी १२ साख-साखरा था 1, नै एक रतनूं पासराव वेटै सूधो थो; तरै बारठ विचारियो, विचारनै कह्यौ-"सिगळीही साखरो एकूको छ, नै म्हे दोय जणा छां, सु.म्हां मांहिलो एक जणो वळ चाडो ।" इसड़ो विचार करै छै", तिस. वांसाथी मेवड़ो एक फुरमांण ले आयो । तरै इणे जांणियो-"जु प्रो वांसाथी आयो सु भलो
____ I हम तुमको इनायत करें। 2 इन्होंने ! 3 हमारा देश जैसलमेर हमें मिले । .... 4 जैसलमेरका (मान्यताका) मुजरा करवाया। 5 फरमान लिख दो। 6 कोल्हाका वेटा महिपा जैतुंग रावलके साथमें था। 7 जिसके पास रुपये-पैसे थे। 8 उसके पैसोंसे राज्यतसलीम संबंधी जो खर्चा किया जाता था सो करवाया। 9 सभी नेगियों और लगानदारोंको ... भी नेग और लगान इसीने दिया। 10, II वादशाहका एक खासा हलालखोर था उसे कुछ ... नहीं दिया था, क्योंकि उसने एक बार विश्वासघात किया था। 12 लेकिन पीछे उसको .. भी दे-दिवा कर राजी कर दिया। 13 पीछे वादशाही दरवारसे याज्ञा प्राप्त कर रवाना ... हुआ। 14 जैसलमेरसे 1 1 5 वहां आये। 16 सो वहां कोई अपशकुन हुआ। 17,18 तव वहां : कुछ देर खड़े रहे और फिर उतर गये। 19 शकुनीको बुलाया। 20 एक आदमीकी यहां . . . वलि देनी चाहिये। 21 उस समय रावलके साथ भिन्न-भिन्न शाखामोंके १२. आदमी थे। 22 केवल रतनू शाखाका एक चारण आसराव अपने पुत्रसहित था। 23 सभी शाखाओंका एक-एक व्यक्ति है। 24 और हम एक शाखाके दो व्यक्ति हैं। 25 हमारेमें से एक व्यक्ति- . . की बलि दे दो। 26,27 ऐसा विचार कर रहे हैं इतने हीमें पीछेसे एक दूत फरमान ले करके आया।
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. मुंहता नैणसीरी ख्यात
[७३ नहीं।' तरै कागळ खोल वाच दीठो । कागळ मांहै लिखियो-"जु गढ .. मत द्यो।" तरै मेवड़ो मार खेजड़ी हेलै वळ दियो । पछै छाप दिखाय गढ लियो । वळे आतां कसवण बोलियो । तरै रावळ पूछियो;
तरै सवणी कह्यो-"जु इंण गढ सवो रावळरो नाम रह्यो चाहीजै नै . पाछोपो नहीं रहै ।" पछै रावळ घड़सी घड़सीसर तळाव करायो ।
पछ वरस ३ मास ६ राज कियो। पछै भीम जसहड़ोतरै बेटे तेजसी चूक करनै रावळ घड़सीनूं तळहटी वावड़ी छ त? गोठ कीवी' । रावळजी पधारिया सु वे उतावळा हुया घोड़ासूं उतरतां पहला झटको वाह्यौ सु माथो तूट पड़ियो । धड़ घोड़ो लेनै गढ ऊपर विडरियो थको ले आयो' । पछै प्रोळ रांणी ढकाई । पछै राहड़ वेळा ताई मांहै तेजसी वांसे हुवो आयो । तरै ऊपरलै भाटा नांखिया । तेजसीरो कितरोहेक साथ मारांणो, तरै तेजसी परो नाठो । तरै रांणी विमळादे दीठो, 'रावळरै टीकानूं भाई बेटो को नहीं । गढ किण। दीजै ?" तरै विमळादे रजपूतांनूं कह्यो-"कोई इसड़ो रजपूत, जिको पांच-सात दिन गढ राखै", तितरै म्है मूळराजरो पोतरो', देवराजरो बेटो बारू-छाहिण केहर, रांणा रूपड़ारो दोहीतो उरो प्रांणां ।' तरै
[ यह पीछेका पीछे पाया सो ठीक नहीं है। 2 तब उसके पासका पत्र लेकर खोला और पढ़ देखा। 3 तव उस मेवड़ोको (दूतको) ही मार कर खेजड़ी (शमी) वृक्षके नीचे उसकी बलि दे दी। 4 फिर शाही मुद्रा वाला फरमान दिखा कर गढ पर अधिकार कर लिया। 5 आते हुए फिर अपशकुन हुआ। 6 इस गढके साथ रावलका नाम तो रहना चाहिये, परंतु उसका वंशज कोई नहीं रहेगा। 7 भीम जसहड़ोतके वेटे तेजसीने तलहठीकी बावड़ी पर रावल घड़सीको दगेके साथ एक गोठ दी। 8 रावलजी वहां आये और फुर्तीके साथ ज्योंही वे घोड़ेसे उतर रहे थे, उतरनेके पहिले ही (तेजसीने) तलवारका प्रहार किया जिससे (घड़सीका) सिर टूट पड़ा। 9 घड़सीके कटे हुए धड़को घोड़ा हांफता और घबराया हया गढ पर ले आया। 10 रानीने गढकी पोलें बंद करवा दीं। II पीछे संध्या समय(?) होते-होते तेजसी भी पीछे भागा हुअा अाया। 12 तब ऊपर वालोंने उस पर पत्थर बरसाये। 13 तेजसीके कितनेक साथी मारे गये। 14 तब तेजसी भाग गया। 15 तब राणी विमलादेने विचारा कि रावलके पीछे गद्दीधरोंमें भाई-वेटा कोई नहीं है। 16 गढ किसके सुपुर्द किया जाय । 17 कोई ऐसा राजपूत है जो पांच-सात दिन तक गढकी रक्षा
करे। 18 जितने में हम मूलराजके पौत्रको। 19 देवराजके वेटे केहरको जो राणा रूपड़ेका 'दोहिता है, वारू-छाहिणसे बुला लें।
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७४ ]
मुंहता नैणसीरी ख्यात डेल्है जसहड़ आसकरणरै बेटै कह्यो-'गढ इणां आग म्है राखसां, थे .... म्हांसूं पछै भली करजो, म्हे वीनती करां सु मांनजो' ।” पछै विमळादे वाँह दीवो' । पछै डेल्हो आपरो साथ ले अादमी ५०० लेने गढरी प्रोळ प्राडो बैठो। विमळादे कांगरांसू आदमी उतारनै केहरन तेड़ायो । केहर आयो। केहरनूं टीको हुवो । गढरी प्रोळ खोली । भाटिये सारै आय केहर देवराजोतनूं जुहार कियो । हरांमखोर नास गयो । पछै डेल्है आसकरणोतनूं विमळादे केहरनूं कहिनै चांधणो जेसळमे रसू कोस १२ पोकरणरै मारग दिसा पटै दिरायो ।
रावळ घड़सी रतनसीयोतरै साथै विखा मांहै इतरा रजपूत था - १ जैतुंग महिपो कोल्हावत' । १ जसहड़ डेल्हो आसकरणोत' । १ जैचंद लूंणग ऊदळोत' । २ बारहठ आसराव रतनूं , अासराव तीहणरावरो । तीहणराव,
जोगी, देदो, बूजो, रतनरा। चिराई अासरावरो, बाप वेटो २॥ गीत रावळ घड़सीरो।
घणा दोह लग14 ताहरो नाम रहसी16 घणो, घणा जूझार जु वाहै घाह' । आप प्रांण दिल्ली ऊबेळी; पूरवरो भागो पतसाह ॥१
I इसके आगे गढ़की रक्षा हम करेंगे । आप हमारे साथ भला वर्ताव करना और हम विनती करें उसे स्वीकार करना। 2 विमलादेने वचन दिया। 3 तव डेल्हा अपने साथियोंके साथ ५०० आदमियोंको लेकर गढ़की पौलके आड़ा बैठ गया। 4 विमलादेने गढ़के कंगूरोंसे आदमीको नीचे उतार कर केहरको बुलवा लिया। 5 देवराजके पुत्र केहरको सभी भाटियोंने आ करके जुहार किया। 6 हरामखोर तेजसी भाग गया। 7 फिर विमलादेने केहरको कह करके चांधणा नांव, जो जैसलमेरसे १२ कोस पर पोकरणके मार्गकी ओर है, आसकरणके बेटे डेल्हेको जागीरमें दिलवाया। 8 रावल घड़सी रतनसीप्रोतके साथ, उसके संकटकालमें इतने राजपूत थे। 9 कोल्हाका बेटा जैतुंग महिपा। 10 आसकरणका वेटा जसहड़ डेल्हा। II जयचंद और लूगग ऊदलके वेटे। 12 तिहुणरावका बेटा बारहठ . आसराव रतनू । तिहुणराव, जोगी, देदो और बूजो ये रतनके बेटे और चिराई बासरावका . वेटा। वाप-वेटा ये दोनों माथ थे। 13 दिन। 14 तक। 15 तेरा। 16 रहेगा। 17 तेने अनेक जूझारोंके ऊपर प्रहार किया है। 18 अपने प्राणोंको हथेलीमें लेकर तूने .. दिल्लीकी सहायता की।
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[ ७५
मुंहता नैणसीरी ख्यात एकण घाव धरा वस प्रांणी', पड़गाहै दिल्ली पतसाह । पूरब-पोह' गमियो पर-दीपै", रतनावत घड़सी रिम-राह ॥२ वेढक जेसळमेर वाळियो', कव सीगळ वोले जस कंठ । वड रावळ सरगापुर वसियो', विमळादे सहितो वैकुंठ' ° ॥३
वात
वमा
रावळ केहर देवराजरो। देवराज मूळराजरो। रावळ घड़सी पर्छ टीकै वैठो। वडो ठाकुर हुवो। वरस ३४ मास १० दिन ६ राज कियो । पछै मीच मुंवो' । तिण केहररा बेटा
१ रावळ लखमण केहररो। जेसळमेर टीक बैठो । लीलादे महेवचीरै पेटरो।
१ सोम केहररो। तिणरा अहिजनि, पोकरणरै मढले प्रथम रावळ रूपसीयोतरा छै। नाथारा बेटा रामदास, लालो, हरी, खेतो वीकानेररै देस गांव नाथूसर वसै छै । रूपसीरा पोतरा-गांगो, करन, रांमदास ।
. .१ रावळ केल्हण, रावळ केहररो वडो बेटो टीकाइत हुतो, लाछां देवड़ीरै पेटरो' । रावळ केहरनूं विगर पूछियां महेवचांसूं सगाई की,
1,2 दिल्लीके वादशाहका मान-मर्दन करके एक ही आक्रमणसे धरा पर अधिकार कर लिया। 3 पूर्वके बादशाहको। 4 भगा दिया, गर्व खंडन कर दिया। 5 दूसरे द्वीपमें। 6 शत्रुओंका नाश करने वाला । 7 इस वीरने अपने जैसलमेर राज्यको पुनः प्राप्त किया। 8 कवि सिंहल। 9,10 विमलादेके साथ बड़ा रावल घड़सीने स्वर्गमें जाकर निवास किया। II अपनी मृत्युसे मरा। 12 रावल लखमण केहरका बेटा, लीलादे महेवचीकी कोखसे उत्पन्न, जैसलमेरकी गद्दी पर बैठा। 13 रूपमीके पोते गांगा, करण और रामदास । 14 लाछां देवड़ीकी कोखसे उत्पन्न रावल केहरका वड़ा बेटा रावल केल्हरण राज्याधिकारी था।
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७६ ]
मुंहता नैणसीरी ख्यात तरै रावळ केहररो वडो बेटो केल्हण थो, जिणनूं परो काढियो; नै लखमण मुदायत कियो' ।
१ सोम केहररो, देवड़ी लाछारै पेटरो । इणरै को दिन विकूपुर हुतो। तिण सोमरै वांसला सोम-भाटी छ ।
पछै राव केल्हण सोमरै सगो-भाई विकूपुर आयो। पछै सोम कतार आई हुती तिणरो दांण चुकावण गयो हुतो । वांसं केल्हण किंवाड़ प्राडा दिया। पछ सोम जायने देरावर लियो । वरस पांच-सात सोम जीवियो, पछै सोम मुंवो' । ___टीकै सहसमल बैठो । पछै सोमरै बेटै सहसमल ऊपर जेसळमेररो धणी आयो, तद सहसमल किंवाड नांख बाज मुंबो' । गढ देरावर, सोम नै सहसमलरी देवळियां छै ।
रूपसी सोमरो बेटो। तिको आपरा भतीज लेनै सिंध गयो । पछै राव वरसिंघ रूपसी सोमोतनूं गांव ५ विकूपुररा दीना, पाछो विकूपुर प्रांणियो । १ ग्रावधी वसै ।
१ वजु । १ कंपासर । १ सिंध । १ पीथासर ।
तिण सेवड़ा मांहै औ गांव प्रागै राखसियांरा हुता, पछ सोमनूं दिया।
१ कलिकरण केहरो, लाछां देवड़ीरै पेटरो। तिणरै वांसला जेसा
____ I तव रावल केहरका बड़ा बेटा जो केल्हण था, उसको निकाल दिया और छोटे वेटे लखमणको राज्याधिकारी बनाया। 2 कोई दिन इसके अधिकारमें विकंपुर था। इस सोमके वंशज सोम-भाटी हैं। 3 सहोदर भाई। 4 पीछे सोम एक कतार (मालसे भरा हुआ ऊंटों आदिका काफिला) आई थी, उसका कर चुकानेको गया हुआ था। 5 पीछेसे केल्हणने द्वार बंद कर दिये। 6 इस पर सोमने जाकर देरावर पर अधिकार कर लिया । 7 पांच-सात वर्ष जीवित रह कर सोम मर गया। 8 सोमके बेटे सहसमल पर जैसलमेरका । स्वामी (रावल केल्हण चढ़ कर आया। 9 तब सहसमलने गढ़के द्वार खोल दिये और युद्ध करके मर गया। 10 देरावरके गढमें सोम और सहसमलकी देवलियां बनी हुई हैं। II सोमका वेटा रूपसी अपने भतीजोंको लेकर सिंघमें चला गया। 12 पीछे राव वरसिंघने सोमके पुत्र रूपसीको विकूपुर बुला करके, विकू पुरके पांच गांव दिये । 13,14 वजू, कूपासर, सिंध, पीथासर और ग्रावधी इस प्रान्तमें पहले ये गांव राखसिये राजपूतोंके थे, पीछे सोमको (रूपसीको) दिये । रूपसी ग्रावधीमें रहता है ।
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मुंहता नैणसीरी ख्यात
[७७ भाटी जोधपुर चाकर' । .
सोम-भाटी केहररा इतरी ठोड़ छ । प्रांक १ । २ सहसमल सोमरो।
२ रूपसी सोमरो । विकूतिगरा फळोधीरी
पुररै गांव ग्रावधी, खीचवंद ।
वजु । ३ कांन्ह ।
३ सीहो। ४ भैरव।
४ किसनो । ४ रामचंद। ५ रांम।
४ भगवान । ४ कलो। ६ हरदास ।
४ सांवळ । ४ जीवो। ७ देवीदांन । ७ अजो।
४ रिणमल । ४ दयाळ । ७ ठाकुरसी।
४ अजो। ४ विजो। ६ खेतो।
४ रांम । ४ पिथुराव। ७ अजो। ७ पीथो।
१ सातळ केहररो, लाछां ६ रायसिंघ।
देवड़ीरै पेटरो' । ७ जैतो। ७ जगमाल ।
१ सांवतसी केहररो, ६ वरसिंघ ।
तिणरै वांसला सांव७ मांनो।
तसी-भाटी कहावै छै । इणांरै जेसळमेर देस गांव १ कोटड़ी, जेसळमेरसू कोस १० गोरहराधी कोस ३ । रावळ कलै मनोहररी वार माहै इणांरो वडो ... कारण हुवो। २ महिपो।
५ गोयंद। ....... ३ मालो।
६ सीहो । ६ देवीदांन । भींव ।
६ अखो। ६ नगो। केहरको वेटा कलिकरण, लाछां देवडीकी कोखसे उत्पन्न, जिसके वंशज जैसा-भाटी जोधपुर में चाकर हैं। 2 केहरके वंशज सोम-भाटी इतने स्थानोंमें रहते हैं। 3 सोमका पुत्र सहसमल, जिसके वंशज फलोधी प्रांत के खीचवंद गांवमें रहते हैं। 4 सोमका पुत्र रूपसीके विकपुरके ग्रावधी, वजू आदि गांव। 5 केहरका बेटा सातल, लाछां देवड़ीकी कोखसे उत्पन्न । 6,7 केहरका वेटा सांवतसी, इसके वंशज सांवतसी-भाटी कहलाते हैं। जैसलमेर राज्यमें इनका एक गांव कोटड़ी है जो जैसलमेरसे १० और गोरहरा से ३ कोस दूर है। रावल कलै और मनोहरके राज्य-कालमें इनकी (सांवतसी-भाटियोंकी) बड़ी प्रतिष्ठा थी।
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मुंहता नैणसीरी ख्यात
सांवतसीरा जेसळमेर। ३ गोपाळ । १ गोयंद । भीवो।
२ नगो। मालो । महिपों।
३ सांमदास । सांवतसी, २ सीहो।
अहिजन । ३ जीवो।
१ ईसर, रायमल, २ दांन (देवीदांन)
महिपो । ३ सादूळ । ३ वीरदास। २ मनोहर । २ वीठळ । ३ सूरजमल।
२ जसवंत । २ अखो गोयंदरो।
१ मेहाजळ केहररो, लीलादे महेवचीरै पेटरो। तिणांरी जुदी साख छै—मेहाजळोत-भाटी । इणांरो जेसळमेररै देस गांव मेहाजळहर कोहररो नाम छै। जेसळमेरथा' कोस ३०, ऊमरकोटर मारग, १ गांव बुज कनै तिणमें भाटी नाथो किसनावत वसै छै ।
१ तेजसी केहररो, लाछां देवड़ीरै पेटरो' । १ परबत केहररो। १ तणुं केहररो।
अांक १ लखमण केहररो। केहर पछै पाट वैठो। तिण वरस ३१ दिन १३ जेसळमेर राज कियो । ___रावळ लखमणरा वेटांसूं लखमणरा पोतरा पाटवी नै वीजा पण छै, सु लखमणा कहावै छै11 ।
I गोयंद भीमेका पुत्र, भीम मालाका और माला महिपेका पुत्र । 2 सीहा गोयंदका बेटा। 3 सामदास, सांवतसी (दूसरा) और अहिजन, ये तीनों नगाके पुत्र । 4 ईसर, रायमल और महिपा, ये तीनों केहरके बेटे। 5 ये तीनों महिपाके पुत्र । 6 मेहाजल केहरका बेटा, लीलादे महेवचीकी कोखसे उत्पन्न । 'मेहाजलोत-भाटी' इसके वंशजोंकी यह एक अलग शाखा है । मेहाजलके नामसे मेहाजलहर नामक एक कुआँ है, जिसके नाम पर 'मेहाजलहर' नामका इनका एक गांव जैसलमेर राज्यमें है। 7 जैसलमेरसे। 8 गांव वुजके पास जिसमें किसनाका बेटा भाटी नाथा रहता है। 9 लाछां देवड़ीकी कोखसे उत्पन्न केहरका वेटा ... तेजसी। 10 केहरका वेटा लखमण, केहरके वाद गद्दी पर बैठा, जिसने ३१ वर्प और १३ दिन जैसमेरमें राज्य किया। II रावल लखमणके वेटोंके वंशज लखमणके पोते गद्दीघरोंमें भी हैं और उनसे अतिरिक्त भी हैं, जो 'लखमरणा' या 'लखमण-भाटी' कहलाते हैं। . .
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[ ७६ २ रावळ लखमणरो बेटो वैरसी जेसळमेर टीकै बैठो। . २ रूपसी लखमणरो, तिणरी जुदी साख रूपसी कहा। तिणांरा
इतरा धड़ा -- ...... एक तो मादळिया वाळा जोधपुर चाकर । - एक पोकरण वाळा ।। . . जैसळमेररै देस रूपसी घणा छै। इणांरो उतन काछो लुद्रवाथी
कोस २ । आगै इणांरै रावताई हुती । विजो, नाथो, हरदास, रूपसी जेसळमेररै देस'। .१ करमचंद जसारो। २ वीको । २ भागचंद ।
१ वीरदास नीसळोत । १ रायसल देवावत' । . .. १ अमरो भाखररो, चंदरावरो पोतरो10 ।
भाटी वीठळ गोयंदोत, जोधपुर चाकर11 ।
२ राजधर लखमणरो तिणरै वांसला राजधर-भाटी कहावै । इणांरै जेसळमेररै देस कोहर २ गांव २।
१ घणोली जेसळमेरथा कोस १। १ सतोही जेसळमेरथा कोस १५ । १ पूठ वांसै धांधणियो ऊमरकोटरै मारगमें ।
१ सूजेवो-बाभणीको । रावळ कल्याणदास भाटी जसवंतनूं उतन ...... कर दियो, लाठोसू कोस ४13 ।
I रावल लखमणका बेटा वैरसी जो लखमणके बाद जैसलमेरकी गद्दी पर बैठा । 2 लखमणका बेटा रूपसी, जिसके नामसे एक अलग शाखा 'रूपसी' या 'रूपसी-भाटी' कहलाती है। 3,4.5 जिनके इतने (दो) दल हैं--(१) मादलिया वाले जो जोधपुर में . चाकर हैं, (२) और एक वह जो पोकरण वालोंके नामसे प्रसिद्ध है। 6 जैसलमेर राज्यमें रूपसी अधिक हैं। लुद्रवासे दो कोस पर काछा गांव इनका वतन है। पहिले रावताई इनकी थी। 7 विजा, नाथा, हरदास और रूपसी जैसलमेर राज्यमें रहते हैं। 8 नीसलका वेटा वीरदास। 9 देवाका वेटा रायसल। 10 अमरा भाखरका बेटा और चंदरावका पोता। II गोयंदका पुत्र भाटी वीठल जो जोधपुरमें चाकर। 12, 13 लखमणका बेटा
: राजधर, जिसके वंशधर 'राजधर-भाटी' कहलाते हैं। इनके जैसलमेर राज्यमें ये दो गांव .... और दो कुएँ हैं-(१) घणोली, जैसलमेरसे एक कोस, (२) सतोही जैसलमेरसे १५ कोस,
(३) सतोहीकी पिछली बाजू उमरकोटके मार्गमें धांधणिया और (४) सूजेवो-बांभणीको, .... जो लाठी गांवसे ४ कोस पर है, जिसे रावल कल्याणदासने भाटी जसवंतको निवास स्थानके
लिये दिया था।
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मुंहता नैणसीरी ख्यात २ जैतमाल राजधर'।
जसवंत वैरसलोत भलो रजपूत हुतो। रावळ मनोहररी वार मांहै च्यार परधानांमें ।
२ भोपत जसवंतरो' । ३ भागचंद । सकतो वैरसलरो । २ किसनो। २ विसनो। २ धोधो। २ वीरदास । ___ ३ सूरजमल । २ उदैसिंह। २ भोजो। २ सांमो। २ जोगीदास ।
रावळ वैरसो लखमणरो । रावळ लखमण पछै पाट वैठो। वरस १६ मास ६ दिन १७ जेसळमेर राज कियो ।
१२ रावळ चाचो। १२ मेळो । १३ करमो, पोकरणरै कैलावै बाळो । १४ अजो करमारो'। १५ हरदास अजारो । १५ सिवदास, उ । भोपत उरजन मारियो, संमत १६५५ । १६ गंगादास ।
१७ रतनसी। १६ नेतसी अजावत'। १७ ऊदो । १४ सांगो करमारो। पातसाह हमाऊरो चाकर थटै मारांणो । १५ भांनीदास (भवांनीदास)। १६ सुरतांण । १४ ठाकुरसी करमारो, जोधपुर विखै संमत १६०० काम आयो।' १४ महेस करमारो। १५ कुंभो। १५ हमीर । १५ जगो हमीरोता। १७ गोयंद। १७ रामदास ।
I जैतमाल राजघरका. बेटा। 2 वैरलीका बेटा जसवंत भला राजपूत हुआ। रावल मनोहरके राज्यकालमें चार प्रवानोंमेंने एक था। 3 भोपत जसवंतका बेटा। 4 सकता वैरसीका बेटा। 5 रावल वैरसी लखमणका बेटा, रावल लखमणके पीछे गद्दी बैठा। उसने १६ वर्ष ६ मास और १७ दिन जैसलमेरका राज्य किया। 6 करमा, पोकरण प्रदेगके केनावे गांवका निवासी। 7 अजा करमाका बेटा। 8 हरदास अजाका बेटा। 9 सम्बत् १६५५में शिवदानं और भोपतको अर्जुनने मारा। 10 नेतसी अजाका बेटा । II करमाका पुत्र सांगा, वादगाह हुमायूंका त्राकर, थट्टेमें मारा गया। 12 करमाका पुत्र ठाकुरमी सम्वत् १६०० के जोधपुरके विवेमें मारा गया। 13 जगा हमीरका बे।।
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मुंहता नैणसीरी ख्यात
[८१ १४ जोधो करमारो । १५ वीरदास । १५ रायमल ।
१२ ऊगो वैरसीरो, इणरो उतन सिंधरो सावड़ो। जेसळमेर छाडि बारोटियो हुवो। १३ पतो।
१४ नारणदास । ... १५ हरो।
१६ पांचो। १६ कांन्ह । . १७ भाटी चंद्रसेन पांचावत संमत १६७६ राजा गजसिंघजी
सूरजसिंघजीरै मोहनी पातररै पेटरी बेटी हुती सु जोधपुर भाटी
गोयंददासजीरै घरे परणाई । पटो देनै वास राखियो । ... १७ हींगोळदास। १७ भींव। १७ धोधादास । १७ कल्याणदास ।
१७ उदैसिंह। १७ लूणकरण। १८ जीवो १८ जसवंत । ...... १७ गोपाळदास । १८ जैतमाल । १६ सांगो।
१७ धनराज । १६ दूदो।
१७ खंगार। १५ नरो।
१६ मेहाजळ । ... .१३ सुरजन ऊगारो । १४ भेटो। १५ खेतो।
१२ वणवीर वैरसीरो । १३ खींवो।
१४ गांगो। . १५ परबत गांगारो' । १६ खेतो परबतरो, रा ॥ जैतसिंघ
- राजावतरै वास । १७ भोपत।
१८ भगवांन । . १७ नारणदास, खीनावड़ी पटै ।
१७ नरसिंह। १७ सुंदरदास ।
..... I करमाका पुत्र जोधा। 2 वैरसीका बेटा ऊगा, इसका निवास सिंधका सावड़ा गांव, यह जैसलमेर छोड़ कर लुटेरा हो गया। 3 पांचाका पुत्र भाटी चंद्रसेनको, राजा गजसिंहजी सूरसिंहजीकी मोहिनी नामक वेश्यासे उत्पन्न लड़कीको जोधपुरमें भाटी गोयंददोसजीके घर पर सम्वत् १६७६ व्याह दी और जागीर देकर अपने पास रखा। 4 जीवा और जसवंत लूणकरणके वेटे। 5 सुरजन अगाका बेटा। 6 वरणवीर वैरसीका वेटा। 7 गांगाका वेटा पर्वत । 8 पर्वतका बेटा खेताराव जैतसिंहकी चाकरीमें। 9 नारायणदासको खोनावड़ी गांव जागीरमें।
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८२ ]
मुंहता नैणसीरी ख्यात
१६ नेतो परवतरो, रा ॥ मोहणदास राजावतरो चाकर । रा ॥ भोपत साथै काम आयो ।
१२ रावळ चाचो वैरसीरो। रावळ वैरसी पछे टीक बैठो । वरस १६ मास ११ जेसळमेर राज कियो । सु एकरसूं थटै किणी कांम गयो थो । पाछो वळतो ऊमरकोटरो धणी सोढो मांडण, तिणरै परणियो । सु ऊमरकोट नै जैसळमेर सदा अदावत थी, सु राणा मांडणरा भतीज भोजदे, भींवदे तिणांनूं रावळ क्युं अकर बोलियो थो; तरै भोजदे चूक कर रावळनूं मारियो । पछै भाटिए कोस २ डेरो करनै उठे देवीदासनूं तेड़ियो। तेड़ने ऊमरकोट भेळियो' । रांणो मांडण नीसरियो । वांस कोस ८ आपड़नै मारियो । भोजदे, भींवदे एकरसूं तो नीसरिया, नै पछै सवारै सात-वीसी आदमियांसू आय मुंवा' । न मांडणरो माथो वड़ टांगियो । नै ऊमरकोट पाड़ने ईंटा जेसळमेर ले गया; तिणरो करणारै मोहल करायो ।
गीत साखरो छत्रपत सुरतांण चाच साझेवा", फूटी दह-दिस वात फुड़ी।
I पर्वतका बेटा नेता राव मोहनदास राजावतका चाकर, राव भोपतके साथ मारा गया। 2 वैरसीका पुत्र रावल चाचा । रावल वैरसीके पीछे गद्दी पर बैठा। इसने १६ वर्ष ११ मास जैसलमेरमें राज्य किया। 3 वह एक बार किसी कामसे थट्ट गया था । 4 वहांसे लौटते हुए उमरकोटके स्वामी मांडणके यहां विवाह कर लिया। 5 परंतु उमरकोट और जैसलमेरमें सदासे शत्रुता थी। रावल चाचाने राणा मांडणके भतीज भोजदे और भींवदेको एक गर कुछ अपशब्द कहे थे, इसलिये तव भोजदेने धोखा कर के रावल चाचाको मार दिया। 6 फिर साथके भाटियोंने उमरकोटसे दो कोस पर अपना डेरा डाल कर चाचाके बेटे देवीदासको बुला लिया। 7 वुला करके भाटियोंने उमरकोटको घेर लिया। 8 राणा मांडण भाग गया। 9 आठ कोस पीछे भाग करके उसको पकड़ लिया और मार दिया। 10 भोजदे और भींवदे भी एक बार तो भाग गये थे, परंतु दूसरे दिन १४० आदमियोंके साथ आये और लड़ कर मर गये। II भाटियोंने मांडणके सिरको एक बड़ वृक्षमें टांग दिया। 12 और उमरकोट (के कोट) को गिरा कर उसकी ईंटें जैसलमेर ले गये जिनसे करणका महल बनवाया। 13 साक्षीका गीत (छंद)। 14 चाचाको मारनेके लिये। 15 दशों दिशाओंमें वात फैल गई। .
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मुंहता नैणसीरी ख्यात मंडण गुड़िया नहीं महारिण , ग्रहण राजकुमार-गुड़ी' ॥ १ त्य पांतरै वडो छत्र पड़ियो, बोटण गढां अथग जळबोळ । नेवर रोळ किया म्रगनैणी, रांण कियो न पाखर* रोळ ॥ २ मांडण चाचगदे मारेवा, करै जिगन मन कूड़ कियो । ऊतारियो सनाह आपरौं',
दळद करी सनाह दियो ।। ३ १३ रावळ देवीदास चाचारो, रावळ चाचो ऊमरकोट ऊपर गयो हुतो', पछै उणे बेटी देनै चूक कर मारियो । पछै भाटियां पांच वडेरां11 कोस ४ पाछो डेरो करनै12 देवीदासनं जेसळमेरसूं तेडियो, देवीदास प्रायो। भाटिये कह्यो-"टीको काढां14 ।" तरै देवीदास कह्यौ-"टीको हमार हूं कोई कढाऊं नहीं" । के तो मांडण म्हारा बापनूं मारियो छै तिणनूं मारूं, कै हूंई काम पाऊं' ।" तरै इण वात सारै साथरा सींग आकास लगा। पछै गुढ पाखरनै ऊमरकोटसूं ढोवो हुवो, गढ भेळियो । त? सोढांरो घणो साथ मारियो । मांडण, भीमदे, भोजदे भातीजां सहित नीसरियो1 सु कोसां ८ ऊपर जातां आपड़िया, तठे वेढ हुई। मांडण, भोजदे, भीमदे, आदमी .
1 कवचधारी राजकुमार । 2 उसके धोखेमें, उसके बदलेमें। 3 अत्यन्त क्रोधसे गढका नाश करनेके लिये। 4 घोड़े या हाथीका कवच । 5,6 चाचगदेको (मारनेके लिये) विवाहके मिससे धोखा देकर मारा। 7 अपना। 8 चाचाका पुत्र । 9 गया था। 10 फिर उसने अपनी बेटीका उससे व्याह करके धोखेसे मार दिया। II पांच बड़े भाटियोंने । 12 करके। 13 बुलाया। 14 राज्य-तिलक करदें। 15 तव। 16 टीका अभी मैं नहीं कढवाऊंगा। 17 या तो जिस मांडणने मेरे बापको मारा है उसको मैं मारवं, या फिर मैं ही काम आ जाऊं। 18 तब इस बात पर सभी साथ वालोंको बड़ा क्रोध उत्पन्न हुआ (बहुत उत्तेजित हो गये)। 19 फिर सभीने कवच धारण करके उमरकोट पर
हमला किया और गढ पर अधिकार कर लिया (नाश कर दिया)। 20 वहां पर सोढोंके . बहुतसे सैनिकोंको मार दिया। 21 निकल कर भाग गया। 22 पकड़ लिये। 32 वहां
पर लड़ाई हुई।
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मुंहता नैणसीरी ख्यात १४० मारिया नै ऊमरकोटरो कोट पाउनै ईंटां जेसळमेर ले गया तिणरो करणरो मोहल करायो देवीदास रावळ' ।
रावळ देवीदास चाचावत' सारीखो कोई रावळ जेसळमेर .. प्रतापवळी हुवो नहीं । पाखतीरा सारां देसोतांनूं छरा लगाई।
रावळ देवीदासरा बेटा१४ रावळ जैतसी। १४ कुंभो। १५ जगमाल । १६ सातळ ।
१७ देवराज सातळोत । राव रिणमल राव चूंडारा वैर मांहै ... धणलै थकां मारियो ।
१६ सीहो जगमालरो' । पातळ तोगावत जेसळमेर चाकर छ, खींवलो गांव खावै छै । वींझोराई सांगड़नै । भाटी केसोदास भारमलोत ठरडै पोकरणरै रहै ।
रांम रावळ देवीदासरो11। तिको रावळ हापारै परणियो हुतो, तिण परसंग रामरो बेटो संकर महेवहीज रह्यो । जोधपुर पिण संकर चाकर रह्यो हुतो । कहै छै सोझतरो आंबो राम, संकररै पटै हुतो' । अांक १४ ।
१५ संकर महेवचीरा पेटरो । १६ खींमो। १५ सांवळ । १६ महेस । १६ ऊदो। १६ सूरो। खीमा संकरोतरो परवार
७
.
___ I गिरा करके। 2 रावल देवीदासने उन इंटोंसे करणेका महल बनवाया। 3 चाचाका पुत्र। 4 समान । 5 पड़ौसके सभी राजाओं पर उसने अपनी धाक जमाई। 6 देवराज सानलका बेटा, जिसको राव रिणमलने राव चूंडाकी शत्रुतामें, जब वह धरणले. गांवमें था, मार दिया। 7 जगमालका बेटा सीहा। 8 तोगाका वेटा पातल जैसलमेर में चाकर है, खींवला गांव उसके पट्टे में है। 9 सांगड़के पट्टेमें वींझोराई गांव । 10 भारमलका .. बेटा केशोदास पोकरणके ठर में रहता है । II रावल देवीदासका पुत्र राम। 12 इसका विवाह रावल हापाके यहां हुआ था। 13 इस प्रसंगसे रामका वेटा शंकर मेहवे (ननिहाल) में ही रह गया। 14 शंकर जोधपुर में भी चाकर रहा था । 15 कहा जाता है कि राम
और उसके बेटे शंकरको सोजत परगनेका प्रांवा गांव पट्टेमें दिया हुआ था। 16 रामका बैठा दशंकर मेहवचीकी कोखसे उत्पन्न। 17 शंकरके बेटे खीमाका परिवार ।
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मुंहता नैणसीरी ख्यात
[ ८५
१७ सुरतांण । १८ राघो। १८ अचळो। १८ वीरो। १८ रामसिंघ । १७ खेतसी। १८ कलो। १८ मनोहर । केहेक रांमरा वीकानेर छै ।
रावळ जैतसी देवीदासरो । देवीदासरै पछै पाट बैठो । वरस ३५ मास ४ दिन १० जेसळमेर राज कियो। सुसतो सो ठाकुर हुवो । राव लूणकरण वीकावत वीकानेररो धणी, देवीदासरो दोख विचार जेळसमेर ऊपर आयो । वडांणी राजवाई तळाई कोसै २ जेसळमेरसूं, डेरो कियो, धरती मारी" । रातीवाहो भाटिये देणरो विचार कियो', सु भाटी नरसिंघदास देवीदासोत परो काढियो थो, राव वीकारो दोहीतरो, सु रावजीरै साथै हुतो। पछै प्रागै इणांनूं खबर हुई सु प्रागै साथ तैयार हुय बैठो। तरै कटक री पाखती भीटहरा ४ प्राण राखिया था", भाटियांरो साथ नैडो पायो तरै भीटहरा लगाय दिया। रातरो चांनणो हुवो । तरै राठोड़ चढ़नै वांस घातिया', नै भाटी आगै नीसरिया, तठे घणो साथ भाटियांरो मारियो । वेढ राठोड़ां जीती।
एक वात युं सुणी' । रावळ जैतसी बूढो हुवो। पछै इणरै बेटै जैसिंघदे, नारणदास, रांम, पुनसी इण मिळनै रावळनूं को दिन अटक
_I रामके कई वंशज बीकानेरमें रहते हैं। 2 देवीदासका पुत्र रावल जैतसी। 3 जो देवीदासके बाद गद्दी पर बैठा। 4 यह कुछ सुस्तसा (अकर्मण्य) शासक हुया। 5 बीकानेरका स्वामी लूणकरण बीकावत देवीदासके इस अवगुणका ख्याल करके जैसलमेर पर चढ कर आ गया। 6 जैसलमेरसे दो कोस पर वडाणी गांवकी राजवाई नामक तलाई पर उसने डेरा डाला और देशमें लूट-मार मचा दी। 7 इस पर भाटियोंने रात्र्याक्रमण करनेका विचार किया। 8 राव बीकाका दोहीता, देवीदासका बेटा भाटी नरसिंहदास जो जैसलमेरसे निकाल दिया गया था, वह राव लूणकरणके साथमें था। 9 इनको । 10 तव सेनाके पास चार कांटोंके बड़े ढेर ला कर रख दिये थे (भीटहरो, वीठोड़ोवेरी वक्षकी पतली कँटीली शाखाओंका अमुक परिमाणमें बनाया हुआ एक ढेर)। I जला दिये। 12 रातको प्रकाश हुआ। 13 तब राठौड़ोंने पीछा किया। 14 भाटी आगे भाग गये। 15 वहां भाटियोंके बहुतसे मनुष्योंको मार दिया। 16 राठौड़ोंने लड़ाई जीती। 17 एक बात इस प्रकार भी सुनी गई है।
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मुहता नैणसीरी ख्यात
सु
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में कियो' ।' नै बाहिड़मेरी सीतारा बेटा रावळ लूणकरण नै रावत करमसीनूं इणे परा काढिया । औ रावत भीमा बाहड़मेरारा भांणेज, अँ सिंध गया'। पछै कितरेके दिने रावळ जैतसी इणांसूं घणो ललोपतो कराय, पछै कह्यो' - " भाटी च्यार ४ बूढो म्हां कनै मेलो, राज थे भोगवो ँ । हूं तो इण वात गाढो राजी छं " | म्हारै थे सपूत छो? । लूणकरण करमसी वे कपूत छै, सु परा गया । वलाय चूकी ।" बाप बेटांरै ऊपरलो रस हुवो' । तिण दिन पायगां घोड़ा घणा बाधे । तरै रावळ जैतसी बेटांनूं कहाड़ियो " - " इतरा घोड़ा बाधा चारीजै, इतरो हासल आपण किसं छे ? घोड़ा असवारीरा पायगां वाधा राखो । बीजा खारींग मांहै छोड़ दो ।" तरे छोड़ दिया। रावळ जैतसी वडेरा भाई सारा हाथ किया । भाटियां सारां आगे कह्यो" म्हांरो जीव निपट दोहरो हुवो छै" ।" तरै कह्यो " - "कुण:वास्तै” ?” तरै कह्यो - " इणे म्हारी बूढे वारे इजत पाड़ी, मोनूं रोक मांहै कियो'' ।” सारै राईतने सुनियो" । तरै भाटिये सारां कह्यो - " हमैं राज कहो सु करां" ।" तरै रावळ पांच भाटियां कनै वाह मांगी", दो तो दिलरी वात कहूं" । तरै सारां बांह दीवी" । तर रावळ जैतसी भाटियां आगे कह्यो - "लूंणकरणनूं तेड़ावो, नै इणांनूं
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2 बाहड़मेरी सीताके वेटे -
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I इन्होंने मिल करके रावलको कई दिन कैदमें रखा । रावल लूणकरण और रावत करमसीको इन्होंने निकाल दिया । ये रावत भीमा बाहड़मेरेके भानजे सिवको चले गये । 4 इनकी बहुत खुशामद करके फिर कहा । 5 मेरे पास चार बूढ़े भाटियोंको रख दो और राज तुम करो । 6 मैं तो इस वातसे खूब खुश हूं । 7 मेरे तो तुम ही सपूत हो । 8 लूणकरण और करमसी दोनों कपूत हैं, सो तो चले गये. अपने आप बला टल गई । 9 बाप बेटोंमें ऊपरकी (कपटपूर्ण) प्रीति हुई । दिनों घुड़सालमें घोड़े बहुत बंधे रहते थे । II कहलवाया 1 12 अपने इतनी कौनसी ग्रामदनी है ? | 13 दूसरे । 14 रावल जैतसीने अपने बड़े-बूढ़े भाईयों को अपने वशमें कर लिया । 15 मेरा जीव बहुत दुख पा रहा है। 16 तब कहा । 1.7 किस लिये ? 18 इन्होंने बुढापेमें मेरी बेइज्जती की और मुझे कैदमें डाल दिया । 19 सव राजाश्रोंने सुना (सभी रजवाड़ों में वात प्रगट हो गई ) । 20 तव सभी भाटियोंने कहा - " ग्रव प्राप श्राज्ञा दें सो करें ।" 21 तब रावलने पांच प्रमुख भाटियोंसे वचन मांगा। 22 यदि वचन दें तो मैं मेरे दिलकी बात कहूं । 23 तव सभीने वचन दिया।
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मुंहता नैणसीरी ख्यात
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[ ८७ परा करो'।” तरै भोटियां रावळ भेळा हुय लूणकरणनूं कागद मेलियो' । थे वेगा आवो, खारींगरा घोड़ा उरा ल्यो । म्हे आदमी ऊपर छै तिणांनूं कहि राखां छां, थांनूं घोड़ा देसी ।" पछै लूंणकरण, करमसी सिंधसूं प्रजांणजकरा' अठीनूं आयने' मांमा रावत भीमानूं सट मा तेड़िया, सुप्रया । अठीसूं वां प्राय घोड़ा लिया । पछै असवारांरो थंडो वांसै राखियो । सै" असवार २० तथा २५ गै म्हैल ने जेसलमेर सहररी खबर लिराई । कूकवो पड़ियो । तरै जैसिंघदे नरसिंघदास रावळ जैतसीनूं वडेरा भाटियांनूं पूछायो - "कासूं कियो चाहीजे 3?" तरे कह्यो - "इणांरा दांत पाड़िया चाहीजे" " तरै एकवर आपरो साथ लेने बाहर चढिया । वे प्रागै थंडो कर ऊभा रह्या था, देठाळो हुवो, तरै मांमलो हुवो" । जैसिंघदेरै पातळो काळजी थो सु सोह कूट पाड़ियो" । इणां सिरदारांरै लोह लागा 18 1 # नीसरिया ' | लूंणकरण तो पाधरो" सहरनूं चलायो; नै वे तो डावा-जीमणा नीसरिया " । उणारी मावां गढ मांहै हुती, तिणां गढरी प्रोळां ग्राडी दिराई " । पछै रावळ जैतसी जिण भुरजां दिसा धरती नीचे थी, तिणां दिसा रांदू नखाय नै लूंणकरण करमसीनूं नै इणांरो साथ गढ ऊपर चाढियो । रावळ जैतसीरी दुहाई फेरी । नै I लूणकरणको बुलाओ और इनको निकाल दो । 2 तब भाटियों और रावलने मिल कर लूणकरणको पत्र लिख भेजा । 3 तुम शीघ्र या जानो । 4 खारींगमें जो घोड़े हैं उन्हें ले लो (खारींगचरागाह) । 5 घोड़ोंकी रखवालीके लिये जो ग्रादमी वहां पर हैं, उन्हें हम कह रखते हैं, वे तुम्हें घोड़े दे देंगे । 6 अचानक | 7,8 इधर आकर के अपने मामा रावत भीमाको सीमा (निश्चित स्थान ) पर बुला लिया और वे वहां आये । 9 कुछ सवारों की टुकड़ी पीछे रख दी । 10 सभी । II भेज कर । 12 हल्ला हुआ । 13 क्या करना चाहिये ? 14 इनके दांत तोड़ देने चाहियें । IS तब एकाएक चढाई कर दी । 16 आगे वे भी ( लूणकरण और करमसी) अपना जत्था बना कर खड़े ही थे, आमने-साम्हने हुए और वहीं लड़ाई हुई । 17 जयसिंहदे कमजोर दिलका था, उसे और उसके सभी साथियों को मार गिराया । 18 इधरके सरदारोंके भी घाव लगे । 19,20,21 ये दाहिनेबांयें (इधर-उधर ) होकर निकल भागे और लूणकरण तो सीधा शहरकी ओर चला । 22 उनकी ( जयसिंहदे, नरसिंहदास श्रादिकी) माताएं गढ़में थीं, उन्होंने गढके द्वार बंद करवा दिये । 23 लेकिन जो बुर्जे निचाई वाली भूमिमें थीं, जैतसीने उस ओर उन पर रस्सा डलवा कर लूणकरण और करमसीको तथा उनके साथियोंको गढ पर चढा दिया । 24 रावल जैतसीकी आन- दुहाई प्रवर्त कर दी ।
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८८ ]
मुंहता नैणसीरी ख्यात रावळ जैतसी प्राय सिंघासण बैठो। लूणकरण, करमसी ग्राय पगे लागा' ।
रावळ जैतसीरा बेटा१६ रावळ लूणकरण, वाहड़- १६ सवळो। १६ अमरो।
मेरी सीतावाई रो बेटो। १८ वीठळदास । १६ रावत करमसी,
१६ राजसिंघ । बाहड़मेरीरो वेटो।
१८ केसोदास । १७ किसनदास ।
१६ रामसिंघ। १८ वीरदास ।
१६ राजो, वाहड़मेरीरो १६ नाथो।
वेटो। २० सूरो। २० जोधो। १७ जगो। १६ जसवंत ।
१८ वरसल । १८ कचरो।
१६ दयाळ । १६ संकर । १७ कांन्ह ।
१६ संदर। १८ भैरवदास।
१८ लिखमसी। १६ जोगीदास ।
१६ सवळो। २० मोहण। २० मुकंददास । १६ मंडळीक, वाहड़मेरीरो । १६ सुंदरदास ।
बेटो । २० मानसिंघ । २० रामचंद। १७ वीरमदे। २० गिरधर ।
१८ पतो। १८ अमरो। । १६ सुदरसण।
१६ सवळो। १८ भांनीदास (भवांनीदास) १८ रामसिंघ । कान्हरो ।
१६ केसोदास । १६ गोयंददास ।
१८ सांगो। १६ महिरावण ।
१६ नरहर। १७ सुरतांण ।
१८ गांगो। १८ प्रतापसी ।
१६ अरजन । १६ मनोहर । ___ I लूणकरण और करमसीने आकर जैतसीके चरण छुए। 2 कान्हका वेटा भानीदास (भवानीदास)। 3 राजा वाहड़मेरीका वेटा। 4 मंडलीक वाहड़मेरीका वेटा..
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मुंहता नैणसीरी
१८ रासो ।
१६ दुरगो ।
१६ नरसिंघदास, राव बीकाजी १७ पुनसी ।
१८ वरजांग |
१६ तिलोकसी ।
२० कांन्ह |
१६ जैसिंघदे, ईडरचीरो बेटो । पछै इणानूं परो काढियो, तरै ईडरगयो ।
तिरै वांसला ईडर छै' । १७ मालो ।
बेटा :
---
दोहीतो' ।
[ ८
१८ पूंजो, राव कल्याणमल सुरतांण गढिया ऊपर यो तद कांम आयो ।
ख्यातः
१६ सुंदर
१६ राघोदास |
१९ प्रथीराज, गढिया ऊपर यो तद कांम आयो ।
१६ भगवान । १६ राघो -
दास । १९ मोहण । १६ राम, राव वीकैजीरो दोहीतरो' । १६ तिलोकसी, राव
वीकैजीरो दोहोतरो ।
आांक १६ - रावळ लूंणकरण जैतसीरो । जैतसी पर्छ टीकै बैठो । वरस २२ मास १० दिन ३ राज जेसलमेर कियो' ।
१७ रावळ मालदे ।
१७ दुजणसल ।
१८ वाघ, वडो ठाकुर पातसाही चाकर हुवो । संमत १६५५ जोधपुर वसियो, गांव १० सूं साझतरो प्राउवो दियो यो । पछे छोड़ने पातसाहरै वसियो ।
1 रावल जैतसीका वेटा नरसिंहदास, राव बीकाजी का दोहिता था । 2 ईडरची ( रानी) का बेटा जयसिंहदे, जिसको जैसलमेर से ) निकाल दिया था, तब वह ईडर चला गया था । इसके वंशज ईडर में हैं । 3 राव कल्याणमल और सुरताण गढिया पर चढ कर के गये, वहां पूंजा काम आया । 4 पृथ्वीराज गढिया पर चढ कर गया तब काम आया । ऽ राम राव बीकाजीका दोहिता । 6 तिलोकसी राव बीकाजी का दोहिता । 7 रावल लूणकरण जैतसीका बेटा, जैतसीके वाद गद्दी बैठा । इसने २२ वर्ष, १० मास और ३ दिन जैसलमेरका राज्य किया । 8 रावल लूणकरण के बेटोंका (वंशका ) विवरण 1 9 दुर्जनसालका बेटा बाघ, यह बादशाही चाकर बड़ा ठाकुर हुआ । सम्वत् १६५५में जोधपुर ग्राकर बसा, जहां उसे सोजत परगने के १० गांवोंके साथ भाउवा जागीर में दिया गया था और फिर छोड़ कर बादशाह के पास जाकर रहा ।
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१०]
मुंहता नैणसीरी ख्यात १६ केसोदास वाघावत, जोधपुर चाकर, गांव भेटनड़ो पटै । .
संमत १६६६ सावण सुदि ३ काळ कियो'। .. २० देवीदास ।
महेवै रैहतो। महेवचारो २१ करन। २२ सूरजमल ।
भाणेज। रतनांदे वेटी। २० दुरगदास । उजीण १७ सूरजमल लूणकरणोत, कांम प्रायो।
मोटा राजारो सुसरो। २१ हरनाथ ।
सजन भटियांणीरो १६ दळपत।
वाप। २० रतन । २० दयाळदास १८ जीवो। तुरक हुवो।
१६ माधोदास, राव विक्रमा१६ रुघनाथ, वीरांणी पटै
दीत मालदेयोत थोभ, संमत १६९१ रै वरस
खरड़ी पटै दो हुती। हुती। संमत १६९५ १६ वांको।
राव महेसदास सूरज- १७ महेसदास. मलोतरै वास वसियो ।
लूणकरणोत10 १८ सादूळ दुजणसलरो । १८ नाथो। १६ मनोहर । १६ सुंदरदास। १६ सांमदास । १६ नरहर ।। १८ सिंघ।
१६ पीथो। १६ सुंदरदास, मोहबतखांनरै १७ हरदास लूणकरणोत।। कांम आयो।
१८ बळभद्र। १८ किसनदास दुजणसलरो,
I वाघाका वेटा केशोदास, जोधपुरका चाकर, जहां भेटनड़ो गांव उसके पट्टमें। सम्वत् १६६६की सावन शु. ३ को मरा। 2 दुर्गदास उज्जनमें काम आया। 3 दयालदास मुसलमान हो गया। 4 रघुनाथ, जिसको सम्वत् १६६१के वर्षमें वीराणो गांव पट्ट में था। सम्वत् १६६५में राव महेशदास सूरजमलोतके यहां जा रहा। 5 साल दुर्जनसालका वेटा । .. 6 सुन्दरदास मोहवतखांके साथ लड़ाईमें काम आया। 7 दुर्जनसालका बेटा किशनदास, मेहवेमें रहता था। मेहवचोंका भानजा था। रतनादे उसकी लड़की थी। 8 लूणकरणका बेटा सूरजमल, यह मोटे-राजाका ससुर और सजन भटियानीका बाप था। 9 माधोदासको राव विक्रमादित्य मालदेवोतने थोभ और खरड़ी गांव पट्टे में दिये थे। 10 लूणकरणका वेटा महेशदास । II लूणकरणका बेटा हरदास ।
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मुंहता नैणसीरी ख्यात...
[ १
१६ कीरत सिंघ, रावळ वास । संमत १६७४ ननेउ दी थी । संमत १६७७ जाळोररो प्रोडवाड़ो, जोगाउ दी थी । संमत १६८० लीनी' ।
१६ गोपाळदास ।
२० जगनाथ । संमत १६७६
भांगल गांव ४ दिया ।
संमत १६६६ छाडियो ।
१७. विजेराव लूणकरणरो" ।
१८ जसवंत ।
२० तेजमाल ।
१६ मोहणदास ।
२० भारमल ।
१६ वाघ ।
२० दुरगो ।
१६ करमचंद |
१६ वीरदास ।
यांक १७- रावळ मालदे लूंणकरणरो । लूंणकरण पर्छ जेसळमेर पाट बैठो | वरस १० मास ७ दिन २० राज कियो । रावळ मालदे राहुधš रावतरै परणियो थो, नांव रांणीबाई । तठा पछै रावळ मालदे वेगो हीज मुंवों ।
- कीरतसिंह, जोधपुर महाराजका चाकर । सम्वत् १६७४ में नेनेऊ गांव दिया था श्रोर सम्वत् १६७७ में जालोर परगनेके प्रोडवाड़ा और जोगाऊ गांव दिये गये थे, लेकिन ' सम्वत् १६८० में वापिस ले लिये । 2 जगन्नाथने सम्वत् १६६६ में (जैसलमेर) छोड़ा और सम्वत् १६७९में भागलने इसे चार गांव दिये ( वि० एक प्रतिमें भारगल के स्थान भोपाल लिखा है | ) 3 विजयराव लूणकरणका बेटा । 4 रावल मालदेव लुगाकराका बेटा । कररणके बाद जैसलमेरकी गद्दी पर बैठा । इसने १० वर्ष, ७ मास श्रीर २० दिन राज्य किया । रावल मालदेवने राड़धरेके रावत के यहां विवाह किया था, जिसका नाम राणीबाई था। इस विवाह के बाद रावल मालदे जल्दी ही मर गया था ।
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Cok
६२ ]
मुंहता नैणसीरी ख्यात .
पीढी १ जेसळ ।
१८ रुघनाथ, थळ में रहै । ..... २ काल्हण ।
१८ प्रथीराज, बीकानेर रहै। .. ३ चाचगदे।
१६ नारणदास मालदेप्रोत ।। ४ तेजराव ।
१७ रामसिंघ । संमत १६७० . ५ जैतसी वडो।
नवसर गांवां ५ सूं पटै । ६ मूळराज।
१८ किसनचंद । ७ देवराज ।
१६ लालचंद। ८ केहर।
१८ स्यांमदास । ९ लखमण ।
१६ कुंभो। १६ पीथो। १० वैरसी।
१८ अमरो। १८ वेणीदास । .. ११ चाचो।
१८ सुजाण । १२ देवीदास ।
१७ हरिसिंघ नारणदासोत | .. १३ जैतसी।
१८ रामचंद । ... . १४ लूणकरण ।
१६ गरीबदास । १६ कान्ह । . १५ मालदे।
१६ पूरणमल मालदेोत । १६ रावळ हरराज रा॥
गांव १२सूं रिणमलसर सिवराजोतांरो दोहोतो। पदमारै पेटरो। राव १७ माधोदास। मालदेरी बेटी सजनां १६ उदैसिंघ मालदेवोत । परणाई थी।
१६ डूंगरसी मालदेप्रोत । १६ भांनीदास पदमारै पेटरो।
महियड़ मांनै ईडर थकैनं हरराजरो सगो भाई ।
मारियो । पछै सहस१७ गोपाळदास । संमत १६
मल उण दावै महियड़ ६३ चांमूं लिखमेली थी।
मांना मारियो । ... 1 वंशावली। 2 रावल हरराज शिवराजोतोंका दोहिता, पद्मांकी कोखसे उत्पन्न । राव मालदेवकी वेटी इसे व्याही थी। 3 भानीदास पांकी कोखसे उत्पन्न, हरराजका . . सहोदर भाई। 4 रघुनाथ थल प्रदेशमें रहता है। 5 मालवदेका पुत्र नारायणदास । .. 6 रामसिंहको सम्बत् १६७०में पोच गांवोंके साथ नवसर पट्टमें। 7 मालदेवका बेटा .. पूर्णमल, जिसे १२ गांवोंके साथ रिणमलसर पट्टेमें। 8 मालदेवका वेटा डूंगरसी, जिसे महियड़ मानाने जव वह ईडर रहता था तव मार दिया। बादमें इस शत्रुताके बदलेमें सहसमलने । मानाको मार दिया।
पटै
।
.
..
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... मुंहता नैणसीरी ख्यात
[६३ १७ गोपाळदास।
खेतसीरा बेटांरो परवार
१७ दयाळदासनं रावळ कलै १६. देवराज जेसळमेर।
मारियो, दूंणपुररी १७ सिंघ भांनीदासरो'।
राड़ । १८ रावळ रांमचंद। एक वार
१८ रावळ सबळसिंघ दयाळ
दासोत । संमत १७०७ -- मनोहरदास पछै टीक
रावळ मनोहरदास मुंवो, बैठो। .
तरै पातसाह जेसळमेर १६ सुंदरदास देरावर ।
दियो। संमत १७१७
श्रावण वदिह काळ १६. दळपत ।
प्राप्त हुवो" । ......१८ आसो। १८ उदैकरण ।
१७ रावळ अमरसिंघ, वीका १६ खेतसी मालदेप्रोत, निपट
कल्याणदासरो दोहीवडो रजपूत हुवो। राव
तरो' । जैतसीरो दोहीतरो। १६ जसवंत । १६ पदमसिंघ। मोटा राजाजीरी बेटी
१६ स्यांमसिंघ। रंभावती परणाई हुती । १६ रतनसी, करमसी
योतांरो दोहीतरो। १७ ईसरदास । १७ पंचाइण।
१६ भावसिंघ, वीकारो १७ दयाळदास।
दोहीतरो। मेवाड़ गयो १७ सिंघ । १७ वाघ ।
थो उठे मुंवो। १७ स्यांमदास।
१६ महासिंघ, वीकारो
दोहीतरो। १७ सकतसिंघ।
१६ राजसिंघ, कछवाहारो १७ धनराज ।
• दोहीतरो।।
. I भानीदासका पुत्र सिंह। 2 रावल रामचंद्र मनोहरदासके बाद एक बार योड़े समयके लि
का। 3 सुन्दरदास देरावर गांवमें। मालदेका बेटा " खेतसी, राव जैतसीका दोहिता बहुत बड़ा राजपूत हुआ। मोटा राजाजीकी बेटी रंभावतीसे - इसका विवाह हुआ था। 5 दयालदासको रावल कल्लाने दूरणपुर (द्रोणपुर) की लड़ाईमें
मारा। 6 रावल मनोहरदासके सम्बत् १७०७में मरनेके बाद वादशाहन दयाल रावल सवलसिंहको जैसलमेरका राज्य दिया। सबलसिंह सम्वत् १७१७की श्रावण कृष्ण ९को मरा। 7 रावल अमरसिंह वीका कल्याणदासका दोहिता। 8 रतनसी करमसी
श्रोतोंका दोहिता। 9 भावसिंह बीकोंका दोहिता। मेवाड़ चला गया था - गया। 10 महासिंघ वीकोंका दोहिता। I राजसिंह कछवाहोंका दोहिता।
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६४ ]
मुंहता नैणसीरी ख्यात
वात रावळ भीम वरस १० टीको नीसरियो, तरै सारी मदार खेतसी ऊपर थी। पछै रावळ भीम मोटो हुवो, तरै खेतसीनूं धरती वारै काढियो । तरै एक वार तो भाटी घणा साथै काढिया था; पछै. फळोधी आया। पछै भीम जोर पतियो, पछै भाटी सारा उरा आया । पछै भाटी खेतसी, सीहड़, वीरमदे, रांणो, भैरवदास झै राजा रायसिंघजीरै चाकर रह्या । पछै महाराज रायसिंघजी सोरठनूं मेलिया था, उठ वरस ४ रह्या' । पछै खेतसी सोरठमें हीज मुंवो। १८ प्रागदास दयाळदासरो, १७ द्वारकादास।
रा ॥ जगमाल साथै १६ सूरजमल । १६ भागकांम आयो' ।
चंद । १६ बलू । १८ विहारीदास दयाळ
१८ गोयंददास । दासोत।
१८ मोहणदास ईसरदासोत १६ आसकरण । १६ कुसळ- . जेसळमेर ।
सिंघ । १६ जसकरण । १८ नरहर ईसरदासोत । १८ बलू, बीकानेररी सांढ १८ जगनाथ ईसरदासोत ।
लीवी थी, तद राव १८ उदैभांण ईसरदासोत । वीकैजी मारियो ।
करमसोत मारियो । १७ ईसरदास खेतसीयोत । १८ रुघनाथ ईसरदासोत।
संमत १६५५ जोधपुर । १८ मुकंद ईसरदासोत। वास । गुढो पटै ।
I रावल भीम जब १० वर्षका था राज्यतिलक हो गया, तव राज्यका सभी दारोमदार खेतसी पर था। परन्तु जब रावल भीम बड़ा हुआ, तब खेतसीको उसने देशनिकाला दे दिया। 2 उस समय (एक बार तो) कई भाटियोंको भी उसके साथ निकाल दिया था। 3 बादमें जब भीमका प्रताप बढ गया, तव सभी भाटी लौट आये। 4 लेकिन उनमेंसे भाटी खेतसीके साधके सीहड़, वीरमदे, राणा और भैरवदास ये महाराजा रायसिंहजीके यहां चाकर रह गये। 5 महाराजा रायसिंहजीने इन्हें सोरठमें भेज दिया, जहां वे ४ वर्ष रहे। 6 खेतसी सोरटमें ही मरा। 7 दयालदासका वेटा प्रयागदास राव जगमाल के साथ काम पाया। 8 वलूने बीकानेरकी एक सांड (ऊंटनी) ले ली थी इस पर राव बीकाजीने उसे मार दिया। 9 खेतसीका वेटा ईशरदास, सम्वत् १६५५में जोधपुर रहा और गुढा गांव जागीरमें पाया। 10 ईशरदासका बेटा मोहनदास जैसलमेरमें। II ईशरदासके बेटे उदयभान को करमसोताने मारा।
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मुंहता नैणसीरी ख्यात
[ १५ ... १८ महासिंघ ईसरदासोत । १८ हरिसिंह, चांदा महेव१७ पंचाइण खेतसीरो ।
चारो चाकर। १८ रामसिंघ।
१८ गोपाळदास । लोलियांण . १६ दुरजो । १६ तेजमाल ।
मारांणो'। १६ कांन्ह ।
१७ सकतसिंघ खेतसीयोत। १८ सुजांणसिंघ।
संमत १६८५ खोखरो १८ अमरसिंघ । जेसळ मेर
पट हुतो। समत १६८६
चैराई पटै । संमत १६पीपळे गांव छै।
८६ भेड़ गांव ५ सं पटै । १६ प्रथीराज।
संमत १६६० भाटी १७ सिंघ खेतसीयोत।
अचळदास साथै काम १७ वाघ खेतसीयोत, रा॥
प्रोयो । किसनसिंघजीरो साळो । १८ केसरीसिंघ । संमत १६किसनसिंघजीरै वास ।
६० गांव ५ सूं भेड़ पटै'। किसनसिंघजी साथै
१८ रतन । १८ महेसदास। कांम आयो।
१८ हरिसिंघ । संमत १६६४ १८ गोवरधन, राव करमसेन मारियो ।
गांव ५ सूं भेड़ पटै। १६ गिरधर जेसळमेर छ ।
१६ पीथो। १६ अखो । १७ सांमदास खेतसीयोत,
१६ नाहर। मोटा राजारो दोहीतो।
१६ फतेसिंघ । पांचाड़ी-भाहरो गांव ७
१६ पाणंद। १६ चांदो। पटै ।
१६ हिमतो। १६ सुंदर। १८ मानसिंघ, दीवांगरै
१८ देवीदास । संमत १६६६ . चाकर।
मोखेरी पटै । I खेतसीका वेटा पंचायन। 2 अमरसिंह जैसलमेरके पीपले गांवमें रहता है। 3 खेतसीका वेटा बाघ, राठोड़ किशनसिंहका साला और किशनसिंहके यहां उसका रहवास । किशनसिंहके साथ काम पाया। 4 गोवर्धन जिसे राव कर्मसेनने मारा। 5 खेतसीका वेटा श्यामदास जो मोटा राजाका दोहिता और जिसे पांचाडी-भाहरो आदि ७ गांव जागीरमें मिले हुए हैं। 6 मानसिंह महाराणा उदयपुरका चाकर। 7 गोपालदास लोलियारणा गांवमें मारा गया। 8 खेतसीके बेटे सकतसिंहको संवत १९८५में खोखरा गांव, सम्वत १६६६में चैराई और सम्वत् १६८हमें पांच गांवोंके साथ भेड़ गांव, पट्टेमें थे। सम्वत १६६० में भाटी अचलदासके साथ काम या गया। 9 केसरीसिंहको सम्बत् १६६० पांच गांवोंके साथ भेड़ जागीरमें। 10 देवीदासको सम्वत १६९हमें मोखेरी गांव जागीरमें।
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६६ ]
मुंहता नैणसीरी ख्यात
१६ हरनाथ । १६ आईदान | १६ भींव ।
१८ रुघनाथ ।
१९ भोजो । १९ मुकुंद । १६ सत्रसिंघ ।
१८ जवो । १८ ऊहो । १८ सुजांणसिंघ | १८ करमचंद |
१७ धनराज खेतसीयोत । रावळ कलै मारियो । १- वीरमदे । १८ जसवंत | १६ नेतसी मालदेप्रोत |
बीकानेरीरो बेटो, ग्रांक १६ खेतसीरो सागै भाई" | १७ दुरगदास, रावळै वास ।
संगत १६७५ जुट पटै । १८ जसवंत, पूनासर पटै । १६ हरिसिंघ । १६ अजवसिंघ ।
१८ करन ।
१६ रामसिंघ |
१६ सहसमल मालदेवोत,
वीकानेरीरो वेटो । मोटा राजा इणनूं· · । राजा श्रीसूरजसिंघजी पाखती
भटियांणी इणरी बेटी परणिया हुता । रावळे वास थो । गांव १४ सूं यस पटै । संमत १६ - ५७ पछै देरावर ठीकलीसं चढियो, तठे मारियो । ग्रांक १६
सहसमलरा बेटा
-
१७ वीठळदास | संमत १६८० गांव ५ सूं प्रोयसां पटै ।
१७ गोयंददास | १७ अचळ -
दास |
१७ चांदो । संमत १६६२ रिणमलसर पटै ।
१८ मनोहर |
१६ किसोरदास |
१६ कल्यांणदास । १९ कुंभकरण
१७ माधोदास । सहसमल साथै काम आयो ।
१७ रामदास | संमत १६७७ खटोड़ो पटै' ।
I खेतसीके पुत्र वनराजको रावल कल्लेने मारा । 2 मालदेका वेटा नेतसी, बीकानेरीको कोखसे उत्पन्न । ऊपर सं. १६ वाले खेतसीका सहोदर भाई । 3 दुर्गदास महाराजाके यहां चाकर । सम्वत् १६७५ में जुट गांव जागीरमें । 4 मालदेका पुत्र सहसमल, वोकानेरीकी कोखसे उत्पन्न | इसको मोटा राजाने । इसकी लड़की पार्वती भटियानीका राजा सूरजसिहजी के साथ विवाह हुआ था । राजाजीकी चाकरीमें था और १४ गांवोंके साथ प्रोयसां पट्टेमें था । फिर सम्वत् १६५७में ढीकलीसे देरावर पर चढ कर गया और वहां मारा गया । S विट्ठलदासको सम्वत् १६८० में ५ गांवके साथ प्रोयसां पट्टे । 6 चांदाको सम्वत् १६६२में रिमलसर गांव पट्टे । 7 रामदासको सम्वत् १६७७ में खटोड़ा गांव पट्टे ।
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मुंहता नैणसीरी ख्यात .
[ ६७ १८ गोकुळदास।
बेटी परणी थी। पछै मालदे १९ सबळसिंघ । १६ रतन। वेगोहीज मुंो । नै वा पीहर १७ केसोदास सहसमलरो। थी। पछै वा गजनीखांन
संमत १६५६ अोयसां विहारीनूं दीवी थी जाळोररा पटै ।
धणीनूं । तिण दावै रावळ १८ रुघनाथ ओयसां पटै।
हरराज भाटी खेतसीनूं मेल १७ किसनसिंघ सळीवै काम
राड़धरो मारायो, कोट आयो । बीकानेररो
पाड़ायो, ने ईंटा जेसळमेर ले चाकर।
गया। कोटड़ो जोधपुर वांस १८ कल्याणदास, सीळवै
थो सु रावळ हरराज जेसळ मेर कांम प्रायो।
वांस घातियो । पोकरण १८ प्रथीराज सीळवै काम प्रायो। केसरीसिंघरो
अडाणी ली, राव चन्द्रसेण चाकर।
कन्हा। कोटड़ा पगा रावळ १८ गिरधर ।
मेघराजसू वेढ हुई । मास ६ १६ रावळ हरराज माल- प्रांमां-सांमां अरवरिया, पछै देवरो। रावळ मालदे पछै टीकै बेटी परणाई । गांव ७ बैठो । वरस १६ दिन १८ राज कोटड़ारा लिया, कोटड़ो दियो । जेसळमेर कियो । राड़धरै
१ अोलो। १ वणाडो। रावळ मालदे रावत पातारी
१ डोगरी। १ वींझोराई। ___केशोदास सहसमलका वेटा । सम्वत् १६५६में प्रोयसां गांव पट्टेमें। 2 किशनसिंह बीकानेर राजाका चाकर, सोलवेकी लड़ाईमें काम आया। 3 केसरीसिंहका चाकर पृथ्वीराज सीलकी लड़ाईमें काम आया। 4 मालदेवका पुत्र रावल हरराज, मालदेवके बाद गद्दी पर बैठा और १६ वर्ष और १८ दिन जैसलमेरका राज्य किया। 5 रावल मालदेवने राड़धरेके रावत पाताकी बेटीसे विवाह किया था। विवाहके बाद मालदेव चल्दी ही मर गया था और तब उसकी पत्नी पीहरमें ही थी। पीहर वालोंने उसे जालोरके स्वामी विहारी गजनीखां पठानको देदी थी। 6 इस कुकृत्यके बदले में रावल हरराजने भाटी खेतसीको भेज कर राड़धरेका विध्वंस कराया। 7 वहांका कोट गिरवा दिया और उसकी ईटें जैसलमेर ले गया। 8 कोटड़ा गांव जोधपुर राज्यका था जिसे रावल हर राजने जैसलमेर राज्यमें मिलाया। 9 राव चंद्रसेनके पाससे पोकरणको अपने यहां रेहन रखा। 10 कोटड़ाके लिये रावल मेघराजसे लड़ाई हुई। ६ मास तक परस्पर भिड़ते रहे। फिर अपनी लड़कीका विवाह कर पीछा छुड़ाया। II कोटड़ा तो दिया ही, पर कोटड़ाके ये ७ गांव उसने और ले लिये।
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मुंहता नैणसीरी ख्यात
१ कोडियासर । १ भींवासर । १ खोडावळ ।
85 ]
रावळ हरराजरा बेटा
१७ रावळ भीम | राव
मालारो दोहीतरो' ।
संमत १६१८ मिगसर वदि ११ रो जनम । संमत १६७० जेसळरमेर
काळ कियो । दाई
सजनांरै पेटरो' |
१७ रावळ कल्यांणदास हरराजरो । रावळ भीम
भीम परणाई " ।
१७ भाखरसी हरराजरो । पातसाही चाकर फळोधी पटै
१७ सुरतांण हरराजरो, पातासाही चाकर । बीड़मांहै रा ॥ गोपाळ सुरतांणोत कांम आयो तिण
4
वेढ कांम आयो ।
१८ भगवानदास ।
पछे टीकेँ बैठो। संमत १६६८ रावळ कलारी बेटी राजा गजसिंवजीनूं आंांक १७ रावळ भीम रावल हरराजरो । रावळ हरराज पछै टीकै वैठो। वरस ३५ मास ११ दिन १२ जेसळमेर राज कियो । वडो ठाकुर हुवो । वडो दातार, वडो जूझार, वडो मांणग, जबादि - जळहर " | पातसाह अकबर कनै घणा दिन चाकरी कीवी । उठे वडी-वडी प्रचड़ा कीवी' । रा । जगमाल प्रथीराजरानूं कोटड़ारे टीकै रावळ भीम वैसांणियो थो' । पर्छ रांण भैरवदास रतनसीरै जगमालनूं मारनै कोटड़ो लियो । पछै जगमालरा उदैसिंघ, चांदी रावळनं पुकारिया"
10
१७ अरजन, राव मालदेरो दोहीत |
1,2 रावल भीम, राव मालाका दोहिता, सजनांवाईकी कोखसे उत्पन्न ! इसका जन्म सम्वत् १६१८की मिगसर कृ० ११ को हुआ और सम्वत् १६७० में मरा। 3 हरराजका बेटा रावल कल्याणदास जो रावल भीमके बाद गद्दी बैठा । सम्वत् १६६८ में रावल कल्ले (कल्याणदास) की बेटी भीमने राजा गजसिंहको व्याही थी। 4 हरराजका वेटा सुरतारण, वादशाही चाकर । सुरतारणका बेटा वीड़की लड़ाईमें काम ग्राया, उसी लड़ाई में यह भी काम श्राया । 5 रावल हरराजका बेटा रावल भीम रावल हरराजके वाद गद्दी बैठा । इसने ३५ वर्ष, ११ मास और १२ दिन जैसलमेरका राज्य किया । 6 यह बड़ा नामी ठाकुर हुया | बड़ा दानी, वड़ा जूभार, बड़ा रसिक और सुरभित जल-क्रीड़ायों का शौकीन हुआ । 7 इसने बादशाह अकबर के पास बहुत दिन तक चाकरी की और वहां इसने बड़े-बड़े महत्व काम (युद्ध) किये । 8 पृथ्वीराज के बेटे जगमालको भीमने ही कोटड़ेकी गद्दी विठाया था । 9 रतनसीके वेटे राणा भैरवदासने जगमालको मार करके कोटड़ा ले लिया | 10 पीछे जगमालके बेटे उदयसिंह और चांदाने सहायता के लिये रावलसे पुकार की।
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मुंहता नैणसीरी ख्यात
[ ६६ पछै रावळ सिव आयो, नै भैरवदास पण आय मिळियो । तरै गांव मांगिया । भैरवदास गांव दै नहीं। तरै रावळ भैरवदासनूं मारियो । गांव लूणोईरी तळाई सिवथा कोस ४, हड़वैसू कोस १॥ माणस ७सूं कांम आयो । भैरवदास मारनै टीको रांण किसनै भैरवदासरा बेटानूं दियो। नै जेसो भैरवदासोत, भांण नारणोत हड़वारो धणी, भगवान हरराजोत भालाही वाळो बाहिर नीस रिया । इणे घणा विगाड़ किया। रावळरै महेवै जाय रह्या । वडो विगाड़ कियो । पछै बरसे ७ जेसानूं कोटड़ारो अाधो दे पाछो प्रांणियो' ।
वात रावळ भीम जेसळमेर पाट छै । ऊहड़ गोपाळदासरै बेटै उरजन, भोपत, मांडण, पोकरणरा गांव घणा मारनै वित ले नीसरिया । पोकरणरा थांणादार भा ॥ कलो जैतमलोत, भा॥ पतो सुरतांणोत, भा ॥ नादो रायचंदरो, अ चढिया । वाळसीसर आया । वांस रातीवाहैरै मिस ऊहड़े जायनै साथ कोढणाथी तेडायो', सु राते आयनै भेळो हुवो' । इणां सवारै वित टोळनै खड़िया' । नै पोकरणरो साथ आडो प्रायो। वेढ हुई। त? इतरो साथ भाटियारो कांम आयो14. एको कलो जैमलरो। एक नेतो जैमलरो ।
I रावल तब शिव गांवको गया और वहीं भैरवदास भी आ मिला। 2 लूणोई गांवकी तलाई, जो शिव गांवसे ४ कोस और हड़वे गांवसे १॥ कोस पर है, सात आदमियोंके साथ (भैरवदास) काम आया। 3 पर भैरवदासको मारनेके बाद टीका भैरवदासके बेटे राणा किसनाको ही दिया गया। 4 विद्रोही होकर निकल गये। 5 इन्होंने लूट-खसोट आदिसे बहुत नुकसान किया। 6 मेहवे जाकर वहांके रावलके यहां रह गये। 7 सात वर्षोंके बाद जैसाको कोटड़ेका प्राधा भाग देकर वापिस बुला लिया। 8 पोकरणके कई गांवोंमें लूट-खसोट करके वहांकी मवेशी लेकर निकल गये। 9 ये लोग पीछे चढे । 10 पीछेसे रात्र्याक्रमणके मिस ऊहड़ोंने कोढणा जाकर आदमियोंको बुला लाये। II रातमें
सब साथ इकट्ठा हो गया। 12 ये दूसरे दिन प्रात: मवेशी हांक कर रवाना हो गये । ............ 13 तव पोकरण वालोंने पाडे आकर मार्ग रोक लिया और लड़ाई हुई। 14 वहां पर
भाटियोंका इतना साथ काम आया ।
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१०० ]
मुंहता नैणसीरी ख्यात एक सिवो कैलवेचो अजारो। मेघो गांगावत । भा० नादो रायचंदरो।
केल्हण घावै ऊवरियो । केल्हण ।
भाटी प्रतापसिंघ सुरतांणोत पेथड़।
घावै ऊगरियो । मोकल सोभ्रमरो।
पछै रावळ भीम भा।। गोयंददासनूं कह्यो-“गोपाळदास क्यु मांहरा कह्या माहै न छै। थे गोपाळदास ऊहड़सूं समझ ल्यो ।" पछै रावळ भीम सारो जेसळमेररो साथ देनै लोहड़ा-भाई कल्याणमलनूं कोढणा ऊपर मेलियो', नै कोढणो मारियो । तद ऊहड़ गोपाळदासरै हवाल गढ जोधपुररी कूची छ, राते वाहाऊ अायो' । गोपाळदास गढरी प्रोळ जड़ी उघडायनै, गांगाहै कटक ऊतरियो थो सु दिनऊगतै सांमो आपरो साथ ले धोळे-दिन आय वाजियो' । ऊहड़ गोपाळदास काम आयो । भाटियांरो साथ काम आयो -
१ कोटड़ियो सुरताण। १ भा॥ गांगो वीरमदेप्रोत, रावळ जैतसीरो पोतरो, जैराइतरो.
धणी11 । ऊहड़ गोपाळदास साथै इतरो साथ काम आयो१५ ऊहड़- १ करमसी। १ कंवरसी। १ महेस। १ गोयंद' ।
७ चहुवाण-१ संकर सिंघावत । १ वीसो । ६ देवड़ा-१ गोपो। १ गोयंद।
I पाहत केल्हण बच गया । 2 सुरताणका वेटा भाटी प्रतापसिंह भी आहत हो करके बच गया। 3 गोपालदास हमारी प्राज्ञामें नहीं है। तुम गोपालदास ऊहड़से निपट लो। 4 छोटा भाई। 5 आक्रमण करनेको भेजा। 6 और कोढणा पर अधिकार कर लिया ! 7 उन दिनों जोधपुर दुर्गकी चावी ऊहड़ गोपालदासके सुपुर्द थी, (अतः वह जोधपुरमें था) रातको दूत पाया (और उसको इस आक्रमणकी सूचना दी)। 8 गोपालदासने दुर्गका वंद द्वार खुलवा कर। 9 गांगाहे गांवमें (जहां भाटियोंका) कटक ठहरा हुआ था, सवेरा होते ही अपने आदमियोंके साथ वहां पाया और धौले दिन (दिन भर) लड़ा। 10 भाटियोंका इतना साथ काम आया। II जैराइत गांवका स्वामी भाटी गांगा जो वीरमदेका वेटा और रावल जैतसीका पोता था । . 12 इतना। 13 करमसी, कुंवरसी, महेश और गोयंद आदि पंद्रह उहड़। 14 सिंहका वेटा शंकर और वीसा आदि ७ चौहान। 15 गोपा और गोयंद आदि ६ देवड़े।
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मुंहता नैणसीरी ख्यात
[ १०१ २ रांदा।
२ बांभण'। २ ईंदा ।
१ मांगळियो भाखड़ी रावळ भीमरी आसियो पीर कहै
भीम भलां भलो रावळ रायहरां दन खाग दीपियो । ऊपर अवरावां नव धारणो परियां आपरां ।। सेने साखती साजत सीधरां नित गहमह नरां । हूकळ-हैमरां" धूसण-परधरा गाहण-गिरवरां ।। १ गिरवरां गाह सगाह गढपत वाह दे खग-वाह । खत्र-राह-जांणग° राह खळ-दळ'' दाह-दुबाह ।। पड़िगाह थाट-अथाग' पोरस अाह जस गुण ग्राह । वह माह निय वप वडां विरदां वीरवै वराह ॥ २ कळ चाळ' नित छात्राळ'' कंदळ' भीच काळ भुजाळ । सुंडाळ1 दरगह साबता वेगाळ बैग वडाळ । किरमाळ बळ रिण ताळ केता जीपणा-जमजाळ 25 ।
........ ॥ ३ खग-झाटमुं वह थाट-खेसण वाट-दह" अवियाट । भिड़ घाट घय रिम-घड़ा-भांजण' दुयण वाळण दाट । रिपनाट परमळ हाट रावळ धरण परघर घाट ) पित-पाट-राखण पाटपत नप काट हंत निराट ॥ ४
— I दो ब्राह्मण। 2 आसिया पीराका कहा हुआ रावल भीमके संबंधका भाखड़ीछंद । 3 खङ्ग। 4 शोभित हुआ। 5 अन्य राजाओंके। 6 हाथियोंको। 7 घोड़ोंकी हिनहिनाहट। 8 शत्रुओं की धराका नाश करने वाला। 9 खङ्ग चलाने वाला। 10 क्षत्रियोचित मार्ग (कर्तव्य)को जानने वाला। II शत्रु दलके लिये राहु रूप । 12 वीरोंका संहार करने वाला (दुवाह-घोड़ा)। 13, 14 अपार सेनाका विध्वंस करने वाला। 15 युद्ध (असुर, शत्रु)। 16 युद्ध। 17 राजा। 18 युद्ध। 19 शूर-वीर - 20 योद्धा। 21 हाथी । 22 घोड़ा। 23 घोड़ा। 24 कृपाण, तलवार। 25 यम
राजको जीतने वाला । - 26 सेनाओंको भगाने वाला। 27 नाश, नाश करने वाला। 28 वीर। 29 सेना। 30 शत्रु ओंकी सेनाओंका नाश करने वाला। 31 शत्रु ओंका संहार करने वाला। 32 शत्रुके आगे नहीं झुकने वाला। 33 पिताके राज्य को रक्षा करने वाला। 34 राजा। 35 क्रोध ।
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मुंहता नैणसीरी ख्यात सुरतांणसूं दीवांण संचित तांण सर' तुड़ताण । दे पांण जमदढ पांण दाखव रांण जिम रढरांण ॥ आरांण कज सझ डांण ऊभो मछर अवळीमांण" । वाखांण प्रथी प्रमाण वाधै भांण जिम कुळ-भांण ।। ५ कंधार-साह जियार' कोपिय कीध मुख हलकार । तिण वार धर अहिकार निय तन सझै भूपत सार1 ।। भुज भार भर जणियार'' भाटी खार-बँध वध खार14 । हर हार हुव दरबार हूंता वळे थाट विडार ॥ ६ दळपत्त छत्रपत मालदे, गढपत्त गोत्र-गवाळ । सतदत्त लूणकरन्न समवड़ा वडै विरद विसाळ । जैतसी देवीदास जग-पुड़' सत्रां-चांपण-सींव । उज्जले सोही कीध उज्जळ भूप परियां भींव ।। ७
प्रांक १७ रावळ कल्याणदास हरराजरो', रावळ भींव मुंवां पछ 1 पाट बैठो। वरस १४ मास ६ दिन १५ जेसळमेर राज कियो। सुसतो सो ठाकुर हुवो। रजपूतां, परंज-लोगसूं भली पर पाळी । डील निपट जवरो हुतो । पाट बैठां पछै एक बार अजमेर पातसाहरी हजूर गयो हुतो, बीजो गढ ऊपर बैठो रह्यो । नै आप जीवतां दोड़ण-धावणरी सारी मदार कंवर मनोहरदास ऊपर हुई । एक वार रावळ भीम जीवतां कोढणा ऊपर कल्याणमल मेलियो हुतो" सु ऊहड़ गोपाळदासनूं मारियो ।
____ वारा। 2 शीघ्र। 3 कटार। 4 हठी, प्रतिज्ञा-पालनके लिये मरने वाला वीर। 5 युद्ध। 6 चौहान क्षत्री (मत्सर, अभिमान)। 7 अभिमानी। 8 बढता है। 9 जिस समय। 10 अधिकार (अभिमान) | II तलवार। 12 जिस समय । 13 क्रोधी। 14 क्रोध। 15 अपने वंशकी रक्षा करने वाला। 16 समान। 17 पथ्वीतल पर। 18 शत्रुओं (के देशों) की सीमाओं पर अधिकार करने वाला। 19 (१) श्रेष्ठ, (२) पूर्वज। 20 रावल कल्याणदास हरराजका पुत्र। 21 मरनेके बाद । 22 ढीला ठाकुर हुअा किन्तु राजपूतों और प्रजाजनों से अच्छी प्रीति पाली। 23 बहुत मोटे शरीरका था। 24 इसके सिवाय गढमें ही बैठा रहा। 25 अपने जीवनगादमें ( युद्धादिमें ) दौड़ने-भागनेका सारा आधार कुंवर मनोहरदास पर रहा । 26 भेजा था।
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मुंहता नैणसीरी ख्यात
[१०३ ... प्रांक १८ रावळ मनोहरदास कल्याणदासोत । रावळ कल्याण ......काळ कियां पछै टीकै बैठो । वरस २२ जेसळमेर राज कियो। वडो
आखाड़सिध, अभंगनाथ । कांमरो माणस । रावळ मनोहरदास घणी वेढ जीती। संमत १७०६ रा मिगसरमें काळ कियो । बेटो को न हुतो । पछै भाटियां, बीज, राजलोग, भाटी रामचंद सिंघोतनूं टीको दियो ।
मनोहरदासरा प्रवाड़ा
एक वेढ कंवरपदै बलोचांसू की, तठै बलोच अलीखां मारियो । खाडाळरा गांव १० मारनै वित लीनो । अलीखां मारियो, तठे रावळरो साथ काम आयो, घायल हुवा -
१ भाटी रायसिंघ भीमावत, सांवतसी । १ सीहड़ धनराज उधरणोता । १ भा। वांकीदास जसावत रूपसीयोत13 ।
१ सोढो जसो। .: १ सांगो खडेर । इणरो गांव देवो, टेहिया कनै । जसोल ऊपर
___ आयो, तद जसोलिया घणा मारिया । - पोकरण राठोड़ जगमाल मालावतरा धरती बारै नीसरिया था,सु मेहवै जाय रह्या, पोकरणरो काळमुधो मारियो। तरै रावळ मनोहरदास जेसळमेरसूं चढियो । सु जेसळमेररो चढियो जेसळमेरसू कोस
- I रावल कल्याणके मरने पर गद्दी बैठा। 2 बड़ा रण-विशारद और निर्भय व्यक्ति था। 3 उपकारी मनुष्य । 4 सम्वत् १७०६के मिगसरमें मरा। 5 वेटा कोई . नहीं था। 6 फिर भाटियों और दूसरे लोगों तथा रानियों आदिने मिल कर सिंहके पुत्र भाटी रामचंद्रको टीका दिया। 7 मनोहरदासके महत्वपूर्ण युद्धोंका वर्णन । 8 कुंवरपदमें इसने एक लड़ाई बलोचोंसे की, जिसमें बलोच अलीखांको मारा। 9 खाडाल प्रदेशके १० गांवोंको लूट कर उनकी मवेशी लेली। 10 अलीखांको मारा उस लड़ाईमें रावलका इतना साथ मारा गया या घायल हुआ। II भाटी भीमाका बेटा रायसिंह और सांवतसी। 12. उधरणका वेटा सीहड़ धनराज। 13 भाटी जसाका पुत्र बांकीदास रूपसीग्रोत ।
14 सांगा खडेर, इसका गांव टोहियाके पासका देवा । यह जसोल पर चढ कर आया, तब कई . . जसोलियोंको इसने मार दिया। 15 जगमाल मालावतके वंशज पोकरगाके राठोड़ अपनी
भूमिको छोड़ कर बाहिर निकल गये थे।
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मुंहता नैणसीरी ख्यात ४० सोयाऊ जेसळमेर मेहवारी गड़ासिंध आपड़िया' । फळसूंडसूं. कोस ६, कुसमळोथी कोस २॥, तठे वेढ हुई । पोकरणरा भागा। आदमी १४० मारिया । इतरा सिरदार पोकरणांरा मारांणा -
१ रा ।। सुंदरदास देवराजरो। १ रा । मुथरो रांणारो। १ रा॥ जगनाथ विजारो।
मालो देवराजरो, मेघो रांणारो, मेघो महेसरो, भा।। अचळो सुरतांणरो, अ आय पगै लागा, पछै पाछा आंणिया । संमत १६६४रा . पोस सुद ८ बलोच मुगलखांन इसमायलखांरो बेटो विकूपुररै गांव भारमलसरमें मारियो' । तद रावळरा इतरा चाकर काम आया -
१ सीहड़ देदो धनराजरो। धनराज, उधरण, हींगोळ । १ रा॥ देईदास भांनीदासोत । राखारै वसतौ ।
रावळ रामचंद सिंघरो। रावळ मनोहरदास कलावत संमत १७०६ । काळ कियो । बेटो मनोहरदासरै न थो। तरै राजलोगसूं. साजस करनै, के भाटी पण भीर करनै एक वार टीको लियो । सु सीहड़ रुघनाथ भांणोत तिण वेळा हाजर न हुँतो। सु जेसळमेर सीहड़ां माथै वडी मदार, सु इण मनमें खुणस राखी । तिण समै भाटी सबळसिंघ दयाळदासोत, दयाळदास खेतसीरो, रा॥ रूपसिंघ भार- " मलोतरो चाकर थो; रु० ६०००) तथा १००००) रो चाकर हुतो"।
___ I जैसलमेर और मेहवेकी सीमाके निकट, जैसलमेरसे ४० कोस सोपाऊमें उनको पकड़ लिया। 2 फलसंडसे ६ कोस और कुसमलासे २॥ कोस पर लड़ाई हुई। 3 पोकरण वाले भाग गये। 4 पोकरण वालोंके इतने सरदार मारे गये। 5,6 ये आकर पाँवों पड़ गये, तव इनको पीछा बुला लिया। 7 सम्वत् १६६४की पौष शुल्क को इसमायलखांके बेटे मुगलखानको विकूपुरके गांव भारमलसरमें मार दिया। 8 उस समय रावलके इतने चाकर काम आये। 9 जो राखाके यहाँ रहता था। 10 कल्लाका पुत्र रावल मनोहरदास संवत् १७०६में मर गया। II तव रानियोंसे मिल करके (षड्यंत्र करके)। 12 और . कई भाटियोंको अपनी ओर करके एक बार तो गद्दी वैठ ही गया। 13 उंस समय भाणाका वेटा सीहड़ रघुनाथ वहां हाजिर नहीं था। 14 क्योंकि जैसलमेरकी सारी दारमदार सीहड़ों पर है। 15 इसलिये इसने अपने मनमें इस बातकी खुनस रखी। 16 खेतसीका .. बेटा दयालदास और दयालदासका वेटा सवलसिंह, राव रूपसिंह भारमलोतके यहां नौ-दस : हजारके पट्टे की एवजीमें चाकर था।
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मुंहता नैणसीरी ख्यात [ १०५ तिण दिन राव रूपसिंघसू पातसाह साहजिहाँ जोर मया करता' । पछ रूपसिंघ पातसाहजीतूं अरज सबळसिंघरी कीवी । सबळ सिंघनूं पातसाहरै पावै लगायो । पछै पातसाहजी बात कबूल कीवी । भाटी रांमसिंघ पंचाइणोत और ही भाटी खेतसीरा पोतरा कितराहेक' सबळसिंघ कनै' आया । पछै तिण समै महाराजा श्री जसवंतसिंघजी पातसाहतूं अरज कराई-"पोकरण इतरा दिन किणही सबब भाटियां हेढ़ दबी, नै छै मांहरी । सु हजरत हुकम करो तो म्हे उरी ल्यां"।"
तरै पातसाहजी फरमान कर दियो। श्री महाराजाजी संमत् १७०६रा . वैसाख सुद ३ नै जहांनाबादसू देसमें पधारिया नै जेठमें जोधपुर पधारिया ।. जोधपुरसूं रा ॥ सादूळ गोपाळदासोत, पं ॥ हरीदास फुरमांन देने जेसळमेर मेलिया । तरै रामचंद पांच भाटी भेळा
करनै इणांनं जबाब दियो18-"पोकरण पांच भाटी मंवां आवसी16 ।" -- ... तरै जोधपुर कटकरी तयारी हुई, नै उठै पातसाहजीनूं ही खबर हुई
"जु रामचंद हुकम मांनियो नहीं15 ।' तिण समै सबळसिंघ रामसिंघ माथै, पेसकसीरा पईसा ठराय चाकरी कबूल कीवी नै जेसळमेररो फुरमांन करायो । भाटी रुघनाथ, और ही भाटी कितराहेक सारा रांमचंदसू फिरिया' । सगळांरा कागळ छांना संबळसिंघनूं आया।
I खूब कृपा करते थे। 2 इसलिये सबलसिंहके लिये रूपसिंहने बादशाहसे अर्ज की। - 3 सवलसिंहको बादशाहके पांवों लगवाया। 4 तब सबलसिंहको जैसलमेर दे देनेकी बात बादशाहने कबूल की। 5 भाटी खेतसीके पोते । 6 कितनेक । 7 पास। 8 उस समय । 9 पोकरण किसी कारणवश इतने दिन तक भाटियोंके अधिकारमें रहा, परन्तु वह है हमारा । 10 सो अब यदि हजरत आज्ञा करदें तो हम उस पर अधिकार करलें। II महाराजा जसवंतसिंहजी जहानाबादसे सम्वत् १७०६ की वैशाख सुदि ३ को मारवाड़में आये । 12 जोधपुरसे महाराजाने राव सादूल गोपालदासोत और पंचोली हरिदासको बादशाही फरमान देकर जैसलमेर भेजा। 13/14 तब रामचंद्रने पांच भाटियोंको इकट्ठा करके इनको उत्तर दिया कि पोकरण पांच भाटियोंके मरनेके बाद हाथ लगेगा। 15 तब जोधपुरमें सेनाकी तैयारी हुई और उधर बादशाहको भी यह खवर मिल गई कि रामचंद्रने हुक्म नहीं माना है। 16 उस समय सबलसिंहने जैसलमेरकी अोरसे पेशकशी देनेकी रकम निश्चित कर और चाकरी देना कबूल कर जैसलमेर पर अपने अधिकारका फरमान रामसिंहके (रामचंद्रके) ऊपर लिखवा लिया । 17 वदल गये ।
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कह्यो - " वेगा आवो, म्हे थांहरा चाकर छां ।" पछै पातसाहजी जेसळमेररो टीको देनै सवळसिंघनं विदा कियो । साथ खरचरी मदत रा ।। रूपसिंघ करी । पछे सवळसिंघ जोधपुर आयो । महाराजाजी घोड़ा सिरपाव, खरच दियो । सवळसिंघ पर्छ फळोदी आयो । अ साथ चाकर राखिया । फळोधीरी कुंडळ मांहै भोजासर तळाव ऊपर डेरो छै । आदमी ७०० तथा ८०० चढिया पाळा सवळसिंघ साथै छै'। नै जेसळमेररो साथ सेखासर पर जवणारी तळाई, धारारी तळाई छै, तठे डेरो छै । मांणस १५०० तथा १७०० छै । मांहै सिरदार भाटी सीहो गोयंदोत छै । और पोकरणरो साथ केल्हण सारा साथै छै । तिणां ऊपरा' रावळ सवळसिंघ चलायनै गयो; तरै इतरा सिरदार सबळसिंघ कनै छै -
0
१ भा । केसरीसिंघ सकत सिंघोत ।
१ भा ।। द्वारकादास ईसरदासोत ।
१ भा ।। हरिसिंघ सकतसिंघोत ।
३ भा || मोहणदास, जगनाथ, उदभांण ईसरदासोत ।
१ भा । । विहारीदास दयाळदासोत ।
१ भा ।। अचळदास गोयंददासोत । १ भा ।। गोयंददास ईसरदासोत । १ भा ।। गिरधर गोवरधनोत । १ भा || मोहणदास किसनदासोत ।
१ भा || राजसिंघ भगवानदासोत ।
१ भा ।। रांमचंद गोपाळदासोत ।
राव रूपसिंहने साथ के
1 सवके गुप्त पत्र सबलसिंहको मिले कि 'जल्दी ना जाओ, हम तुम्हारे चाकर हैं । 2 वादशाहने जैसलमेरका टीका देकर सबलसिंहको रवाना किया । 3 श्रादमियोंके खर्चेकी मदद दी । 4 महाराजा जसवंतसिंहजीने घोड़ा, सिरोपाव और खर्चा दिया । 5 यहां इसने अपने ग्रादमी और चाकरोंका संगठन किया । 6 फलोदी कुंड गांव में भोजासर तालाव पर डेरा लगा रखा है 1 7 सातसो ग्राठसी सवार और पैदल आदमी सवलसिंह के साथ में हैं । 8 और जैसलमेरकी सेना सेखासर गांवके परे जवरणा और धाराको तलाइयों पर डेरा डाले हुए है । 9 उनके ऊपर | 10 उस समय सवलसिंह के पास इतने सरदार हैं ।
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[ १०७ १ रा। हरिसिंघ भीमसिंघोत । - जेसळमेररा साथमें इतराहेक नांवजाद सिरदार छ ।
१ राव जैसिंघ मोहणदासोत ।
१ भा।। सीहो गोयंदोत । - २ भा।। सांमदास सांवळदास गोपाळदासोत सिरड़िया।
१ भा।। रुघनाथ ईसरदासोत । १ भा।। दळपत सूरसिंघोत । १ भा।। किसन बळुनोत ।
पछै धोळे-दिन वेढ हुई । रावळ सबळसिंघ वेढ जीती । जेसळमेररो साथ भागों, तठै साथ काम आयो ।
विकूपुररो साथ इतरो काम प्रायो२ भाटी नेतावत
२ जैतुंग - १ जैमल रासावत ।
१ हरदास। १ जगमाल । १ रा।। जैतसी भांणोत।
१ भुणकमळ४ सोळंकी
हाथी अजुरो। १ जगो।
१ खालत वीदो। १ देदो ।
१ भा।। खंगार नरसिंघरो १ कमो। १ ऊदो।
सेखासरियो। २ सिंघराव
१ पाहु महाजळ । .१ मनोहर ।
१ देदो। .. पोकरणरा साथ मांहै इतरा काम आया - १ एक धनराज नेतावत । १ रा।। सिरंग डूंगरसियोत । १ भाटी भोपत रायसिंघोत । १ राहड़ वीदो।
.
१ भाटा
I जैसलमेरकी सेनामें इतने प्रसिद्ध सरदार हैं। 2 फिर दिन-धौले लड़ाई हुई । रावल सबलसिंहकी युद्ध में जीत हुई। 3 जैसलमेरकी सेना भाग गई और उसके ये आदमी काम आये। 4 विकूपुरका इतना साथ काम आया। 5 जयतुग शाखाका भाटी। 6 भुणकमल शाखाका अजूका बेटा हाथी। 7 सेखासर वाला नरसिंहका बेटा भाटी खंगार। 8 पोकरण वालोंके इतने काम आये।
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मुंहता नैणसीरी ख्यात तठा पछै वेगी हीज श्री महाराजाजीरी फोज पोकरण ऊपर आई। रावळ सवळसिंघ खारैरा डेरां, श्रादमियां ७००सू आय, श्रीजीरा साथ भेळो हुवो । गढनूं संमत १७०७रा काती में कोस०॥ तळाव.. डूंगरसर डेरो हुवो । दिन ३ गढनूं ढोवो हुवो । पछै गढ माहिलांरा प्रांण छूटा । पछै रा।। गोपाळदास, रा।। वीठळदास, रा।। नाहरखांन विचै रावळ सबळसिंघ, भाटी रामसिंघ पंचाइणोतनूं फेरनै वात कीवी' । गढ माहै साथ थो सु परो काढियो । भा। पतो सुरतांणोत काम
आयो । तठा पछै रा।। गोपाळदासजी, वीठळदासजी नाहरखांनजीतूं .. मिळनै रावळ सवळसिंघ सीख करनै रावळा साथरा डेरासू कोस०॥ . गयो । त? जेसळमेर था खबर आई1° | रावळ रामचंद भाटियांसू मिळनै कह्यो-"मोनूं क्युं माल वित ले परो नीसरण दो तो हूं देरावर जाऊ1 ।" तरै पांचै भाटियां सीहड़ रुघनाथ, दुरगादास, सीहै, देवीदांन, जसवंत सारै वात कबूल कीवी । कह्यो-“परो जा।" तरै कित रोहेक ताजो माल घोड़ा, ऊंठ ले रामचंद देरावर गयो । भा।। जसवंत वैरसलोत, राजधरांरी साखरा रांमचंद साथै गया । पर्छ। रावळ सवळसिंघ या खवर सांभळी, तर सताब चलायनै जेसळमेर गयो । उठे रावळ सबळसिंघ पाट बैठो ।
रावळ अमरसिंघ सवळसिंघरो, संमत १७१६ पाट बैठो” । I जिसके बाद महाराजा जसवंतसिंहजीकी सेना जल्दी-ही पोकरण पर चढ़ कर आ गई। 2 खारामें लगे महाराजाके सेना-शिविरमें, रावल सबलसिंह अपने ७०० आदमियों के साथ पाकर महाराजाकी सेनामें सम्मिलित हो गया। 3 वहांसे सम्बत् १७०७के कातीमें गढ़से आधे कोस पर डूंगरसर तालाव पर डेरा लगा। 4,5 तीन दिन तक गढ़ पर आक्रमण हुए, तब गढ वालोंकी हिम्मत टूटी। 6 बीचमें, परस्पर । 7 भेज कर बातचीत की। 8 गढ़के अंदर जो सेना थी उसको वहांसे निकाल दिया। 9 विदाईकी आज्ञा प्राप्त कर जब वह महाराजाकी सेनाके पड़ावसे प्राधा कोस गया। 10 वहां पर जैसलमेरसे खबर मिली। 11 मुझे कुछ धन और मवेशी आदि सायमें लेकर निकलने देग्रो तो मैं देरावर चला जाऊं। 12 चला जा। 13 तब कितनाक (बहुत-सा) ताजा माल (छांट कर अच्छे अच्छे) घोड़े और ऊंटोंको लेकर रामचंद देरावर चला गया। 14 भाटी जसवंत वैरसलोत और राजधर शाखाके अन्य भाटी रामचन्द्र के साथ चले गये । 15,16 जब रावल सबल- . . सिंहने यह खबर सुनी तो तुरन्त चल करके जैसलमेर पहुंचा और वहां वह गद्दी पर बैठ गया। 17 सबलसिंहका बेटा रावल अमरसिंह सम्बत् १७१६ में गद्दी बैठा।
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[ १०६ १ रावळ मालदे। . ६ जसवंतसिंघ २ खेतसी ।
७ जगतसिंघ कंवरपदै मुंवो। ३ दयाळदास ।
बुधसिंघ राज कियो । . ४ सबळसिंह जेसळमेर
८ अखैसिंघ। घेरियो ।
६ मूळराज, जेसळमेर पाट । ५ अमरसिंघ । ___ रावळ जसवंतसिंघ अमरसिंघोत । कंवर जगतसिंघ जसवंतसिंघोत कंवरपदै थकांहीज आपरै हाथ कटारी पेट मार मुंवो ।
रावळ बुधसिंघ जगतसिंघरो पाट बैठो । पछै बुधसिंघनै कहै. छै सीतळा नोसरी थी, तिणमें विस हुवो । तठा पछै रावळ तेजसिंघ जसवंतसिंघरो पाट बैठो। तिण ऊपर भाटी हरीसिंघ अमरसिंघोत सिंधसूं आयनै रावळ अखैराजरै कहै तेजसिंघनूं चूक कर मारियो । रावळ अखैसिंघ उण वगत नीसर गयो' । नै तेजसिंघ घडी ४ जीवतै थकै आपरै बेटै सवाईसिंघनूं टीकै बैसांणियो । ताहराँ अखैराज फोज करनै आयो । उमराव, कामदार, अखैसिंघसूं राजी था, नै हिसाबमें अखैसिंघनै ठोड़ आवै11 । जो ओ12 जगतसिंघरो बेटो नै बुधसिंघरो छोटो भाई, तिणसूं जेसळमेर अखैसिंघ पायो । वडो परतापीक रावळ हवो14 । वरस ४० राज कियो।।
रावळ अखैसिंघ जगतसिंघोतरा इतरा बेटा नै बेटी हुई15I सवलसिंहने जैसलमेरका घेरा डाला। 2 जगतसिंह कुमारपदमें मर गया तव उसके बेटे बुधसिंहने राज्य किया । 3 मूलराज जैसलमेरकी गद्दी पर। 4 जसवंतसिंहका बेटा कुवर जगतसिंह अपने कुमारपंदर्भ ही अपने ही हाथसे पेटमें कटारी मार कर मर गया। 5 कहा जाता है कि बुधसिंहको शीतला निकल गई थी और उसी बीमारीमें उसको (उसकी दादी द्वारा) विष दे दिया गया। 6 जिस पर भाटी हरिसिंहजी अमरसिंहोतने सिंधसे पाकर, रावल अखैराजके कहनेसे तेजसिंहको धोखेसे मार दिया । 7 रावल अखैसिंह उस समय निकल कर भाग गया था । 8 लेकिन तेजसिंहने अपनी मृत्युसे चार घड़ी पूर्व अपने जीते जी अपने बेटे सवाईसिंहको गद्दी पर बैठा दिया। 9 तब अखैराज सेना लेकर आया । 10 उमराव और कामदार आदि अखैसिंहसे प्रसन्न थे। I और हिसाबमें भी यह पदाधिकार अहँसिंहको ही प्राप्त होना चाहिये। 12 यह। 13 इसलिये जैसलमेर अहँसिंहको मिला। ___14 बड़ा प्रतापी रावल हुआ। 15 रावल अहँसिंह जगतसिंहोतके इतने वेटे और इतनी बेटियां हुई।
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मुंहता नगसीरो ख्याल रावळ मूळराज, जेजळनेर पाट १ भाटो तनिध मूलको सगो भाई, सोडांनो कोहीनों। १ भाटी पदनित्र, करमयोतारो बोहोना । वेडी : तीन हुई, तिगांरा नाम - १ चंबर, महागाजाधिराज नहा राजा श्री गरिनी ने
परणाया। १ विनकंवर महाराजवंबार श्री राजकिनी में परमाया ।
में दोय वेटो बांधारी बोहोत्री, सगी बहनों ! बीकानेर परणाई। १ विजेंञ्बर, महाराजा कंबार श्री त्रिी विनवजीरे कंवरनै परणाया। नु दनियां नै संचालित नियत मारवाड़ नोजले जाया । नागोर जोक्युर बेरोको ? तिम समै माहाराज श्री विनविजीले मोहल सेलावन ने कंबर
जेसळनेरै गढमें रखा। पछ फोजळी, नाहरा मतसिंजोन बनाया विजकंदर करनसोतारी दोहीती । पदमसिंचजोरी तो वहन । ___ राव केल्हण पूराळ, विलंपुर, कन्सलपुर, मोठार, हार, सिगळी आ धरती भोगवतो । पछै सब सेबोहबो, विज करती इश मांत वंटांणी
I माटी रतनसिंह, यह मूलराजका महोबर नाई और नोडवेज हिताना पनिह, करमनांतोंका बोहिता। 3 वैदियः हुई, उनके नाम ये है! । चन्द्रवति, जे बीकानेर के महाराजा गहजोको ब्याही गई। 5 विनय नि, कोबीकानेर नहरामकुंकर साहको व्याही 1 6 बीकानेरको व्याही गई दोनों देगी कहिने और हान्नोंत्री दोहितिय है। विनयज्ञबरि, नहायजा विजयानहीने बर महाराजकुमार लहानही को व्याही गई। उस उच्च अभयसिंहका बेटा सहि और दक्षिण वाले ना लेकर बारबाड़में ना गये और नागोर और बोपुरका वेरा डाल दिया। जब महाराजा विजयानहनीकी शेखावत राणी और उबर जैनलनेन्के गहमें रहे। 8 जर कोड की जहाँही ... विवाह हुआ। विजयात्रनि, निजीकी जगी वहित और करनीको हित । 9 नव ! 10 पीछे नत्र शेन्डा हुना, उसके वंशनाने इन्न प्रकार देश बंट गया।
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मुंहता नैणसीरी ख्यात
[ १११ गांव ३६० पूगळ वांस लागता' । १ हैसो पूगळ वांस, गांव १५० । १ हैसो विकूपुर, गांव ७५ । १ हैसो वरसलपुर, गांव ८४ । १ हैसो किसनावत भाटियांनूं , गांव १४० हापासर वांस ।
आ ठोड़ पाहुवेरो कहावै । कदीम तो जेसळमेर वांस पा ठोड़ हुती । पछै वीकानेररा धणियां जोरीदावै महाराजाजी श्री सूरसिंघजी दबायने हापासर बीकानेर वांस घातियो । हापासर वीकानेरसू कोस १२ । भाटी किसनावत वीकानेररा चाकर हुवा' । पैहली जेसळमेररी सींव डीवजाळ तांई हुती । तिका डीवजाळ रांणैहरथा कोस १२ महाजन नजीक ।
किसनावतारै गांवांरी विगत'१ हापासर । १ सूरासर । १ चूहड़सर। १ मोटासर। १ वडेरण। १ मोरियांवाळो। १ खारबारो। १ लालावर । १ लाकड़वाळो । १ रांणैहर । १ पीठवाळो। १ बंध । १ रायमलवाळी। १ मोटेळाई। १ जगदेवाळो । १ वीझळवाळी। १ नगराजसर। १ भंडण । १ धवळासर । १ लाखासर । १ खोखरांणो। १ पाकेवळो । १ अखासर । १ भाचाहर ।
१ राजासर । १ देदाहर। १ कळसकी। ____I. पहिले पूगलके पीछे ३६० गांव थे, (जिनके चार भाग किये गये)। 2 एक भाग पूगलका जिसके पीछे १५० गांव। 3 हापासरके १४० गांवोंका एक हिस्सा किसनावत भाटियोंका । (गांवोंकी संख्यायें ठीक नहीं प्रतीत होतीं। ३६० गांवोंको १५०, ७५, ८४ और १४०-इन चार भागोंमें बाँटनेसे योग ४४६ आता है)। 4 (हापासरका) यह प्रदेश पाहुवेरो कहलाता है। 5 शुरूसे तो यह जगह जैसलमेरके अधिकारमें थी। 6 परन्तु पीछे बीकानेरके स्वामी महाराजा सूरसिंहजीने जबरदस्ती दवा कर हापासरको बीकानेरके अधिकारमें ले लिया। 7 किसनावत भाटी बीकानेरके चाकर हो गये। 8 पहले जैसलमेरकी सीमा डीवजाल गांव तक थी। 9 वह डीवजाल महाजन गांवके समीप राणेहर गांवसे १२ । कोस पर हैं। 10 किसनावतोंके गांवोंकी सूची।
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वात
भाटियां मांहै केल्हणांरी साख'
राव केल्हण केहररो, केहर रावळ मूळराजरो पोतरो'। पहली तो रावळ केहररै टीकानूं मुदायत वेटो केल्हण थो । पछै रावळ केहर विगर पूछियां कठैक सगाई कीवी । तरै रावळ केहर रीसायनै केल्हण वडा बेटानूं जेसळमेर थी परो काढियो । टीका लखमण लोहड़ा बेटानूं कियो । सु केल्हण एक वार तो को दिन आसणी- ... कोट रह्यो। पछै मन माहै विचारियो "पासणीकोट मोनूं पछैही. जेसळमेररो धणी रहण नहीं दै ।" तिण समै रावळ केहर रांम सरण । हुवो' । तरै केल्हण विचारियो-"कोहेक ठोड़ खाटणी ।" तिण दिन विकूपुर सूनो पड़ियो। तठे राव केल्हण प्रांण गाडा छोड़िया' । आगै । कोट मांहै घणा झाड़ ऊगा था, तिणांरी घणी झंगी हुय रही थी, सु सारा झाड़-फूस बाळ दिया। आप कोट मांहै वास कियो । .. तठा पैहली14 रावळ घड़सी धरती वाळण वास्तै15 विखा माहै चाकरी की, तद जैतुंग केल्हारो बेटो महिपो विखा माहै साथै हुतो। इण विखा मांहै घणी चाकरी करी हुती' । इण खरच घणो पूजवियो हुतो'. । सु पछै रावळ घड़सी धरती वाळी', तरै सारां विखायतांनूं...: वधारिया । तरै महिपानूं कह्यो-"थे मांहरी वडी चाकरी पोहता छो, सु थे मांगो तितरी धरती म्हे थां दा ।" तरै इण राणांरी तळाई . ___I भाटियोंमें केल्हण-भाटियोंकी शाखा। 2 पौत्र। 3 पहिले तो रावल केहरका बड़ा बेटा केल्हण राज्याधिकारी था। 4. तब रावल केहरने क्रोधित हो करके बड़े बेटे केल्हणको जैसलमेरसे निकाल दिया। 5 छोटे बेटे लखमणको राज्याधिकारी बनाया। 6 कई। 7 उस समय रावल केहर मर गया। 8 कोई एक जगह प्राप्त करनी चाहिये। 9 वहां राव केल्हणने अपने गाडोंको लाकर छोड़ दिया। (गाडा छोड़िया=मुकाम किया)। 10 वृक्ष । II उनकी घनी झांड़ी हो रही थी। 12 वृक्ष और घास जला दिया। : - 13 निवास किया। 14 उससे पहले । 15 रावल घड़सीने अपना राज्य वापिस लौटानेके ... लिये। 16 संकट काल : 17 इसने विखेमें बहुत सेवा की थी। 18 इसने अपना खर्च करके भी बहुत सहायता पहुँचाई। 19 जब रावल घड़सीने अपना राज्य लौटा लिया। 20 तब सभी संकटग्रस्तोंको उन्नत किया। 21 तुमने मेरी अन्त तक बड़ी सेवा की है। 22 सो तुम जितनी धरती मांगो उतनी हम तुम्हें दें।
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6
खरड़री पोकरण थी' कोस १६, फळोधीसूं कोस ८, उठाथी लेने वीठणोक सूधी इण धरती मांगी। रावळ घड़सी इतरी " धरती जैतुंगन दीवी हुती । वीठणोक वीकानेरसूं कोस सतरे १७ छ । जोगीरा तळाव, देवाइतरा तळावसूं कोस ४ तथा ५ वीठणोक छै, तठा सूधी धरती जैतुंगरै रावळ घड़सीरी दीवी हुती ; सो विकूंपुर को 'दिन' जैतुंगरही रह्यो । तठा पछै पूगळ ऊपर मुलतानरी फोज श्राई; तिण पूगळ लियो । पछै वा फोज विकूंपुर श्राई, तरै जैतुंग कल्हैरै मरने विकूंपुर कोट दियो । गढ तुरके लियो । के दिन गढ तुरकां रह्यो' । तुरकै गढ मांहै मसीत १ कराई छै । नै साह वीदा मुल - तांणरा वासीरो करायो कोट मांहै देहरो १ ज्यांनरो छै' । पछै तुरकांनूं खांण-पांणनूं जुड़े क्यूं नहीं ", तरै तुरक कोट विकूंपुर छोड़ परा गया ; सुविकूंपुर सूनो पड़ियो थो । मांहै घणा झाड़ ऊगा था 11, तिण सम रावळ केल्हण खाली ठोड़ देखने आसणीकोटसूं विकूंपुर आयो, नै ठे रह्यो । कोट महिला झाड़ - भंगी " बाळ दिया; तिके प्रजेस बलिया ठूंठ दीसै छै । गढ रावळ केल्हण सझियो । विकंपुर ऊंचो थांबमाथैरो छै'छ । प्रोळ सखरी " छै । घर १ मांहै सखरो छै । देहरो १ एक साह वीदारो करायो सखरो छै । भींत तो गढरी पाखती इसी
13
4
15
.17
सी ही छै" । कोहर १ किडांणो प्रोळरी भींत हेठे छे, पांणी खारो छै, पुरसे ४० | दोळो पांणी कोस ५ तथा ७ छै, नेड़ो कठै ही न छै ' " ।
18
19
I से । 2 वहांसे लेकर 1 3 तक । 4 इतनी । 5 वहां तक रावल घड़सीकी दो हुई भूमि जयतुंगके पास थी । 6 कई दिन । 7 कई दिन गढ़ मुसलमानों के अधिकारमें रहा। 8 मस्जिद । 9 मुलतान निवासी शाह वीदाका बनवाया हुआ एक जैन मंदिर भी कोटमें है । 10 वहां जब तुर्कोंको खाने-पीनेको कुछ नहीं मिला । 11 भीतर बहुत वृक्ष उगे हुए थे । 12 वृक्षोंकी झाड़ी । 13 अभी तक जले हुए ठूंठ दिखाई देते हैं । 14 रावल कल्हणने गढ़को तैयार करवाया । TS विकूंपुरका गढ़ स्तम्भकी भांति ऊंचा उठा हुआ है। 16 अच्छी | 17 गढ़के पार्श्वकी भींत तो ऐसी-ऐसी (साधारण) ही है । 18 किडारणो नामक एक कुंद्रा पौलकी भींत के नीचे है, जिसका पानी खारा है और वह ४० पुरुष गहरा है । (पुरुष वा पुरसा = खड़े होकर हाथ ऊंचे उठाने या दायें-बायें हाथ फैलाने के वरावरकी, अथवा १२० अंगुली गहराई नापने की एक माप ) । 19 आजू-बाजू ५ या ७ कोस पर पानी हाथ आता है, निकट कहीं नहीं है ।
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मुंहता नैणसीरी ख्यात लोक रहै छै सु सोह कोट मांहि रहै छै । फळोधीसू कोस २५ छै, जेसळ मेरसूं कोस ७० छ । वीकानेरसू कोस ४५ छै। देरावरसू कोस .. ६० छै । पूगळसूं कोस ४४ । वाप, विकूपुरसू कोस १६, फळोधीसूं . कोस ८, किरड़ा निजीक, तिकोस वडी गांव छै । ठाकुराईरी मंड. वाप माथै छै । बांभण-पलीवाळ घणा वसं छै । वांणियांरा घर ५० ..., तथा ६० वसै छै । वाप घणा सेवज गोहूं सारी सींव काठा नीपजै छ । मण १ गोहूं वायां मण ६० गोहूं हुवै छै । घणी ज्वार हुवै । सखरी साख हुवै छै, ताहरां कण-नेपत गोहूं मण २००००० तथा . ३००००० जाझेरा हुवै छै'। बीजाही सिरहड़ सारीखा रूड़ा गांव छ । माणस हजार २००० री जोड़ राव विकूपुररै भले समाऐ ठोड़ छै । मारग देरावर मुलतांनरो वहै छै", तिणरी रूडी प्रोपत छै'। तिका ठोड़ रावळ केल्हण खाटी । भली ठाकुराई जमी छ ।
तिण समै राव राणंगदे भाटी, रावळ लखणसेनरो वेटो पुनपाळ जेसळमेरसू काढियो, तिणरो पोत्रो हुतो', सु कहै छै "राव चूंडैजी मारियो। तिणरै बेटो न थो, तरै राव रांणंगदेरी बैर राव केल्हणनूं कहाडियो14-"मोन थे घर प्रांणो तो हूं थांनं गढ दू " तरै केल्हण परपंच कियो, नै कहाड़ियो-“भली वाता"।" पछै आप चढनै पूगळ
___I जो लोग वहां वसते हैं वे सव कोटमें रहते हैं। 2 वही एक बड़ा गांव है। 3 ठकुराईका सव आधार वाप गांव पर है। 4 वहां पर पल्लीवाल ब्राह्मण अधिक रहते हैं। 5 वापकी सारी सीमा (भूमिमें) संवजके काठे-गेहूं बहुत होते हैं। (सेवज-वे गेहूँ, चने आदि जो आश्विनकी वर्षाकी आर्द्रता भूमिमें बने रहनेके कारण उत्पन्न होते हैं। इन्हें सिंचाईकी आवश्यकता नहीं रहती।) 6 एक मन वोनेसे ६० मन पैदा होते हैं। 7 जव .. फसल अच्छी होती है तो नाजकी पैदावार में गेहूँ दो-तीन लाख मनसे भी अधिक पैदा हो .. जाते हैं। 8 सिरहड़के समान दूसरे भी अच्छे गांव हैं। 9 इन जगहोंमें यदि मुकाल हो तो विकूपुर रावकी मददके लिये दो हजार मनुप्योंकी जोड़ उसके पास हो सकती है। 10 देरावर और मुलतानका मार्ग इधर हो करके चलता है। II जिसकी आमदनी अच्छी है। . . . 12 ऐसी जगहको रावल केल्हणने प्राप्त की। 13 रावल लखणसेनके बेटे पुण्यपालको जेसलमेरसे निकाल दिया था, उसके एक पोता था। 14,15 जव राव राणंगदेकी विधवा पत्नीने राव केल्हणको कहलवाया कि मुझको घरमें डालदो तो मैं तुमको यह गढः देहूँ। 16 तव केल्हणने छल किया और कहलवाया कि अच्छी बात है।
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मुंहता नैणसीरी ख्यात [ ११५ गयो, तरै रांणंगदेरी बैर कह्यो-"धारेचारो सासतर करो।" तरै राव केल्हण कह्यो-"अाज तो रावाईरा सासतररो मोहरत छै", सवारै बीजो सासतर करस्यां ।" सु पैहलै दिन बाजोट मांडनै रावाईरो टीको कढायो, सासतर कियो । सको राजी हाथरै, जीभरै पांण किया । पछै दिन २ आडा घातन' राव केल्हण वागो पहरनै राव रांणंगदेरी दोढी ऊभै रहनै माहै जुहार रांणंगदेरी वहूनूं कहाड़ियो । तरै रांणंगदेरी रांणी कहाड़ियो-'थांहरो म्हांसू कोल कासूं छै ? नै हमै थे कोल पाळो न छो' ?" तरै केल्हण कहाड़ियो-"इसड़ी वात कदै न हुई, सु क्यु कीजै ? सवारै संसार माहै सगा-सोई सको हसै । पछै. कोई प्रांपांसू सनमंध करै नहीं, नै रावरै बेटो को न छै । राव रांणंगदेरो वैर हूं लेईस।" तरै रांणी पण दीठो, वात मांहै सवाद को नहीं । तरै रांणी कह्यो-"भली वात; म्हारे वैर वाळणतूं हीज काम हुतो ।" इण विध राव केल्हण पूगळ धणी हुवो। पर्छ रावळ केल्हण मुलतांन जायनै सलेमखाननूं नागोर ऊपर ले आयो । राव चूंडानं मारियो। राव केल्हण घणूं तपियो । इतरा कोट खाटिया -
साखरो दुहो17 पूगळ वीकूपुर पुणवि, मूंमणवाह मरोट ।
देरावर नै केहरोर, केल्हण इतरा कोट18 ॥ १ I तब राणंगदेकी स्त्रीने कहा कि पुनर्विवाहकी रीति करो। 2 आज तो रावाईकी (ग़वकी पदवीकी) रस्म कर लेनेका मुहूर्त है। 3 कल दूसरी रस्म भी कर लेंगे। 4. पाटा, पट्टा। 5 रस्म अदा की। 6 धन और मिष्ट-भाषण (मिष्ठान्न) से सवको राजी किया। 7 फिर दो दिनका बीच देकर। 8 राव केल्हण बागा पहिन करके राव राणंगदेकी ड्योढी पर खड़े रह कर राणंगदेकी स्त्रीको भीतर जुहार कहलवाया। 9 तुम्हारा मेरेसे. क्या कौल है ? और अव तुम उस कोलका पालन नहीं कर रहे हो। 10 ऐसी बात कभी हुई नहीं, उसे क्यों करना चाहिये ? II कल संसारमें अपने सगे-संबंधी सभी हँसेंगे। 12 राव राणंगदेके वैरका वदला मैं लंगा। 13 तब राणीने भी देखा कि अब इस बात में कोई मजा नहीं। 14 मेरे तो वैरका बदला लेनेसे ही काम था। 15 राव केल्हणने वहुत वर्षों तक राज्य किया। 16 इतने गढ़ प्राप्त किये। 17 जिसकी साक्षीका दोहा। 18 केल्हणके पास इतने कोट थे-१. पूगल, २. विकूपुर, ३. मूमणवाह, ४. मारोठ, ५ देरावर और ६. केहरोर।
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मुंहता नैणसीरी ख्यात राव केल्हण देरावर लियांरी वात एक इण भांत सुणी___सोम केहररो सगो भाई, तिको देरावरमें मुंवो। तर केल्हण : गोडो वळावणनूं माणस ४००सू आयो । तरै सोमरो वेटो सहसमल मांहै आवण दे नहीं। तरै घणा सूंस-सपत देवाचा करने कोट माहै ... आयो । दिन ५ तथा ७ रह्यो। इणे केल्हणनूं कह्यो-“थे परा .... जावो ।' पण केल्हण जाय नहीं। तरै सहसमल रूपसी रीसायनै . आपरा गाडा ले कोट छाड नीसरिया', सु सिंध गया। कोट देरावररो केल्हण लियो । तठा पछै राव केल्हण वेगो हीज मुंवो।
राव केल्हणरा बेटा२ राव चाचो केल्हणरो पूगळ पाट । २ रिणमल विकूपुर पाट हुतो। तिणरा वांसला खरडवाळा
भाटी'। २ विक्रमादीत केल्हणरो। तिणरै वांसला खीरवारा धणो । २ अको केल्हणरो। तिणरा वांसला सेखासरिया-भाटी ।
अकानूं रा।। नाथू रिड़मलोत मारियो' । . २ कलिकरण केल्हणरो। तिणरै वांसला तणणै गांव11 । २ हरभम केल्हणरो । तिणरै वांसला हरभम-भाटी कहीजै । .
इणांरा गांव २- १ नाचणो। १ सरउपर । प्रांक २. राव चाचो केल्हणरो पूगळ पाट बैठो। राव केल्हणरा । कोट खाटिया मांहै कोट १ विकूपुररो रिणमल केल्हणोत दियो ।
I तब केल्हण ४०० आदमियोंके साथ मातमपुर्सीके लिये आया। 2 तव सौगंधशपथ और वोल-वचन दे करके कोटमें या पाया। 3 इसने। 4 तुम अव चले जाओ। . 5 तव सहसमल और रूपसीने नाराज हो कर कोट छोड़ दिया और अपने गाड़े ले करके.. निकल गये। 6 जिसके बाद राव केल्हण जल्दी ही मर गया। 7 रिणमल विकूपुरकी : गद्दी पर था। उसके वंशज खरड़वाले-भाटी कहलाते हैं। 8 केल्हणका वेटा विक्रमादित्य । उसके वंशज खीरवाके जागीरदार । 9 अक्का केल्हणका वेटा, इसके वंशज सेखासरिया-भाटी कहलाते हैं। 10 अक्काको राव नाथू रिड़मलोतने मारा। II कलिकर्ण केल्हणका बेटा। इसके वंशज तराणा गांवमें हैं। 12 राव केल्हणने जिन कोटोंको प्राप्त कर अधिकार किया . . . था, उनमेंसे एक कोट विकंपुरका चाचाने रिणमल केल्हणके वेटेको दे दिया।
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मुंहता नैणसोरी ख्यातं . [ ११७ इतरा कोट चाचै भोगविया'१ पूगळ, १ केहरोर, १ मरोट, १ मुंमणवाहण, १ देरावर ।
चाचारी वडी ठाकुराई हुई। चाचो कटक करनै पोकरण राव वरजांग ऊपर आयो। पोकरण झूबियों । भूतड़ा महाजन महेसरियांरा कितराहेक गाडा सै उचाळे ले पायो । सु वे भूतड़ा आज सूधा पूगळमें रहता -
राव चाचारा बेटा
३ राव वैरसल, पूगळ पाट हुवो। जिण नवो कोट वैरसलपुर करायो।
३ रावत रिणधीर चाचारो, तिणनूं देरावर । भाई वटै वैरसल लियो थो। तिणरै वांसला नेतावत-भाटो । विकूपुररै देस, नोखसेवई ।
रावत रिणधीर रा बेटा४. वीरमदे। ४ लखमण। ४ मूळो। ४ अजो। वीरमदेरा बेटा५ विजो वीरमदेरो।
३ कुंभो चाचारो। इणरै ६ नेतो, तिणरा नेतावत' । वांस को नहीं ।
३ महिरावण चाचारो' । देरावर एकण भांतरी ठोड़ । रिणधीर मची मुवो1 । बेटा४ वीरमदे, ४ लखमण, ४ मूळो, ४ अजो हुता । पण ठोड़ एकण भांतरी, इणांसू अठै रह्यो न जाइ, सारै सिंधरै
1 चाचाने इतने कोटोंका उपभोग किया। 2 चाचा सेना तैयार करके वरजांग . ऊपर पोकरण चढ़ पाया और पोकरणको लूटा। 3 वहांके भूतड़ा जातिके माहेश्वरी बनियोंको उचाला करा कर ले आया। (उचाळा=बहुत से परिवारों का एक साथ सामूहिक रूपसे अपने निवास स्थानका सदाके लिये त्याग करके अन्य गांवको किया जाने वाला प्रस्थान ।) 4 वे भूतड़े अाज तक पूगलमें रहते हैं। 5 जिसके वंशज नेतावत-भाटी कहलाते हैं। 6 विकूपुर प्रदेशमें इनका गांव नोख-सेवड़ा। 7 नेता, जिसके वंशज नेतावत-भाटी।
8 चाचाका वेटा कुभा, इसके वंशमें कोई नहीं। 9 महिरावण चाचाका बेटा। 10 देश. . . वर एक ऐसी (खतरेको) जगह । II रणधीर अपनी मौत मरा। 12 इनसे यहां
रहा नहीं जाता।
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११८ ] . मुंहता नैणसीरी ख्यात मुंहडै देरावर छै । तरै इणां गढ ऊभो मेलनै विकूपुर उरा आया, .. नोख-सेवड़े वसिया । देरावररो गढ खाली पड़ियो थो, तरै रावळ लूणकरण वसियो। तठा पछै गढ जेसळमेर वासै पड़ियो । गाडण पसायत विखा मांहै सिंधनूं जावतो थो दुकाळ मांहै । बारहट खींदै कहिन रखायो । इतरो देनै राखियो ।
साखरो कवित दुय गिरि चंदण अढार, वरै जळवंब मोताहळ' । सेर एक सोवन्न , पंच रूपक झाळाहळ ।। बारह जूथ नर-महिष, चादर खट चीरह । च्यार तुरी' चत्र ऊंठ, एकसो गाय सखीरह14 ।। भाटियां राय हुवसी भुवण, लाभ ध्रम्म सोभाग तुव । वैरसल हाथ मांडावियौ, चायइ एतै चाचगां सुव ।। १
दूहो
खींदै समो न वारहट, वेरड़ समो न राय । जातै जुग जासी नहीं, दूहो चवै पसाय' ।। १
वेटारी साखरो हो सेखो राव तिलोकसी, जोगाइत जगमल्ल । ...... वैरागररा दीकरा, एक-एक हूं भल्ल' ।। १
___ I सारे सिंधके द्वार पर देरावर बसा हुया है। 2 तव ये गढ़ छोड़ कर के विकूपुर या गये और नोख-सेवड़े में बस गये। 3 जिसके बाद गढ़ जैसलमेरके अधिकार में पाया। ... * दुप्कालजन्य संकटके कारण गाडरा पसायत सिधको जा रहा था। 5 इतना देकर .. मेला। 6 साक्षीका कवित्त। 7 मोती। 8 मुवर्ण। 9 पांच सेर चमकती हुई : चांदी। 10 बारह जोड़ी भैले ! 11 छहों प्रकारके चादर ग्रादि वस्त्र। 12 चार बोड़े। ... 13 चार ऊंट। 14 एकलो दूध देती हुई गायें। 15 भाटी राव दरसलने चारण पुत्रको (टनीदेको) उसकी इच्छानुसार दान दिया। कवि कहता है कि है भाटी राव ! तेरा . मंगामें गौमाग्य यडेगा और तुझे धर्मशालान होगा। 16 गाढरण पसायत कहता है कि .. बाद समान को बारहठ नहीं है और देरसलके समान कोई राजा नहीं है। उसकी कीर्ति । युगों राज नहीं मिटेगी। 17 वरसल बेटे एक-एक्से भले हैं।
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मुंहता नैणसीरी ख्यात [ ११६ ४ राव सेखो, धणी पूगळ ।
४ जगमाल बैरसलरो। मुंमणवाहण धणी हुवो । क्युं वैरसलपुर . मांहै पिण सीर हुतो' । पछै जगमाल मुंवो तरै तुरके मुंमणवाहण लियो । ५ जैतसी।
६ जगनाथ, चांदरख पटै । ६ पंचायण, राव वाघारी
मोहबतखारै दौलताबाद बेटी परणियो हुतो ।
कांम आयो । ७ गोयंददास पंचाइणोत । १० हरनाथ चांदरख पटै । इणरी बेटी राजा सूरज
मोहबतखारै दौलताबाद सिंघ परणिया हुता,
कांम आयो। सुजांणदे ।
१० उरजन। ८ जोगीदास गोयंददासोत, ६ कल्याणदास ।
वडो रजपूत, जोधपुर १० करन । १० भींव । वास । गांव ४सूं वीझ- ६ केसोदास जोगीदासरो । वाड़ियौ पटै । संमत १० हरिसिंघ । १६६८ हाथी मारियो. ___६ पतो जोगीदासरो। दिखण।
१० जसवंत । ६ रुघनाथ। गांव ४सूं वीझ- ७ रांम पंचाइणरो। राव
वाडियो पटै। संमत १६- चंद्रसेणरो सुसरो। सोहद्रां ६१ मोहबतखारै काम
भाटियांणी रांणीरो आयो' ।
बाप । १० अचळदास ।
८ सुरतांण, रावळ वास ।
मेड़तारो राजोद पटै1 ° । ___ I कुछ वैरसलपुर में भी उसका भाग था। 2 जब जगमाल मर गया तव तुर्कोने मुमणवाहण पर अधिकार कर लिया । 3 पंचायण राव वाघाकी बेटी व्याहा था। 5 इसकी बेटी सुजानदेसे राजा सूरसिंहका विवाह हुश्रा था। 5 चार गांवोंके साथ वीझवाड़िया गांव जागीरमें। 6 सम्वत् १६६८में इसने दक्षिण में हाथीको मारा। 7 सम्वत् १६६१में मोहबतखांके लिये काम आया। 8 जगन्नाथको चांदरख गांव पट्टे मे, दौलताबादमें मोहवतखांके लिये काम आया। 9 पंचायणका बेटा राम । यह राव चंद्रसेनका ससुर और सोहद्रां (सुभद्रा) भटियानीका बाप है। 10 सुरतान, महाराजाका चाकर । मेड़ते परगनेका राजोद गांव पट्टे में ।
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१२० ]
मुंहता नैणसीरी ख्यात ६ कुंभो।
६ मेघराज । ८ नेतसी रामोत।
८ तेजसो रामावत । ६ नरसिंघ ।
६ उदेसिंघ पंचाइणरो। ८ संकरदास रांमोत । ८ मनोहरदास । ८ मोहण६ वेणीदास । ६ गोकळदास। दास।
६ कन्हीदास। ६ सबळ- ६ द्वारकादास मनोहरसिंघ।
दासोत। ८ नरहरदास रांमरो।
८ ईसरदास । ८ प्रागदास जगमाल वैरसलोतरो पेट अठा वांस -
४ जोगायत वैरसलरो। तिणनूं भाईवटै केहरोर प्रायो, नै वरसलपुर माहै हैंसो हुँतो । जोगायत वडो प्रळे-दातार हुवो। वडा-वडा दान दिया । पछै साथरैरी मौत मुंबो। पछै केहरोर तुरले लियो । इणरै वासै इसड़ो को न हुवो' । दूहो-जोगायत जीआर, पांना उथळसी परम ।।
तोनै बीजी त्यार, वेहरो होसी वैरउत ।। १ ४ तिलोकसी वैरसलरो। ५ सहसो। ६ अखैराज ।
५ भैरवदास, मरोट धणी हुतो। पछै भैरवदास मुंवो, अउत गयो । तरै राव जैसे मरोट लीवी।
४ राव सेखो वैरसलरो। पूगळ धणी । एक वार इणनूं मुगले... मुलतांण दिस ले झालियो, तद रावजी श्री वीकेजी छोडायो। ..
५ राव हरो सेखारो, पूगळ धणी । पूगळनूं गांव ३५० लागता, तिण माहै हैसो ३ भाई11 । वाघे सेखावत गांव हापासरतूं वंटाय गांव
I रामका वेटा नेतसी। 2 रामका बेटा शंकरदास । 3 इसके बाद जगमाल वैर-.. सलोतका वंश। 4 वैरसलका बेटा जोगायत, इसे भाईवटमें केहरोर मिला और वरसलपुरमें ..... भी भाग था। 5 जोगायतं बड़ा जबरदस्त दानी हुआ । इसने बड़े-बड़े दान दिये। 6 अपनी मौत मरा। 7 इसके पीछेके वंशजोंमें ऐसा कोई नहीं हुआ। 8. फिर भैरवदास अपुत्र मर . गया। 9 एक बार इसको मुलतानकी ओर मुगलोंने पकड़ लिया था तव राव बीकाजीने छुड़वाया था। 10 राव हरा शेखाका पुत्र, पूगलका स्वामी । II पूगलके पीछे ३५० गांव ... थे, जिनमें तीन भाईयोंका हिस्सा । (पृ० १११ में शेखाके वंशजोंके बँटवाड़ेमें पूगलके गांव ३६० और उनके चार हिस्से किये गये, बताया गया है ।) .....
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मुंहता नैणसीरी ख्यात
[ १२१ १४० लिया , तद गोपो रिणमलोत विकूपुर धणी हुतो, कपूत सो ठाकुर . हुतो । सु हरारा हेरू लागा हुता। प्रो कठके निवाळा खाण गयो हुतो, पछै हरै गोपा कना विकूपुर लियो ।
राव हरा रा बेटी६ राव वरसिंघ । ६ वीदो रावत । ६ हमीर। ६ उधरण ।
५ रावत खींवो सेखावत । वैरसलपुर धणी, तिणनूं तुरकै मारियो । ६ रावळ जैतसी। ६ सांगो। ६ करन। ६ धनराज ।
६ गांगों। खींवा-भाटी६ जैतसीराव । वैरसलपुर ११ राव दयाळदास । धणी।
१२ राव करन । १२ राव ७ राव मालदे, वैरसलपुर
रुघनाथ । . धणी।
११ रामचंद। ११ सबळो। ८ राव मंडळीक, वैरसलपुर ११ वीरमदे । ११ दळधणी। मोटा राजासू
पत। ११ वाघ । कुंडळ संमत १६२७ वेढ १० खेतसी मंडळीकरो। हुई तठे काम आयो । ६ सांगो खींवारो। ६ राव नेतसी, वैरसलपुर ७ जगमाल ।
धणी । समियांण बळोचै ८ अचळदास ।
मारियो । १० राव प्रथीराज, वैरसलपुर १० केसोदास ।
. . . .
धणी ।
...
.
I वाघा शेखावतने हापासर सहित १४० गांव वॅटवा कर लिये। 2 हराके दूत पीछे लगे हुए थे, जब यह कहीं भोजन करनेको गया हुआ था तब हराने गोपासे विकंपुर छीन लिया। 3 जिसको तुर्को ने मार दिया। 4 वरसलपुरका स्वामी राव मंडलीक, कुडल गांवमें मोटा राजा उदयसिंहसे सम्वत् १६२७में लड़ाई हुई उसमें काम आ गया। 5 वरसलपुरका स्वामी राव नेतसी, जिसे बलोचोंने समियारणा (सिवानामें) मारा।
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१२२ ]
मुंहता नैणसीरी ख्यात ११ दुरगादास। जोधपुर मेहा- ६ गोपाळदास । . .
कोर फळोधीरो पटै'। १० रावत चांदो। .. ८ जीवो जगमालरो। ११ जगतसिंघ । .. ६ करन खोवारो । खींवा ८ लखो अमरारो। साथै काम प्रायो।
६ दौलतखांन । ७ अमरो।
१० गिरधर, खजवांणो पटै ! .. ८ रामसिंघ ।
६ गांगो खींवारो। ६ रामचंद । ७ तिलोकसी। ७ तेजसी। १० वाघ ।
८ रामसिंघ । ८ मानसिंघ। .. ६ स्यांमदास अमरारो।
६ जसवंत । करण, खींवो।
१० भांण । १० भगवान ! ... ६ भाटी धनराज खींदारो। राव मालदेरै वास । विकूकोहर घणा गांवांसू पटै । फळोधीरै थांण रहतो। पछ राव जेस पूगळरै धणी चाडी मारी', तठै अाड-वाहर पीहलाप कनै आपड़िया । जेसै रा ।। प्रथीराज भोजराजोतनूं चाडी मारियो । अठे वेढ हुई । वेट जेसे: जीती। ७ गोपाळदास । ७ खेतसी। ७ ठाकरसी। ७ रायमल ।
७ सीहो। राव धनराजरो परवार13 गोपाळदास, भटनेर
८ सिरंग । ___ काम आयो।
ह राघोदास। ८ नरहर, भटनेर काम प्रायो।
१० गोवरधन। १० हररांम, ...
जोधपुर वास । ६ उगरो। ६ राजसिंघ ।
१० माधोदास । १० जग-. ७ रामसिंघ । ७ खेतसी
माल । १० गोयंददास । धनराजोत ।
६ वाघ सिरंगरो । ___I दुर्गादासको जोधपुर राज्यके फलोधी परगनेका महाकोर गांव पट्टे में। 5 श्यामदास, करण और खींवा अमराके वेटे। 3 कई गांवोंके साथ विकूकोहर पट्टमें। 4 पीछे । पूगलके स्वामी राव जैसेने चाडी गांव लूटा। 56 वहां जैसेने बाड़ी चढ़ाई करके पीहलाप गांवके पास चाडीके पृथ्वीराज भोजराजोतको पकड़ करके मार दिया। 7 यहां लड़ाई हुई। 8 वाघ सिरंगका (श्रीरंगका) वेटा।
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..... मुंहता नैणसीरी ख्यात
[ १२३ १० विहारी। १० देवीदास। १० मुकंद । १० कुंभो ।
८ आसकरण खेतसीरो । १० तेजमाल । १० जैसिंघ। ...... सिरंग' ।
१० माधोदास । १० गिर६ कल्याणदास, वीकानेर
धर । १० अखैराज । :- वास । नाथूसर चाखू
६ जगनाथ । पटै ।
७ रायमल धनराजरो। १० कान्ह ।
८ कान्ह, रावळे वास । ६ हरदास । ९ मनोहर ।
मेहाकोर पटै । ८ दुरगदास खेतसीरो।
६ नरहर। ६ नाथो। राव सत्रसाल १० रामसिंघ । ....साथै काम आयो ।
८ नारायण रायमलरो। ८ महेसदास खेतसीरो। ६ मुकंद । ६ मोटो। ७ ठाकुरसी धनराजरो ।
हरांमदास । ८ जोगाइत ।
८ सांवळदास रायमलरो। - ६. भोपत।
६ सुंदर, जांभेळाव पटै । १० गोवरधन, खींदासर पटै ६ खंगार, राव? वास । १० दयाळदास, नाभासर ।
वीमणवो पटै । १० गिरधर, सीहांणो पटै । ६ ईसरदास । . १० करमसेन । १० सुजाण । ६ जोगीदास । 8 रुघनाथ । गोयंददास ।
८ उदयसिंघ रायमलरो। ८ किसनदास । ठाकुर
८ चांदो रायमलोत । सीयोत।
८ वेणो रायमलोत। -- ६ सूरजमल ।
७ सीहो धनराजरो। हड़फै १० रायकरन ।
___काम आयो। ८ राम ठाकुरसीयोत ।
८ हेमराज । भटनेर काम ६ प्रथीराज ।
प्रायो।
I प्रासकरण और श्रीरंग खेतसीके बेटे। 2 कल्याणदास बीकानेर में चाकर, जिसको नाथूसर और चाखू गांव पट्टे में। 3 कान्ह, जोधपुर राजाजीका चाकर और महाकोर गांव पट्ट में । 4 खंगार, जोधपुर राजाजीका चाकर और वीमणवो गांव पट्ट में।।
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१२४ ]
मुंहता नैणसीरी ख्यात
भागचंद | रामचंद |
८ भगवानदास सीहावत । जसवंत ।
१० रामसिंघ | जगदे ।
१० हरिसिंघ ।
भां सोहावत ।
८ सुरतांण ।
६ बलू | दो । ६ प्राग
दास ।
१० अखैराज |
७ लिखमीदास धनराजरो । भटनेर कांम ग्रायो ।
८ कल्यांणदास |
C लाडखांन, वीकानेर वास ।
सोवांगियो पटै' ।
दो
७ इंगरसी धनराजरो ।
करमसी ।
भैरवदास ।
खींव । ( ८ करमचंद ।)
५ वाघो सेखारो | इण राव हरा सेखावत ने हैसे ३
पूगळ में हापासर लारै गांव १४० वटाय लिया ।
६ भाटी किसनो वाघावत । इणरावांसला किसनावतभाटी कहावे है " । त्रीकानेर वांसें घोडो खड़े 1 फळोधी मोटा राजानूं थी
5
तद मोटा राजारा वास" |
कहावतनूं ग्राधी फळोची दीवी थी ।
6
७ तेजमान । ७ रायसिंघ । ७ मालो । ७ रायमल | तेजमाल किसनावत वंडो घाट, वडो रजपूत हुवो' । = ठाकुरसी तेजमालरी | C अखैराज |
लाखणसी ।
८ भांण तेजमालोत ।
६ रतनसी ।
8
१० करमचंद टीकँ ।
९ प्रथीराज । ययल ( ? ) (दयाळदास)
रांगो तेजमालोत |
८ खंगार तेजमालोत ।
६ सूरजमल ।
६ दयाळ |
भींवराज़ |
2 इसने हरा शेखावत के
।
चलाता है। 5/6 जव
1 लाडखान, बीकानेर में चाकर ग्रोर सोर्वागिया गांव पट्टे में । पाससे पूगल प्रदेश के १४० गांव हापासरके पीछे बँटवा कर ले लिये वत-भाटी कहलाते हैं । 4 बीकानेरके ( महाराजाके) पीछे घोड़ा फलोधी पर मोटा राजाका अधिकार था तब यह मोटा राजाका चाकर था और कहने मात्रको आधी फलोधी इसे दी गई थी। 7 तेजमाल किसनावत, सुंदर और बड़े कदका और बड़ा वीर राजपूत हुआ । 8 करमचंद गद्दी बैठा ।
3 इसके वंशज किसना
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.
- मुंहता नैणसीरी ख्यात
[ १२५ ६ नाथो, भलो रजपूत ।
१६५६ गांवां ५सूं वीठ. : खार वारै चूहड़सर वसै'। णोक पटै दी हुती। राजा १० कुंभो, खारवारै।
सूर ( सिंघ) तेजमाल .....८ खंगार तेजमालोत, जोध
मारियो तद साथै : पुर बसियो हुतो। संमत मारियो । .. किसनावतांरो वडो धड़ो छ । माणस १००० तथा १५०० जमी
यत छ । ..... ८ कान्ह तेजमालोत, रावळे मुदै । रायमलवाळी रांणेर ... .. वास थो। संमत १६८५
वसै । मेड़तारो मीठडियो पटै ८ वीरमदे रायसिंघोत, हुतो ।
रावळे वास। संमत १६रायसिंघ किसनावत, प्रांक ७
५६ कालांणो पटै गांव ८ भगवानदास रायसिंघोत, १४सूं। - संमत १६७२ रावळे वास। ह करन ।
. चांम, सावरीज पटै ।। ८ पूरणमल । ...... ६ माधोदास, रावळ वास । ___ मालो किसनावत, प्रांक ७
संमत १६७७ चां{ पटै। ८ सांवळदास हापासर वसै । १० अचळदास ।
रायमल किसनावत, प्रांक ७८ सहसमल रायसिंघोत । ..७ गोयंददास, किसनावतांमें ... I नाथा, अच्छा राजपूत, खारवाके चूहड़सर गांवमें रहता है । 2 खंगार तेजमालोत जोधपुर में बस गया था। सम्बत् १६५६ में पांच गांवोंके साथ वीठपोक पट्ट में दिया था। राजा सूरसिंहने इसके बाप तेजमालको मारा तब इसे भी साथमें मार दिया। 3 किसनावतभाटियोंका बड़ा रामूह है। इनकी १०००/१५०० प्रादमियोंकी जमीयत है। 4 कान्ह तेजमालोत जोधपुर राजाजीका चाकर था। सम्बत् १६८५में मेड़ता परगनेका मीठड़िया गांव उसके पट्ट में था। 5 भगवानदास रायसिंहोत सम्वत् १६७२ जोधपुर राजाका चाकर और ' चामू और सावरीज उसके पट्टे में। 6 किसनावत-भाटियों में गोयंददास मुख्य व्यक्ति, रायमलवाली रागर गांवमें रहता है। 7 वीरमदे रायसिंहोत जोधपुरका चाकर, सम्बत् १६५६ में १४ गांवों के साथ कालाणा पट्ट में । 8 मांवलदास हापातरमें रहता है।
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१२६ ]
मुंहता नैणसीरी ख्यात ८ जगमाल, देहेरै-भाचाहर वसै'। __ राव केल्हण केहररो। पूगळ, विकूपुर, वैरसलपुर इणारी ठाकु-. राई। पीढी
१ राव केल्हण केहररो। ४ राव सेखो वैरसलरो। २ राव चाचो केल्हणरो। ५ राव हरो सेखारो।
३ राव वैरसल चाचारो। हरारा बेटा
६ राव वरसिंघ । ६ वीदो हरावत । ६ हमीर। ६ उद्धरण । ___ राव वरसिंघ हरावत अांक ६ पूगळ, विकूपुर दोन ठोड़े धणी हुवो । वरसिंघ वडा वडा प्रवाड़ा खाटिया ।
साखरो कवित पंच सहस मोगर सहस पंचह धमधारै'। पंच सहस पैसर कीय वंकड़े-करारै' । रैवारी रत्तड़ी फिरै आग पड़दारै। खड़े वाग' मोकळी10 चीत भाटियां करारै। बाहड़गिर खावड़ा कोटड़े छाहोटण सवाईयो । । गोरहर लगो जु मेहणो त्यै उतारण आवियो18 ॥ १ ऋहकहिया-कणछिया कच्छ लग्गी किरमाळां', कम्माळां भारिया पूठ जिरहां1 कम्माळा ।
1 जगमाल देहेरे-भाचाहरमें रहता है। 2 इनकी। 3 पूगल और विकूपर दोनों जागीरोंका स्वामी हुया। 4 वरसिंहने बड़े-बड़े युद्धोंमें विजय और यश प्राप्त किया। 5 (१) गदाधारियोंको (२) गदारोंसे, मुद्गरोंसे । 6 नाश किया। 7 बांके और शक्तिशालियोंको। 8 चलाते हैं। 9 वाग, लगाम । 10 अधिक । 1114 बाहड़मेर (वाड़-::. मेर). खावड़, कोटड़ा और चौहटन-ये नगरोंके नाम हैं। 15 (१; जैसलमेरका किला । .. (२) जैसलमेर शहर । 16 कलंक। 17 उसको। 18 आया। 19 दीन होकर पुकारे, रोये। 20 तलवारें। 21 जिरहवस्तरोंसे । 22 ऊंटोंको। . . .
.
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..... मुंहता नैणसीरी ख्यात
[ १२७ खेडीतां' खूदतां धसै धर पाय हैमर, घूघर रोळ रवद्द रुघा वाजै रिण पाखर । सरणाय-साद" नीसांण सर कूपिये ढोलारव किया,
त्रुटती-रात हरभम-तणे जग्गमाल जगाविया ॥ २ राव वरसिंघरा बेटा, प्रांक ६७ राव दुजणसल, विकूपुर कलो वेगोहीज मुंवो"।
धणी। सोनगरा खींवारो पछै टीको कलारा भाई दोहीत्रो।
पातळनूं हुवो। ७ राव जैसो, पूगळ धणी । ७ जामण वरसिंघरो। इणरै सोनगरा खींवारो दोही
वांस को नहीं। तरो। जैसारी बेटी राव ७ पातळ वरसिंघरो। तिणरै चंद्रसेण परणियो हुतो, वांसला नोख सेवडै छै । नांव प्रेमलदे।तिका विकू- पातळ मास ६ पूगळ धणी पुर मुंई111
हुवो। पछै जैसे पूगळ ७ कलो वरसिंघरो, जको
लीवी। किरड़ा वाप वीच वसियो ७ सातळ वरसिंघरो। वांस थो, तिका ठोड़ 'कलारी
को नहीं। कोटड़ी' कहीजै । ७ करमचंद वरसिंघरो । एकरसूं13 राव जैसो ६ कल्याणदास किसनकठीका गयो हुतो, वांस
दासरो। किसनदास करम कलै पूगळ ली थी151 पछै
चंदरो। . I चलाते हुए, भगाते हुए। 2 रौंदते हुए। 3 घोड़े। 4 मुसलमान । 5 रण। 6 घोड़े और हाथियोंके कवच। 7 (१) शरणाथियोंकी पुकार । (२) सहनाईका शब्द । 8 पिछली रातमें। 9 हराके पुत्रने । 10 खींवा सोनगरेका दोहिता । II सोनगरा खींवाका
दोहिता । जैसेकी बेटी प्रेमलदे राव चंद्रसेनको व्याही थी, वह विकूपुरमें मर गई। 12 कल्ला . .. वरसिंहका बेटा । यह किरड़ा और वापके बीच में रहता था.। वह जगह 'कलारी कोटड़ी' कही
जाती है। 13 एक बार । 14 कहीं। 15 पीछेसे कल्लेने पूगल पर अधिकार कर लिया
था। 16 फिर कल्ला जल्दी ही मर गया। 17 वरसिंहका वेटा जाभरण। इसके वंशमें - कोई नहीं। 18 इसके वंशके नोख और सेवड़ेमें रहते हैं । 19 वरसिंहके बेटे सातलके वंशमें
कोई नहीं।
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१२८ ]
मुंहता नैणसीरी ख्यात ६ रुघनाथ । ६ कल्याण- सूरजमलरा बेटादास ।
गोयंददास, दयाळदास, ८ रांणो ।
कल्याणदास, तेजमाल, ६ भगवांन । ६ अखैराज । रांमचंद। ८ जगमाल ।
६ जसवंत, रावळे वासः । ६ राघवदास । ६ गोपाळ
ननेऊ पटै । संमत १६६३ दास । ह भीवराज ।
कांम प्रायो। ६ पीथो।
६ लिखमीदास । ६ वलु। .. ६ रुघनाथ किसनदासरो।
ह किसनदास । ८ जोगाइत ।
८ रायमल।
८ सुरतांण, मोटा राजारो. ६ धनराज । ६ लिखमी
चाकर । फळोधीरी गायां दास।
ली तठे काम आयो । ७ राव दुजणसल वरसिंघरो,
८ भांनीदास दुजणसलरो,. विकूपुर धणी । मोटा
· सिरहड़ वसियो । पछै राजारो सुसरो। पोह- . सोबतरै मामलै मोटै . पावती दुजणसलरी बेटी
राजा फळोधी थकां संमत परणिया हुता, सु जोध
१६२५ रै टांण मारियो । पुर (प) हुतां पैहलीहीज ६ सादूळ भांनीदासरो। मुंई।
राजा रायसिंघजीर काम
आयो । ८ राव डूंगरसी दुजणसलरो।
६ गोपाळदास, सिरहड़ ८ सूरजमल रावळे चाकर।
वसियो । पातावते नाळ विकूकोहर पटै ।
कनै मारियो । ___I वरसिंहका बेटा दुर्जनसाल, विकूपुरका ठाकुर, मोटा राजाका ससुर । मोटा राजाने दुर्जनसाल की बेटी पोहपावतीसे (पुष्पावतीसे) विवाह किया था, परंतु जोधपुर पहुंचनेके पहले . ही वह मर गई। 2 जसवंत जोवपुर महाराजाका चाकर । नैनेऊ गांव पट्ट में । सम्वत् १६- . .. ६३में काम आया। 3 सुस्तान मोटे राजा उदयसिंहका चाकर । फलोधीकी गायें घेरी थीं . वहां काम आया। 4 भानीदास दुर्जनसालंका वेटा, सिरहड़ गांवमें रहा । सम्बत् १६२५में .. मोटे राजाने फलोधी रहते समय घोड़ोंके काफिलेके (महसूलके). निमित्त हुई लड़ाईमें मारा। .. 5 गोपालदास सिरहड़में बसा। इसको पातावतोंने नाल गांवके पास मारा। ....
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..:: मुंहता नैणसीरो ख्यात.
[ १२६. १० मनोहरदास ।
सिंघ। १० भगवान१० सुंदरदास । १० जस
दास । १० बलु। वंत। १० सांमीदास । १० पूरो। १० रांमो। १० सांवळदास । ६ मान- ६ रतनसी।
८डूंगरसी दुजणसलरो, विकूपुर धणी हुवो। वडो ठाकुर हुवो। तद मोटो राजा फळोधी वसै छै। तद दांण घणो धरती माहै - लागतो' । तद सोबत सोदागरांरी फळोधी आवती हुती । सु रात्र
डूंगरसी आपरा भाई भांनीदासन सोबत सांम्हो मेल', सोबत तेडाय', . दांण लेन सोबत आघी चलाई । नै मोटे राजा साथ सांमहो मेलियो हुतो, तिण(सूं) भाटी भांनीदास सोबत पोहचायनै पाछो मांडणसर उतरियो थो', तटै राव जैसावत और साथ जिणां भाटी भांनीदासनूं मारियो', तोही राव डूंगरसी गई करतो हुतो', पण मोटो राजा भाटियांसू पगे-पड़ियो आवै, ऊपरा-ऊपर बुराई करै, वाळेसर मारियो । तरै राव डूंगरसी सारा केल्हण भेळा करनै माणस २५०० सूं कुंडळ मांहै रावर तळाव आय उतरियो। मोटो राजा चढनै आदमी ५०० तथा ७०० सूं भाटियां ऊपर गयो, तठे संमत १६२७ रा आसोज उतरतै, काती लागतां वेढ हुई । वेढ भाटियां जीती । मोटै राजा वेढ हारी। राव मंडळीक वैरसलपुररोधणी इण वेढ काम आयौ,
- I उस समय देशमें महसूल (राहदारी) बहुत लगता था। 2 उन्हीं दिनों सौदागरोंकी एक घोड़ोंकी सोहबत फलोधीको आ रही थी। 3,4,5 इसलिये राव डुगरसीने अपने भाई भानीदासको सोहवतके सामने भेज कर सोहबतके सौदागरोंको बुलवाया और राहदारीकी चुगी लेकर उस काफिलेको आगे जाने दिया। 6 इधर मोटे राजाने भी काफिलेके सामने अपने आदिमियोंको भेजा था। 7.8 भाटी भानीदास सोहवतको अपने मार्ग पर डाल
और वहांसे रवाना होकर मांडणसर गांवमें ठहरा था, वहां रावके जैसावतों और दूसरे प्रादमियोंने भानीदासको मार दिया। 9,10 राव डूगरसी तो तोभी गई कर रहा था, परन्तु मोटा राजा तो पांव पछाड़ता हुया भाटियोंके पीछे लगा हुआ था, (छेड़खानियां करता ही रहता था।) . 11' बुराई पर बुराई (छेड़-छाड़) करता ही रहे, उन्हीं दिनों बालेसर गांवको भी लूट लिया। 12 तब राव डूंगरसीने सभी केल्हण-भाटियोंको इकट्ठा करके २५०० प्रादमियोंके साथ कुडल गांवमें रावके तालाब पर पाकर डेरा डाल दिया। 13 मोटा राजा भी अपने ५००/७०० आदमियोंके साथ भाटियों पर चढ़ कर आ गया। वहां सम्वत् १६२७के उतरते आसोज और कार्तिक मासके लगते लड़ाई हुई ।
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मुंहता नैणसीरी ख्यात भाटियांरी तरफ । मोटा राजारो साथ काम प्रायो। मोटो राजा आप नीसरियो फळोधी प्रायो, भाटी फळोधी सैहर ऊपर नहीं आया। डूंगरसीरा बेटा
६ राव उदैसिंघ विकूपुर धणी। बळोच समै राव यासकरण : . पूगळरो घणी मारियो हुतो, सु उदैसिंघ समानूं घणा साथसूं मारियो, वडो दावो वाळियो । नै मेहेवै तलवाड़ा ऊपर कवरपदै उदैसिंघ गयो हुतो; तठे वेढ उदैसिंह कँवरपदै हारी थी, तठे घणो साथ मारियो । हुतो।
६ देवोदास डूंगरसीरो। राव उदैसिंघरा बेटा, अांक :१० राव सूरसिंघ ।
१० ईसरदास, सिरड़ वसियो थो। संमत १६८५ भा. वस्तै फळोधी थकै हाकम थकै मारियो ।
११ रुघनाथ । ११ हाथी। ११ नाहरखांन । ११ लिखमी-... दास । ११ पूरो। ११ सहसो ।
१० करन राव अचळदास विक्रमादीयोत मारियो । १० रासौ उदैसिंघरो, बीकानेर चाकर । वीठणोक कनै जाय...
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___1 भाटियोंकी तरफमें वरसलपुरका ठाकुर राव मंडलीक इस लड़ाई में काम आया। . 2 मोटाराजा भाग कर फलोधी आ गया, लेकिन भाटी उसका पीछा करके फलोधी शहर पर . नहीं आये। 3 समा वलोचने पूगलके स्वामी राव प्रासकरणको मार दिया था इसलिये उदयसिंहने समाको उसके कई आदमियोंके साथ मार दिया, शत्र ता का बड़ा बदला चुकाया । 4 उदयसिंह कुवरपदेमें मेहवेके तिलवाड़ा गांव पर चढ कर गया था, जहां बहुतसे आदमियोंको ... उसने मार दिया था, लेकिन इस लड़ाईमें वह हार गया था। (वि०-तिलवाड़ामें लूनी नदीके पाटमें भक्त रावल मल्लीनाथ और उनकी पत्नी रानी रूपांदेके नामसे प्रति वर्ष चैत्र कृ. ११... ' से चैत्र शु. ११ तक मारवाड़ का प्रसिद्ध व्यापारी मेला (चैत्री का मेला) लगता है । तिलवाड़ासे लूनी नदीके उस पार थान गांवके पास रावल मल्लीनाथजी का ऊंचा और बड़ा मंदिर बना... हुअा है। वहांसे कुछ ही दूर मालाजाळ गांवमें रानी रूपांदे का मंदिर भी बना हुआ है । .... राठौड़ों की मारवाड़में सर्व प्रथम राजधानी खेड़पट्टन (क्षीरपुर) से तिलवाड़ा चार मील है. . और खेड़ प्रसिद्ध व्यापारिक केन्द्र वालोतरासे पांच मील पश्चिममें है ।) 5 ईशरदास सिरहड़में...... बस गया था। सम्वत् १६८५में जब वह फलोवीमें हाकिम था, वस्ताने उसे मार दिया था।
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- मुंहता नैणसीरी ख्यात । [ १३१ .. रयो, तिका ठोड़ रासारो-गुढो हमैंही कहीजै छै । वस्ती घर ५०० . तथा ७०० सदा रहता'।
११ वाघ । ११ सबळ सिंघ । ... १० अरजन। ... १० कचरो, बीकानेररो चाकर । मांडाळ वसियो ।
१० राव सूरजसिंघ उदैसिंघोत । विकूपुर धणी हुवो। वडो ठाकुर अभंगनाथ हुवो । वडा-वडा प्रवाड़ा खाटिया | एक बार मोहबतखांननूं नागोर , तद घणो साथ बीकानेर, नागोर फळोधीरो ले ऊपर
आयो , तद रावं आदमी २००० तथा २५०० केल्हण सारा भेळा कर पाधरो वाप जाय उतरियो । पछै मुहतो जगनाथ फळोधीरै हाकम वीच फिरने वात की।
संमत १६६२ प्रथीराज, अखैराज दलपतोत राव उदैसिंघ वाघोतरै - दावै हमीरां-भाटियां ऊपर दोडिया हुता । तिण दिन राव सूरज
सिंघ नै कँवर बलू विरस' हुवो थो, सु बलू विकूपुरतूं छाडनै कैरडूंगररी पाखती आयो थो। तठे पोकरणरा थांणारो साथ भा।। दुरगदास, मेघराजोत, भा।। द्वारकादास, एका हमीर बलूनूं मनावण सारा भाटी नै राव सूरसिंघ आया था। उठे वाहाऊ आयो त? राव सूरसिंघ, बलू, भा।। दुरगदास मेघराजोत, भा।। द्वारकादास ईसरदासोत, भा।। रुघनाथ ईसरदासोत, एको हमीर, सिगळो राहावणो
.
I रामा उदयसिंह का बेटा, बीकानेर महाराजा का चाकर। वोठणोक गांवके पास . जाकर रहा . (नई वस्ती बसाई) वह स्थान अभी तक 'रासा-रो-गुढो' कहा जाता है। वहां
५००/७०० घरों की वस्ती सदा रहती है। 2 कचरा बीकानेर महाराजा का चाकर । मांडाळ गांवमें रहा। 3 बड़ा निर्भय और वीर ठाकुर हुआ। 4 बड़े-बड़े युद्ध जीत कर कीर्ति प्राप्त की। 5 एक बार नागोर जब मोहवतखांके अधिकारमें था। 6 चढ कर पाया। 7 तव रावने दो-ढाई हजार सारे केल्हण-भाटियोंको इकट्ठा करके सीधा वाप जाकर डेरा डाला। 8 पीछे फलोधीके हाकिम मुहता जगन्नाथने बीच में पड़ कर के सुलह करवा ली। 9 सम्वत् १६६२में राव उदयसिंह वाघोतकी शत्रु ताका बदला लेनेके लिये पृथ्वीराज और अक्षराज दलपतोत हमीर-भाटियोंके ऊपर चढ कर आये थे। 10 उस दिन । II वैमनस्य । 12 इसलिये बलू विकू पुर छोड़ कर के कैर-डूंगरीके पास आकर रह गया था। 13 दूत ।
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१३२ ]
मुंहता नैणसीरी ख्यात
जेसलमेर विकंपुररो सारो वांस दोड़ियो' | फळोवी पर कोसे १५ मुंडेळाई मांगळियांरो गांव, त राव खेती दुजणसलोत रहती थी. तठे जाय डेरो कियो', सु राव खेतसी साथ थाबतो दीठो तरं ढोल दिरायो । तर राव प्रथीराज अखैराज ही संभिया ", तितरै साथ उणां प्रागे-पाछै ग्रावतो गयो, त्यूं मै वेद करता गया"। राव सूरसिंघ, बलू कँवर कांम ग्राया' । नै भाटी द्वारकादास, भाटी दुरंगदास, भांग रुघनाथ सारो पोकरणरो साथ नीसरियो । राव सूरसिंघ, कंवर बल् आदमी २ हमीर, मुथरो, पतो आदमियांसूं कांम श्राया" । विकंपुररं धणियां ने राठोड़े सगाई, तथा बीजां"१ रा ।। चंद्रसेन राव डुंगरसीरी बेटी परणियो ।
९ मोटो राजा राव दुजणसलरी बेटी हरखां परणियो" । ९ मोटो राजा भाटी जैमल कलावतरे परणियोः । १ मोटो राजा भाटी जगमाल खींवावतरं परयो । केल्हूणां ने बीकानेररा धणियां सगाई 1 4_
13
१ राजा रायसिंघजी भाटी भांनीदासरी वेटी जसोदा परणियो: १ राव सूरजसिंघ राव श्रासकरणरी बेटी परणियो ।
१ राव सूर ( सिंघ ) भाटी तेजमाल किसनावतरी बेटी परणियो । १ राव करन भाटी सुदरसा मानसिंघोत सिरहड़ियांरी बेटी परणियो" ।
6
I जैसलमेर और विकू पुरके सभी लोग एवं उनके सभी चाकर (गोले ) पीछे चढ कर आये । 2 फलोबीसे परे कोस १५ पर मांगलियोंका मूडेलाई गांव | 3 वहां जाकर उन्होंने डेरा डाला | 4 तब राव खेतसीने साथको आते देखा तो ढोल बजवा दिया। 5 तव राव पृथ्वीराज और अखैराज भी तैयार हो गये । 6 आगे पीछे ज्यों-ज्यों इनका साथ आता गया त्यों-त्यों ये लड़ाई करते गये। 7 राव सूरसिंह और कुँवर बलू काम आये । 8 निकल भागा । 9 हमीर, मथुरा और पता इन प्रादमियोंके साथ राव सूरसिंह और कुवर बलू ये दोनों काम आये । 10 विकू पुरके स्वामियोंका राठोड़ों और दूसरोंके संबंधों का विवरण । II मोटा राजाका राव दुर्जनसालकी वेटी हरखांसे विवाह हुआ था । 12 मोटा राजा भांटी. जयमल कलावतके यहां व्याहा । 13 मोटा राजा भाटी जगमाल खींवावतके यहां व्याहा । 14 केल्हरण - भाटियों और वीकानेरके स्वामियोंके संबंधों का विवरण । IS राजा रायसिंहजी भाटी भानीदासको वेटी यशोदासे व्याह । 16 राव करन सिरहाड़िया भाटी सुदर्शन मानसिंहोत की वेटीसे व्याहा |
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मुंहता नैणसीरी ख्यात
[ १३३ भाटियां-केल्हणां नै कछवाहां सगाई
१ कछवाहो महासिंघ मानसिंघोत राव आसकरण पूगळियारी बेटी परणियो ।
१ कछवाहो माधोसिंघ राव डूंगरसी विकूपुरियारी बेटी परणियो।
राव सूरसिंघरा बेटा११ बलू राव साथै काम आयो संमत १६६२ ।
१२ किसनसिंघ, संमत १७२१रा पोह वद २ ननेउरै चढियां राव विहारी मारियो । पछै जैतसी किसनानूं मारियो ।
१३ कुसळो। ११ पिरागदास । १२ पतो।
११ मोहणदास, सूरसिंघ बलू मारियां पछै विकूपुर टीको हुवो।
१२ राव जैतसिंघनूं मोहणदास मुंां” एक वार टीको हुवो । पर्छ संमत १७११ विहारी कोट लियो ।
१३ मालदे।
११ राव विहारीदास सूरसिंघरो। के दिन तो वीकानेर चाकर हुतो' । पछै रावळरा हुकमसूं जैसिंघ कना' कोट लियो। विकूपुर धणी हुवो। भलो सुसतो सो ठाकुर हुवो" । पछै संमत १७२१रा पोह बद २ बेटो बिहारीरो परणण गयो थो, वांसै साथ थोड़ाखू कोट
I केल्हण-भाटियों और कछवाहोंके संबंध । 2 कछवाहा महासिंह मानसिंहोत पूगलिया-भाटी राव आसकरणकी बेटीसे व्याहा । 3 कछवाहा माधोसिंह विक पुरिया-भाटी राव डूगरसी की बेटीसे व्याहा। 4 बलू अपने बाप राव सूरसिंहके साथ सम्बत् १६६२में काम आया। 5 किशनसिंहने सम्वत् १७२१की पौष बदी २ को नैनेऊसे चढ कर राव विहारीको मारा, परन्तु जैतसीने पीछे किसनाको मार दिया । 6 सूरसिंह और बलूके मारे जानेके बाद विकंपुरका टीका मोहनदासको हुआ। 7 मर जानेके बाद। 8 पीछ सम्वत् १७११में विहारीने कोट पर अधिकार किया। 9 कई दिन तो बीकानेर में चाकर रहा था। 10 पास से। II भला परन्तु सुस्त सा ठाकुर हुआ ! 12 विवाह करनेको गया था।
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१३४ ]
मुंहता नैणसीरी ख्यात थो'. ननेऊरं चढियां आदमी १०सू मा।। किसने वलुवोत मारियो । ...
१२ राव जैतसी। १२ गजसिंघ। १२ चंद्रसेन । १२ जगरूप। ११ दळपत साहिवदेरो वेटो, जैतावतारो भाणेज' । ११ खेतसी।
७ साहवखांन । तळाई विकूपुररै नजीक -
१ तिलांणी-कोस १, मास १ पांणी रहै। १ रांणीवाळो-नोख सेवड़ा विच, पांणी मास ४ ।। १ चंद्राव-भाटीरो, सेवड़ा थी कोस", पांणी मास ४ । १ वह-सेवड़ा कनै, पांणी मास २ । १ वरजांग-जैतुंग सेवड़ा वीच कोस ३, पांणी मास ४ । १ गोपाळी-नींवली कनै, पांणी मास ४।। १ हरख-जैसिंघरी सिरहड़, पांणी मास १० । १ गोधणली-सिरहड़ नजीक, पांणी मास ६, जूंनी छै । . १ हरराजरी लोहड़ी-सिरहड़ कन, पांणी मास ४ । सिरहड़ तळाई (१००) कुवा ३ मीठा, पुरसै २० । सिरहड़-लोहड़ी-कूवा १८ पांणी मीठो, तळाई घणी । जैतारी, पांणी मास ५। भथरी, पांणी मास ४ । वावड़ी दळपतरी। तळाव रांणाहळ, मास ८ पांणी । वेरा घणा।
I पीछे कोटमें थोड़े ही मनुष्य थे। 2 दलपत साहिवदेवीका बेटा और जैतावतोंका , . भानजा। 3 विकू पुरके पासकी तलाइयोंका विवरण । 4 नोख और सेवड़ा गांवोंके बीच 'राणीवालो' नामक तालाब, जिसमें चार मास पानी रहता है। 5 सेवड़ाके पास 'वह' . . : नामक तलाई, जिसमें पानी दो मास रहता है। 6 जयसिंहके सिरहड़ गांवके पास 'हरख' . . . . नामक तालाब, जिसमें १० मास पानी रहता है। 7 सिरहड़के नजदीक गोवरणली नामक .. . तलाई, जिसमें पानी ६ मास रहता है। गोषणली पुरानी तलाई है। 8 सिरहड़ में (ग्रासपास .. तलाईयां १०८ हैं और) २० पुरुष गहरे मीठे पानी के तीन कुए हैं। 9 सिरहड़-लोहड़ीके . . . (छोटी सिरहड़के) प्रदेशमें बहुतसी तलाईयां और मीठे पानीके १८ कुएँ हैं। 10 कुएँ ....
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मुंहता नैणसीरी ख्यात
[ १३५ पूनादेरी, विकूपुर वरसलपुर विचै, कोस १२ । वीका सोळंकीरो (तळाव) कोस ३ उत्तरवू, पांणी मास ४ । खेतपाळरो टोभो, कोस २, पांणी मास २ ।
वाखळवाळी, कोस २, पांणी मास ४ । तळाई विकूपुररै देस
१ अचलांणी-कोस १० रांणेरी कनै', पांणी मास ६ । १ नींबली-नींबा मुंहतारी, कोस १२२, पांणी मास ४ । १ मांडाळ-मांडा मुंहतारी, कोस ६ पांणी मास ४ । १ कांनड़ियारी-कांना सोढारी, कोस १०, रांणेरी कनै, पाणी
मास २ । १ लूड़ी रांमसर-विकूपुर था' कोस", पांणी मास २ रहै । विकूपुररै देसरी हकीकत ।
कोहर इण भांत - . रजपूतां और लोगांर वंट गांव'
जसहड़ारै-गांव नोख । कोहर २० । सिंघरावांरै-१ नारणसर, १ भारमलसर । बोडांणांरै-१ भीदासर । टावरियां मकवांणांरै भेळो-टीवरियांवाळो । गोगलियांरै-१ गोगलीसर । भुण-कमळांरै-१ गांव नोख, १ चारण वाळो । नेतावत-भाटियारै-१ सेवड़ो। कोहर २० । गैहलोतारै-गहलोतां वाळो । प्रोहितारै-१ प्रोहित वाळो।
___I पास । 2 नींबली नामक तलाई मुंहता नींबाकी वनवाई हुई है जो विकुंपुरसे १२ ; . कोस पर है। 3 मांडाल तलाई मुंहता मांडाकी वनवाई हुई, विकूपुरसे ६ कोस पर ।
4 कानड़ियारी नामकी तलाई काना सोढाकी वनवाई हुई, विकू पुरसे १० कोस । 5 से । 6 कएँ इस प्रकार हैं। 7 राजपूत और दूसरे लोगोंके बँटवारेमें आये हुए गांवोंकी सूची । टावरियोंवाला नामक गांव, टावरियों और मकवानोंका सम्मिलित ।
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१३६ ]
मुंहता नैणसीरी ख्यात प्रोहितांरा धड़ा २-एक वडो, एक लोहड़ो। सोळंकियांरै-सोळंकियांवाळो। सोमांरै-१ ग्रावधी, १ वजू, १ कूपासर, १ पीथासर।। मूळावत रिणधीररा पोतरांरै-१ जसूवेरो। डाहळियां-रजपूतांरो गांव नगररै कोहर किडांग पीवै । नायारे-१ नायांरो-कोहर।
सिरहड़-वडी-पैहली पाहुवांरै हुती', पछै राव सूरसिंघ आपरा भाई ईसरदासनूं दी।
जैतुंगांरै-१ कोळियासर । १ गिरराजसर । १ नगराजसर । १ चिहु । १ वहदड़ो।
१ जुढियो सेवड़ो। चारणांरै गांव ३
२ गाडणारै-१ खंडोखळी, १ मेघांरो, १ देपारो। (३) १ कन्हियांरै-वरजांगरो। १ रतनुंग्रारै-बुढारो गांव ।
सिरहड़-वडी-पहली पाहुवांरै हुती', पछै जसहड़ानूं दी थी । हमैं . भांनीदासरा वेटा वसै । कोहर १८, तळाई घणी। वावडी' भा।। दळपतवाळी । वेरा' पुरसे ४ ।
पारमें पांणी घणो मीठो । वाय11 २, पांणी पाररै वेरै पुरस ४, पांणी मीठो । तळावमें घड़ासर भरै तो पांणी वरस १ रहै ।
। छोटा। 2 डाहलियों राजपूतोंका गांव नगरके लोग किडाणा गांवके कुएंका ... पानी पीते हैं । 3 बड़ो सिरहड़ गांव पहले पाहुवा-राजपूतोंका या। 4 अपने। 5 चारणोंके तीन समूहोंके गांव । 6 गाढण-चारणोंके अधिकारमें सिरेमें दो गांव वताये हैं किन्तु पेटेंमें उक्त तीन गांव दिये हुए हैं। 7 थी। 8 अव भानीदास के बेटे रहते हैं। 9 वापी, वावड़ी 10 कुएँ । II वापी। 12 तालाब में घड़ोंसे ही (केवल पीनेके लिये) पानी भरा जाय तो १ वर्ष तक पानी रहे।
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मुंहता नैणसीरी ख्यात . [ १३७ .. नींबली-तिण कोहर ह, सर बांभणांवाळो तळाव वडो', वेरा ... पार में। .:
भरोसर-केई कहै विकूपुररो, के कहै जुदो । पारमें वेरां पांणी घणो। विकूपुर था कोस १६, फळोधी था कोस २२, वीकानेर था कोस २५ । पूगळरा धणी
१ राव केल्हण केहररो। २ राव चाच केल्हणरो । ३ राव वैरसल चाचारो। ४ राव सेखो वैरसलरो। ५ राव हरो सेखारो। ६ राव वरसिंघ हरारो। ७ राव जेसो वरसिंघरो ।
राव जेसो वरसिंघरो पूगळ धणी हुवो। मरोट पिण ली हुती । वडो अखाड़सिध-अभंगनाथ हुवो । कहै छै राव जेसे बावीस वेढ जीती । वडा-वडा बोल वाळिया। आप मरोट पिण केहेक दिन रहतो । पछै मुलतांणरी फोज ऊपर आई तटै राव जेसो काम आयो ।
वात एक: राव मालदेव गांगावत घणूं तपियो, तरै सारां गढां, पाडो- सियांनूं धकाया1 | सु पूगळ ऊपर राव मालदेवरी फोज घणो साथ
आयो हुतो, पण तिणांरा गांव इण कांठ नहीं, नै राव भांण
1 जिसमें कुँएँ । 2 ब्राह्मणोंवाला-सर नामक तालाब बड़ा है। 3 भरोसर गांवको कई तो विकूपुरका कहते हैं और कई कहते हैं कि वह जुदा है। 4 मारोठ भी इसने ले लिया था। 5 बड़ा रण-कुशल और अजेय वीर हुआ। 6 कहते हैं कि राव जैसेने २२ लड़ाईयां जीतीं थीं। 7 बड़ी-बड़ी प्रतिज्ञाओंका पालन किया। (शत्र ओंका प्रतिशोध किया) 8 कई एक दिन (कभी-कभी) मारोठमें भी रहा करता था। 9 फिर जब मुलतानकी सेना चढ कर पाई उसमें राव जैसा काम आ गया। 10 राव मालदेव गांगावतने बहुत समय तक और जबरदस्त शासन किया। II उस समय सभी गढ (गढ़पतियों) और पाड़ोसियोंको . परास्त किया। 12 राव मालदेवकी बहुत बड़ी सेना पूगल पर चढ कर आई थी। 13 लेकिन इस पोरकी सीमा पर इनका कोई गांव नहीं।
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१३८ ]
मुंहता नैणसीरी ख्यात भोजराजोत चाडीरो धणी कटक साथै हुतो', तिणसू असखेधो करने चाडी ऊपर आयो । तठे तीन वेढ जीती। एकतो रा।। प्रथीराज . भोजराजोत चाडी गांवरै खेड़े काम प्रायो । कलो रतनावत गांव करणूरो धणी, पातावत कितराइ साथसूं वाहर रिणमलसर कनें आपडियौ , तठे वेढ हुई । कलानूं कूट लोहडै पड़ियो', कलारी अांख गई। . वेढ जेसै जीती । पाघा खडिया' त? पोकरणरो साथ रावरै थांणैरो. रा।। भोजराजरो बेटो रांणगदे हुतो, सु साथ लेने आपड़ियो', नै फळोधी थांण रावरै भाटो धनराज खींवावत कलेण हुतो, तिके बेऊ11 साथ गांव लाखासर वीकानेररै आपड़ियो, तठे वेढ हुई; राव रांणगदे भोजराजोतरा आदमी १७ काम पाया। आप पूरे घावै पड़ियो, . ऊबरियो । भाटी धनराजनूं भाटीए राख लियो । वेढ आही जेसै .. जीती14 । यूं तीने ही वेढ जीती। __ केहीक यूं पण कहै छै16-राव जेसो केईक दिन जोधपुर राव मालदेरै वास हुतो' । परगनै मेड़तेरो गांव रायण पटै थो। पातावतांरो भाणेज हुतो18 | केईक दिन चोटीलै रह्यो थो, तद पातावते घणा हीड़ा किया।
गीतरो द्वाळो राव जेसारो'
अणभागो कळह सील सत इधकै , असुर घड़ा चोरंग चढ एम ।
I और चाडीका स्वामी राव भाण भोजराजोत सेनाके साथमें था। 2. जिससे झगड़ा करके चाडीके ऊपर चढ पाया। 3 वहां पर तीन लड़ाईयोंमें विजय प्राप्त की। 4 चाडी गांवमें (के बाहरी प्रदेश में) काम आया। 5 वाहर (पीछे) चढ कर के रिणमलसरके : पास पकड़ा। 6 कलाको मार कर घायल कर दिया । 7 आगे चलाये। 8 वहां । 9 पकड़ा। 10 और । II दोनों। 12 स्वयं पूर्ण आहत होकर गिर पड़ा, किन्तु वच गया। 13 भाटी धनराजको भाटियोंने बचा लिया। 14 यह लड़ाई भी जैसेने जीत ली। .. 15 इस प्रकार इसने तीनों ही लड़ाईयोंको जीत लिया। 16 कई लोग इस प्रकार भी... कहते हैं। 17 चाकरीमें था। 18 पातावतोंका भानजा था । 19 तब पातावतोंने इसकी " वहुत सेवा की। 20 राव जैसाके संबंधमें कहे हुए गीत (छंद)का एक पद्यांश । . . . .
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मुंहता नैणसीरी ख्यात .
[ १३९. जो जीवीजै तो जेसा जिम ,
. जे मरजै तो जैसा जेम' ।। १ अांक ८, राव कांन्ह जेसारो। पूगळ धणी हुवो। जेसानूं मुगले मरोटमें मारियो, तद कान्ह बंद पड़ियो हुतो । पछै महाराजाजी . रायसिंघजी, महाराजा मानसिंघजी पातसाजीतूं अरज कर छोडायो। राव कान्हरा बेटा
राव अासकरण कान्हरो, पूगळ धणी हुवो। समो बलोच पूगळ ऊपर आयो, राव कोट छोड पाधर में वेढ की, तठै घणा सांथसूं काम
आयो । .. रामसिंघ कान्हरो ।
६ मानसिंघ कान्हरो। नागोर राजा रायसिंघजी नै दलपत वेढ हुई तरै काम आयो ।
१० सूरजमल ।
अांक ६, राव आसकरण कान्हरो, पूगळ धणी हुवो। ... । बेटा आसकरणरा
१० जगदेव आसकरणरो। १० नारणदास । १० सुरतांण । १० किसनसिंघ । १० गोयंददास । १० किसनदास ।
आंक १०, राव जगदेव आसकरणरो पूगळ धणी हुवो। . राव जगदेवरा बेटा
११ राव सुदरसण जगदेवरो। रा॥ मांन खींवावतरो दोहीत्रो । . . जगदेव मुंवो, एक वार टीकै बैठो पूगळ । पछै संमत १७२२ राजा
करण पूगळ मारनै इणांनूं परा काढिया । .. . अधिक शील और सत्यका पालन करने वाला राव जैसा शत्रुओंकी चतुरंगिनी
सेनाके सम्मुख चढ कर गया और युद्ध में पीछे पांव नहीं दिया। (संसारमें) यदि जिया जाय तो ...: जैसाके समान और मरा जाय तो जैसाके समान । (जीने और मरनेका जैसेने आदर्श उपस्थित
किया)। 2 तब कान्ह कैदमें पड़ा था। 3 रावने कोट (का आश्रय) छोड़ कर मैदानमें लड़ाई की, जहां कई मनुष्योंके साथ काम आ गया। 4 कान्ह मानसिंहका बेटा, नागोरमें राजा रायसिंहजी और दलपतके परस्पर लड़ाई हुई तब मानसिंह काम प्राया। 5 खींवाके पुत्र राव मानका दोहिता। 6 फिर सम्वत् १७२२में राजा करणने पूगलको लूट कर के इनको निकाल दिया।
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१४० ]
मुंहता नैणसीरी ख्यात ११ महेसदास जगदेवरो। वीकानेररै साथ मारियो, संमत १७२२।।
११ जसवंत । ११ गोकळ । ११ खंगार । राजसिंघ । वात गाडाळां-केलणारी
आगै या खरड़, इणनूं कहवत मांहै गांव १४० लागै । प्रा ठोड़ पैहली तो भाटियां-बुधां, रांणै राजपाळरा पोतरांरै हुती । पछ बुधां कनै पड़िहार रांण रूपड़े ली । तठा पछै विकूपुरथा रिणमल केलणोत. नीसरियो सु पड़िहारांरो भाणेज थो, पछै एक वार भाणेज थको आप रह्यो हुतो । पछै पड़िहार दिन दिन गळता गया । भाटी धरती दबावता गया। मुदै गांव बारू, त, कोहर १२, वडो कोहर हेमराजसर पड़िहार हेमराजरो करायो ।
बुध रांणा राजपाळरो। राजपाळ, सांगो, मंझमराव, मंगळराव, विजैराव-रावळ वछुरा । तिण रांणा राजपाळरा बुधरो बेटो कमो, तिणरा धाराधार कहांणा' । वापसू कोस १ वावड़ी त? उणरी वड़ी ठाकुराई हुई।
रांणा राजपाळरी तो ठाकुराई मुथरा हुती। उटै मुगले रांणा .... राजपाळनूं मारियो ; तरै राजपाळरो बेटो वुध मुथरी छोडनै इण खरड़ ..
आय वसियो । सु खरड़रो नाम बुधरो अजेस कहीजै छ । बुधरा .. बेटा कमानूं रांण रूप. पड़िहार बेटी परणाय", चूक कर मारनै आ' धरती ली थी, तठा पछै15 राव केल्हण विकूपुर वसियो । पछै राव केल्हण मुंवो' । टोको रिणमल केल्हणोतनूं हुवो। पछै रिणमल ही मुंवो।
I सम्वत् १७२२ में बीकानेर वालोंने मार दिया। 2 पहले ऐसा कहा जाता है कि इस खरड़ प्रदेशमें १४० गांव माने जाते थे। 3 यह प्रदेश पहले राणा राजपाल के पोते वुध-भाटियोंके अधिकारमें था। 4 फिर बादमें बुध-भाटियोंसे पड़िहार राणा रूपड़ा ने (खरड़), . ले ली। 5 फिर एक बार भानजेकी स्थिति में ही आकर रहा था। 6 फिर पड़िहार तो.... दिन-दिन कमजोर होते गये। 7 बड़ा कुआँ हेमराजसर जो पड़िहार हेमराज का बनवाया हुआ है। 8 ये रावल वछूके वेटे। 9 उस राणा राजपाल का बेटा बुध और जिसका बेटा . कमा, जिसके वंशज धाराधार कहलाये। 13 तव राजपाल का बेटा बुध मथुरा छोड़ कर. इस खरड़ प्रदेशमें अाकर रह गया । II उस खरड़ प्रदेश का नाम अभी तक 'बुधेरो' कहा
जाता है। 12 व्याह कर के । 13. कपटसे मार कर के। 14 यह। 15 जिसके बाद । - 16 निवास किया। 17 मर गया । ...... . ........
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मुंहता नैणसीरी ख्यात
[. १४१
विगत
१ राव केल्हण केहररों । - : २ राव रिणमल केल्हणोत । .. : ३ गोपो रिणमलोत, विकंपुर पाट हुतो । गोपा कनो राव हरै ... विकूपुर लियो । गोपो एक वीर फळोधीरी लोहड़ी आयो हुतो, पछ - मोत मुंो ।
. ३ जगमाल रिणमलरो । कहै छै एक वार रिणमल मुंवै टीको - हुवो थो। पछै अचळो रिणमलोत मुलतांण जाय तुरकारो कटक अण" . जगमाल मरायनै वडा भाई गोपानूं विकूपुर रै पाट बैसांणियो', नै
जगमालरा बेटायूँ परो काढियो । .४ जैतो पड़िहारांरो भाणेज थो, सु वाहिण मांमा कनै जाय - वसियो । पछै पड़िहार दिन दिन गळता गया, धरती सारी केल्हणे " क्युं दे-लेनै दबाई11 । खरड़री धरती सारीरा धणी केल्हण हुवा। पण पड़िहार अजेस इणां गावां मांही छै । आ खरड़ विकूपुरतूं जुदी जेसळमेर वांस1, जुदी चाकरी करै ।।
जैतो जगमालरो। जगमाल रिणमलरो। ५ ऊदो जैतारो। ६ अभौ ऊदारो। ७ हाथी अभारो । ८ रांम महेवै काम आयो, राव उदैसिंघ वेढ हारी तदा । ६ खेतसी रामरो।
... ... .. I विकूपुरकी गद्दी पर था। 2 से । 3 था। 4 जिसके बाद अपनी मौत मरा । ... . . 5 कहा जाता है कि रिणमल मरनेके बाद एक बार इसे टीका हुआ था। 6 लाकर। 7 - बिठाया। 8 और जगमालके बेटेको निकाल दिया । 9 वह बाहिणमें अपने मामाके पास
जाकर बस गया । 10 जिसके बाद पड़िहार दिन-दिन निर्वल होते गये। II कुछ दे-लेकर सारी धरती केल्हणोंने अपने अधिकारमें कर ली। 12 लेकिन पड़िहार अभी तक इन गांवोंमें रहते हैं। 13 यह .खरड़-प्रदेश जैसलमेर राज्यमें है; विकूपुरका खरड़-प्रदेश इससे अतिरिक्त है। 14 ये चाकरी भी जुदी करते हैं। IS मेहवेकी जिस लड़ाईमें राव उदयसिंह हारा. उसमें राम काम आ गया ।
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१४२ ]
मुंहता नैणसीरी ख्यात १० जैसो। १० भागचंद । ६ पंचाइण । ६ मालो। ६ चांदो । ६ मुथरो। केल्हणांरी खरड़रा इतरा कोहर' (१२)
बारू-१ वडो कोहर हेमराजसर, हेमराज पड़िहाररो। पुरसै २५, पांणी मीठो। १ पाकळी।
१ अवाह, पुरस. १७ १ गीधळो।
पांणी मीठो । १ चाडी ।
१ नांदड़ो। १ नरसिंघवाळो।
१ मीठडियो । १ खीचियांवाळो।
१ नाचरणो । १ तोळाऊ बीजो।
१ लीकणो। गांव
१ भडळो। १ बारू ।
१ अंतरगढो। १ लीकणो। ... १ सेखासर, कोहर नहीं।
१ घंटियाळी। १ संति१ खीरवो, कोहर नहीं । १ नाचणो, हरभम-केल्ह
आहो। १ झाड़हर । पोतरांनूं ।
• १ बालांणो। १ करू। .. १ अवाह ।
१ तांणांणो। तळाई खरड़ वांस - १ रांगारी, मास ८ पांणी, रांणा रूपड़ारी खणाई । १ रावरो तळाव, मास ८ पांणी रहै। १ खेतूरी। १ मेलूरो। १ जग मालरी। १ देवीदासरी । १ जवरणीरी, सोहड़ रजपूतांगीरी खणाई। १ अचलांणी, पांणी मास ६ रहै । १ सेखासर, सेखारो करायो वडो तळाव' ।
1 केल्हण-भाटियोंके खरड़-प्रदेशमें इतने कुएँ हैं । 2 बारू गांव में हेमराज पड़िहार का बनवाया हुअा वड़ा कुआँ हेमराजसर है, जो २५ पुरस गहरा है और पानी मीठा है। . २ दसरा। 4 नाचणा गांव हरभम-केल्हगोतोंको। 5 खरड़-प्रदेशको लगने वाली तलाइयां। 6 राणा रूपड़ाकी खुदवाई हुई 'राणारी तलाई,' जिसमें ८ महीने पानी रहता है। 'जवणीरी तलाई,' जिसे सोहड़ नामकी राजपूतानीने खुदवाया। 8 सेखाका खुदवाया हा 'सेखासर' नामक बड़ा तालाब ।
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....मुंहता नैणसीरी ख्यात
[१४३ १ खीरवो। १ मेरारो। १ वैरोलाई। १ वैगण। १ धारारी। १ देरांणी। १ जेठांणी। १ नींबलियो।
२ आको केल्हणोत । सेखासर धणी, अका कहावै । ___फळोधीसू कोस ६ ।' गांवमें कोहर नहीं। तळाव निपट वडो । .. सर-गोहूं घणा हुवै । अका केल्हणोतनूं नाथू रिणमलोत मारियो ।
३ सेखो, जिण आपरै नांव सेखासर तळाव करायो । ४ रतो।
७ नारण। ५ किसनो।
८ कचरो। ६ अरणंद ।
२ विक्रमादीत केल्हणरो। ७. मानो।
इणांरै खरड़रो गांव ३ खींवैरा बारू ।
खीरवो । ४ वरसिंघ ।
३ रायमल। ५ जांझण।
४ रूपो। ६ नादो।
५ सिवो। ७ धरमो।
६ रावत । ८ बलू ।
७ सुरतारण । २ हरभम केल्हणोत ।
८ रायसिंघ। इणांरै खरड़ में गांव
है जीवो।
३ वीदो। ३ नापो।
४ खेतो। ४ जाळप।
५ तोगो। ५ मांडण ।
६ भांरण । ६ केसो। ६ सहसमल ।
७ कलो।
नाचणो'।
__1 सेखासरके ये स्वामी 'अक्का' (अकाके वंशज) कहलाते हैं। 2 सेखासर फलोधीसे ६. कोस पर है। 3 तालाबकी सींचाई द्वारा गेहूं बहुत उत्पन्न होते हैं। 4 केल्हणके बेटे अंकाको नाथू रिणमलोतने मारा। 5 सेखा जिसने अपने नामसे 'सेखासर तालाब बनवाया।
6. खीवेके वंशज बारूं गांवमें रहते हैं। 7 केल्हणके बेटे हरभम के वंशजोंको खरड़-प्रदेश में . नाचणा गांव । 8 केल्हण के बेटे विक्रमादित्यके वंशजोंको खरड़-प्रदेशका खीरवा गांव ।
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१४४ ]
मुंहता नैणसीरी ख्यात
३ देवो विक्रमादीतरो, तिगरा भरोसरिया भाटी । २ कलकरन केल्हणरो, इणांरै गांव तांणांणौ । ३ चांपो ।
४ सांगो ।
3
५ ईसर, तरगां वसै ।
भाटियांरी साख मांहै साख हमीरांरी कहीजै' -
हमोर रावळ देवराजरो । देवराज मूळराजरो, चाकर जेसळ - मेरा ।
नरो अजावत । अजो किसनावत । किसन चूंडावत । ग्रागली खबर नहीं ँ ।
6
जैसलमेर च्यार परधांन भाटी साख - साखरा । तिगां मांहै एक परधानगी हमीरांरी भाटियांरे पोकरण हुती' । तद घरणा हमीर कैरडूंगर वोहळा ऊपर रहता । जेसळमेररै देस गांव १ मछवाळो इणारे, जेसलमेर था कोस ४ जैसुरांणा कनै ।
मुथरो रायमलोत, मुथरो हरावत, मांनो सिवदासोतरों गूढो कैरडूंगर कनै हुतो", तठे रा॥ प्रथीराज अखैराज दलपतोत रा ।। उदैसिंघ वाघावतरै वैर इणांरा गूढा मारने संमत १६६२ गायां १००० लीवी"। वांसै पोकरणरो साथ, राव सूरसिंघ बलू ने हमीर, मुथरो, पतो, मांनो, वाहरू हुवा। मुंडेळाई मांगळियांरै डेरो कियो " ऊपर श्राया, वेढ हुई । राव सूरसिंघ, वलू कांम आया । तठै मुथरो, पतो कांम आया । पतो पूरे घावै उपाड़ियो" ।
2
3
1 जिसके वंशज भरोसरिया भाटी । 2 इनके पास तारणारणा गांव । 3 ईशर तारणारणा में रहता है । 4 भाटियोंकी शाखाओंोंमें एक शाखा हमीरांकी कहलाती है | 5 इसके श्रागेका पता नहीं । 6 जैसलमेर में अलग-थलग शाखाग्रोंके चार भाटी प्रधान हैं । 7 उनमें एक प्रधान पद हमीर भाटियोंका पोकरनका था! 8 जैसलमेरसे चार कोस पर जैसुराना गांव के पास 1 9 गुढा ( रक्षा-स्थान ) कैरडूंगर नामक पहाड़ीके पास था । 10 उदयसिंह वाघावतकी शत्रुताका वदला लेनेके लिये सम्वत् १६९२ में इनके गुढोंको मार कर के इनकी १००० गायें लेलीं । II बाहर चढने को तत्पर हुए। 12 मूडेलाई गांव में मांगलियोंके यहां डेरा दिया । 13 चढ कर आये और लड़ाई हुई। 14 पूर्ण ग्राहत पताको उठा कर ले जाया गया । -
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[ १४५ मुथरा हरावतरा बेटा
२ जोगी।. २ रतनो। कांधळ सिवदासोतरा बेटा
२ देवराज। रायमलरा बेटा
२ सकतो। २ पतो। २ हरचंद । २ रूपसी ।
भाटी दुरगादास मेघराजोत । मेघराज वीरदासोत । हमीरार वेटा पोता
२ लूणकरण हमीर रो। इणरै बेटा पोतरा जोधपुररै दरबार चाकर।
३ सत्तो लूणकरणोत, राव रणमल साथै चीतोड़ काम आयो । सत्तारो राव रिणमलसूं बोल हुतो- "थां वांस हूं नहीं जीवू।" .. ४ उरजन सत्तावत । राव वीकैजीरै मोहिलांरी लड़ाई काम .... आयो ।
५ सांवत उरजनरो। वीकानेर रावजी श्री लूणकरणजीरै काम आयो।
६ सीहो सांवतरो, मीच मुंवो । ... ७ रायपाळ सीहावत, राव मालदेरै वास । खींवसर पटै । नागोर... रो गांव अटबड़ो, खेजड़लो । पछै राव चंद्रसेनरै वास थो । पछै राव .. चंद्रसेन मोटा राजा ऊपर फळोधी गयो त? काम आयो । - ८ पासो रायपाळोत । राजा भगवानदास कछवाहारै वास थो। .... उठे ही मुंवो।
६ गोपाळदास प्रासावत । वडो रजपूत, पातसाही चाकर थो। ... पछै संमत १६६६ खेजड़लो वसी राखण दियो थो। पछै संमत
___I राव रिणमलके साथ सत्ताकी यह प्रतिज्ञा थी कि तुम्हारे मरने के बाद मैं भी नहीं जीऊंगा। 2 मोहिलोंके साथ राव बीकाजीकी लड़ाईमें काम आया। 3 अपनी मौत मरा। 4 पीछे जब राव चंद्रसेन मोटाराजा पर चढ कर के फलोधी गया वहां काम पाया। 5 उधर ही मर गया। 6 पीछे सम्वत् १६६६ में खेजड़ला गांव बसीके रूप में दिया था।
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१४६ ]
मुंहता नैणसीरी ख्यात
१६६६ राजाजी दिखण थी गुजरात मांहै हुय देस पधारिया, तद साथै हुवौ आयो । पिण पातसाहजी बुरो मांनियो । पछे संमत १६७१ रावळ वसियो । दूधवड़रो पटो वळं दियो ।
9
0
१० दयाळदास गोपाळदासोत । संमत १६६७ रावळ वसियो । ओळवी पटै । पछे संमत १६७८ भाद्राजणरो पटो गांव २४सू दियौ । पछे संमत १६८२ भाद्राजणरो पटो छाडने ओोळवीरो हीज पटो राखियो । भाद्राजण छीतरदास र हतो | गोपाळदासजी. चाकरी न करै । पछै वळे संमत १६६० जाळोररो फोजदार कियो ?, उठै राव रायमल उदैसिंघोत महेवचानूं पकड़ियो; रोकियो, पछै छोडियो । पछे संमत १६६१ जाळोररी हाकमी उतरी । पटों उतरियो । पछे दूधवड़ था वसी छाड़ने बारं गूढो कियो थो" । संमत १६६१ जेठ सुदि ११ रै दिन राव चांद वाघोत महेवचो मेवाड़ राणाजीरै वास थो, सु साथ कर ऊपर ग्रायो, दयाळदासनूं मारियो । ११ छीतरदास दयाळदासोत । पैहली गोपाळदासजीरी बिजाई चाकरी करतो" । पछे संमत १६६० दूधवड़रो पटो दयाळदासनूं दियो, तद ओळवीरो पटो दियो थो पछै संमत १६६२ छाड़ने अमरसिंघजी साथै गयो थी । पछे व पाछो ग्रायो, तरै संमत १६६५ भाद्राजण पटो राजसिंघ था भेळो दियो । राजसिंह जसवंतोत नूं. भाद्राजण पटै थो, सु मोहा-मांही छीतर नै राजसिंघ जसवंतोत उपा हुवो 14, तठे रा ।। राजसिंघ जसवंतोत छीतरदासनं भाद्राजगरे कोट मांहै मारियो ।
11
।
13
2 लेकिन वादशाहने बुरा माना । 3 फिर दूधवड़ गांवका और पट्टा कर दिया । 4 १६८२में भाद्राजुनका पट्टा छोड़ कर केवल वीका पट्टा ही रखा। 6 भाद्राजुन छीतरदासको मिला हुआ था। 7 वादमें फिर सम्वत् १६६० में जालोरका फौजदार नियुक्त किया । 8 तव सम्वत् १६६१ में जालोरकी हाकमी उतर गई । 9 गांवोंका पट्टा भी उतर गया (जागीरी भी खोस ली गई ) । 10 फिर दूधवड़की वसीको छोड़ कर वाहिर गुढा करके रहा था । II मेहवचा राव चांद वाघोत मेवाड़ राजी का चाकर था, वह सम्वत् १६९१ जेठ सुदी १ को अपने आदमियोंके साथ चढ़ कर श्रायां और दयालदासको मार दिया । 12 पहले गोपालदासजीकी विजाईमें चाकरी करता था । 13 तव सम्वत् १६६५ राजसिंह के साथ में भाद्राजुनका पट्टा कर दिया था। 14 सो छीतर," और राजसिंह जसवंतोत के परस्पर झगड़ा हो गया ।
1 तव यह भी साथ में होकर आ गया । सम्वत् १६७१ जोधपुरमें चाकर हो गया । तब मोलवी गांव पट्टे में | 5 लेकिन बादमें सम्वत्
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मुंहता नैणसीरी ख्यात . [१४७ ११ राजसिंघ दयाळदोसोत । पैहली भाद्राजणरो पटो छीतरदास · भेळो थो' । पछै संमत १६९६ समदोळाव गांव ४ सूं पटो दियो ।
११ केसरीसिंघ दयाळदासोत । संमत १६६२ खेजड़लारो पटो गांव ४ सूं।
११ भगवानदास दयाळदासोत । दयाळदास भेळो काम आयो । ११ तेजसिंघ दयाळदासोत ।
६ नराइणदास पासावत । राजा मानसिंघजीरो चाकर । पछै राजा राम कह्यो, तद रावळे वसियो थो | संमत १६७३ मेड़तारी कुड़कीरो पटो थो । संमत १६७६ मेड़तारो पटो उतरियो तद पाछो राजा भावसिंघरै वसियो । .६ रूपसी आसावत । संमत १६४१ वोपारी सोझतरी गांव ३ दी थी' । पछै संमत १६५१ गूढो जोधपुररो पटै । वडो रजपूत थो।
१० सिंघ रूपसीयोत । संमत १६६७ रिवड़ी सोझतरी पटै' । संमत १६७७ मल्हार पटै थो1 ।
११ रामदास । ११ प्रथीराज ।
१० जगनाथ रूपसीयोत । पैहली दयाळदासजीरै चाकर थो। पछै संमत १६७३ दोढोळाई मेड़तारी दी थी11 । संमत १६८५ आगरै थी पावतां मारांणो12 ।
.
.
। राजसिंह दयालदासोतको भाद्राजुनका पट्टा पहिले छीतरदासके शामिल था। 2 वादमें सम्बत् १६६६में समदोलाव गांवका चार अन्य गांवोंके साथ पट्टा कर दिया। 3 दयालदासके साथ काम पाया। 4 राजा मानसिंहजीका चाकर था। जब राजाजी मर गये तब वहीं रह गया था। 5 सम्बत् १६७३में मेड़ते परगनेके कुड़की गांवका पट्टा था। 6 सम्वत १६७६में जब मेड़ताका यह पट्टा उतर गया तब वापिस राजा भावसिंहके यहां बस गया। 7 सम्वत् १६४१में सोजत परगनेका वोपारी गांव तीन अन्य गांवोंके साथ पट्टे में दिया था। 8 फिर सम्वत् १६५१में जोधपुर परगनेका गुढा गांव पट्ट में था। 9/10 सम्वत् १६६७में सोजत परगनेका रिवड़ी गांव और सम्वत् १६७७में मल्हार पट्ट में थे। IT फिर मेड़ते परगनेका दोढोलाई गांव सम्वत् १६७३ में दिया था। 12 सम्वत् १६८५में प्रागरासे प्राता हुआ मारा गया।
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१४८ ]
मुंहता नैणसीरी ख्यात १० पंचाइण रूपसीयांत। संमत १६७२ वेरावस खींवसररो पटै । संमत १६८४ धारणवाय चौकड़ी पटै' ।
१० मोहणदास रूपसीयोत, राव दळपतसिंघजीरै वास थो। सु दळपतजी नै पातसाह वेढ हुई, दळपतजी काम पाया, तद हाथी गोपाळदासोत साथै काम आयो ।
१० जसवंत रूपसीयोत ।
११ बलू जसवंतोत । संमत १६७४ जाळोर रा खारो नरसांणो. __ था । संमत १६७७ तुवरां पटै थी। चोखावसणी मेड़तारी थी । . १० महसदास रूपसीयोत । संमत १६७४ जाळोररो सेरांणो .
थो, संमत १६७७ नीलावो जैतारण रो। संमत १६८० चौकड़ी मेड़तारी ।
६ डूंगरसी आसावत ।
१० राघोदास डूंगरसीयोत । संमत १६७७ जाळोर रो साहेलो... गांवां ५ सूं थो। सं० १६७८ तिमरणीरी मुंहम काम आयो । . ११ जगनाथ राघोदासोत । संमत १६७८ मेड़तारो घोड़ाहड़ नै गांव ३ जाळोररा था।
६ ठाकुरसी आसावत ।
१० वेणीदास ठाकुरसीयोत । संवत १६६७ चोपड़ो गांव ५ सूं. . थो पटै । संमत १६७६ पटो तोगीर कियो। पछै साहिजादा खुरमरै
वसियो। पूरवमें राम कह्यो ।'
1 सम्वत् १६७२में खींवसरका वेरावस गांव और सम्वत् १६८४में धारणवाय और चौकड़ी गांव पट्ट में। 2 तव हाथी गोपालदासोतके साथ यह भी काम आ गया। 3 सम्बत् । १६८४में जालोर परगनेके खारो और नरसारणो गांव पट्ट में थे। 4 सम्वत् १६७७में : तुवरां गांव और मेड़ता परगनेका चोखावासगी गांव पट्टे में थे। 5 सम्बत् १६७४ में जालोर परगनेका सिराणा, सम्वत् १६७७में जैतारनका नीलाबा और सम्वत् १६८०में मेड़ताका चौकड़ी गांव पट्टे में थे। 6 सम्वत् १६७७ में जालोर परगनेका साहेला गांव पांच गांवोंके साथ पट्टे में था। सम्बत् १६७८में तिमरणी के युद्ध में काम पाया। 7 सम्वत् .. १६७८में मेड़ते परगनेका घोड़ाहड़ गांव और तीन गांव जालोर परगने के पट्टे में थे। 8. सम्वत् १६६७में पांच गांवोंके साथ चौपड़ा गांव पट्टे में था। सम्वत् १६७६में पट्टा तागीर... हुमा । फिर शाहजादा खुर्रमके यहां वस गया और पूर्व में मरा। .. . ......
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मुंहता नैणसीरीः ख्यात
[ १४e
६ सुरजन आमावत । सं. १६७२ चांपासर थो । संमत १६७४ महेसियो जैतारणरो | संमत १६८० मांणकियावस मेड़तारो थो । पछै राम कह्यो ।
1
१० कांन्ह सुरजनोत | संमत १६८४ नागोररा गांव ८ जेसो रायपाळोत । पैहली जेसो रा ॥ प्रथीराज पातावतरै वास थो । पछै संमत १६४९ मोटा राजाजीर वसियो । दांतीवाड़ो वसीनूं दियो थो । जेसोजी परधांनांमें पूछीजण जोगा था । संमत १६४६ लाहोर में रांम कह्यो ।
1
३
१२ मुरारदास ।
११ दयाळदास माधोदासोत । १२ वेणीदास |
११ गिरधरदास माधोदासोत ।
११ प्रचळदास माधोदासोत ।
पटै ।
6
8
2 गोपाळदास जेसावत । राजा रायसिंघजीरै रावळे वसियो । संमत १६५२ दांतीवाड़ो' । संमत १६५५ चंडावळ सोभतरी संमत १६५६ खेजड़लो गांव ३ सूं दियो थो' । वडो डील थो" । पातसाही दरबार उकील थको रैहतो " |
0
11
१० माधोदास गोपाळदासोत । वडो रजपूत । खेजड़लो पटै । संमत १६६६ ओळवी, भागेसर पटै । पातसाही दरबार उकील रैहतो | संमत १६८७ रांम कह्यो ।
११ मुकंददास माधोदासोत । संमत १६८७ भागेसर 13 ।
फिर मर गया । 2 सम्वत् १६८४में नागोर परगनेके तीन गांव पट्टे में | 3 दांतीवाड़ा गांव बसीके रूपमें दिया था। 4 प्रधान सरदारोंमें जैसोजी पूछे जाने योग्य ( बुद्धिमान ) व्यक्ति था । सम्वत् १६४९ में लाहोर में मरा। 6 राजा रायसिंहजी के यहां जाकर वसा । 7/8/9 सम्वत् १६५२ में दांतीवाड़ा, सम्वत् १६५५ में सोजत परगनेका चंडावल और सम्वत् १६५६में खेजड़ला तीन अन्य गांवोंके साथ पट्ट में दिये गये थे । 10 ( १ ) भरकम शरीरका था । (२) बड़े परिवार वाला था । II बादशाही दरबारमें वकीलकी हैसियतसे रहता था । 12 बड़ा ( शूरवीर) राजपूत । खेजड़ला गांव पट्ट में था, फिर सम्वत् १६६६में ओलवी शौर भागेसर गांव पट्टे में मिले । बादशाही दरबार में वकीलकी हैसियतसे रहता था । सम्वत् १६८७में मरा। 13 सम्वत् १६८७ में भागेसर गांव पट्टे में ।
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मुंहता नैणसीरी ख्यात १२ वीठळदास गोपाळदासोत । संवत १६६७ कूपड़ावस बीलाड़ारो पटै । संमत १६७४ रेवत जाळोररो' । संमत १६७७ नांदियो लवेरारो । पछै छाडियो । भावसिंघ कांन्होतरै वसियो । ___ रायसिंघ जेसावत । संमत १६६० वाड़ो पीपाड़रो पट। संमत १६६२ मांडवै काम आयो ।
१० सुरतांण रायसिंघोत। संमत १६६६ सूरजवासणी पटै । . संमत १६८० सिणली धवारी पटै ।
११ राघोदास सुरतांणोत । ११ बल सुरतांणोत । संमत १६८६ जुड़ली पटै ।
६ गोयंददास जेसावत । सं० १६५२ जैतीवास बीलाड़ारो पटै। संमत १६७१ भाटी गोयंददासजी साथै काम आयो।
१० नरहरदास गोयंददासोत । संमत १६७१ गोयंददासजी काम अायो तद लोहडै पड़ियो थो। संमत १६७२ जैतीवास (ब) रकरार । सं० १६६२ रांम कह्यो ।
११ रतनसी नरहरदासोत ।
१० सुंदरदास गोयंददासोत । सं० १६८० भांभेळाई पटै । संमत १६६२ जैतीवास पटै दियो ।
१० महेसदास गोयंददासोत । सबळसिंघ राजावतरै वास थो। पछै राम कह्यो।
११ कल्याणदास ।
६ भांण जेसावत । संमत १६५० राजलो-तेजारो पटै थो। पछ संमत १६५६ विजियावासणी । सं० १६६१ छाडियो । मेड़ते
I सम्बत् १६७४ जालोरका रैवत गांव पट्टे में । 2 सम्वत् १६७७ में लवेराका नांदिया गांव पट्टे में । 3 पीछे छोड़ कर भावसिंह कान्होतके यहां वस गया। 4 सम्बत् १६६०में पीपाड़का वाड़ा गांव पट्टे में । सम्बत् १६६२ मांडवेमें काम. पाया। 5 सम्वत् १६८०में घवाका सिगली गांव पट्ट में। 6 सम्बत् १६७१में गायंददासजी काम आये तब यह पाहत हुआ था । सम्बत् १६७२में जैतीवास गांव बरकरार रहा । सम्बत् १६९२में मरा। 7 सम्वत् १६८०में . भाभलाई गांव पट्टे में था और सम्वत् १६६२में जतीवास भी पट्ट में दिया। 8 सम्वत् १६५० में तेजाका-राजला नामक गांव पट्टे में था। 9 फिर सम्बत् १६५६में विजियावासणी गांव पट्टे में।
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मुंहता नैणसीरो ख्यात भांण नै रा ॥ वेणीदास पूरणमलोतरै फोजदार थको थो' । पछै कान्हीदासरै लोगै खोडो काढियो, तिण दिनसू राजाजी रीसांणा । पछै राजाजी देस पधारिया, तद दरबार बैठां मैहदली कना कहाड़ियो-~-झै बेऊ ठाकुर आवै तरै गुदरावै- 'वेणीबाई नै भाणीवाई जुहार करै छै ।" पछै अं बेऊ ठाकुर छाडनै किसनसिंघजीरै वसिया । पछै सं० १६७७ वळे पाछा आणन भांण कुहड़ गांवां ३ सूं दीवी । । संमत १६७८ जोधपुर सिकदार।
१० नरसिंघ भांणोत । संमत १६७७ कुहड़ पटै । सं० १६७२ सीवळतो, कपूरियो पटै दिया था।
११ हररांम। ११ सिवदास । ११ भींव । ८ रांणो रायपाळोत ।
६ पतो रांणावत । माधोसिंघ कछवाहेरो चाकर। अजमेर में काम आयो।
१० सूजो पतावत । संमत १६७२ गांव ५सू भांडोळाव पटै । सं० १६७३ गागडांणो मेड़तारो पटै । सं० १६७८ गजसिंघपुरो पटै । सं० १६५७ वीझवाडियो गांव ४ सू पटै । ११ लूणो सूजावत । ११ कांन्ह सूजावत ।
६ ईसरदास रांणावत । राणाजीरै वास । पुररो परगनो पटै'। १० आईदांन ईसरदासोत । राणाजीरै वास ।
ह रायमत राणावत । १० पंचाइण ।
___ I सम्वत् १६६१में छोड़ दिया तब मेड़तेमें भाग और राजा वेणीदास पूरणमलोतके यहां फौजदारकी नौकरी में था। 2 पीछे कान्हीदासके लोगोंने मुसलमानी डाढ़ी(?)बनवाई उस दिनसे राजाजी नाराज हो गये। 3 फिर राजाजी जब देशमें पधारे तो दरवारमें बैठे ही महदअलीसे बाहलवाया कि जब ये दोनों ठाकुर आवें तब गुजारिश की जावे कि 'वेणीबाई और भाणीवाई जुहार कर रही हैं ।' 4 फिर ये दोनों ठाकुर छोड़ कर के किशनसिंहजीके यहां बस गये। 5 पीछे सम्वत् १६७७ फिर वापिस बुला कर भाणको तीन गांवोंके साथ कुहड़ गांव पट्टेमें दिया। 6 सम्वत् १६७८में जोधपुरमें सिकदार नियुक्त हुप्रा । 7 राणाजीके यहां चाकरी और पुर परगना पट्टेमें ।
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१५२ ]
मुंहता नैणसीरी ख्यात ६ सादूळ रांणावत । ६ नाथो रांणावत । ६ वैरसल रांणावत। . ८ अखैराज रायपाळोत । ६ भगवानदास अखैराजोत । १० सुदरदास भगवानदासोत । ११ गोपाळदास सुदरदासोत । खुरमरी वेढ काम प्रायो।
१० स्यांमदास भगवानदासोत । करमसेनर वास । पंवार भूविया तठे काम आयो । १० पंचाइण भगवानदासोत । करमसेनरै वास ।
६ केसोदास अखैराजोत । ६ मनोहरदास अखैराजोत । कछवाहा प्रतापसिंघजीरै वास । पूरव- .
में काम आयो।
९ राघोदास अर्खराजोत । कछवाहा प्रतापसिंघरै वास थो। . . - पूरबरी मुंहम काम पायो ।
८ भाखरसी रायपाळोत। ६ सुरतांण भाखरसीयोत । १० सलैदी सुरतांणोत । ६ रामदास भाखरसीयोत । ह नरसिंघदास भाखरसीयोत । ८ किसनदास रायपाळोत ।
६ जेतमल सीहावत । राठोड़ जसवंत डूंगरसीयोतरै वास थो। .. जसवंत साथ काम आयो ।
वात भाटी जेसो कलिकरनरो। कलिकरन केहररो। तिण जेसाथी जेसांरी-साख कहांणी । जेसै जेसळमेर छाडनै एक वार फळोधीरें गांव किणही रह्या नहीं। किरड़ारै जोड़ मांहि प्राय रह्या, तठे
___I खुर्रमसे लड़ाई हुई उसमें काम आया। 2 करमसेनके यहां चाकर । पंवारोंने... लड़ाई की उस में काम पाया । 3 पूर्वमें लड़ाई हुई उसमें काम आया। 4 उस जैसासे. .. भाटियोंमें एक शाखा जैसा-शाखा कही जाने लगी। 5 जैसा-शाखाके भाटी जैसलमेर छोड़ कर . फलोधी प्रदेशके किसी भी गांवमें एक बार भी नहीं रहे। 6 किरड़ा गांवकी जोड़में प्राकर रहे जहां मूला नक्षत्रमें राणी लिखमी (लक्ष्मी) का जन्म हुआ। . .
८
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मुंहता नैणसोरी ख्यात
[ १५३ रांणी लिखमी मूळ जाई, तरै हरभमरै नांनांण मेली' । नै जेसोजी . भाउंडै नागोररै गांव गया । उठे कोट करायन माणस राखनै राणा
कनै चीतोड़ गया । उठे गांव १४० तांणो मला सोळंकीवाळो दियो । तठे रामदास माल्हणरो बाप मारियो । राणा कुंभा थकां प्रायां पछै
ओ पटो वेहतो थो । दीवांणनूं कह्यो – 'कहो तो एक वार दरगाह जावां; जेसळमेरनूं धको दां' ।' पछै सीख दीवी । मास २ दिल्ली रह्या । उठे मुंवा' । पछै राणै पटो भैरवदास जेसावतनूं रावाई देने गांव १४० तांणो दियो1° | वसी नागोररै गांव भाउंडां हीज हुती'। भैरवदासरी वसीरा बलोचे वित लिया। भैरवदास आदमी ४०सूं आपड़ काम आयो । तरै राणै पटो अचळदास भैरवदासोतनूं तांणरो दियो। नै वसी भाउंडै रहि न सके । तर रांणी लिखमी राव सूजासौं अरज करनै गांव चोपड़ां वसीयूँ दिरायो । वसी अचळारी चोपड़े रही । आप मेवाड़ रह्या।
जेसारा बेटा. २ अणंद राव सूजारै वास । भैरवदास जेसावत सूर-माल्हण मारियो, तरै अणंद सूरनूं गोढवाड़री अहिलांणी मारियो ।
२ जोधो। २ भैरवदास। २ वणवीर ।
I तब उसे हरभमकी ननिहाल भेज दिया। 2 और जैसाजी नागोर परगनेके भाउंडे गांवको चले गये। 3 वहां कोट बनवा कर और उसमें आदमी रख कर राणाके पास (सेवामें) चित्तोड़ चला गया। 4 वहां (राणाने) उसे १४० गांवोंके साथ मल्ला सोलंकी वाला ताणा गांव पट्टे में दिया। 5 वहां माल्हणके बाप रामदासको मार दिया। 6 यहां आनेके बाद राणा कुंभाके काल तक इनका पट्टा चालू (कायम) था। 7 इसने दीवान (राणाजी)को कहा कि यदि आप आज्ञा दें तो एक बार वाहशाहकी सेवामें जाऊँ और जैसल- मेरको धक्का लगाऊँ। 8 पीछे आज्ञा दे दी। 9 वहीं मर गया। 10 जिसके बाद - राणाने जैसाके वेटे भैरवदासको रावकी पदवी देकर १४० गांवोंके साथ ताणाका पट्टा दिया । .... II बसी नागोर परगनेके भाउंडा गांवमें ही थी। 12 बलोच लोगोंने भैरवदासकी बसीका ..... वित्त (गाय-भैंस यादि चौपायोंका समूह) ले लिया। 13 भैरवदासने अपने ४० आदमियोंके
साथ पीछे.भाग कर उनको पकड़ लिया और लड़ाई की जिसमें वह काम पा गया। 14 और __ बसी भाउंडे में रह नहीं सके। 15 तब रानी लक्ष्मीने राव सूजासे अर्ज करके वसीके लिये .चोपड़ा गांव दिलवाया। 16 तब आनंदने सूरको गोढवाड़के अहिलाणी गावमें मार दिया।
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१५४ ]
मुंहता नैणसीरी ख्यात भाटी अणंद जेसावतरो परवार, प्रांक २३ नींबो आणंदोत । ३ दूदो आणंदोत । ३ परबत आणंदोत । . ३ पीथो आणंदोत ।
नींबो आणंदोत, अांक ३ । राव मालदेरै वास । लवेरो पटै । लवेरै राजथांन कियो । लवेरै कढाई, दीवडो, भुंजाई, वडो पळो । पछै सूर पातसाहरी वडी वेढ घावै पड़ियो, तरै चाकर उपाड़ ल्याया, . घरै आयां पछै काम आयो ।
नींवैरा बेटा
४ मांनो नींवावत । ४ पतो नींवावत । ४ रिणमल नींबावत । ४ गांगो नींबावत । ४ किसनो। ४ मूळो । ४ भोजराज । ___ मांना नींबावतरो परवार, प्रांक ४ । मोटो राजा फळोधी, तद .. मांनो चाकर हुतो, कुंडळरी वेढ मांही हुतो ।
५ गोयंददास मानावत । ५ सुरतांण मांनावत।
भाटी गोयंददास मानावत वडो रजपूत हुवो। संमत १६४० मोट राजारै वास थो। लवेरैरी वासणी पावता । पछै एक वार मोटै राजा दरगाह मेलियो सु काम कर आयो, तरै मोटै राजा रीझनै मांगळो सिवांणारो वधारै दियो । पछै सं० १६४३ वोस ४ लवेरो
___I लवेरेमें अपना राजस्थान (राजधानी) बनाया। 2 इसके समयमें कड़ाही, दीवड़ी, भुजाई और बड़े पळे के लिये लवेरा प्रसिद्ध था (भोजन बनानेके बड़े परिमाणके इन साधनोंसे अपरिमित भोजन सामग्री बनती ही रहती थी)। दीवड़ी =(१) पाथेय, (२) अजाचर्म या कपड़ेका बना एक जलपात्र । भुंजाई-अधिक परिमाण में बनाई जाने वाली मिष्टान्नादि भोजन- ; सामग्री । पळो =(१) तेल घी आदि लेने-निकालने एवं नापनेका एक उपस्कर; (२) शरण ।.. 3 फिर बादशाह शेरशाह सूरके साथ (राव मालदेवकी) बड़ी लड़ाई में घायल होकर गिर
या। तब चाकर उठा कर ले जाये और घर जाने के बाद मर गया। 5 मोटा राजा जब.. फनीधीमें था तब माना मोटे राजाज्ञा चाकर था और कुंडलमें जो लड़ाई हुई उसमें वह मौजूद गा। 6 माटी गोवंददास मानावत बड़ा वीर राजपूत हुा । सम्बत् १६४०में यह मोटा राजाके यहां चाकर था । लदेरेले. वासगी गांवका हासल पाता था (उपभोग करता था)। 7 फिर . एक बार मोटे राजाने गोयंददासको बादशाही दरगाहमें जिस कामके लिये भेजा था वह करके ।। या गया, तब मोटे गाने प्रसन्न हो कर मिवाने परगनेका मांगला गांव और दे दिया। ..
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मुंहता नैणसीरी ख्यात
[ १५५ ___पायो । पछै मोटो राजा संमत १६५१ काळ कियो । पछै सं० १६५२
राजा सूरजसिंघ लवेरा वांस गांव २५ दिया, तठा पछै परधानगी दी । पछै सं० १६६३ लवेरारै पटै ऊपर आसोपरो पटो। पातसाही माहै हेटरो जैतवार हुवो ।
संमत १६७१ रा जेठ सुद ८ अजमेर रा।। किसनसिंघ उदैसिंघोत राजाजीरा डेरां ऊपर गोयंददासनूं मारण आयो । त? भाटी गोयंददास, 'रा। किसनसिंघ, करन सकतसिंघोत घणा साथसू कांम आयो। पातसाह जहांगीररी तणावां माहै ।
भा।। गोयंददास। बेटा, प्रांक ५६ मोहणदास । ६ नरहरदास । ६ रामसिंघ । ६ वेणीदास । ६ प्रथीराज।
भाटी मोहणदास गोयंददासोत । संमत १६६३रै वरस कंवर गजसिंघ तोडै राजा जगनाथरै परणियो। उठे कंवर गजसिंघनूं सीतळा नीसरी । कंवरजीरो डोल रूड़ो नहीं, तरै भाटी गोयंददास मोहणदास नूं कंवरजी ऊपर वारियो। कंवरजीरै डील समाध हुई, मोहणदास
रांम कह्यो । . ६ नरहरदास गोयंददासोत । संवत १६७२ डांवररो पटो गांव
सातसूं राजा सूरज सिंघजी दियो थो। पछै संमत १६७६ वैसाख माहै रा।। नरहरदास ईसरदासोतनूं वैर मांहै मारियो, तरै छाडायो' । पर्छ
फिर सम्वत् १६४३में लवेराके चारों वास प्राप्त किये। 2 संवत् १६५१में मोटा राजा मरा। 3 फिर राजा सूरजसिंहने लवेराके पीछे २५ गांव दिये और जिसके बाद अपना प्रधान बनाया । 4 पीछे लवेराके पट्टे के ऊपर (अतिरिक्त) अासोपका पट्टा दिया । और बादशाही दरबार में भी निम्न श्रेणीसे बढ़ कर ऊपरका रुतबा (प्रतिष्ठा) पाने में विजयी हुआ। 5 सम्वत् १६७१के जेठ सुदी ८ को अजमेर में राजाजीके डेरोंके ऊपर राव किशनसिंह उदयसिंहोत गोयंददासको मारनेके लिये पाया। बादशाह जहांगीरके संबंधकी इस लड़ाईमें भाटी गोयंददास, राव किशनसिंह और करण सकतसिंहोत कई आदमियों के साथ काम आये । 6 सम्बत् १६६३में कुंवर गजसिंहका टोडेके राजा जगन्नायके यहां विवाह हुमा । वहां कुंवर गजसिंहको शीतलाकी बीमारी हो गई। कुंवरजीका शरीर स्वस्थ नहीं। तब भाटी गोयंददासने अपने पुत्र मोहनदासको कुंवरजी पर वार दिया जिससे कुंवरजीको तो पाराम हो गया और मोहनदारा मर गया। 7 पीछे सम्बत् १६७६ के वैशाखमें राव नरहरदास ईशरदासोतको शतावंश मार दिया तब डांवरका पट्टा जब्त हो गया।
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१५६ ]
मुंहता नैणसी री ख्यात साहजादा खुरमरै विखा मांहै चाकर रह्यो हुतो। पछै उठाथी छाड़ियो । को दिन सींघलै जाय कवळे रह्यो । सांनरो झोलो.. हुवो । पछै वळे राजा गजसिंघ पगे लगायो । मेवरो पटै दियो । संमत १६६५ मुंवो।
७ अखैराज। ८ जीवो। ७ सूरजमल, श्रीजीरै वास । तिलांणेस खेतासर पटै।।
७ दूदो । संमत १६६६ नरहरदास ऊपर भाटी..... 'मालदेप्रोत, ... गोयंददास सहसमलोत नागोर था आया। नरहरदास अठासूं नीसरियो । दूदो काम आयो ।
७ नाहरखांन, श्रीजीरै चाकर । धवो जोधपुररो पटै हुतो, संमत १७२१ ।
६ रामसिंघ गोयंददासोत, महेवची पूरांरो वेटो । संमत १६७२ भाटी गोयंददासजी काम पायां लवेरो रामसिंघ प्रथीराजनूं भेळो दियो । संमत १६७७ ब्रहानपुर रामसिंघसू छाडायो। लवेरो प्रथीराजनूं दियो । पर्छ रामसिंघ साहिजादै सहरियालरै चाकर रह्यो । पछै कासमीर जातां रा।। ईसरदास कल्याणदासोतरै चाकर।। रामसिंघ जगमालरै पैसार पैसनै रातै मारियो । संमत १६७२ एक . वार पासोप लोवी। राजा गजसिंघ आसोप १६७६ रा।। राजसिंघn दियो, तिणरै वदळे भेटनड़रो पटो दियो ।
1 फिर शाहजादा खुरंमके विखेमें उसका चाकर रहा था। 2 फिर वहांसे छोड़ कर . या गया। 3 कई दिनों तक सिंघलोंके यहाँ कबले गांव में जाकर रहा । 4 वहां उसे लकवा . मार गया। 5 बादमें फिर गजा गजसिंहने पांवों लगाया (अपने पास बुला लिया)। । मेवग गांव पट्टमें दिया । 7 मम्वत् १६६५में मर गया। 8 सम्बत् १६६६में नरहरदाम पर भाटी..."मानदेयोत और गोयंददास नहसमलोत नागोरसे चढ़ पाये। नरहरदास वहांमे निगल गया और उसका बेटा द्रा यहां काम ना गया। 9 नाहरखान श्रीमहाराजाका चाकर, गावत १७२१में जोधपुर पर गनेता वा गांव पट्टे में था। 10 पूराबाई महेवचीका बेटा ।
गम्वत् १६४२में माटी गोयंददास काम या जाने पर रामसिंह और पृथ्वीराज दोनोंको ... प्रदेश मामिल दिया। 12 फिर रामसिंह शाहजादे शहरयारके पास चाकर रहा । 13 फिर मानीरजा मागं जगमाल में गुग कर ईरवार कल्यागादामोतके चाकरने रामfrom मार दिया। उसके बदले में भेटनड़ा गांवका पट्टा मार दिया।
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मुंहता नैणसीरो ख्यात
[१५७ .. ६ वेणीदास गोयंददासोत । संमत १६७२ रड़ोद आसोपरो गांवां
३ तूं पटै दी थी'। सं० १६७८ रड़ोद राजसिंघजीनूं दी, तरै घरै आयो । पछै सं० १६८० अणवांणो गांवां ३ सूं दियो थो। सं०. १६८५ गहलो हुवो, पछै राम कह्यो । . ७ राजसिंघ वेणीदासोत । अणवांणो पटै हुतो।
५ रतन । ८ दळपत ।
६ प्रथीराज गोयंददासोत, पूरांबांई महेवचीरो बेटो । सं० १६७२ आसोप, लवेरो बेहूं' पटै। रामसिंघ भेळो' पटो दियो थो। पर्छ आसोप राजसिंघजी दियो, तद' लवेरारो पटो प्रथीराजनूं हीज दियो थो। सं० १६७७ पछै अमरसिंघजी साथै गयो । पछै वळे आय वसियो, तरै लवेरारो पटो दियो । राजा जसवंतसिंघजी पण घणी मया कीवी । सं० १७०४ प्रधान कियो। रुपिया ४००००) रो पटो दियो थो । पछै वास छूटो° । सं० १७०६ पातसाहजीरै वसियो । सं० १७२० मुंवो' ।
७ सबळसिंघ प्रथीराजोत भलो रजपूत थो । संमत १७१६ रा।। इंद्रभाण केसरीसिंघोत गांव डेह वसी ऊपर प्रायो, तद सांम्है जाय वेढ कीवी । आदमी ८० थी कांम आयो ।
८ जैसिंघ।
भाटी सुरतांण मानावत, प्रांक ५, वडो रजपूत हुवो। दातार, जूंझार, कामरो माणस । मोटै राजा केलावो पटै दियो थो। संमत . १६६२. सूधो रह्यो । केलावो, लवेरो, विकूकोहर गांव २०सूं पटै थो।
I सम्बत् १६७२में श्रासोपका रड़ोद तीन गांवों के साथ पट्ट में दिया था। 2 तव घर पर आ गया। 3 संवत् १६८० अग्णवारणा तीन गांवों के साथ पट्ट में दिया था । संवत् १६८५में वह पागल हो गया और मर गया। 4 पूरांवाई महेवचीका बेटा । 5 संवत् १६७२में
ग्रासोप और लवेग दोनों पट्टेमें। 6 शामिल । 7 तब । 8 बादमें फिर पाकर चाकरीमें
. रहा तब लवेराका पट्टा दिया। 9 राजा जसवंतसिंहजीने भी उस पर बड़ी कृपा रखी, सम्बत् ....... १७०४ में उसे प्रधान बनाया और रुपये चालीस हजारका पट्टा दिया था। Io/II फिर
नौकरी छूट गई तव संवत् १७०६मे बादशाहकी चाकरीमें रहा। 21 सम्बत् १७२०में मर ‘गया। 13 ८५ मनुष्यों के साथ काम आया। 14 दातार, जूझार और उपकारी मनुष्य । : 15 सम्वत् १६६२ तक रहा। .
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१५८ ]
मुंहता नैणसीरी ख्यात पछै संमत १६६२ गुजरातसूं सीख दी तद गांव २५सू भाद्राजण पटे दियो थो' । पछै संमत १६६४ भाद्राजणरो पटो तागीर कर पागलो. हीज पटो राखियो । पछै संमत १६६८ श्री हजूर गयो । पछै मुहतो.' केसो सुरतांणजीरो थो सु गोयंददासजी रावळे राखियो तर दिलण था छाडि आयो । पछै केसानूं मार आयो। तद गोयंददासजी धरती ... मांहिथी परो काढियो, तरै नागोर जाय रांणा सागररै वसियो । गांव भांउंडा वसीनूं दियो थो'। रांण सागररै उठे जाय वसियो।। पछ रा।। नरसिंघदास कल्याणदासोत नै रा।। सूरजसिंघ ने सुंदरदास, रांमदास चांदावतरांसू माहो-मांहि उपाव हुवो । अ' ठाकुर चढ ऊपर आया। संमत १६६६ जेठ सुदि ८ भांउंडा वेढ हुई1° । सुरतांणरै हाथ नरसिंघदास, सूरसिंघ, सुंदरदास रह्या11 । सुरतांण ही खेत रह्यो । वडो मामलो हुवो ।
६ रामचंद सुरतांणोत । संमत १६५७रा मिगसर सुदि १२ जन्म । सं० १६७० केलावैरो पटो दे, साथ सांमो जाय घणा आदर कर
आंणियो । चीतोड़ रांणा सागररै वास थो। सं० १६७८ ब्रहांनपुरथा ... छाड़नै राव रतनरै वास वसियो । सं० १६८० वळे मनाय नै ... पाछो प्रांणन केलावैरो पटो दियो । सं० १६६१ वळे छाड बैठो। .
I जव सम्वत् १६६२में गुजरातसे (मारवाड़को) आनेकी आज्ञा मिली तब २५ गांवोंके साथ भाद्राजुन पट्टे में दिया था। 2 फिर सम्वत् १६६४में भाद्राजुनका पट्टा जन्त करके पहलेका पट्टा ही बहाल रखा। 3 पीछे सम्वत् १६६८में श्री हजूर (महाराजा)की चाकरीमें गय।। 4 सुरताणजीके मुहते केसेको गोयंददासजीने अपने रावलेमें रख लिया तब (सुरताण) दक्षिणको छोड़ कर पा गया। 5 तब (सुरताण) केसाको मार कर आ गया । 6 तव गोयंददासजीने (सुरतारणको) धरती (जागीरी)में से निकाल दिया, तब नागोर में राना सागरके यहां जा वसा (यहां नागोर भूलसे लिखा है, चित्तौड़ होना चाहिये)। 7 भांउंडा .... गांव बसीमें दिया था। 8 परस्पर झगड़ा हुअा। 9 ये। 10 सम्वत् १६६६ जेठ शु० ८ : . को भाउंडा गांवमें लड़ाई हुई। II सुरतःणके हाथसे नरसिंहदास, सूरसिंह और सुंदरदास ... काम आये। 12 सुरतारण भी काम आया। 13. बड़ी लड़ाई हुई। 14 सम्बत् १६७० : कैलावेका पट्टा देकर और कई आदमियोंके साथ सामने जाकर बड़े अादरसे उसको लिवा लाये। 15 सम्वत् १६७८ बुरहानपुरसे (को) छोड़ कर राव रतनकी सेवामें रहा। 16 सम्वत् १६८० में' . फिर मना करके वापिस लाये और केलावेका पट्टा कर दिया। 17 सम्बत् १६६१ पुनः . छोड़ कर बैठ गया।
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मुंहता नैणसीरी ख्यात
[ १५६
1
चाकरी न करे । तरै केलावौ १ वसीनूं दियो' । पछै राव सत्रसालरै वसियो यो । पछे काबलनूं जातां रा || किसोरदास गोपळदासोतरै चाकर मारियो ।
७ किसनसिंघ रामचंदोत ।
८ भारमल ।
७ भगवानदास रामचंदोत | जूढ पटै 1
७ विसनसिंघ रामचंदोत |
3
७ करन रामचंद्रोत । श्रीजीर वास । विमळोखो पटै ।
७ सो रामचंदोत |
६ अजळदास सुरतांणोत । संमत १६७० विकूंकोहर -सुरतांणजीरा पटारो गांवां १७सूं दियो । पछै सं० १६७८ राव रतनरै वास वसियो । सं० १६८० वळै पाछो प्रांण विकंकोहररो पटो दे राखियो । सं० १६६० फळोधीरै थांणै राखियो थो । बलोचे गायां लीवी, तठे वाहर आपड़ कांम आयो ।
७ महेसदास श्रचळदासोत । सं० १६९० विकूंकोहर गांवां १५सूं दियो । सं० १७१४ उजेण कांम आयो ।
८किसोरदास महेसदासोत । विकूंकोहर, मतोड़ो पटै । ७ जगतसिंघ अचळदासोत | थबूकड़ो पटै ।
७ केसरीसिंघ चळदासोत । संमत १६९० डाभड़ी प्रोईसांरी पटै । सुंदरदासरे वैर सोढां मारियो' ।
७ सुंदरदास सुरतांणोत । जोधपुर मेवरो पटै । पछे लवेरारी सांडां सोदै ली, तठे वाहर प्रापड़ सोढांसूं वेढ हुई, कांम आयो ।
1 तब कैलावा बसी में कर दिया । 2 जूढ गांव पट्टे में 1 3 श्रीमहाराजाजीकी सेवा में और विमलोखा गांव पट्टों में । 4 सम्वत् १६७० में सुरतारणजी के पट्टेका विकूंकोहर १७ गांवोंके साथ दे दिया 1 5 बलोच लोग गायें घेर कर ले गये, वहां उनका पीछा करके काम आ गया । 6 विको और मतोड़ा गांव पट्ट े में | 7 सम्वत् १६६० में ईसांका डाभड़ी गांव पट्टे में 'सुंदरदासकी शत्रुता में सोढोंने इसे मारा | 8 जोधपुरका मेवरा गांव पट्टे में । जव लवेरेको सांढ़ें (सांडुनियाँ ऊंटनियाँ) सोढोंने घेर लीं, तब बाहर करके सोढोंको पकड़ा और उनसे लड़ाई हुई, सुंदरदास उस लड़ाई में काम आ गया ।
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१६० ]
मुंहता नैणसीरी ख्यात
७ हरीदास सुरतांणोत । संमत १६७५ मैहकर रांमरी मुंहम रांम कह्यो' ।
६ रुघनाथ सुरतांणोत । संमत १६८० मेवरो पटै । पछे संमत १६६१ चमूं पटै थी । पछै अमरसिंघजी साथै गया था, संमत १६६५ पाछा प्रणिया । चमूं नै साथांणो मेड़तारो, जेसलां फळोधीरी दिया था । संमत १६६६ डांवर पटै दी थी । पछे संमत १७०४ देसरी खिजमत दी। संमत १७१४ उजेणरी वेढ पूरै लोहे पड़ियो, पैले उपाड़ियो । पछै श्रीजी घणो आदर कर वडो पटो रु० ८००० ) रेख लवेरो घणां गांवांसूं । भोवाळ वधारे दी" ।
4
७ भींक रुघनाथोत । श्रीजीरै वास ।
६ मुकंददास सुरतांणोत । संमत १६७१ गोपीसरियो, वारणाऊ पटै । संमत १६८८ नागड़ी खींवसररी । संमत १६९३ वींझवाड़ियो पटै ।
७ उदैभांण ।
५ साढूंळ मानावत । संमत १६४० लवेरारी वासणी थीं । संमत १६४० राज्ञाजी साथै गुजरात, सोरसूं बळ मुंवो' ।
४ पतो नींबारो | नींबाजी पछै पतो ठाकुर हुवो ।
५ भोपतपतावत । वसी नींबाजीरी सगळी भोपतजीरै हीज रही पर्छ विखा मांहै गूढा ऊपर रांणाजीरो साथ आयो तठै कांम प्रायो' । ६ ईसरदास भोपतोत । संमत १६४० लवेरारी वासणी गंगा
I सम्वत १६७५में महकर में रामकी मुहिम (युद्ध) में काम आया । -2 सम्वत १६६५ पीछा बुलवाया । 3 मेड़ते परगने के चामू और साथारणा और फलोवी परगनेका जेसलां गांव पट्ट मे दिये थे । 4 सम्वत् १७१४में उज्जैन की लड़ाई में पूर्ण आहत हुआ शत्र उसे उठा ले गये। 5 पीछे महाराजाने बड़े सम्मान के साथ रु. ८०००) की रेखका कई गावोंक साथ लवेराका वड़ा पट्टा कर दिया और अतिरिक्तमें भोवाल गांव दिया । 6 मम्वत्
खींवसरका नागड़ी गांव और
१६४० में राजाजीके साथ मे
१६७१ में गोपीसरिया और वारणाऊ गांव, सम्वत् १६८८ में सम्वत् १६९३मे वींभवाड़िया पट्ट में दिये गये । 7 संम्वत • गुजरात गया था और वहां वारूदसे जल कर मर गया । 8 नींवाके मरनेके बाद पता ठाकुर ( जागीरदार) हुआ । 9 नींबाजीकी सव बसी भोपतजीके ही अधिकार में रही । विखेमें जब राणाजीका साथ उसके गुढ़े पर चढ कर ग्राया उसमें भोपतं काम या गया ।
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४ किस
मुंहता नैणसीरी ख्यात
[ १६१ वाळो थी। संमत १६५८ भोवादो, ढीकाई दोवी। सिवाणैरो गढ़
हवाल । ...७ मनोहरदास । ७ वरसिंघ । ७ नरसिंघदास। ७ गोपाळदास । ७ अखैराज ।
७ लिखमीदास । उजेण काम आयो । ७ सांवळदास । ६ जगमाल भोपतोत । दिखण में राम कह्यो । ६ कान्ह भोपतोंत । गोयंददासजीरै वास । साथै काम आयो । ४ किसनो नींबारो। फळोधी राव मालदेजीरै काम आयो ।
४ रिणमल नींबारो। जोधपुर गढरोहै राव चंद्रसेणर रांमप्रोळ भिळी तठे काम आयो ।
___५ माधो रिणमलोत । संमत १६६५ राजगियावास सोझतरो पटै। सुरतांणजीरै वास । अचळदास साथै काम आयो ।
५ वाघ रिणमलोत ।
६ लिखमीदास वाघोत । .... ४ गांगो नींबारो। राव चंद्रसेणरै विखैमें जोधपुर गढरी प्रोळ
हाथो दे काम आयो । ...... . ५ कलो गांगावत । संमत १६४० मढली लवेरारी थी। संमत
.. १६४१ रोहणवो, लवेरारी वासणी थी । .....६ हरीदास कलावत । संमत १६७१ वेठवासरो पांनो प्रथीराजरा चाकर थकानूं । सं० १६८६ हyडियो पटै । संमत १६८७ छाड
सम्वत् १६४० में लवेराकी बासणी और गंगावाळी गांव पट्ट में थे। सम्वत् १६५८ में भोवादी और ढीकाई गांव दिये गये और सिवानेका किला हवाले किया गया। 2 लिखमीदास उज्जैनमें काम आया। .3 दक्षिणमें मरा। 4 गोयंददासके यहां चाकरीमें और उसके साथ काम आया। 5 जोधपुरके गढ़ पर राव चंद्रसेनके गढरोहे (गढके द्वार में शत्रु सेनाका प्रवेश रोकने के लिये एवं गढकी रक्षार्थ गढके द्वार पर नियुक्त चुने हुए वीरोंकी सैनिक टुकड़ी) की लड़ाईमें जब गढकी रामपौल पर शत्रु ओंका अधिकार हो गया, उसकी रक्षार्थ लड़ाईमें यह काम प्राया। 6 राव चंद्रसेनके विखेमें जोधपुर गढकी पौलमें हाथा देकर काम आया। 7 सम्वत् १६४० में लवेराका मढली गांव पट्ट में था। सम्वत् १६४१ में रोहणवा और लवेराका बासणी गांव पट्ट में थे। 8 सम्वत् १६७१ में वेठवास गांवका एक भाग पृथ्वीराजका चाकर होते हुए उसके पट्टे में था। ..
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१६२ ]
मुंहता नैणसीरी ख्यात
अचलदास सुरतांणोतरै वसियो । पछे अचळदास साथै कांम प्रायो ।
७ जसवंत हरीदासोत ।
६ माधोदास कलावत । ६ जगनाथ कलावत ।
६ सांवळदास कलावत ।
६ प्रागदास कलावत । गोयंददासजी साथै कांम आयो, अजमेर। ४ मूळो नींवारो । राव मालदेजीरै कांम ग्रायो, जेसळमेरो साथ आयो तद" |
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४ भोजराज नींबारो । छाकियो थको पेट मार मुंवो ।
३ परवत आणंदोत ।
४ तिलोकसी परबतोत । मेडतै रा || देईदास जैतावत साथै कांम आयो । राव मालदेवजीरो चाकर ।
५ वोघ तिलोकसीयोत ।
६ रामचंद वाघावत । संमत १६६७ रांमावट पटै थो । पछे छाडनँ' भाटी ग्रचळदासरै वास रह्यो थो, ग्रचळदास साथै कांम आयो !
६ नरसिंघ वाघावत ।
६ लाडखांन वाघावत ।
६ लिखमीदास वाघावत 1
५ महरावण तिलोकसीरो ।
६ नेतसी, ग्रचळदास साथै कांम ग्रायो ।.
७ दयाळदास |
५ जैमल तिलोकसीरो। मोटै राजाजी र चाकर थो । लोहावटरी वेद कांम आयो ।
५. राघोदास तिलोकसीरो । ५ सांईदास तिलोकसीरो । ३ दूदो आणंदरो।
४ संघराज दारो |
५. नारदास । संमत १६५२ सरनावडो पटै
मेरी लड़ाई गोवंददास के साथ काम प्राया । 2 जैसलमेरकी सेना ग्राई त मानदेवजी के लिये कान आया । 3 नशेमें पेटमें कटारी मार कर मर गया 4 छोड़ कर 5 मपत् १६५२ सरनावड़ा गांव पट्ट में था
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मुंहता नैणसीरी ख्यात
[ १६३ . ६ कलो नारणदासोत ।
३ पीथों आणंदोत । राव मालदेवरै चाकर । मेड़तै रा॥ देईदास
जैतावत सोथै कांम आयो । - ४ रायसिंघ पीथावत । संमत १६४० चांपासर दियो थो।
सं० १६४३ नापावस सोझतरो । पछै बांधड़ो पट।
५ केसोदास रायसिंघोत । बांधड़ो पटै ।
६ माधोदास केसोदासोत । संवत १६७२ रूदियो पटै । पर्छ अमरसिंघजी साथै गयो। पछे वळै रह्यो। रूदियो पटै । संमत १७१४ उजेण काम आयो ।
७ जगनाथ माधोदासोत । . . ६ वीठळदास केसोदासोत । रूदियो पटै । चाकर पोहरै ऊभो थो,
तिण पांतरै मारियो । ...
५ करमसी रायसिंघोत । रूदियो पटै। अजमेर गोयंददासजी साथै काम प्रायो।
६ प्रागदास करमसीयोत । संमत १६८२ जालेली बेऊ थी, पछै ..फळोधीरो छीलो दियो ।
४ सांकर पीथावत । राव चंद्रसेणरै विखैमें भाद्राजण गयो, तठे काम आयो ।
४ रतनो पीथावत । मोटे राजारै फळोधी भाटी भांनीदास
मारियो, तिण वेढ काम आयो । ..
५ अमरो रतनावत । गुजरात काम आयो ।
. 1 सम्वत् १६४० में चांपासर गांव पट्टे में दिया था। सम्वत् १६४३ सोजत परगनेका नापावस गांव और बादमें बांधड़ा गांव पट्ट में दिये गये थे ! 2 सम्वत् १६७२ में रूदिया गांव पट्टे में था । फिर वह अमरसिंहजीके साथ चला गया (तो रूदिया नहीं रहा। लेकिन जब वह फिर आकर रहा तो रूदिया वापिस पट्ट में दे दिया। सम्वत् १७१४में उज्जनमें काम 'आया। 3 पहरे पर चाकरके खड़े होनेके भ्रमसे इसे मार दिया। 4 सम्वत् १६८२ दोनों जालेली गांव और फिर फलोधी परगनेका छीला गांव, पट्ट में दिये थे। 5 राव चंद्रसेनके विखेमें भाद्राजुन गया था वहां काम आया। 6 मोटे राजाने फलोधीमें भाटी भानीदासको . मारा उस लड़ाई में यह काम आया। 7 गुजरातकी लड़ाई में काम आया।
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१६४ ]
मुंहता नैणसीरी ख्यात ५ सुंदरदास । ५ सूरदास ।
४ जैतसी पीथावत । संमत १६५६ सोझत राव सकतसिंघनूं हुई .. तद विसनदासजीरा डेरां ऊपर सकतसिंघरै साथ रातीवाहो दियो तरै .. कांम आयो ।
५ मोहणदास जैतसीरो । संमत १६८३ बांधड़ो पटै । २ जोधो जेसावत ।
३ रांमो। ३ नारण । ३ दुजण । ३ आसो। ३ भोजो। . ३ पंचाइण।
रांमो जोधावत, प्रांक ३ । राव मालदे गांव १५ सूं वालरवो पटै दियो हुतो । पूछणे माहै हुतो, पछै रा।। जैसा भैरवदासोतनूं भांगेसररा थांणा ऊपर मेलियो तरै साथै विदा कियो हुतो', तठै रामो पूरै लोहड़े पड़ियो, उपाड़ियो हुतो, पछ डेरै आयां काळ कियो । ... ४ किसनो रांमावत । ४ रांणो रांमावत । ४ ऊदो रामावत । ४ वीरमदे रामावत ।
किसनो रामावत । मोटा रोजारो चाकर थो। अांक ४ । रामो कांम आयो तरै राव वालरवो वीरमदे रामावत दियो, तरै किसनो छाड़ वीकानेर गयो । पछै मोटै राजानूं फळोधी हुई तरै मोटा राजा ..... कनै आयो । पछै मोटो राजा समावळी गयो, तरै साथै हुतो' । पर्छ । मोटा राजानूं जोधपुर हुवो तद धरती मांहै आयो । .
५ कांन किसनावत । मोटे राजा कुंडळ मांहै भाटियांसं वेढ की ... तद पूरै लोहडै पड़ियो । पछै समावळी साथै हुतो । पछै संमत १६४०
__I सम्वत् १६५६ में राव सकसिंहको सोजतका पट्टा दिया गया तव विसनदासके :: ढेरों पर सकतसिंहके साथने रात्रि-प्राक्क्रमण किया तब काम आया। 2 राव मालदेवने १५ गांवोंके साथ बालरवाका पट्टा दिया था। 3 जब वह पूछरणे गावमें था उस समय जब राव... जसा भरवदासोतको भांगेसरके त्याने पर भेजा था तब इसको भी उसके साथ भेज दिया था। .
दहां रामा पूर्ण पाहत होकर गिर गया, उठा कर ले जाया गया और डेरे पर आते ही मर गया। 5 तय किसना छोड़ कर बीकानेर चला गया। 6 फिर जब मोटा राजाको फलोधी मिली तब वह उनके पास आ गया। 7 फिर जब मोटा राजा समावलीको गये तव भी साथ था। 8 फिर जब मोटा राजाको जोधपुर मिल गया तब वह देशमें (मारवाड़में) पाया । ... " गोटे राजाने कुंडसमें भाटियों से लड़ाई की तब खूब घायल हो कर गिर गया।
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मुंहता नैणसोरी ख्यात
[ १६५ जोधपुर श्रावता था, भावी डेरो हुवो, तद गांव ४सू वालरवो, कूड़ी दिया । गढ़ ऊपर रैहता । संमत १६६६ रांम कह्यो । .... ६ हरदास कानावत । सं० १६६६सू वालरवैरो पटो गांव ७सूं बरकरार । सं० १६८९ जोधपुर गढ़ ऊपर था तागीर कियो तद अमरसिंघजी साथै गयो । संमत १६६६ काबलथा फिर आवतां वळे वालरवो दियो । गढ़ ऊपर किलेदार कर राखियो ।
७ वीठलदास हरदासोत । संमत १६९३में मोखेरी पटै । संमत १६८७ सावरीज गांवां सूं । संमत १६६१ अमरसिंघजी साथै गयो। संमत १६६५ वळे पालो आयो । चोहड़ां, मुंडवाय पटै दिया ।
८ जगनाथ । ८ जैतमाल। ८ जेसो। ७ मोहणदास हरदासोत । ८ राजसिंघ । ८ उदैसिंघ । ८ आसो । ८ प्रथीराज । ७ मुकंददास हरदासोत । ८ रामसिंघ। ७ सकतसिंघ हरदासोत । ८ दूदो। ८ संत्रसाल । ७ डूंगरसी हरदासोत ।
६ देईदास कानावत । संमत १६५६ सोझत सकतसिंघजीनूं हुई, तद भाटी सुरतांण रावळे साथ जाय सोझत घेरी थी । तद किसनसिंघजीनूं तेड़ण देईदास सुरतांणजी मेलियो थो । सु सुरतांणजी
: I इसके बाद वह समावलीमें मोटे राजाके साथमें था। जब वहांसे जोधपुर पा रहे थे, मार्गमें भावी गांवमें डरा हुआ उस समय चार गांवोंके साथ बालरवा और कूड़ी गांव पट्टे में दिये। (मोटे राजाके साथ) गढ़ ऊपर ही रहता था। सम्वत् १६६६में मरा। 2 सम्वत १६६६से ७ गांवोंके साथ बालरवेका पट्टा कायम । 3 सम्वत् १६८६में जव (मोटे राजा द्वारा) जोधपुरके गढ़ परसे जन्तीका हुक्म हुआ तो अमरसिंहके साथ चला गया। 4 सम्वत् १६६६में काबुलसे पाने पर फिर बालरवा दिया । 5 गढ़ पर किलेदार बना कर रखा। 6 दो गांवोंके साथ सम्वत् १६८७में सावरीजका पट्टा । 7 चोहड़ां और मुंडवाय गांव पट्टी में दिये। 8 सम्वत् १६५६में सोजत नगर सकतसिंहजीको इनायत हुअा उस समय भाटी सुर- . ताणने और महाराजाकी सेनाने जाकर सोजतको घेर लिया था। 9 तब सुरताणने किशनसिंहजीको बुलाने के लिये देवीदासको भेजा था।
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१६६ ]
मुंहता नैणसीरी ख्यात जांणियो किसनसिंघ पाली छै । न किसनसिंघजीरै सांहणी लालो वास ... थो । सु लालैरै वैर रा।। भाखरसी सादूळोतसूं थो, तिण ऊपर वालीसांरी धरतीमें रहतो । तठे गांव जाय झूबियो ; तठे वेढ हुई । सु भाटी देईदोसनै सांहणी लालो मेहावत काम आया। नै उरजन, ऊहड़, .. नै भीवो साहणी किसनसिंघजीनूं ले नीसरिया ।
७ करन देईदासोत । संमत १६७२ हीरादेसर, रामावट पटै, लिखमीदास भेळो ।
७ लिखमीदास देईदासोत । संमत १६७२ हीरादेसर, रामावट पटै, करन भेळो। पछै संमत १६८३ तांबड़ियो पटै' । पछै छाड्नै.. भींव कल्याणदासोतरै वसियो ।
८ नाथो लिखमीदासोत । संमत १६६० नादियो पटै । संमत १६६१ अमरसिंघजी साथै गयो। पछै संमत १६६६ वळे वसियो । काठसी पटै'।
६ विहारीदास नाथावत । ८ भोपत लिखमीदासोत । ८ अखैराज लिखमीदासोत ।
७ दयाळदास देईदासोत । संमत १६८० वरजांगसर फळोधीरो पटै10 ।
८ सहसो दयाळदासोत ।
५ सूरजमल किसनावत । मोटै राजाजीरै लोहावटरी वेढ काम आयो ।
I सुरताणने जाना था कि किशनसिंह पाली में है। 2 और किशनसिंहके यहां साहनी लाला रहता था । 3 लालाकी राव भाखरसी सादुलोतसे शत्रुता थी, इसलिये वह इसकी ताकमें बालीसोंकी भूमि में रहता था। 4 उसने उसके गावमें जाकर उत्पात मचाया और वहां लड़ाई हुई। 5 भाटी देवीदास और साहनी लाला मेहावत इस लड़ाईमें काम आये। और .... अर्जुन, कहड़ और भीमा साहणी किशनसिंहको लेकर निकल गये। 6 सम्वत् १६७२में हीरादेसर और रामावट. दोनों गांव लिखमीदासके शामिल पट्टमें। 7 सम्वत् १६७२में हीरादेसर और रामावट करणके साथ पट्ट में । लिखमीदासको सम्बत् १६८३में तांवड़िया गांव अलग पट्टे में मिला । 8 फिर छोड़ कर भीम कल्याणदासोतके यहां जाकर रह गया। 9 सम्वत् . १६९६में पुन: प्राकर बसा तव काठसी गांव पट्ट में मिला। 10 सम्वत् १६८०में फलोधीका वरजांगसर गांव पट्टे में | II मोटे राजाजीके लिये लोहावटकी लड़ाई में काम पाया ।
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UU)
. मुंहता नैणसीरी ख्यात
[ १६७ ५ गोयंददास किसनावत । संमत १६४० ढीकाई पटै । संमत १६४६ भगतावासणी। संमत. १६५७ अांनावस पटै'।
६ मनोहरदास गोयंददास जीवतां हीज अजमेर गोयंददासजी साथै काम आयो । . ७ कुंभो मनोहरदासोत । संमत १६८८ अांनावस थो । पछै अमरसिंघजी साथै गयो थो, पाछो आयो तद नांदियो पटै दियो ।
८ ........ 'नांदियो पटै। ८ अखैराज । ८ रतन । ८ मेघराज । ७ भांण मनोहरदासोत, उजेण काम आयो। ८ पतो। ८ द्वारकादास ।
५ गांगो किसनावत । संमत १६४३ अांनावस पटै । संमत १६५७ दिखण काम आयो ।
५ तोगो किसनावत । ४ वीरमदे रामावत, वालरवो पटै।।
५ रायसिंघ वीरमदेप्रोत । राव चंद्रसेनरै विखा माहै भाद्राजण .... थो, तद रा।। वैरसल प्रथीराजोत, गोपाळदास मांडणोत, ऊहड़, जैमल . इणां च्यारां ठाकुरांनूं सोबत लूटण मेलिया थो, तठे काम आयो ।
६ केसोदास रायसिंघोत । संमत १६४० चोपड़ो पटै । पछै चांमं पटै । पछै छाड्नै किसनसिंघजीरै वसियो । पछै वळे पायो । संमत १६७४ कराड़ी पटै दीवी । पछै सं० १६७५ भंवरांणी गांव ४सू
___I सम्वत् १६४० में ढीकाई गांव, सम्वत् १६४६में भगतावासणी गांव और सम्बत् १६५७में आनावस पट्ट में मिले । 2 मनोहरदास गोयंददासके जीते-जी ही अजमेर चला गया
और गोयंददासके साथ काम आया । (मूल पाठ-'मनोहरदास गोयंददासोत । अजमेर गोयंददासजी साथै काम प्रायो' एक जीर्ण प्रतिमें ऐसा पाठ प्रतीत होता है ।) 3 सम्वत् १६८८में यानावस पट्टेमें था। 4 सम्वत् १६५७में दक्षिणकी लड़ाईमें काम आया। 5 रायसिंह राव चंद्रसेनके विखेमें भाद्राजुन डेरेमें साथमें था, तब राव वैरसल पृथ्वीगजोत, गोपालदास मांडणोत, ऊहड़ और जैमल-इन चारों ठाकुरोंको घोड़ोंके काफिलेको लूटनेके लिये भेजा था। इस लड़ाई में रायसिंह भी काम आया। 6 पीछे छोड़ कर के किशनसिंहजीके यहां रह गया । 7 फिर वापिस आया तब सम्वत् १६७४में कराड़ी गांव पट्टे में दिया।
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१६८ ]
मुंहता नैणसीरी ख्यात दी थी'। संमत १६८० धाधोळाव पटै मेड़तारो । संमत १६८३ रांम कह्यो ।
७ वेणीदास केसोदासोत । संमत १६९१ छाड़ अमरसिंघजी साथै . गयो । उठे काबलसूं प्रावतां अटकमें डूव मुंवो ।
८ राजसिंघ वेणीदासोत । ८ वींजो वेणीदासोत । ८ भैरवदास । ८ उगरो। ७ कलो केसोदासोत । ८ रुघनाथ । ७ अमरो केसोदासोत । संमत १६८३ मेड़तारो सीहार पटै । ८ भूधर ।
६ लूंणो रायसिंघोत। संमत १६५६ किसनसिंघजीरै काम प्रायो। भाटी देईदास भेळो सांहणी लालारै दावै खेतसी साळोत ऊपर गयो, ... तठे सेपटावास गोढ़वाडरै गांव मामलो हुवो।
६ रूपसी रायसिंघोत । ७ अचळो। ७ मोहणदास ।
५ भांनीदास वीरमदेयोत । राव चंद्रसेणरै वालर थो। थोरियांसूं मामलो हुवो तठे काम आयो ।
६ भाखरसी भांनीदासरो। चैराई पटै । संमत १६७७ बैरू पटै। ... संमत १६९३ अमरसिंघजीरै गयो, उठे हीज मुंवो ।
७ जगनाथ भाखरसीयोत । संमत १६६५ गोलाहसनी (गोलावासणी) थाहरी पटै ।
..
___I फिर बाद में सम्वत् १६७५में ४ गांवोंके साथ भवराणी. पट्टेमें दिया गया था। 2 सम्वत् १६८०में मेड़ते परगनेका धाघोलाव पट्टेमें दिया गया । 3 सम्वत् १६८३में मर ... गया। 4 सम्वत् १६६१में छोड़ कर अमरसिंहजीके साथ कावुल चला गया और वहांसे लौटते हुए अटक नदी में डूब कर मर गया। 5 सम्वत् १६८३में मेड़ते परगनेका सीहार गांव पट्टेमें था। 6 भाटी देवीदासके साथ साहनी लालाकी शत्रु ताका बदला लेनेके लिये खेतसी मादलोतके ऊपर चढ कर गया, तब गोढवाड़ परगनेके सेपटावास गांवमें लड़ाई हुई, (उसमें ... लूणा काम आया।) 7 राव चन्द्रसेनके साथ वालरवेमें था तब थोरी लोगोंसे लड़ाई. हुई उसमें काम आया। 8 सम्वत् १६६३में अमरसिंहजीके साथ गया और वहीं मर गया। 9 सम्वत् १६६५ गोलावासणी और थाहरी (?) गांव पट्टेमें। .
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मुंहता नैणसीरी ख्यात
[ १६६ ८ लखो जगनाथोत । . ७ अमरो भाखरसीयोत । ७ सादूळ भाखरसीयोत ।
८ सबळो। ८ भावसिंघ।
७ जैतमाल भाखरसीयोत । - ६ सांवळदास भांनीदासोत । संमत १६६१ त्रिगठी पटै दीवी थी। सं० १६६५ ब्रमावासणी दी थी। संमत १६६६ सांवत-कूवो' । संमत १६७० कंवर श्री गजसिंघजी भा।। गोयंददोसजी कुंभळमेर लियो तट रांणारै साथसू वेढ हुई, तठै काम आयो । __७ वाघ सांवळदासोत । संमत १६७० त्रिगंठी पटै थी।
६ नरहरंदास भांनीदासोत । संमत १६६३ भांहरो पटै । सं० १६७३ चांवड़ियाख सोझतरो पटै । सं० १६७४ बोळ सोझतरी पटै । सं० १६८१ जूढ पटै । सं० १६८४ गढी काम आयो । भगवानदासजी भेळो।
७ रामचंद नरहरदासोत । संमत १६८४ जूढ बरकरार । सं० . १६६१ अमरसिंघजी साथै गयो ।
८ करन रामचंदोत । ७ रुघनाथ नरहरदासोत । ७ करमचंद नरहरदासोत ।
५ ईसरदास वीरमदेश्रोत । राव चंद्रसेण सोबत ऊपर साथ विदा कियो, तठै रायसिंघ भेळो काम प्रायो' ।
५ भगवानदास वीरमदेयोत । राव चंद्रसेण विखा. . . . 'था प्रायो, सवराड़ वेद की तठे काम प्रायो' ।
1 सम्बत् १६६१में विगठी गांव पट्ट में दिया था, सम्वत् १६६५ में ब्रह्मावासणी और सम्वत् १६६६में सांवत-कूत्रा पट्ट में दिये थे। 2 सम्वत् १६८० में कुंवर गजसिंहजी और भाटी गोयंददासजीने कुंभलमेर पर अधिकार किया, वहां राणाकी सेनासे लड़ाई हुई उसमें " काम प्राया। 3 सम्वत् १६६३में भोहरा गांव, सम्वत् १६७३में मोजत परगनेका चांवडियाख गांव, सम्वत् १६७४में सोजत परगनेका बोळ गांव और सम्बत् १६८१में जूह गांव पड़े में थे। सम्बत् १६८४में गढी में भगवानदासके साथ काम प्राया। 5 सम्बत् १६८४में जट कायम । सम्बत् १६६१में अमरसिंहजीके, साथ गया। 6 गय चंद्रसेनने वोटोंके काफिले
को लटने के लिये जो यादमी भेजे थे, उनमें रायसिंहके साथ पाम प्राया। 7 राव चंद्रमनले ' विरो.... साया उससे सवराड़ गांव में लड़ाईकी, जिसमें काम प्राया।
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१७० ]
मुंहता नैणसीरी ख्यात जसवंत वीरमदेप्रोत । संमत १६४० चैराई दीनी । वीरमरो टीकाई, पण जगूंत भलो रजपूत । संमत १६८६ राम कह्यो तद उतरी'।
६ पीथो जसूंतोतनूं चैराईमें हैंसो १ जतूंत भेळो । संमत १६७७ ब्रहांनपुरथा निबाब दिखण गयो तठे राहमें दिखणियांतूं मामलो हुवो, .. तठे काम प्रायो, बांण लागो ।
६ मनोहरदास जतूंतोत । संमत १६८३ चैराईमें हैंसो १ जसूंत भेळो । संमत १६६० रांम कह्यो ।
७ देईदास मनोहरदासोत । संमत १६६५ भाखरी, उदीवस पटै। .. ७ उरजन मनोहरदासोत । ६ भोपत जसूंतोत । ७ लिखमीदास । ७ वीको ।
६ सूजो जसूंतोत। सं० १६पर भींगांणो पटै। सं० १६८८ वैराई पटै थी
७ रामसिंध । ७ स्यामसिंघ । ६ भोजराज जतूंतोत । संमत १६७२ सबळसिंघ राजावतरै रह्यो । ७ मुकंददास । ५ सकतो वीरमदेप्रोत । संमत १६४१ पांचलो गांवां सूं पटै'। ६ माधोदास । . ७ संहसो। ६ मांडण । ६ दयाळदास । ७ मांनसिंघ। ६ मेघराज।
I सम्बत् १६४०में चैराई गांवका पट्टा दिया। जसवंत अच्छा राजपूत और वीरमका उत्तराधिकारी (टीकायत) । सम्वत् १६८६में मरा तब चैराई जन्त हुई । 2 पीथा जसवंतोतको चैराईका एक भाग जसवंतके साथ । सम्वत् १६७७में बुरहानपुरसे नवाव दक्षिणमें गया, वहां मार्गमें दक्षिणियोंसे लड़ाई हुई, उसमें पीथाके वाण लगा और वह मर गया। 3 सम्वत् १६८३में जसवंतके साथ एक हिस्सा चराई गांवका । संवत् १६६० में मरा । 4 सम्वत् १६६५ भाखरी और उदीवस गांव पट्ट में। 5 संवत् १६७० वींगाणा गांव और सम्वत् १६८८में वैराई गांव पट्ट में थे। 6 सम्वत १६७२ सवळसिंह राजावतके यहां रहा। 7 सम्वत् । १६४१में दो गांवोंके साथ पांचला गांव पट्टे में।
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मुंहता नैणसीरो ख्यात [ १७१ ७ सुंदरदास ।
५ पिरागदास वीरमदेवोत । सं० १६४० खूटलो लवैरारो पटै । पछै वदळे सोयलो दियो थो। पछै छाडनै बूंदी राव भोजरै वसियो । पछै उठ हीज परणियो थो। सासरै गयो थो; उठे उणारे वैरायतां मारियो।
६ मनोहरदास पिरागदासोत । किसनगढ रैहतो। ६ वीठलदास प्रागदासोत-। किसनगढ रैहतो । ५ राघोदास वीरमदेवोत ।। ६ जैतसी । संमत १६६८ चंडाळियो अोयसांरो पटै । ७ सबळो। ७ रामसिंघ। ४ रांणो रामावत ।
५ पतो रांणावत । संमत १६४० ढीकाई पटै । पछै खुडियाळो पटै । सं० १६६० सांवत-कूवो। सं० १६६३ मांडवारी वेढ काम आयो ।
६ कुंभो पतावत । संमत १६६३ खुडियाळो पटै थो। सं० १६७१ ... अजमेर गोयंददासजी साथै काम आयो ।
७ जगनाथ । ६ नाथो पतावत । संमत १६७२ खुडियाळो पटै । ६ द्वारकादास पतावत । संमत १६८१ खुडियाळो पटै ।
६ रुघनाथ पतावत। .. ५ सुरतांण रांणावत । संमत १६४० उदीवस बहेलवारो पटै ।
६ भींव सुरतांणोत, वडो रजपूत थो। किसनसिंघजी घणी मया कीवी। साथै काम पायो' ।
1 संवत १६४०में लवेराका खूटला गांव पट्ट में । फिर इसके बदले में सोयला गांव दिया था। पीछे छोड़ कर वूदीके राव भोजके यहां रहा और वहीं विवाह किया। ससुराल गया था, जहां उनके (बू'दी वालोंके) शत्रुओंने उसे मार दिया। 2 किशनगढ रहता था। 3 सम्वत् . १६६८में प्रोयसोंका चंडालिया गांव पट्ट में। 4 संवत् १६४० में ढीकाई गांव पट्टे में । बादमें खुडियाला गांव भी पट्ट में दिया । संवत् १६६०में सांवत-कुप्रा दिया गया । संवत्
१६६३ मांडवाकी लड़ाईमें काम आया । 5 सम्वत् १६७१में अजमेरमें गोयंददासजीके साथ । काम आया। 6. संवत् १६४० में बहेलवाका उदीवस गांव पट्ट में । 7 भीम सुरताणोत बड़ा.
राजपूत था । किशनसिंहजीने उस पर बड़ी कृपा की। उन्हींके साथ काम आया । .
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१७२ ]
मुंहता नैणसीरी ख्यात ७ सुंदरदास भींवोत । ७ रामसिंघ भींवोत ।
६ हींगोळदास सुरतांणोत । संमत १६५१ गांघड़वास पटै । ईडरथा आंणियो। सं० १६५८ वडलो, प्राचीणो दियो थो। पछै राम कह्यो।
६ माधोदास सुरतांणोत । ७ हरीदास माधोदासोत, किसनगढ़ रेहतो ।
५ पूरो रांणावत । मांडणजीरै वास थो। संमत १६४३ मांडणजीनूं अासोप पातसाहजी दीवी। देसमें पाया, तद कमरसोतांसूं वेढ हुई, त? काम आयो । ___बळिकरन पूरावत । संमत १६६४ चिनड़ी आसोपरी पटै । . पछै उदैसिंघ भगवानदासोत मेड़तियारै वसियो ।
५ ठाकुरसी रांणावत । सं० १६– रोहणवो अोईसांरो पटै । पछै चंगावड़ो पटै दियो । पछ दिखणनूं रांम कह्यो ।
५ मेदो रांणावत । संमत १६४० बैराही माहै वरजांगरो पांनो . थो, सु दियो । सं० १६४२ बुखटो ओईसांरो दियो। संमत १६५१ . चंडाळियो दियो।
६ जोगीदास मेदावत । संमत १६७४ चांगावड़ो पटै । पछै संमत १६७७ इंछापुररी दोड़ ब्रहानपुरथा निवाब दोड़ियो तठे काम आयो, . वांण लागो'।
1. इसे ईडरसे बुला लिया। संवत् १६५१में गांघड़वास गांव पट्टे में दिया । संवत् १६५८में वड़ला और प्राचीणा गांव दिये गये। पीछे मर गया। 2 यह मांडणजीके यहां नौकर था । सम्वत् १६४३में बादशाहने मांडणजीको पासोपका पट्टा इनायत किया। मांडणजी .. देश में (मारवाड़) आया तब करमसोतोंसे लड़ाई हुई, पूरा उसमें काम पाया। .. 3 - संवत् १६६४में आसोपका चिनड़ी गाँव पट्टेमें। पीछे मेड़तिया उदयसिंह भगवानदासोतके यहां बस. गया। 4 संवत् १६...' में अोइसका रोहणवा गांव पट्टे में। 5 फिर चंगावड़ा गांव पट्टे में दिया। पीछे दक्षिण में मर गया। 6 संवत् १६४०में वैराही गांवका जो भाग वर- .. जांगके पास था, वह इसे दिया। संवत् १६४२में अोइसोंका बुरवटा गांव और संवत् ।। १६५१में चंडालिया गांव दे दिया था। 7 सम्वत् १६७४ चंगावड़ा गांव पट्टे में । सम्वत् .. १६७७में जब इच्छापुरीकी लड़ाईमें बुरहानपुरसे नवाव चढ कर के गया जिसमें जोगीदास वारण - .. लगनेसे काम आया ।
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मुंहता नैणसीरी ख्यात
[ १७३
'५ गोपाळदास रांणावत । संमत १६६६ चंडाळियो पटै । ४ ऊदो रामावत । जोधपुररं गढरोहा मांहै रांम कह्यो । ५ खेतसी ऊदावत । कल्यांणदास रायमलोतरो चाकर थो । संमत १६४५ कल्यांणदासजी सिवांण कांम आया तद लोहड़े पड़ियो । पछै कांन किसानवत उपाड़ियो । साजो हुवो तद सं० १६४६ रावळै जाटवास पटै दियो ।
६ वीको खेतसीयोत । जाटीवास पटै ।
७ रामसिंघ वीकावत । संमत १६८६ प्रथीराज बलुवोत रैकांम आयो । पठांणरी वेढ चांबळ नदी ऊपर हुई तठै ।
3
७ करमसी वीकावत । जेसावस नै टीबडी पटै ।
७ सांवतसी वीकावत ।
७ धनराज वीकावत | जाटीवास पटै ।
६ वरसिंघ खेतसीयोत । संमत १६७१ भगतावासणी पटै । सं० १६८६ सीहारो मेड़तारो पटै ।
७ कूंभो वरसिंघो । ७ आसो वरसिंघोत |
६ सेखो खेतसीयोत । संमत १६८६ जोधड़ावास मेड़तारो पटै ।
७ महेस सेखावत । ७ रुघनाथ सेखावत ।
५ मांनसिंघ ऊदावत । खेतसीरा गूढा ऊपर तुरक आया तठे कांम ग्रायो' |
7
५ नरसिंघ ऊदावत । खेतसीरै गूढ कांम आयो, मांनसिंघ भेळो" । ३ नराइण जोधावत ।
४ कलो नारणोत ।
I जोधपुर के गढरोहे में मरा। 2 यह कल्याणदास रायमलोतका चाकर था । सम्वत् १६४५में कल्याणदासजी सिवाना में काम आगये उस समय यह (खेतसी) घायल हो गया था तब कान्ह किसनावत इसे उठा कर ले गया । जब स्वस्थ हुआ तब महाराजाने जाटीवास गांव पट्टे में दिया । 3 सम्वत् १६८६ में पृथ्वीराज बलुग्रोंतकी चंबल नदी के किनारेपर पठानोंसे लड़ाई हुई उसमें रामसिंह काम श्राया । 4 जैसावास और टीबड़ी गांव पट्टे । 5 सम्वत् १६७१ में भगतावासरणी गांव और सम्वत १६८६ में मेड़ते परगनेका सीहारा गांव पट्टेमें । 6. सम्वत् १६८६ मेड़ते परगनेका जोधड़ावास गांव पट्ट में। 7 खेतसीके गुढे पर तुर्क चढकर आये उसमें काम श्राया। 8 मानसिंहके साथ खेतसीके गुढे पर काम आया ।
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१७४
मुंहता नैणसीरी ख्यात ५ सांवळदास कलावत । कीझरी पोईसांरी पटै । सं० १६७१ . अजमेर गोयंददासजी कांम आया तद पूरै लोहड़े पड़ियो। पछै संमत १६८३ पूरबसूं प्रावतां राम कह्यो ।
६ मानसिंघ सांवळदासोत । ७ जसवंत । ७ लाडखांन । ७ वीको । ६ भोजराज सांवळदासोत । ६ नरसिंघदास सांवळदासोत । . ६ भोपत सांवळदासोत । ६ मुकंददास सांवळदासोत । । ४ मेहाजळ नारणोत, वीरांणी पटै ।
५ किसनो मेहोजळोत । वीरांणी पटै । संमत १६६२ मांडवांरी वेढ काम प्रायो।
७ नरहरदास । ३ बलू ।
५ कचरो मेहाजळोत । संवत १६५२ सूरजवासणी पटै । पर्छ, किसनसिंघजीरै वसियो। पछै संमत १६७२ वळे पाछो प्रायो, तद काभड़ो पटै दियो। पछै विकूकोहर पांणीरी तोण वेई माहोमांह बोलाचाली हुई तद भाटी अचळदास मारियो ।
६ प्रथीराज कचरावत । ६ मोहणदास । ६ मुकंददास कचरावत । ६ जोगीदास कचरावत। ६ अासो कचरावत । . ५ रामसिंघ मेहाजळोत । संमत १६६२ खारी लवेरारी पटै । ४ सारंग नारणोत । ५ नेतसी । ५ गोपो। ५ सकतो। ५ रिड़मल । ६ गोकळ । ६ किसनो । ३ दुजण जोधावत । राव मालदेजी नागोर लीवी तद कांम आयो।
..
1 ओईसांका कीझरी गांव पट्टे में । संवत् १६७१में अजमेर में जब गोयंददासजी काम आये तब यह पूर्ण घायल होकर गिर गया था। पीछे संवत् १६८३में पूर्वसे पाते हुए. मर गया। 2 मेहाजलको वीराणी गांव पट्टे में। 3 संवत् १६६२में मांडवोंकी लड़ाई में काम पाया। 4 संवत् १६५२में सूरजवासगी गांव पट्टेमें। पीछे किशनसिंहजीके यहां रहा । फिर संवत् १६७२में जव वापिस आगया तो काभड़ा गांव पट्टे में दिया। पीछे विकू कोहरमें पानी
और कुयां-चरसके लिये परस्पर विवाद हो गया तव भाटी अचलदासने कचराको मार दिया । 5 संवत १६६२में लवेराको खारी गांव पट्टे में। 6 राव मालदेवजीने नागोर पर अधिकार किया उस समय दुर्जन काम पाया ।
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मुंहता नैणसीरी ख्यात
[ १७५
४ नेतसी दुजणोत । राव रायसिंघ चंद्रसेणोत साथै सीरोही कांम
आयो ।
.५ कचरो नेतसीयोत । हरीसिंघ किसनसिंघोतरै वास' । ६. अमरो । ६ पीथो ।
३ प्रासो जोधावत । राव चंद्रसेणरा विखामें जोधपुर कांम आयो ।
४ डूंगरसी ग्रासावत । संमत १६४० बैराही आसारो पांनो थी । संमत १६५१ चांमूंरी वासणी पटै । पछे चांमूं दीवी । पछे चांपासर थो ।
५ सांवळदास डूंगरसीयोत । संमत १६४० मांणेवी पटै । पछे चांपासर दियो ।
दयाळदास । ६ मोहणदासः ।
५ गोयंद डूंगरसीयोत । संमत १६७३ चमूं पटै । संमत १७६५ वारणाऊ पटै ।
•
६ रायमल गोयंददासोत । संमत १६६१ चांमूं उतरी ने गांव में वसता सु ऊंठ चढ रवणिये कांम गया था, सु मेहवचो देईदास पतावत बारोटियो थो सु पांचला कनासूं सांढ छवीस लीवी, सु रायमल चढियो तो थो सु वाहर दोड़ियो, वेढ हुई तठे कांम आयो । ७ हरीदास रायमलोत ।
६ रामचंद गोयंददासोत |
६ सादूळ गोयंदोत ।
.
कचरा नेतसीश्रोतका हरिसिंह किशनसिंहोत के यहां बास | 2 राव चंद्रसेन के • विखामें जोधपुर में काम आया । 3 सम्वत् १६४० में बैराही गांवका प्रासाका पाना (भाग) इसको मिला हुआ था । संवत् १६५९ में चामूं की बासणी गांव पट्ट में था । फिर चामू गांव दिया गया और उसके बाद चांपासर भी दिया गया था । 4 संवत् १६४० में मारणेवी गांव पट्टे में, बादमें चांपासर दिया गया । ऽ सम्वत् १६७३ में चामू गांव और संवत् १६५५में वारणाऊ पट्टे में दिये गये । 6 संवत् १६६१ में चामूं जब्त हो गया और गांवमें रहता था । एक बार किसी कामके लिये ऊंट पर चढकर रवरिणये गांवको गया था। मेहवचा देवीदास पतावत लुटेरा हो गया था । उसने पांचला गांव के पाससे छब्बीस सांड़नियां घेर लीं। रायमल अपने ऊंट पर चढा हुआ आ रहा था, वह देवीदासके पीछे वाहर दौड़ा । देवीदाससे लड़ाई हुई, रायमल उसमें काम आया ।
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१७६ ]
मुंहता नैणसोरी ख्यात ६ सांगो गोयंदोत।
४ हमीर पासावत । मोटा राजाजीरै फळोधीरी वेढ भाटियां मामलै काम आयो ।
५. मेघराज हमीरोत । संमत १६४६ खेतासर पटै दियो। संमत १६५२ गुजरात पधारतां कोळियांसूं वेढ हुई तटै काम प्रायो।
५ केसोदास हमीरोत । मेघराज पछै खेतासर पटै । संमत १९५४ उतरियो ।
६ नरहरदास केसोदासोत । ४ रतनसी आसावत । ५ ठाकुरसी रतनसीयोत । मेड़तियांरै काम आयो । ५ वाघ रतनसीयोत । ३ भोजराज वाघोत । ६ हरीदास वाघोत ।
५ सिंघ रतनसीयोत । रा।। दासा पातलोतरो दोहीतो। राड़धडै ... दासाजीरै काम आयो ।
६ सादूळ सिंघोत । ६ कान्हो । ६ मनोहर । रूपसी ! ५ सांईदास रतनसीयोत । . . ६ नारणदास सांईदास रो । चां{ पटै । ६ मैहरांवण सांईदासोत । हरदास भाटीरै काम आयो । ६ भांण सांईदासोत । ६ मांनो सांईदासोत । ... ६ महेस सांईदासोत। . .. ४ जैमल आसावत । जोधपुर गढ आसा साथै काम आयो। ... ४ जोगो आसावत । जोधपुर गढ आसा साथै काम आयो। . ५ वेणीदास जोगावत ।
I मोटे राजाजीकी फलोधी में भाटियोंसे जो लड़ाई हुई उसमें काम आया। 2 संवत् १६४६में खेतासर गांव पट्टे दिया। संवत् १६५२में (महाराजाकी) गुजरातको पधारते हुए .. कोली लोगोंसे लड़ाई हुई उसमें मेघराज काम आया। 3 मेघराजके मरनेके बाद केशोदासको . . खेतासर गांव पट्टेमें मिला जो संवत् १६५४में जब्त हो गया। 4 मेड़तिया राठौड़ोंके लिये। काम आया। 5 रतनसीका वेटा सिंह, राव दासा . पातलोतका दोहिता । दासाजीके लिये . . राइधरामें काम आया। 6 जोधपुरके गढ़ पर आसाके साथ काम पाया ।
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' मुंहता नैणसीरी ख्यात
[ १७७ ४ धनो आसावत । राव मालदेजीरै फळोधी काम आयो।
३ भोजो जोधावत । संमत १६०० सईके सूर पातसाह आयो तद जोधपुर गढरी प्रोळ हाथो दे तुरकांसू विढ मुंशो' ।
४ वैरसल भोजावत । ५ गोपाळदास वैरसलोत। संमत १६६६ बूटेळाव सोझतरो पटै । ६ राघोदास । महेसदास दलपतोतरै वास थो। ४ वीरो भोजावत। • ५ देईदास वीरावत । ४ राजधर भोजावत । ५ पतो राजधररो। ६ केसोदास पतावत । ५ कल्याणदास राजधररो। वीकानेररै देस । ३ पंचाइण जोधावत । वडी वेढ काम आयो ।
४ जगमाल पंचाइणोत । राव मालदेवजी फळोधीरै साथसू वेढ हुई तद काम आयो।
५ केसोदास जगमालोत । द्वारकादास मेड़तियैरै वास । ३. मालो जोधावत । ४ अांबो मालावत । झरी वेढ कांम आयो' । ५ कान्हो प्रांबावत। ६ भंगवांन । ७ सुंदर। ७ वरजांग। ७ जोधो । ६ करन कान्हावत । ७ वरसिंघ । ७ अमरो। ६ बलू कान्हावत ।
I सम्वत् १६०० शतीमें सूर वादशाह चढ़ कर आया तब जोधपुर किलेकी पोल पर अपने हाथका चिहृ देकर तुर्कोसे लड़ कर मरा। 2 संवत् १६६६में सोजत परगनेका बूटेलाव गांव पट्टे में। 3 राजघरके बेटे कल्याणदासका बीकानेरके देश में निवास। 4 बडी लड़ाईमें
काम आया। 5 राव मालदेवजीकी फलोधीके साथसे लड़ाई हुई उसमें जगमाल काम पाया। ... 6 द्वारकादास मेड़तियाके यहां निवास (नौकर)। 7 झझूकी लड़ाईमें काम आया।
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१७८ ]
मुंहता नेणसोरी ख्यात ४ बछो मालारो। ५ भाखरसी ४ नाथू मालारो । झरी वेढ कांम आयो। ५ हरराज। ५ वीको। ४ रतनसी मालारो। ५ ईसर। ५ भीवराज । ६ पूरो। ६ हदो। .
२ भैरवदास जेसावत । राव सूजाजी धवळेरो सोझतरो भैरवदासनूं दियो थो, सु धवळेरै वसता'। नैं सूरमालण रावजीरो चाकर थो, तिणनूं चोपड़ो पटै थो। सु सीव ऊपर उपाव हुवो, वेढ हुई त, सूरमालण भैरवदासनूं मारियो । पछै सूरमालण नासनै राणाजीरी: ... धरतीमें गयो । पछै भैरवदासरै वैर आणंद जेसावत जेसळमेर था साथ लेने आयनै अोहलांणी इंद्रवड़े सूर मारियो ।
भैरवदासरा बेटा३ सूरो। ३ अचळो। ३ देदो। ३ वरजांग।
करमेतीबाई भैरवदासरी रा।। मेहराज अखैराजोंतनूं परणाई तिणरै पेटरों कूपोजी मेहराजोत ।
३ सूरो भैरवदासोत । . ४ डूंगरसी सूरावत।।
५ हरदास डूंगरसीयोत । वडो रजपूत । राठोड़ भोजराज मालदेअोतरै वास । पछै भोजराजजी ने तुरके वेढ हुई, तठै हरदास काम आयो ।
1 राव सूजाजीने सोजत परगनेका धवलेरा गांव भैरवदासको पट्टे में दिया था, अतः : भैरवदास धवलेरेमें रहता था। 2 और रावजीका चाकर सूरमालण. जिसको चौपड़ा गांव .. : पट्टे में था । सीमा ऊपर झगड़ा हुआ और लड़ाई हो गई जिसमें सूरमालगने भैरवदासको मार ... दिया। 3 सूरमालण भाग कर के राणाजीकी धरती में (मेवाड़ में) चला गया। 4 पीछे भैरवदासकी इस शत्रुताका बदला लेनेके लिये जैसलमेरसे आनंद जैसावतने अपने साथियोंके . साथ आ कर अोहलाणी और इन्द्रवड़ा गांवोंके पास सूरमालणको मार दिया। 5 करमेतीवाई भैरवदासकी बेटी, राव मेहराज अखराजोतको व्याही, जिसकी कोखसे कूपाजी मेहराजोत .. पैदा हुआ। 6 फिर भोजराजजी और तुर्कोके आपसमें लड़ाई हुई उसमें हरदास काम आया।
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मुंहता नैणसीरी ख्यात
[ १७६ ६ ईसरदास हरदासोत । पैहली मोटै राजारो चाकर। मांणेवी जोधपुररी पटै । पछै मांणकळाव दियो । वडो रजपूत हुवो' ।
७ कुंभो ईसरदासोत । देवराजांरो भाणेज । संमत १६८० सांवड़ाऊ, काळियाठड़ो पटै । संमत १६८८ देसमें राम कह्यो ।
८ राम कुंभावत। सं० १६८८ सांवड़ाऊ गांव २सूं वरकरार, ईसरदासजी भेळो हीज थो। पछै संमत १६६४ जुदो पटो करायो सं० १६९७ मांणकळावझू विसांइण रांमपुरै जुदो वसियो ।
६ केसरीसिंघ। ९ जैसिंघ । ८ स्यांम कुंभावत । ६ नारणदास। ७ लखमण ईसरदासोत । ५ सांवळदास डूंगरसीयोत । बहेळवांरो सतावतांरो-वास थो । ६ नरहरदास सांवळदासोत । संमत १६६७ कांगळ पटै थी। ६ बलू सांवळदासोत । संमत १६७० गीघालो पटै । ६ जैतो सांवळदासोत । संमत १६७२ अांबलो पटै । ६ नारणदास सांवळदासोत । राजसिंघजीरै वास। ईडवै रैहतो । ६ भोजराज सांवळदासोत । ५ मांनो डूंगरसीयोत । ६ सुरतांण मानावत। ६ भोपत मांनावत । ५ ऊदो डूंगरसीयोत ।
६ सहँसो ऊदावत । - ७ भोपत सहँसावत । ७ सुंदर सहँसावत । ७ भांण सहँसावत ।
७ रांणों सहँसावत।
I ईशरदास बड़ा राजपूत हुआ । वह पहले मोटे राजाका चाकर था । जोधपुर परगनेका माणेवी गांव पट्ट में था और पीछे मारणकलाव गांव भी दिया। 2 कुंभा देवराजोतोंका भानजा । संवत् १६८०में सांवड़ाऊ और कालियाठड़ा गांव पट्टे में । सम्वत् १६८८में देशमें मरा । 3 कायम । 4 शामिल । 5 सम्वत् १६९७में मारणकलावसे बिसांइण और रामपुरेमें अलग बस गया। 6 बहेलदों वाला 'सत्तावतारो-बास' गांव पट्ट में था। 7 सम्वत् १६६७में कांगल गांव पट्टे में था। 8 सम्वत् १६७० गीघाला गांव पट्टे में था। 9 सम्वत् १६७२में प्रांवला गांव पट्ट में। 10 राजसिंहजीके यहां नौकर, ईडवे गांवमें रहता था।
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१८० ]
मुंहता नैणसीरी ख्यात ४ सांकर सूरावत । वडो रजपूत राव मालदेवरो' । सांकररै हवाले अजमेररो गढ थो । पछै सूर पातसाह आयो तद काम आयो । जोधपुर में गढ ऊपर छत्री छ पाज ऊपर छत्री तीन छै
१ भाटी सांकर सूरावतरी। १ तिलोकसी वरजांगोतरी ।
१ अचळे सिवराजोतरी। ५ हमीर सांकरोत । फळोधी मोटै राजाजीर भाटियारी वेढ कांम आयो।
६ गोयंददास हमीरोत । वूटेची पटै।।
७ धनराज गोयंददासोत । वूटेची, भालेसरियो पटै । सं० १६४० रांमड़ावास पटै'।
८ रासो धनराजोत । संमत १६६२ वोड़ानड़ो पटै । ७ कचरो गोयंददासोता ८ मुकंद। ७ नरसिंघ गोयंददासोत । घीघाळियो पटै'। ७ लिखमीदास गोयंददासोत । ८ दयाळदास लिखमीदासोत । उजेण काम आयो। ६ सगतो। ८ दलपत लिखमीदासोत ।।
६ कान्हो हमीरोत । संमत १६४१ सूरांणी पटै । संमत १६४२ • प्राकडावस पालीरो पटै । पछै वोड़वी थी । कान्हो नाथा धायं भाईरो जमाई1 ।
__1 राव मालदेवका बड़ा राजपूत । 2. अजमेरका गढ शंकरको सुपुर्द किया हुआ था। 3 पीछे तूर वादशाह चढ कराया तव काम आ गया। 4 जोधपुरके गढ़ में इसकी छतरी .. (स्मारक) बनी हुई है। 5 पाजके पर तीन छतरिय बनी हुई हैं। 6 बटेची गांव पट्ट में... 7 बूटेची और भालेसरिया गांव पट्ट में । संवत् १६४०में रामड़ावास पट्टे में। 8 सम्वत् १६९२में वोडानड़ा (वोहानाडा) पट्टे में। 9 घीघालिया गांव पट्टेमें। 10 सम्वत् १६४१में मृराणी गांव और संवत् १६४२में पाली परंगनेका पाकड़ावास गांव पट्टे में । फिर वोड़वी .... गांव भी पट्टे में था। कान्हा, नाथा धाभाईका दामाद । .
१६४१में
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मुंहता नैणसीरी ख्यात
[ १८१
७ पीथो कांन्हावत । बोडवी, सांवतकुवो पटै थो। पछे राज
सिंघजी र वसियो' ।
७ दूदो कांन्हावत ।
६ कमो हमीरोत ।
५ वैरसल सांकरोत | मोटै राजाजी फळोधी, लोहावट वेढ काम आयो ।
३ प्रचळ भैरूदासोत । रांणारै चीतोड़ चाकर हुतो । गांव १४० तांणो पटै हुतो । नै वसी सोझतरै चोपड़ै हुती । तठे रामदास मालणरो बाप जेसैजी मारियो हुतो, तिण दावै अचळानूं रामदास प्रादमियां हसूं चोपड़े मार गयो ।
४ संसारचंद अचळावत । रा ।। मांडण कूंपावतरे वास थो । संमत १६२४ रा ।। पतो नगावत रांणाजीरो गांव झूठाड़ियो मारियो', तद मांडणजी रांणाजीरै वास था, सु मांडणजीरा पटारा गांवां आगे पतो नीसरियो; तद रांणजी मांडणजीनूं कहाड़ियो' - "आपणा गांव मारने पतो थांहरै आगे हुय नीसरियो नै थे मूंबिया नहीं" " । हिमै थे पिण जाय एक गांव मारो " ।" तरै मांडणजी चावळो भाद्राजणरो मारियो " । सु चावळामें प्रभो सांखलो रैहतो, तिणसूं वेढ हुई त संसारचंद ही कांम आयो ।
0
1
2
५ सांवळदास संसारचंदरो। सांखलां संसारचंदनूं मारियो, तिण वैरमें सांवळदासनूं सांखलां बेटी परणाई, वैर भागो" । तिण सांखली रै वोड़वी और सांवतकूवा गांव पट्टे में थे । पीछे राजसिंहजी के यहां रह गया ।
13
2 चित्तौड़ में राणाजीका चाकर था । 3 १४० गांवोंके साथ तारणा गांव पट्टेमें था । 4 श्रौर सोजत परगने के चौपड़ा गांव में उसकी बसी थी। 5 जहां रामदास के बाप मालरणको जैसाजीने मार दिया था। 6 उस शत्रुता के बदले में रामदास, अचलाको ६ आदमियोंके साथ चौपड़ा गांव में मार कर चला गया । 7 सम्वत् १६२४ में पत्ता नगावतने राणाजीका झूठाड़िय। गांव लूट लिया। 8 मांडणजीके पट्टे के गांवोंके ग्रागे ( पास में ) हो कर पत्ता निकला | 9 कहलवाया । 10 अपने गांवों को लूट कर के पत्ता तुम्हारे आगे होकर निकल गया और तुम उससे लड़े नहीं । II अब तुम भी जाकर उसका एक गांव लूट लो । 12 तब मांडर जीने _भाद्राजुन के पट्टेके चावला गांवको लूट लिया । 13 सांखलोंने संसारचंदको मारा, उस शत्रुताको मिटाने के लिये सांखलोंने संसारचदके वेट सांवलदासको अपनी बेटी व्याह दी, शत्रु ता मिट गई ।
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१८२]
मुंहता नैणसीरी ख्यात बेटो धनराज । संमत १६४० छडांणी पटै । पछै संमत १६४६ सांवरला दियो' । संमत १६६२ गुजरात दांतीवाड़ारा कोळियांसू वेढ हुई तठे काम आयो।
६ धनराज सांवळदासोत । संमत १६५८ कुंपावस सिवांणारो .. मनोहरदास कलावत भेळो। सं० १६६३ सांवरला दियो । पछै ... कीटणोद दीवी । संमत १६६२ झांवर दीवी । संमत १६६५ कीटणोद दियो ।
७ रूपसी। ७ करन । ७ प्रथीराज । पीढी तीन दीवांणरै वास रह्या -
१ जैसो। २ भैरवदास । ३ अचळो। ४ संसारचंद मांडणजीरै वास ।
भाटी सांवळदास संसारचंदोत, वैरसी रायमलोत, ईसरदास रायमलोत, कलो रायमलोत ऐ च्यारै ही मोटा राजारै वास आया, तरै नोळ उवेड़ो दरबार आवतां आयो । तरै राव नींबो महेसोत सवणी थो, तिण कह्यो- "थे जोधपुर घणो दिन चाकरी रहसो । थांसू प्रोळ कदै छूट नहीं। नै वैरसी नै सांवळदास दूजा पण ठाकुर, मोटा राजार बैटारै काम प्रावस्यो " ...
६ नरसिंघदास सांवळदासोत । संमत १६६२ कूपावस मनोहरदास भेळो । सं० १६६७ भुडहड़ सिवांणारी पटै। संमत १६८४ दहीपड़ो पटै । पछै राजसिंघ खींवावतरै वसियो। सं० १६७७ वाला
I उस सांखलीका बेटा धनराज, जिसे सम्बत् १६४० में छडाणी गांव और सम्वत् १६४ में सांवरला गांव पट्टेमें दिये थे। 2 संवत् १६६२में गुजरातमें दांतीवाड़ाके कोलियोंसे लड़ाई हुई वहां काम पाया। 3 संवत् १६५८में मनोहरदास कलावतके साथ सिवाना परगनेका ... कूपावस गांव पट्टेमें। संवत् १६६३में सांवरला गांव दिया और फिर कीटगोद दिया। संवत् १६६२में झंवर गांव और सम्बत् १६९५में कीटगोद गांव पुन: पट्ट में दिये। 4 तीन ... पीढी तक दीवान (राणा) की चाकरी में रहे। 5 तब दरवार में आते हुएको नेवला आड़ा पाया । 6 तब राव नींबा महेशोत जो शकुनी धा, उसने कहा- "तुम जोधपुर बहुत दिन तक .::: चायारी में रहोगे। तुमसे पोल पर पहरा देनेकी चाकरी कभी छूटेगी नहीं। और वैरसी और सांवलदास तथा दूसरे ठाकुर भी मोटा राजाके वेटोंकी सेवामें काम प्रावोगे ।" 7 संवत् ..." १६६२में पावसका पट्टा मनोहरदासके सम्मिलित । सम्वत् १६६७में सिवाना परगनेका.. भुइहड़ गांव और सम्बत् १६८४ दहीपड़ा गांव पट्टेमें। ........
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मुंहता नैणसीरी ख्यात
पुररी मुंहम लोत लागी तिणसूं खोड़ावतो' ।
७ रामचंद नरसिंघदासोत । संमत १६८६ दहीपड़ो पटै । ७ रासो नरसिंघदासरो । ७ बलीराम नरसिंघदासोत । ८ हरीदास रामचंदोत । लाडखांन । महेस । ७ मुकुंददास नरसिंघोत ।
६ प्रागदास सांवळदासोत । संमत १६७२ मोकळनड़ी पटै । संमत १६७९ बालां सोतरी पटै । संमत १६८२ सूरपुरो, मोकळनड़ी सिवांणारी पटै । सं० १६९२ अमरसिंघजीरै गयो । पछे संमत १६६६ वळै पाछो आयो । सांमरला नैं भुडहड़ पटै ।
७ भींव प्रागदासोत । संमत १६६१ अमरसिंघजीरै गयो थो । पाछो आयो । सांमरला नै भुडहड़ पटै ।
1
रतनसी भींवोत । उजेण कांम आयो ।
लखमीदास |
६ हरीसिंघ रतनसीयोत ।
गोयंददास ।
७ सबळसिंघ प्रागदासोत । सूरपुरो, मोकळनड़ी पटै' ।
७ सूजो प्रागदासोत । संमत १७१६ कीटणोद पटै ।
[ १८३
७ दूदो प्रागदासोत | तांबड़ियो पटै ।
७ केसोदास प्रागदासोत । कूंपावस पटै । कूंडांणै गढ ढोवो हुवो, तद भलो हुवो, पोकरणरो कोट राखियो
८ सुंदरदास ।
वेणीदास ।
0
।
कुंभो ।
1 पीछे राजसिंह खींवावत के यहां वस गया । सम्वत् १६७७ में बालापुरकी मुहिम में लात लग गई जिससे लंगड़ाता हुग्रा चलता था । 2 सम्वत् १६७२ में मोकलनड़ी गांव, सम्वत् - १६७९ में सोजत परगनेका बालां गांव और सम्वत् १६८२ में सिवाना परगने के सूरपुरा ग्रौर मोकलनड़ी गांव पट्टेमें | 3 सम्वत् १६६२ अमरसिंहजीके यहां चला गया । 4 सम्वत् १६६६ में वापिस आ गया । 5 सांमरला और भुडहड़ गांव पट्टे में | 6 सम्वत् १६९१में अमरसिंहजीके यहां चला गया था, किन्तु वापिस आ गया । सांमरला और भुडहड़ गांव पट्टे में | 7 सूरपुरा और मोकलनड़ी गांव पट्टे में 8 सम्वत् १७१६ कीटगोद गांव पट्टे में | 9 तांवड़िया गांव पट्टे में । 10 कूं पावस गांव पट्टे में। कूडाणे गढ पर आक्रमण हुआ तब यह शुभचिंतक रहा, पोकररण के कोटको बचा लिया ।
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9
१८४ ] . मुंहता नैणसीरी ख्यात
७ आसो प्रागदासोत। ७ विहारी प्रागदासोत । ६ वीठळदास सांवळदासोत अांधो थो। ७ नाथो।
५ कलो संसारचंदरो। मांडणजीरै वास थो, पछै रावळ वसियो । संमत १६४३ कुंपावस सिवांणारो गांवां सूं दियो। पछे संमत १६५७. . दिखणमें अहमदनगरमें मुंवो।
६ मनोहरदास कलावत । सं० १६५७ कूपावस धनराज भेळो.. दियो । पछै सं० १६६३ नरसिंघदास भेळो। संमत १६६७ माधोदास : भेळो ।
६ माधोदास कलावत। संमत १६६७ कुंपावस मनोहरदास भेळो। पछै रामदास भेळो ।
७ उदैसिंघ । ८ महेसदास । ६ महेसदोस कलावत । ७ नाथो।
५ कचरो संसारचंदरो। वडो रजपूत। मांडणजीरै वास। पूरबमें कांम आयो। ___६ सादूळ कचरावत । रा।। खींवाजीरै वास थो। पछै राजसिंघजीर वास ।
७ मोहणदास । ६ सुरजन कचरोवत । राजसिंघजीरैसूं छाड़नै भावसिंघ काना
___I विट्ठलदास सांवलदासोत अंधा था। 2 पहिले मांडणजीके यहां रहा था फिर जोधपुर महाराजाके यहां रहा। सम्वत् १६४३में सिवाना परगनेका कूपावस गांव अन्य दो गांवोंके साथ पट्टी में दिया था। फिर संवत् १६५७में अहमदनगर, दक्षिणमें मरगया। 3 संवत् १६५७ में कूपावस गांवको धनराजके शामिल, सम्बत् १६६३में नरसिंहदासके शामिल और : संवत् १६६७में माधोदानके शामिल पट्टेमें दिया था। 4 संवत् १६६७में कू पावस गांव मनोहरदासके दामिल और फिर रामदासके शामिल । 5 बड़ा वीर राजपूत । मांडणजीके यहां नौकर । पूर्वमें काम पाया। 6 राव खीवाजीके पास पहले रहा था, फिर राजसिंहजीके. यहां रहा ।
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मुंहता नैणसीरी ख्यात
[ १८५ वतरै रयो। पछै रावळ वसियो। सं० १६६० मलाररी पाडरी पटै दीवी' ।
७ बळू सुरजनोत । संमत १६६१ मलार पटै । ...... ७ गिरधरदास सुरजनोत । मलार पटै ।
... ६ भोपत कचरावत । राजसिंघजीरै वास ।
६ उरजन कचरावत । ७ खेतसी। ४ संसारचंद अचळावत । ४ रायमल अचळावत ।
५ वैरसी रायमलोत । लालांणो सिवांणारो पटै । पछै जाजीवाळ पटै । सं० १६५८ दिखणमें अांबाररी लड़ाई बांण लागो ।
६ जोगीदास वैरसीयोत । सं० १६५८ जाजीवाळ वरकरार । पछै छाडनै राणाजीरै गयो । सं० १६६४ वळे आयो, तद जाजीवाळ दीवी । सं० १६७८ रांम कह्यो । भलो चींधड़ थो ।
७ हरीदास जोगीदासोत । सं० १६५८ जाजीवाळ पटै । संमत .१६६२ रांम कह्यो ।
८ रुघनाथ । ७ चुतरभुज जोगीदासोत । मेहळी सिवांणारी पटै । ८ मोहणदास चुतरभुजोत । ८ लिखमीदास । ६ गिरधरदास ।
७ सांमदास जोगीदासोत । सं० १६६२ जाजीवाळ पट'। ___... ८ रतनसी।
राजसिंहजीके यहांसे छोड़ करके भावसिंह कान्हावतके यहां रहा । फिर महाराजाके यहां रहा । संवत् १६९०में मलारका पाडरी गांव पट्ट में दिया। 2 संवत् १६९१में मलार
गांव पट्ट में । 3 सिवाना परगनेका लालाणा गांव पट्ट में और फिर जाजीवाल गांव पट्टे में ।
सम्वत १६५८में दक्षिणमें आवारकी लड़ाई में बारण लगा। 4 सम्वत् १६५८में जाजीवाल :-" गांव पट्ट में कायम रहा। फिर छोड़ कर राणाजीके यहां चला गया। सम्वत् १६६४में वापिस
आया तब जाजीवाल गांव पुनः पट्ट में दिया। सम्वत् १६७८में मर गया। यह अफीमची पर • अच्छा. राजपूत था। 5 सम्वत् १६५८में जाजीवाल गांव पट्टे में। संवत् १६६२में मरा। 6 सिंवाना परगनेका मेहली गांव पट्टे में। 7 संवत् १६६२में जाजीवाल पट्टेमें ।
-
...
7
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१८६ ]
मुंहता नैणसीरी ख्यात ५ ईसरदास रायमलोत । वडो रजपूत । कामरो माणस । राव .. रायसिंघ चंद्रसेणोत साथै सीरोही पूरै लोहड़े पड़ियो । पर्छ करमसेनजीरै वसियो। चांदो खीची करमसेन मारियो, तद रांणारै वास थको मांहैसूं ईसरदास बरछीरी दीवी । पछै सं० १७६१ गोयंददासजी . मारांणा, तद छाडियो । रावळे वसियो। गांव ४सू वीठू दीवी। पछै वळे छाडियो ।
६ सवळसिंघ ईसरदासोत । ६ आसकरण ईसरदासोत । ६ नारणदास ईसरदासोत । ७ मनोहरदास ।
५ भांण रायमलोत । पूरणमल मांडणोतरै वास । संमत १६४० पूरणमलजी साथै सीरोही काम आयो ।
६ अमरो भांणोत । रांमड़ावास जोधपुररो पटै। दिखणमें रांम
कह्यो।
७ तेजमाल अमरावत। संमत १६७८ सांवतकूवो पटै । संमत . १६८९ भाहरो पटै । सं० १६६० खारी लवेरारी पटै' । ..
५ घड़सी रायमलोत । राव चंद्रसेणजीरै गूढो फुलाज थो, त? तुरक आया, तठे काम आयो ।
६ महेस घड़सीरो। संमत १६"वीनावास पीपाड़रो पटै । सं० . १६७२ पांचपदरो भाद्राजणरो दियोथो। पछै करमसेनजीरै गयो, उठ ... रांम कह्यो ।
1 बड़ा वीर राजपूत और उपकारी मनुष्य । राव रायसिंह चंद्रसेपोतके साथमें सिरोहीकी लड़ाई में पूरा घायल हो कर गिरा। 2 फिर करमसेनजीके यहां जाकर रहा। .. फरमसेनने जव चांदा खीचीको मार दिया, तब राणाके यहां रहते थके ईशरदासने भीतरसे ।। फेंक कर बरछीकी मार दी। 3 पीछे संवत् १६७१में जव गोयंददासजी मारा गया तब छोड़ दिया। 4 फिर जोधपुर महाराजाके यहां रहा । महाराजाने ४ गांवोंके साथ वीठू गांव पट्ट में । दिया । 5 परन्तु फिर छोड़ दिया। 6 पूर्णमल मांडणोतके यहां नौकर । संवत् १६४० में पूर्णमलजीके साथ मिगेही में काम आया। 7 जोधपुर परगनेका रामडाबास गांव पट्टेमें। दक्षिणमें मंग। 8 संवत् १६७८में सांवतकुना गांव, संवत् १६८६ भाहरा गांव और संवत् .... १६६० में लयेराका सारी गांव पट्टे में दिये गये। 9 राव चंद्रसेनजीका गुढ़ा फुलाजमें था, वहां तुरु चढ कर पाये जब घड़सी वहां काम प्राया। 10 वहां गमशरण हुमा । .
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मुंहता नैणसीरी ख्यात
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७ दलपत । ७ नाथो ।
४ मेरो अचळावत । कूंपाजीरै वास । वडी वेढ कूंपाजी साथै कांम आयो' |
५ अखैराज मेरावत | मांडण कूंपावतरै वास | सीहो सींधळ मारियो त कांम प्रायो ।
६ . किसनदास अखैराजोत । सं० १६६४ पांचलो पटै । सं० १६६४ वीझवाड़ियो पटै बीलाड़ारो । सं० १६७२ वळे पांचलो दियो । पछे रांम क" ।
७ खेतसी किसनदासोत । सं० १६८० जेसावस मेड़तारो पटै । सं० १६८८ थाहरवसणी सोझतरी जगनाथ भेळी | सं० १६८६ छाछोळाई पटै । सं० १६६१ कमारो वाड़ो । पछै खांडप रा ।। सिंघ जैतमालोतनूं थी । सींव वेई उपाव हुवो, तठे मारांणो ।
हररांम ।
5
७ जगनाथ किसनदासोत । महेव आधी पटै । ७ कूंभो किसनदासोत ।
६ जोगो अखैराजोत । सं० १६४२ रावणियांणारी कणवार दी थी । संमत १६६४ पांचनड़ो सोझतरो पटै । सं० १६५२ महेव सोभतरी दीवी । भलो डील थो ।
७ जैतो जोगावत | भगवानदास नारणदासोत रै वास । लखो ।
रूपसी ।
I कूंपाजी का चाकर बड़ी लड़ाईमें कूंपाजी के साथ काम आया । 2 सिंघल सीहाको मारा तब अखैराज भी काम काया । 3 संवत् १६६४में पांचला और बिलाडेका वीझवाड़िया पट्टे में | सम्वत १६७२ फिर पांचला गांव दिया। फिर मर गया । 4 संवत् १६८० में मेड़ते परगनेका जैसावास, संवत् १६८८ में जगन्नाथ के शामिल में सोजत परगनेका थाहर-वासरणी गांव पट्टेमें, सम्वत् १६८६में छाछोलाई गांव, संवत् १६६१ में कमारो-वाड़ी गांव पट्टेमें थे । उस समय खांडप गांव रा। सिंह जैतमालोतको पट्टे में मिला हुआ था, उससे सीमा के लिये झगड़ा हुआ जिसमें खेतसी मारा गया। 5 महेव गांव जगन्नाथको आधा पट्ट े में । 6 जोगाको संवत् १६४२ में रावणियाणा गांवकी करणवारका काम दिया गया था । संवत् १६६४ सोजत परगने का पांचनड़ा गांव और सम्वत् १६५२ में सोजत परगनेका महेव गांव पट्ट में दिये गये थे । अच्छे परिवार वाला था ।
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मुंहता नैणसीरी ख्यात . ६ केसोदास अखैराजोत । सं० १६५० राय-कोहरियो लवेरारो... पटै।
७ रामदास केसोदासोत । सं० १६६४ हींगोळांरी-वासणी सोझतरी पटै । पछै सिंघावासणी ।। ८ रुघनाथ । ८ लमखण । ८ राघोदास ।
.... ७ मांनो केसोदासोत । सं० १६७३ उमरळाई सिवाणारी। सं० १६७६ लालांणो सिवांणारो पटें ।
८ जोध मानसिंघोत । ८ द्वारकादास । ८ स्यांमदास । ७ बलू केसोत । अमरसिंघजी साथै काम आयो । ___ नारणदास अखैराजोत । कांझरी प्रोयसांरी पटै । पर्छ महेव। सोझतरी पटै ।
७ भादो नारणदासोत । सूरांणी पटै । पछै महेव दीवी । संमत १६७१ अजमेर गोयंददास साथै काम आयो ।
८ उदैसिंघ भादावत । सं० १६७१ महेव पटै। ..." ६ मनोहरदास उदैसिंघोत । ८ आसकरण भादावत ।
७ माधोदास नारणदासोत । सं० १६७३ महेव आधी उदैसिंघ भेळी ।
८ मेघराज । ८ देईदास । ८ रतनसी। . ७ वीठळदास नारणदासोत । ८ नाहरखान । ५ गोपाळदास मेरावत । सं० १६४१ वाघावास सोझतरो पटै।।.
I सम्वत् १६५०में लवेराका राय-कोहरियो गांव पट्ट में था। 2 संवत् १६६४में सोजत परगनेका हींगोलारी-वासणी नामक गांव पट्ट में, फिर सिंहावासणी गांव दिया गया। 3 सम्वत् १६७३में सिवाना परगनेका जमरलाई गांव और संवत् १६७६में सिवाना परगनेका लालारणा गांव पट्ट में थे। 4 प्रोयसांकी जागीरीका कांझरी गांव और फिर सोजत परगनेका ... महेव पट्ट में। 5 भादोको सूराणी गांव पट्ट में और फिर महेव गांव दिया। सम्वत् १६७१में अजमेरमैं गोयंददासके साथ काम पाया । 6 सम्वत् १६७३में उदयसिंहके साथ महेव' गांव प्राधा।
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मुंहता नैणसीरी ख्यात
पछै राव मांडण कूंपावत सीहो मारियो तद कांम आयो ।
I
६ सूरजमल गोपाळदासोत । सं० १६६२ बंधड़ो पटै ७ केसोदास सूरजमलोत |
७ सुंदरदास सूरजमलोत । सं० १६८० इटावो मेड़तारो; भोजु
दौलतखान भेळो' ।
७ गोयंददास ।
८ आसो । ८. दलपत ।
७ रामसिंघ सूरजमलोत ।
६ पूरणमल गोपाळदासोत । ६. कांनो गोपाळदासोत ।
७ रांमदास ।
गोवरधन |
६ भगवानदास गोपाळदासोत ।
३ मेरै चळावत रा
४ जैतसी अचळावत ।
५ रतनसी जैतसीरो ।
[ १८६
६ सुरतांण रतनसीयोत ।
७ मेघराज । ७ सूरो । ७ सुंदरदास । ७ भोजराज ।
४ करमसी अचळावत ।
५ ठाकुरसी करमसीयोत ।
६ सहसो ठाकुरसीयोत । संमत १६५६ बुरवटो लवेरारो । सं० १६६७ मांडावरो मेड़तारो पटै ।
६ सिंघ ठाकुरसीयोत । सं० १६५६ मांडावरो मेड़तारो पटै । सं० ० १६६५ तिघरी पटै । सं० १६६६ मांणकियावास मेड़तारो पटै ।
I मेराके पुत्र गोपालदासको सोजत परगनेका वाघावास गांव पट्टे में । राव मांडण कूंपावत ने सीहाको मारा तब गोपालदास भी काम आया । 2 सुंदरदासको संवत् १६५० में भोजू दौलतखान के शामिल मेड़ते परगनेका इटावा गांव पट्टे में 13 अचलेके पुत्र मेरेका परिवार । 4 सहसाको सम्वत् १६५६ में लवेरेका बुरवटा गांव और सम्वत् १६६७में मेड़ते परगनेका मंडावरा गांव पट्टेमें । 5 सिंहको सम्वत् १६५६ में मेड़ते परगनेका मडावरा गांव, सम्वत् १६६५में तिघरी गांव धौर संवत् १६६६ में मेड़ते परगनेका माण कियावास गांव पट्टे में |
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१६० ]
मुंहता नैणसीरी ख्यात ५ हरराज करमसीरो। ६ सांईदास हरराजोत । ७ राघो। ७ रायसिंघ। ३ देदो भैरवदासोत । ४ वैणो देदावत । ५ सूजौ वैणावत । आसरानड़ो पटै । ६ नारणदास सूजावत । आसरानड़ो आधो, पछै साबतो पटै' । . ६ रामदास सूजावत । ५ मूळो वैणावत । ६ पतो मूळावत । आसरानड़ो अाधो पटै । ७ स्यांमदास । ७ नरसिंघ । ७ मुकंददास । ६ पंचाइण मूळावत । आसरानड़ो अाधो पटै । ४ पीथो देदावत । । ५ कचरो पीथावत । वैणीदास पूरणमलोतरै वास । ५ सांगो पीथावत । रा॥ लखमण नारणोतरै साथै काम आयो ।
३ वरजांग भैरूंदासोत । राव मालदेजी सूर पातसाह कनै एक ..... प्रोहत नै एक वरजांग दोनूं ही नूं परधान मे लिया था, सु पातसाह पकड़ बंदीखांनै दिया । पछै सूर पातसाह मुंवो जदी छ ट आया । भा।। वरजांग औरवदासोतनूं जोधपुररै वास वैराई, महेव पटै दी। वरजांगरो करायो बैराईमें 'तळाव वरजांगसर छ । कोहर १ वरजांगसर छै। . महेवमें जोगीरो पासण वरजांग करायो ।
___1 सूजे वैणावतको अासरानडो (ग्रासा-रो-नाडो ?) गांव पट्टे में। 2 नारायणदासको पहले आसरानडो अाधा और फिर सम्पूर्ण पट्ट में । 3 कचरा पीयावत, वैशीदास पूर्णमलोनके यह नौकर । 4 नारायणके बेटे रा।। लखमरणके साथ सांगा पीयावत काम आया। 5 राव .... मालदेवजीने सूर वादशाहके पास एक पुरोहितको और एक वरजांग, दोनों ही को अपनी ओरसे ... प्रधानके (प्रतिनिधिके) रूपमें भेजा था, लेकिन वादशाहने उन्हें पकड़ कर जेल में डाल दिया। जब सूर बादशाह मर गया तब वे छूट कर पाये। 6 बरजांग भैरवदासोतको, जब वह जोध- ... पुरमें चाकरीमें रहा तब बैराही और महेव गांव पट्ट में दिये । 7 वैराही गांवमें बरजांगके बनवाये हुए बरजांगसर नामका एक तालाव और वारजांगसर नामका ही एक कुंपा है। 8 महेब गांवमें वरजांगने एक जोगीका प्रासन वनवाया ।
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[ १६१
— मुंहता नैणसीरी ख्यात ...४ वीरमदे वरजांगोत । वागड़ में काम आयो।
५ लखो वीरमदेवोत । चौहवांणांरा वैर मारांणो' । ६ राजसिंघ लखावत । उजेण काम आयो । ७ अमरसिंघ । ७ जैतसी । ६ मानसिंघ लखावत । ७ करन मानसिंघोत । ६ गोयंददास लखावत । ७ नाथो, गोडै मारियो । ६ वीठळदास लखावत । ६ जगमाल लखावत । . ६ महेसदास लखावत, गोडै मारियो ।
४ भांनीदास वरजांगरो। वागड़ काम आयो । ५ सांवळदास । ५ विजो भांनीदासरो। ६ जैतसो वागड़ छै। ४ जगमाल वरजांगोत । ५ किसनो जगमालोत । ६ भगवान किसनावत । रा।। मांन खींवावतरै वास । ७ हरीदास भगवांनोत ।
५ रांम जगमालोत । . ६ राघोदास रांमोत । रा।। जसवंत सादूळोतरै वास" ।
७ राजसिंघ। ६ सूजो रामावत। ७ ईसरदास सूजावत । ८ पासो। ६ माधोदास । ७ सहसो सूजारो।
.. I चौहानोंकी शत्रुतामें मारा गया। 2 उज्जैनकी लड़ाईमें काम आया । 3 नायाको
गौड़ोंने मारा। 4 वागड़की लड़ाईमें काम आया । 5 जैतसी वागड़में रहता है। 6 भगवान किसनावत रा।। मान खींवावतका चाकर। 7 रामाका पुत्र राघोदारा सादुलके बेटे रा॥ जसवंतका चाकर।
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१९२ ]
मुंहता नैणसोरी ख्यात ८ सुंदरदास । ८ मानसिंघ । ८ रासो। ५ ठाकुरसी जगमालोत । संमत १६६४ भोवाद पटै । ६ कलो ठाकुरसीरो । ६ सुरतांण ठाकुरसीरो । ७ हरदास । ७ वीको। ७ तिलोकसी। ५ सूजो जगमालोत । ६ ईसरदास सूजावत । भाटी अचळदास सुरतांणोत मारियो गांव ___कांभड़े। ७ अखैराज ईसरदासोत। ८ मेघराज अखैराजोत । अचळदास सुरतांणोत साथै काम आयो । ६ सहसो सूजावत । ४ खींवो वरजांगोत, वागड़ काम प्रायो। .
४ गांगो वरजांगोत । कूपाजीरै वास थो। पछै सूर पातसाह कनै परधान कूपैजी मेलियो । पछै पातसाह सहरवांद थको हीज आप कनै राखियो थो । पछै वेढ हुई तद कूपाजी साथै काम आयो । गांगो,... कूपा मैहराजोतरो मावळियाई-भाई हुवो ।
५ वरजांग भैरूंदासोत । ४ भैरूंदास जेसावत । २ वणवोर जेसावत । खैरवो पटै ।
३ तेजसी वणवीरोत । राव मालदेजीरै वास । खैरवो पट। भांगेसररी वेढ राव मालदे की, तठे पूरै लोहडै पड़ियो, पछै उपाड़ियो। बाहतर वड-गूजरांवाळी फोजदार कर मेलियो हुतो ।
___I काभड़ा गांवमें भाटी अचलदास सुरतागोतने ईसरदास सूजावतको मार दिया। 2 वरजांगका वेटा खींवा वागड़की लड़ाईमें काम आया। 3 वरजांगका वेटा गांगा कूपाजीके यहां रहता था । कूपाजीने इसे अपना प्रधान (प्रतिनिधि) बना कर सूर वादशाहके पास भेजा। वादशाहने गांगाको शहरबंद करके (कैदीके रूपमें) अपने पास रख लिया था। जब लड़ाई हुई तव कूपाजीके साथ गांगा भी काम पा गया । गांगा, कूपा मेहराजोतका धर्म भाई (?). .. हुया था। 4 तेजसी वणवीरोतको राव मालदेवने बड़-गूजरोंवाली-बांहतर गांवमें फौजदार'... बना कर भेजा था। राव मालदेवने भांगेसरमें लड़ाई लड़ी उसमें तेजसी पूर्ण पाहत हो कर गिर गया और उठा कर ले जाया गया। राव मालदेव का यह नौकर था और खैरवा गांव इसको पट्ट में दिया गया था।
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___ मुंहता नैणसीरी ख्यात
[ १९३ ..... ४ कान्हो। भोजराज मालदेवोतरो चाकर । भोजराज साथै
कांम आयो। .. ५ प्रथीराज कान्हावत । सं० १६६७ बालो गूंदोचरो पटै । संमत
- १६७० अरटियो पीपाड़रो। पछै गोधावस दियो। संमत १६७१ - अजमेर भाटी गोयंददासजी साथै काम आयो।
६ सांकर प्रथीराजोत । संमत १६७२ अरटियो गांव २ सूं . वरकरार । संमत १६८४ पूनासर ।' संमत १६८७ सांवळतो। संमत १६६२ अमरसिंघजीरै गयो ।
६ दूदो प्रथीराजोत । ७ भींव. दूदावत । ७ केसरीसिंघ दूदावत । ६ जगनाथ प्रथीराजोत । ५ सिंघ कान्हावतः। ६ भोपत सिंघोत । ६ भोजराज सिंघोतः। ६ भांण सिंघोतं । ५ वाघ कान्हावत । कांन्ह साथै काम आयो । ४ मैहकरण तेजसीयोत । डूंगरपुर कांम आयो।
५ मानसिंघ मैहकरणोत । माळवा दिसी थो। संमत १६७५ ..... आयो तद गोघेळाव दियो ।
६ परतापसिंघ मानसिंघोत । सं० १६८६ जाल्हणारी मुंहम काम आयो ।
६ स्यांमसिंघ मानसिंघोत । काठासी पट । ६ ईसरदास मानसिंघोत ।
५ सांवळदास मैहकरणोत । खटोड़ो पटै। पछै छाडनै करमसेनजीरै वसियो । पछै उठे घोड़ारी लात लागी तिणसं मंवो।। . I, सम्वत् १६६७में गूंदोचका बाला गांव, सम्वत् १६७०में पीपाड़ परगनेका अरटिया गांव
और फिर गोधावस. गांव. पट्ट में दिये थे । सम्वत् १६७१में भाटी गोयंददासजीके साथ अजमेर में 'काम पाया। 2 सम्वत् १६७२में दो और गांवोंके साथ अरटिया कायम । सम्वत १६८४ में पूनासर, सम्वत् १६८७में सांवलता गांव पट्टे में दिये । सम्बत् १६६२में अमरसिंहजीके यहाँ चला गया। 3 : मालवाकी अोर था. । संवत् १६७५में पाया तव गोघेलाव गांव पट्ट में दिया । 4 संवत् १६८६ जालनाकी लड़ाई में काम प्राय।। 5 खटोड़ा गांव पट्ट में था उसे छोड़कर करमसेनके यहां जाकर रहा । वहां घोड़ेकी लात लगी जिससे मर गया।
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१९४ ]
मुंहता नैणसीरी ख्यात ६ मनोहरदास । ६ मानसिंघ ।
४ मेहो तेजसीयोत । भलो ठाकुर थो। राव चंद्रसेणजी मेहारी बेटी परणिया था । विखामें राव चंद्रसेणरै काम प्रायो' ।
४ किसनो तेजसीयोत ।
५ पातळ किसनावत । सं० १६४१ तांवड़ियो पटै । पर्छ संमत ...... १६६४ करमसीसर । दोनूं पटै था ।
६ मनोहरदास पातळोत । करमसीसर पट। ६ अखैराज पातळोत ।। ५. सादूळ किसनावत । मोटै राजाजी वड़लो पटै दियो, वागड़सूं आयो तरै।
६ बल सादूळोत ।
३ वीसो वणवीरोत । राव मालदेरा विखामें भांगेसररी वेढ.. कांम आयो, ऊगा महेवचा भेळो ।
४ रायसिंघ वीसावत ।
५ भांण रायसिंघोत । भाटेर काम आयो । नागोररा साथसू वेढ हुई त।
६ सांमदास भांणोत । ६ हरीदास भांणोत । ५ नरहरदास रायसिंघोत । भाटेर काम आयो ।
५ चतुरभुज रायसिंघोत । भगतावासणी जोधपुररी पटै । पर्छ । सं० १६७१ कुंवर गजसिंघ गोयंददासजी रांणारी धरती कुंभळमेर लियो त? काम आयो ।
५ लाडखांन रायसिंघोत । ४ पीथो वीसावत।
I मेहा तेजसीप्रोत अच्छा ठाकुर था। राव चंद्रसेनजी मेहाकी वेटी व्याहे थे। राव चंद्रसेनके संकट-कालमें काम प्राया । 2 सम्वत् १६४१में तांवड़िया गांव और सम्वत् १६६४में करमसीसर दोनों गांव पट्ट में थे। 3 वागड़से आया तब मोटे राजाजीने वड़ला गांव पट्ट में दिया। 4 राव मालदेवके विखेमें ऊगा महेवचाके साथ भांगेसरकी लड़ाईमें काम पाया ।.... 5 नागोरवालोंसे लड़ाई हुई तब भाटेर गांव में काम आया। 6 जोधपुर परगनेका भगतावासणी गांव पट्टे । सम्वत् १६७१में कुंवर गजसिंह और गोयंददासजीने राणाके देशका (मेवाड़का) कुंभलमेर लिया वहां काम आया।
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मुंहता नैणसीरी ख्यात
५ केसोदास पीथावत | बांधड़ो पटै ।
६ दळपत केसोदासोत । सं० १६७६ गोपाळदास भींवोत भेळो कांम आयो' |
।। इति जेसा भाटियां री ख्यात - पीढियां संपूर्णम् ॥
6
[ १६५
'I सम्वत् १६७६ में गोपालदास भींवोतके शामिल काम आया ।
rs.
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१९६ ]
मुंहता नैणसीरी ख्यात
रूपसी-भाटियां री साख भाटियां मांहै साख १ रूपसियांरी। रूपसी लखमण रावळरो वेटो।
१ रूपसी लखमणरो। २ विजो रूपसीरो। २ नाथो रूपसीरो। २ पतो रूपसीरो । जूझै।
विजा रूपसिनोतरो परवार । ३ सांगो विजावत । ४ मेळो सांगावत ।
५ भैरवदास मेळावत । संमत १६५१ रामदास चांदावतरै वास थो । पछै रावळ वसियो । संमत १६७० मेड़ते सिकदार थो। संमत . . . १६७७ मादळियो पटैं।
६ रायसिंघ भैरवदासोत । कांभड़ो पटै । ६ सूजो, भाटी गोयंददास साथै काम आयो । ७ कुंभो । ७ पासो। ६ नरहरदास भैरवदासोत । ६ रांमसिंघ भैरवदासोत । ७ कीरतसिंघ । ७ सकतसिंघ । ७ हरदास । ६ लाडखांन भैरवदासोत । ७ अखैराज । ७ भोजराज । ६ उदैसिंघ भैरवदासोत । ७ वीठळ । ७ मुकंद । ६ जगनाथ भैरवदासोत । ६ राजसी भैरवदासोत । ५ भीवराज मेळावत । ६ वेणीदास ।
I रावल लखमणका वेटा रूपसी जिससे भाटी राजपूतोंमें एक शाखा रूपसी-भाटियोंकी अथवा रूपसियोंकी प्रचालित हुई। 2 रूपसीके बेटे विजका (विजय का) परिवार । 3 मेलेका वेटा भैरवदास, संवत् १६५१में रामदास चांदावतके यहां रहता था, फिर जोधपुर में राजाजीके यहां रहा । संवत् १६७० में मेड़तेका सिकदार था । संवत् १६७७में मादलिया गांव पट्टे में था। 4 भैरवदासके वेटे रायसिंहको कांभड़ा गांव पट्टे में मिला। 5 सूजा, भाटी गोयंददासके साथ अजमेरमें काम प्राया।
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[ १९७
मुंहता नैणसीरो ख्यात नाथू रूपसीरो, प्रांक २, तिणरा बेटा'। ३ राघो जेसळमेर छ । ३ रामो, सिवदास, रिणधीर जेसळमेर छै । ३ सिवदास नाथूरो।
४ जाळप सिवदासोत । कँवर रांम मालदेग्रोतरो चाकर । देसोटै रांम साथै गयो।
५ रायसिंघ जाळपोत । ६ गोपाळदास, राव जगनाथरै वास। ७ दयाळदास । ७ द्वारकादास । ६ मोहणदास । ४ नींबो सिवदासरो। ५ दूदो नींबावत। ६ सुरताण । ७ महेस । ६ कांन्ह दूदावत। ७ प्रथीराज । ७ देवीदास । ६ सादूळ दूदावत। ७ तेजसी। ६ भाखरसी दूदावत । ७ चांदो। ७ हरी । ७ स्यांमदास । ७ अचळो । भाटी पतो रूपसिप्रोत, प्रांक २३ हरदास पतावत । ४ नरबद, भांगेस र रा।। जेसो झूबियो तद काम आयो । ५ रांणो नरबदरो।
[ संख्या २ पर, ऊपर अंकित नाथू रूपसिनोत, जिसके बेटों ( पोतों का) वर्णन । . 2 राघो जैसलमेर रहता है । 3 रामा, शिवदास और रणधीर तीनों जैसलमेरमें रहते हैं।
4 शिवदासका बेटा जालप, यह मालदेवके पुत्र कुंवर रामका चाकर। रामको जब देशनिकाला हुआ तब यह भी साथमें गया। 5 गोपालदास राव जगन्नाथके यहां नौकर। 6 गांव भांगेसरमें रा।। जैसाने लड़ाई की तब नरबद काम पाया।
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१६८ ]
मुंहता नैणसीरी ख्यात
६ गोयंददास ।
७ वीठळदास |
६ गोपाळदास रांणावत | वाघावस पटै । सं० १६४१ गुजरात
काम आयो ।
७ हरीदास गोपाळदासोत ।
८ जगनाथ ।
९ अखैराज |
३ राघो नाथूरो । इणरै वांसला जेसळमेररै गांव काछै' ।
४ चंद्रराव |
५ भाखर काछै रहै ।
६ सेखो । ६ सुरतांण । ६ अमरो ।
७ देवीदांन ।
५ वरजांग ।
६ सादूळ |
७ पीथो ।
८ मनोहर काछे । ८ मोहणदास । ६ नापो वरजांगरो ।
६ सहसो । सोढारं मांमलै कांम प्रायो ।
७ डूंगरसी, जगनाथ कनै
।
७ स्यांमदास सोरठ कांम आयो' |
३ रिणधीर नाथूरो ।
४ मूळो ।
५. ढूंदों ।
गंगादास | ६ नेतो ।
राणाके देटे गोपालदासको वाघावस गांव पट्टे में । संवत् १६४१ में गुजरात में काम आया। 12. नाथूका बेटा राघो इसके वंशज जैसलमेर परगने के काछे गांवमें रहते हैं । 3 भाखर काछे गांव में रहता है । 4 मनोहर का गांव में रहता है। 5 सहसा सोढोंकी लड़ाई में काम श्राया | 6 डूंगरती जगन्नाथ के पास रहता है। 7 श्यामदास सोरठकी (मोराट्रकी) लड़ाईमें काम श्राया ।
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[ १६६
मुंहता नैणसीरी ख्यात ७ सुंदर काछै रहै। ६ जेठो। २ नाथू रूपसीरो। ३ सिवदास। ४ रांमो। ४ राघो। ४ रिणधीर । ४ रांमो नाथूरो। ५ नरवद। ६ देवराज । ७ जैमल । जोधपुर गढ काम आयो । ८ कलो। ९ भाखरसी। १० जीवो। ११ महेस।
६ डूंगरसी कलारो। १० भोपत । १० सांवळ । १० जसो। ६ वेणीदास । पोकरण काम आयो । ८ नेतो जैमलोत । ६ रामदास । पोकरणरी वेढ काम आयो । १० नाथो। ११ पासो। ११ भींवो। ११ कुंभो। १० पांचो। ११ भांनो। १० सीहो रामदासोत ।। ११ रतनो। ११ जगमाल । ६ दळपत नेतावत । पोकरणरी वेढ काम प्रायो। ... १० खींवों। १.१ हेमराज ।
-
I सुंदर काछ गांवमें रहता है । 2 जोधपुरके गढ़की लड़ाईमें जैमल काम प्राया। 3 वेणीदास पोकरणकी लड़ाईमें काम आया। 4 रामदास पोकरणकी लड़ाई में काम आया।
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२०० ]
मुंहता नैणसीरी ख्यात ६ धनराज जैतावत । रावळ रामचंदरै साथ सवळसिंघसू वाप
वेढ की, तठे काम आयो । १० रायमल । ११ सूजो रायमलोत । १० जैतो। ११ भागचंद जैतावत । १० सुरतांण । १० किसनो।
८ पतो जैमलरो। ६ लिखमीदास । १० नरहर । ११ विजो। १० भैरवदास । ११ आईदांन । १० वीठळदास । ११ रामचंद। १० दुरगो। ११ सांमो। ११ सुंदर । १० रासो। ११ कांनो।
६ जेसो पतावत । करमसोतांरी वेढ काम आयो । १० नरसिंघ । ११ सादूळ ।
६ ईसर पतारो। १० अखैराज । १० सहसो। ६ गोकळ पतावत । पोकरणरी वेढ काम आयो । ..
I धनराज जैतावतने रावल रामचंदके साथमें रह कर सवलसिंहसे वाप गांवमें लड़ाई की, वहां काम आया । 2 पत्ताका बेटा जैसा करमसोतोंकी लड़ाईमें काम आया। 3 पत्ताका वेटा गोकुल पोकरणकी लड़ाईमें काम आया।
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मुंहता नैणसीरी ख्यात
[ २०१
... १० मूळो। ....
११ करमचंद । १० मेघराज। ११ लाडखांन । ७ मांनो देवराजरो। ८ जगनाथ मांनावत । ६ वांकीदास । ८ वीरदास मांनारो। ६ वाघो।
१० भागचंद । ११ कुंभो। . .. ७ धीरो देवराजरो। मेड़तियां वास थो। प्रथीराज जैतावतरी .... वेढ काम आयो सं० १६१०' ।।
८ राघोदास धीरावत । राठोड़ गोपाळ दासरै वास रैयां छै । ६ उदैसिंघ ।
.... I देवराजका वेटा धीरा मेड़तियोंके यहां रहता था। संवत् १६१०में पृथ्वीराज ... जैतावतकी लड़ाईमें काम आया। 2 राघोदास धीरावत, रींयां गांवमें राठौड़ गोपालदासके
यहां रहता है।
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२०२ ]
मुंहता नैणसीरी ख्यात
अथ सरवाहियारी पीडी, जादव' १ राव खंगार (राव खेंगार) २ गहर (राव गहर, राव गाहर, गाहरियो, राव गारियो) ३ दयाच* (दयाळ, द्यास) ४ कवाट (कहवाट, कैवाट) ५ नवघण । ६ जैमल । ७ मंडळीक । ८ रायसिंघ।
६ प्रथीराज । चोरवाड़ वस । राजा जसवंतसिंघजीरो सुसरों । वात सरवहियारी।
ऐही जादवै भिळे । सरवहिया प्रागै गिरनाररा धणी । राव मंडळीक वडो रजपूत हुवो। असवार २००००री ठाकुराई हुती .... जेसो सरवहियो मंडळीकरो लोहड़ो भाई हुवो । राव मंडळीक कहै छै, रोज एक नवो तळाव खणावतो' । सासतो गंगाजीरै पाणी सांपड़तो। गंगाजळ पीवतो। तिणरै प्रोळ-बारट रवो-सुरतांणियो हुतो । तिणरै बैर चारण नागही देवी हुती । तिणरै पेटरो बेटो १ खूट हुवो11 | तिणने परणायो । उणरै घरै वैर पदमणी पाई1 । तिणरो वेटो नागारजन, तिको अहमदावाद पातसाह महमंद वेगड़ा
I सरबहिया यादवोंकी वंशावली। (यह वंशावली अगुद्ध प्रतीत होती है। किन्तु .. अन्य इतिहासकार भी एकमत नहीं हैं । क्रम और कालमें भी अंतर है।) 2 पृथ्वीराज चोर-.-: बाड़में रहता है। यह राजा जसवंतसिंहजीका ससुरा है। 3 ये (सरवहिये) भी यादवों में मिलते हैं। 4 सरवहिया पहिले गिरनारके स्वामी थे। 5 बीस हजार सवारोंका आधिपत्य था। 6 जैसा सरवहिया राव मंडलीकका छोटा भाई था। 7. कहा जाता है कि राव .. मंडलीक नित्य एक नया तालाब खुदवाता था। 8 निरंतर गंगाजलले स्नान करता था। 9 उसका पौल-बारहट रवा-सुरतारिगया नामका चारण था। 10 उसकी पत्नी चारणी ... नागही देवी थी। II उसकी कोखसे खूट नामका एक पुत्र उत्पन्न हुआ। . 12 उसका .. विवाह किया। 13 उसको पद्मिनी पत्नी मिली।
- *कच्छ, काठियावाड़ और गुजरात आदिके इतिहास-ग्रंथोंमें 'रा' दयास नाम भी :... रा' नोंघण।
...'
लिखा है।
.
. . .
. .
.
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पदमणा
मुंहता नैणसीरी ख्यात
[ २०३ कनै मांगणी गयो हुतो' । तिणनूं पातसाह महमंद रीझनै घोड़ी २ · लाछ नै लिखमी दीनी । तिकै नागारजन घर ले आयो। तिणरै पेटरा बछेरा २ हुवा, उचासरो नै अमोलक । तिकै वडा घोड़ा हुवा । उणांरी राव मंडळीक तारीफ सुणी, तरै चारण कनै घोड़ा मांगिया। चारण न दिया। राव मंडळीक घोड़ा मांगण इणांरै घरै आयो । इणे उजर कियो तरै परो गयो ।
तठा पछै कितरैहेक दिने राव मंडळीकरो नाई १ नागहीरै गांव गयो हुतो । तिण कना" नागही बेटारी वहु पदमणीरा नख लिराया। सु उण जायनै पदमणीरी वात राव मंडळीकनूं कही । तरै मंडळीक पदमणी देखण नागहीरै गांव जाण लागो। तरै मंडळीकरी बैर सीसोदणी राव घणोही वरजियो, पिण राव मांनै नहीं । दूहो- चारण वड्डो खूटियौ, चक्रवत जेहै चाव ।
बालोवळ वीसळ धणी, मोदळ रावो राव ॥ १ .. तठा पछै ° मंडळीक नागहीरै घरै आयो। तरै नागही सारा . सोरठरा लसकरनूं नांनी सी कोठी माहितूं सीधो दियो । तरै सारै
चाकरै नागहीरा देवातनरी वात राव कनै कही, पण मंडळीक मानै नहीं । वाद लागो । पछै राव जिण वड़ हेठे बैठौ थो, सु वड़ लोही वूठो, तोही समझ नहीं । नागहीनूं कहण लागो- "म्हांनूं
___] उसका बेटा नागार्जुन अहमदाबादके बादशाह महमूद बेगड़ाके पास मांगनी करनेके लिये गया था। 2 बादशाह महमूदने प्रसन्न हो कर उसे लाछ और लिखमी नामकी दो घोड़ियां - इनाममें दी। 3 उनको नागार्जुन अपने घर ले आया। उनके पेटसे दो बछेरे उत्पन्न हुए - जिनके नाम उचासरो और अमोलक रखा। 4 उनकी। 5 राव मंडलीक घोड़े मांगनेके
लिये स्वयं इनके घर गया, लेकिन इन्होंने उज़ कर दिया, तब यह लौट कर चला गया । .6 जिसके कितने ही दिनोंके वाद राव मडलीकका एक नाई नागही देवीके गांवको गया था ।
7 जिससे । 8 सो उसने जा करके। 9 तब मंडलीककी पत्नी शिशोदनीने राव मंडलीकको बहतेरा मना किया, परन्तु रावने नहीं माना। 10 जिसके बाद । II तव नागहीने सोरठकी सारी सेनाके लिये एक छोटी-सी कोठीमेंसे भोजन-सामग्री निकाल कर दी।
.12 तब रावके सब ही चाकरोंने नागहीकी देवी-शक्तिकी (दैव्यांशी होनेकी) बात रावको .. जा कर कही, परंतु मंडलीक इस वातको नहीं मानता। 13 वह हठ पर चढ़ा रहा । 14 राव
जिस बड़-वृक्षके नीचे बैठा था, उस बड़-वृक्षसे रुधिर-वर्षा हुई, तब भी वह (उसके दैवी-चमत्कारको) नहीं समझता ।
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२०४ ]
मुंहता नैणसीरी ख्यात थाहरी वहू दिखावो' ।" तरै नागही वहूनूं सिंणगार ल्याई । वहूरा ... पग धरती लागै नहीं । वहू देवरूप हुई । राव वहून हाथ घातियो । तरै देवी रावनूं कोप कियो । रावनूं सराप दियो। कह्यो-"थांहरों गढ जाजो। थारी मत भ्रष्ट हुई, गढ तुरकानूं देईस । तूं तुरकारी (वहू) नूं सेवीस, अखत पढीस, धूड खातो फिरीस' ।" यो श्राप हुवो। रावरो मुंहडो विगड़ियो। राव घरैः गयो। पदमणी जाय केदार .... गळो । देवी नागही पातसाह महमंद वेगड़ा कनै गई। जायने कह्यो-"म्हे थांनूं गिरनार दियो ।” तरै पातसाह कह्यौ-"तिका वात क्युं जांणीजै ?" तर देवी नागही कह्यो-"थे सवाररा सूता ऊठो, .. तरै थाहरी पाघ माहतूं चावळ रंगिया नीसरै तो साच कर जांणीजो।" तरै सवारै चावळ नोसरिया । तरै पातसाह गिरनार ऊपर चढियो, गढ घेरियो। मंडळीक गैहलो हुवो" । गढरी कूची राव पातसाहनूं प्रांण दो' । पाप गढसूं उतरियो। पातसाहतूं मिळियो । पछै मंडळीकनूं पातसाह तुरक कियो। गाय खवाड़ी। तुरका भेळो बैठो, खराव हुवो। रजपूत १००० मंडळीकरा वाज मुंबा । गढ गिरनार पातसाह लियो। पठाणां गिरनार थांण राखिया, नै पातसाह परो. गयो । तठा पछै पातसाह महमंद वेगड़ो वेगो ही मुंबो' । तठा पछै ....
I वह नागहीको कहने लगा कि मुझे तुम्हारी पुत्रवधूको दिखलायो। 2 तब नागही . अपनी पुत्रववृको शृंगार करके ले आई। 3 पुत्रवधूके पांव भूमिको स्पर्श नहीं करते, वह देवी-रूप हो गई। 4 श्राप । 5 उसने कहा-'तेरी मति भ्रष्ट हो गई अत: तेरा गढ़ तेरे . ".. अधिकारने चला जाये, उसे मैं तुर्कोको दूंगी । तू तुकोंकी (स्त्रीकी) सेवा करेगा, म्लेच्छ .. वागी पढ़ेगा और धूल चाटता फिरेगा।' 6 पद्मिनी कदारनाथ जा कर हिमालय में गल गई। 7 नागही देवी वादशाह महमूंद वेगड़ाके पास गई और जा कर कहा कि हमने तुमको गिर- : नार दिया। 8 इसका पता कैसे लगे? 9 तब नागही देवीने कहा कि प्रात: जब तुम सोते हुए उठो उस समय तुम्हारी पगड़ीमें रंगे हुए चावल निकलें तो इस बातको सच जानना। 10 प्रातःकाल से चावल निकल गये. तब बादशाह गिरनार पर चढ़ कर के गया और गढ़को .. घेर लिया। मंडलीक पागल हो गया ! II गढ़की चावी रावने वादशाहको ला दी। 32 स्वयं गढ़से नीचे उतरा और बादशाहसे मिला । बादशाहने मंडलीकको मुसलमान बनाया और गाय खिला दी। मुसलमानों के शामिल खाना खाया और भ्रष्ट हुआ। 13 एक हजार गजपूत मंडलीयाके लड़ कर मर गये। 14 गिरनारका गढ़ बादशाहने अपने अधिकारमें किये। पटानों को गिरनारके याने पर रखा और फिर बादशाह लौट गया। 15 इस घटनाके... बाद पाहतो बन्दी ही मर गया । .
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मुंहता नैणसीरी ख्यात . [ २०५ ... वे पठाण गिरनाररै थांणैवोळा पातसाहरै बेटैसू फिर बैठा' ।
सारी सोरठ इणै खाधी । गुजराती पातसाह महमंदरै वांस इसड़ो को जोरावर हुवो नहीं । तठा पछै पीढी ४ तथा ५ इण पठाणे सोरठ खाधी ।
. पछै संमत १६२६ काती सुदी १५ अकबर पातसाह गुजरात लीवी। तठा पछै वरस १० तथा १५ नवाब अजमखाननूं गुजरातरै सूबै मेलियो, तद पठाण अमीखांन गिरनार धरणी छै। अमीखांन नै जांम सतै माहोमांहै एको छ । पछै अजमखांन गिरनार, नवानगर ऊपर असवारी की, वेढ हुई । जांम सतो नै अमीखांन बेहूं हारिया" । तठा पछै जांम अमीखांनरी ऊपर छोड़ी। अमीखांन उठाथी नासन गिरनार आयो । अजमखां वांस लागो प्राय गढ गिरनार घेरियो । वरस ३ विग्रह हुवो। अमीखांन गढरोहा माहै मौत मुंवो' । अमीखांनरा बेटायूँ टीको हुवो। बेटारो दिन फिरियो'। आपरो परधान थो तिणसूं. बेदबी की । पछै परधान, रजपूत माहोमांहि फाटा । तरै गढ़ उतारनै अजमखांननूं दियो । . राव मंडळीकरा चाकर ऐ5 भला रजपूत हुवा-१ अपर डोडियो। १ चावोड़ो ईलियो । १ चांपो बालो।
- I इसके बाद गिरनारके थाने वाले पठान बादशाहके बेटेसे बदल गये। 2 समस्त सोरठ देशका उपभोग इन्होंने किया। 3 इस गुजराती बादशाह महमूदके पीछे कोई ऐसा शक्तिशाली नहीं हुआ। 4 इसके बाद चार-पांच पीढी तक सोरठका शासन-उपभोग पठानोंने ही किया। 5 जिसके दस या पन्द्रह वर्ष बाद नवाब आजमखांको गुजरातके सूवेका शासक (सूबा) बना कर भेजा, उस समय पठान अमीखां (अमीरखां) गिरनारका स्वामी था । अमीखां और जाम सत्ताके परस्पर मेल था। 6 आजमखांने गिरनार और नवानगर पर
आक्रमण किया और युद्ध हुआ। 7 जाम सत्ता और अमीखां दोनों हार गये। 8 जामने जिसके बाद अमीखांकी सहायता करनी छोड़ दी। 9 अमीखां वहांसे भाग कर गिरनार या गया । 10 अाजमखांने उसका पीछा किया और गिरनारके गढ़को घेर लिया। II अमीखां गढ़रोहेमें अपनी मौतसे मर गया। 12/13 बेटेका दिन प्रतिकूल प्राया। उसने अपना प्रधान था उससे कुछ वेअदबी कर ली। 14 फिर प्रधान और राजपूत अंदर ही अंदर .
उसके विरुद्ध हो गये और तब अमीखांके बेटेको गढ़से वंचित करके उसे आजमखांको दे .. दिया। 15 थे।
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मुंहता नैणसीरी ख्यात
वात सरवहिया जेसारी राव मंडळीक तो गैहलो हुवो। तरै जसो मंडळीकरो लोहड़ो भाई, तिण सारो धरतीरो भार संभायो' । धरतीरा सारा रजपूत लेने भाखरै पैठो । धरतीरो विगाड़ घणो करै छै । गढ गिरनार माहै पातसाहरो वडो थांणों छै। धरती माहै थांणा ठोड़ ठोड़ राखिया छै, पण धरती भोग पड़ सकै नहीं । पातसाह धरती राह हुय लागो छ, पण सरवहियो जेसो हाथ आवै नहीं । पातसाह घणो ही उपाव करै छै । तिण समै किणहीक कह्यो पातसाहनूं-'चारण वीरधवळ. लांगड़ियो, यो पातसाही मुलकमें रहै छै । इणसूं जेसो घणी मया करै छ । ओ वडो कवीसर छै । इणसूं जेसो निपट कावो छ । सु इणरा माणस वेटा बंद करो, नै कहीजो-"जेसानूं आंण दै तो थारी बंद छोडां।" प्रो जेसानूं कहस्यो तठे प्रांण देसी । तरै चारण वीरधवळरो. कबीलो पातसाह सरब पकड़ायो, तरै चारण वांस हुवो आयो । ... माल उण घणोही धांमियो', पण पातसाह चारणरो कवीलो छोडै नहीं । चारण→ पातसाह कह्यो-"माल कितरोही दीय, थारो कबीलो छूट नहीं11 । तूं जेसा सरवहिया अठ ल्यावै तो थारो कवीलो छूट ।' तरै इण चारण तो घणोही उजर कियो, पण पातसाह हठ पड़ियो कहै"एक बार जेसो म्हांनूं प्रांखियां दिखाव' ।” तरै चारण वीरधवळ .. जेसा सरवहिया कनै गयो। सारी वात मांड जेसानूं कही । तरै जेसै कह्यो-"भली वात, थांहरा माणस छूटसी सु करस्यां14 ।" पछै ।
____ I तव मंडलीकका छोटा भाई जैसा जिसने देशका सारा भार सम्हाला । 2 देशके सभी . ' राजपूतोंको लेकर पहाड़ोंमें घुस गया। 3 लेकिन देश आवाद होकर राजस्व-साधनके योग्य नहीं हो सका। 4 वादशाह राह होकर देशके पीछे लगा है, पर सरवहिया जैसा हाथ, . नहीं पाता। 5 किसी एकने । 6 जैसा इसके साथ बड़ी कृपाका व्यवहार करता है और यह बड़ा कवीश्वर है । 7 जैसा इससे वहुत ही दवा रहता है । 8 इसका जनाना और वेटोंको. . वंद करदो और इसको कहो कि जैसेको लादे तो तेरे बंदी छोड़ दें। यह कहोगे वहीं :: जैसाको ला देगा। 9 तब चारण उनके पीछे अाया। 10 उसने वहुतेरा धन-माल ले लेनेका... श्राग्रह किया। I माल कितना ही दे देने पर तेरा कवीला नहीं टूटे। 12 एक बार . . . जैसाको मुझे अांखोंसे- दिखा दे ! - 13 अथसे इति तक जैसाको सव वात कहः सुनाई। 14 अच्छी बात है, जिस बातसे तुम्हारा कुटुंब छूटेगा वही करेंगे।
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मुंहता नैणसीरी ख्यात [ २०७ जेसो वडे घोडै १ चढनै चारणरै साथै हुवो। अहमंदावादरी वाड़ी एकण मांही पाय उतरियो । चारण वीरधवळनूं जेसै कह्यो-'तूं जायनै पातसाहनूं खबर दै ।" तरै जाय खबर दी। पातसाह वात सुण वोहत राजी हुवो। नकीब फेरनै सारो लसकर भेळो करायनै आप चढनै वाड़ी घेरी'। हाथाजोड़ी करी, नै कह्यो-“सको हुसियार . हूजो । जिण माहै हुय जेसो जासी तिणनूं हूं मारीस ।” चारण वीरधवळनूं पातसाह कह्यो-' तूं वोड़ी मांहै जायनै जेसानूं ले प्राव ।" तरै चारण वाड़ी मांहै गयो। आगे देखे तो सरवहियो जेसो भर नींद सूतो घोरावै छै । तिण वेळा चारण वीरधवळ दूहो कहै -
'नीधसता नीसांण, सुरण नहीं सुरताणरा । जेसा थयो अजांण, के फूटा कैवाटउत' ॥१'
वात
सरवहियो जेसो जागियो। ऊठनै अांख छांटी। घोडारा तंग लेनै घोड़े चढ़ियो । वाग बीच आय ऊभो रह्यो । चारण सारी वात जेसानूं कही । जसै सारी वात सुणी । पछै वीरधवळ पूछियो-“पातसाह किसो ? मोनूं ओळखाव' ।" तरै चारण वीरधवळ जेसानूं कह्यो"ओ हाथी चढियो पातसाह ऊभो ।” तर जेसै चारण कह्यो-"तूं पातसाह कनै जायन मोनूं दिखाव दे। कोई थारै माणस छुडावणरो साजीवंध कर ।" तरै चारण पातसाहनै प्रायनै कह्यो-"यो जेसो
___फिर जैसा एक बड़े घोड़े पर चढ़ कर चारणके साथ रवाना हो गया। 2 अहमदाबादकी एक बाड़ीमें पा कर ठहर गया। 3 नकीबको फिरा सारी सेनाको इकट्ठा करवा कर स्वयं उसके साथ चढ़ करके वाडीको घेर दिया। 4 हाथाजोड़ी की और कहा-'सभी होशियार रहना । जिसके पासमें हो कर जैसा निकल जायेगा उसको मैं मार दंगा।' 5 आगे जा कर देखता है कि सरवहिया जैसा भर नींदमें सोया हुआ खुर्राटे खींच रहा है। 6 उस समय चारण वीरधवल दोहा कहता है। 7 हे कैवाटके पुत्र जैसा सरवहिया ! वादशाही सेनाके वाजे बज रहे हैं, तू क्या सुन नहीं रहा है ? तेरे कान फूट गये हैं या तू अनजान हो गया है ? 8 वागके वीचमें याकर खड़ा रहा। 9 वादशाह कौनसा है ? मुझे उसकी . पहिचान करादे। 10 तब जैसाने चारणको कहा-'तू बादशाहके पास जा कर उसको दिखला कर मेरी पहिचान करवा दे और तेरे कुटुंबको छुड़वानेका प्रवन्ध पहिले करले।
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२०८ ] . मुंहता नैणसीरी ख्यात मैं प्रांणणों कबूलियो थो सु प्राणियो । हमैं पातसाहजी ! म्हारा माणस छोड़ो। पातसाहरो कवल छै ।" तरै पातसाह कह्यो-"मैं छोड़िया । थारो कौल पोहतो ।"
तिण समै सको देखै छै । सरवहियो जेसो पातसाह उभो छो तठी नांखिया सु घोड़े हाथी दांतूसळां पग टेकिया । जेसै पातसाहरी... कड़ियांनूं हाथ घालियो । पातसाह तो होदो पकड़ रह्यो। जसो पातसाहरै कड़ियांरो कटारो ले गयो । पातसांहरै किणही सिपाही जेसानूं लोह लगाय सकिया नहीं । तिण वेळा चारण वीरधवळ हो कहै
‘ो जो जेसो जाय, पाड़ नहीं पतसाहरै। आयो ऊंडळ मांय, सरवहियो सुरतांणरै' ।। २'
वात सरवहियो जेसो इण भांत परो गयो।। पातसाह चारणरा... माणस परा छोडिया। जेसै जीवतां धरती पातसाहरे रस पड़ी । नहीं। जैसारै वांस विजो पण भलो रजपूत हुवो। धरतीरी चांटी .... भली दीवी । जेसारै अाध हेक हुवो ।
___ I तव चारणने वादशाहको पाकर कहा कि यह जैसा सामने खड़ा है। मैंने उसे लाना कवूल किया था । सो ले आया हूं। 2 अव वादशाह ! मेरे कुटुंबको छोड़िये । बादशाहका कौल है। 3 तव वादशाहने कहा - 'मैंने तेरे मनुष्योंको छोड़ा। तेरा मेल पूग .... हुआ। 4 उस समय सभी ताकमें हैं। 5 जिस और वादशाह खड़ा था उस अोर सरवहिया . . जैसाने अपना घोड़ा उठाया सो उस घोड़ेने वादशाहके हाथीके दांतोंके ऊपर जाकर अपने :.:. पांव टिकाये। 6 जैसेने बादशाहकी कमरमें हाथ डाला । 7 जैसा बादशाहकी कमरका . . ... कटार लेकर भाग गया। 8 वादशाहका कोई भी सिपाही जैसे पर शस्त्र नहीं चला सका। .. 9 उस समय चारण वीरधवल दोहा कहता है । 10 सरवहिया जैसा बादशाहकी सेनाके ... घेरेमें आया हुआ सकुशल निकल भागता है ! वादशाहका कोई वश नहीं चलता। II इस प्रकार सरवहिया जैसा वहांसे भाग गया। 12 जैसेके जीवित रहते देश बादशाहके वशमें.. नहीं हो सका 13 जैसाके पीछे विजय भी अच्छा राजपूत हुआ। देशकी अच्छी सेवा की। .. जैसाका एक आधा भागीदार हुआ।
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मुंहता नैणसीरो ख्यात
वात जाड़ेचांरी
2
. जाड़ेचा जदुवंसी छे । यांनूं गीतां गुणां मांहै स्यांमा कहै छे । सु श्रीकृष्णजीरो बेटो स्यांम नै प्रदुमन वडा नांमजाद हुआ । जिण 'स्यांमरा तो स्यांमा-जाड़ेचा * कहीजै नै प्रदुमनरा जेसा भाटी कहीजै ' ।
.3
4
जाड़ेचांरी पीढी ।
१ गाहरियो ।
२ प्रोढो ।
३ ढाहर |
४ छाहर ।
५ फूल । ६ लाखो ।
७ महर । मोकळसी ।
१५ जनागर
१६ लोदी |
१७ भींव ।
१८ दलो ।
१६ साहिब ।
६ खेतसी ।
२० राहिब ।
१०
दलो 1
२१ वडो भीम ।
११ वडो हमीर । २२ वडो हमीर ।
[ २०६
6
१२ रायधण नै हालो हमीररा । २३ अमर ।
२४ भोजराज ।
१३ फूल ।
१४ अलैदीयो ।
२५ वीसो ।
२६ ओठो ।
२७ हमीर बीजो"।
२८ खंगार ।
२६ भारो ।
३० मेघ ।
३१ रायधण ।
३२ तमाइची ।
वात ९ रायण भुजरा धणियांरी"
10
इण भांत रायधणियांरै काछरी धरती आई। आगे काछरी धरतीरा धणी धोधा हुता" सु लाखड़ी नगर धोधो करन राज करै छै । तठै जोगी गरीबनाथ धूंधळीमलरो चेलो वडी कमाईरो धणी
1 ये जाड़ेचे यदुवंशी हैं । 2 इनको गीत, काव्य श्रादिमें स्यामा ( सामा ) कहते हैं । 3 श्रीकृष्णजीके पुत्र साम्ब और प्रद्युम्न बड़े ख्यातिवान हुए । 4 उस साम्बके वंशज तो स्यामा-जाड़ेचा (सांमा जाड़ेचा ) कहलाते हैं और प्रद्युम्नके वंशज जैसा-भाटी कहलाते हैं । 5 जाड़ेचोंकी पीढियां इस प्रकार हैं । 6 रायधरण और हाला हमीरके बेटे । 7 हमीर दूसरा । 8 रायवरण शाखाके भुजके स्वामियोंकी बात । 9 रायधरियोंके अधिकारमें कच्छका देश इस प्रकार ग्राया । 10 पहिले कच्छ देशके स्वामी धोधा क्षत्री थे ।
* कच्छ-कलाधरके लेखकने लिखा है कि जाम नरपतकी रानी चांदवा सोढीकी कोख से उत्पन्न जाम सामपतके नामसे, सामपतके वंशज 'समा' कहलाये ।
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छै' । तिण ग्राप लाखड़ी ग्रासण मांडियो" । तिण यांवा २२ ग्रासणरी पाखती वाह्या" । तिके तिरेक दिने फळण लागा । सु करत रे वैर दुहागण हुती, तिणसूं गरीबनाथ महर करता । वहन कहि वोलाई हुती' । तिणरो बेटो गरीबनाथरै जेठ मास मां ग्रासण प्रायो हुतो । तर नाथ चेलानूं कह्यो - "भांजनू यांचा केहेक उतार दो ।" तर चेले चढने ग्रांवा ५० तथा ६० उतारिया । गरीबनाथ उण डावड़ा दुहागणरानूं दिया, सु ग्रांवा ले डावड़ी घरे थायो" । तर सुहागण वैर करनहै [ रे] हृती, तिरै छोरु वे यांवा दीठा" । वे जाय मा श्रागै मांगण लागा । तर सुहागरण वैर जांमनूं कहाड़ियों" "जोगी यांवा हुवा छै, डावड़ानूं मंगाय दो ।" तरै जांम यांवा लेणनूं ग्रादमी मेलिया ", तिणे जाय गरीबनाथनूं कह्यो - "जांम यांवा मंगावें छै, दो ।" तरै गरीबनाथ कह्यो - "म्हे जोगी किणनूं प्रवाद्यां, मांहरा यांवा छै ।" तर जांभर ग्रादमियां कह्यो"ग्रासण थांहरो", पण यांवा धरतीरा धणियांरा छै ।" पर्छ जमरा आदमी आपसूं ग्रांवा उतारणनै चढिया । तरं गरीवनाथ कुहाड़ियो लेने ग्रांवा वाढणनूं - ऊठियो " । तरै चेले १ कह्यो - " हाथांरा पाळिया कांय वाढो" ? कांने मुद्रा छै, ग्रांबांरो वरण फेरो"।" तरै आ वात गरीवनाथरै दाय आई " । तरै को- "ग्रांवांरी ग्रांवली
3
19
I वहां (कच्छ में) वृधलीमलका शिष्य योगी गरीबनाथ एक बड़ा सिद्धि प्राप्त महात्मा है । 2 उसने लाखड़ी नगर में आकर अपना त्रासन जमाया । 3 उसने अपने आसन के पास २२ ग्रामके वृक्ष लगाये । 4 कितने दिनोंके बाद वे फल देने लगे । 5 घोघा कर्णकी एक उपेक्षिता पत्नी थी, उसपर गरीवनाथ कृपा रखते थे, उसको बहिन कह कर बतलाते थे । 6 उसका । 7 था । 8 तव नाथने अपने चेलेसे कहा - भानजेको कुछ ग्राम वृक्षों परसे उतार दो ।' 9 गरीवनाथने उस उपेक्षिता । (ग्ररणमानेतीके) पुत्रको ग्राम दिये सो वह लड़का उन ग्रामोंको ले कर घर पर प्रायो । 10 तव कर्णके जो मानेती स्त्री थी, उनके लड़केने उन ग्रामोंको देखा । II तब उस मानेती पत्नीने जामको कहलवाया 1 12 भेजे । 13 उन्होंने । 14 तब गरीबनाथने कहा- आम हमारे हैं, 'हम योगी लोग किसीको क्यों ग्राम दें । 15 तुम्हारा । 16 तव गरीवनाथ कुहाड़ा लेकर आमोंके वृक्षोंको काटनेके लिये उठा । 17 अपने स्वयंके पाले हुए हैं, क्यों काटो ? 18 आप कानोंमें मुद्रा धारण करने वाले सिद्ध हैं, आमके वृक्षोंका रूप-रंग बदल दें। 19 तव यह वात गरीवनाथके भी मनमें भाई ।
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मुंहता नैणसीरी ख्यात
[२११ हुवो।" सुवचन कहतां सँवी अांबांरी प्रांबली हुई', सु ांबली अजेस
छै । प्रांबांरो अांबली करनै बीजे. दिन एक चेलो पासणरी ठोड़ ....गाडियो, नै बदवा दीनी; कह्यो-“मांहरी ठोड़ उपाड़ी छ, त्यौं नाथ ... करै तो थांहरी ठोड़ उपड़ज्यो ।" लाखड़ी था कोस १२ धीणोद छै, .... तधूंधळीमल धीणोदरै भाखर अजेस रहै छै', सु गरीबनाथ उठै
गयो । तठा पछै दिनां १० तथा १२ धीरणोदरा भाखरसूं धूंधळीमल गरीबनाथ उतरै छै । वरसातरा दिन छ । सु प्रागै रायवण बाप हमीर नै बेटो भीम हळ खड़े छै, सु भींव सूड़ करै छै । तिणे दीठो, भींव ! "श्रो तो गरीबनाथ गाडियो थो सु व्है ।" तरै भीम सांमो जाय पगे लागो। आपरो डेरो नींबड़ी हुतो, तठै साथै तेड़नै ल्यायो' । तितरै घरसूं भातो आयो, तरै भातो पत्तर माहै पुरसनै आप मांखी राखण लागो । तरै पत्तर मांहैं जीमतां थकां धुंधळीमल बचको १ खीचरो भर. भीमनूं दियो । कह्यो-"तूं जीम ।” कह्यो-'हां बाबाजी !
जीमं ।" भींव तो अँठो जांण टाळो करै13। नाथ वार दोय तीन - ... कह्यो। तरै आपरी मा कनै बीजो खीच पुरसायो । गुर दियो थो
सु खीच पाखती15 राखै, बीजो खीच जीमै । तरै गुर दीठो” "प्रो खीचरो टाळो करै ।” तरै गुर भीमरी थाळी मांहैसू उरो लियो',
..
___I सो वचन कहने के साथ ही उन प्रामके वृक्षोंकी इमलियाँ हो गई। 2 वे इमलियाँ अभी तक हैं। 3 दूसरे । 4/5 और श्राप दिया कि जिस प्रकार तुमने हमारे स्थानको छुड़ाया है उसी प्रकार (गुरु गोरख) नाथजी करें तो तुम्हारा स्थान भी तुमसे छूट जाये । 6 लाखड़ीसे । 7 वहां धुंधलीमल धीणोदके पहाड़में अभी तक रहता है। 8 सो आगे रायधण-जाड़ेचा हमीर और भीम, बाप-बेटा दोनों खेतमें हल चला रहे हैं। भीम सूड़ कर रहा है। (सूड करणो = नाज बोने के पहले खेतमें उगे हुए घास और झाड़ आदि को काट करके खेतको बोने योग्य बनाना ।) 9 उन्होंने देखा और हमीरने कहा-'भीम ! यह तो वही गरीबनाथ हो जिसने जीवित समाधि ले ली थी। 10 अपना डेरा जिस नीम वृक्षके नीचे था, वहां पर अपने साथमें बुला लाया। II इतनेमें घरसे भात। प्रा गया, तब नाथजीके भोजनके लिये पात्रमें परोस कर खुद मक्खियाँ उड़ाने लगा। (भातो = घरसे दूर काम करने वाले कृषक, मजदूर आदिके भोजन करनेके लिये घरसे लाई हुई रोटी आदि रंधी हुई भोजन-सामग्री ।) 12 तव भोजन करते हुए धूधलीमलने पात्रमेंसे एक लौंदा खीचका भर करके भीमको दिया। 13 भीम जूठन समझ कर टालता रहा। 14 तब अपनी मांसे खीच परोसाया। 15 पासमें। 16 दूसरा। 17 तव गुरुने देखा। 18 ले लिया।
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२१२ ]
मुंहता नैणसीरी ख्यात ले नै आपरा पत्तर माहै घालियो, पाणी भेळो नाईन पी गयो' । नै भीवनूं कह्यो-"खीच तैं प्रो खाचो हुतो तो तूं अमर हुवत । म्है तोन इण धरतीरी साहिवी दी ।" माथै हाथ दिया। कह्यो-"कारी साहिबी म्हे तोनूं दी, पण जोगियांरी सेवा घणी करीजे, ज्यूं घणा दिन राज रहै ।" तरै भींव कह्यो-"राज कहस्यो ज्यूं करीस"।" .. तरै जोगिये इतरो कर बतायो-"थारी साहबी राजथांन लाखड़ी... करै नै जोगियांरो आसण धीणोद करै। देस सिगळे दसे घोड़िये बोड़ी, दसे भैंसे भैंस, दसे सांढे सांढ, कर कियो। हाट ? महमूदी बरस १ री लागै । जायै, परणिय महमूंदी २ लागे। देस सिगळे हळ १ सेई। इतरो कर धूंधळीमल नै गरीबनाथ वतायो। ने कह्यो-“जोगियारी विसेस सेवा करस्यो तो दिन-दिन सवाई ठाकुराई हुसी । सेवा मिटसी . तरै ठाकुराई जासी !" यूं करने भीवनूं निवाजिया । तर भीत्र जोगियांनें कह्यो-"धरती माहै धोधा धणी छ, इणां याग म्हे साहबी किण भांत लेस्यां" ?" तरै जोगी कह्यो-"इणांनूं मांहरो सराप हुवो ... छै। इणां माथै अजांणकरी कठाहीरी फोज आय पड़सी । इणांनूं मारिया सुणो, तरै थे साथ करने जाजो' थांहरै वांस माँहरा हाथ छै । साहवी प्रासांन हाथ आवसी । थां आगे कोई टिकसी नहीं। ...
__I पानीके साथ मिला कर पी गया। 2 यह खीच यदि तैने खा लिया होता तो तू अमर हो जाता। हमने इस देशका राज्य तुमको दिया। 3 सिर पर हाथ रखे। 4 ग्राप कहेंगे वैसा करूंगा। 5 तव योगियोंने कहा-'तेरे राज्यकी राजधानी लाखड़ी में बनवाना
और योगियोंका ग्रासन घीणोदमें वनवाना और इतना कर लगाना-सारे देश में दस घोड़ियोंमें एक घोड़ी, दस भैसोंमें एक भैस और दस सांढ़ोंमें (ऊंटनियोंमें) एक सांढ़, यह कर निश्चित किया। प्रति दुकान प्रति वर्ष एक महमूदी और जन्म और विवाह पर दो महमूदी और सारे देश में प्रति हल एक सई अनाज । इतना कह कर धूधलीमल और गरीबनाथने बताया और कहा कि योगियोंकी विशेष सेवा करोगे तो दिन .. प्रति दिन ठकुराई सवाई होती रहेगी । सेवा मिटेगी तब ठकुराई चली जायेगी। 6 इस प्रकार भीमके ऊपर कृपा की। 7 देशके स्वामी घोधा हैं, इनसे हम किस प्रकार राज्य लेंगे? . . . 8 इनको हमारा शाप लगा है। इनके ऊपर अचानक ही कहींकी सेना चढ़ आयेगी। 9 इनको
मार दिया सुनो तब तुम अपनी सेना बना कर चले जाना। 10 तुम्हारे पीछे हमारे हाथ .. ... ... हैं । (हमारा दिया हुअा वरदान तुम्हारे साथ है ।) II राज्य सरलतासे हाथ आ जायेगा।
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मुंहता नैणसीरी ख्यात
[२१३ धोधारी साहबी, भार-भरत, माल, वित सूधी हाथ आवसी'।" गुर .. चेला यूं कहि ऊठिया, नै कह्यो -"म्हे भाखर चढां छां, जठे मांहरा ..: पग भाखर मां कळिया देखो, तठै हमार भाठा भेळा कर राखो । नै .साहवी पावो तरै उठे देहुरो करावज्यो ।" यूं कहि गुर चेलो रमिया, ... न कह्यो-"तूं वात मांनीस नहीं, पण तिण वातरो अो सहनांण छै" जो थारो बाप आजसू पनरै दिनै मरै तो सोह साच मांनै । म्हेजांमनूं ... श्राप दियो छ । तूं उण ठोड़ बैस, तरै राव कहाडै ।" पछै दिन १५
हुवा तरै भींवरो वाप हमीर मुंवो; तरै भींव साच जांणियो' । तरै
भींव किणहीनूं क्युं दियो, किणहीनूं क्युं दियो; माणस ४००, पांच - (सौ) भाई-बंध भेळा किया । तठा पछै धोधै मोरबीरो विगाड़ कियो
हुतो, सु मोरवी, वीरमगांमरा थांणारो साथ अजांणजकरो धोधां माथै तूट पड़ियो', माणस हजार तीन, तिण माणस ७०० मारिया, बीजा लाटू-पाटू हुता सु नास गया। तुरक पण माणस घणा काम
आया, सु तुरक पाछा वळिया; लूट काई न की । मोरबीरी हदमें - पाछा जाय पागड़ा छोड़िया।
भीम या वात सुणी तरै प्रापरो साथ ले जाय साहबी ली। मालवितरो धणी हुवो। रावाईरो टीको काढियो। धोधा वासै रह्या हुता तिणे सुणियो, भींव ठाकुराई ली । तरै धोधा भेळा हुय भींव ऊपर
I सभी सामान, धन और मवेशी इत्यादि सहित धोधोंका राज्य तुम्हारे हाथ लगेगा। ... : 2/3 गुरु और चेला यों कह करके उठे और कहा-'हम पहाड़ पर चढ़ रहे हैं, पहाड़ पर जिस
जगह हमारे पांवोंके पंकिल चिन्ह देखो वहां अभी तो पत्थर इकट्ठ करके रख देना। 4 और जव तुम्हें राज्य मिल जाय तब वहां मंदिर बनवा लेना। 5 यों कह करके गुरु और चेला रवाना हुए और तब कहा-'तू हमारी बात मानेगा नहीं, परंतु उस बातकी सच्चाईका यह निशान है कि आजसे पन्द्रहवें दिन तेरा बाप मर जाय तो हमारी भविष्यवाणीकी सभी बातें सच मानना । हमने जामको श्राप दिया है, तू उसकी जगह बैठना और तब राव कहलवाना ।
6/7 फिर जब १५ दिन हो गये तो भीमका बाप हमीर मर गया तो भीमने सभी वातोंको सच ... माना। 8 किसीको कुछ और किसीको कुछ दे दिवा कर अपने भाई-बंधुनोंमेंसे ४००, ५०० ___ मनुष्य अपने पास इकट्ठ कर लिये। 9 सो मोरबी और वीरमगामके थानोंके सैनिक
अचानक धोधों पर टूट पड़े। 10 दूसरे जो कायर थे वे भाग गये। II तुर्क वापिस
लौट गये, कोई लूट उन्होंने नहीं की। 12 मोरबीकी सीमामें जा कर ही घोड़ोंसे उतरे । ... (पागड़ा छोड़णो-घोड़ेकी रकाबमेंसे पांव निकालना, घोड़ेसे उतरना) 13 जो धोधा लोग
पीछे रह गये थे उन्होंने सुना कि भीमने राज्य पर अधिकार कर लिया है।
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२१४ ].
मुंहता नैणसीरी ख्यात आया । इणनं सिद्धां दी सु धोधा वेढ हारिया । धोधो हेक भाई काठियां माहै मोरवीरै सेट्टै गयो, सु उणरै केडरा मोरवी... हळोद्र विनै छ। नै बीजा पारकर नै सांतळपुर विच, अ आया। अझै कांथड़नाथ जोगी छ । तिणरै पगै लागा' । कह्यो-"म्हांनूं गरीवनाथ श्राप दियो, राज गयो। हमें राजरो' मैहर हुवै तो म्हे. अठै टिकां । तर कांथड़नाथ कह्यो-" महारी पादुका ऊपर करावो; नै नीचे कोट कराय नै थे रहो ।” सु कांथड़री पादुका कराई। नांव लारा कांथड़कोट* करायो । उठ रया सु अजेस छै11 | गांवां ३०० महि अमल छै । यारी धरती मांहै कंथरै केड़रा जोगियांरो कर लागै छै ।
भीव ठकुराई ली, काछरो धणी हुवो"। गरीबनाथन कोल दियो थो सु सोह। पाळियो नै अलग कर जोगियांन दीजै छै'। धीणोद वां पादुका ऊपर देहुरो करायो। पाखती1 गढ करायो। ॐ जोगियांरो आसण बंधायो। भोंवर वंसरा हमैं भुजनगर राव काछरा धणी छ ।
I तब घोघे इकट्ठे हो कर भीम पर चढ़ आये। 2 इनको सिद्धोंने सहायता दी अतः घोबा लड़ाई हार गये। 3 सीमा पर । । वंशके। 5 दूसरे 1 6 यहां । 7 उसके चरण स्पर्श किये। 8 अव। 9 आपकी, श्रीमान्की । To/II कायड़नाथके नाम पर कांथड़कोट बनवाया और वहां रह गये तो अभी तक वहां पर है। 12 तीनसौ गांवोंमें ..... उनका शासन है। 13 इनकी धरतीमें कांवड़नायके वंशके योगियोंका कर लगता है। .. 14 कच्छ देशका स्वामी हुया। 15 सब । 16 पालन किया । 17 और अभी तक ... योगियों को कर दिया जाता है। 18 पार्श्व में, पास में। 19 इस समय जो भुजनगर के राव कच्छ देश के स्वामी हैं वे भीमके वंवाके ही हैं।।
* कंथड़कोटकी स्थापनाके संबंध श्री दुलेराय काराणी अपने 'कच्छ-कलाधर' : नामक संघमें लिखते हैं कि कंथकोट की नींव जाम मोडने रखी थी। यह दिन में जितना वन ... जाता था, योगी कंबलनाय अपने योगबलसे रातको गिरवा देता । मोड उसको बनवा नहीं सका। मोड मरने के बाद उसके बेटे जाम साडने योगीको प्रसन्न करके किलेको बनवानेकी प्राक्षा प्राप्त की। कंबड़नाथ के नाम पर उसने किलेका नाम कंयडकोट (कंयकोट) रखा। साधने शिलेके पास यड़नायका एक मंदिर नी वनवाया जो अद्यापि स्थित है। ... .
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[ २१५ पीढी
१ भींव ! ७ भोजराज । १३ भींव २. लाखो। ८ रायधण। १४ हमीर। ३ हमीर। हमीर। १५ खंगार । ४ राघो। १० कमो । १६ भारो। ५ काहियो। ११ मूलवो । १७ भोजराज। ६ अलइयो। १२ महड़। १८ खंगार।
गीत कुवर जेहा भारावतरो
.
दियण छात्र वड गात्र जग बंसेसर दूसरो, अवर दातार नह कोय एहो । हेक ऊनड़ पछै जांम रावळ हुवो, . जांम रावळ पछै एक जेहो ।। १ सिंधपत पखै' कुण दिय दत' सांमई, अवर पत सिंधपत विगत अनेक । सिंधपत समवड़ी हेक हालो समथ', हालारो समवड़ी रायधण हेक ।। २ बांदणी गोठ पाहूर लग बगसतै, सुतन बंभ वंस-खट-तीस सोढो । सुतन बंभ वंस सम मीढजे, माल सुत लखण सुत समो मोढो ।। ३ लखण दर हाथ निज लेख पाहूठ लख । धवळहर सहँस बांवनै ढळियो। हेतुवां अलेखै बैंग' देखै गहर वडो, लोहड़ा वडम प्रांक वळियो० ॥ ४
I अतिरिक्त, विना । 2 दान । 3 समान । 4 समर्थ । 5 छत्तीस क्षत्री कुल । 6. समानताकी जा सकती है। 7 (१) घोड़ा। (२) खङ्ग । 8 शस्त्रोंसे (युद्धों द्वारा)। 9 बड़ा। 10 दिन फिरा, भाग्य पलटा ।
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२१६ ]
मुंहता नैणसीरी ख्यात
गीत दूजो साहिव दूसरो खंगार सवाई, दावो सिर दातारां। . जेहो कवी दियंतो जंगम, हसियो वेचण हारां ॥१ भूलो नहीं अंजण मायाभ्रम, जिण कीरत हित जांणी । सोदागर चेहरिया सामै, मोटेरा मालांणी ॥२ दीपाविया सुदन पर दीप, रायजादे वड राजां । भारमलोत तिके नव दै भड़, है चाडै जेहाजां ॥३
ओ ऊनड़ लाखां अहिनांणे, वसुह उबारणवारां । घोड़ा दे घमडोह घातिया, हेडाऊ हेकारां ।।४
बात लावैरी भाद्रेसर ता कोस ४ किलोकोट छ । तठे वडी ठाकुराई हुई। लाखै पछै कितरीहीक पीढियां हालो नै रायधण बे भाई हुा । त्यांरां छोरू हाला नै रायधण कहांणा । निवळा पड़िया, तरै धोधारी ठाकुराई माहै मुकाती थका रैहता । रायधणां विचै हालांर क्युं पांचदस गांव इधकेरा' था। दस माणसांरी जोड़ इधकी थी । भींव हमीरोत लाखड़ोरी साहवो ली, तरै हाले जांणियो। भीव ठाकुराईरो धणी हुवो तो म्हे काईक ठोड़ प्रोटहां तो रूड़ा' । तरै धांधांसूं धरती छूटो तरै जांणियो-भाद्रेसर भाद्रावळ जोगीरै नांवै10 वसियो थो, सु भाद्रेसर खाली देखनै जाय अोटहियो । धोधै प्रायनै कह्यो-'थे .
____ I भाद्रेसरसे किलाकोट चार कोस की दूरी पर है। 2 जहाँ लाखाकी बड़ी ठकुराई .... हुई। 3 दो। 4 उनके (पुत्र) वंशज हाला और रायधरण-इन दो शाखाओं में प्रसिद्ध हुए। 5 निर्बल हो गये। 6 तब धोधोंको ठकुराई में मुकातीकी हैसियतसे रहते थे । (मुकाती = .. गांव या खेतकी कर के रूपमें निश्चित रकम (मुकाता) देने वाला । 7 विशेप। 8 दस जोड़ी ... मनुष्योंकी भी विशेष थी (यह दसके समाहार अर्थमें एक मुहावरा है ।) 9 हम भी किसी जगहको दबा दें तो ठीक है। 20 नाम पर । भाद्रेसरको खाली देख वहां जा कर के अधिकार करने का विचार किया । ___* इसका पुराना नाम कपिलकोट है। कहा. जाता है कि यहां कपिल मुनिने तप किया था, इससे इसका नाम कपिलकोट प्रसिद्ध हुआ और कालान्तरमें किलाकोट और फिर केराकोट कहा जाने लगा। यह भी किम्बदंती है कि लाखाकी रानी केर(वा)को स्मृतिमें इसका नाम केराकोट रखा गया था। .
की छटो
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मुंहता नैणसीरी ख्यात
[ २१७ मांहरी मदत करो तो भींव आगा' मांहरी ठोड़ ल्यां, नै थांनै गांव .. २०० तथा ३०० एक कोररा दां।' औ मदत करणनूं तैयार हुवा;
भींव सांभळियो, तरै हालांनूं कहाड़ियो-"धोधांरी मदत काई करो ? हूं छू तो आपण घरे साहबी छै । थे धरती दाबी छ सु थाहरी, नै म्हां हे? छै सु मांहरी छै'; इण वातरो सील-कोल करो।" तरै हालां हेठे ही घणी धरती आई थी नै निज थी (?) तरै हालां नै भीम माहोमांही सील-कोल कियो। देवी प्रासापुरा विचै दीवी। यौं करनै धोधा धरती मांहैसूं परा काढिया। पछै वे राव कहीजै ।
हाला जांम कहीजै । माहोमांही घणो सुख । . .. पीढियां १२ तथा १४ रै जांम लाखो हुवो। रायधणांरै हमीर . हुवो। एक दिन हमीर थोड़े से साथसूं असवार • २५ सूं, घोड़ी ढळ
गई, त्यां वासै आयो । नड़ो आयो थो सु जांणियो -"लाखैतूं .: मिळता जावां।" सु अठै आयो । लाखै घणी आगता-सागता' कीवी।
भगत कीवी14 1 लाखैरै रावळ बेटो मोटियार । रावळनूं मांमै काठियां कह्यो जु-" लाखैरी तो अकल गई, और हमीर थांहरै घरै आयो, परो कूट मारो", डावड़ा नांना छ, उड़ जासी । काछरी साहबी परमेसर थां19 दी।” सु दोपाहरैरो हमीर पड़वैः माहै
सूतो छै, तठे रावळ आयनै पग चांपण लागो । तरै हमीरनूं नींद आई, - तरै तरवार काढ़नै वाही सु हमीररों माथो तूट पड़ियो। मारने
रावळ नाठों । कळळ हुई23, लाखैरो भेद नहीं। लाखो वांस तूटो .. तीर वाहै । एक काठियांरै वास थो, त? रावळ वाड़ माहै कूद · पड़ियो। लाखै दीठो-जुजु जाइ (?) तरै पाळसेट तरवार वाही, सु ... . : 1 से। 2 तुम्हारेको। 3 एक किनारेके दें। 4. सुना। 5 धोधोंकी मदद क्यों करते हो? 6 मैं हूँ तो अपने ही घर में राज्य है। 7 तुमने जो धरती दाब ली है वह तुम्हारी, और मेरे नीचे है वह मेरी है। 8 परस्पर इस बातका कौल-वचन कर लो। 9 निकाल दिये। 10 परस्पर बहुत प्रीति बढ़ी। II एक दिन एक घोड़ी गुम हो गई, हमीर पचीसेक सवारोंके साथ उसके पीछे गया। 12 नजदीक पाया था तब विचार किया। . 13 आगत-स्वागत । 14 पहुनाई की। 15 जवान । 16 तुम्हारे। 17 मार डालो। - 18 बच्चे छोटे हैं, सब समाप्त हो जायेगा। 19 तुमको। 20 पड़शाला। 21 प्रहार किया। 22 भाग गया। 23 कोलाहल मचा । 24 तीर चलाता है। 25 मोहल्ला ।
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मुंहता नैणसोरी ख्यात गुदड़ी मांहै आंगळ वे बैंठी । लाखो पाछो वळियो । रावळ , काठियां मांमां मांहै गयो । लाखो वां असवारां माहै हुयनै भुज प्रायो। टीकैरा घोड़ा देनै खंगाररै टीको काढियो। लाखो घणा दिन अठ .. रयो । जांणियो, कदाच खंगार मोनूं मारै तो म्हारै माथैरी उतरै । तरै खंगार कह्यो-" काकाजी ! घरै पधारो । राज जांणो सु म्हे न करां । वा रावळसूं हीज व्है । रावळा यासापुरा जांण', थां थकां क्युं न जांणां । रावळ टोकं बैठे, तरै म्हां नै रावळ बात । . .
पछै रावळनूं लाखो जीवियो तो (सूधो) पगे न लगायो ।
पछ कितरांहेकां दिन लाखो किणही काम गयो थो, सु थोडे साथसू थो, सु धोधा ऊपर प्रायनै लाखानूं मारियो । तर रावळ टीक वैठो। तरै खंगार कह्यो-"हमैं हमीर मांगां ।" खंगार पण मोटो. हुवो । वरस २० तथा २२ माहै हुवो । साहवी संभाही । तरै साथ करनै रावळ न यां विचै सीप नदी छै, तठे पायो । पैली कांनी रावळ माणस हजार सात-पाठसूं आयो। हजार आठ-नवांतूं खंगार आयो। पखालद हुई (?) नैड़ा पाया" । दीहां वेढ व्है । रात आप-आपरै सको गाडै जाय माणसां मांहै सूवै। मांहोमांहि पैलांरा ... उलारा डेरां जावै-प्रावै । सवार हुवै वळे वेढ हुवै । यूं वारै वरस वेढ कीवी। आसापुरा देवी विचे दी नै लोपी, तिणसूं दिन-दिन रावळनूं हार पावती जाइ। पैला जोर चडता जाय । तरै रावळ वजीर ..
1 दो। 2 लाखा पीछा लौटा। 3 लाखा वहुत दिन तक यहीं रहा । 4 मनमें ऐसा विचार कर के वहां रहा कि यदि खंगार मुझे मार दे तो मेरे पर चढ़ा हुआ कलंक उतर. . . जाये। 5 आप जो जाने हुए हैं वह मैं नहीं करूंगा। 6 ऐसा तो रावलसे ही हो सकता है। 7 मैं अापकी और आशापुरा देवीकी शपथ खा कर कहता हूं। 8 मैं आपके प्रति कोई दुर्भावना नहीं रखता। 9 तब मेरे और रावलके बीच में वात है। 10 लाखा जिया तव तक रावलको अपने पांवों नहीं लगने दिया । II कितनेक दिनोंके वाद। 12 तव खंगारने कहा 'अव हमीरको मारने का बदला लेना मांगता हूँ। 13 राज्य सम्हाला। 14 वहां पर आया। 15 उस ओरसे। 16 निकट आये। 17 दिनमें लड़ाई होवे । .... 18 रातको सभी अपने-अपने गाडों और अपने मनुष्योंमें जाकर सो जावे। 19 परस्पर इधरके उधरके शिविरों में आते जाते हैं। 20 प्रभात होते ही फिर लड़ाई लड़ते हैं।
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लाडकनूं कह्यो -" बीजूं तो सर पावां नहीं ", तूं बूढो पण हुवो छै । तूं मरण तेवड़नै' खंगारनूं मारे तो पोहचां, नै थारा बेटा धणी-धोरी छै ईज', नँ वळै घणा वधारीस * ।" यों कह्यो, तरै लाडक पण प्रारै हुवो" । तरै तोत करने रावळ नै लाडक चड़भड़िया' । रावळ लाडकनूं खांसड़ी बाह्यो' | लाडक रीसायने खंगार कनै गयो । दिन ४ तथा ५ रह्यो । एक दिन किणीकैरे दीवसूं गाडै लाय लागी । रजपूत सोह" लाय बुझावणनूं गया । राव कनै लाङक ऊभो छै" । मन मांहे चूक'" । लाडकरो हाथ धूजियो, तरै राव पूछियो - 'थारो हाथ क्युं धूजियो ?' कह्यो- 'यूंही ।' यूं कहिने राव बीजो कांनी जोयो" । तरै लाडक रावनूं पाछासूं भटको वाह्यो । रावरै मोरे लागो" घणो वूहो" । सु राव लाडकनूं गावड़सूं" झालने " नीचे दियो । नीचे दे हाथ मरोड़ तरवार ले राव झटकारी दी । माथो तूट पड़ियो । रावरै पाटो बांधियो । राते कोहेक मुंबो थो, तिणनूं दाग दियो”, सु रावळ जांणियो - "राव मुंवो छै, युंही छांनो राखे छै"।” सवार हुवो", तरै रावळ आपरो " साथ हलकने " तूट पड़ियो । पैली कांनी सूं रावरो साथ ग्रायो" । वडी वेढ हुई । भोक पड़ी" । बीजै दिन' वेपोहर तांई वेढ हुई ती । तिग दिन सवाररा वाजिया था सु दिन घड़ी ४ रह्यो तोही पाछा न वळे" तर राव कह्यो - " मोनूं मांचे ऊपर ऊभो करो" ।” तरै ऊभो कियो । रावळरै साथ दीठो – “जु
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I अब एक इस बात के सिवाय जीतना संभव नहीं रहा । 2 इरादा कर के 1 3 तेरे वेटे और वारिश वगैरा हैं ही। 4 और फिर मैं उनको बहुत बढाऊंगा । 5 तब लाडकने भी स्वीकार कर लिया। 6 तव छल कर के रावल और लाडक परस्पर लड़ पड़े । 7 जूता मारा। 8 पास । 9 एक दिन किसीके दीपकसे एक गाडे में आग लग गई। 10 सभी । II रावके पास लाडक खड़ा है । 12 उसके मनमें दगा है । 13/14 यों कह कर के रावने जब दूसरी ओर देखा, त्योंही लाडकने राव पर पीछे तलवार का प्रहार कर दिया । 15 प्रहार रावकी पीठमें लगा । 16 बहुत रक्त वहा । 17 गर्दनसे । 18 पकड़ कर । 19 रातको कोई मर गया था, उसको जलाया। 20 राव मर गया है परंतु बातको छिपाये
रखते हैं । 21 प्रभात हुआ । 22 अपना 1 23 ललकार कर के | 24 दूसरी ओरसे रावकी सेना आई। 25 खूब तलवार चली । 26 दूसरे दिन | 27 उस दिन प्रभातसे ही लड़ाई शुरू हो गईं थी, चार घड़ी दिन शेष रहा तो भी पीछे नहीं लौटते हैं । 28 मुझको खाटके ऊपर खड़ा करो। 29 रावलकी सेनाने देखा ।
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मुंहता नैणसीरी ख्यात राव जीवै छै ।" वेढ हुतां पण घणी वेळा हुई थी' । माहोमांही हीचिया था। रावळरो साथ पाछो लियो, डेरै गया, तरै रावळ. कह्यो-" म्हे देवी लोपी, तरै प्रांपांसू आसापुरा अरूठ । धरती छोड़ो।" तरै धरती छोड़ने कोस तीस ३० तथा ३५, जेठवां, काठियां, वाढेलां कोसां ६० तथा ७० माहै सोरठरी धरती खाली थी, अठ.. रावळ जांम संमत १५९६ नवोनंगर वसायनै रह्यो । नागनय ऊपर ... ' वास कियो । भाद्रेसर वांस खंगार ली। तिका अजै भुजरा धणीरै .. दाखलै छ । ___ रावळ गिरनाररा धणी चीगसखां' गोरीसू मिळियो । उणसूं मेळ हुवो। उण कह्यो-"तूं गुजरातरै पातसाहतूं. मेळ मत करें। म्हारै काम अरथ म्हारो थको रहै । थारी पाखती'' जेठवा केलवे रहै छ, सु त्यांन1 मार लो। उण हुकम दियो हीज थो, नै जेठवै । काठियां भेळा हुयन' कह्यो-"यो प्रांपणी धरती माहै मांडो प्राय पैठो13 । पछ ही अठ टिकसी तो आपांन मारसी तो आवो प्रांप35. उणसं एक वेढ करो।" तरै माणस हजार दस चढियो-पाळो भेळो हुयनै आया। रावळ पण आपरो साथ हजार छव करने गयो। परगने बरड़े वेद कीवी। रावळरै भाई हरधवळ असवार १००० टाळनै पैलां उपर तूट पड़ियो। पैलांरा सरदार सोह कूट, मारिया उठ हरधवळ काम आयो । वेढ रावळ जीती। पैला हारिया। पैलांरा .. सरदार तीने ही जेठवो, भीम, काठी, हाजो, वाढेल, भांण, माणस ७००... सूं काम आया। पैला भागा। रावळ यांनूं धकायनै धरती श्राप हेठे ..
I लड़ाई होते हुए भी बहुत समय हो गया था। 2 परस्पर भिड़त हुई थी। 3 हमने देवीको बीचमें दे कर के भी बचनका पालन नहीं किया, इसलिये प्रामापुता अपनेसे
गई। । यहां पर रावल जाम नवानगर नामक नगर बसा कर रहा। 5 भाटेनर पीछेो संगार ने ले लिया। 6 वह अब तक भुजके स्वामीके अधिकार में है। 7 चंगेजखां .... ६ मिला। मेरे कामके लिये मेरे अविकारमें ही रहना। 10 पातमें। II उनको। 12 पट्ट हो कर के। 15 यह अपने देश में जबरदस्ती पा कर धुम गया। 14 पीछे यदि यहां टिक गया तो अपने को मारेगा। 15 अपन ! 16 तद ये दस हजार पैदल पीर सवार .
बार ः चा प्राद। 17 दुश्मनोंके सभी वरदारोंको मार डाला।
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. मुंहता नैणसीरी ख्यात
[ २२१ लीवी । जेठवा उठारा छूटा समंदररी तीर छाइयै जाय रह्या' । उठे जेठवो खींवो वडो रजपूत ।
रावळ जांम लाखावत नवी धरती खाटी-जेठवां, वाढेळां, काठियांरी । सु गांव ४००० हालार हिमैं कहीजै । नवोनगर रावळ वसायो त? आगै जेठवा वसता। गांव ४५०० = एक हजार १००० वाढेलांरा, २००० काठियांरा । अजेस पिण इणां गांवां चोथ काठी लै छ । १५०० जेठवारा । अठै रावळरी वडी ठकुराई। गांव हजार ४००० दाबिया । रावळ जोरै वहण लागो तरै रजपूतांनूं कह्यो - "प्रापै सपूत हुवा नै घणी नवी धरती खाटी, पण आंपांनं वापीकां खेतां मांहीसूं खंगार काढिया, अपां एक धको खंगारनूं दां' ।" तरै वरसातरा दिन था । काचैखडै पखालद थको राव धीणोदरी पाखती थो । बेटो ऊमरकोट परणीजण मेलियो थो सु साथ सोह बेटा साथै मेलियो थो। अाप छड़व. हीज साथ थो, सु रावळ हेरो करायो । हेरो कराय थोड़ा देखनै असवार ५०० खंगार ऊपर प्रायो। खंगार धोणोदरी भाखरी माणस ५० सूं वैठो थो। घोड़ी, सांढ, भैंस, गाय मुंहड़े प्रागै चरती थी। दूध भै सियां, सांढियां, गायां, घोड़ारै साथरै वास्तै माटा भरिया था। पीवणरी तयारी हुई, तितरै तोर
बोलियोतरै सोढे नदै कह्यो-" रावजी ! उठो, साथ आयो ।' ...सु राव तो उठातूं चढनै भाखरी गयो। वांस रावळ उठे प्रायो,
तरै दीठो-"हमार हीज अठासू ऊठिया दीसै छ1।" रावळ ताका
करण लागो । जांणियो-"जु खंगार गयो।" तरै रिणधीर गाजणियो, .: पैहला खंगार कनै रहतो, सु रिणधीर कह्यो-"यूं काहूं जोवो14 ? आवो
___I जेठवे वहांसे छूटे, समुद्रके किनारे छाईये गांवमें जा कर रहे। 2 प्राप्त की। 3 सो ये चार हजार गांव अव हालार कहे जाते हैं। 4 अभी तक इन गांवोंमें काठी चौथ (चौथा भाग) लेते हैं ! 5 चार हजार गांवोंके ऊपर अधिकार किया। 6 रावल जब अपनी शक्तिसे शासन करने लगा तब उसने अपने राजपूतोंसे कहा। 7 अपन एक धक्का खंगारको
दें। 8 बेटेको ऊमरकोट व्याहनेको भेजा था। 9 स्वयंके पास छुटपुटा साथ ही था अतः ...... रावल ने पीछा करवाया। 10 इतने में एक तीरका शब्द हुा । II पहाड़ी। 12 अभी
ही यहांसे उठ कर चले गये मालूम होते हैं। 13 रावल इधर-उधर देखने और विचार करने लगा। 14यों क्या देख रहे हो?
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सांढियां त्यां । खंगार विण आपड़ियो नहीं रहे।" तर फेरने सांडिली न हळवे - हळवे जांण लागा । रावळ पाछो-पाछो फिर जोवतो जाय । जो खंगार जै प्रापड़ियो नहीं । ग्रठे खंगार सवार ५० सूं चढियो कांईका मनै कियो - "जु साथ थोड़ो छै ।" तरै खंगार कह्यो - " न करें श्री ठाकुर । रावळ सांढियां ल्ये नै हूं ऊभी रहूं !" सु भाखर बारै फेर ऊपरवाš हुयनै कोसे १६ सांमो ग्रायी । ग्रटी रिणधीर थूव चढनै पाछो जोयो, जु खंगार नायो" । ग्रागे देखें तो सांमो साथ झकियो ' । तरै रावळनूं कह्यो - "आप साथनूं पैला थोड़ा दीस
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लेस्यां । "
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छै । खंगार म्हारै डील प्रायां विगर नहीं रहै ।" तरै बीच ग्राप ऊभो रयो नै साथ ढाई सौ ओळ रुखा डावी कांनी " नै ग्रढाई सौ जीमणी वाजू ऊभा राखिया । कह्यो - "विच में श्राव तरै एक-एक भालो सको वाहिजो '" । पांच से भाला लागसी तरै मार सु पैली कांनी खंगाररो भाई साहिबने पीतरयाई फूल, यां कह्यो - "आप खंगारनं मरतो न देखां । श्रावो पहली मरां । उतावळा " देखने खंगार कह्यो-' जांचो मत करो। थे जांणो द्यो जु म्हे. मरण द्यां । ” युं कही नै पचास असवार जीनसालिया नख चख सुधा था त्यांरो गोळ करने उपाड़ नांखिया' । सु ओळ रुखा ऊभा हुता, तिकें: केई भाला वाही किया कै न वाही सकिया, नै आय भेळा हुवा | तरवारियां भी दी । रावळरो वजीर श्राप खंगार पाड़िड़यो । वीजो पण साथ घणो पाड़ियो" । रावळरो साथ भागो । तरै रावळ निपट भलो हुवो । तीन वेळा उपाड़-उपाड़ खंगाररै साथमें नांखिया '
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1 धीरे-धीरे । 2 खंगारको अभी तक पहुंच नहीं पाये ( पकड़ा नहीं गया ) | 3 कुछ लोगोंने । 4 सो पहाड़ से बच कर निकटके मार्ग से १६ कोस चल कर ( रावलके) सामने प्राया । 5 टेकरी पर 1 6 खंगार नहीं प्राया । 7 दिखाई दिया । 8 आपके मुकाविलेमें वे कम दिखते हैं । 9 खंगार सीधा मेरे पर आये बिना नहीं रहेगा । 10 पंक्तिवद्ध | II वाय तरफ । 12 बीच में या जावे तव एक-एक भाला सभी मार दें। 13 उस प्रोर में संगारके भाई साहिब और पितृव्य फूल, इन्होंने कहा । 15 श्रातुर | 16 शीघ्रता, आतुरता । 17 इस प्रकार कह कर के जो पचास सर्वांगावृत कवचधारी अश्वारोही थे, उन सबने अपना एक गोल (समूह) बना कर अपने घोड़ोंको एक साथ उठाया । 18 दूसरे भी कई मनुष्यों को मार डाला | 19 तीन बार अपने घोड़ेको उठा उठा कर खंगारकी सेना में डाला ।
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[ २२३ साहिबनूं झटको वाह्यो सु टोप लाग टळियो । साथ भागो नै रावळ उपाड़-उपाड़ नांौ । तरै खंगार आपरांनूं कह्यो -"रावळनूं मत मारो।" रावळरा रजपूतांनूं कह्यो-"थांहरो वाप परो काढो ।” तरै सोढै नदै रावळरै बूड़ोरी दी, तरै किणीके कह्यो -'भूलै वाही ।' तरै कह्यो-"भूलो न छ, सांड आंकिया कह्या, मारणा न कह्या" ।" रावळ फूलनूं वरछी वाही, सु भेवडै लागी, सु भागी। तरै रजपूते रावळनूं कही-"अाज पाधरो नहीं ।" तरै ले नीसरिया । माणस २५ रावळरा खेत पड़िया। वीजा डोळिये उपाड़िया। रावळ पाछो प्रायो, तरै जिकै वरछी वाहि सकियो न था, त्यां बरछीरो फळ, वूड़ी भांज नै पाहोरा मांहै घाती थी। सु रावळ घोड़ांनै धांन देणरै मिस पाहोरा मंगाया, तरै मांहिंसूं १२० बरछियांरा फळ बूड़ी नीसरिया । तरै रावळ कह्यो“यांनूं पाहीज सझा जु यांरी घोड़ियांरी बछेरी व्है सु यारी नै बछेरा व्है सु रावळा।" सु यां रजपूतांरा केड़ायतां प्रागै अजेस बछेरा लीजै छै । तठा पछै रावळ फेर खंगारसूं वारी न नांखी। रावळरी नवैनगर वडी साहबी हुई। वडा-वडा दान किया। बावन हजार घोड़ा जाचिगांनूं दिया । ईसर वारहटनूँ कोड़ि दीनी' । खंगाररी ठाकुराईतूं सवाई-दोढी की15।।
दूहा दोय वीठू खंगारनूं कहै - . प्रो खांगो अवियाट", तुरका ही नूं तेवडै ।
झालां ही न झाट, हालां ही यूँ हेकड़ी2 | १ 1 साहिबके ऊपर तलवारका प्रहार किया। 2 तब खंगारने अपने सैनिकोंको कहा। 3 तुम्हारे वापको (स्वामीको) निकाल दो। 4 बरछीका वांस। 5 तब किसीने कहा। 6 भूलसे बांसका प्रहार किया। 7 भूला नहीं हूँ, यह कहावत है कि 'सांड दागे जाते हैं, मारे नहीं जाते । (पाट-घाव नहीं किया जाता, चेतावनी के लिये उन पर सफल वार कर के उन्हें लज्जित करना पर्याप्त होता है)। 8 अाज तुम्हारा दिन तुम्हारे अनुकूल नहीं है। 9 अन्य पाहतोंको डोलियोंमें डाल कर उठा ले गये । 10 इन लोगोंको यही सजा दी जाये कि इनकी घोड़ियोंसे जो बछेरियां उत्पन्न हों सो तो ये खुद रख लें और बछेरे उत्पन्न हों जो राज्यको दें। II सो इन राजपूतोंके वंशजों से अभी तक इस दंडके रूप में बछेरे लिये जाते हैं। 12 जिसके बाद रावलने खंगारसे अड़नेका फिर साहस नहीं किया। 13 याचकोंको बावन हजार घोड़े दानमें दिये। 14 बारहठ ईशरदासको एक करोड़का दान दिया। 15 रावलने अपना राज्य खंगारसे सवाया-ड्योढ़ा बढ़ा लिया। 16 चारण वीठूने खंगारके संबंधमें दो दोहे कहे हैं। 17 वीर। 18 निपट लेता है। 19 प्रहार । 20 हठ, युद्ध ।
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मुंहता नैणसीरी ख्यात खंगड़े किया खड़ाक', सींगाळे सुरताणसं ।
छोहियां उतरी छाक , मीरां मिलकां ऊमरां ।। २. पीडी
जांम लाखो। २ रावळ । ३ वीभो। ४ सतो। ५ अजो। ६ लाखो। जांम लाखो अजारो' । ७ रिणमल जांम। ८ सतो । जांम एक वार हुवो । पछै रायसिंघ साहवी ली। ७ जाम रायसिंघ लाखारो । कुतवखांनसूं लड़ मुंबो । नदैनगरसूं : ___ कोस ३ सेखपाट। ८ जांम तमाईची। ८ वंभणियो। . . ७ जेसो लाखारो। एक बार तो कुतबखान तोत कर मारनै सता. रिणमलोतनूं नवैनगर वैसांणियो। नै रायसिंघरो वेटो .. तमाईचो बाहिर नीसरियो । पछै नवानगर ऊपर आयो। जोरावरी तमाईची धरती ली । जोम तमाईची हुवो।
गीत लाखै अजैरो .... निस-दीह न थाकै क्युहि नाखतो, असा गज कनक सुनग अतर,
____ I सीधा। 2 वीर । 3 क्रोध वालोंका, धर्मडियोंका। 4 नशा, उन्मत्तता । 5 उमरा, उमराव। 6 कई प्रतियोंमें जैसा लिखा है। 7 अजाका बेटा जाम लाखा.. द्वितीय । 8 सत्ता एक वार तो जाम पद पर अभिपिक्त हो गया, पर पीछे रायसिंहने राज्य छीन लिया। 9 एक बार तो कुतुबखानने कपटसे जैसा को मार कर के सत्ता रिणमलोतको .. नवानगरकी गद्दी पर विठा दिया । 10 और रायसिंहका बेटा तमायत्री भाग कर वाहिर ... निकल गया । 11 पीछे तमायची नवानगर ऊपर चढ़ कर के प्राया और दलात् देश पर अधिकार किया । जाम पद पर तमायची अभिषिक्त हुा । 12 रात-दिन। 13 घोड़ा...
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[ २२५
A
मुंहता नैणसीरी ख्यात . सिर तो साख साच कहि सामंद्र
लाखैरी किसड़ी' लहर ।। १ द्वारामती रहंत दीठा, मिळे महल चक्र दीठा मेळ । वधै घणूं तोही वेळावळ वीभाहर ज्यूं नांखै वेळः ॥ २ है हाटक' हाथी नग हेकै संख ता दिसि सीपनी सही अम्ह-दिस नोख लहर अजावत, इसड़ी नांखीज उवही ॥ ३
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वात
... जाड़ेचो फूल धवळरो । तिको केलाकोट राज करै छै । भुजसूं कोस ८ तथा ६ दिखणनूं छै । तिका ठोड़ हमार' सूंनी छै । कोट घरांरी दीवांणरी ठोड़ अनामत सारा अारिख छ । समंदथा कोस
५ छै। तिण दिन फूल राज करै छ। तिण समै धरती माहै ऊपरा- ऊपरी सुगाळ हुआ छ। सु वाणियांरै धांन पारपखै भेळो" हुो छ।
सु वाणिया निपट तोटै गया । तरै वरतियां कना मेह बंधावणरो तलास कियो । तरै वरतिये कह्यो-"एक हिरण मंगावो ।” तरै हिरण : १.प्राणन: कागळ १ में जंत्र लिखनै वरतिये कोरनै हिरणरै सींग माहै
घातनै कोस २ भाखर थो त, हिरणरै सहनांण कर छोड़ दियो । मेह "बंधियो। वांणियां कह्यो-"यो कागळ भींजसी तरै मेह प्रासी । बीजू मेह नहीं आवै.' । कह्यो-"भली बात ।"
। कसी। 2 तरंग, दान देने में उदार वृत्ति। 3 देखा। 4 समुद्र। 5 दानकी लहर, उदारता । 6 घोड़ा। 7 सोना। 8 हमारी पोर । 9 ऐसी। 10 समुद्र, महादानी। .... II वह ! 12 इस समय। 13 समान। 14 एक के ऊपर एक, वर्ष प्रति वर्ष ।
15 सुभिक्ष । 16 अपार । 17 इकट्ठा। 18 सो बनियोंको बहुत हानि हुई। 19 मंत्र, यंत्र और टोना करने वाले, मंत्रवादी। 20 लाकर के। 21 पहाड़। 22 यह कागज भीगेगा तब वर्षा होगी। 23 अन्यथा वर्षा नहीं होवे ।
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मुंहता नैणसीरी ख्यात वरस १ हुवो, केलाकोटरी धरती गांव ४००० मां, छांट न पड़े, ... वाणियारो धांन सारो विकियो । वाणिया वरतिया हिरणरी खबर लेता रहै छै । युं करतां वरस ३ तथा ४ हुवा, मेह न हुवै । सारी परज', सोह' धांन वाळा सको मरण लागा, तरै प्रा बात हूती-हूती' फूल सांभळी । तरै वरतियां वांणियां नूं कह्यो-“काहूं वात सांभळीजै" तरै कह्यो-'वात खरी छै ।" पछै फूल कह्यो-"वडी वाट पाड़ी । पण न जांणां प्रो हिरण जीवै छै कै मुंवो।" तरै इणां कह्यो-"जीवै छै" तरै कह्यो-“यो हिरण कठै छै ?" तरै कह्यौ-"ओ सांमो भाखर छै . तठे छै । मांहरा आदमी दिन दूजे-तीजै जाय जोइ आवै छै ।" तरै फूल उणांनूं साथ लेन असवार १००० जाय घेरियो। उणै हिरण दिखायो । तरै वांस दोडिया 1, तरै वरतिये कह्यो-“वरस ५ रो मेह बांधियोड़ो छ। थे उठ हिरणरा सींग मांहैं सू चीठी मत काढीजो । पछै पाछो मेह आय न सकसी। हिरण मुंवो जीवतो मो कनै लावज्यो। पण थे नांव मत लेजो।" फूल कह्यो-“भली वात ।" .......
इण कोसों ५० तथा ६० वर., वीलेसर डूंगरै13 जातो मारियो। मारनै सींग माहीथा चीठी काढी' । वरजिया था, पण कह्यो .. मांनियो नहीं । चीठी ले पांणी माहै गाळी नै ऊपर आडंग तुरत मंडियो" । मूसळधार वरसण लागो। तरै इणां घरांनूं चलाया । तरै... सारा तूट रह्या । फूलनूं मेह मारियो, सु बेसुध हुय गयो। सु जमलो . अहीर खेरड़ी गांव छ त? घोड़ो फूलनूं ले प्रायो, तरै वैर हेकण दीठो'' तरै जमलानूं खबर हुई, कोई राजवी छ । घणै ग्रहण ..
I दिक गया । 2 प्रजा। 3 सव। 4 सभी। 5 होती-होती, फैलती हुई। 6 सुनी। 7 क्या बात सुनी जाती है ? 8 (१) खूब समय निकल गया । (२) बहुत बुरा हुआ। 9 यह सामा नामको पहाड़ है, वहां पर है। 10 हमारे आदमी दूसरे-तीसरे दिन देख पाते . हैं । II तव पीछे दौड़े। 12 परंतु तुम उसका नाम नहीं लेना (परंतु तुम उसको छेड़ना : नहीं। 13 पहाड़ों पर। 14 मार करके सींग मेंसे चिट्ठी निकाली। 15 मना किया था, परंतु कहा हुआ माना नहीं। 16 चिट्ठी लेकर पानी में गला दी और इधर तुरंत ही घटा छा गई । (प्राइंग =वागम, वांगमकी ऊष्मा) ! 17 तब एक स्त्रीने देखा। 18 राज- . .. . वंशका पुरुष ।
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मुंहता नैणसोरी ख्यात
[ २२७ पैहरियां घोड़ा ऊपर बेसुध हुवो छ । जमलो आय देखै तो "फूल छै ।" तरै कह्यो-"प्रो दुसमण छै। पण मरसी' तो सिगळा जाड़ेचा प्रांपांसू
वैर करसी।" ... तरै गांव मांहै स्यांणा आदमी था सु भेळा किया । फूलन
तपायो, सेकियो घणूंही, पण सावधान हुवै नहीं। तरै तबीबां' ....... कह्यो-"और उपाव को नहीं, नै एक उपाव छै । काई वडकँवार
ज्वांन इणनूं छातीतूं भींच सुवै तो उण आगरी तपतसूं ओ सावधान हुवै । तरै जमलै अहीर आपरै वडकंवार बेटी थी, तिणनूं कह्यो"तूं फूलनूं छाती लगायनै भेळी सू'। तरै इण कह्यो-"मोनूं दोस लागै; हूं पर-पुरस भेळी सूवू नहीं।" तरै इणरै बाप घणो हठ कियो। . तरै इण कह्यो-"हूं जो सोऊं तो इणनूं मोनूं परणावो । यो तो मुंवो
हीज छै, पण माहरै भागमें हूसी तो जोवसी ।" तरै फूलरै उसड़े हीज डील उणनूं परणाई, नै भेळी सुवांणी' । पोहर २ दिन थकां छातीतूं भींचनै जमलारी बेटी सूती थी, सु रात आधीहेक' गई, तरै फूल सावधान हुवो, आंख उघड़ी। . . इणन पूछियो-"तूं कुण ? किसो विरतंत11 ?' तरै इण सारी वात मांड कही-“इण भांत थे अचेत थका म्हारा बापरै गांव खेरड़ी
आया जमला अहीर रे । तरै जमल अोळखियो । ओ फूल हुवै । हमार प्रो अठ प्रायो छ, कदाच मरसी तो आगे ही यांसू असुख14 छै नै व015 माहोमांहि घणो असूख हसी। कहसी-“ो मुंवो, इणरा हीड़ा न किया।" पछै आपनूं तपाया, सेकिया, चेतो बाहुडै नहीं' । तरै
I मर जायगा। 2 समस्त । 3 तब गांवमें जो सयाने आदमी थे उनको बुला कर इकट्ठा किया। 4 सेंका। 5 हकीमोंने। 6 कोई बड़-कुमारी जवान लड़की इसको अपनी छातीसे भींच कर इसके साथ में सोये तो उस छातीकी अग्नि-तप्तसे यह सावधान हो। .7 तू फूलको छातीसे लगा कर इसके साथ शयन कर ! 8 इसके साथ मुझे व्याह दो तो मैं इसके साथ सोऊं। यह तो एक प्रकार से मर ही गया है, परंतु मेरे भागमें होगा तो जी जायेगा। 9 तब फूलके वैसे ही अचेत शरीरसे उसको व्याह दी और उसके साथ सुला दी। . 10 श्राधीके लगभग। II तू कौन और यह सब क्या हकीकत है ? 12 तव जमलेने पहिचाना । 13 यह फूल हो। 14 शत्रु ता, वैमनस्य । 15 और, फिर। 16 यह मर गया, इसकी परिचर्या नहीं की। 17 चेतनता लौटी नहीं।
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मुंहता नैणसीरी ख्यात ... गांवमें स्याणा था त्यांनूं पूछियो, कह्यो-"कोई उपाव करो, जिणसू प्रो जीवै ।" तरै किणही कह्यो-"काइक वड़कंवार वेटी वरस १५ तथा १६ री बैर हुवै तिका जो च्यार पोहर छातीतूं लगाय सोवै तो वाहुई। बीजूं तो जीवै नहीं।" तरै मोनू कह्यो-"बेटा ! तूं इणनूं संभायनै सावचेत कर।" तरै म्हें कह्यो-"यूं तो मोनूं दोखण' लाग, नै मोनूं इसड़ो थको ही परणावो तो हूं इणरै हाथ लगावू, मुंवो तो छै हीज, जो कदाच जीवै तो माहरो भाग, ज्युही. हूणहार छ, त्युही . हुसी।" तरै इणहीज हवाल परणाया', नै मैं थारी चाकरी कीवी । परमेसर आछी कीवी, आपरा दिन ऊभा, नं मोनूं जस आवणहारं । रात पोहर १ रही तरै थांहरो चेतो बाहुड़ियो। तरै थे मोनूं पूछियो"तूं कुण ? तरै पा सारी हकीकत मांडनै कहीं।" तर फूल उणसू बहोत राजी हुवो। ___ जमलारी बेटीसूं अठ बोहत रंग-रास हुवो । अठै इणहीज दिन इणरै पेट आसा रही । सवारै फूल चढण लांगो । तरै इण जमला.. अहीररी बेटी अरज कीधी-"माहरै पेट थांहरो कारण रह्यो छै101... मोनूं हेक रावळे हाथरी सहनांणी द्योग, सवार लोग म्हारे माथै दोनो देसी12 ।' तरै फूल आपरै हाथरी मूंदड़ी13 दीनी न लिखत कर दियो।
दिन २ रहिनै फूल चालियो, सु केलेकोट गयो। आगै फूलरी बैर धण पटरांणी छ, तिणसूं बोहत. कारण छौ, सु वा बात फूल भूल गयो । वांस इण जमला अहीररी बेटी रै पेट गरभ हुतौ, सु लाखो हुवो ।
___ नहीं तो यह जीवे नहीं। 2 कलंक। 3 और मुझे इसकी ऐसी दशा में ही व्याह ... दो तो मैं इसके हाथ लगाऊं। 4 तव ऐसी ही दशामें आपके साथ मेरा विवाह हुआ। 5 आपके दिन खड़े, आपकी आयु शेप। 6 तुम्हारा । 7 तब यह हकीकत विस्तारसे . . कही। 8 जमलाकी वेटीसे यहां बहुत परिणय-क्रीड़ा हुई। 9 यहां उसी दिन इसके पेट गर्भ रह गया। 10 मेरे पेटमें तुम्हारा गर्भ रहा है । II मुझे आपके हाथकी कोई निशानी दो। 12 कल मेरे पर लोग कलंक लगायेंगे। 13 अंगूठी। 14 जिससे वहुत प्रीति थी। 15 इसलिये फूल जमलेकी वेटीके साथ विवाहकी वातको भूल गया। 16 पीछे।
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मुंहता नैणसीरी ख्यात
[ २२६ लाखो मोटो वरसां ८ तथा १० रो हुवो, तरै प्रापरी मांनै कह्यो'-"आपां कुण छां ? माहरो वाप कुण ?" तरै लाखैरी मां कह्यो-"थे इण धरतीरा धणी, तू फूलरो बेटो।" तरै इण कह्यो"तो प्रांपै अठ क्युं ? उठ हालां नहीं ?" तरै इण वांसली वात सोह मांडने कह्यो-"इण भांत अठ फूल आयो थो; इण भांत मोनूं परणाई; यूं धूं बेटो हुनो।" तरै लाखै कह्यो-"हूं फूल तीरै जाऊ छ । मोनूं सहनर्माण दे ।" तरै वो लिखत नै फूलरै हाथरी मूंदड़ी दी। लाखो अठाथो केलाकोट गयो। फूलसूं मिळियो। वे सहनांण दिखाया । फूल घणो उछाह कियो । घणो अादर कर माहै लियो। लाखो जिको अवतारीक मरद, नान्हो ही सारी साहबीरो मदार हुवो। फूलरै और वेटो कोई न थो । लाखा ऊपर हीज मुदो हुवो' । - सु कितरांएक दिनां फूल तो वांगै बलोचां दिसी थांण रहै नै लाखो घरे रहै । सु लाखो एकलो। जिको रूप-गुणरो निधान । तिण देखनै फूलरी बैर रांणी धण लाखानूं मांहै बुलायो नै कह्यो-"तूं या वात मोसूं कर ।" तरै लाखै कह्यो-"तूं तो म्हारी मा छै । मोसूं आ वात क्युं हुवै ?" तरै धण कह्यो-“तो हूं फूलनै लिखनै तो परो कढाईस" ।" तरै लाखै कह्यो-"जांण सु करो, पण
मोसूं ना बात होण री नहीं।" ...... पछै फूलरी बैर धण कासीद करहीरानूं19 लिख दियो। सु .... रांणीरो कासीद जरै हीज पावै तरै! कोई जरूर हीज काम
I तव अपनी माको कहा । 2 अपन कौन हैं । 3 मेरा बाप कौन ? 4 तव इसने कहा--अपन यहां क्यों ? वहां क्यों नहीं चलें। 5 पिछली। 6 सब । 7 मैं फूलके पास जाता हूँ। 8 यहांसे । 9 लाखा अवतारी पुरुष । छोटी आयु में ही सारी साहिबी (राज्य)का अधिकारी हुआ । 10 लाखां पर ही राज्यका आधार रहा। II कितनेक दिनोंसे । 12 ओर। 13 जिसको। 14 पत्नी। 15 तू मेरे साथ रति-क्रीड़ा कर। 16 मेरेसे यह बात कैसे बन सकती है। 17 तो मैं फूलको पत्र लिख कर तेरेको देश-निकाला करवा दूंगी। 18 जो चाहे सो करो, परंतु मेरेसे यह बात नहीं होने की। 19 (१) ऊंटनीसवार । संदेशवाहक ऊंटनी-सवार (२) एक व्यक्तिका नाम । 20 जंब । 21 तव ।
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मुंहता नैणसीरी ख्यात हुवै । सु करहीरो फूल आवतो दीठो' । तरै फूल दूहो कह्यो- ..
___ "कच्छ करहीरै छंडियो कू देसड़ो कुसत्त ।" तरै प्राधो दूहो करहीरो कहै___“लाखो फूल-महेळियां, खिण देवर खिण पुत्त ।।"
आ वात धण कहाड़ी । तरै फूल कह्यो-"तो लाखावू देस. माहितूं परो काढीजो।" रजपूतांनूं कह्यो-“लाखानूं देसोटो दियो । छै । देस मांहिथा परो काढीजो' ।" तरै लाखै कह्यो-"म्हारो बाप चोथी अवसथा छै । मोनूं परो काढो छो। पण जिको ही फूलरी वात श्रा कहै-'मुंवो', तिणरी जीभ वढाऊं । यु कहिनै लाखो वळ खेरडी मांमारै गांव दिसी गयो । कितराएक दिन रह्यो। बांस फूल मूवो। वा रांणी धण वांस बळी11 । ___ लाखो उठे, सु लाखान आ वात कोई कहै नहीं। बांस धरती सूंनी । लाखो मामा ₹ । सु लाखो कहै-"किणही कह्यो फूल मुंदो तो उणरी जीभ वढाऊं।" तरै बीहतो कोई कहै नहीं । तरै देसरा .. सिगळा14 कामदार महाजन, सिगळे भेळा हुयनै कह्यो "लाखो आवै नहीं। धरती सूनी। कोइक उपाव करो ज्यु लाखो प्रावै ।" : तरै कह्यो-"जीभ वढावण कुण जावै ? तर सगळे भेळा हुयनै । कह्यो--"डाही डूंमणीनूं मेलो। आ जाय कहसी ।" तरै डाहोनूं
___I सो ऊंटनी सवार करहीरोको फूलने आते हुए देखा। 2 (उष्ट्रारोही) करहीरो कच्छ देशको क्यों छोड़ कर आ रहा है ? कोई असतं कार्य हो गया दिखता है। 3 हे फूल ! तेरा पुत्र लाखा तेरी पत्नीके साथ उच्छं खल देवर की भांति छेड़-छाड़ करता है। 4 यह बात तेरी रानी धरणनै कहलवाई है। 5 राजपूतोंको कहा-हमने लाखाको देश-निकाला दे दिया है। ... 6 अत: इसको देश मेंसे निकाल देना । 7 मेरा बाप चतुर्थावस्था (वृद्धावस्था) प्राप्त है। 8 परंतु जो भी फूलके संबंधमें यह बात कहे कि वह मर गया तो मैं उसकी जीभ कटवा. दूंगा। 9 यों कह कर के लाखा पुनः अपने मामाके गांव खेरड़ीकी ओर चला गया। 10 पीछे फूल मर गया। II वह रानी धरण उसके पीछे सती हुई। 12 दिना राजाके, ....... पोछे देश सूना। 13 तब डरता हुआ कोई पह बात कहे नहीं। 14 समस्त 1. 15 समस्त . . लोगोंने इक? हो कर कहा । 16 तब कहा-जीभ कटानेको कौन जाय ? 17 डाही नामकी ढाढिनको भेज दो, वह जाकर के कह देगी। ..
.. .... ......
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... मुंहता नैणसीरी ख्यात
[ २३१ लाखा कनै मेली' । प्रा उठ गई । लाखो उठे बैठो थो सु अपूठो हुइनै बैठो नै डाहीनूं लाख [पसाव दियो । सु जिकू थो सु सारो
के दरड़े नांखियो । नै इण वीण रबाब जिकू बतीसूं जंत्र तयार करने ओ दूहो गायो
फूल सुगंधी वाड़ियां, भाटी देख सिधांण । ... तो विण सूनी सिंधड़ी, वळ लाखा महरांण ॥
अो दूहो इण कह्यो। तरै लाखो फिरनै सांम्हो बैठ कह्यो--"फूल .....मुंवो ?" तरै इण कह्यो--"थे थांहरै मुंहडै कहो छो' ।' तरै लाखै
कयो--"हिमैं म्हारी जीभ कटावो । मैं आ वात कही।" तरै रूड़े माणसै कह्यो--"या वात कुं हुवै ?" तरै सोनारी जीभ सात वेळा करने काटी । इण भांत सासत कियो । पछै डाहीनूं १ बीड़ो लाखै दियो, तिको माथै चाढ लियो । तरै लाखो कहै--"कूण वास्तै13 ?" तरै डूंमणी कयो
लख लाखा द्रह जाय, जो दीजै मुख वांकडै ।
पांन कुटक्कै रहि कहै, जो लाभै सो भाय ।। डूंमणी डाही कयो--"पहली तो लाख दियो अपूठे मुंहडै सु कुण कांम ? नै बीड़ो सांम्हो फिर दियो सु लाख सरीखो।" पछै लाखो केलाकोट आय टीकै बैठो। पछ वांगै थांण फूल रहतो तठे लाखो ही रहण लागो।
तब डाहीको लाखाके पास भेजा। 2 यह वहां गई। 3 लाखा वहां बैठा हुआ था, परंतु पीठ फिरा कर बैठा और ऐसे बठे हुए ही उसने डाहीको लाख-पसाव दिया । 4 सो जितना जो कुछ उसको दिया वह सारा का सारा एक खड्डे में डाल दिया। 5 और इसने वीना, रवाब आदि बत्तीसों वाद्य-यंत्र थे तैयार करके यह दोहा गाया। 6 हे फूल ! सुगंधित बाड़ियों में ऐसा न हो कि कोई अन्य भाटी आकर के उसकी सुगंधी लेले। हे बड़े राजा लाखा ! तेरे बिना सिंघ सूनी है । तू जल्दी लौट प्रा। 7 तब इसने कहा-तुम अपने मुंहसे ही कह रहे हो। 8 अब मेरी जीभ कटवा दो । 9 यह बात कैसे हो सकती है ? 10 तव सोनेकी जीभ बनवा कर सात बार उसको काटा । II इस प्रकार जीभ काटनेका शास्त्रविधान किया। 12 उसने उसको अपने मस्तक पर चढाया। 13 ऐसा किसलिये ? . 14 खड्डेमें। 15 जो टेढ़े मुंहसे दिया जाय (जो पीठ फिरा कर दिया जाय) ।
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२३२ ]
मुंहता नैणसीरी ख्यात तरै लाखैरै मयारी बैर सोढी थी, सु लाखो वांगनूं चालण लागो तरै सोढी कह्यो'-"मोनूं थां विना आवड़सी नहीं । मोनूं पण साथै ले चालो।" तरै लाखै कयो-"उठे आठ पोहोर चढणो-उतरणो, थांहरो काम नहीं।" तरै सोढी कहै-"थांहरै डीलरो पछवड़ो १ मोनूं दीजै । इण पछेवड़ा रो दरसण करीस नै मोहल में बैठी रहीस' । .. नै अंक प्रो मनभोळियो डूंम अठ राखो। ओ मोहल नीचे ऊभो थांहरो जस गावसी, सु सुणीस नै वैठी दिन वोळाइस" ।"
सु लाखो तो वागोर बलोचारै थांण चालियो। मास ५ तथा ७ ... लागा। वांस सोढी घरै छै, सु वरसातरा दिन छ । ऊपर मेह झड़ लाग रयो छ । वीज चमकै छै । इण समै सोढी रात आधीरा झरोखे प्राय बैठी छै, सु व्रत काम व्यापियो छै । सु नीचे डूंम मनभोळियो ? गावै छै । इणनूं ऊपर बुलायो । इणसूं.अठ सोढी चूकी। सु भेळो ले. सूती छै" | लाखारो पछेवड़ो सु पगां नीचे विछायो छै । इणसू .... केइक दिन घरवास रयो ।
सु लाखो उठे बांगै छ, सु बारै रातरा नाड़ाछोड़ करणनूं आयो", सु ऊंचो जोवै छै । तरै दूहो कह्यो' 4
किरती माथा ढळ गई, हिरणी गई उलत्थ । . ....
सुवै निचिती गोरड़ी, उर माथै दे हत्थ ।। तरै मावल वरसड़ो लाखा कनै थो16 सु मावल कहै-"राज !
I जव लाखा वांगेको जाने लगा तो उसकी कृपापात्र (मांनीती) पत्नी सोढीने कहा। 2 मुझको तुम्हारे विना यहां अच्छा नहीं लगेगा। 3 तुम्हारे शरीर परका दुपट्टा एक मुझको दीजिये। 415 इस पछेवड़ेका दर्शन करूंगी और महलमें वैठी रहेंगी। 6 सो सुनती रहूंगी और वैठी हुई अपने दिन विताऊंगी। 7 विजली। 8 सो अत्यंत काम व्यापन ....: हुआ है। 9 यहां सोढी इससे कुकर्म करवा कर पतित हुई। 10 वह उसको साथमें लेकर... . सोती है । II इससे कई दिन तक घर-बसा चलता रहा। 12 सो रातको पिशाब करनेके ... . लिये बाहिर पाया । 13 सो वह ऊपर आकाशकी ओर देखता है। 14 तब उसने यह दोहा कहा। 15 किरती (कृत्तिका नक्षत्रसमूह) शीर्षस्थान (मध्याकाश से पश्चिमकी अोरं चली गई है और हिन्गी (मृगशिरा नक्षत्रसमूह) उलट गई है। ऐसे समय में वक्षस्थल पर हाथ .. रखे स्त्री (पत्नी) निश्चित सो रही है । . 16 पासमें था ।
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मुंहता नैणसीरी ख्यात
[२३३ युं दूहो कह्यो सु न छै ।" तरै मावल दूंहो कहै
हिरणी माथा ढळ गई, किरती गई उलत्थ ।
नारी नरां सनाहिंयां, पड़े झड़ोफड़ हत्थ ।।
मावल नै लाखै रात तो इण भांत वात कीवी। रात थी सु वोळाई।
परभात मावलनूं कह्यो-"अंक वार हूं केलाकोट जाय खबर ल्याऊं।" तरै मावल कह्यो-“भलां जावो।" तरै साहणीनूं कह्यो"कोई आपणै इसड़ो घोड़ो छै सु चढनै प्राथण केलाकोट जाईजै ।” तरै इण कह्यो-"छै तो घणाई । कोई पतवांण जोयो न छै ।” तरै कह्यो--"ऊठ मंगोवं ।" तरै ऊंठ १ मंगायो। लाखै घरांनूं चलायो, सु केलाकोट कोसां १० तथा १५ आया, तरै लाखै ऊंठनूं कांब वाही, सु करहो करूंकियो। सु सोढी सूती थकी सुणियो । तरै हो कह्यो
झीणो करह करूंकियो, रीणो मंझ करांह ।
फूलांणी कांबेटियो, ऊमाहड़ो घरांह' ।। - सोढी डूंम मनभोळिया यूँ कह्यो-'लाखोजी पाया । आवतारी अवाज सुणूं छ ।तरै डूंम कह्यो-“सौ कोस वंगो छै । हमार हीज कठा प्रावै13 !” इतरो कहिनै पाछा बेऊ सुय रया' । अतरै पोहर १ लाखोजी ऊंठ चढिया प्राय ऊभा रया15 । लाखो उतरतो
I आपने जो दोहा कहा है वह यों नहीं है । 2 हिरणी मध्याकाशसे नीचे चली गई है और किरती उलट गई है। ऐसे समयमें स्त्री-पुरुषोंमें कवचधारियों की भांति काम-युद्ध हो रहा है। 3 शेष रात व्यतीत की। 4 कोई अपने ऐसा घोड़ा है जिस पर चढ कर के संध्या तक केलाकोट पहुंचा जा सके। 5 हैं तो बहुत । 6 किन्तु परीक्षा करके देखा नहीं है । 7 सो केलोकोट १० या १५ कोस दूर रह गया-वहां तक पहुंच गये। 8 तव लाखेने ऊंटके वेंत मारी। 9 सो ऊंट बलवलाया। 10 सो सोती हुई सोढीने सुना। I घरको शीघ्र पहुँचनेके लिए उत्सुक फूलके पुत्र लाखाने ऊंटको वेंतसे मारा है। अत: उसका वह शिथिल (थका हुआ) ऊंट अन्य ऊंटोंके बीच बलवलाया है। 12 आते हुएकी आवाज सुन रही हूँ। 13 यहांसे बंगा सौ कोस दूर है। अभी कहांसे आजावे ! 14 इतना कह कर दोनों फिर सो गये। 15 इतनेमें एक पहरके बाद ऊंट चढे हुए लाखाजी आ खड़े हुए।
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२३४ ]
मुंहता नैणसीरी ख्यात सवों सोढीरै मोहल गयो । आगै देखै तो सोढी मनभोळियासं गळबांही घातियां सूती छै । जोयनै पाछो वीजी वैरांरै घरे गयो । उठे तयारी हुई, तरै अही जागिया । कयो-"ठाकुर आया नै प्रांपांन । दीठा ।" डूंम ऊठ परो गयो। वात होणहारी थी सु हुइ चुकी । लाखो बीजी हीज बैरांर घरे सुय रह्यो। ___सवारै गोर्खे' प्राय वैठनै डूंम मनभोळियै नूं बुलायो। कह्यो--... " रे! म्हैं तो सोढी दी। तो→ महापसाव करी ।" नै सोढीनूं ... कहाड़ियो'--"म्हें तोनू डूंमनूं दी । तैसू जिकू जे नीसरियों जाय सु लेजा' । उठे डूंम दूहो कहै
चोर भला ही धन हरै, सापुरसां घर जार।
दीठा दोस ज परहरै, लाखा सो दातार' ।। ड्रम मनभोळियो सोढीनूं ले गयो । पछै कितरेक दिने लाखो पाटण परणीजण आयो । त? ओ डूंम पण मांगणी आयो छ । सोढी : पण साथै पाई छ । लाखै डूंमनूं दीठो । तरै कह्यो-"रे ! सोढी समाधी छै15 ?' तरै कह्यो-“जी समाधी छै ।' सोढी पण लाखानूं दीठो। रूप, साहिबी देख, उज लूसनै सोढी कह्यो16-"धांन-पाणी खाणरो सूंस छै"।" लासैनूं कह्यो--"थांनूं सोढी देखनै धान-पाणी, खाणरो सूंस लियो छ । जो मोनूं लाखोजी अकांतमें पाप हाथसू
I लाखा ऊंटसे उतरते ही सोढीके महल में गया। 2 देख कर फिर दूसरी स्त्रियोंके घरको चला गया। 3 वहां इनके आनेकी तैयारी हुई तव ये भी जग गये। 4 ठाकुरने ..
आकर अपनेको देख लिया है। 5 लाखा दूसरी स्त्रियोंके ही घर में सो गया। 6 दूसरे दिन ... प्रातः। 7 झरोखेमें । 8 अरे (ढाढ़ी) ! मैंने तुझको सोढी दी। तुझको इसे महापसाव करदी ! (महापसाव = कोड़पसाव आदि बड़े दानोंसे भी बड़ा दान, महादान)1 9 और सोढीको कहलवाया। 10 मैंने तुझे ढाढ़ीको देदी। II तेरे से जो (धन) निकाला जाय सो : लेकर चली जा। 12 ऐसे सत्पुरुपोंके घर पर जाकर चोर भले ही उनका धन हरण करे, ... जो उनके (चोरोंके) अपराधको देख कर भी अपनी महान् उदारतासे उन्हें उस धनके साथ छोड़ देते हैं । हे लाखा ! ऐसा दातार एक तू ही है। 13 पीछे कितनेक दिनोंके वाद पाटणमें .. विवाह करने को आया। 14 देखा। 15 अरे! सोढी प्रसन्न है ? 16 आंसू पोंछ कर सोढीने कहा । 17 अन्न-जल लेनेकी शपथ है ।
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मुंहता नैणसीरी ख्यात
[ २३५ - सूळा कर खवाड़ता, तिकै खवाडै । बीजो क्युं खावू नहीं। पर्छ
सूळांरी कांब ४ वणायनै मेली। कयो-"जावो सोढीनू दो।" तरै ले जाय दी। सोढी देखनै कह्यो--"प्रै कांब तो लाखाजीरी वणाई न हुवै ।" पछै आप कांब ४ हाथसू वणाई । एकण कपड़े लपेटनै मेली। सोढी वे कांब देखी । औ कांब लाखाजीरै हाथरी वणाई हुवै । वे कांब हाथमें लेत सवां जीव उड गयो । लाखानू कहो--"जी सोढी मुंई।" तरै च्यार रजपूतांनू मेलिया नै कह्यो-"क्युंहेक अगर चंदण ले जावो, सोढीनूं वाळ प्रावो ।"
I लाखाजी अपने हाथसे शूले (शूल्य-मांस) बना कर मुझे एकान्तमें खिलाते थे सो .. खिलाएँ। 2 ये शलाकाएँ तो लाखाजी की बनाई हुई नहीं हो सकतीं। 3 उन शलाकानोंको
हाथमें लेते ही प्राण उड़ गये। 4 भेजे। 5 कुछेक । 6 सोढीको जला प्रायो।
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मुंहता नैणसीरी ख्यात वात जाम ऊंनड़ सांवलसुध कवि रोहड़ियानू प्राऊठ
___ कोड़-सांमई दी तिणरी ____ लाखा फूलांणी कनै सांवळसुध कवि रहै। लाखो वडो दातार छ। तिण ऊंनडरै मन आई जु किण हीक' वडै पात्र मोज दीजै । तर सांवळनूं आप कनै सांमई तेडियो । त? आयो तरै सांवळरो घणो .. आदर कियो। ____पछै वेळा २ तथा ३ मुजरै आयो तरै कयो-"क्युं जस करो।" तरै लाखारो जस करणो मांडियो । तरै पूरो (द) सुहावै नहीं। तरै चोथै दिन आयो, तरै कयो-"क्युं जस करो।" तर सांवळ कयो"म्हे लाखारो जस करां, सु राजनूं सुहावै नहीं। लाखा जिसो और . :: कुण छै' ?" तरै ऊंनड़ कयो-"लाखो किसो दातार छै ? पूतळो सोनारो वाढे छै, दांन दै छै। मड़ो घर मांहै राखै छै । सूतग लागै ...: छै° । दातार होय तो एकण किणून परो दै नहीं तरै11 ?" तरै सांवळ कयो-"राज तो पाऊठ कोड़-बंभणवाड़रा धणी छो । उण इतरी :विलायत दे सको नहीं तो सत बोलै छै । राज पाऊठकोड़-बंभणवाड़ एकण किणीनूं दातार छो तो परी दो।" ऊंनड़ बात दिल माहै राखनै परधानांनूं कयो--"फलांणी ठोड़ राजलोक और लोकांरी वसी सूधा जात जास्यां15 । तयारी करो।" सिगळां तयारी की। पर्छ भलो दिन जोय", दीवांण वरणाय सारा उमराव तेड़नै सांवळसुध कविनूं डेराथी तेडायनै आपरै तखत बैसांणनै21 आऊठ-लाख सांमई
____I किसी एक। 2 दान। 3 तब सांवलको अपने पास सामई बुलाया। 4 वहां ... 5 कुछ मेरा यश वर्णन करो। 6 तव उसने लाखाका यश वर्णन करना शुरू किया। . . 7 लाखाके समान और ऐसी कौन है ? 8 सोनेका पुतला काटता है। 9 घरमें शव पड़ा रखता है। 10 मरणाशीच लगता है। II वह यदि सचमुच ही दातार हो तो किसी एकको ही वह सुवर्ण-पुतला दान क्यों नहीं कर दे? 12 आप तो आउठकोड़-बंभरणवाड़ प्रदेशके स्वामी हो । 13 उसके जितना प्रदेश आप दे सकते नहीं। 14 आप भी यदि ऐसे ही दातार हैं तो आउठकोड़-बंभणवाड़ किसी एकको दान कर दें। 15 अमुक स्थान पर ... रनिवास और अपनी वसीकी प्रजा सहित यात्राको जायेंगे। 16 सबने तैयारी की। ... 17 देख कर ।... 18 दरवार भर कर। 19 वुला कर। 20 वुलवा कर ! 21 अपने सिंहासन पर विठा कर !
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: मुंहता नैणसीरी ख्यात
[२३७ रो महापसाव' करनै आप गाडो जोतराय समंदरै बैट' कराई गयो।
गीत ऊनड़रो कोड़ दीयण कीधो करणीगर', भल दातार कवीचे' भाग। आऊठ लाख तणो छत्र ऊनड़, तो विण किणही न दीधो त्याग ।। १ सो-लाखां' लगदान समपियो1, वांस घातै हतणां विण्यांण ।
तो जिम गहड़ तखत वड त्यागी, सुकवि किह न किया सुरतांण ॥ २ .... सवा कोड़ लग प्रागै सयणे, पात्र भणावै15 महापसाव ।
लोभाऊ दियो लाखावत, सिंध तणो छत्र सांमां-राव ।। ३
1 महाप्रसाद, बहुत बड़ा दान। 2 जुतवा कर । 3 द्वीप। 4 किनारा। 5 किया, बनाया। 6 ईश्वरने। 7 के। 8 दान। 9 करोड़। 10 का, तक। II दिया, समर्पण किया। 12 अनेक प्रकारको सामग्रीके साथ। 13 वीर, महान्, गंभीर । .. I4. चारण। 15 यश-गान करवाया ।
:.
'कच्छ कलाधर' नामक कच्छके इतिहास ग्रन्थ में जनड़का यह गीत पदच्छेद, वैरणसगाई और भाषाकी अशुद्धियोंके साथ पूरा (पाठ झड़ोंमें) दिया हुआ है । परन्तु जाम ऊनड़के जिस महापसावकी घटना पर उसमें यह छंद दिया गया है, वह घटना सर्वथा अन्य प्रकारको है। घटना संक्षेपमें इस प्रकार है
जाम ऊनड़के पाटवी पुत्र बालक सत्ताको हारस चारणका पुत्र, देवीको पाडाकी बलि देनेके खेल में मार देता है। हारस चारण इस भयके कारण नगरसमई छोड़ कर भाग जाता
है। लेकिन जाम ऊनड़ उसके पीछे आदमी भेज कर आदरके साथ बुला लेता है और ढाई . . दिनके लिये उसे समस्त नवलखी सिंधका राजा बना देता है। स्वयं एक जलपात्रको लेकर
महलोमें चला जाता है। उक्त गीत कच्छ कलाधर में इस प्रकार है. . . ., कोल वरस कीया करणीगर, भल दातार कवीचे भाग , .. ..ावठ कोड तणो छत्र ऊनड़, तो वण आपे कवरण तेयाग ।
सुघो दामोजी केरा ओसामा, मेल गानारां न सूझ माग , (सूधो दाव जिके राव सामा, मेळग नरां न सूझै माग) दान वडा दातारे दीधा, तखत किणे न कीधा तेाग । सा लखां लग दांन समपेनो, पोती वखाणां प्रथीसर पारण , (सो लाखां लग दांन समपियो, पात वखारण प्रथीसर पारण) तो जिम घोड़ तखत बेसाडे, सो कव कीणे न कीया सुरतारण ।
सिंध तणे में तखत वेसांडे, पात्रां भणाव्यो महा पसा , ........ : लोभीया तें दीनों लाखाउत, सिंध तणो छत्र साम सा।
-दुलेराय भेल. काराणी : (पृ० ३७०) कच्छ कलाधर, प्रथम खंड, द्वितीयावृत्ति, पृ. ३६४ (प्रकरण १७ मुं), 'जाम उन्नड़' । . .
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मुंहता नैणसीरी ख्यात
वात १ जांम उनड़ सांवलसुधरी
जांग ऊनड़ सांवळसुध कविनूं ग्राऊठकोड़-सांमई दी दान तरै आपरा गाडा समंदर बींट कराड़ां लेजाय छोड़िया । चापरी ठाकुराई उठै की' । गांव ५०० सो उठे प्रापरै दाखल किया। ऊंनड़री वडी साहबी, सु उतरा मां श्रमावी हुई ।
सु विचै थोड़ो सो पांणी थो नै नैड़ा हीज गांव ३०० हुरमझ दाखलै' रा था, सु वां जांणियो प्रो नैड़ो आयो सु म्हांनूं मारने धरती ल्यै, माल पण ल्यै । ऊनड़ परण जांणियो थोप्रांनूं' मारूं । वेता पहला अति भयसूं हीज माल-वित नावां घालने हुरमझ गया । गांव ऊंनड़ ग्रापरा किया | ने गांव ७०० कुडळै-गुलाईरा परगना समंद्र वार सूमरांरा धकायनै लिया । वडी ठाकुराई सिधसूं नजीक भुज दिसीसूं जायनै । जिहाज दिन ३ तथा ४ नूं जाय ।
पछै महड़ (ऊनड़) कनै सूं राव खंगार हमीरोत कुंड नैं गुलाईरा परगना चाप लिया भुज वांसें 1
12
1
पछै अकबर पातसाह जांमनूं तुरक कियो । हमैं तुरक छै" । वडा दातार छै । चारण आयेरी खबर दे तिणनूं ५ महमूंदी दीजै - 3 | अंजै वडी सायबी छै''। मांणस हजार ८००० तथा ६०००री जोड़ छै । सिंधरा गांव नजीक छै । वासूं कर बधो दै छै ।
14
वहां अपना राज्य स्थापित किया । 2 वहां ५०० गांव अपने अधिकार में कर लिये ! 3 उतने में संतोष नहीं हुआ । 4 निकट । 5 अधिकारके । 6 उन्होंने । 7 इनको । 8 ऊनड़ने उन गांवोंको अपने अधिकार में कर लिया । 9 और समुद्र के किनारे-किनारे
सूमरोंको भगा कर अपने
७०० गांव सूमरोंके अधिकारके कुंडल - गुलाई परगनेके थे, अधिकारमें कर लिये । 10 भुजकी प्रोरसे लगा कर सिंधके निकट तक बड़ी ठकुराई. ( राज्य ) का स्वामी हुआ । II बादमें राव खंगार हमीरोतने कुंड और गुलाईके परगने भुजके अधिकार में कर लिये । 12 श्रव मुसलमान हैं। 13 किसी चारणके ग्राम जानेकी सूचना देने वाले को पांच महमूंदी इनाममें दी जाती है । 14 अभी तक बड़ी ठकुराई है ।
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मुंहता नैणसीरी ख्यात
[२३६ गीत पखालदरी वेढ राव खंगार नै रावल जाम हुई
तिणरो बारहट ईलर कहै परा नांख पड़िहार पिंड पवंग' छोड़े परा, परापुड़ ऊपड़ी वेढ प्राझी | राहिबै हरधवळ हरधवळ राहिबो,
मांझियै वाजिया प्राय मांझी ॥१॥ जिण दिन रावळ नवोनगर लियो, तद हरधवळ हाजारै हाथ रयो नै हाजो नीसरियो' जातो हुवो तिणनूं' जसै हरधवळरै बेटै वांस आपड़नै', हाजा बापरा मारणहार मारियो ।
। घोड़ा। 2 (१) अत्यधिक, (२) जवरदस्त । 3 लड़े। 4 प्रमुख । 5 तव ... हरधवल हाजाके हाथसे मारा गया। 6 निकल कर, निकलता हुआ। 7 जिसको।
8 पीछेसे। 9 पकड़ कर । 10 बापको मारने वाले हाजाको मार दिया।
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मुंहता नैणसीरी ख्यात
वेढ १ जांम सन्चै नै अमीखांन हुई तिगरी बाल
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पातसाह अकबर गुजरात आजमखांननूं सोवै मेलियो' । सु तिण दिन गिरनार अमीखांन गोरी हुतो । सु तिनै जांम सत्ते सुख हुतो सुश्राजमखान गिरनार लेवण मते । तरे जांम इणरो ऊपर करें" । तरै श्राजमखांन जांमसूं हळफळ करी । पिण वजीर जेसो जांमरे रस हुवण दै नहीं" । तर अठी नबाब चढियो । उठी जांम चढियो । नवानगरसूं कोस १२ धवळहर छै, उठै उतरियो । नबाब ग्रांमरण उतरियो छै । १३००० अमीखांन, ४००० काठी, ४००० झाला, ४००० जेठवा, वाढेल ५०००, राव पंचायण ल्यायो ५०००। जांमरा घोड़ा हजार १०००० । ग्राजमखांन कनै पण निपट सखरो साथ' " । सु वळै कहाव घणा ही हुवा, पण जांम मांने नहीं" । फोजां बेऊं चढ आई। तरै ग्रमीखांनरै चाकर काठीलो हांमी हुतो, सो क्युं उणसूं जांम वुरी की थी । सु तिण श्रमीखांननूं कयो " - " तूं गिरनाररो धणी, काइ पाधरमें मरे " ? तरै अमीखांनरो अणी विंगर विढियां हीज मुड़ियो" । बीजो ही साथ घणो मुड़ियो" । तर उण घणो जोर कियो तठेजांम सत्तो नीसरियो" । तठे कवर जो वजीर जेसो कांम ग्राया | भात्रीज भांणेज जमाई मांणस ६७सूं कांम आया' 1: कवर अजै जेसै घणो पराक्रम कियो । मांरणस १८०० जांमरा खेत
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I वादशाह श्रकवरने श्राजमखानको गुजरातके सूवे पर भेजा था । 2 उन दिनों गिरनार में ग्रमीखान गोरी राज्य करता था । 3 उसके और जाम सत्ताके परस्पर प्रेम था । 4 आजमखानका विचार गिरनार लेनेका । 5 तब जाम इसकी (श्रमीखानकी) सहायता करे । 6 तव श्राजमखानने (श्रमीखानको मदद नहीं करनेके लिये) जामसे वातचीत की । 7 लेकिन वजीर जैसा जाम और उसके परस्पर मेल होने नहीं देता । 8 इंवरसे । 9 उधर । 10 वहां जाकर ठहरा । 11 नवाव ग्रांमररण में ग्राकर ठहरा है । 12 ग्रामखानके पास भी निपट बढ़िया सेना । 13 पुनः कई बार बातचीत हुई परन्तु जाम नहीं मानता । 14. ग्रमीखानका एक चाकर काडीला हामा नामक था, उसके साथ जामने कभी बुरा बर्ताव किया था । IS उसने ग्रमीखानको कहा। 16 तू गिरनार का स्वामी है, क्यों: त्र्यमें मर रहा है ? 17 तव श्रमीखानकी सेना बिना लड़ ही मुड़ गई । 18 दूसरी सेना भी बहुत सी लौट गई। 19 तब उसकी ( श्राजमखानकी) सेनाने बहुत जोर मारा तो जाम सत्ता बहांते भाग निकला। 20 नतीज़, भानजे और दामाद के साथ ६७ मनुष्य काम आये ।
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मुंहता नैणसीरी ख्यात
[ २४१
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पड़िया' । आजम खां नरा मांणस ७०० कांम आया । खेत हाथ आायो' । बीजै' दिन ग्राजमखांन नवोनगर लूंटियो । पछे जांम वात कर मेळ कियो । घोड़ा ५ जांम दिया । घोड़ा १० री जमै प्रागै की, सु वरसावरस छै । आप मिळियो । प्रमीखांन दिसिया को" मारल्यो, थांहरो गुनेगार छै"।" हमें घोड़ा ६० वरसावरस द्ये छे' । गीत जांम सत्तारो
परी राख पतसाह वळ बांह अहमंदपुरो,
अभंग लखधीर इम कियो आागे ।
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सतो मांगे नहीं धीर साहण समद, मीरजां मीरसूं बाथ' मांगे ॥ १ अमी खंगार नह मुदाफर ऊगरै, हुवा अळगा विना झाटकै हाथ " । साह राखै सरण साह बीजा 1 सरस, सूर मांगे तो बाथ समराथ ॥ २ आदि लगि सरण साधार लाखा हिमैं 12, भलो सत-साल 13 इम 24 भला भावां | मांगी पातसाह मा " मांग जुध मीरजां, आव मैदान मैदांन आवां ॥ ३
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गीत
पैसंतां लार'" लाख दळ पैठा", ढाल वाळिया लोथां 18 ढेर |
I जामके १८०० आदमी रणखेत रहे । 2 ( श्राजमखांकी) विजय हुई | 3 दूसरे । 4 पीछे जामने संधि कर के मेल कर लिया। 5 दस घोड़े और आगे देते रहने की शर्त्तकी, सो प्रति वर्ष देता है। 6 स्वयं उससे मिला और अमीखांके संबंध में कहा उसे मार डालो, वह तुम्हारा गुनहगार है । 7 अव प्रति वर्ष ६० घोड़े देता है । 8 भुजानोंके बलसे । 9 युद्ध | 10 बिना प्रहार किये ही ( युद्ध किये बिना ही) अलग हो गये । II दूसरे । 12 अव | 13 शत्रु शल्य, शत्रु के लिये कांटा रूप । 14 इस प्रकार । 15 मत, नहीं । 16 पीछे। 17 घुस गये प्रवेश किया । 18 लाशोंके ।
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२४२ ]
मुंहता नैणसीरी ख्यात निग्रह' फोज फाड़ नीसरतै, सतै घातिया पाखर सेर* ॥ १ सता तणो' वढ लोप न सकियो, लोपी नहीं लोह-ची-लीह। पै पंडर' घड़ा रा पाड्तै, दरगैरा पड़िया तिण दीह ॥ २ सतावीस दी कवण संभार, सदी स कवण वधै संग्रांम । पंच हजारी किता पाडिया, किता हजारी आया काम ॥ ३ त्रिकुट अनै हथणापुर- तीजो, घड़ा खूह-खण" एकण घाय' । इण निसपति असपतिसूं अवडो'', रिण काछियो जु काछी राय 1 ।। ४ .
___ गीत आढो भरमो कहै तवल वाज23 गजराज24 सकबंध अकवर तणा, रहचिया मीर हालै रंढाळे । सतै आफाळिया भला खुरसांणसू29 काछ° पंचाळ सोराठ काळे ।। २ . सारसी पारसी सिंधुरी साईयां. गुड़ड़िया सोर नीसांण गुड़िया ।
I युद्ध । 2 निकलते हुये । 3 डाल दिया, बना दिया । 4 छेद नाश । '5 का । 6 (१) प्रहार, (२) शस्त्रकी तीदरण धार। 7 (1) शस्त्रकी मर्यादा, (१) शस्त्रको धागको। 8 (१) परंतु, (२) प्रतिष्ठा, (३) पाँव । 9 मुसलमान, यवन । 10 सेना। ... II उन दिन। 12 कौन । 13 लंकाका गढ 1. 14 और। 15 हस्तिनापुरः। 16 सेना। ... 17 नाग। 18 प्रहार। 19 इतना। 20 लड़ाईकी, युद्ध किया। 21 कच्छके राजाने, कच्छाधिपति सत्ताने। 22 ढोल, नगारा । . 23 घोड़ा। 24 हाथी। 25 का । 26 संहार किया, पराजित किया । 27 वीरने। 28 युद्ध किया, भिड़ा . 29 वादशाही ।.. 30 कच्छ देश : 31 पांचाल देश । 32 सौराष्ट्र। 33 बजे ।....
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[ २४३
- मुंहता नैणसोरी ख्यात * प्रोतरा' पाछमा लाख दळं आवटै , जांमसूं काबली थाट जुड़िया ।। २ ढहै ढींचाळ रत-खाळ' खळकै धरा, जुड़े धड़ पड़े भड़दड़ जड़ाळे । सता विण अवर कुण साहतूं समवई', पाधरै पैज'° मैदांन पालै 1 ॥ ३. जाम जु कियो आजीज सु जेहवो', इसो को हुवो भाराथ13 प्रागै । कियो खळकट14 दळां काछ-कालंबरां, वीररो वळे सर घोर वागै ॥ ४
I (१) उत्तरके, (२) आगेके । 2 (१) पश्चिमके (२) पिछले । 3 नाश होता है। 4 सेना। 5 गिरते हैं। 6 हाथी। 7 रक्तका नाला । 8 कटारीसे। 9 समता करता है। 10 (१) मर्यादा, (२) प्रतिज्ञा । II रोकता है। 12 जैसा, समान। 13 युद्ध । 14 नाश, ध्वंश।
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२४४ ]
मुंहता नैणसीरी ख्यात वात १ झाला रायसिंघ मानसिंघोत नै जाड़ेचा जला धवलोत नै जाड़ेचा सायव हमीरोत बेढ हुई तिणरी'
झाला रायसिंघ मानसिंघोतनूं मानसिंघ परो काढियो'; तरै जाड़ेचो : जसो रायसिंघरै बैहनेई हुतो, तठे गयो । उठे रायसिंघ वरस १ रयो । सु एक दिन जसो रायसिंघ चोपड़ रमता हुता ; तितरै १ सोदागर नवैनगर भुजनूं जातो थो, सु नगारो साथै थो, सु वाजतो थो। सु गांव धोळहर जसार गांवरी सीम माहै पेंडै नीसरतो थो । सु जसै नगारो सुणियो ने कह्यो-"यो नगारो कुण वजावै छै? इसो कुण छै जु मांहरै गांवरी सीममें नगारो वजावतो नीकळे ? पांडव हुकम कियो .. जु घोड़ो तयार कर ल्याव । साथसूं जाबता की-"जु वेगा तयार हुइ... आवो' । प्रांपां इणसूं वेढ करस्यां ।'
तरै झालै रायसिंघ कह्यो-"म्हारा ठाकुर ! इसड़ी वात हळवी कासूं करो छो2 ? पंडा रो गांव छै13। घणा ही पैंडै नीसरसी,थे किणकिणसू वेढ करसो14 ?" तरै जसै कही-"जु जिकोई15 म्हारी सीव माहै नगारो वजावतो नीसरसी तिणसू? म्हे वेढ करस्यां ।" तरै रायसिंघ कह्यौ-"राज ! वेढ नहीं कर सको।" तरै जेसै प्रोकर वाह्यो18"जु जांणीजै छै, राज मांहरी सींव माहै नगारो वजावसो !" तरै रायसिंघ कह्यो-"म्हे रजपूत छां तो थांहरी सीव मांहै प्राय नगारो
___झाला रायसिंह मानसिंहोत और जाड़ेचा जसा धवलोत तथा जाड़ेचा साहिब हमीरोतके परस्पर लड़ाई हुई उसका वर्णन। 2 मानसिंह ने झाला यमल मानसिंहोतको अपने देशसे निकाल दिया। 3 तब रायसिंह अपने बहनोई जाड़ेचा जसाके यहां चला गया । 4 तो एक दिन जसा और रायसिंह दोनों चौपड़ खेल रहे थे। 5 इतने में। 6 सो वह जसाके धवलहर गांवकी सीमामें हो कर मुसाफिरी करता हुआ निकल रहा था। 7 यह नगाड़ा कौन बजा रहा है ? 8 ऐसा कौन है जो मेरे गांवकी सीमामें नगाड़ा बजवाता हुग्रा निकलता है ? 9 सईसको आज्ञाकी कि वह घोड़ा तैयार करके लाये। 10 सैनिकोंको सूचना की कि : ... जल्दी तैयार हो कर आयें। II अपन इससे लड़ाई करेंगे। 12 मेरे सरदार ! ऐसी पोछी. बात क्यों करते हो ? 13 यात्रियोंके लिये पाने-जानेके मार्ग वाला यह गांव है। 14. मार्ग पर हो कर अनेक निकलेंगे, पाप किस-किससे लड़ाई करेंगे। 15 जो कोई भी। 16: निकलेगा। . . . 17 उससे। 18 तव जैसेने ताना मारा। 19 मालूम होता है कि आप मेरी सीमामें नगारा
वजवायेंगे ।
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मुंहता नैणसीरी ख्यात
[ २४५ वजावस्यां' ।' तरै जेसे कह्यौ-'जो थे नगारो वजावस्यो तो हूं वेढ करीस ।' आ वारता तो अठै नीवड़ी । ____सोदागररो पहला नगारो वाजियो थो, तिणरी जेसै खबर कराई, जु कुण छ । जु आदमी खबर दी-जु वापारी लोक छै। पैंडै जाय छै ।' पा वात जेसै सुणनै कह्यौ-'काहुं करां ! वापारी लोक हुवा। नहींतर म्हारी सीव माहै नगारो देरावै नै हूं वेढ न करूं ! सु जांणनै प्राघो काढियो'।
- पछै कितराएक दिनां मास ४ तथा ५ झालै मानसिंघ रांम कह्यौ । तरै रजपूतां विचारियो-'जु टीको किण देस्यां' ? रायसिंघरा भाई तो नान्हा छै नै रायसिंघ बाहिर छै। नै यांथी तो धरती रहसी नहीं । टीका लायक रायसिंघ छ । तरै विचारनै रजपूते रायसिंघनूं बुलायो। इण दिसी अोठी चाढियो नै कह्यौ'ठाकुर राम कह्यो छै । धरती थाहरी छै । थे वेगा पधारज्यो ।'
सु जेसो रायसिंघ साळो बैहनेई झरोखै बैठा था। तितरै अोठी14 १ हळोदरै मारग दिसी आवतो जेसै दीठो । तरै रायसिंघनूं कह्यो-'जु अोठी १ हळोदरा मारग दिसी आवतो दीसै छै" । युं बेऊ ठाकुर वात करै छै; तितरै अोठी आय दरबाररै मांहै मुंहडैउतरियो आय जुहार कियो । तरै जसै रायसिंघ रजपूतनूं पूछियो'जु थे क्युं आया छो ?' तरै रजपूत कह्यो-'ठाकुरां राम कह्यो नै राजनूं रजपूतै बुलाया छै। राज वेगा पधारो। राजरी धरती छ ।' जाड़ेचै जसै कह्यो-'राज वेगा पधारो।' जसै रायसिंघनूं
I यदि हम राजपूत हैं तो तुम्हारी सीमामें आ कर नगारा बजवायेंगे। 2 यह बात तो यहां ही समाप्त हुई। 3 कि कौन है। 4 मार्ग चल रहे हैं। 5 क्या करें। 6 नहीं तो। 7 सो जानते हुए भी आगे निकल जाने दिया। 8 फिर कितनाक समय, चार तथा पांच महीने बीत जाने पर झाला मानसिंह मृत्यु-प्राप्त हुना। 9 राज-तिलक किसको देंगे ? 10 छोटे। II और इससे तो देश सम्हलेगा नहीं। 12 इसके लिये एक उष्ट्रारोहीको भेजा। 13 आप जल्दी आयें। 14 उष्ट्रारोही, शुतुरसवार । 15 से, की ओरसे । 16 देखा। 17 कि एक उष्ट्रारोही हलवदके मार्ग द्वारा प्राता हुआ दिखाई देता है। 18 दोनों। 19 इतनेमें उस उदास-मुख उष्ट्रारोहीने भीतर पा कर प्रणाम किया। 20 ठाकुरको मृत्यु हो गई। .
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मुंहता नैणसीरी ख्यात
लुगड़ा' कराय दिया, खरच दियो । घोड़ा दिया। यूं करने चढणरी वेळा हुई तरै जसैनूं रायसिंघ सीख करते को - 'जु राज मोनूं प्रकर बोलियो थो', सु हूं रजपूत छू, तो सही राजरी सींव मांहै नगारो देराइस' ।' तरै जसै कह्यो - ' जिण ही दिन थे नगारो म्हारी सींव मांहै दिरावसो, तद हूं आडो थाय ऊभी रहीस' ।' सु पहली तो या वात अदावदरी हुई थी, तरै तो सारां ही जांणियो थो- ' साळा वैहनेई थकां 'रांमत करै छै' ।' न था वात रायसिंघ हालतां कही तरे तो सारे ही जांगियो - 'जुना वात साची हुई । कोई उपाव उपद्रव हुईसी ।' सु झालो रायसिंघ तो चढने हळोद प्राय टीके बैठो । पर्छ मासां ४ धरती रस पड़ी”, तरै रायसिंघ सारांही रजपूतांनूं कह्यो-'म्हार श्री रिणछोड़जीरी जात छै, सु करणरो मन छै । सकोई साथ तयार हुवो ।' तरै देस मांहै भलो रजपूत, भलो घोड़ो थो, सु सोह भेळो कियो" जात सारू" | हळोदसूं असवार हजार २०००, पाळा हजार २००० सगळो साथ छे सु गांव धवळहररी सींव" मांह्रै ग्राया, तरै नगारी दिरायो । तरै जाड़ेचे जसे कह्यो- 'इसो कुण छै जिको म्हारी सींव मांहै नगारो दै. ?' आदमी मेल खवर कराई । आदमी कह्यो'जु झालो रायसिंघ छै ।' तरै जसो ग्रापरा साथसूं चढने सांम्हो आयो । तर रायसिंघ जसानूं कहाड़ियो' - 'जु थां कनै साथ थोड़ो छ " नै म्हारै पण श्री रिणछोड़जीरी जात करणी छे । सु हूं जात करने वळतो थां मांहै नीसरीस तरै वेढ करीस " । तितरं थे पण थांहरै देसरो साथ
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नगाड़ा वजवाऊंगा ।
I वस्त्र 1 2 आपने मुझे एक वार ताना दिया था । 3 तो अवश्य आपकी सीमा में 4 तव मैं ( युद्ध के लिये ) ग्राड़ा ना कर खड़ा रहूँगा । S ये सालाबहनोई हैं इसलिये हंसी-मजाक कर रहे हैं । 6 रवाना होते समय । 7. देश में शासनव्यवस्था जम गई। 8 मेरे श्री रणछोड़जीको जात (यात्रा) बोली हुई है, सो करनेका मन है । जात = कार्य की सिद्धि होने पर संकल्पित भेंट के साथ की जाने वाली किसी देवमूर्तिके दर्शनकी पूर्व निश्चित यात्रा | 9 सभी। 10 / 11 उन सबको यात्रा में साथ चलनेके लिये इकट्ठा किया । 12. सीमा । 13. तव नगाड़ा बजवाया । I4 कहलवाया | IS तुम्हारे पास सेना कम है । 16 सो मैं यात्रा करने के बाद लोटता हुआ तुम्हारी सीमामें हो कर निकलूंगा और तब लड़ाई करूंगा ।
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भेळो करो' ।' श्रा वात जसारै पण दाय आई ।
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झालो रायसिंघ पछै रिणछोड़जी रे दरसण गयो । कटारो ठाकरांरी कमर मांहीसूं छिटक पड़ियो, सु रायसिंघ लियो । रुपिया १५०० ) रो, इण रुपिया २०००) हजार दिया | दरसण कर पाछा खड़िया * ।
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अठै जसो आापरा देसरा साथसूं चढिया - पाळा' प्रादमी हजार सात ७००० भेळा किया । झालो रायसिंघ श्री रिणछोड़जीरी जात कर वळतो' नवैनगर रावळ जांम कनै ग्रायो, मिळियो । रावळ जांम घणो आदर भाव कियो । महमांनी कर सीख दी। मांणस २ रूड़ा मेलन रायसिंघनूं कहाड़ियो' - 'थे नै जसै बेई वाद कियो छै" । थे स्यांणा छो, जसो मोटियार छै" । थे नीसरता धोळहरथा कोस ४ अळगा नीसरजो" ।' ग्रा वात जाइ ग्रादमियां रायसिंघनूं कही । तरै रायसिंघ को - 'वा वात तो नीवड़ी " । घणां मांणसां सुणी ' ' ।' तरै उणे श्रादमिये जांमजीनूं कह्यो । तरै जाम ही तमकियो " । कह्यो, थे जाय कहो - 'जसो म्हारो भत्रीज छै । जो धूं धोळहर जाईस, तो म्हारा रजपूत ४ हुसी सु जसा भेळा हुसी " ।' तरै उणे रायसिंघनूं कह्यो - 'जुजांम यूं कहै छै ।' तर रायसिंघ कह्यो - 'ग्रा वात तो हूं जांणूं छू, पण कासूं करू ? पहली बात कही " । हिमैं जांम ग्राप धोळहर पधारै तो हूं टळू नहीं''।'
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यूं कहिन रायसिंघ घोळहर नजीक प्रायो । नगारो दियो" |
I जितने में तुम भी अपने देशकी सेनाको इकट्ठी करलो । जंच गई । 3 ठाकुर श्री रणछोड़रायकी कमर में से एक कटार नीचे कर के पीछे रवाना हुए। 5 सवार और पैदल । 6 इकट्ठे किये।
" लौटता हुआ ।
8 प्रातिथ्य कर के विदाई दी। 9 दो भले आदमियों को भेज कर के रायसिंहको कहलवाया । 10 तुम श्रौर जसा, दोनोंने एक विवाद खड़ा कर लिया है । II तुम समझदार हो श्रौर जसा जवान है । 12 तुम लौटते हुए धलवहरसे चार कोस दूर हो कर के निकलना । 13 वह बात तो खत्म हुई ( वह बात तो पक्की हो गई ) । 14 बहुतसे मनुष्योंने सुन ली है । IS तब जाम भी क्रोधित हुआ । 16 मेरे चार राजपूत होंगे सो जसाकी सहायता में होंगे । 17 परन्तु अब मैं क्या करू ? जब कि पहले बात कर चुका हूँ । 18 अब तो जाम स्वयं धवलहर पधार जायें तो भी टलनेका नहीं। 19 नगाड़ा बजवाया ।
2 यह बात जसाके भी
गिर पड़ा । 4
दर्शन
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२४८ ]
मुंहता नैणसीरी ख्यात
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धोळहर डेरो कियो । जसानूं ग्रादमी मेलन कहाड़ियो' - 'हूं ग्रायो छू । राज तयार हुय रहीजै । ग्रां परभातरा वेढ करस्या' ।' जसो पण ग्रापरा साथसूं तयार हुवो छै । वीजो दिन हुवो तद रायसिंघ ग्रापरा साथसूं चढ आयो । जसो पण ग्रापरा साथसूं चढ ग्रायो । गांवरा मुंहडा आगे तळाव छे, तिरै पार्छ मैदान छै । तठे वेऊ कांनीरो साथ प्राय चढियो छ । ग्रणी मिळिया छे । वेढ भली भांतसूं हुवै छै । वेऊं कांनीरो साथ पागड़ा छाडिया पाळो थको विढे छै' । तिण मांहै जसो असवार २०० सूं प्रापर साथ मांहै चढ़ियो ऊभो तमासो जोवै छै । तरै रायसिंघ दीठो ' - 'जु म्हारो साथ थोड़ो नै जसारो साथ घणो, जु काइ घात करूं ।'
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रायसंघ ग्रादमी मेलनै - " जसारी खबर कराई - 'जु कठै छँ, किसी आणी मांहै छै ' ' ?' सु प्रादमी खबर ले पाछो ग्रायो | कह्यो - 'पैली कां सांन (छान) साथ चढियो ऊभो छै, तठे छै ।'
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तरै रायसिंघ आपरा साथ मांहै भलो रजपूत, भलो घोड़ो थो त्यां मांहै टाळनै असवार ४०० लेन जसो ऊभो यो त जसा ऊपर तूट पड़ियो । जसो निपट ससवो वो " । जसारो साथ भागो । जसा रायसिंघरो घणो साथ कांम प्रायो । खेत रायसिंघरै हाथ आयो ।
2
पछे गांव हल्लो कियो । तरं रावसिंघरी बहन जसारै घर हूंती सु ग्राडी फिरी । कह्यो - 'थे घणो ही कांम कियो, गांव मोनूं कांचळीरो बगसो ।' तर गांव मारियो नहीं" । नै प्रापरो साथ खेत पड़ियो थो, सु संभायने हळोद पाछा श्राया' 1
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16
I जसाको आदमी भेज कर कहलवाया । 2 अपन कल प्रात: लड़ाई करेंगे । वहां पर दोनों घोरकी सेनाएँ चढ़ आई हैं । . 6 दोनोंकी
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।
3 दूसरा । 4 मुंह, साम्हने । सेनाएं ग्रामने-साम्हने हो गई हैं 7 दोनों प्रोरकी सेनाएं अपने-अपने वाहनों को छोड़ कर पैदल युद्ध कर रही हैं । 8 तव रायसिंहने देखा । 9 इसलिये कोई आक्रमण करनेकी घात करूं । 10 भेज कर । II वह कहां और कौनसी अनी ( टुकड़ी) है. 12 जया बड़ी सरलतासे मार दिया गया । 13 रायसिंहको विजय हुई | 14 तुमने.. बहुत अच्छा काम किया, अव यह गांव तो मुझको कंचुली के रूपमें वख्शीश करदो । IS तब गांवको नहीं लूटा | 16 और अपने सैनिक जो युद्ध भूमिमें काम या गये थे, उनकी श्रन्त्येष्टि करके हलवद लौट आया ।
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[ २४६
मुंहता नैणसीरी ख्यात तिण वातरी साखरो गीत वारहट ईसर कहै'
. गीत पंख किसू भखै, की अगन प्रकास, लाऔ किसूं संकर गळ लेन। वप जसराय तणो घाय वहंतां, लोह धार रहियो लागेन । १ अमिख अमिखचर मंगन आई, उतवंग ईस न उपगरियो । सांमा तणो सरीर सरब ही, आवध धारां ऊतरियो ।। २ विहंगां हुवो न चीनो विसनर, भव ही तणे न पायो भाग। अंग जसराज तणौ आफळतां, लिख-लिख गयो अंगारां लाग ।। ३'
वात
जसानूं रायसिंघ मारियो, जिण ऊपर जाड़ेचा ठाकुर सको भेळा होयनै नवानगर जांमजी तीरै गया । प्राय कह्यो-'राज
I इस युद्ध-वार्ताकी साक्षीका गीत बारहठ ईश्वरदास इस प्रकार कहते हैं। 2 गिद्ध आदि पक्षी क्या भक्षण करें और अग्नि क्या जलाये ? शंकर अपनी रुंडमालाके लिये किसका सिर प्राप्त करें ? शरीरका कोई भी अंग किसीके हाथ नहीं लगा। जसराजके शरीर पर इतने अधिक शस्त्रों के प्रहार लगे हैं कि उसके शरीर का प्रत्येक अवयव छोटे-छोटे टकड़े हो कर शस्त्रोंसे ही लगा रह गया ॥ १ ..गिद्धिनी और चील आदि मांसभक्षी पक्षी मांस भक्षणके लिये आये। शिव अपनी रुंडमालाके लिये सिर लेनेको आये । परंतु किसीको कुछ भी हाथ नहीं लगा। सामा जसराजका समस्त शरीर शस्त्रोंकी धाराओंसे ही लगा रह गया ॥ २
पक्षियोंको उसके शरीरका कुछ भी भाग प्राप्त नहीं होने से निराशा हुई । वैश्वानर उसके शरीर को देख ही नहीं पाये और भगवान् शंकरको अपना भाग-वीरका मस्तक भी
प्राप्त नहीं हो सका । जसराजके अंगके युद्धमें शस्त्रोंके प्रहारोंसे हुए छोटे-छोटे टुकड़े जो शस्त्रों .. ही में लगे रहे, उन्हें छुड़ा कर, मात्र उनका ही दाह-संस्कार किया गया ।। ३
3 जिस पर, जिस बातके लिये। 4 सभी। 5 पास गये।
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२५० ]
मुंहता नैणसीरो ख्यात जाड़ेचांरा ठाकुर छो। झाले रायसिंघ जसानूं मारियो छ । राज मांहरी ऊपर करो।' ____तरै जांमजी जाड़ेचा साहव हमीरोतनूं विदा कियो । ताबीन घोड़ा हजार २०००० दिया। कह्यो-'थे जाय रायसिंघनूं मारि लेनो।' तरै पा वात रायसिंघ सांभळी । तिण ऊपर हळोदरो कोट संवरायो ।
आपरो साथ भेळो कियो। मरणीक हुय बैठा छ। कोट सझियो छ । जाड़ेचांरो कटक हळोदथा कोस १० आय उतरियो छ ।
हळोदथा कोस ५ साहिवरो सासरो छ । सु रातरै-पोहर साहिब असवार ५००सू सासरै आयो । सु झालो रायसिंघ वापरै .. साथ माहै ऊभो खबरदारी ल्ये छ । तितरै रायसिंघरो मांगणिहार' गांव जाडै साहिबरो सासरो थो, तठे ो पण परणियो थो, सु सासरै गयो थो, सु साहिब रायसिंघ ऊपर आयो सुणनै पो ही रायसिंघ तीरै आयो । प्रासीस दी। तरै डुमन पूछियो-'थे कांईं वात सुणी?' तरै कयो-'बीजी कांईं वात तो सुणी नहीं, ने जाड़ेचो साहिब आज सासरै आयो छ ।' तरै रायसिंघ कयो-'पा वात तो हूं मानूं नहीं। मो इतरै नडै थक, साहिव कदै कटक मांहिथा सासरै जाय नहीं।' तरै डूंम कयो-'हुकम करो तो घोड़ारा सहनांण वताऊं।' तरै .:: कह्यो-'वताव' ।' तर इण सहनांण कह्यो। तरै वात मांनी18 1 तरै रायसिंघ आपरो साथ थो तिण मांसूं भलो रजपूत, भलो घोड़ो थो, ... तिण माहै असवार ५०१ टाळवां था तिके लेनै साहिब ऊपर दोडियो।
I आप हमारी सहायता करें। 2 अधिकारमें, तावेदारीमें। 3 सुनी। 4 जिस पर हलवदका कोट तैयार करवाया। 5 मरनेको तैयार (अत्योत्साहसे युद्ध में मरणातुर) होकर बैठे : हैं, मरणीक = मरणशील, मरणधर्मा। 6 योद्धा और शस्त्रों आदिसे कोटको सभी प्रकार . पूर्ण कर लिया है। 7 हलवदसे पांच कोसकी दूरी पर साहिबकी ससुराल है। 8 रातके समय । 9 अपनी सेनामें। 10 खड़ा हुया देख-भाल कर रहा है। I इतने में । 12 याचक। 13 वहां यह भी व्याहा था। 14 यह भी। 15 दूसरी तो कोई बात नहीं सुनी है। 16 मेरे इतने निकट होते हुए भी। 17 बतला दे। 18 तव बातको :: सच माना। 19 चुने हुए ।
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मुंहता नैणसीरी ख्यात
[ २५१ सु जाड़ेचो साहिब सासरियांसू सीख करने ‘हालतो थो। रात - पोहर १ वांसली थी, सु सासरिया हालण दै नहीं । कह्यो-'सीरांवणी ...' करावां छां । राज सीरावणी अरोगनै पधारो ।' तरै साहिब तो रहतो न थो, पण सासरियां माडां राखियो ।
परभात हुवो तरै साहिब अमल करनै फराकत तळाव पधारिया', सु साहिब आप घोड़े असवार हुवो छै। मुंहडै आगै माणस ५०१ पाळा-तरवारिया गिरिया साथै छ । तळावरी पाळ' पांणीरी तीर पूगा'", तितरै पैली कांनी साथ आवतारी बरछी झळकी सु दीठी । तरै खवर कराई। तितरै रायसिंघ ही आय भेळो हुवो । अणी मिळी । अठे वेढ निपट सखरी हुई। रजपूत रजपूतारै मुंहडै
आया। रायसिंघ नै साहिब मांहोमांही बाजिया। रायसिंघ . साहिबनूं मारियो । रायसिंघनूं पण साहिबरै हाथरा पूरा लोह लागा। . रजपूत बेहांईरा घणा काम आया" । छोकरो १ पाछो नायो । झालो रायसिंघ एकण खांनहड़ी माहै पड़ियो थो, सु जोगिये उपाड़ियो । पाटा बांधिया । रायसिंघ तो जीवियो । साहिब नै साहिबरो साथ, रायसिंघरो साथ काम आयो, आ वात जाड़ेचारै कटक सुणी तरै कटक पाछो गयो।
___I सो जाड़ेचा साहिब अपनी ससुराल वालोंसे आज्ञा प्राप्त कर रवाना हो रहा था। ... 2 'उस समय पिछली एक प्रहर रात शेष थी। 3 अतः ससुराल वाले उस समय प्रस्थान
करनेकी आज्ञा नहीं देते । 4 मनुहार कर के कहा-कलेवेकी तैयारी करा रहे हैं। 5 श्रीमान् कलेवा अरोग कर पधारें। 6 परंतु ससुराल वालोंने हठात् रोक कर रख लिया। 7 प्रभात हुआ तब अफीम ले कर के शौच-निवृत्ति के लिये साहिब तालाब पर गया। 8 उसके पागे-मागे तलवार धारण किये हुए ५०१ योद्धा साथमें चल रहे हैं। 9 ऊंचा किनारा, कगार। 10 पहुंचे। II इतनेमें दूसरी ओरसे आती हुई सेनाकी बरछियाँ चमकती · हुई देखीं। 12. इतने में रायसिंह भी आ पहुंचा। 13 दोनों सेनाएँ आमने-सामने हुई।
- . 14. यहां बहुत . जबरदस्त लड़ाई हुई। सखरी = अच्छी। 15 दोनों ओरके रजपूत एक...... दूसरेके सामने या कर भिड़े। 16 रायसिंह और साहिब परस्पर भिड़े। 17/18 दोनों
पोरके सभी रजपूत काम आ गये । एक छोकरा भी वापिस नहीं पाया। 19 झाला राय1 . सिंह एक खड्डेमें गिर पड़ा था, उसे योगियोंने उठाया। 20 घावों पर पट्टे बाँधे ।
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२५२ ]
मुंहता नैणसीरो ख्यात . तिण वातरी साखरो दूहो'
कण बे हूंता काछ, साहिव जसवंत सारिखा। झालो झंझेड़े गयो, पाछै रहियो पाछ ।'
गीत साहिब हमोरोतरो भड़ घणा तोय आजूणो' भांजे विढवा ऊठियो वांकम-वीख साहिब एको लाख सरीखो साहिब एको कोड़ सरीख ।। १. झाले क्यु साहिब झाला औ' मयंद ऊठियो निभै-मणो' मुंह झालियो न जाये मिळ त्रिणे घणे ही मंगळ तणो । २ हामावत एको हारवसी1 दळ-अर' दाख दहण खग" दाहि... कुंजर कोड़ मिळे जो कारी सीह झड़फतो सके न साहि ॥३ ।। खग बंधव पेखे खळ-खोहण खत्री ऊठियौ धूणै खाग गुरड़ तरणो मुंह तोय न अहिजै18 नव-कुळ जो मिळ आवै नाग ।। ४
I उस वातकी साक्षीका दोहा। 2 झाला रायसिंह, साहिब और जसवंत, दोनों पोरके वीरोंकी सेनाओं में परस्पर ऐसा भयंकर युद्ध हुआ कि उसमें रायसिंहके. सिवा .. कोई शेष नहीं रहा । साहिब और जसवंतने रायसिंहकी सेनाका और रायसिंहने साहिब और जसवंत सहित उनकी समस्त सेनाका खातमा कर दिया। 3 वीर। 4 अाज, आजका। 5 वांकी चाल वाला, वांकी तौर वाला। 6 पकड़ते हैं। 7 ये। 8 मृगेन्द्र, सिंह । ... 9 निर्भय मन वाला, निडर। 10 का। II हारेगा, हरावेगा। 12 शत्र दल ।.. 13 देख कर। 14 खन। 15 सहन करना, धारण करना। 16 शत्रु का नाश करने वाला। 17 खड्ग। 18 पकड़ा जा सके।
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. मुंहता नैणसीरी ख्यात
[ २५३ मंगळ त्रिणेन न मयंद मैंगळे पनगे गुरड़ न सकियो पाल' एको कळह घणै ऊठतो
झालौ साहि (ब)न सकियो झाल ॥ ५ वात १ जीव रन धरमदासांरणी कही नै पहला सुरगी थी तिका तो लिखी हीज हुती । वात जाईचा साहिबरी नै झाला रायसिंघरी फेर लिखी' ___ जाड़ेचो साहिब पहला भारै भुजनगररै धणियांरो चाकर थो। सु किणीक वास्तै रीसांणो हुवो, तरै छाडनै अहमंदावादरा धणीरो चाकर मूसाखांन तिण कनै गयो । उठे मास ७ रहिनै सातलपुर पटै करायनै पाछो वळतो' हळवदथी कोस ८ माळियो गांव रायधणांरो तिणरै कांठ' असवार ५००सूं प्राय उतरियो थो।। - सु ा खबर रायसिंघनूं पांसवाथा वाघेलै रिणमल सगो थो उण खबर मेली'-'जु पोहर ४ रातरो साहिब गांव माळियै रहसी12 ।' सु रायसिंघ किणीनूं वात जणाई नहीं । असवार-पाळा14 हजार ३००० चढनै खड़ियो सु भाख-फाटती रायसिंघ माळियै आयो। __साहिब घड़ी एक पहला रायसिंघरै परधान भाटी गोविंददास खबर दी थी। सु झै चढ तयार हुइ ऊभा रया था । सु सांम्हां आय । तळाव १ मांहै दबिया ऊभा था। साहिब साथै पबो जाड़ेचो वडो
__'अग्नि। 2 तृण-समूह । 3 हस्ति-समूह, हाथियोंका झुड। 4 पन्नग-समूह, सर्प-समूह। 5 वर्जन, रोक । 6 युद्ध । 7 जाड़ेचा साहिब और झाला रायसिंहके युद्धको बात जो पहिले लिखी गई है वह तो सुनी हुई लिखी गई थी। इनके इस युद्धकी एक और बात धर्मदासके पुत्र रतनूं-बारहठ जीवाने (प्रकारान्तरसे) इस प्रकार कही सो वह भी यहां . और लिखी जा रही है। 8 वह उससे किसी कारण रुष्ट हो गया, तब वहांसे छोड़ कर के
अहमदाबादके स्वामीका चाकर मूसाखान था उसके पास चला गया। 9 लौटता हुआ। , 10 रायधनोंका मालिया गांव उसके किनारे । । रायसिंहका संबंधी (समधी) वाघेला ..रिणमल था, उसने पांसवा गांवसे यह खबर भेजी। 12 रातके चारों पहर (रात भर) साहिब ‘मालिया गांवमें रहेगा। 13 रायसिंहने किसीको भी इस बातकी सूचना नहीं दी । 14 सवार और पैदल । 15 चला, रवाना हुआ। 16 प्रभातके समय। 17 सो ये भी चढ़ कर तैयार खड़े थे।
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राजपूत थो । रायसिंघ साथै वीको ईडरियो नै पठाण हवीव वडा रजपूत था. सु वाजिया' । वीको पवो वाजिया । रायसिंघ नै साहिब वाजिया । बेऊं खेत रया ।
राव खंगार घोड़ा हजार बारें # १२०००सूं कोस ७ पर ग्राजोर उतरियो थो' । नै जांम वीभो हळवदश्री कोस १ उतरियो छै । तिण सगँ ग्रा वेढ इणां हुई' । वेऊं कांम ग्रायासु राव जांग ि परा खड़िया' ।
साहिव तो कांम प्रायो । रायसिंघनूं जोगियां उपाड़ियो माणस ६०सूं'°। वांसै टीकं रायसिंघ चंद्रसेन बैठो । वरस १० हुवा है । हालांसूं लाख महमूंदी बेटी २ देतां रायधण मळगेरा, तिण वैर भागो नहीं" ।
.12
14
तिण समै रायसिंघ जोगी १०० लेने हळवदरै तळाव ग्राय उतरियो । दिन २ हुवा। रांणा चंद्रसेन रायसिंघोतनूं खबर हुई'कोई वडा जोगेश्वर श्राया छे ।' तरं चंद्रसेन दुपहरीनं सुखपाळ' १ मांहै वैस 3 डीकरा - २ नांना सुखपाळ माह बैसाण ग्रसवार १० तथा १२, पाळा ५ तथा ७ साथै ले जोगियांरें पगे-लागण गयो । पंगे लागो । पर्छ बूवना' १० उण महिला ऊठनै चंद्रसेन कनै आय बैठा । चंद्रसेननूं कहण लागा - ' प्रायस " कुण छे ?' तरै चंद्रसेन कहण लागो - 'कोई वडा सिध छै तरै उणै कयो - 'सिध न छै । थारो
16
।'
15
साहिवके साथमें पव्वा जाड़ेचा बड़ा वीर राजपूत था और रायसिंह के साथ में चीका ईडरिया और हवीव पठान दोनों बड़े वीर राजपूत थे - ये परस्पर लड़े । 2 वीका और पव्वा लड़े | 3 रायसिंह और साहिब परस्पर लड़े । 4 दोनों वीर गतिको प्राप्त हुए । (यहाँ रायसिंह और साहिब दोनोंका खेत रह जाना बताया गया है, किंतु श्रागे के विवरणसे पता चलता है कि रायसिंह मरा नहीं, घायल हो गया था और उसे ग्राहत अवस्था में जोगी. उठा कर ले गये । ) 5 वारह हजार | 6 आकर ठहरा था। 7 उस समय इनके परस्पर यह लड़ाई हुई । 8 दोनों काम श्रा गये तव रात्र जाम चढ कर चला गया । 9 साहिव तों मर गया । TO रायसिंहको उसके ६० आदमियोंके साथ जोगी उठा कर ले गये । II एक लाख महमूंदी और दो कन्याएँ देते हुए भी हालोंसे रायवरण राजी नहीं, इसलिये शत्रुता मिटी नहीं | महमूंदी = एक सिक्का । 12 पालकी । 13 बैठकर । 14 लड़के |
कर 1
16 साधु, जोगी । 17 योगी, सन्यासी !
IS 5
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[ २५५ बाप छै ।' बूबने चंद्रसेननूं झालियो' । नै साथै हुता तिणां पांचांसातांनूं कूट मारिया । वीजा नास गया । बूबनां चंद्रसेननूं बांधने सुखपाळ मांहि नांखनै घोड़े चंद्रसेनरै रायसिंघनूं चाढियो । बीजा' जोगी घोड़े चढ हळवदरा कोट मांहै अजांणजकरा प्राय, रजपूत ७ वळे मरण वाळा हुता सु मारिया' । बीजा नास गया। रायसिंघरी . जोगियां प्राण फेरी । चंद्रसेननूं छोडने माणस साथै देन गांव मालणियाळ दे सीख दी । आप साथै जोगी ५७ ऊपड़िया हुता, तिणांरो जोग उतराय आप-आपरा गांव दै घरे मेलिया | झाला प्राय सोह मिळिया1 | रायसिंघ आपरी राई-वाई की12 | बेटा भगवानदास नारणदास कनै राखिया ।
रायसिंघनै अायो संसार सुणियो। वरस १ हुवो। साहिबरै भारै असवार १५००० हजार, १५००० पाळांसू अंजार कोसां २० उतरियो इण माथै । उठाथी दूजो भींव पंचाइणरो साहिबरा पोतरां साथै फोज दै रायसिंघ ऊपर भारै असवार हजार १००००, . पाळा हजार १०००० विदा किया । हळोद उतरियो। रायसिंघ सांम्हां असवार २०००, पाळा २०००सू आय उतरियो। वेढ हुई। रायसिंघ माणस ३५०सं काम प्रायो" । आदमी १४० जाडैचांरा कांम आया। भारै चंद्रसेननं पगै लगायो । हळवद बैसांणियो ।
... ... I पकड़ा। 2 और जो साथमें थे उन पांच-सात आदमियोंको पीट कर मार दिया। .. 3 दूसरे भाग गये। 4 डाल कर के। 5 दूसरे। 6 अचानक, एकदम। 7 सात राजपूत " लड़ कर के मरने वाले थे उनको और मारा। 8 जोगियोंने रायसिंहकी प्रान-दुहाई फिरा
दी। 9 चंद्रसेनको छोड़ दिया और उसको मालरिणयाल गांव पट्टेमें देकर और कुछ आदमी साथ दे कर रवाना किया। 10 इन लोगोंका जोगी-भेष उतरवा कर और अपने-अपने गाँव • वापिस देकर इनको अपने घर भेजा। II सव झाले आकर मिले। 12 रायसिंहने अपनी -शासन-व्यवस्था जमा ली। 13 साहिबका लड़का भारा १५००० सवार और १५००० ' पैदल सेना लेकर इसके (रायसिंहके) ऊपर अंजारसे २० कोस दूर आकर ठहरा । 14 वहांसे (अंजारसे) पंचायनके बेटे भीम दूसरेको साहिबके पोतोंके साथ दस हजार पैदल सेना देकर भाराने रायसिंहके ऊपर रवाना किया। I5 लड़ाई हुई। 16 रायसिंह ३५० मनुष्यों के साथ काम पाया। 17. भाराने चंद्रसेनको अपने पाँवों लगाया और हलवदकी गद्दी पर बिठा दिया।
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झालांरी बंसावली लिख्यते झालो सुरतांण प्रथीराजरो। प्रथीराज, चंद्रसेन, रायसिंघ मानसिंघरा, तिको वांकानेर वसियो' । ईडर राव कल्याणमलरी भतीजी, केसोदास नारायणदासोतरी वेटी परणियो थो' । सु ईडर छड़वडै साथ जातो हुतो । पछै रांणा आसकरणनूं खवर हुई। गांव माथकै हळोदथा .. कोस ७ उतरियो हुतो सु तठे आदमियां १२सू मारियो ।
१ मानसिंघ हळोद धणी। २ रायसिंघ हळोद धणी। वडो रजपूत, जिण जसो साहिब
मारिया । . ३ रांणो चंद्रसेन रायसिंघरो। इणनूं मोटै राजारी बेटी सत-.. भामावाई परणाई हुती। घणा दिन जीवियो। पछ बेटै
आसकरन अमर कैदमें कियो । ३ नारणदास । ३ भगवानदास । रांणा चंद्रसेन रायसिंघोतरो परवार प्रांक ३
४ प्रथीराजनूं पातसाह जांहगीर पकड़ ग्वालेर चाढियो' । ... ५ सुरतांण प्रथीराजरो। ४ भोजराज । ४ रांणो। ५ प्रतापसी। ५ रांणो आसकरण वापनूं झाल आप टीक बैठो । सतभांमारो ...
I पृथ्वीराज, चन्द्रसेन और रायसिंह तीनों मानसिंहके पुत्र, वह (मानसिंह) वांकानेरमें जा बसा । 2 मानसिंहका ईडरके राव कल्याणमलको भतीजी, उसके भाई केशवदास नारायणदासोतकी बेटीके साथ विवाह हुआ था। 3 वह छुटपुटे साथको लेकर ईडर जा रहा .. था। 4 हलवदसे सात कोस दूर मायके गांवमें ठहरा हुया था, वहां पर १२ पादमियोंके माय प्रासकाने मानसिंहको मार दिया। 5 रायसिंह हलवदका स्वामी। यह बड़ा वीर .... राजकृत हुना। इसने जना और साहिबको मारा। 6 पीछे उसके (चन्द्रसेनके) वेटे प्रासकर्ण और अमरने चन्द्रसेनको कैद कर दिया। 7 बादशाह जहांगीरने पृथ्वीराजको पकड़ कर ... ग्वालियर किलं पर चढ़ा दिया । 8 राणा ग्रासकर्ण अपने वापको पकड़ (कंदमें डाल ) कर ..... स्वयं गद्दी पर बैठ गया।
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[ २५७ बेटो'। भाई अमरानूं धरती माहै हैंसो दियो हुतो। पर्छ चूक करनै अमरानूं ही झलायो । आसकरणरी बैहन बीच हुय छुडायो । पछै अमरै एकलै मोहल मांहै जाय आसकरणनूं मारियो । उणरै बेटो कोई नहीं । टीकै अमरो बैठो। ५ रांणो अमरो। भाई आसकरण मार टीको लियो । पर्छ
वरसे २ बाकळित्रै अमरानूं कटारी ३तूं मारियो । ६ रांणो मेघराज । ७ गजसिंघ श्रीजीरै वास । गुजरात रुपिया २००००) रो पटो।
.. I यह मोटे राजा उदयसिंहकी पुत्री सत्यभामाकी कोखसे उत्पन्न राणा चन्द्रसेनका
...... पुत्र। 2 हिस्सा । 3 पीछे दगा करके अमराको भी पकड़वा लिया। 4 पीछे अमरा ... इकल्लेने महल में जा कर आसकर्णको मार दिया। 5 पीछे दो वर्षों के बाद बाकलियेने तीन . ... वार कटारीका वार कर के अमराको मार दिया।
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वात झालोरी गुजरातरै देस झालावाड़रा गांव १८०० कहीजै । मुदै तो गांव हळवद ही में छै । नै अ पाटरिया कहीजै । सु पाटरी हळोदथी कोस ८ छ । आगे तो इणांरो उतन पाटरी हुतो' । झालो महमंद सोळंकी मूळराज पाटणरा धणीरो चाकर थो। सु राठोड़ सीहै नै मूळ राज जाड़ेचे लाखैनै मारियो, तद कहै छै, लाखो जाड़ेचो हाथीरै ... होदै वेढ माहै बैठो थो । सु लाखायूँ झाले महमंद बरछी लगाई। तिण रीझरी मूळ राज महमंदनूं झालावाड़ गांव १८००सू दीवी । तद इतरा परगना लागता । झालावाड़ कहावै - ___गांव ७४७ वीरमगांव । निपट वडी ठोड' । रुपिया ३००००००) आज उपजै छै । दांम १०००००००), गांव ७४७ ।
२५२ गांव वीरमगांव वांस । २१६ वीरमगांव, दाम ६९८५७३५ । ३६ मूळ (मूळी) रा दांम ३८५६६८° ।
१६२ भोमियां नीचे जोर-तलब' । ११२ हळवद ।
____ I खास गांव तो हळवदके ताल्लुकेमें ही हैं। 2 पहले तो इनका निवास पाटड़ी में था। 3, 4 तब ऐसा कहा जाता है कि जब युद्ध हो रहा था तव लाखा जाड़ेची हाथीके होदेमें बैठा हुआ था। 5 उस साहसिक कार्य से प्रसन्न होकर मूलराज सोलंकीने झाला ... महमंदको १८०० गाँवोंका झालावाड़ प्रान्त इनायत कर दिया । 6 झालावाड़ कहे जाने वाले प्रान्तमें तब इतने परगने लगते थे। 7 वीरमगांव जिलेके ७४७ गांव हैं, यह बहुत .. उपजाऊ और बड़ा प्रदेश है। 8 अाज (ख्यात-लेखकके समयमें) इसकी उपज तीन लाख रुपये हैं और उन ७४७ गांवोंका कर एक करोड़ दाम हैं। दाम = दामका मूल्य देशकालानुसार ... न्यूनाधिक रहा है। राजस्थान और गुजरातमें एक पैसेमें २५ दाम, तदनुसार एक रुपयेमें १६०० दामोंके हिसाबसे फलावट करनेका प्रचलन अधिकतर रहा है। इस हिसाबसें (वीरम-.... गांव जिलेके ७४७ गांवोंका राजस्व) एक करोड़ दामोंके ६२५०) रुपये होते हैं। वीरमगांव जिलंकी उपज (उत्पादन) तीन लाख रुपये और उसके साथ एक करोड़ दामों (६२५० .... रुपयों का उल्लेख उपज पर उत्पादन-शुल्क या राजस्व ही होना संभव है। 9 (वीरमगांव जिले में) वीरमगांव परगनेके पीछे २५२ गांव, जिनमें उप-प्रान्त तरीके. ६१६ गांव वीरमगांवके, जिनका राजस्व दाम ६९८५७३५ (रु०. ४३६६।। १०) और शेप ३६ गांव मूळी उप-प्रान्तको जिनका राजस्व ३८५९६८ दाम (रु० २४१३।।१८) हैं। 10 १६२ गांव मोमिनारप्रधिकारमें है, जिनकी तलबी मस्त
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[ २५६ ४६ गांव जुदा परगना वांस गया । ६ पाटण। ३७ मुंजपुर । ६२ सूंना वरस ४० तथा ५० हुवा ।
पाटरी हळोदथा कोस ८। तठे घर २०० तथा २५० कोळी, वोहरा, वांणिया, ग्रासिया वसै छै। लूंणरो आगर उठे छै। रुपिया ७०००) उपजै छै । वीरमगांव लागे ।
झाला मकवांणां भिळे । १ मानसिंघ। २ रायसिंघ । ३ चंद्रसेन । ४ आसकरण । ४ अमरा। ५ मेघराज । गांव १५२ वीरमगांव तालकै । ४० गांव कोळी कांन्हा हेठ । अमल न दे । दांम ३६०७६२२० । ८७ तालकै भोमियां । जोर पोहतां हासल दे । ३६ मूळी, रायसल पंवार ।
८६ हासलीक । चूंडो-रांणपुर, वढवांणनूं लागै । वाचणथा' कोस ३०, वीरमगांवथा कोस ३० । तठे आजमखां सखरो11 कोट करायो।
२२३ वढवाण लारै जुदा किया । दाम ५५४३४८1.। . २७ चूंडा-रांगपुर।
I गांव ऐसे हैं जिनका एक अलग परगना बना। 2. ६२ गांव ४०-५० वर्षोंसे उजड़े हुए हैं। 3 (पाटड़ी गांव) वीरमगांव परगनेको लगता है। 4 झाला राजपूत मकवानोंमें शामिल होते हैं। 5 इनके १५२ गांव वीरमगांव ताल्लुकेमें हैं। 6 ४० गांव कोली
कान्हाके अधिकारमें हैं, जिनका राजस्व ३६०७६२२ दाम (रु० २२५४॥ २२) हैं, किन्तु . अमलदारी नहीं होने देते। 7 ८७ गांव भोमियोंके ताल्लुकेमें हैं । सख्ती पहुंचने पर राजस्व
- देते हैं। 8 ३६ गांव मूली परगनेके, जिनका भोमिया-जागीरदार रायसल (रायसिंह) ...पंवार है । 9 चूंडा-राणपुर और वढवानके अंतर्गत हैं। 10 वाचणसे । II अच्छा । 12
.२२३ गांव वढवानके अंतर्गत और किये, जिनका राजस्व ५५४३४८ दाम अर्थात् रु० ३४६।।२३ हैं।
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२६० ]
मुंहता नैणसीरी ख्यात ४५ भोमियां हे। ४० वेरांन । ११० हासलीक ।
३ मूळीरो परगनो । वीरमगांव वांस गांव ३६ लागै । ‘गांव ४ . पातसाही दाखल । बीजा गांव काठियां दबाया । पंवार रायसिंघ. भूमियो छै। धंधूको, धवळको, मोरवी, काठीवाड़, बाचारांवाळी, मुझूवाड़ो।
चूंडा-रांणपुररी वस्ती७० वांणिया, १५० भरवाड़, पटेल, १०० सिपाई।
कोट हेढ़ नदी देरांणी-जेठांणी सदा वहै छै। कोटरो किलादार पातसाही तरफतूं मिलकबेग सदा रहै छै। सु गांव २ पावै छै। सहरमें चूंगी पावै छ। वीरमगांव जिणरी जागीर मांहीं हुवै सो असवार ५०० चूंडै-रांणपुर काठियांरै मुंहडै राखै ।
हळवद सहर झालांरो उतन। अहमदावादथी कोस ४० । नवानगर हालांरासू कांकड़ नवोनगर कोस ३० छ। हळवद पाधर माहै छै° । तळाव ऊपर कोट छै । चोड़ो घणूं। मांद माणस हजार २००० रहै तिसड़ी11 ठोड़ छै। कोट मांहै. कूवो १ मीठो.. पाणी। हळवदरी पाखती झाड़ी थोड़ी, मैदान छै। खेती ज्वार, बाजरो, तिल, कपास हुवे । ऊनाळी-पीयल कसबै काई नहीं। सैंवज घणो हुवै । पाखतीरा गांवां कूवा छ ।
। ४५ गांव भोमियोंके अधिकार में हैं। 2 ४० गांव वीरान हैं। 3 ११० गांव.. हासिल-वसूलीके हैं। हासलीक = वे गांव जहांके कृषक सिंचाई द्वारा कृषि करते हैं और उस ... कृषिका हासिल (कृषि-कर) भरते हैं। 4 ४ गांव वादशाहके अधिकारमें हैं। 5 दूसरे
गांवों पर काठी-राजपूतोंने अधिकार कर लिया। 6 छहों गांवोंके नाम हैं। 7 कोटके 'नीचे देरानी-जेठानी नामकी नदी निरंतर बहती है। 8 वीरमगांव जिसकी जागीरी में होता है उसे चूंडा-राणपुरके काठी-राजपूतोंके प्रतिरोधके लिये ५०० सवार रखने होते हैं । 9 हाला-राजपूतोंके नवानगरसे सीमा लगती है। 10 हलवद शहर मैदान में हैं। II जैसी, जितनी। 12 आजू-बाजू, आसपास | 13 कसवेके आजू-बाजू सिंचाई द्वारा होने वाली .... चैती (रबीकी) फसल कोई नहीं होती । 14 विनाः सिंचाईकी चैती-फसल बहुत होती है। सेवज = आश्विनमें अधिक वर्षा होनेसे जमीनके अंदरकी नमीसे हो जाने वाली गेहूं, चनों ग्रादिकी (विना सिंचाईसे होने वाली) फसल।
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मुंहता नैणसीरी ख्यात
[ २६१ सहररी वस्ती संमत १७१६
१००० बांभण, ७०० वांणिया, ४०० महेसरी, ३०० ओसवाळ,* . . ३०० रजपूत, १०० मोची, १० घांची', ५० छीपा, २० सोनार । हळवदसूं इतरा सहर इतरै कोसै छै
४० अहमदावाद, २० वीरमगांव, ३० नवोनगर, २० वांकानेर, ... १५ वढवांण, ३० दसाड़ो, १५ मोरबी।
. हळवदसूं बीजी ठोड़ वांकानेर छ, सु हळोदनूं लागै छै । तिको . वांकानेर हळवदसू कोस २०, काठीवाड़ नजीक छै । तिणनूं गांव ... १२० लागै छै । तिणमें गांव २३ हमार बसै छै । - देवतकही झू झाला डीले छूटका तो मारवाड़ माहै छै । नै
जेसळमेररै देस खाडाळ दिसी गांव ४ तथा ५ देवतरा छ ।
.. डांवर, जेसळमेरसू कोस २० खाडाळ में गरभवास, लाठीहर . सीताहर कन' । सेवै सांखलेरै गांव कनै, कोसै ५१ । .... मांगणी-रो-तळो', डावरथा कोस २१ ।
जूजळ-रो-बेरो' डांवरथा कोस १। .. लाठीहर, डांवरथा कोस २ खाडाळ में ।
. ..माहेश्वरियोके ४०० पोसवालोंके ३०० व्यक्तियों या घरोंका योग ७०० वारिणया
(बनिये) प्रतीत हैं। . .. . I हिन्दू तेली। 2 हलवदसे इतने शहरं इतने कोसों पर हैं। 3 हलवदसे दूसरे
. स्थान पर वांकानेर है, जो हलवद परगनेके अतर्गत है । 4 जिनमें इस समय २३ गांव ... आबाद हैं। 5 देवतकहीके झाला छूटे-विखरे तो मारवाड़में हैं। 6 और जैसलमेर देशके
खाडाल प्रान्तकी ओर देवतकहीके देवतोंके चार-पांच गांव हैं। 7 पास । 8 मांगणीका कुयाँ। 9 जूजलका कुआँ ।
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२६२ ]
मुंहता नैणसीरी ख्यात
सेवाड़रै भालारो वात मेवाड़रै दरवार झाला वडा रजपूत हुवा। रांणारै अ सिरै चोकी उमराव छै । इणां ऊपर कोई वैसण न पावै । सु राणा सांगारी वार माहै आया अजो सजो । इणांनूं भायां-ग्रासियां हळवदथी काढिया, तरै मेवाड़में आया ।
१ रांणो राजो। २ अजो राजारो । मेवाड़ हळवदथी आयो । रांण सांगै नै बावर पातसाह सीकरी-पीळियेखाळ वेढ हुई तरै रांणो सांगो भागो,
तठे अजो काम आयो । ३ सिंघ अजारो। बहादर पातसाह मांडवरै हाडी करमेतीरै
फेरै चीतोड़ लियो, तद काम आयो । २ सजो राजारो। परगनो हाडोतीरै मेऊरो परगनो अक ठोड़ ...
छोटी सी झालावाड़ अठै ही कहीज'। गांव ४० तथा ५०... वे कहीजे तठे झाला वसै छै। रजपूत वस्ता भोमिया तिणांनूं ... नवसेरीखांन तोड़ नांखिया । सु उण झालावाड़रा मुदै गांव :
- १ उरमाळकोट। १ सूंडल। १ रायपुर । सिंघ अजारो प्रांक ३
४ सुरतांण । ४ मालो। ४ पूरो। ४ कांन्ह । . ४ लूंणो। ४ किसनो।।
I ये (झाले) रांगाके दरबार में सबसे ऊंचे ग्रासनके (मिसलके) उमराव हैं। 2 इनके पर कोई बैठने नहीं पाता। 3 राणा सांगाके शासन काल में अजो और सजो आये। 4 इनको इनके ग्रासिया-भाईयोंने हलबदसे निकाल दिया तब ये मेवाड़में पाये। 5 राणा सांगा और बादशाह बावरके परस्पर सीकरी-पीलियाखालमें लड़ाई हुई जिसमें राणा सांगा तो भाग गया और प्रजा उसमें काम आ गया। 6 हाडी करमेतीके लिये मांडवके वादशाह बहादुरने चित्तौड़ पर अधिकार कर लिया, उस समय अजाका लड़का सिंघ काम आया । 7 हाहोतीका यह एक मक परगना भी यहाँ पर छोटी झालावाड़ कहा जाता है। 8 भोनिया राजपूत यहां रहते जिनको नवसेरीखांने मार भगाया। 9 उस झालावाड़के खास गांव के हैं।
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मुंहता नैणसीरी ख्यात
[ २६३ सुरतांणसिंघरो अांक ४
५ वीदो। ६ देदो। ७ हरदास वडो रजपूत । रांणारै सिरै चोकी उमराव । झाड़ोळ
पटैं। एक बार पातसाहरै वास वसियो थो। पातसाह मनसोर पटै दी। पछ रांण फेर मनायो । पछै सीसोदिये माधोसिंघ, स्यांम नगावत मारियो । ८ रायसिंघ हरदासरो। वडो रजपूत हुदो रांणारै । हरदासरो
पटो पायो। एक वार पातसाहजीरै वरस १० वसियो थो। पातसाह कूडोरो पटै दियो। पछै रांणै मनायो। मोत मुंवो । ६ सुरतांण मेवाड़ वास । ६ भावसिंघ जोधपुर वसियो । रेख ३५००० गूंदवच पटै । ६ वीरमदे हरदासरो। ६ वरसो हरदासरो । पातसाही चाकर । जाजपुर पटै । ६ अखैराज । ६ मंडळीक । झालो वीदो, देदो। ७ स्यांम देदारो। ८ चंद्रसेन । ८ महासिंघ । ७ रामसिंघ। ८ रिणछोड़। ८ नाहरखां ।
७ रतनसी। . वाघ वीदारो प्रांक ६ हाथी सुरतांणरो अांक ५
६ माधोदास। ६ महेसदास । ६ रायमल ।
... .
....
1 झाडोल गांव पट्ट में । 2 एक बार वादशाहके यहां नौकर रहा था। 3 मार दिया। 4 अपनी मौतसे मरा ( किसी युद्ध में काम नहीं पाया )। 5 भावसिंह जोधपुरमें बस गया, वहां उसे ३५०००)की रेखका गुंदोच पट्टेमें मिला। 6 हरदासका पुत्र वरसा बादशाही चाकर और जहाजपुर पट्टे ।
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२६४ ]
मुंहता नैणसीरी ख्यात सिंघ अांक ३ । ४ मालो। ५ सांवळ- रांणो सांगो सीकरी भागो तद : दास । जोधपुर वास ।
नीसरियो । ........ गांव १५सूं गोमळिया
३ जैतो जोधपुर चाकर
हतो । खैरवो पटै । वास पटै ।'
सरूपदे रांणीरो बाप । ६ नरहरदास।
४ मांनो। ७ दयाळदास रावत।
५ कल्याणदास । ८ प्रतापसी रावत।
६ राघवदे। ६ वळभद्र।
७ प्रथीराज। ७ सुजांणसिंघ ।
६ केसरीसिंघ । ४ पूरो सिंघरो।
५ पासो मांनारो। प्रथी- .... ५ सत्रसाल।
राज जैतावतरो दोही६ केसोदास।
तरो । ४ कांन्ह सिंघरो।
६ राजसिंघ । ६ प्रथीराज.... ५ सकतो।
५ सत्रसाल,नांनारो टीका४ स्यांमदास ।
इत । ६ नारण ।
. ६ कांन्ह । ७ वाघ।
७ जसवंत । ४ किसनो सिंघरो।
६ नाथो। ५ मेघ ।
७ सवळो। ६ करमसी। ६ नगो।
४ जेसो जैतारो। सजो राजारो अांक २
५ भोपत रांणा अमरार
कांम पायो ।
I सांवलदासका निवास जोधपुर । १५ गांवोंके साथ गेमलियावास पट्टमें। 2 राजाका बेटा सज्जा सीकरीकी लड़ाईमें जब राणा सांगा भाग गया था तब यह भी निकल गया था। 3 जैता जोधपुर में चाकर धा। खैरवा गांव पट्ट में। यह राणी स्वरूपदेवीका बाप था । 4. मानाका बेटा प्रासा, यह प्रधोराज जतावतका दोहिता है। 5 शत्रुसाल अपने नामाकी गद्दी का अधिकारी हुना। 6 भूपति राणा अमराके लिये काम पाया।
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मुंहता नैणसीरी ख्यात
[ २६५ मेवाड़रा झालांरी पोढी पाढे महेसदास लिख मेली
संमत १७२२रा असाढ सुद ७. १ रांणो सेखो दोलारो। १४ रांणो सूर। २ रांणो गीगन ।
१५ रांणो विजपाल । ३ रांणो ब्रह्मदेव ।
१६ रांणो मुंध। ४ रांणो जालप।
१७ रांणो पदम । ५ रांणो मरीच।
१८ रांणो उधीर । ६ रांणो वीसम ।
१६ रांणो वेगड़। ७ रांणो गोग।
२० रांणो रांम। ८ रांणो मक।
२१ रांणो वरसिंघ । हरांणो हरपाल।
२२ रांणो भीम। १० रांणो केहर।
२३ रांणो सत्तो। ११ रांणो हरी।
२४ रांणो रणवीर। १२ रांणो सातल।
२५ रांणो वाघ । १३ रांणो कांन्ह।
२६ रांणो राजो।
॥ इति मेवाड़रा झालांरी ख्यात वारता संपूर्णम ॥ दसकत वीठू पनेरा। वाचे जिणतूं जै श्रीरुघनाथजीरी वाचजो।
'.. I पाढा महेशदासने वि० संवत् १७२२के आसाढ शुक्ल ७को मेवाड़के झालोंकी वंशावली इस प्रकार लिख कर भेजी ।
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२६६ ]
मुंहता नैणसीरी ख्यात
श्रीगणेशायनमः
अथ रावजी श्री सीहैजीरी बात लिख्यते
3
राजा सिंघसेन' कनवज' सूं जात्रा करण द्वारकाजीने पथारिया | श्राप गोत्र-कदंब' वहुत कियो हुतो, ते मन विरक्त हुवो। राज बेटानूं सूंप श्रर ग्राप कापड़ीरं रूप हुवा " । साथै श्रादमी १०१ हुवा आप जात्रा चालिया । रजपूत ठाकुर साथै हुवा | पगँ प्यादी हालियो सरब साथ' । कोस-कोस ऊपर सौ-सौ गाय दान देवे है । जठ डेरो हुबै तठे वावड़ी' अथवा कुवो करावे । ईयै जिनस ग्राप तीरथ पधारिया |
.10
आगे सोळंकी' गुजरात मांहै. राज करें । चावड़ा' पण गुजरात मांहै राज करै । पाट - तखत वैसणी पाटण* । मोह लाखो जांम सिध राज करै'" । सु चावड़ा ने लाख बैर । एक धरतीरो वैध
12
| आपमें
.14
1 6
सीम ऊपर युद्ध हुतो रहै । वीजो" राखाइतरो' बाप लाख
1 राव सीहाका पर नाम । 2 उत्तर-प्रदेश के फर्रुखाबाद जिलेका कन्नोज नगर । 3 गोत्र हत्या, वंश-संहार । 4 जिससे 5 पुत्रको राज्य सौंप कर खुदने साधुका रूप धारण कर लिया । 6 सभी साथ पैदल चला । 7 बावली, वापिका । 8 इस प्रकार | 9 सोलंकी एक क्षत्रीवंश, जिसका राज्य काठियावाड़ (सौराष्ट्र), गुजरात और राजस्थानमें था । 10 'चावड़ा' या 'चावोड़ा' = एक क्षत्रीवंश, जिसका राज्य दक्षिण, गुजरात, सौराष्ट्र और राजस्थानमें था । शिलालेख र संस्कृत ग्रन्थोंमें 'चालुक्य', 'चापोत्कट' और 'चावोटक' नाम भी लिखे मिलते हैं । सांभर में ( राजस्थानमें) 'मूलराज चालुक्य' का एक शिला लेख प्राप्त हुआ है, जो सम्वत् ६६८का है । इस शिलालेखसे (जिसमें 'वसुनंद निघौ' = ६६८, सम्वत् उल्लिखित है) वाम्वे-गेजेटियर में उल्लिखित मूलराजका समय सन् १६१ = (वि० सम्वत् १०१७ ) ठीक नहीं प्रतीत होता । II पट्ट-सिंहासन (राजधानी) श्ररण हिलपुर - पाटण में । 'अणहिलपुरपट्टन' उत्तर-गुजरातका सरस्वती नदीके किनारे पर बसा हुआ इतिहास प्रसिद्ध प्राचीन नगर है । इसे वनराज चावड़ाने हवीं शतीमें बसाया था । आजकल केवल 'पाटण' नामसे ही यह नगर प्रसिद्ध है | पश्चिम रेलवे के महसाना- जक्शन से रेलकी एक शाखा पाटनको जाती है । 12 मारू लाखा-जाम सिंघमें राज्य करता है । (सिंध के कुछ भागके प्रतिरिक्त लाखाका कच्छ में भी राज्य था। सिंध और कच्छ के मरु प्रदेशों पर अधिकार होनेसे लाखाको मारू लाखा कहा गया है ।) J3 ( १ ) शत्रुता, (२) टंटा, झगड़ा 1-14 सीमा । 15 नाम है । 16 राखायत लाखाका भानजा था ।
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मुंहता नेणसोरी ख्यात [ २६७ मारियो । लाखैरो वैहनेई अर लाखैरै वास हुतो' । सु वै लाखैरो
प्रांब वाढियो, ते ऊपर लाखै मारियो । सु वेध पड़ियो । सुआपसमें .... चावड़ां पर लाखै युद्ध हुवै । सु चावड़ा हारै अर लाखो जीपै । सदा ...... जुध हुवै सु लाखो जीपै" ।।
तिकै समईयै रावजी श्रीसीहोजी द्वारकाजी पधारता पाटण पधारिया । सु लाखैरै इष्ट कुळदेवीरो अर चावड़ारै इष्ट खेत्रपाळरो' छ । सु देवी सवळ अर खेत्रपाळ निबळ । तिण वास्तै लाखो जीपै ।
तिण वार चावड़े राजा मूळनूं सुपनैमें खेत्रपाळ कह्यो'-जु राव सीहो कनवजरो धणी1 राठवड आयो छ । तिणनूं श्रीमहादेवजीरो वर छै; सु थे मिळो, ज्युं थांहरो वैर घिरै । इणारै हाथां लाखो मरसी । ताहरां चावड़ा एकठा हुय राव सीहैजी कनै आया। प्राय अर भक्तरी" वीनती कीधी। वीनती रावजी मानी। चावड़ां भली भांत भगतरी तयारी कीवी । आप पधारिया। ताहरां मूळरांजरी
मा कडूंबैरै बेटांरी बहुवां जिकै बरस १५, १६, १७री बाळ. रांडां' हुती, तिय° कह्यो-'जाहरां1 रावजी अठै आरोगै, ताहरां थे परुसारै मांहै? तरकारचा ले-ले अर मो आगै आणप्रांण मूकज्यो । ताहरां रावजी बात पूछसी, ताहरां हूं सरब वात कहीस।"
I राखाइतका वाप लाखाका बहनोई था और लाखाके यहां ही रहता था। 2. उसने । 3 जिस पर लाखेने उसे मार दिया। 4 जिससे परस्पर शत्रु ता हो गई। (कई प्रतियोंमें 'सु वेध पड़ियो'के स्थान 'सु बेसुध पड़ियो' पाठ भी लिखा मिलता है।) 5 सदा युद्ध होते रहते हैं, जिनमें लाखा ही जीतता है। 6 उस समय रावजी श्रीसीहाजी द्वारकाजी जाते हुए पाटनमें आये। 7 क्षेत्ररक्षक देवता, क्षेत्रपाल । 8 तुलनामें देवी सबल और क्षेत्रपाल निर्बल । 9 इसलिये लाखा जीतता है। 10 उस समय स्वप्नमें क्षेत्रपालने मूलराज चावड़ेको कहा। (मूलराज सोलंकी सम्वत् ६६८में अपने मामा सांवतसिंह चावड़ाको मार कर पाटनका राजा बना था ।) II कन्नौजका स्वामी। 12 राठौड़। 13 वैरका बदला लिया जाय। 14 इनके हाथोंसे। 15 तब। 16 भोजनके लिये प्रार्थना की। 17 भोजनकी सामग्री। 18 कुटुंबके। 19 बाल-विधवाएं। 20 उनको । 21 जब ।
22 भोजन करे। 23 परोसनेकी सामग्रीमें। 24 शाक आदि व्यंजन पदार्थ । 25!26 मेरे .. आगे ला-ला कर रखना।
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२६८ ]
मुंहता नैणसीरी ख्यात ___पछै रावजी पधारिया, ताहरां मूळराजरी मा कहाड़ियो'रावजीनूं हूं पुरसीस'। म्हारै हाथै जीमाड़ीस । वीजा ठाकर." मुंजाई आरोगँ ।' ताहरां राव सीहोजी माहै पधारिया। विछायत हुई । आप आरोगण वैठा । पुरसण विरियां विधवा अस्त्रियां वाळवय आण-प्रांण सरव वसतां मूकण लागी । ताहरां रावजी पूछियो मूळराजरी मानूं प्रो कहि विरतंत ? इतरी बहु विधवा, सु कासू ?' ताहरां मूळ राजरी मा कह्यो-'महाराज ! लाखै फूलांणीतूं म्हारै वैर छ । सु इयांरा घरधणी' ° लाखै मारिया । जाहरां म्हां अर लाख वेढ11 हुवै, ताहरां मांहरो साथ मिटे', अर लाखैरो साथ13 जीपै । वरस एकमें दोय वार देढ हुवै । सु रावजी पधारिया छो, आप म्हारी मदत करो।' ताहरां रावजी कह्यो-'हूं जाना जाऊंछू, पावता आवस्यां', ताहरां थे कहिस्यो' ज्युं करस्यां । हमारूं तो मैं तरवार छाडी छ । द्वारकाजी परसावतां लाखैनें मारूं तो सेतरांमरो जायो ।' ताहरां रावजी कह्यो-'साथ एकठो करज्यो, अर लाखेनूं कहाड़ज्यो'", जुम्हे अावां छां, तयार हुय रहिज्यो । पर्छ चावड़ांसू विदा हु करनै राव सीहोजी द्वारकाजीनूं चालिया छ, जाय द्वारकाजी ने रिणछोड़जीरा दरसण किया, गोमती सनान कियो, घणो धर्म कियो, मास १ द्वारकाजी राव श्री सीहोजी रह्यो ।
I रावजीको मैं परोसूंगी। 2 मेरे हायसे भोजन कराऊंगी। 3 दूसरे ठाकुर भोजन तैयार हुआ है वह भोजन करें। 4 स्वयं भोजन करनेको बैठे। 5 परोसनेके समय बाल अवस्था वाली विधवा स्त्रियां ला-ला कर भोजनकी सर्व वस्तुएँ रखने लगीं। 6 यह क्या वृत्तान्त है ? 7 इतनी बहुएँ विववाएँ ! यह क्या वात है ? 8 फूलके पुत्र लाखासे हमारे वैर है। (मारवाड़के पश्चिम प्रदेशकी भापामें अपत्य अर्य में 'आणी' प्रत्यय लगाया जाता है। जैसे फलका पुत्र 'फूलांगी'। चत्ताका पुत्र और वंशज ‘चत्तांणी'।...... 9 इनके। 10 पतियोंको। II लड़ाई } 12 तव हमारा जन-समुदाय नष्ट हो जाता ...... है। 13 लाखाका दल विजय पाता है। 14 एक वर्पमें दो बार लड़ाई होती है। 15 लौटते हुए आवेगे। 16 कहोगे। 17 अभी तो मैंने तलवार रखना छोड़ दी है। 18 द्वारकानायके चरण स्पर्श कर के। 19 पुत्र । 20 कहला देना। 21 हम पाते हैं। 22/23 चावड़ोंसे विदा हो कर राव सीहोजीने द्वारकाजीको गमन किया। 24 और I.. 25 स्नान ।
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मुंहता नैणसीरी ख्यात [ २६६ घणो धर्म करने, अपूठा पधारिया' । कित रैहेकै दिने था पाटण पधारिया । ताहरा सोळंकियां, चावड़ां साम्हां जायने रावजी सीहैजीनूं नारेळ दियो' । घृणै हरख रावजीनूं पाटण ल्याया ।
10
अठे साथ भेळो करनै' लाखैनूं आदमी मेलायो । ताहरां लोख साथ भेळो कियो हुतो, सु आदमी प्रावत समां' लाखे चढणरी तयारी कीवी । लाख कहियो - 'आगे चावड़ा सदाई भाजता ', अबकै ईयै भांत' चालिया आवे छे सु कासूं जांणी जावै ।' ताहरां आदमी मेल समझ कराई” । ताहरां खबरदार आइ खबर दी " - राव सीहो कनवजियो' कटक माहै छै ।' ताहरां लाखो पण संकियो । हळवैहळवै'' हालण लागो' 1
12
3
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8
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सु आग़ै एक दिन राखायत लाखारो भांणेज रजपूतां मां बैठो हुतो, सुरजपूतै भांजनूं पूछियो " - 'भांणेज ! लाखोजी प्रभातरी विरियां'" दरबार पधारे ताहरां मुंहड़ो " उतरियो लागे सो कांसू छँ 20 ? आज परमेश्वररी कृपासूं रावळे" धरती बरकरार छै" । देस पण घणो लायो छै । ग्रर जुद्ध सांहै जीप तो वेदल' क्युं रहै छै ? ' ताहरां भांणेज काई”” नहीं ।' ताहरां रजपूत कहै - ' भांणेज ! लाखैजीनू तू पूछ अर खबर कर ।' ताहरां राखायत रजपूतानू कहै "-' हूं पूछू अर मांमोजी
23
पण लाखैजी री हुदै,
24.
कह्यो - ' मोनूं खबर
.26 ,
I पीछे लोटे | 2 कितने एक । 3 दिनों से । 4 नारियल दिया । ( १ राजपूतों में नारियल देना विवाह संबंध पक्का करनेका संकेत है । यह नारियल कन्याके पिताकी श्रोरसे वरके पिताके पास भेजा जाता है । जब वरका पिता उस नारियलको ले लेता है तब विवाह सम्बन्ध दृढ़ समझा जाता है । २ तीर्थ-यात्रा से लौट आने पर यात्रीको स्वागत व वधाईके रूप में भी नारियल दिये जानेकी प्रथा है । ) 5 अत्यन्त आनन्दसे । 6 सेना इकट्ठी करके । 7 मनुष्यके (दूत) श्राते हो । 8 भागते थे । 9 इस समय इस तरह | To क्या जाना जाये ? II तब प्रादमी भेज कर दर्यापत करवाया । 12 खबर - आकर खबर दी । 13 कन्नोजका राठौड़ । 14 शंकित हुआ । चलने लगा । 17 राजपूतोंने लाखांके भानजे राखायतको पूछा । 20 कांतिहीन उदासी लिये मालूम होता है सो यह क्या वात 22 वहाल अथवा वैभव सहित विद्यमान है । 26. कहता है ।
नवीसोंने (गुप्त दूतों) IS धीरे-धीरे । 16 18 समय । 19. मुख । है ? 21 श्रापके पास । 24 उदास । 25 कुछ ।
23 जीत 1
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२७० ]
मुंहता नैणसीरी ख्यात
मो ऊपर रीस कर मोनू मराड़े तो कुण छोडावे' ?' ताहरां रजपूत बोलिया - 'जे' लाखोजी तोनू काढै तो साथै नीसरां ; मारै तो साथै मरां । पण° तूं प्रावात पूछ ।'
1
1 2
ताहरां राखायत एक दिन लाखैजीनू पूछियो- 'मांमाजी ! आज ठाकुररी कृपा कर अर' रावळे सोह' थोक छै"; श्रर धरती वरकरार छै; पण परभातरै पोहर 11 राज' दरवार करो छो, ताहरां रावळो मुंह उतरियो लागे सुं कासू जाणीजै ? ताहरां लाखेजी कह्यो - ' रूड़ा भांगेज ! तोनू कहीस, पण एकांत कहीस । इण वातरो विवरो छैन ।' प्राडा" घातनं 8 लाखजी भांगेजन
1 3
15
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सु युं करतां'" दिन तीन चार साथ ले अर चढिया सु समुद्र
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पधारिया । रजपूत पण सोह" साथै लिया । त समुद्र मांहै पैठा " । पैंस ग्रर एक वडो पाटलो तिण ऊपर भांजनू वैसांण अर पाटलानूं धकाय नर वहतै पांणी मांहै वहाय दियो । ताहरां रजपूर्त दीठो, मांहरो जोर कोई पूजै नहीं । श्रर भांजनू लाख बहाय दियो । जाहरां भांणेज निजर हुतां" अलोप हुवो, ताहरां लाखोजी अपूठा पधारिया " । अर भांगेज, या अपछरा रहे छे, तेथ जाय पहुंतो | तेथ लाखोजी आगे ग्रपछरावांनू कहि राख्यो हुतो.. 'भांज राखायत ग्रावसी, थे सोहरो राखिया ।' तिण जवाब ऊपर अपछरा आई । ग्रायनै भांजनू ले गई ले जायनै घर मांहै सोहरी राखियो । रात उठहीज भांणेज वसियो
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। परभात हुवो,
22
Iौर मामाजी मुझ पर क्रोध कर के मरवा डालें तो मुझे कौन छुड़ावे ? 2 यदि ।
6 ईश्वरकी कृपासे ।
3 तुमको निकाल दें तो । 4 निकल जायें । 5 परन्तु । 7 श्रौर । 8 आपके राज्यमें । 9 सव | 10 वैभव हैं । II प्रभात के प्रहर में । 12 ग्राप । 13 अच्छे (योग्य) भानजे ! 14 तुझको कहूँगा । 15 इस वातके पीछे एक विवरण है । 16 ऐसे करते-करते । 17 बीचमें । 18 डाल कर । 19 सव | 20 प्रवेश किया । 21 प्रवेश कर के । 22 लकड़े का तखता । 23 तखतेको धक्का दे, दूर निकाल, बहते हुए पानी में बहा दिया बाहिर हो गया । 27 पीछे लौट आये । 31 सुखपूर्वक । 32 रखना | 33 वास किया ।
।
24 लगे नहीं, पहुँचे नहीं । 25/26 हण्टिसे 28 ग्रप्सरा | 29 agi 1
30 था ।
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मुंहता नेणसीरी ख्यात
[ २७१ ताहरां वळे' लाखोजी समुद्र पधारिया, रजपूतां समेत । ताहरां राखायतनूं अपछरावां तखत बैसाण नै चलाय दियो, सु तखत बैठो राखायत आयो । प्राय लाखाजीनूं मिळियो। ताहरां लाखाजी पूछियो-'क्युं भाणेज ! तमासो दीठो ?' ताहरां कह्यो-'मामाजी ! अपछरावांरा मोहल दीठा ।' ताहरा लाखैजी कहियो-'भांगेज ! बापरै वैर, नै सामरै काम जिकै आपरौ जीव' दियो, सो वां मोहलां1 जावस्यै ।' अरु कहियो-'भाणेज ! म्हेई रातरा प्रोथ जावां छां" । तमासो देखअर आवां छां, तै पोजगै लिये “ मुह उतरियो दीसै छै ।' ताहरां भाणेज पूछियो-'मामाजी ! उला' मोहल दीठा, पण पैला महल घणा सखरो", अतही ऊंचाती दीठा, तिकै महल कियैरा छ ?' ताहरां लाखैजी कहियो-'घणो सांम-धरमी मरै, तिकेरा महल वे छै । वापर वैर नै धणीरै कांम प्रावै"; तियांरी भाणेज ! वा जायगा छै । ताहरां राखायत वात सांभळ चुप कर रह्यो । इण प्रस्ताव रात पड़ी । ताहरां राखायत लाखैजीरी असवारीरो घोड़ो" सांहणी" कना ले, अर राजा सिंघसेन अर चावड़ा कनै गयो । जाय मिळियो नै कह्यो'श्रा वेळा छै। जे लाखैनै मारस्यो तो वेगा हालो।' ताहरां राजा सिंघसेन नै सोळंकियां चावड़ांनं चाढ़िया। रात थकी असवार कराडिन अपूठो आयो । घोड़ो ताजो कर ले जाय, सांहणी 4
I फिर। 2 लकड़ीके पट्ट पर बिठला कर। 3 तमाशा देखा। 4 अप्सरानोंके महल देखे। 5-6 पिताके बैरके बदले में और स्वामीके लिये। 7-8 जिन्होंने अपने प्राण दिये हैं। 9 वे। 10-II उन महलोंमें, जायेंगे। 12 हम भी रातको वहाँ जाते हैं। 13-14 उस जागरणके कारण | 15 इधरकी तरफ के । 16 बहुत ही अच्छे हैं। 17 अत्यन्त ही। 18 ऊंचाई पर देखे । 19 किसके हैं ? 20 अत्यन्त ही। 21 स्वामी-धर्मसे मरते हैं उनके महल वे हैं। 22 बापका वैर लेवें और अपने स्वामीके काम आवें। 23 भानजे ! उनकी वह जगह है। 24 तब राखायत बात सुन कर चुप हो गया। 25 इसी प्रसंगमें रात हो गई। 26 लाखाके चढ़नेका घोड़ा । 27-28 घोड़ेके तबेलेके दरोगेके पाससे । 29 राव सीहा और चावड़ोंके पास गया । 30 तब राजा सिंहसेन और सोलंकियों चांवड़ोंको युद्धके लिए रवाना किया। 31-32 रातमें ही सबको चढ़वा कर पीछा आया। 33 घोडेका श्रम रहित कर के। 34 तबेलेके दरोगेको।
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२७२ ]
मुंहता नैणसीरी ख्यात संपियो । जठे खोलियो हुँतो तठे ले जाय बाधो । वीजो बोडेन सरब झाटक खुररो करनै ताजो कियो हुँतो; नै फुरणा आछा ... न किया । परभातरा लाखोजी घोड़ा देखणन पधारिया, ताहरां घोड़ो देखनै कह्यो-'रे घोड़ो किणी हो छोड़ियो नहीं हुतो ?' ताहरां साहणी कह्यो-'जी, कुण छोड़े ?' ताहरां लाखैजी घोड़े ऊपर ... पछेवड़ी फेरी' । पछेवड़ीसूं घोड़ो लूह्यो । पछै नाकमें पछेवड़ी फेरी; ताहरां मांहितूं राती पुड़ी नीसरी । ताहरां राखायतन पूछियो-'भाणेज ! सिद्धपुर पाटण गयो हुतो ?. राजा सिंघसेन, चावडा, सोळंकियां खवर दीनी ?' ताहरां कर सलाम, अर.. कह्यो-'मांमाजी ! कहेन । हूं आयो हुतो"। वापरै वैर, स्यांमरै कांमनै दोडियो छू ।' ताहरां लाखोजी बोलिया-'भाणेज ! ऊंचा . महलारो ध्यान राखिया ।' ताहरां कह्यो-'मांमाजी ! ऊंचा महलां री .. मनसा राखी तो छ ।' ताहरां लाग्योजी वोलिया-'भाणेज ! साथ कियो" ?' 'मांमाजी ! साथ आयो, थेई असवार हुवो।' लाखोजी चढिया । कटक मुकालवै आयो । ताहरां लाखैजी कुळदेवी समरी। ताहरां कुळदेवी प्रगट हुय कह्यो-'हिवै म्हारै जोर कोई नहीं। ओ राजा सिंघसेन आयो। इय1 श्रीमहादेवजीरो वर छ। सु महा-:.. देवजीतूं म्हारो जोर नहीं।' ताहेरां लाखै देवीनूं कह्यौ-'मोनूं मींच भली देई23 ।' ताहरां देवी कह्यो-'मीच भली देईस । पण जीप नहीं हुवै ।' यु करतां दळ आमा-सांमा मंडिया" । ताहरां राखायत..
I सौंप दिया। 2 जहांसे खोला था। 3 वहीं लेजा कर बांध दिया। 4 दूसरा घोडेका सब अंग। 5 झटक (पोंछ) कर। 6 खुर्रा कर के। .7 ताजा बना दिया था । 8 नासिका छिद्र। 9 साफ नहीं किया था। 10 प्रातःकाल में। II पिछौरी (चद्दर) ........ घोड़ेके शरीर पर फिराया। 12 पिछौरीसे घोड़े का शरीर पोंछा। 13 लाल मिट्टीकी पपड़ी... निकली। 14 प्रणाम कर के | 15-16 कह कर मैं आया था। 17 भानजे ! क्या उन्होंने सेना तैयार करली ? 18 मामाजी ! सेना तो चढ़ कर भा गई, आप भी चढ कर तैयार हो जार्य। 19 सेना मुकाबले में प्रा गई। 20 तव लाखाजीने कुलदेवीका स्मरण किया। '. 21 इसको। 22-23 मुझे मृत्यु अच्छी देना। 24 देऊंगी ।. 25-26 परन्तु विजय नहीं होगी। 27 एक दूसरेके मुकाबले में खड़े हुए।
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मुंहता नैणसीरी ख्यात
[ २७३ कह्यो-'मामाजी ! मैं रावळा मूंग खाधा'; हूं रावळे मुंहडै आगे लड़ीस ।'. ताहरां राखायत जण-जणरै मुंहडै आगै लड़तो दीसै ।
राखायत काम आयो । लाखो काम आयो । राजा सिंघसेन लाखैनूं . मार अपूठा पधारिया । चावड़ारै पाटण पधारिया ।
पछै लाखैरी मा, लाखैरो राजलोक अायो । खेत मांहै लाखो पोढियो छै' । जीव नहीं नीसरियो छ । ताहरां राखायत निजीक पड़ियो दीठो । ताहरां लाखैरो राजलोक कहण लागो-'नो हरांमखोर' अठै क्युं पड़ियो ? दूर करो। तरै लाखोजी बोलिया-'यो राखायत सांमधरमी11 छै। हरांमखोर नहीं छै । माजी ! आ ग्रीझ देखो पड़ी छ, सु म्हारै मुंह ऊपर आय बैठी, अांख काढणनूं । ताहरां राखायत दीठी । आपरो फीफर वाढ़ि अर ग्रीझ मारी छै । नहीं तो ग्रीझ म्हारी आंख काढत । थे मोनूं कठे देखता ? माजी ! थे म्हारो मुंह दीठो जीवतैरो। हिवै राखाइत म्हारै कनारै ल्यावो", ज्युं हूं हाथ लाऊं, ज्यु इयनूं मुगत हुवै ।' 'ताहरां राखाइतरो जीवनीसरियो नहीं हुतो। ससकतो हुतो' । ताहरां लाखैजी राखाइत नजीक अणायो', माथा ऊपर हाथ दियो । जीव मुक्त हुवो।। इतरै पण लाखैजोरो जीव मुक्त हुवो। राजलोक' सत्यां हुई। लाखोजी सरग पधारिया । राखाइत पण सरग लोग हुवो। .
ताहरां ऊंचा महल सोनैरा रतनमय कांगुरा, तियां घरां' तो
1 मैंने अापका अन्न खाया है। 2 मैं आपके मुखके धागे लड़गा। 3 तब राखायत हर एकके मुखके आगे लड़ता हुआ दृष्टि में प्राता है । 4 राखायत मारा गया । 5 सीहोजी लाखाको मार कर पीछे लौटे। 6 जनाना (स्त्रीजन) आया। 7 रणक्षेत्र में लाखा सोया हमा है। 8 जीव नहीं निकला है। 9 तब राखायतको समीपमें पड़ा देखा। 10 अधर्मी (प्रस्वामीभक्त)। II स्वामीभक्त है ! 12 हे भाताजी !। 13 गृध्र पक्षी। 14 अांख निकालनेके लिये । 15 फेफड़ा काट कर । 16 आप मुझको कहां देखतीं ? I7 अब राखा. यतको मेरे पास लायो। 18 ज्योंहीं मैं इसके हाथ लगाऊंगा, त्योंही इसके प्राण निकलेंगे। 19 मृत्युके सूचक अंतिम श्वास लेता था। 20/21 तब लाखाजीने राखाइतको समीप मंगवाया, सिर पर हाथ लगाया, तब राखायतका जीव निकला। 22 स्त्रीजन। 23 अपनेअपने पतियोंके साथ अग्निमें जल गई। 24 स्वर्ग । 25/26 उन घरोंमें तो लाखाजी गये।
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२७४ ]
मुंहता नैणसीरी ख्यात लाखोजी पधारिया। तळेरा' महल रूपैरा अर सोनेरा कांगरा, तियां घरां जायनै राखइत अवतार लियो । एक दिन लाखोजी ऊपरलै घरां... झरोखै बैठा हुता'; अर राख़ाइत ऊँचो जोयो। देखै तो लाखोजी बैठा छै । देख अर वेदल हुओ । तरै लाखोजी बोलिया-'भाणेज ! वेदल क्युं हुवो ?' कह्यो-'मांमाजी ! ईंयां घणो ही दोड़ियो, पण आया नहीं। लाखोजी बोलिया-'भाणेज ! दोड़ियां आवै छ ?'
दूहो लिखियौ लाभ लोय, पर-लिखियौ लाभ नहीं।..
पर सिर पदम हि जोय, जे विह विहवै अप्पियो ॥१ हिवै राव सिहैजीनूं चावड़ां परणाया, घणो संतोष कर । अर राव सिहोजी कनवजनूं चालिया। साथ चावड़ीरो चकडोळ लेने चालिया। चावड़ीरी चाकर गोलियां साथै लेइ सुखै-समाधै कनवज पधारिया । भली भांत कनवज मांहै राज करै छै। ..
एक दिनरो समाजोग छै'। रातरै विखै पोढिया छै । तरै राणी . चावड़ी सुहणो लाधो'-'जु नाहर ३ पाया छै° | रांणी जाणै छ, मांहरो पेट फाड़, प्रांतरा काढ, नाहर प्रांतरा ले ले अर पहाड़े गया। छ। अळगा-अळगा अांतरा लिया जाय छै।' इसो रांणी चावड़ी सुहणो लाधो । तद रांणी जागी। जागनै रावजीनूं कह्यो-'महाराज ! ..... म्हैं इसो सुपनो पायो।' कह्यो-'कातूं दीठो ?'13 कह्यो-'जांणूं छू . म्हारो पेट फाड़ नाहर प्रांतरा परवतै ले ले जाय छै । इसो म्हैं सुहणो
___ I नीचेके । 2 लाखा गोख में बैठा था। 3 खिन्न चित्त हुना। 4 लोकमें (भाग्यमें) लिखा हुग्रा मिलता है, दूसरेके भाग्यमें लिखा नहीं मिलता। दूसरेके सिर परकी लक्ष्मीको देख कर लोभ मत करो । जो विधाताने वैभव दिया है उसमें संतोष करो। 5 अब चावड़ोंने अत्यन्त संतोपके साथ सीहाजीको अपनी कन्या व्याह दी। 6 सीहाजी चावड़ीका डोला साथमें ले कर कन्नोजको चले, दास और दासियोंके साथ सुख-शान्तिसे कन्नौजको पधार गये। 7 एक. दिनकी घटना है। 8 रातमें सोये हुए हैं। 9 तव चावड़ी रानीको एक स्वप्न दिखा। 10 तीन सिंह पाये हैं। II रानी जानती है कि उसका पेट चीर कर सिंह अंतड़ियां ले ले पार पहाड़ पर गये हैं। 12 अलग-अलग। 13 क्या देखा?
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मुंहता नैणसीरी ख्यात [ २७५ दीठो।' ताहरां रावजी चावड़ी ताजणा २-३ वाह्या । ताहरां चावड़ी बैठी रही । नींद न पड़ी । वेदले थकां दिन ऊगो । ताहरां राव सीहो बोलियो-'चावड़ी ! तूं मन में अप्रीत मत जांणै । म्हैं तो ताजणा इतरै वासतै वाह्या छ जु तो नींद न पडै । नींद पड़ियां सुहणारो फळ मिटै छै । थारै तीन पुत्र हुसी, सु सीह सारीखा हुसी। घणी धरती लेसी । वडो वधारो हुसी। इतरी वात सुणै रांणी खुसी हुई। बहुत हरखित हुई छै । कितरैहेकै दिनै पुत्र हुवा ।
__ I तब रावजीने चावडीको दो-तीन चाबुक मारे। 2 नींद नहीं आई। 3 उदासीमें दिन निकल आया। 4 तब राव सीहाने कहा-चावड़ी! तू अपने मनमें हमारी नाराजी नहीं समझना। 5 मैंने तेरेको चाबुक इसलिये मारे हैं कि तेरेको नींद न आये। 6 नींद आजानेसे स्वप्नका फल वृथा हो जाता है। 7 इतनी बात सुन कर रानी हर्षित हुई।
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२७६ ]
मुंहता नैणसीरी ख्यात
राव पालथांनजी री वात चावड़ीरै तीन पुत्र हुवा छै, अतुळीबळ', - महा पराक्रमी । यूं करतां रावजी सीहोजी देवगत हुवा । सु वडो बेटो टीकै बैठो। ..
चावड़ीरै वेटा नान्हा' । ताहरां चावड़ी बेटा लेअर पीहर पाई. छै । हिवै रांणी चावड़ी अॐ पीहर रहै । बेटा दिन-दिन मोटा हुवै छ । प्रतापवान, तेजवंत, महा बळिष्ट । कुंवर जवान हुवा। .. . __ एक दिनरो समाजोग छ । कुंवर तीनेही चोगांन रमै छ । रमतां थकां गेंद जाइन एक डोकरी छांणा चुगती हुती, तियेरै पगां माहै .... जाय पड़ी । ताहरां कुंवर गेंद लेण आयो। डोकरीनूं कह्यो-'गेंद दे।' डोकरी कह्यो-'म्हारै माथै भार छै, थे उतरनै ल्यौ ।' ताहरां लेता ... थकां डोकरीनूं धको आयो नै छांणा विखर गया । डोकरी बोलीम्हांईजरां घरां माहै' मोटा हुवा, अर ठकुराई१२ मांडो'; मांमारै परसाद खाय'४ अर मोटा हुवा छो; अर वळे मांमारा लोकांनूंई मारो छो । आपरै तो ठोड़ न थी।'.
इतरो सुणनै घरै अाया। आय अर मान पूछियो। 'मां ! म्हो'६ :: कवण' छो'८ ? कठै म्हारो पिता छै ? कठे पळां छां'६ ? लोक कहै ... छ, आपरै तो ठोड़ नहीं ।' तद मा कहै-'लोक भख मारै ।' पण . . ईयै अाग्रह कियो' । त्यौं मा कह्यो-'जु थे नांनेरै२२ पळो छो।' तद... पाधरा मांमै गोढे जाए सीख मांगी। मांमै घणो ही आग्रह कियो ; ...... पण पासथांन रह्यो नहीं । सीख कीवी। सु उठारा चालिया ईडर४..
___I अतुल्य बलशाली। 2 देवगतिको प्राप्त हुए, मर गये। 3 छोटे। 4 तद चावड़ी अपने पुत्रोंको ले कर मायके आ गई है। 5 अब रानी चावड़ी यहां पीहर में ही रह रही है। 6 तीनों ही कुमार मैदानमें खेल रहे हैं। 7 खेलते हुए। 8 एक बुढ़िया कडे बीन रही थी, .. उसके पांवोंमें जा कर गेंद पड़ी। 9 तुम । 10 बुढ़ियाको धक्का लग कर उसके कंडे विखर गये। II हमारे ही घरोंमें। 12 ठाकुरपन ( मालिकी)। 13 करना शुरू किया। 14 मामाका अन्न खा कर । 15 फिर मामाकी प्रजाको ही मारते हो? 16 हम । .... 17 कोन । 18 हैं। 19 हम कहाँ परवरिश पाते हैं ? 20 लोकोंके कहने पर ध्यान मतं. दो वे यों ही बकते हैं। 21 परन्तु इन्होंने हठ किया। 22 नानाके घरमें । 23 तव सीधे .. मामाके पास जा कर जानेके लिये आज्ञा मांगी। 24 गुजरातमें महीकांठा प्रान्तमें एकनगर है।
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मुंहता नैणसीरी ख्यात
[ २७७ ग्राया । उठातूं पाली प्राय डेरा किया। तठे कान्है मेररी ठाकुराई तसु लोकां पास हासल पण लै; अर अनीत पण करै । जिका कुंवारी परणीजें, जिको दिन ३ अापरै महल राखै । ___सु आसथांनजीरो डेरो एके बांभणरै घरै' । तिणरी बेटी मोटियार । तैनूं पासथांनजी देख अर कहण लागा-'जु आ विधवा छै ?' तद ब्राह्मण बोलियो-'राज ! श्रा कुंवारी छ ।' पूछियो-'किस वासतै ?' तद ब्राह्मण अरज कीवी-'जु राज ! अठै या अनीत छ ।' अांसथांनजी पूछियो-'जु मेर कनै साथ कितरोहेक छै° ?' इण अरज कीवी-'महाराज ! पाळा' हजार २०००० हुसी।' तद आसथांनजी बोलिया-'जु बेटी थांरी परणाय, म्हे जांणां ।' तद ब्राह्मण वेटी परणाई, फेरा लिया। पछै कानैरा आदमी ब्राह्मणरी वेटीनै वंहल बैसांण ले हालिया। ज्यौं अासथांनरै डेरै गोडै आया, त्यौं ब्राह्मणरी बेटी भाज'' अर डेरै में आय बैठी। त्यौं वे जोर सो करण । लागा" । तद अासथांनजी रा चाकरां उहां मार काढ़िया । श्रा खबर कानड़देन हुई । कान्हो साथ ले पाली ऊपर आयो। आसथांनजी नीसरिया' । कांनै पाली मारी । लूटेरू.1 लोग वित ले चालता रह्या । कान्हो लारै थोड़ा सा माणसांसू रह गयो । यूं करतां
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___I पाली मारवाड़में एक नगर है, जो जोधपुर से १८ कोस है। 2 'कान्हा' एक मेरका नाम है। 3 पर्वतोंमें रहने वाली एक कीम। 4 स्वामित्व । 5 अन्याय भी करता
है। 6 क्वारी (यपरिणीता) का विवाह हो तो उसको ३ दिन अपने महल में रखता है । .. 7 ब्राह्मणके घरमें । 8 तरुण । 9 किसलिये ? 10 मेरके पास मनुष्य कितने हैं ? II पैदल । 12 तेरी पुत्रीका विवाह करदे; फिर हम जाने। 13 भांवरी ली, (अग्निकी चार प्रदक्षिणा की। इससे विवाह पूर्ण हुमा समझा जाता है । तीन परिक्रमामें कन्या आगेड़ी और चौथी परिक्रमामें वर आगेड़ी रहता है । तदन्तर कन्याको वरके वाम अंगकी ओर बिठाई जाती है । चतुर्थ परिक्रमाके समय यह गीत गाया जाता है-'चौथै फेरै रे बाई हुई पराई।' तात्पर्य यह है कि चतुर्थ परिक्रमा होने पर पिताका स्वत्व मिट कर पतिका स्वत्व हो जाता है और फिर वह उसकी पत्नी कहलाने लग जाती है । ) 14 कान्हा मेरके मनुष्य ब्राह्मणकी बेटीको जनाना वैलगाड़ी में विठला कर ले चले। 15 पास । 16 भाग कर। 17 तब वे बल दिखाने लगे। 18 उनको। 19 पाली छोड़ कर चले गये। 20 कान्हाने पालीको लूट लिया। 21 लूटने वाले। 22 धन और मवेशी लेकर चले गये। 23 पीछे। 24 मनुष्यों से ।।
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मुंहता नैणसीरी ख्यात आसथांनजी माणस पांचसौ सू आण वतळायौ' , नै लड़ाई हुई । कान्हैनूं मारियो । वितरो वांसो कियौ । मेर ज्युं ज्युं लाधा , त्युं । मारिया। वित सरब पड़ायो । पाली चौरासी गांवांसू लीवी । पास भाद्राजण पिण चोरासी गांवांसू लीवी । अोरूं पसवाई' खेड़ गोहिल राज करै सु गोहिलारै परधान' ° डाभी11; सु रीसांणा हुवा । गोहिलांरो वडो धोम राज, अर डाभी पण डीलां घणां' सिरीखा परधान, सु रीसांणा थका छाड गया। जाहरां आसथांनजीरो राज भारी पड़ियो' । तद डाभियां जांणियो, गोहिल मरावां । तद डाभी आसथांनजी कनै गया। सारी ही हकीकत कही वात कीवी। ताहरां आसथांनजी कह्यौ-'कुंकर लेस्यां ।' तद डाभियां कह्यो-'म्हे थांनै समचो करस्यां । ताहरां थे चूक करिया ।'
इतरै गोहिला पिण अालोच कियो-'जो राठोड़ जोरावर । सिरांण आय राजस्थान मांडियो । जो कू ललो-पतो कीजै तो टिग सगीजे25 ।' ताहरां सारा ही आलोच कर परधान मेलियो । सु परधाननै कह्यो-'थे जाय वात कर आवो; अर मनुहार करज्यो, जो .. " उठ खेड पधारो। देस देखो । थे राम-रांम कर आवो। अर जे ... पधारे तो भगत रो कह्या", अर म्हांनू खबर मेलिया । ज्यु
1 आकर ललकारा। 2 पीछा किया । 3 मिले। 4 धन सब पीछा लेलिया । 5 चौरासी गांवोंके साथ पाली लेनेके अनंतर समीपवर्ती भाद्राजरण और उसके ८४ गांव भी ले लिये। 6 अन्य भी। 7 पार्श्ववर्ती। 8 खेड़, एक प्राचीन नगरका नाम । 9 गोहिल , . जातिके राजपूत खेड़के स्वामी थे। 10 प्रधान (मुख्य मंत्री)। II डाभी, राजपूतोंकी। जाति । 12 अप्रसन्न होगये। 13 गोहिलोंका वैभव वाला राज्य था। 14 और डाभी.... संख्यामें अविक (डोल = शरीर)। IS समान कक्षाके । 16 नाराज हो करके छोड़ कर चले गये। 17 प्रबल होगया। 18 सव वृत्तान्त कहा । 19 कैसे लेवेंगे ? 20 संकेत कर ... देंगे। 21 तव तुम घोखेसे मार डालना। 22 इस अवसर पर गोहिलोंने भी विचार किया। . 23 क्योंकि राठौड़ वलवान हैं। 24 मस्तकके उपर ही आकर राजधानी कायम करली है । 25 यदि कुछ खुशामद की जाय तो टिके रह सकते हैं । 26 राजस्थानमें, प्रणाम, सलाम
आदिके स्थान में भटके समय 'राम-राम' कहनेका भी रिवाज है। 27 यदि प्रायें तो मिहमानीका कहना। 28 और हमको खवर भेजना.। . .
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[ २७६ भक्तरी तयारी करां ।' ताहरां डाभी जाय पासथांनजीसू मिळिया। सरव हकीकत कही। आदमी मेलियो खेड़नू-भगतरी तयारी करज्यो । रावजी प्रासथांनजी पधारसी ।' ___इयां भगतरी तैयारी कीधी । आगै डाभियां गोहिलांनूं कह्यो'जु थे ठाकुर छो*, म्हे थांहरा चाकर छां, म्हे थांसू बराबरी करां तो कासू होवै ? पाखर तो म्हे थांहरा चाकर छां। जीमणी बगल गोहिल ऊभा रहै"; डावी वगल डाभी ऊभा रहसी । ज्युं पहली राव आसथांनरो साथ थांसू मिळे, पछै म्हे मिळस्यां ।' डाभियांसू गोहिल खुसी हुवा' । युं करतां राव आसथांनजी पधारिया । डाभियां गोहिलांसूचूक करायो । मांहै पधारिया । ताहरां डाभियां कह्यो''जी', डाभी डावै, गोहिल जीमण ।' ताहरां जीमणी तरफ उतरिया। गोहिल सरव मारिया । डाभी सरव उबारिया' । खेड़ राव आसथांनजी लीधी। पछै आप खेड़ हीज रह्या। खेड़ राज कियो। तठासूखेड़ेचा कहांणा ।
॥ इति वात संपूर्ण ।
I जिससे मिहमानीकी तैयारी करें । 2 3 डाभियोंने खेड़को मनुष्य भेजा और कहलाया कि मिहमानीकी तैयारी करना। 4 पाप मालिक हैं। 5 दाहिनी तर्फ गोहिल खड़े रहें, और वांई तरफ डाभी खड़े रहेंगे। 6 पहिले प्रासथानजीका लोक आपसे मिले। 7 प्रसन्न हुए। 8 डाभियोंने गोहिलों को धोखेसे मरवाया। 9 भीतर आये तब डाभियोंने अासथानजीसे कहा कि महाराज ! (बड़े आदमीको उसके नामसे संबोधन नहीं करके 'जी' शब्दसे किया जाता है) डाभी बांई तरफ है, गोहिल दाहिने हाथकी तरफ हैं। (इसमें यह भी स्वारस्य है कि शत्र दाहिने हाथको हों तो हाथका दाव बहुत अच्छा रहता है)। 10 तव दाहिनी ओर तलवार चलाई। II बचा दिया। 12 तबसे "खेड़ेचा' कहलाये। (अन्य ख्यातों और गीत छदों आदिसे पता चला है कि आसथानजीसे गोहिलोंके प्रधान प्रासा डाभीने, गोहिलोंको मरवा कर खेड़का राज्य उन्हें दिला देनेका षड़यंत्र रच कर, आसथानजीको खेड़के स्वामी प्रतापसिंह कल्याणमलोतकी बेटी व्याहने का निश्चय किया । प्रासथानजीने वहाँ पर कुछ विवाद उपस्थित कर मोहिलोंको मार कर खेड़ राज्य गोहिलोंसे छीन लिया। पासा डाभीको अपने कब्जे में कर खेड़का राज्य छीन लेने का एक पुराना सोरठा भी प्रसिद्ध है
गोहिल गळ हथियेह, खेड़ धरा खागां मुहै। प्रासो अपणायेह, गह भरियो बळ गजियो ।।
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मुंहता नैणसीरी ख्यात
वात राव कानड़देजोरी कांनड़देजी' महेवै' राज करै छ। अर सलखोजीन गांम १ दियो । तेथ सलखावासी कहांणी, उठ रहै छ।
एकदा प्रस्ताव राव सलखोजीरै रांणी गुर्विणी हुती। ताहरां राव सलखो महेवै अायो । प्राय अर किरियांणो लियो । एक राठी' - वेगार लियो। तियरै माथै सरव असबाव दे अर आप चढ़ि घोड़े पर पूठे हुवो। मारगमें जावतां च्यार नाहर नळा खायन बैंठा छ। भख आपरो वैठा खाय छ । ताहरां त्यांनू देख सलखोजी घोड़ेसू उतरने धरती बैठा; नै वै राठी कह्यो'"-'हूं पूछ पाऊं ।' ताहरां सलखें कह्यो-'पूछि आव ।' ताहरां राठी दोडियो-दोडियो राव कानड़दे कनै गयो। कह्यो-'जी, सलखोजी पधारिया हुता, सुं किरियांणो लियो । गूढ' जावता हुता। सु म्हारै माथै पांड' हुती सु सुगन' हुवो । जिका रांणी किरियांणो खासी तैरो वेटो धणी हुसी, सु थांनू कहण आयो छू। किरियांणो अपूठो घेरीजै15; अर सलखैजीनू अयूठा घेरीजै । ताहरां कान्हड़देजी आदमी मूकिया 8-'जावो सलखैजीनै अपूठा ल्यावो।' आगे सलखोजी बैठा घड़ी १ दीठो; राठी न पायो' । ताहरां आप गांठ किरियांगरी घोड़ेरै आगै हान' दे अर घरै पधा- ...
__I राव तीड़ाके तीन पुत्र थे, कान्हड़दे, सलखो और त्रिभुवरणसी। त्रिभुवरणसीकी पुत्री कुमरदे जैसलमेरके रावल केसरिदेवको व्याही थी। सं० १४५३. में केसरिदेवके स्वर्गवास करने पर कुमरदे सती हुई। इस विषयका यह शिलालेख जैसलमेर में उपलब्ध हुया है। ओं संवत् विक्रमे । १४५३ वर्षे माह सुदी ८ राजश्री त्रिभूणसी राठड़ पुत्री महाराजांघिराज श्री केसरिदेव भार्या . ॥ राज्ञी श्री कुमरदे नाम ॥ महाराजा श्रीकेसरिदेव सह स्वर्गता श्री॥ (जैसलमेर पयर्टनके समय प्राप्त । ) 2 महेवा मारवाड़के मालानी प्रांतका एक भाग। 3 सलखा राव तीडाका मध्यम पुत्र। 4 वहां। 5 गर्भवती। 6 किरियांणो - सोंठ, अजवाइन, पीपरामूल, खांड, गुड़ आदि .. पंसारटकी वस्तुएं। 7 एक क्षुद्र श्रेणीकी जाति । 8 उसके सिर पर सामान देकर स्वयं . घोड़े पर चढ़ गया और उसके पीछे-पीछे चलने लगा। 9 मार्गमें चार नाहर बैठे हुए अपना भक्ष खा रहे हैं। 10 उस राठीने कहा । II गूढा = निवास स्थान, रक्षा स्थान। 12 गठड़ी। . 13 शकुन । 14 स्वामी । 15 वापिस लौटा लेना चाहिये । 16 भेजे । 17 एक घड़ी तक राठीकी प्रतीक्षा की लेकिन वह नहीं पाया। 18 घोड़े या ऊंटकी काठीका . . एक अग्र भाग ।
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मुंहता नैणसीरी ख्यात . [ २८१ रिया। आदमी आया; देखै तो सलखोजी नहीं। तोहरां आदमी अपूठा फिर गया। राठी सलखावासी' गयो। जाइ रावळे कपड़ो . लियो। कह्यो-'जी, रावळ बेटा ४ हुसी । सु धरतीरा धणी हुसी। धरती थांहरै घरै हुसी । अर थांहरै कुरसी दर कुरसी ठकुराई हुसी। थांरा कर दस दिसा पसरसी । दीकरा' थांरा घणा सकरमण हुसी।' इसो राठी सगुनरो फळ कह्यो। आप हरखित हुयनै राठीनू पाघ बंधाई। बीजांही सवणियांनू पूछियो। तियां कह्यो-'जिकै रांणीरै प्रसूत हुसी तियैरो बेटो धरतीरो धणी हुसी।' आप राजी हुवा । मालोजी जाया । घणो हरख हुवो । घणी वधायां वैहची' । मालो दिन दिन वधै। महा प्रतापवान हुवो। बीजो बेटो वीरम, तीजो जैतमाल, चोथो सोभत । वीरमनै सोभत एकै मा-रा। मालो नै जैतमाल एकै मा-रा । युं करतां बेटा वडा हुवा । जाहरां मालोजी बारह वरसांरा हुवा; ताहरां मालोजी महेवै गया, जायनै राव कांनड़दे तू मुजरो कियो। राव मालैनू बोलायो । दिहांनगी करदी" । भेळो जीमैं' । मालो भलीभांत चाकरी करै। कानड़दे मालै ऊपर मया करै ।
एक दिनरो समाजोग छै । रावळ कानड़दे सिकार चढिया छ । सरब रजपूत साथै छै । मालो पण साथै छ। सिकार रमी, अर अपूठा वळिया' । ताहरां राव कानड़देरो पलो मालै पकड़ियो। कह्यो'कांनड़देजी ! धरतीरो हैंसो1 मांगू, छोडूं नहीं। घणोही कह्यो, पण छोड़े नहीं। रजपूत अळगा ऊभा हुइ रह्या । नैडो कोई न आवै ।
___ I सलखावासी = सलखाका आबाद किया हुमा गांव । 2 अापके। 3 स्वामी । 4 आपके घरमें धरती होवेगी अर्थात् आपके अधिकार में धरती पाजावेगी। 5 पीढ़ी दर पीढ़ी वंश परवंश । 6 आपके हाथ दशों दिशाओंमें फैलेंगे। 7 लड़के, पुत्र। 8 सकर्मण्य, श्रेष्ठ कार्य करने वाले। 9 शकुन-वेत्ताओंको। 10 मल्लिनाथजी जन्मे। 11 बहुत बधाइयां दीगई। 12 मल्लिनाथजी। 13 वीरम और सोभत एक माताके उदरसे जन्मे । 14 कान्हड़दे, मल्लिनाथजीके पिता सलखासे वडे थे, इसीसे राज्याधिकारी हुए। 15 बतलाया, बातचीत की। 16 प्रतिदिन-देय द्रव्य नियत कर दिया। 17 कान्हड़देके शामिल भोजन करते हैं। 18 कृपा करते हैं। 19 पीछे लौटे। 20 वस्त्रका छोर। 21 हिस्सा, अंश, बंट। 22 दूर खड़े रह गये। 23 कोई निकट नहीं आता है ।
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२८२ ]
मुंहता नैणसीरी ख्यात कह्यो-' जी, काको भतीजो समझल्यो । म्हे कांसू जांणां ?' ताहरां राव कानड़दे कह्यो-'माला ! तो धरती में तीजो हैंसो देइस ।' ताहरां कह्यो-'जी, मोनूं एथ लिखाय द्यो; अर थांहरा रजपूत पटू द्यो तो छोडूं।' ताहरां प्रोथहीज कागळ' लिख दियो। रजपूत पटू दिया ताहरां छोड़िया । आइनै धरती मालेनू वैहच दीधी। मालो कांनड़देरी खिजमत भलीभांत करै । ताहरां कानड़दे मालेनू .. बुधवंत' जांणनै प्रधान थापियो । ताहरां अमराव कहण लागा-'जियै ठाकुरै आपरा भाई प्रधान थापिया, तियांरी ठाकुराई जावणहारी। छै ।' हिवै माले धरती मांहै आपरो अमल करायो । राज भली- .... भांत चालण लागो । पण रजपूतारै वात दाय न आवै । ___ एकदा प्रस्ताव । दिलीरै पातसाह सारी धरती माहै डंड घातियो । गढ़ किरोड़ी मूंकिया। ताहरां महेवै ही किरोड़ी आयो । ताहरां कानड़दे सरब रजपूत तेड़िया" । कामेतियां, मालेजीनूं तेड़िया । तेड़नै मंत्रणो कियो–'जु, कासू करस्यां19 ?' ताहरां मालोजी वोलिया-'करोड़ीनू मारस्यां। डंड नहीं दां । 'सिगळां ही . ठाकुरांरै वात दाय आई-जु किसी विध मारस्यां ? मिसलत करो ।' ताहरां कह्यो-'जु इयांनू जुदा-जुदा कर मारस्यां, गांव लेजायनै मारस्यां ।' आ वात सिगळा ही दाय आई । ताहरां . किरोड़ी तेड़ने कह्यो-'थांहरा आदमी गांव मूंको, ज्यू पईसा ... ल्यावै । ताहरां इसी मिसलत कीधी-'आजहूं पांचमैं दिहाडै दोपहररी विरियां सरव काम करस्यां ।' आ मिसलत करि ऊठिया । ..
1 चचा भतीज परस्पर समझलो। 2 हम क्या जाने ? 3 तुझको धरतीमेंसे . तीसरा हिस्सा देदूंगा। 4 यहीं। 5 जामिन, प्रतिभू । 6 वहीं। 7 कागज, स्वीकार ... पत्र। 8 सेवा, नौकरी। 9 बुद्धिमान । 10 जिस ठाकुरने। II उनकी ठकुराई जाने वाली है । 12 अव। 13 राज्यका कार्य अच्छी तरह चलने लगा। 14 दंड डाला गया। 15 किलोंके लिये किरोड़ी भेजे गये। 16 किरोड़ी = दंड उगाहने वाला। 17 बुलाया । .. 18 सलाह की। 19 क्या करेंगे? 20 सब ही ठाकुरांके वात पसंद आई। 21 गुप्त । परामर्श करें। 22 इनको। 23 गांवोंमें लेजा कर मार देंगे। 24 भेजो। 25 पैसे ..... (द्रव्य)। 26 अाजसे। 27 दिन । 28 समयः।
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मुंहता नैणसीरी ख्यात . [२८३ ताहरां सिरदार हुतो, तिौनू मालो लेगयो । बीजा बीजी ठोड़ें मेलिया । ताहरां बीजै ठाकुरै लेजाय करोड़ीरा आदमी मारिया । . अर मालै सिरदारनू घरै लेजाय अर घणा हीड़ा किया। दिन पांचमैं . पछै कह्यो-'जु, कानड़दे मराया है। पण हूं तोतोनू मारूं नहीं । बीजा थांरा सरव कानड़दे मारिया छ ।' ताहरां किरोड़ी कह्यो-'जे माला ! हूं दिली जीवतो पहुंतो तो तो धरतीरो धणी कराईस ।' बांह बोल दियो । मालै आपरो साथ साथै दे अर किरोड़ीनू दिली पहुंचतो कियो । ताहरां किरोड़ी दिली जाय पातसाह प्रागै पुकार घाली'जु कानड़दे सरव आदमी मारे । अरु मेरी तांई मालै जीवता उबारया। माला हजरत का खासा बंदा है। बड़ा सांमधरमी है । लायक है ।' ताहरां पातसाह हुकम कियो-'मालैकू महेवा दिया ।' ताहरां किरोड़ी आदमी मूंकियो। मालैनूं तेड़ियो । मालो साथ भेळो करनै दिली गयो । जाय पातसाहरै पावै लागो । पातसाह मालैनूं निवाजियो । रावळरो टीको दियो । उठे कितराइक दिन रह्यो ।
वांस कानड़देजी देवगत हुवा । ताहरां त्रिभुवणसी टीकै बैठो। ताहरां मालो पातसाहसू विदा हुयनै देस आयो । त्रिभुवणसी साथ भेळो करनै मालसू लड़ाई कीधी। त्रिभुवणसी घावै पड़ियो14 । साथ भागो। ताहरां त्रिभुवणसी ई दारै परणियो हुतो सो ईदा लेगया । लेजायनै घाव बंधाया। ताहरां माले दीठो–'त्रिभुवणसी जीवतां राज आवै नहीं।' ताहरां त्रिभुवणसीरो भाई पदमसी हुतो", तिगर्ने भखायो -'तू त्रिभुवणसीनू मार तो तो टीको देवां ।' ताहरां
___ I उसको । 2 दूसरोंको दूसरी जगहोंमें भेजा। 3 सेवा। 4 परन्तु मैं तो तुझको मारूगा नहीं। 5 माला ! यदि मैं दिल्ली जीवित चला गया तो देशका स्वामी तुझको बनवा दूंगा। 6 परस्परं वचनबद्ध हुए। 7 मालाने अपने मनुष्योंको साथमें दे कर करोड़ी को सुरक्षित दिल्ली पहुँचवा दिया। 8 तब करोड़ीने दिल्ली जाकर बादशाहके आगे पुकार की। 9 मालाको बुलवाया। 10 जाकर बादशाहके पांवों लगा । II बादशाहने मालाके ऊपर कृपा की। 12 रावलकी पदवी देकर तिलक किया। 13 पीछे कान्हड़देजी परलोक पहुँच गये। 14 त्रिभुवनसी घायल हुआ। 15 लेजा करके घावों पर पट्टे बंधवाये । 16 तव मालाने देखा। 17 था। 18 उसको बहकाया । 19 तेरेको ।
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मुंहता नैणसीरी ख्यात पदमसी लोभायै थक जाइनै त्रिभुवणसीनूं पाटां मांद सोमल नींव .. माहै भेळियो । पार्टी मांह विस हुवो । त्रिभुवणसी देवगत हुवो। ... पदमसी माले कनै पायो। कह्यो- मोनू टीको घो।' माल को'टीको यु नहीं आवै ।' कह्यो-'जी, दोय गांम ल्यो, वीठा खावो'।' ताहरां पदमसीनू दोय गांव महेवैरा दे विदा कियो ।
रावल मालोजोरी* बात हिवै रावळ मालोजी महूर्त जोबाडिनै महेवें पायो । आयनै महेनै टीकै बैठो। सरव रजपूत आय मिळिया। धरतीमें प्राण सगळे फेराई । सरव भूमिया साझिया । ठाकुराई बधी। भाई सरव आय मिळिया। धरती मांद मालैरी धाक पडण लागी । वीजो भाई जैतमाल, तिगनू सिवांणो दियो । जैतमाल सिवांण राज करै छै. पण मालेरौ चाकर हुवो रहै । वीरम सोभत औ पण महेनर पास ...
__I तव पदमसीने लालचमें आकर और वहां जाकर नीमके पट्टोंमें सोमल विप मिला : ... दिया। 2 पट्टोंमें जहर होगया। 3 त्रिभुवनसी मर गया। 4 पास। 5 दो गांव लेलो और बैठे खायो। 6 अब मालाजी मुहूर्त दिखा कर महेवे पाया। 7 देश में सर्वत्र अपनी आन-दुहाई फिरवाई। 8 समस्त भोमियोंको अपने अधिकार में किया । 9 देशमें मालाकी ... घाक जमने लगी। 10 दूसरा भाई जैतमाल, उसको सिवाना दिया।
*'माला' रावल मल्लिनाथका साहित्यिक नाम है। जैसाकि 'तेरह तूंगा भांजिया माल सलखांणी' सलखाके पुत्र मल्लिनाथने बादशाही सेनाके तेरह दलोंका नाश कर दिया। लोकमान्यता है कि इनकी रानी रूपांदेकी अडिग भक्ति और चमत्कारों से प्रभावित होकर रावल .. मल्लिनाथ भी उस ओर प्रवर्त होगये। निरंतर भक्तिमें तल्लीन रहने के कारण इन्हें वचन- .... सिद्धि प्राप्त थी। लूनी नदीके किनारे तिलवाड़ा ग्रामके सामने तिलवाड़ा-फेचर नामक रेलवे स्टेशनके पास थान गांवमें रावल मल्लिनाथका बड़ा मंदिर बना हुआ है । रूपांदे रानीका मंदिर भी कुछ दूरी पर मालाजाल गांवमें बना हुआ है । रावल मल्लिनाथकी स्मृतिमें थान और तिलवाड़ाके वीच लूनी नदीके पाटमें प्रत्येक वर्ष चैत्र कृ० ११से चैत्र शु० ११ तक एक बड़ा मेला लगता है, जिसमें लाखों रुपयोंके मूल्यके ऊंट, घोड़े, वैल आदि पशुओंका और वस्त्र प्रादि । अन्य व्यापारिक वस्तुओंका क्रय-विक्रय होता है। कहा जाता है कि साधु-सन्यासी और भक्तजनोंके वार्पिक धार्मिक सत्संगका रूपान्तर यह मेला है ।
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मुंहता नैणसीरी ख्यात
[ २८५ गूढा कियां रहै । हिवै मालोजीरै बेटा हुवा। सो पिण वडा जोरावर ऊठिया, सु वीरमनू रहण न दै। ताहरां वीरमजी जाइ जोईए रह्यो । रावळ घड़सी पण रावळ मालेरै चाकर रह्यो। विमळादे परणाई । जगमाल मालावत, रावळ घड़सी, हेमो सीमाळोत, ईंयां वडो संतोख । रावळ मालैजी सरब धरती लीवी छै । दोय पातसाह भागा । एक दिलीरै पातसाहरी फोज भागी। एक मांडवरै पातसाहरी फोज भागी। मालो सिद्ध हुवो । नव बेटा हुआ । वडा सिरदार हुवा । राव चूंडैनूं पिण मालैजी ठाकुर कियो । माथै हाथ दिया । ___एकदा प्रस्ताव । कुंवर जगमाल बोलाय हेमै सीमाळोतन कह्यो-'वरसात छ, देस सुहामणो लागै छै। रावळजी हुकम करै तो थळ मांहै सिकार रमां' ।' हेमै रावळजी कना हुकम लियो । त्रै ठाकुर सिकार चढिया । दिन १५ तथा २० कह्यो जी रहिस्यां । ताहरां रावळ घड़सी, जगमाल, हेमो सीमाळोत, सिकारनूं चढ
I वीरम और सोभत ये दोनों भाई भी महेवेके पास ही अपना गुढा बना कर रह रहे हैं। 2 तव वीरमजी वहांसे जाकर जोईयोंके यहां रहा। 3 रावल घड़सी भी मालाका चाकर रह गया और उसे विमलादे व्याह दी गई। 4 इनके परस्पर बड़ा स्नेह । 5 माला भक्ति कर के सिद्ध हो गया। 6 राव चूडके सिर पर हाथ रख कर उसे भी ठाकुर बना दिया। ... 'माला' रावल मल्लिनाथका साहित्यिक नाम है। जैसा कि 'तेरह तूंगा भांजिया माल सलखांणी' सलखाके पुत्र मल्लीनाथने बादशाही सेनाके तेरह दलोंका नाश कर दिया । लोक-मान्यता है कि इनकी रानी रूपांदेकी अडिग भक्ति और चमत्कारोंसे प्रभावित होकर रावल मल्लिनाथ भी उस ओर प्रवर्त हो गये। निरंतर भक्तिमें तल्लीन रहने के कारण इन्हें वचन-सिद्धि प्राप्त थी। लूनी नदीके किनारे तिलवाड़ा ग्रामके सामने तिलवाड़ा-फेयर नामक रेल्वे स्टेशनके पास थान गांवमें रावल मल्लिनाथका बड़ा मंदिर बना हुआ है। रूपांदे रानीका मंदिर भी कुछ दूरी पर मालाजाल गांव में बना हुआ है । रावल मल्लिनाथकी स्मतिमें थान और तिलवाड़ाके वीच लूनी नदीके पाटमें प्रत्येक वर्ष चैत्र कृ० ११से चैत्र श० ११ तक एक बड़ा मेला लगता है, जिसमें लाखों रुपयोंके मूल्य के ऊंट, घोड़े, बैल आदि पशुओंका और वस्त्र प्रादि अन्य व्यापारिक वस्तुओंका क्रय-विक्रय होता है। कहा जाता है कि साधु-संन्यासी और भक्तजनोंकी वार्षिक धार्मिक सत्संगका रूपान्तर यह मेला है। 7 रावलजी यदि शाज्ञा करें तो थल प्रदेशमें (जंगल में) जा कर शिकार खेलें। 8 पास, से। 9 कहा कि १५ तथा २० दिन वहां रहेगे ।
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मुंहता नैणसीरी ख्यात नीसरिया' । जसै घणा जाळ, घणा खेजड़, सूरज दीसे नहीं, जैड़ी ... झंगी तेथ गया । वसती कठै लाभ नहीं । इयै भांत सिकार रमै ।
एक दिन प्रभातरा चढ़ि नीसरिया । एक ठोड़ आया । प्रागै देखै ...... तो कोहर तेविन, धाव पायने मरद तो सोह गांम गया छै । एक ... बैर जावै छै। सु साठीको कोहर, तियैरी वरत छै सु वरत सांवटिनै काख मांहै घाली छ । कोस पंजाळी बांह माहै घातिया छ । माथै बिघड़ियो भरियो पांणीरो छै अर मारग चाली जाय छ । ताहरां पूछियो-'महेवैरो मारग कठै छै ?' ताहरां लांवो हाथ करनै मारग दिखायो। ताहरां सारा कहण लागा-'देखो ठाकुरे, छोकरीरो वळ ! देखो, कितरो' भार उठाये जावै छै ।' ताहरां एक असवार घोड़े हूं1 उतरने ढाल भार भरनै उपाडणं लागो, सु कळाईतूं ढाल उपड़े नहीं । ताहरां सारा बोलिया-'धन्य वा छोकरी, जिये इतरै भार थकां बांह लांबी कीधी !' ताहरां हेमो सीमाळोत वोलियो-'जावो, खबर करो कुवारी छै कना परणी छै* ?' ताहरां एक असवार दोड़नै खबर कर आयो, 'जु कुंवारी छ।' ताहरां औ ठाकुर वै पग-पगै
I अपने-अपने वाहनों पर सवार होकर शिकारके लिये निकल गये। 2 जहां पर : घने जाल वृक्ष और घने शमी वृक्ष, झाड़ी ऐसी कि सूर्य भी नहीं दिखे, ऐसे स्थान पर गये । 3 कहीं बस्ती देखनेको नहीं मिले। 4 आगे देखते हैं कि कुएंको सींच कर और अपने पशुओंको पानी पिला कर मर्द तो सब ही अपने गांव को चले गये हैं। 5 स्त्री। 6 साठीका . कुंयाँ, जिसके मोटे रस्सेको समेट कर कांखमें डाले हुए है। साठीको कोहरं = साठ पुरुषका... .. गहरा कुआँ। वरत = चरसेको पानी से भर कर के कुएंमेसे खेंचनेके लिये चरसेके बंधा हुना चमड़ेका मोटा रस्सा। 7 कोश (चरसा) और पंजाली बांहमें डाल रखे हैं। पंजाळी = कुएँ मेंसे पानी निकालनेके लिये चरसेमें या बैलगाड़ी में जुते हुए दो बैलोंको एक दूसरेसे अलगनहीं होने देनेके लिये उनके कंधोंमें डाला जाने वाला जूएकी तरहकी लकड़ीका एक चौखटा। . . .8 सिर पर पानीसे भरा हुआ विघड़िया है। विघड़ियो = वि घड़ियो, दो घड़े या दूसरा घड़ा। घड़ेके ऊपर दूसरा छोटा घड़ा। सिर पर उठाया जाने वाला पानी से भरा बड़ा घड़ा और उसके ऊपर रखा जाने वाला दूसरा छोटा घड़ा। 9 महेवेका मार्ग कहां पर है ? . 10 कितना। II घोड़ेसे। 12 उठाने लगा। 13 धन्य है उस लड़की को जिसने इतना बोझा होते हुए भी अपने हाथको लंवा कर दिया । 14 जाओ और पता लगाओ कि यह क्वारी है अथवा व्याही हुई है ?
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[ २८७
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गया। आगे वसती आई | देखे तो एक रजपूत बरछो लियां ऊभो छै । ताहरां वै रजपूतनूं पूछियो - 'प्रा किणांरी वसती छै ?' ताहरां रजपूत बोलियो- 'जी वसती सोळंकियांरी छै । कह्यो' ठकुराळा * ! आ बेटी किणरी छै' ?' ताहां ऊ रजपूत बोलियो'जी, ईयै रजपूतरी डावड़ी छै' ।' वळ पूछियो- 'थे कि जातिया छो' ?' कह्यो-'जी, हूं सोळंकी छू ।' ताहरां उठे उतरिया, डेरा किया । गांवरा लोक हीड़ा करण लागा। ताहरां वे रजपूतनं तेड़ने में को'थांरी बेटी जगमालजीनं परणाव ।' ताहरां रजपूत बोलियो - 'राज ! म्हे मालजी रा रजपूत छां । म्हां सरीखांरो साहिबांसूं सगपरण किसो ? म्हे खिलहरी लोक छां । जंगळरा वसणहार मूंछ लोक छां''। मांहरा टाबर राज- रीत - सार काई जांणै ? तो राजा छै, मांहरा छोरू गंवार लोक छै ।' ताहरां हेमोजी बोलियो - 'जी टाबर रावळी छै ।' ताहरां प्राथण वांस रोपाय, अर चंवरी बांध, जीनूं परणाया'" । दिन ३, ४ रह्या । उठे सोळंकणीनूं ग्रासा रही। उठाहूं जगमालजी * चढि र महेवै प्रया | सोळंकणी
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जगमाल
2 खड़ा है ।
4 हे ठाकुर ! S यह लड़की
I तब ये ठाकुर ( उस लड़की के ) पाँवों को खोजते खोजते गये । 3 तब उस राजपूतको पूछा कि यह किनकी बस्ती है ? किसकी है ? 6 जो ! यह इस ( मुझ) राजपूतकी लड़की है । पुनः पूछा कि तुम कौन जाति के हो ? 8 तब वहीं उतर कर डेरा लगा सरीखोंका बड़ोंसे कैसा संबंध ? 10 हम तो ऊंट प्रादि पशु चराने वाले II जंगल में रहने वाले अपढ़ लोक हैं। मूंछ = असभ्य, असंस्कृत, अपढ़ | 12 हमारे बच्चे राज-रीतिको बातों में क्या समझें । 13 हमारे बच्चे ग्रामीण लोक हैं । 14 तब संध्याको बांस खड़े कर ( मंडप वनाय) और चंवरी बांध कर जगमालका विवाह कर दिया। IS वहां सोलंकनी गर्भवती हुई । 16 वहांसे जगमालजी चढ़ कर महेवे प्राये ।
7 दिया। 9 हम जंगली लोक हैं ।
** जगमाल बड़े वीर पुरुष थे । ये गुजरात के बादशाहकी बेटी गींदोलीको उड़ा कर ले आये थे | जगमालको मार कर गींदोलीको वापिस ले जानेके लिये बहुत बड़ी सेना के साथ वादशाह स्वयं जगमाल पर चढ़ कर श्राया था। जगमाल युद्धमें बड़ी वीरतासे लड़ा और उसने ऐसी तलवार बजाई कि बादशाह और उसकी सेनाको रणांगरण से भाग कर प्रारण • बचाने पड़े । गींदोलीको प्राप्त करनेके लिये फिर वह साहस नहीं कर सका । प्रसिद्ध है कि'गोंदोली बांधी गळ', जिका न दे जगमाल'। इस ऐतिहासिक घटना के सम्बन्ध में गींदोलीरी वात' नामक कथानक प्रसिद्ध है । जगमालकी इस अभूतपूर्व विजयसे राजस्थानका लोकसाहित्य भी बहुत प्रभावित हुआ है । स्त्रियों द्वारा गाया जाने वाला - 'गींदोली जगमाल महाल, गींदोली किम दीर्ज हो राज ।' लोकगीत आज भी प्रसिद्ध है ।
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मुंहता नैणसीरी ख्यात
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उठे हीज राखी, साथै ल्याया नहीं ' ।
तिरहेकै दिने सोळंकणी वेटो जायो । नांव कूंभो दियो । नांना हीज मोटो हुवे ।
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एकदा प्रस्ताव | रावळ मालजी महेवै राज करता थकां पातसाही फोजां महेवें ऊपर विदा हुई । ताहरां मालैजी अमराव तेड़िया | को- ' कासूं करस्यां ?' ताहरां ग्रालोच कियो' । कह्यो'जी ग्रांपं लड़ाई कियां पहुंचां नहीं ताहरां हेमो बोलियो- 'जी रातीवाहो देस्यां ।' ताहरां मालोजी बोलिया - 'भली कही ।' ताहरां रातीवाहो थापियो' । ताहरां मालैजी हुकम कियो - 'सिरदारांरा नांव मांडो ।' ताहरां सातवीसी सिरदार नांवे मंडाया " । इतरां ठाकुरांनं हुकम कियो - 'थे राती वाहो द्यो" ।' सु तुरकांरै हाथियां ऊपर कनातां चाले, काठरा थांभा चाले । जाहरां उतरे, ताहरां घर वणाय लै । सिरदार तो घर मांहै उतरें । इसी जतन करें । युं करता महेवैरै नजीक आय उतरिया । ताहरां ईयां ठाकुरां रातीवाहैरी तयारी कीनी । ताहरां जगमाल मालावत, कूंपो मालावत, हेमो सीमांळीत, घड़सी रतनसीत्रोत - ईंयां ठाकुरां सिरदार मारणो अटकळियो ” । सिरदारां ग्रापस में कह्यो - 'ठाकुरे ! मुगल तो घर मांहै छै । सुं थांभो तोड़ पर घर मांहै घोड़ो घालणो. अर सिरदारनूं घाव करणो । अर आप थांभो तोड़ गळी करने घोड़ो. घालणो 14 नर घाव करणो । वीजैरी सेरी मांहै घोड़ो घालणो नहीं"। इसो वयण
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1 सोलंकनी को वहीं रखा, अपने साथ नहीं लाये | 2 कितने दिनोंके बाद सोलंकनीको पुत्र उत्पन्न हुआ । 3 नाम । 4 ननिहाल | 5 मालाजी जिन दिनों महेवा में राज्य करते थे, तव महेवे पर बादशाही सेना रवाना हुई। 6 क्या करेंगे ? 7 तब परामर्श किया। 8 राज्याक्रमण करेंगे । 9 तव राज्याक्रमरणका निश्चय किया । 10 तब एक सौ चालीस ( ७२०, सात बोसी = १४०) सरदारोंके नाम लिखे गये । II इतने ठाकुरोंको प्राज्ञा की गई कि तुम रात्र्याक्रमण करो । 12 इन ठाकुरोंने सरदारको मार देनेकी तजवीज सोची । 13 और सरदार पर प्रहार करना । 14 अपने आप कनातके थंभको तोड़ कर गली बना ले और उसीमें ग्रपना घोड़ा डाले । (दूसरेकी बनाई हुई गलीमें नहीं IST ) । 15 एक्की बनाई हुई गली में दूसरा कोई अपना घोड़ा उधर नहीं डाले ।
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मुंहता नैणसीरी ख्यात
[ २८९ दिनरो कियो' । बीजा असवार फोज ऊपर नांखो । ताहरां रात पोहर १ गई, ताहरां ईंयां ठाकुरां रातीवाहो दियो । ताहरां हेमै . सीमाळोत जाइ पैहली तोड़ि कनात, भांज थांभो', अर मुगलनूं घाव कियो । मारनै माथैरी कुलह लीधी । अर जगमाल मालावत घोड़ो दाबियो, सु थांभो खिसियो नहीं। खस रह्यो । ताहरां हेमरी गळी कीधी' तिर्यमें घोड़ो घाल अर घाव कीधो, सु हेमै दीठो । प्रै ठाकुर सिरदार मुगल मार बीजो' साथ सरव भांज, औ ठाकुर ऊभा रह्या । मुगल नाठा। ईंयां साथ लूंटियो। पछै आय रावळजीनं सलाम कीधी । दरबार जोड़ रावळजी बैठा । सारैही साथरो मुजरो लियो। ताहरां कुंवर जगमाल कहै-'सिरदारनूं म्हारो घाव छै11 ।' 'ताहरां हेमो सीमाळोत कहै-'कोई सहनांण द्यो । ताहरां रावळ मालोजी बोलिया-'जियां सिरदार मारियो, तियां कनै सहनांण हुसी ।' ताहरां हेमै सिरदाररै माथै री कुलह काढ दीधी। कह्यो जी'जगमालजी ! म्हां मारियो सु थांईज मारियो छै' । पण थांनूं आ वात चाहीजै नहीं । म्हे तो थांहरां रजपूत छां। म्हारो थे वांनो वधारो तो भलो छ, किना युं करयां भलो ? पहली तो थां म्हारी गळी कीधी, मांहै घोड़ो घालियो, पछै थां मारियनूं घाव कियो, सु थां मांहै जगमालजी चूक छै" । आपां बोल किसो कियो हुंतो18 ।'
I दिनमें सभीने इस प्रकार वचन दिया । 2 दूसरे सवार सेना पर आक्रमण करें। 3 तब इन ठाकुरोंने रात्र्याक्रमण किया। 4 थंभेको तोड़ कर। 5 मार कर सिर परकी कुलह ले ली। कुलह = लोहेकी टोपी, शिरस्त्राण । 6 खूब पच रहा, किन्तु थंभा नहीं खिसा । 7 तब हेमेकी बनाई हुई गली में अनुसरण किया और उसके भीतर अपना घोड़ा प्रवेश करके प्रहार किया। 8 हेमेने ऐसा करते हुए देख लिया। 9 दूसरा। 10 मुगल भाग गये। II सरदार पर घाव मैंने किया है। 12 कोई निशान हो तो दो। 13 जिसने सरदारको मारा है, उसके पास कोई निशान होगा ही। 14 जगमालजी ! हमने मारा है सो तो आपहीने मारा है। 17 लेकिन आपको यह बात नहीं करनी चाहिये। 16 हमारा स्वरूप (प्रतिष्ठा) बढ़ाना अच्छा है अथवा यों करना अच्छा ? पापही सोचें। IS देखिये ! पहले तो, मैंने जो गली बनाई थी उसी में आपने अनुसरण किया और अपना घोड़ा अंदर प्रवेश किया। मेरे द्वारा मारे हुए पर आपने प्रहार किया। जगमालजी ! यह आपकी भूल है। 18 अपनने निश्चय कौनसा किया था ?
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२६० ] . मुंहता नैणसीरी ख्यात ताहरां जगमाल हेमैसूं रीसांणा' ।
दिन ५ तथा ७ प्राडा घातिनं एक दिन जगमाल कह्योहेमाजी ! घोड़ो थे मोनूं द्यो, थे मो कना बीजो घोड़ो ल्यो । 'कह्यो जी-म्हां कनै घोड़ा, रजपूत छै सु थाहरा हीज छै। थांहरै .. कांमनूं ही छै ।' कह्यो-'थां माहरै कामनूं तो छो, पण घोड़ो मोनूं ... द्यो।' ताहरां हेमो कहै-'राज ! घोड़ो न छु ।' तो कह्यो-'थे मांहरा चाकर नहीं ।' ताहरां हेमै कह्यो-'नहीं तो नहीं ।
हेमै वास छोड़ियो। हेमो जाय घूघरोटरै पहाड़ां पैठो। हिवै हेमो मेवासी हुवो । महेवैरी धरती उजाड़े । सातवीसी गांव महेवैरा ... मांहि धुंवो धुखै नहीं। इसो जोर घालियो के के जाळोररी मांहै. वसिया, के जेसळमेररी मांहै वसिया । रईयत सरव गई। धरती हेमा अागे वस सगै नहीं। कितराहेक वरस युही धोंकळ रह्यो । हिवै रावळ मालोजी कुटेवा पड़िया । युं करतां घट घणो वेचांक .. हुवो । ताहरां दान पुण्य कियो । जाहरां मालोजी अंतकाळ पाया । ताहरां वेटा, पोतरा, भाई सरव उमराव एकठा हुवा छ । ताहरां ... मालोजी वोलिया-'इतरा दिन तो हेमै देस मारियो । हिवै हूं घरै न हुवो, ताहरां हेमो महेवैरै किंवाड़े घाव करसी। प्रोळं प्राय: ठाहोकसी। इसड़ो कोई रजपूत छै जु हेमरी पूठ राखै ?' .... वार २-३ रावल मालैजी कह्यो, पण कोई वोलै नहीं। ताहरां कुंभो जगमालोत वोलियो-'ठाकुरे ! वोलो काई नहीं। खेड़रा ऊपना
I तब जगमाल हेमेसे नाराज हो गया। 2 अपना घोड़ा मुझे दो और मेरे पाससे . . दूसरा घोड़ा ले लो। 3 तुम्हारे कामके लिये ही है। 4 राजकुमार ! घोड़ा नहीं दूंगा।" 5 नहीं तो नहीं सही। 6 अव हेमा लुटेरा हो गया। 7 महेवेके १४० गांवोंमें धुआँ नहीं निकलता है । अर्थात् सभी घर खाली हो गये। 8 ऐसा अातंक जमाया सो भयके मारे... . कई जालोर प्रान्तमें और कई जैसलमेर प्रान्तमें जाकर बस गये। 9. हेमाके आतंकने देश पावाद नहीं हो सकता। 10 कितनेक वर्षों तक यह उपद्रव योंही चलता रहा। II. अब . . रावल मालाजी रोगग्रस्त हुए। 12 इस प्रकार रोग-निवृत्त नहीं होनेसे शरीर अधिक अस्त्रस्य हो गया। 13 इतने दिन तो हेमेने देशको लूटा । 14 अव ज्योंही मैंने कूच किया नहीं; त्योंही हेमा महेवेके दर्वाजे पर आकर घाव करेगा। 15 पौलि पर पाकर छापा मारेगा। ... : .. 16 ऐसा कोई राजपूत है जो हमेका पीछा करे। ............ . . . . . . .
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___ मुंहता नैणसीरी ख्यात . [ २६१० घोड़ा, खेड़रा ऊपना रजपूत छो। बोलो क्युं नहीं छो ? रावळजी कहै छै'।' ताहरां रजपूत बोलिया। कह्यो-'जी, प्रागै हेमै ऊपर बीड़ो उठावणो छै । अर बूंघरोटरा पहाड़ छ । थेई कुंभाजी बोलो नहीं, पाटवी कुंवररा बेटा छो ।' ताहरां कूभै कह्यो-'वाह ! वाह !' ताहरा कुंभ ऊठनै रावळ मालैजीनें सलाम करनै कह्यो-'बाबाजी ! आगै हेमै उजाड़ कियो, हिवै हेमो उजाड़ करै सो कुंभो इग्यारह गुणो सोळे ।।' ताहरां रावळजी बोलिया-'साबास ! कुंभा !' हूं जांणतो हुतो, तू हेमा ऊपर बीड़ो उठाईस । ताहरां रावळ मालजी आपरी कटारी तरवार कूभनें बंधाई। कूभै ऊपर राजी हुवा । प्रापरी असवारीरो घोड़ो बगसियो । आप जीव सोरो कियो । कुंभो बाहुड़ियो, ताहरां बांस रजपूत हसण लागा । 'जांणां छां कुंभोजी नांनाणे जाइ अर हुड़ियांरै माथै कटारी भांजसी" ।' आ कुंभ खबर हुई । 'रजपूत वांस हसण लागा।' युं करतां रावळजी देवगत हुआ। रावळजीरो कृत कियो । जगमालजी टीकै बैठा । हेमै पण आ वात सांभळी10 । रावळ मालोजी विसरांमियो'1 । अर आप फुरमायो जु-'हेमो आवसी ताहरां ?' भै सलाम कीवी-'हेमो हूं पालीस' ।' ताहरां हेमो पण बैस रह्यो। हेरा लगाइ फीटा किया। जु 'कुंभो कठैई जावै अर
___I ठाकुरो ! आप कोई बोलते ही नहीं। खेड़ जैसी वीरप्रसू धरामें पाप उत्पन्न हुए हैं। आपके घोड़े भी खेड़में ही उत्पन्न हुए हैं, फिर भी आप क्यों नहीं बोल रहे हो ? रावलजी आपको पूछ रहे हैं। 2 तव राजपूतोंने कहा-पागे हेमेके ऊपर बीड़ा उठाना है (कोई ऐसा-वैसा व्यक्ति नहीं है) और जहां घूधरोटके पहाड़ हैं । आप भी कुभाजी बोल नहीं रहे हो; आप तो पाटवी कुवरके पुत्र हैं। 3 पहले तो हेमाने जो उजाड़ किया सो तो कर ही दिया, किन्तु अब यदि उजाड़ करेगा तो कुंभा उसका ग्यारह गुणा भरेगा। 4 मैं जानता था कि तू हेमाके ऊपर बीड़ा उठायेगा। 5 स्वयंको (मालाजीको) संतोष हया। 6 कुभा जब वहांसे लौट गया तो पीछे राजपूत हंसने लगे। 7 जानते हैं, यह ननिहाल जाकर भेड़ोंके ऊपर अपनी कटारी तोड़ेगा । अर्थात् हेमेके विरुद्ध इसका कुछ कर सकना असंभव बात है। 8 इस प्रकार रावलजी देवगतिको प्राप्त हुए (मर गये)। 9 मृतक संस्कार और भोज आदि किये गये। 10 हेमेने भी यह बात सुनी। II कि रावल मालाजी स्वर्ग पहुंच गये । '12 हेमाको मैं रोगा। 13 तब हेमा भी चुप रह गया और धावे बोलने बंद कर दिये।
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मुंहता नैणसीरी ख्यात
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हूं चढू ।' अर कूंभो पण सावचेत रहै । ग्राठो पोहर हथियार बांध्यां बैठो रहै । घोड़ा २ पलांग मांडिया रहे । च्यार पोहर घोड़ांरी चोकी । एक घोड़ो चरे; एक घोड़े पलांग मांडिये रहे । ईय भांत कुंभो रहै । इसी कुंभैरी धाक । तैसूं हेमो देस में पंसण पाव नहीं । आा वात सिगळं कोर्ट सुणी ।
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ताहरां रांणो मांडण सोढो ऊमरकोटरो धरणी, तिये श्री वात सुणी, र कह्यो - "कूंभो वडो रजपूत; जियेरी धाकसूं हेमो वैस रह्यो । महेवैरी धरती वसी' । फेर हेमो महेवैरी में न आयो । इयेनूं परगाईजै इसो रजपून छै । ताहरां सिगळां ही रजपूतां कह्यो - 'वाह ! वाह !' ताहरां वांभण तेड़ने नारेल दियो" । कह्यो जी - 'कूंभे जगमालोतनूं महेवै जाय नाळेर वंदावो" । बाईरी सगाई कूंभैसू कीबी छै'' ।' ताहरां बांभरण नाळेर ले हालियो नै महेवै आयो । पछै भलो मोहरत जोवाड़ 11 कुंभैनू प्रोहित नाळेर दियो, ताहरां कूंभ ऊठ, सलांम कर नाळेर लियो । कुंभ कह्यो - 'रांणजी मोनू रजपूत कियो । हिवै हूं रजपूत हुवो । मोनू मोटो कियो '" ।' वांभणनू भलीभांत विदा दीनी । श्रर को - ' मोनू रावळजी देस भळायो छे, जे हूं हिमारूं परणीजण ग्राऊं तो हेमो तुरत महे
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I इस टोहमें रहता है कि कुंभा कहीं जाये और मैं चढ़ाई करूं । 2 दो घोड़े हर
दम जीन कसे तैयार रहते हैं । 3 कुभेका ऐसा ग्रातंक कि हेमा देशमें (महेवे की धरती में )
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सुनी 15 तत्र
प्रवेश ही नहीं कर पाता । 4 यह बात सभी गढ़ोंने ( गढ़पति राजानोंने) यह बात ऊमरकोटके स्वामी राणा मांडण सोढाने भी सुनी और उसने कहा 1 6 कुंभा बड़ा वीर राजपूत है जिसकी थाकसे हेमा जैसा वीर भी चुप बैठ गया । 7 महेवा प्रदेश पुनः बस गया। 8 हेमा फिर महेवा प्रदेश में नहीं आया । 9 यह ऐसा राजपूत है कि इसका विवाह (अपनी लड़की को देकर ) कर दिया जाये । 10. तव सभी राजपूतोंने कहा - 'वाह ! वाह ! ( बहुत अच्छी बात है ) । तव ब्राह्मरण को बुला कर नारियल दिया । II उसे कहा कि महेवे जाकर कुंभे जगमालोतसे इस नारियलका वंदन करायो ( नारियल-वंदन द्वारा सम्बन्ध स्वीकृत कराया जाय ). 1 12 कि बाईकी सगाई कु भेसे की है । 13 तब ब्राह्मण नारियल लेकर चला और महेवे श्राया । 14 दिखा कर ! 51 तव कुंभेने उठ कर नारियलको प्रणाम किया और नारियल ले लिया । 16 कु भेने कहा- 'राणाजीने मुझको राजपूत बनाया और अब मैं राजपूत वन गया । मुझको बड़ा बनाया ।
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. [ २६३ ... पावै । हूं अाय न सकू' ।' ताहरां आदमी अमरकोट गयो। जायनै
राण मांडणनूं हकीकत कही। ताहरां रांण मांडण कह्यो-'ठाकुरे ! कुंभो इसो रजपूत, जिये घरै ले जायनै परणावीजै ।' ताहरां मांडण कहाड़ियो-'अमरकोटसूं सौ कोस महेवो छ । पचास कोस म्हे आवां छां, पचास कोस थे श्रावो।' इसो कहाड़ियो । ताहरां आदमी आयो नै कुंभैनूं कह्यो। कुंभै यादमी अपूठो मूंकियो, अरे कहाड़ियो-'छांना-छांना आवज्यौ । ताहरां राणे मांडण सेजवाळ तयार कराया। लोक साथ ले अर हालिया। कुंभैयूँ आदमी मूंकियो । कुंभो वर वण चालियो । प्राय रांणा मांडणतूं मिळियो। मांडण कुंभानूं देख राजी हुवो। कुंभो परणियो। हथळेवो छोड़ियो, पर कुंभ कह्यो-'मोनूं विदा द्यो ।' तांहरां कह्यो जी-'दोय पोहर रहो, राजलोक कहै छै । युं वात करतां वार लागी । तितरै11 आदमी
आय कह्यो-'जी हेमो पायो । आई नै महेवैरै किंवाड़े घाव दियो । 'हेमै रा हेरा फिरता हुता। कुंभो चढे और महेवै प्रावै। सु हेमो प्रायो, ताहरां कूभै विदा मांगी। घोड़े असवार हुवो। ताहरां रायसिंघ मांडणरो बेटो, पाटवी कुंवर तिको बोलियो, कह्यो-'जी जिका वींदणी तियैरो मुंहडो देखो' । ताहरां घोड़े चढियै हीज वैहलरी खोळी ऊंची करनै मुंहडो जोयो' । कह्यो-'जी जोयो छै, सुख पावज्यो ।।७।'
___ I मुझको रावलजीने देश सुपुर्द किया है। यदि मैं इस समय विवाह करनेको आ जाऊं तो हेमा तुरंत ही महेवे पर चढ़ कर पा जाये। अतः मैं इस समय नहीं आ सकता। 2 तब राना मांडणने कहा-'ठाकुरो ! हेमा ऐसा वीर राजपूत है उसे उसके घर जाकर कन्याको व्याही जाये। 3 इस प्रकार कहलवाया। 4 कुम्भेने आदमीको पीछा लौटाया और उसके
साथ कहलवाया कि 'चुपचाप गुप्त रीतिसे प्राना'। 5 आदमियोंको साथ लेकर चला। . . . 6 कुंभेको आदमी भेजा। 7 कुंभा दूल्हा बन कर चला। 8 कुंभेका विवाह हो गया।
ज्योंही हथलेवा छूटा त्योंही कुंभेने कहा-'मुझे आज्ञा दीजिये। 9 स्त्रीजन कह रही हैं कि दो पहर ठहरें। 10 इस प्रकार बात करनेमें देर लग गई। II इतने में। 12 अजी! हेमा आ गया और उसने आकर महेवेके किंवाड़ों (दर्वाज) पर घाव किया। 13 हेमेके . जासूस फिरते थे। 14 अजी ! जो दुलहिन है उसका मुह तो देख लो। I5 तब घोड़े पर चढ़े हुए ही वहलीकी खोल (पर्दा, यावरण) उठा कर मुंह देखा। 16 और कहा कि 'देख लिया है, सुख की प्राप्ति हो।
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२६४ ]
मुंहता नैणसीरी ख्यात ताहरां रायसिंघ पण साथ हुवो छ । सु रायसिंघ वडो वारणा- ...... वळी । रायसिंघरो वाह्यो (बांण) खाली न पड़े । ताहरां दोनूं चढि खड़िया । ताहरां रायसिंघ बोलियो-'कुंभाजी ! महेवै जाय . ... कातूं करस्यां? अडोअड़ हालो, ज्युं बूंघरोटरा पहाडनूं खड़ो । ज्यु जाइ पहुंचां ।' ताहरां कुंभो बोलियो-'थे धाड़वी, रायसिंघजी ! सरब मारग जांणो छो । म्हे कासूं जांणां मारगरी सार' ? ताहरां चूंघरोट चढ खड़िया छै । दोय पोहर रात खड़िया, दो पोहर दिन खड़िया । ___ ताहरां आगै सेंचाळ कोहर तेवै छै' । पणिहार घड़ो भरियो छै । कहै छै-'रे भाई ! मोनूं घड़ो उखगाय ।' ताहरां सेंचाळ उखणावै नहीं। उवा नहोरा करै छ । ताहरां कुंभै सेंचाळनूं कह्यो-'रे मुंहडै मूंछ छै, मरद कहावै छै, इये पिणियारीनूं घड़ो क्यूं नहीं उखणावै । छ ? ताहरां सेंचाळ बोलियो-'उतावळा छो तो राज उखणावो10 | ताहरां कूभै नई हुइ घडैनै हाथ घाति अर ऊंचो लियो । अर घोड़ो त्रापियो । काछी घोड़ो हुतो। गजंदा २, ३, ४ वार घोड़ें . कूळाछां खाधी13 । कंभ घड़ो इमहीज हाथां मांह राखियो14 | घोडो थांभि ठाढो करनै कह्यो15-'वाई ! नैड़ी आव" ।' ताहरां पणि-.. हाररै माथै बड़ो मेलियो छ । ताहरां पणिहार बोली-'वीरा ! तूं
___ I रायसिंह वारण चलाने में विशेपज्ञ। 2 रायसिंहका चलाया हुया वाण व्यर्थ नहीं जाता। 3 कुंभाजी ! अपन महेवे जाकर क्या करेंगे ? अपन तो उसको पहुंचते हुए चलें .
और घूघरोटके पडाड़की ओर चलाएं सो जाकर वहां पहुंच जायें। 4 आप तो लुटेरे हैं ... रायसिंहजी ! आप सभी मार्ग जानते हैं। 5 मार्गके संबंधमें हम क्या जाने ? 6 तब ... घूघरोटके लिये चढ करके चले हैं। 7 सेंचाल कुएं मेंसे पानी निकाल रहा है। सेंचाल 3 वैलोंको चला कर मोटके द्वारा कुएं में से पानी निकालने वाला व्यक्ति, सिंचाईका काम करने ..... वाला, सींचक । 8 मुझको घड़ा उठवा दें। 9 वह निहोरा कर रही है। 10 इतने उतावले हो तो आप ही उठवा दें। II तव कुभेने निकट प्राकर, घड़ेको हायसे ऊंचा . उठाया। 12 और घोड़ा चमक. गया। 13 काछी घोड़ा था, उसने अपने अगले दोनों पांवोंको ऊंचा और उठा टप्पें भर कर छलांगें मारी। 14 इस पर भी कुभेने घड़ेको उसी . प्रकार हायमें पकड़े रखा। 15 घोड़ेको थाम कर और उसे शान्त करते हुए कुभेने कहा । . . . 16 बाई ! निकट ग्रा।
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मुंहता नैणसीरी ख्यात
[ २६५
कूंभो जगमालोत नहीं छै' ?' ताहरां कह्यो - 'कूंभो हूं छू ।' कह्योतूं हेमैरे वांसै चढियो' छ ?' कह्यो - 'होवै ।' ताहरां पणिहार को'हेमो तो घरै गयो हुसी ।' कह्यो - 'रे वीरा ! तू पुरख में रतन, हेमैरै वांसै कांई जाय ? हेमो तो जमरी दाढां मांहै छै । जो जरडां इण तैरो कासूं मारणो' ? तूं पूठो जा' । वळे आयो रहसी' | कह्यो - 'जी म्हें रावळजीनूं बोल दियो छे । ताहरां पग-पगे हालिया " । कोस दोयइक पर जावै तो हेमो उतरियो छै"। साथ उतरियो छै । संखड़ी श्रणाई छे" । बैठा रजपूत खावे छे। हेमो डोरड़ो गावै छ । 'लाडा ! थारै डोरड़े वीस गांठ हो' 2
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युं गावतां कुंभ आयो। कह्यो- 'जीं, साथ ! साथ ' " ! ' युं कहतां पैहली जाय ऊभा । ताहरां हेमो बोलियो - 'साबास, सावास ! कुंभा साबास तोनूं ! म्हारो तें पूठो दाबियो ! साबास सपूत ! ' इतरै रायसिंघ प्रायो । ताहरां हेमो बोलियो - कूंरंभा ! मालांणा ! कटक वाळा वनोड़ा मतां नांखै ? साइयां मिळो" ।' ताहरां कुंभो घोड़े हूं" उतरियो । ताहरां रायसिंघ बोलियो - कूभा ! क्युं उतरे ? म्हारा हाथ देख । सिगळाहीनूं कबूतर दाई वींधूं" ।' ताहरां कूं भो
7
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I भाई ! तू कुंभा जगमालोत तो नहीं है ? 2 तू हेमेके पीछे चढ़ कर आया है ? 3 हां 1 4 भाई ! तू पुरुषोंमें रत्न; हेमेके पीछे क्या जाय ? यह तो यमकी डाढ़में ही है ? 5 मरे हुएको क्या मारना ? 6 तू लौट जा । 7 यह तो फिर कभी ग्राया रहेगा । 8 मैंने रावलजीको वचन दिया है। 9 तब उसके खोज सम्हालते-सम्हालते चले | 01 कोस दो-एक परे जाते हैं तो ( देखते हैं कि ) हेमा अपना डेरा लगाए हुए बैठा है । II मिठाई आदि भोजन-सामग्री मंगवाई गई है । 12 हेमा 'डोरड़ा' गा रहा है - 'लाडा ! पारं डोरड़े बीस गांठ हो = हे दूल्हे ! तेरे विवाह सूत्र में बीस गांठें हैं।' 'डोरड़ा या कांकरण-डोरड़ा' = विवाह के पूर्व दूल्हे और दुलहिनके हाथमें बांधा जाने वाला एक मांगलिक सूत्र है जिसमें गांठें दे कर कई मांगलिक वस्तुएं बांधी जाती हैं । डोरड़ाके लोक-गीतों में विवाह सूत्रमें बँध जाने के उत्तरदायित्व पर बड़ा ही महत्वपूर्ण प्रकाश डाला गया हैं । 13 हेमा के साथियों ने कहा'हमला ! हमला !' साथ = (१) हमला, ( २ ) सेना, (३) मनुष्य, (४) साथी । 14 वे यों कह ही नहीं पाये थे, जिसके पहिले ही ऊपर जा खड़े हो गये । 15 मेरा पीछा तूने किया । 16 तब हमने कहा- हे कुभा ! हे मालागा ! तेरे साथ वालोंको व्यर्थमें क्यों वीचमें डालता है ? ग्रपन ही निपट लें। 17 से 18 मेरे हाथ देख, अभी सबको कबूतरोंकी भांति बींध लूंगा ।
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२६६ ]
मुंहता नैणसीरी ख्यात वोलियो-'रावळ मलीनाथजीरी प्रांण छै, वोलो तो। मोनू उतरण द्यो' । ताहरां रायसिंघ हूं जोरावरी कुंभी उतरियो । जायन डेरै माहै हेमैनूं तसलीम कीधी । हेमैं कह्यो-'सावास कुंभा.!' ताहरां हेमो कहै-'कुंभा ! तूं घाव कर ।' कुंभो कहै-'हेमाजी ! थे घाव करो ।' हेमो कहै-'कुंभा ! तू वाळक छ । म्ह घणा नींब बंधाया . छै ।' ताहरां कुंभो कहै छै–'हेमाजी ! थे घाव करो।' हेमो कहै'कुंभा ! थारै अजेस पिंड लोह नहीं लागो छै, बाळक छ । तूं घाव . कर । हूं वडेरो छ, घाव क्यूं करूं' ?' कुंभो कहै-हेमाजी ! वरसै थे वडा, पण पगै म्हे वडा। थां मांहरौ धांन पलैमें लियो, थे मांहरा चाकर, तै में वडा, थे घाव करो ।' ताहरां हेमै कह्यो-'हूं कासू.. करूं ? तू न रहै हीज' ?' ताहरां हेमै घाव कियो कुंभैन। वढ़खपर पैडो वाढि, टोप वाढि, मुंहारा वाढि, कांणेठे प्रावती रही। कूभै घाव कियो, सु हेमैरा दोय धड़ा किया। हेमो पड़ियो । ताहरां कुंभ कटारी काढि हेमैरै होय में मारी। पकड़ि ताड़ियांने भांज नांखी11। कह्यो-'मालांणा कटकांनू कहज्यो, कटारी हेमैरी छाती में भांगी. छ, हुड़ियां ऊपर नहीं मांगी छ । यु कहतां कुंभैरो हंस उडियो । . 1 तब कुभाने कहां-'तुम्हें रावल मल्लीनाथजीकी सौगंध है, यदि बोले तो ! मुझे ही उतरने दो।' 2 तव रायसिंहसे हठ करके कुंभा घोड़ेसे उतरा। 3 डेरेमें जाकर . . हेमेको प्रणाम किया। 4 कुंभा कहता है कि 'हेमाजी ! पहले प्रहार तुम करो। 5 हेमा कहता है कि-'कुंभा ! तू बालक है। मैं तो अनेक वार प्रहारों पर नीमके पट्टे वंवा चुका हूँ । अर्थात् अनेकों प्रहार महन किये हैं । नींव बंधावणो - घावों पर नीमके पट्टे वैधवाना। 6 तेरे शरीरमें अभी तक कोई प्रहार नहीं लगा है। ..7 मैं बड़ा हूं, मैं पहले कैसे प्रहार ... कह ? 8 कुंभा कहता है; हेमाजी ! वर्पोमें तुम बड़े जरूर हो, परंतु पदमें मैं बड़ा हूं। तुमने हमारा अन्न खाया है, हमारे चाकर हो और फिर आयुमें वड़े। अतः पहले तुम घाव . . . कारो।' 9 तव हेमाने कहा-'जब तू मानता ही नहीं है, तो मैं क्या करूं? विवश हूं।' ..: 10 तब हेमाने कुंभे पर प्रहार किया। तलवारकी बाढ़ ऐसी चली कि जिससे गोल चक्केकी :भांति खोपड़ी कट गई, टोप कट गया और भौंहोंको काटती हुई कानकी नोक पर आ लगी। JI कुंभेने ऐसा प्रहार किया कि हेमाके दो टुकड़े कर दिये। हेमा गिर गया । कुंभेने अपनी कटारी निकाल कर हेमेकी छाती में भारी और फिर उसको पकड़ कर ऐसा फिराया कि पसलियोंकी हड्डियां तोड़ती हुई उसकी ताड़ियाँ भी टूट गई। 12 पासमें खड़े हुए अपने . आदमियों को कहा कि.---'मालागा पाटवाके सरदारोंको कहना कि कटारीको. हेमाको छातीमें : तोड़ा है, मेढों पर नहीं तोड़ा है।
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मुंहता नैणसीरी ख्यात
[ २.६७ हेमो अजूस जीवै छै । इतरै साथ महेवैरो आयो । कह्यो-'जी साथ आयो ।' हेमो बोलियो-'रे कुणं छै ?' कह्यो-'जगमाल छ ।' ताहरां हेमै कहाड़ियो-'राज ! किसै वासते ?' कह्यो-'जगमाल ! तोमें दोय चूक छै । म्हारो जीव नीसरे ताहरां आए।' ताहरां कह्यो-'जी, किसो चूक मोमें। ताहरां कह्यो-'एक तो तैं मो सारीखो रजपूत घोडैरै वासतै काढियो, सु सात ७ वरस तांई” महेवैरी धरती वसण न दीधी। नहीं तो सातवीस गांव महेवै वांस हुता । अर वळे घणी धरती वांस घालत । राज वधण न दीधो । बीजो, तें कुंभैरी मानै दोहाग दीधो । जे तें कूभैरी मानें रात दीनी हुवंत. तो इसड़ा रतन २।४ पैदा हुवंत, तो घर भलो दीसंत | तोमें मोटा दोय अवगुण हुआ । जे प्रांपा मेळ हुवंत तो कितरी धरती लेवंत'1 ।' इतरै हेमैरो ही हंस उडियो । जगमालजी उतरिया। साथ सोह उतरियो । दाग दियो ।
एकठा हुयनै महेवै पाया14 । हेमैरै बेटैनू तेड़नै वास वसायो। - . . कुंभै सोढी परणी हुती सु सेजवाळो आयो। सोढी महेवै आयनै
सती" हुई । जगमाल महेवै सुखसू राज करै छ ।
हेमो होठ डसेह", खड़ग जु अाछंटयां' खत्री । yहारा भांजेह, कुंभ कांणेढ़ गई ॥ १
J हेमा तो अभी तक जीवित हैं। 2 अरे ! कौन है ? 3 आप किसलिये आये हैं ? 4 जगमाल ! तेरे दो अपराध हैं। तू मेरा जी निकल जाय तव आना। 5 मेरेमें कौनसा अपराध है ? 6 एक तो तूने मेरे जैसे राजपूत को एक मात्र घोड़की बातके लिये निकाल दिया । 7 तक। 8 और और भी बहुतेरी भूमि महेवेके अधिकारमें डालता। तुम्हारा
राज्य बढने नहीं दिया। 9 दूसरी वात, तूने कुंभेकी माताको अमान्य कर दिया। 10 जो तूने कुंभेकी माताको सम्मान्य करके ऋतुदान दिया होता तो ऐसे २१४ रत्न और पैदा हुए होते और जिससे तुम्हारा घर शोभा पाता। II जो अपने आपसमें मेल होता तो कितनी ही धरती और अधिकारमें कर लेते । 12 इतनेमें हेमेके प्राण-पंखेरू उड़ गये। · [3 अग्नि-संस्कार किया। 14 सभी इकट्ठे होकर महेवे आये। 15 हेमाके वेटेको बुला करः अपने यहां रखा। 16 सोढी, महेवे प्राकर सती :- हुई । 17 होंठ डसते हुए । 18 प्रहार किया। 19 भौंहें। 20 कनपटी ।...
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२६८ ]
मुंहता नैणसीरी ख्यात घणूं वखाणूं घाव, कुंभांणा' ! ' भागै-कमळ' । हेमो जिण हाथाव' , भुंइ पड़ियौ भख छ जही ॥ २ डसै अहर जमदूत, मछर छिळंतै भेलियो। कुंभै वाळो कूत', हेमै वप सांसर हुवो।। ३
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॥ इति वात संपूर्णम् ॥
1 है कुभा ! 2 सिर टूट जाने पर, बिना सिरके । 3 हाथोंसे । 4 भूमि। . . 3 अबर, हो। 6 कोय । 7 भाला। 8 शरीर ।
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॥ श्री गणेशायनमः ।। अथ वात वीरमजीरी लिख्यते
वीरमजी महेवैरै पासै गूढ़ो' कर वसिया छ । सु जिकोई महेवै माहै खून कर वीरमजीरै गूढ़े आवै तियेनूं वीरमजी राखें । वांस कोई प्रावण पावै नहीं । ईयै भांत रहै ।
___ एकदा प्रस्ताव । जोईयो दलो गुजरात चाकरी गयो हुतो भाईयांसूं विढनै । उठे गुजरात घणा दिन रह्यो। अोथ वीमाह कियो, घणा दिन रह्यो । उठासू दलारी इच्छा ऊपनी, देस जाईजै । ताहरां उठाहूं चालियो । पावतो-आवतो महेवै प्राय नीसरियो। प्राय कुंभाररै घरै डेरो कियो छै । साथै लुगाई छ, कुंभारीनै कह्यो-'एक नाई ल्याव, जु म्हारी खिजमत करै । कुंभारी नाई बुलाय लाई।
नाई खिजमत कीधी। नाई घोड़ी दीठी' । द्रव्य कनारो दीठो । . . नाई जोयनै जगमालजी मालावत कह्यो-'एक कोई धाड़वी आयो
छै', कुंभारीरै उतरियो छ । उवैरै सखरी घोड़ी छै । राज ! एक बैर बोहत फूटरी छै, पदमणी छै ।' ताहरां आदमी मेलियो.। खबर कराई । कह्यो-'जावो खबर करो, कुण छ ?' ताहरां आदमी कुंभारीरै घरै आया, जासूस थका। देख अर गया । ताहरां कुंभारी बोली'ठकुराळा ! तो ऊपर चूक छै15।' कह्यो-'जो, कैरो' ?' कह्यो'बाबा ! तोनू मारसी", घोड़ी नै थारी बैर लेसी । कह्यो-'कुण ?
____ I रक्षा स्थान । 2 कोई भी व्यक्ति महेवेमें कोई अपराध (हत्या) करके आ जाये उसे वीरमजी अपने यहां रख लेते हैं। 3 उसके पीछे कोई नहीं आने पाता। 4 जोईया दला अपने भाइयोंसे लड़ कर गुजरातमें चाकरी करनेको चला गया था। 5 वहीं विवाह किया। 6 वहां दलाकी इच्छा हुई कि अब देशको जाना चाहिये। 7 तब वहांसे रवाना हा। 8 एक नाईकोः तुला ला जो मेरी हजामत बना ले । 9 नाईने दलाकी घोडीको देखा । 10 उसके पासका धन भी उसने देखा। II कोई एक लुटेरा आया है। 12 कुम्हारीके यहां ठहरा हुआ है । उसके पास वढ़िया घोड़ी है। 13 उसके साथ एक स्त्री बहुत सुंदर है, पद्मिनी ही है। 14 तव जासूस होकर कुम्हारीके घर पर प्रादमी आये। 15 हे ठाकुर ! तेरे पर : धोखा है। 16 किसका। 17 तुझको मारेंगे। 18 घोड़ी और तम्हारी स्त्रीको ले लेंगे।
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३०० ]
मुंहता नैणसीरी ख्यात कह्यो-'गांमरो ठाकुर ।' ताहरां कह्यो-'किही ऊवलं हो।' कह्यो-'जी, वीरमजीर गुढे जावो तो ऊबरो। ताहरां घोड़े पलांग मांडि असवार हुवो। वैरने साथै ले बहीर हुवो। वीरमजीरै गुडे जाय पहुंतो । खबर हुई, ताहरां साथ अपूठो गयो । कह्यो-'जी, ऊ तो वीरमजीरै गूढै गयो। ताहरां जगमाल बैस रह्यो । ____ दिन ५१७ वीरमजी दलै नू राख अर विदा दीनी' । ताहरां दलै कह्यो-'वीरमजी ! अाज वाळा दिन थांहरा दिया छ । जे थे . मांहरै गूडै अावस्यो तो म्हे थांरा हीड़ा करस्यां' । थाहरा रजपूत छां10 ।' ताहरां दलैनू वीरमजी पोहचतो कियो। ____ पछै मालैजीरा वैटा नै वीरमजी बणे नहीं । ताहरां वीरमजी महेवो छाडनै जेसळमेर प्रायो। जेसळमेर ही टिकियो नहीं । ताहरां अपठो नागोर आयो । नागोर ही रह्यो नहीं'। ताहरां नागोररै देसरो उजाड़ कियो। गांम लूटि अर जांगळू पाया। ताहरां.. जांगळू माहै ऊदो मूळावत हुतो'। कहियो-'वीरमजी ! थे आघा.. खड़ो। म्हांसू थे राखिया न जावो'" । नागोररो थां उजाड़ कियो । ... वांस वाहर हूं पालीस' । थे प्रागै जोईये पधारो।' ताहरां दीरमजी.. आधा जोईयां पधारिया।
वांस साथ नागोररो अायो । प्राय जांगळू डेरो कियो। यो कोट जड़ि वैस रह्यो । ताहरां खांन ऊदैनू कहाड़ियो-'माल ल्यावो, अर ...
____I किसी प्रकार बचू भी। 2 स्त्रीको साथ लेकर रवाने हुना। 3 पहुंचा। 4 जब यह मालूम हुअा (कि दला यहांसे चला गया है) तो जगमालका साथ लौट गया।... : • 5 वह । 6 तव जगमाल विवश होकर बैठ गया। 7 पांच-सात दिन रख कर वीरमजीने दलेको जानेकी आज्ञा कर दी। 8 तब दलेने कहा-वीरमजी! ये दिन आपके दिये हुए ... . हैं। 9 तुम हमारे गूढे (निवास-स्थान) पर आवोगे तो हम तुम्हारी सेवा करेंगे। 10 हम तुम्हारे राजपूत हैं। II अब मालाजीके वेटों और वीरमजीके पटती नहीं। 12 जैसलमेरमें भी टिक नहीं सका। 13 तव लौट कर नागौर पाया। 14 तव नागौर प्रान्तको उजाड़ कर दिया और वहांके गांवोंको लूट कर जांगलू आ गया। 15 था। 16 वीरमजी ! : : ग्राप आगे चले जायं, हमारेले पापका रखना बन नहीं पाता। 17 आपके पीछे वाहर आयेंगी उसको मैं रोकूगा। 18 तब वीरमजी आगे जोईयोंके यहां चले । “19 यह कोट बंद करके... वैठ गया।
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मुंहता नैणसीरी ख्यात वीरम ल्यावो ।' ताहरां खांनसू ऊदो मिलण आयो। ताहरां खांन ऊदैनूं पकड़ लियो। कहियो-'जी ! वीरम ऊदैरै पेट माहै छ।' ताहरां ऊदैरी मानूं बोलाई। कह्यो-'वीरम वावड़ो, नहीं तर ऊदैरी खाल कढाऊं छू, अर भुस भराऊं छू ।' ताहरां ऊदैरी मा कनै ऊभी राखी छ । अर कह्यो-'जी, खाल काढो ।' ताहरां ऊदैरी मां बोली'वीरम तो ऊदैरी खाल माहै न छै; 'वीरम ऊदैरै पेट माहै छ, पेट फाड़ो।' ताहरां खांन बोलियो-'देखिया रे ! रजपूतांणियांका बळ । बेटे ऊपर कान नहीं हिलाती है ।' ताहरां खांन महरवान हुयनै ऊदैनूं छोड़ियो। वीरमरो गुनो बगसियो'। खांन उपरांठो फिर नागोर गयो । ऊदो जाय जांगळू बैठो।।
हिवै वीरमजी जाय जाईये रह्यो । जोईयां घणो आदर दियो। घणा हीड़ा किया। कह्यो-'वीरमजी विखैमें आया छै, बेखरच छै11 ।' ताहरां दोण मांविसवो कर दियो । वडी भायप कीधी । अठै वीरमजीरा कामेती दांण ऊपर बैसै14 रातिरो हैंसो वैहचाइ दै15। कदै सरब गोलक मेल आवै। कहै-थे सवारै लेज्यो" । जे नाहर बकरी मारै तो एकै बकरीरी इग्यारह बकरी लै । कहै नाहर तो जोईयांरो छै' ।
- I तब खानने ऊदाको कहलवाया कि 'माल लायो और वीरमको भी लायो।' 2 तब ऊदाकी माको बुलवाया और उससे कहा कि 'वीरमको बतलाओ, और नहीं बतलाती हो तो तुम्हारे सामने ऊदाकी खाल खिंचवाता हूँ और उसमें भूसा भरवाता हूँ।' 3 तव अदाकी मांको पासमें ला कर खड़ी कर दी है। 4 और कहा कि 'खाल खींच लो।' 5 तव खान बोला---'अरे देखा तुम लोगोंने ! राजपूतानीके साहसको।' 6 अपने वेटेके लिये कोई विरोध नहीं कर रही है। 7 वीरमका अपराध भी माफ कर दिया। 8 खान लौट कर नागौर चला गया। 9 अब वीरमजी जोईयोंके यहां जा कर रहे। 10 बहुत सेवा की। II वीरमजी श्रापत्तिके मारे यहां आये हैं, पासमें खर्ची (रुपया-पैसा) नहीं है। 12 मालगुजारीमें उनका भाग डाल दिया। 13 बड़े ही भाईचारेका व्यवहार किया। 14 अव यहां मालगुजारी की वसूलीके लिये वीरमजीने अपने कर्मचारियोंको वैठा दिया है। 15 रातको मालगुजारीमें से उनका हिस्सा वाट कर उन्हें दे देते हैं। 16 कभी सभी आमदनी अपने गोलकमें रख देते हैं और उन्हें कह देते हैं कि कलकी आमदनी सब तुम ले लेना। 17 यदि कोई नाहर बकरीको मार देता है तो एक बकरीकी जगह ग्यारह बकरी वसूल करते हैं और कहते हैं कि नाहर जोईयोंका है।
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मुंहता नैणसीरी ख्यात एकदा प्रस्ताव । वुक्रण भाटी ग्राभोरियो, सु जोईयांरो मामो छ । सु बुकण पातसाहरो सानो हुतो' । सु बुकण नै बुझणरो भाई वेज दिल्ली हुता । सु पातसाह कहै-'मुसलमान हुवो।' ताहरां बुकण. नास अर जोईये प्रायो । अर भाई मुसलमान हुवो" । ताहरां बुकण जाईयांमें रह्यो। ताहरां वुकणरै पातसाहरै घररो माल, विध-विधरा विछावणा दुलीचा, कपड़ा वीरमजी दीठा । ताहरां वुकणनूं कह्यो- . 'भाटी ! म्हां भगत कर ।' ताहरां बुकण कह्यो-'बीरमजी ! थांनूं .. भगत करीस' ।' ताहरां वुक्रण भगतरी तयारी कोधी । बीरमजी तेड़िया । ताहरां बीरमजी रजपूतांनूं कह्यो-'यांप वुकणनूं मारिस्यां ।' भगतरै मिस जायनै मारिस्यां । ताहरां रजपूतां कह्यो-'मला राज' !' पछै बुकणरै डेरै प्राय वुकणनूं मारियो। डेरो लूटि माल लियो । घोड़ा लिया । आपरै डेरै ले आया। .... . .
हिवै जोईयारे मन में सोच पड़ियो । 'जोरावर यादमी घरमें. प्राय पैठो । काई नां मारै15 ?' युं करतां दिन ४-५ हुवा । ताहरां फरवास वढायो, ढोलरै वास्तै । ताहरां पुकार गई। 'राज! फरवास । वीरमजीरै लोकै वाढियो ।' तोई जोईयां गई कीवी । कह्यो'वीरमजीतूं प्रांपां तोड़णी नहीं।' ताहरां दलैन वीरमजी तेडायो । 'चूक कर मारूं।' इसी विचारी । ताहरां दलो प्रायो ! खड़सल एकी
I यह बुक्करण वादशाहका साला होता था। 2 बुक्करण और वुक्तणका भाई दोनों दिल्ली में थे। 3 तब बुक्करण भाग कर जोईयोंके यहां पा गया। 4 और उसका भाई मुसलमान हो गया। 5 तब बुक्कणके यहां विविध प्रकारके बिछौने, गलीचे और .. कपड़े आदि बादशाहके घरका माल वीमरजीने देखा। 6 तव बुक्करणको कहा कि-'भाटी !. . हमारी प्राव-भगत करो।' . 7 तव बुक्करणने कहा-'वीरमजी ! मैं आपको गोठ (प्रीति-... भोज ) दूंगा ! · 8 तर बुक्करणने गोठ देने की तैयारी की। 9. वीरमजीको बुलवाया। ... 10 अपन बुक्करणको मार देंगे। II गोठके मिल जा कर मारेंगे। 12 तव राजपूतोंने कहा-'अच्छी बात है राजन् ।' : 13 अव जोईयोंकों भी चिन्ता हुई। 14/15 जोरावर .. आदमी घरमें नाकर घुस गया। किसीको मार न दे ? . 16 तव ढोल बनवानेके लिये एक भाऊका पेड़ कटवा दिया। 17 राज ! झाऊको वीरमजीके ग्रादमियोंने काट लिया। 18 तोभी ...: जोईयोंने कोई ध्यान नहीं दिया। : 19. बीरमजीसे अपने को तोड़ना नहीं है । 20 तब ... वीरमजीने दलेको बुलवाया। 21 मनमें ऐसा विचार किया कि दलेको धोखेसे मार दूं.....
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मुंहता नैणसीरी ख्यात
[ ३०३ तरफ बळद जोतियो नै बीजी तरफ घोड़ो जोतियो' । जाहरां मांगळियांणी दल भाई कियो हुतो । सु चूक मांगळियांणी लखियो । ताहरां दांतण लोटामें उलटो घालियो । घालनै लोटो दांतणरो मेलियो । ताहरां दलै दांतण देख अर अटकळियो । 'जु, चूक छ ।' जितरै दलै चाकरनूं कह्यो-'म्हारो पेट कसकस।' तरै कहियो-'बाहिरं भूम
चालो।' ताहरां खड़िसल बैस अर घरन चालियो । पछै खड़... सल छोडि वै हीज घोड़े चढ़नै खड़ियो' । खड़सल एके तरफ बळद __ जूतो, एके तरफ राठी जूतो। खड़सल ले वुहा । दलो घोड़े चढ़ अर
घरै गयो। तितरै वीरमजी रजपूत एकठा किया। मसलत करने आया । पूछियो-'दलो कठे ?' कह्यो जी-'पेट कसकसतो सु जंगळे गयो11 ' ताहरां दलियै गहिलोत कह्यो-'दलो गयो।' ताहरां कह्यो'खड़सल बैठो कितरीइक दूर जासी ।' कहियो-'जी खडसल छोड़े असवार हुसी13 । खबर करो।' ताहरां असवार चढ़ियो। जाय देखै तो - एक तरफ बळद जूतो छ, बीजी तरफ आदमी जूतो छ । खड़सल लीय जाय छ । आयनै खबर दी-'दलो गयो ।' ताहरां रजपूतां कह्यो'चूक थांहरो वै लाधो।' ताहरां रजपूतां कह्यो-'सहो, जोईया पावसी 4 ।' यं करतां जोईयां साथ करनै गायां लीवी। तोहरां कुक आई1 । कह्यो-'जी, जोईयां गायां लीवी ।' ताहरां वीरमजी चढिया। रजपूत
[ खड़सलमें एक ओर तो बैल जोता और दूसरी ओर घोड़ा जोता। खड़सल = दो बैलों वाली एक सवारी बैलगाड़ी। 2 उन दिनोंमें वीरमजीकी स्त्री मांगलियाणीने दलेको ...... अपना भाई बनाया था (धर्म-भाई बनाया था)। 3 इस धोखेकी बातका मांगलियाणीको
पता लग गया। 4- तव (दलेके लिये दातुन करनेको) एक लोटेमें उलटा दातुन रख कर
दातुनका लोटा भेजा। 5 तव दलेने दातुन देख कर (धोखेका) अनुमान कर लिया।
.. 6. इतने में दलेने नौकरसे कहा-'मेरे पेट में दर्द हो रहा है।' तब उसने कहा-'शौच हो आओ।' .. तब खड्सल में बैठ कर घरको चल दिया। 7 पीछे खड़सलको छोड़ कर उसी घोड़े पर चढ़
कर 'चल दिया। .8 खड़सलमें एक ओर बैल और एक (दूसरी) ओर राठी जुता, इस प्रकार खड़सल लेकर चले। 9 इतने में। 10 परामर्श करके आये। II पूछा कि-'दला 'कहां ?' उत्तर दिया कि पेट में दर्द हो रहा था सो शौचको गया है। 12 खड़सलमें बैठा
हुआ कितना दूर जायेगा। 13 खड़सलको छोड़ कर घोड़े पर सवार होगा। 14 तव : राजपूतोंने कहा कि-'अब सही ही जोईये हमारे ऊपर चढ़ कर पायेंगे। 15 जोईयोंने अपना . संगठन करके किसीकी गायें छीन लीं। तब पुकार आई। ,
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३०४ ]
मुंहता नैणसीरी ख्यात सरव चढिया। लड़ाई हुई। वीरमजी अर देपाळ जोईयो वाजिया' । जोईयैनूं वीरमजी मारियो । वीरमजी आप ठोड़ रह्यो । _ पछै गांम वडेरणतूं वीरमजीरै राजलोकनूं ले अर रजपूत नोसरिया । : सु चूंडैनूं प्रावतां धाय एकै पाक हेठ मूंकियो हुतो सो वीसर गई। कोस एक पर गया, ताहरां चूंडैनूं संभाळियो ; देखै तो नहीं । ताहरां हरिदास दलावत घिरियो । प्रागै देखै तो साप छत्र ऊपर कर बैठो छ । ताहरां हरिदास डरियो। दीठो-'कातूं जांणीजें ?' नैडो गयो । ज्यु साप सिरक अर विल पैस गयो । ताहरां हरिदास चूंडजीनूं संभाहिने ले आयो । प्रायने मारी गोदी दियो। जसहड़रो चूंडोजी मांगळियांरो दोहीतरो' । गोगादे, देवराज, जैसिंघ ऐ तीन भाई। ___ युं करतां मारगमें वहतां एक राठी मिळियो। तिक पूछियो । कहियो-'यो किसो विरतंत' ?' ताहरां राठी कह्यो-'यो लड़को छत्रधारी राजा हुली ।' ताहरां रावळगन भेळो हुवो। पद्रोलायां पधारिया' ताहरां चूंडैजीरी मा कह्यो-'म्हारे धणी सेती काम छै, अांतरो हुवै छ, हूं सती हुईस । ताहरां चूंडोजी धाय दियो। अर धरती माता सूर्यनूं भळाई | अर कह्यो-'पाल्हो चारण छ, तिणरै खोळं देज्यो' ।' चूं.जोरी मा सती हुई। मांगळियांणी सती हुई। दोय सती हुई। लोक सह कोई विखर गयो'" । गोगादे, देवराज, :.:
_ वीरभजी और देपाल जोईया परस्पर लड़े। 2 जोईयाको वीरमजीने मार दिया और वीरमजी स्वयं काम आ गया। 3 पीछे वड़ेरण गांवसे वीरमजीके जनानाको लेकर राजपूत लोक निकल गये। 4 सो पाते हुए मार्गमें चूंडेकों घायने एक प्राकके नीचे रख .... दिया था सो वहीं भूल गई। 5 एक कोस आगे निकलने पर चूंडेको सम्हाला । 6 तव . हरिदास दलावत उसे लेनेके लिये वापिस लौटा। 7 देखा-क्या जाना जाय?' पास गया। 8 ज्योंही सांप सरक कर विलमें घुस गया। 9 चूंडाजी, जसहड़ मांगलियाका दोहिता है। ..... 10 चलते हुए। II उसको। 12 यह क्या वृत्तान्त है ? 13 तब सभी राज-परि-...... वारके लोग इकट्ठे हुए और वहांसे पद्रोलाया गांवको आये। ' 14 तब चूंडाजीकी माताने ... कहा-'मेरे तो अपने स्वामीसे ही काम है, अंतर वढ़ रहा है अत: मैं सती होऊंगी। 15 तव चूंडाजीको तो धायके सुपुर्द किया और धरती (देश)को सूर्यके सुपुर्द किया। 16 इस वच्चेको आल्हा चारण है उसकी गोदमें देना। - 17 और सभी लोग विखर गये।
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मुंहता नैणसीरी ख्यात
[ ३०५ .. जैसिंघ तीन ठाकुर नानांण ले गया। चूंडोजी आल्है चारण रै घरै पूगतो कियो । आल्हो भली भांत राखै । घर माहै आसरो धोयनूं मांड दियो । धाइ बैठी पाळे । छांनौ राखीजै । ईयै जिनस चूंडोजी म्होटा हुवै छै ।
__ । पहुँचा दिया । 2 घरमें एक आश्रय-स्थान धायके रहनेके लिए बनवा दिया। ... 3 धाय उसमें बैठी हुई चूंडेका पालन करती है । 4 गुप्त रखा जा रहा है । 5 इस प्रकार
चूंडोजी दिन-दिन बड़े हो रहे हैं।
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॥ श्री गणेशाय नमः ॥ वात रावजी चूडैजीरी लिख्यते
चूंडैजीनू धाय लै अर पाल्है चारणरै घरै काळाऊ गांव जायनै रही। आल्हैनू कह्यो'-'बाई जसहड़ सती हुतां थांनू आसीस कही छै, अर कह्यौ–'ईयै लड़कनू भली भांत राखज्यो, कहीन ... जणावो मतां । थांहरै खोले दियो छ ।' ताहरां आल्हो लोकांनू... कहै-'ईयै रजपूतांणीरो बेटो छै'; आय रही छै ।' उठ चूंडेजीनू धाय पाऊँ । केहीनू कह नहीं–वीरमजीरो वेटो छै । ज्यौं वरसां ८-६ रो हुवो-फिरियो टावरां माहे रमै । ___एक दिन वरसातरा दिन छ । सु केरड़ा जंगळ मांहै उछर गया । केरड़ां वाळा नीसर गया । चारण रा केरड़ा घरै रह गया । ताहरां चारणरी मा बोली-'बेटा चूंडा ! केरड़ा आघेरा जंगळ मांहै. टोघड़ा चरै छ, तियां मां भेळ प्राव' ।' ताहरां चूंडो केरजा ले अर.. भेळण गयो । केरड़ा कठे ही लाधा नहीं । ताहरां आप चरावण लागो । तितरै चारण घरै आयो13। चूंडो घरै नहीं छै । ताहरां चारण पगैपगै तेड़ण हालियो। कहियो-'मा वुरो कियो। चूं.नू मेलणो न हुतो ।' आगे चूंडै केरड़ा जंगळमें ऊभा कर नै पाप रूंखरी छांह सोय रह्यो । ताहरां सरप विल मांहैसू नोसर नै16 चूंडैरै ...
1 धाय हाजीको लेकर कालाऊ गांवमें ग्राल्हा चारणके घर पर जाकर रह गई। 2 पाल्हाको कहा। 3 जमहड़ बाईने सती होनेके समय तुम्हें याशिष कहा है और कहा है कि- 'इस लड़के को भली भांति रखना । किसीको मालूम नहीं होने देना। तुम्हारी गोदमें . (रक्षणमें) दिया है। . 4 इस राजपूतानीका लड़का है। 5 वहां पर वाय चूंडाजीका पालनपोषण कर रही है और किसी पर यह जाहिर नहीं होने देती कि-'यह वीरमजीका पुत्र है।' 6 अब जबकि चूंदाजी ८-६ वर्षका हो गया; वच्चोंके साथ फिरता हुअा खेलता है। 7 बछड़े.... तो जंगल में बैंक गये। 8 चारणके बछड़े घर पर रह गये। 9 तव चारणकी मां ने कहा'बेटा चंदा । इन बछड़ोंको दूर जंगलमें जहां बछड़े चर रहे हैं, उनमें शामिल कर अायो।' 10 तब चंद्रा बछड़ोंको उनमें शामिल करनेको ले गया। II बछड़े कहीं मिले नहीं । 12 स्वयं चराने लग गया। 13 इतने में चारण घर पर प्राया । 14 तव चारण ... पदानुशरण करता हुआ उसे बुलाने गया। 15. चूंडा बछड़ोंको जंगलमें (एक जगह) खड़े । कार ने स्वय एक वृक्षको हावाके नीचे सो गया। 16 निकाल कर के ।
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मुंहता नैणसीरी ख्यात
[ ३०७ - माथै छत्र कर बैठौ। तितरै चारण गयो। देखै तो चूंडैरै माथै ऊपर
छत्र करनै सरप बैठो छै। ज्युं मिनखरी किड़वा हुई त्युं सरप सिळक नै रूंख माहै पैस गयो' । ताहरां चारण नजीक जाय नै चूंडैनूं जगायो। कह्यो-'बाबा ! तूं क्युं पायो जंगळमें ? घरै चाल ।' ताहरां घरै ले
आयो। प्राय मानूं कह्यो-'मा ! तैं बुरो कियो । चूंडैनूं आज पर्छ मतां मूंकै ।' _ पछै चारण एक घोड़ो लायो । हथियार लायो । वागो करायो । चूंडै नूं घोड़े चाढ़ि अर महेवै गयो । प्रागै रावळ मालैजीरै सारो मुदो नाई ऊपर छै । ताहरां नाई मिळियो। नाईनूं घणी भोळावण दीनी । नाई कह्यो-'रावळजीरै पावै घातो ।' ताहरां भलो दिन देख नै रावळजीरै पाए लगायो । रावळजी दिलासा दीधी'। हिवै चंवडोजी रावळ मालैजीरी चाकरी करै। एक दिन रावळजीरै ढोलियै हेठे सोय रह्यो । नींद आय गई। ताहरां रावळजी पोढण पधारिया । ताहरां ढोलिया तळे आदमी दीठो । ताहरां जगायो। रावळजी महरबान हुवा । नाई पण विनती कीधी। कहियो-'राउ ! चंवँडो भलो रजपूत छ । काई एक खिजमत सांपीजै । ताहरां कह्यो-'गुजरात सामी चोकी राखौ ।' अर कह्यो- रजपूत साथै हुवौ।' ताहरां सिखरो बोलियो-'रावळजी ! मोनूं समझ अर देज्यो ।' कहियो-'जी, म्हें . हुकम करां छां, थे जावो ।' ताहरां ईंदा साथै दिया। चंवंडैनं घोड़ो, सि.रपाव दे विदा कियो । ताहरां चंवडो काठे थांण जाय बैठो। बडा जाबता कीधा । कितराइक दिन हुवा, ताहरां एक घोड़ारी
.. ढालिम
-
... I जैसे ही मनुष्यका पदचाप हुआ, सर्प रेंग कर के एक वृक्षकी जड़ोंकी खोहमें घुस गया। 2 चूंडेको आजके बाद फिर कभी मत भेजना। 3 बागा बनवाया। 4 वहां रावल मल्लीनाथजीका सारा दारोमदार एक नाईके ऊपर है। 5 नाईको बहत सिफारिश की। 6 इसे रावलजीके पाँवों लगाओ। 7 रावलजीने आश्वासन दिया। 8 एक दिन
रावलजीके पलंगके नीचे सो रहा। 9 इसे कोई सेवा सौंपिये। 10 तब कहा-गुजरातके ___ोरकी चौकी पर रखा जाय । II तव सिखराने कहा-मुझे समझ कर साथमें देना। ... 12 तब चूंडा काठाके थाने पर जाकर बैठ गया और वहां उसने अच्छा प्रबन्ध कर दिया।
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३०८ ]
मुंहता नैणसीरी ख्यात सोबत पाई । सु सोदागरां कनां घोड़ा खोस लिया । घोड़ा रजपूतांनूं वकस दिया । एक घोड़ो आप राखियो । पुकार दिल्ली गई। .... अहदी आयो। घोड़ा ल्यावौ । मालैजीनूं जोर पड़ियो । घोड़ा मांगी। ताहरां मालैजी अादमी मूकिया। कह्यो-'चंवडा घोड़ा ल्याव ।' ताहरां कह्यो-'घोड़ा तो बैंच दीवा' ।' घोड़ो एक हुतो सु कह्यो'यो छै, लीय जावो ।' ताहरां मालजीनं खबर दीनी। घोड़ा नहीं। ताहरां मालैजी घोड़ा सीलिया । अर कह्यो-'चांवडो देसमें रहण न पावै ।' ताहरां चंवडो इंदावटी आयो । ईंदा कनै रहै । अठै साथ कियो। साथ कर नै डीडवांणो मारायो । द्रव्य ले पायो ।
हिवै मंडोवर राज तुरक करै । ताहरां मंडोवररै धणी घास एकठो करावणो माडियो । ताहरां कह्यो-'गांम-गांम" दोय दोय घासरी गाडी मंगावो' ताहरां इंदोरै गांम घास मंगाजै। ताहरां ईंदां... कहो-'ल्यावां छां ।' ताहरां ईंदै चंवंडैनूं कह्यौ-यांपै मंडोवर लेस्यां ।' ताहरां कह्यौ-'भला ।' ताहरां रजपूत सरब एकठा हुवा । मंत्र कियो" । ताहरां च्यार-च्यार ठाकुर गाडी मांहै बैठा । एक खाड़ेती हुवो18 । एक एक आदमी गाडीरै कनारै हुवो" । हथियार .. सिगळांरा20 गाडियां माहै राखिया अर गाडियां चलाई। पाछले पोहररी21 गाडियां आई अर' गाडियां कोट माहै पैसण लागी ।.... भारा बे-बे गाडा माहै घास हुतो । एक मुसलमान दरोगो हुतो, . . I कितनेक दिन बीत गये, तब एक दिन एक घोड़ोंका काफिला वहां आया । 2 सौदागरोंके ... पससे घोड़े खोस लिये । 3 सभी घोड़े राजपूतोंको बाँट दिये। 4 मालाजी पर दबाव डाला गया। 5 घोड़े मांगे जा रहे हैं। 6 तब मालाजीने आदमी भेजा। 7 घोड़े तो बांट दिये। 8 तव मालाजीने घोड़े प्रतिदानस्परूप दिये। 9 पीर कहा-चूंडा देशमें नहीं रहने पाये। 10 तब चूंडा वहांसे ईदावाटीमें आ गया। I यहां उसने अपना संगठन वनाया और डीडवानाको लूटा और मालमत्ता ले पाया । 12 इस समय मंडोरमें तुर्कोका राज्य है। 13 तव मंडोरके स्वामीने घास इकट्ठा कराना शुरू किया। 14 प्रत्येक गांवसे। 15 लाते हैं। 16 तब ईन्दोंने चूंडाको कहा-'अपन मंडोर लेंगे। 17 परामर्श किया। 18 एक हांकने वाला बना। 19 एक-एक आदमी प्रत्येक गाडीके किनारे. (साथ में) होकर चला। 20 सबके ।: 21 पिछला प्रहर। 22 और। 23 प्रवेश करने लगीं। 24 प्रत्येक गाड़ेमें दो-दो भारे घास भरा हुंग्रा । भारा - घासका बड़ा भार, 'वंडल। .. ... . . . . . ... .... ..
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मुंहता नैणसीरी ख्यात
[ ३०६ तिय बरछो मांहै वाही' | देखे, घास थोथा तो है नहीं ? ताहरां वरछी एक रजपूतरै साथकै लागो । अर अपूठी खांची ताहरां कपड़ेसूं वरछीरो लोही पूंछ नांखियो । दरोगो बोलियो-'रजपूतां ! क्या खड़हरयां सब अस्यां ही होय ? दग-दग गाडियां चाली गई। सरब गाडियांरो छेह प्रायो, ताहरां संझ्या हुई । रात पड़ी । ताहरां गाडियां माहै थी रजपूत नीसरिया” । जाय अर प्रोळां जड़ी । तुरकानूं मार चंवडैजीरी आण फेराई । मंडोवर लियो । धरती मडोवररी माहैसूं तुरक खदेड़ काढिया । . मालैजी सुणियो-'चंवडै मंडोवर लियो।' ताहरां मालोजी साथ कर अर चंवडैजी कनै आया । चूंडोजीसू मिळिया। कह्यो-'साबास सपूत !' ताहरां भगतरी तयारी हुई। मालोजी बोलिया-'लोक घणो छ । इयांनू नियारा बैरावो । प्रांपै भेळा जीमस्यां15 ।' - ताहरां सवणीए बियो पटाभिषेक कियो । राव चंवडोजी कहांणो"।
रावळ मालोजी महेवै गयो। चंवडोजी भली-विध मंडोवर राज करै छै। चंवडैजी बोजी ही धरती घणी लीवी ' । वीमाह १० किया। १४ बेटा हुवा१ राव रिणमल ।
१ अड़कमल । १ सतो।
१ रणधीर । I एक मुसलमान दरोगा था जिसने गाड़ी ( के घासमें ) बरछीका प्रहार किया। 2 देखता है कि, कहीं घास थोथा तो नहीं है ? 3 तब बरछी एक राजपूतकी जंघामें लगी। 4 और जब बर छीको वापस खींचा तो कपड़ेसे बरछीके लगा हुअा खून पोंछ डाला। 5 दारोगेने कहा-राजपूतो ! सभी खड़हेरियां ऐसी ही ( भरी हुई ) हैं न ? 6 जब सभी गाड़ियोंका अंत आया, तब तक संध्या हो गई और रात पड़ गई। 7 तब गाड़ियोंमेंसे राजपूत निकले। 8 और उन्होंने जाकर पौलें बंद करदीं। 9. मुसलमानोंको मार कर चंडाकी आन-दहाई फिरवा दी। 10 मंडोर पर अधिकार कर लिया। [I मंडोरकी धरतीमें से मुसलमानों को खदेड़ कर निकाल दिया। 12 तव भोजनकी तैयारी हुई। 13 मालाजीने कहा कि-मेरे साथ बहुत लोक हैं। 14 इनको अलग विठायो। 15 अापन एक थालीमें भोजन करेंगे। 16 तब शकुनी लोगोंने चूंडाजीका दूसरा पट्टाभिषेक किया। 17 चूंडाजी 'राव' कहलाया। 18 अच्छी प्रकार | 19 बूंडाजीने दूसरी भी बहुत-सी धरती अपने अधिकारमें कर ली। 20 दस विवाह किये और १४ बेटे हुए ( चूंडाजीरा चवदै वेटा, चवदै ही राव कहांगा ) । 21 अरड़कमल।
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३१० ]
मुंहता नेणसीरी स्यात १ सहसमल' ।
१ कान्हो। १ अजमल । १ भीम ।
१ लंगो। १ राजधर ।
लोलो' । १ पूनो।
१ सुरतांण। चवदै बेटा हुा । युं करता घणा दिन हुवा । साहबी बधी ।
ताहरां नागोर आया। अठ नागोर खोखर राज करे । ग्वोबर- . रै घरै राब चूंडोजीरी साली हुती' । तिय भगतरे बालत कोट मां बुलाया। राव चंडोजी कोट मांह पधारिया। दिन ४।५ माह रह्यो। एक दिन रजपूतांसू कह्यो-'यांपै नागोरो कोट लेस्यां ।' ___ ताहरां एक दिनरो समाजोग छ। राब चवंडो साथ करन नागोर मांहै जाय पैठो। रोज पावतो। अपरचो कोई न हंतो" । जायन खोखरनं मारियो । बीजो लोग सरख नास गयो । नागोर लियो । दुहाई फेरी । हिवै नागोर आय बैठो । सुखनं राज करै। . सतैनूं मंडोवर राखियो । 'सतो मंडोवर माहै राज वारे ।
ताहरां राव चवंडोजी एक दिन दरबार जोड़ बैठा छ। जितरे देत . .
I सहसमल। 2 'राजधर' नाम केवल अनुप संस्कृत साइन्नेरी, बीकानेरको प्रतिमें मिला है । अन्य कई प्रतियोंमें यह नाम नहीं मिलता। स्थान रिवत है।
वि० -प्रसिद्ध है कि चूंडाजीने ईदा-पड़िहारोंकी सहायता कर के मुसलमानोंको मंडोरले मार भगाया। मंडोर सम्हाल रखने में अपनेको असमर्थ जान और अपने ऊपर किये गये उपकारका ऋण चुकानेके लिये इंदा-सरदार राय धवलोजीने अपनी कन्या चूंडाजीको व्याह कार मंडोर .... दहेजमें दे दिया- इंदारो उपगार, कंमधज कदै न पांतरै ।
चूंडो चंवरी चाढ, दियो मंडोवर दायज ॥ 3 'लाला' नाम भी अन्य प्रतियोंमें लिखा मिलता है। 4 यों करते बहुत दिन बीत । गये। 5 वैभव बढ़ा। 6 यहां नागोरमें खोखर राज्य कर रहा है। 7 खोखरकी पत्नी राव चूंडाजीकी साली थी। 8 उसने भोजनके लिये उन्हें कोटमें बुलवाया। 9 अपन नागोरके कोट पर अधिकार करेंगे। 10 सदा आता रहता था इसलिये कोई अविश्वासकी बात नहीं थी। II जा कर के खोखरको मार दिया। 12 दूसरे सभी लोग भाग गये। 13 नागौर पर अधिकार कर लिया और अपनी आन-दुहाई फिरा दी। 14 अब (मंडोरसे) नागौर पाकर बैठ गया । IS सत्ता मंडोरमें राज्य करता है। .
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मुंहता नैणसीरो ख्यात
2
[ ३११ हाळी आयो । प्रायनै कह्यो - 'राज ! म्हारै खेत माल छै । हूं हळ वाहतो तो सु चरवैरा कांना नीसरिया छै । सु माल धरतो मांहैलो धरतीरै धणीरो छै' । तैरै वासते हूँ थांनूं कहण प्रायो छू ।' ताहरां रावजी साथै आदमी दिया । ' जावो, काढो ।' ताहरां हाळी साथै आदमी नै आयो । धरती खिणी पण घणा ऊंडा छेह न आवै ' । ताहरां श्रादमी राव चवंडे आगे गया । जायन कह्यो - 'राज ! वासण ऊंडा छे, छेह नावै ।
7
9
0
"
ताहरां रावजी हाथी असवार हुइने पधारिया छै । आयन वेलदार लगाया । कह्यो - 'खिणो ।' ताहरां वेलदारां ऊंडा खिणनै काढिया । देखें तो भूंजाईरा वासण छै । चरवा देगां, कुंडियां, थाळियां" । ताहरां कह्यो - 'ठाकुरे ! जोवो" ।' ताहरां रावजी उतरिया । उतरनें जोया | ऊपर नांनग चावड़ैरो नांमो छै । युं लिखियो छे - ' जिको वासण वरतावै सु ईयँ भांत भूंजाई करै 12 ।' ताहरां राव चूडैजी कह्यो - 'वासण परहा बूरो।' तोहरां रजपूत बोलिया - 'राज ! कोई एक थोक तो लीजै ।' ताहरां रावजी पळी १ उठाय लियो" । वाकीरा वासण सरब बूरिया " ।
3
ताहरां रावजी नागोर आयनै पळी तोलायो सु पचीस पईसां
जितनेमें एक कृषक श्राया । हाळी = १ हल चलाने वाला । 2 कृषकके यहां कृषि मेरे खेत में माल निकला है ।
4
संबंधी कार्यकी नौकरी करने वाला | 2 श्राकर के कहा- राज !
धरती में प्राप्त हुआ वह लिये श्राया हूँ । 6 जाश्रो,
3 मैं हल चला रहा था तब एक देगके किनारे निकले हैं । माल उस धरती के स्वामीका है । 5 इसके लिये मैं आपको कहने के निकाल लाओ । 7 धरतीको खोदा परन्तु ऊंडे अधिक होनेसे अंत नहीं श्राता है । 8 बर्तन ऊड़े बहुत हैं अतः तका पता नहीं लगता । 9 तब वेलदारोंने गहरा खोद कर के निकाल लिया। 10 निकाल कर देखते हैं तो चरू, देगें, कूंडियें और थालियाँ आदि भूंजाई के बर्तन मिले | II तब लोगोंने कहा- ठाकुर ! देखिये । 12 जो इन वर्तनोंको काममें लाये वह इस प्रकार भूंजाई करे । भूंजाई = बड़ा भोज । 13 वर्तनोंको वापिस गाड़ दो । 14. कोई एक वस्तु लेलो । थोक = (१) एक ही प्रकारकी वस्तुनोंकी राशि । ( २ ) वस्तु । (३) नग, संख्या । 15 तव रावजीने एक पळी लेली ! पळी = घी, तेल आदि द्रवपदार्थ नापनेका एक लंबी डंडी वाला पात्र, टीपरा । 16 शेष बरतन गाड़ दिये ।
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३१२
मुंहता नैणसीरी ख्यात भर पळी हुवो' । ताहरां रावजी हुकम कियो-'घिरत मुंजाईमें ईयै पळी सौं पुरसो । प्राधो पुरसै तो सुवार सभा दीजै । भरियो पुरसणी रजपूतनूं ।' ईये भांत राव चूंडोजी राज करै।
एक दिन अरड़कमल चूंडावत भैसैनूं घाव कियो । भैतरा दोय. टुकड़ा किया। ताहरां सहु कोई ठाकुर कहण लागा-'वाह घाव कियो । ताहरां रावजी बोलिया-'कातूं घाव कियो ?' पसू बांधने घाव कियो। इसो घाव जो राव रांणंगदेनूं अथवा सादै कुंवरन कर तो जांण घाव कियो' । मोनू भाटी खटकै छै । इयां गोगादेजी विष्टकारी दी हुंती, सु मोनूं दूखै छै ।' ताहरां अरड़कमलजी मनमें जांण रह्यौ । बोलियो नहीं । युं करतां कितरेहेक दिन सादै कुंवर अरड़कमलजी मारियो।
तै ऊपर राव रांणंगदे मेहराज सांखलो मारियो । तै ऊपरा मेह. राजरो भांणजो सोमो राकसियो राव चूंडेजी जाय पुकारियो ।
कह्यो-'सौ घोड़ा, सौ वोमाह देवां ।' ताहरां राव चंडोजी चढिया। जायन पूंगळ कनारै राव रांणंगदे मारियो । ताहरां रांणंगदेन मार माल लूटि अर13 नागोर प्रायो।
ताहरां मोहिलरै वेटो जायो, सु चूंटी न ' | ताहरां रावजीनूं खवर हुई । ताहरां कह्यो-'मोहिल कंवरनै चूंटी क्युं न दो ?' कह्यो'जी, रिणमलनूं विदा देवो तो बूंटी देऊ ।' ताहरां रिणमलनूं
I तव रावजीने नागोर पा कर उस पळीको तुलवाया तो वह पच्चीस पैसे भर नाप की हुई। पच्चीस पैसोका तोल ४५ तोलोंके लगभग होता है। एक पैसा जो डब्लूसाई पैसा भी कहलाता है, लगभग पौने दो तोलेका होता है। 2 भुंजाई में घी इस टीपरेने परोसा जाय। 3 यदि सुवार (सूपकार) अाधा टीपरा परोसे तो उसको सजा दी जाय। 4 एक दिन घरड़कमल चूंबादतने एक भैसे पर प्रहार किया। 5 तव सभी ठाकुर कहने लगे-'बहुत अच्छा प्रहार किया।' . . . 6 तव रावजीने कहा-'यह क्या घाव किया ?' 7 'ऐसा घाव यदि राव राणंगदे अथवा सादेकुंवर पर करे तो घाव किया जाना जाय । 8 इन्होंने गोगादेजीको अपशब्द कहे थे (ताना . मारा था) सो मुझे संल रहा है। 9 जिस पर राव राणंगदेने मेहराज सांखलाको मार . . . दिया। 10 जिस पर मेहराजके भानजे सोमा राकसियेने राव चूंडेसे पुकार की। 11 उसने : कहा-सौ घोड़े देंगे और (तुमारा तथा तुमारे लोगोंके साथ) सौ विवाह कर देंगे। 12 निकट । ... . 13 और । 14 तब मोहिल रानीने पुत्रको जन्म दिया सो वह उसे जन्मधुट्टी नहीं देती है-1.. . 15 रिणमलको निकाल दें तो जन्मबूटी हूँ।
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मुंहता नैणसीरी ख्यात
[ ३१३ तेडिनै रावजी कह्यो-'तूं सपूत छै। रिणमल बेटा ! तूंविदा कर।' ताहरां रिणमलजी कह्यो-'रावजी ! आ धरती कान्हैयूँ छै । म्हैं ईयैसूं कांम कोई नहीं ।' ताहरां रिणमलजी रावजीरै पगां लाग पर सोझत पधारिया । . . एक दिन रावजीर भुजाईरो घिरत आवतो हुतो, गाडी-वाहणा भरिया । रोज भुंजाईमें बारह मण घी लागतो । राव चूंडोजी वडो दातार । भुजाई भली । चरवै सुकाळ' । सु एक दिन मोहिल घी आवतो दीठो । ताहरां मोहिल पूछियो-'रावजीरै कोई वीमाह छ ?' छोकरी मेलनै खबर कराई । कहियो-'जी, बारह मण घी रोज पूंजाई लागै छै ।' ताहरां छोकरी आय कह्यो । ताहरां मोहिल बोली-'रावरो घर युही लूटीजै छै । ताहरां मोहिल रावजीनूं कह्यो
'झुंजाई म्हारै सारै कीजै । ताहरां भुजाई मोहिल सारै कीवी छ । ... - ताहरां मोहिल पांच सेर घिरत झुंजाई लागै छै। रावजीतूं कह्यो
- 'म्हे थांहरै वडी संमार कीवी छ ।' ताहरां रजपूत सरब दुमना
हुवा' । ठकुराई नांन्ही घाली । .... कितराइक दिन हुवा, ताहरां रांणंगदेरो बेटो हुतो सु16 भाटी
एकठा किया। पछै मुलतांण जाइनै'' मुसलमान हुइनै18 मुलताणरी ... फोज प्रांणी। भाटीनै तुरक मिळनै आया। ताहरां रिणमलनूं ..कह्यो-'तूं नीसर । जे तूं जीवतौ छै तो तूं म्हारौ वैर लेईस ।
. I बुला कर । 2 पुत्र रिणमल ! प्रस्थान कर । 3 तव रिणमलजीने कहा.. रावजी ! यह धरती कान्हाके लिये है, मेरेको इससे कोई वास्ता नहीं है। 4 तब रिण· मलजी रावजीके चरण स्पर्श कर सोजतको चले गये। 5 एक दिन रावजीके यहां भंजाईके लिये बैलगाड़ियों में भरा हुमा घृत पा रहा था । 6 प्रति दिन भुंजाईमें बारह मन घी लगता
था। 7 राव चूंडाजी बड़े. दातार अतः भुंजाई अच्छी बनती थी और अतिथि-सत्कार भी ' अच्छा होता था. (कोई भी प्रानो, सबका भोजन उनकी अोरसे ही होता था।) 8 देखा।
9. रावजीके कोई विवाह है क्या ? - 10 दासीको भेज कर खबर करवाई। II रावका - घर योंही लुटा जा रहा है। 12 भोजनकी व्यवस्था मेरे अधिकारमें कर दीजिये। 13 हमने
तमारे वडी बचत कर दी है। 14 तव सभी राजपूत नाराज हो गये। IS ठकराई कम
जोर हो गई। 16 जिसने । .17 जा कर के। 18 हो कर के। 19 भाटी और मुसल..मान साथ हो कर के आये। 20. तू निकल जा। 21 मेरे वैरका बदला लेवेगा।
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३१४ ]
मुंहता नैणसीरी ख्यात अर ' रजपूत नीसरियो छै', तियांसू दोख मतां राखै । अ थारै वडै काम पावसी । जेठी घोड़ो छै सु सिखरै उगमणावत देई । अर रजपूत दुचिता छै सु तूं सुचिता करै । इयै मोहिल सरव दुहविया छै'।' ताहरां कह्यो-'म्हैं कान्हैनूं टीको कह्यो छै, सु इयैनूं काहूनीरै खेजड़े ले जायनै ईयरै माथै अरळ देईस । ताहरां रिणमल जांणियो'कांन्है राव मगरो दियो । रिणमलनूं रावजी विदा दीनी ।
रिणमलजी नीसरियो । रजपूत सरव नीसरिया । सिखरो उगमणावत इंदो, ऊदो त्रिभुवणसीयोत राठोड़, काळो टीवांणो, अ ठाकुर भेळा नीसरिया छै1 । जावतां एकै जायगां अरहट वहतो दीठो । तेथ पाया । आय अर घोड़ा पाया। घोड़ारा मुंह छांटिया। हाथ धोया । अांख्यां छांटी अर अमल किया । पांणी पियो । तेथ सिखरो उगमणावत हो कहै
काळो काळे हिरण जिम, गयो टिवाणो कूद । . .
आयो परव न साधियो, त्रिभुवण थारै ऊद ॥ १ ताहरां ऊदै अर काळे कह्यो-'म्हे सिखरै रै साथै नहीं जावां, • भांडसी" । हालो, अपूठा जावां ।' जितरै पूनो उठे सांमो आयो । पूनो दोला गोहिलोतरो बेटो। इयै सिखरै कह्यो'-'थे घिरो, अपूठा
.
I ये। 2 निकल गये हैं। 3 उनसे वैर मत रखना। 4 ये तेरे बड़े काम आयेंगे। 5 जेठी घोड़ा है उसे सिखरै उगमणावतको दे देना। 6 और जो राजपूत नाराज हैं उन्हें तू खुश कर देना। 7 इस मोहिल रानीने सवको नाराज कर दिया है। 8 तव .... कहा-'मैंने कान्हेको टीका देनेका निश्चय किया है, सो इसको काहूनीके खेजड़े लेजा कर ... इसके मस्तक पर तिलक दूंगा। (उत्तरदायित्व इसके सिर पर दूंगा।) 9 तव रिणमलने जाना कि कान्हेको रावने मगरा प्रदेश भी दे दिया। To रावजी ने (चूंडाजीने) रिणमलको. जानेकी आज्ञा दी। II ये सभी ठाकुर साथ निकले हैं। 12 जाते हुए मार्गमें एक स्थान . . पर रहँट चलता हुआ देखा। 13 वहां आये। 14 अांखें छांट कर (हाथ-मुंह धो कर) अफीम लिया। 15 वहां सिखरा उगमरणावत एक दोहा कहता है। 16 दोहार्थ'काला टिवाणा तो काले हरिणकी भांति कूद गया (अवसर खो दिया) और हे त्रिभुवन तेरे पुत्र ऊदाने हाथ आये पर्वको भी नहीं साधा।' . 17 तब ऊदाने और कालाने कहा'अपन सिखरेके साथ नहीं चलें, वह अपनेको वदनाम करेगा।' 18 चलें; लौट जायें । 19 इतनेमें पूना वहां साम्हने या गया। 20 इसको सिखरेने कहा। . . . .
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मुंहता नैणसीरो ख्यात
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[ ३१५ हालो' ।' ताहरां पूनो कहै - 'हूं घिरूं नहीं । ओ अवसर कठै लहूं" ?' ताहरां काळे अर ऊदै कह्यो - ' हे अपूठा पूनै साथै जास्यां ।' ताहरां सिखरो बोलियो - 'थे जावो नां । हूं एक दूहो मोनूंई कहीस * । ताहरां हो है
4
छक्कड़ लेह सिरांवणी, फदियो ऊग विहांण । ऊगमणावत कूदियो, चढ चंगे केकांण ॥ १
5
इण प्रस्ताव पूनो तो रावजी कनै गयो । उठे रावजी नागोररो कोट छोडने बाहिर आया । भाटियांरी फोज नाई । ताहरां रावजी सांम्हां जायन लड़िया । रावजी कांम आया' । सात आदमियांसूं कांम प्राया । ताहरां भाटिये रावजीरो माथो वाढिवांसमें प्रोयो', नै वांस रोपियो । रोपि नै माथो ऊंचो राखियो । प्राय सांम्हां न जुहार कियो ! " । मुंहड़े कहियो - 'चूंडाजी जुहार ।' इसी मसकरी कीवी, ताहरां केलण प्राप वडो सवणी हुतो । सु केलण बोलियो'ठाकुरां सुणो, आज पर्छ भाटी राठोड़ांरा चाकर हुसो । सिलांमी हुसी'
2
13
ताहरां आगै लोक सरब एकठा हुवा छै । वसी गाडा एकठा कर रिणमलजी ढूंढाड़नूं ले हालिया " । रजपूत सारा सुमना किया" जेठी घोड़ो सिखरैन दियो ।
1
18
ताहरां भाटी केलण सारी फोज लेने वांसो कियो" ताहरां एक
I तुम लौटो और वापिस चलो । 2 यह अवसर कहाँ पाऊं ? 3 हम तो लौट कर नाके साथ जायेंगे । 4 तुम जाओ नहीं। मैं एक दोहा मेरे खुदके संबंध में भी कह दूंगा । 5. दोहार्थ - 'जो प्रभात होते ही तत्काल एक छकड़ा भर कलेवा कर लेता है और नित्य एक फदिया ले लेता है, वह सिखरा उगमरगावत अच्छे घोड़े पर सवार हो कर फांद गया ।' 6. इस बात पर पूना तो रावजीके पास चला गया । 7 रावजी (चूंडाजी) काम आ गये । 8 सात आदमियोंके साथ काम प्राये । 9 तब भाटी राजपूतोंने राव चूंडाजीके सिरको काट
और बाँसको जमीन में गोड़
(
कर के एक वांसमें पिरो दिया । 10 कर खड़ा किया । II बांसको खड़ा कर के उसके सिरे पर चूंडेजीका ) मस्तक रखा । 12 सामने था कर जुहार किया । 13 ऐसी मसखरी की । 14 उस समय केलण जो बड़ा शकुनी था । 15 ठाकुरो ! सुनो, आजके बाद भाटी क्षत्री राठौड़ों के चाकर होंगे (और भाटियों की श्रोरसे राठौड़ों को सलामी होगी । 16 रणमलजी गाड़े इकट्ठ े कर के अपनी वसीको ढूंढाडको ले चले। 17. सभी राजपूतों को प्रसन्न किया । 18 पीछा किया।
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३१६ ]
मुंहता नैणसीरी ल्यात गांम गया । प्रभात हुवो। ताहरां पिणिहारियां वात कहै छै-'वाई ! कोई एक काळो-तारो आयो छै। तिको आपरो वाप मराडि धरती गमाय पायो छै। लारां कटक आवै छ। हिवै अांपांहीनूं मराडिसी।' श्रो वोल राव रिणमलजी कानै सुणियौ । सांभळनै पिणिहाररो वचन, अर कह्यो-'अठा प्रागै नहीं जावां । फोजसू लड़ाई करस्यां ।' ताहरां . साथ अपूठो घिरियो । रजपूत ससमा हुआ। वेढ हुई। सिखरै पातसाही ढाल पाड़ी । मुगल नाठा" । भाटी नाठा। रिणमलजी तो फोज मारता-सारता नागोर पाया । भाटी तरक नाठा। रावजी आय नागोर मांहै पैठा । राव रिणमलजो टीक वैठा । वडो राजवो हुवो। २२ वेटा हुवा । राव चूंडजोरै प्रधान सावटू भाटी, ऊंनो राठोड़ ।'
I कोई एक दुर्भागी (कलंकी) पाया है। वह अपने वापको भरवा कर और अपनी धरती (देश) खो कर पाया है। - 2 पीछे। 3 अब अपनेको ही मरवावेगा। .. 4 यहांसे आगे नहीं जायेंगे। 5 राजपूत तैयार हुए। 6 सिखरेने बादशाही सेना पर विजय पाई। 7 मुगल भाग गये। 8 रावजीने पा कर नागौर में प्रवेश किया। 9 राब चूंडाजीके प्रधान सावट भाटी और कना राठौड़ थे।
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*-*-Minaitr-harn
. * श्रीरामजी * अथ गोगादेजीरी वात लिख्यते गोगादेजी जुवान' हुवा; ताहरां वीरमजीरो वैर लेवणनूं साथ एकठो कियो। साथ करनै जोईयां ऊपर चढियो। आगै जोईयांन खवर हुई ; ताहरां जोईया नीसरिया । ताहरां अपूठा आय कोस २० अाया। आय हर हरोळ गयो। ताहरां जोईयां दीठो -'गोगादे फिर गयो ।' ताहरां जोईया फिर आय वसिया । गोगादेजी दबो मार बैठा हुता । इतरै हेरो पायो । कह्यो-'जी, दलो हेरियो छै; धीरदे हेरियो छै । जियै ठोड़ सूवता तिका ठोड़ हेर आया छां" ।' हेरो चौकस कर गया हुता सूवणरी ठोड़ । सु धीरदे तो परणीजण गयो; नै हेरां जाय गोगादेजीनूं कह्यो । ___गोगादेजी चढिया। आधी रातरा जायनै पड़िया। ताहरां दलै ऊपर गोगादेजी उतरिया। धीरदे ऊपर ऊदो गोगादेप्रोत उतरियो । ताहरां धीरदे तो परणीजण गयो हुतो। धीरदेरै सूवणरी ठोड़ धीरदेरी बेटी सूती हती; सु ऊदै जायनै घाव कियो' । सु तरवार इसड़ी
वुही-बैर वाढि, विछावणा वाढि, मांचो वाढि अर घरटीसं जाय : रड़की' । ताहरां तरवाररो नाम 'रळतळी' कहांणो'। गोगादेजी दलो
मारियो । गाडा लूटि अर पादोलायां प्राय उतरिया । .... जाहरा16 गोगादेजी दलो मारियो, ताहरां दलारो भात्रीजो डांस
___I युवा, जवान । 2 तब वीरमजीके वैरका बदला लेने के लिये योद्धानोंको संगठित किया। 2 तव जोईया भी निकल पाये। 4 देखा। 5 गोगाजी दबक कर घातमें बैठा था। · 6/7 इतने में गुप्तचरोंके दलने आकर कहा कि उसने दलाका पता लगा लिया है और धीरदेवका
भी पता लगा लिया है एवं जिस जगह ये सोते हैं उस स्थानका भी पता लगा लिया है। (धीरदेको कई प्रतियोंमें धीरजदे और कइयोंमें धारदे भी लिखा है)। 8 इधर गप्तचरों जाकर गोगादेजी को यह सूचना दी उधर पीछे से धीरदे ब्याह करनेको चला गया। तब
'दलाका वध करनेके लिए गोगादेजीने और धीरदेका वध करनेके लिये ऊदा गोगादेशोतने निजी -: . . ( किया। 10 धीरदेके सोनेके स्थान पर धीरदेकी बेटी सोई हुई थी। II सो ऊदाने जाकर
उसके ऊपर प्रहार किया। 12/13 सो वह तलवार ऐसी चली कि । उस स्त्रीको काट कर
उसके बिछौने काटे और फिर खाटको काट कर उसके पासमें पड़ी हई चक्कीके जाकर ... टकराई। 14 तब उस तलवारका नाम 'रळतळी' कहलाया। IS गाडोंको लूट कर
पादोलायां गांव में आकर ठहरे। 16 जब ।
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३१८ ]
मुंहता नैणसीरी ख्यात पड़ोहियो चढि अर पूंगलनं दोडियो । धीरदेन कहण गयो । प्रागै धीरदे परणीज अर रात सूतो। कांकण-डोरा छोड़िया न हुता'। सु... रात पहर १ वांसली हुती। ताहरां पड़ोहियो हीसियो । ताहरां धीरदे . जागियो। कहियो-'रे, पड़ोहियो हीसियो ? कह्यो-'जी, पड़ोहियो .. काह ?' तितरै वात कहतां पेहली हांसू जोईयो प्राय पुकारियो । ताहरां धीरदे वोलियो-रे कुसळ छ ?' कह्यो-'जी, कुसळ कठा ? गोगादे वीरमोत आयो हुतो। दलो मारियो। मारनै पाछो जाय छै ।'. ताहरां धीरदे अठियो। जांमो पहर, हथियार वांधनै आयो । प्रायन घोड़े जीण करायो। तितरै राव रांगंगदेन खवर हुई। ताहरां यायनै कह्यो-'जी डोरा-कांकण खोलनै चढो । ताहरां धीरदे.. वोलियो-'पायनै खोलस्यां ।'
ताहरां रांणंगदे नै धीरदे जोईयो बेऊ चढिया। प्रागै गोगादेजी पाद्रोलायां उतरिया छ। घोड़ा चरण छोड़ दिया है। साथ सोह. . पाणी ऊपर टिकियो छैन । भाटी नै जोईयांरो साथ आघो वुहो। ताहरां घोड़ा चरता दीठा15 । ताहरां जांणियो-'जु, झै घोडा गोगादेरा.. छै16 ।' ताहरां घोड़ा लिया। घोड़ा लेनै अपूठा घिरिया" । पाद्रोलायां आया सु कटकनूं त्रिस पाड़ियो । ताहरां भाटियै अर जोईयै कहियो-'पांणी पावो, ज्यु वाताळगो करां, वैर भांजां19 ।' ताहरां . पांणी पीवण दीनो। ताहरां पांणी पायो अर घोड़ा ताजा करने
1 तव दलाका भतीजा हांसू 'पड़ोहियो' नामक घोड़े पर चढ़ कर पूगलको भागा। 2 धीरदेको कहनेके लिये गया। 3 धीरदे विवाह करके (प्रथम-मिलनकी) उसी रात अपनी स्त्रीके पास सोया हुआ था। 4 कंकण-डोरड़े. (विवाह-सूत्र) अभी तक खोले नहीं गये थे! 5 पिछली एक प्रहर रात थी तब पड़ोहिया घोड़ा हिनहिनाया । 6 उत्तर दिया कि पड़ोहिया. कहां है जी? 7 इतनेमें। 8 उत्तर दिया कि अजी ! कुशल कहां ? 9 मार करके वापिस जा रहा है। 10 अजी ! कंकरण-डोरड़े खोल कर सवारी करो। II वापिस आकरके खोलेंगे। 12 दोनों चढ़ कर रवाना हुए। 13 सारा साथ तालाब पर पानीके किनारे पर . ठहरा हुआ है । 34 भाटी और जोईयोंका साथ आगे चला। 15 तव घोड़े चरते हुए देखे। 16 ये घोड़े गोगादेके हैं। 17 घोड़ोंको लेकरके वापिस घिरे । 18 पाद्रोलायां गांवके. निकट आये तब कटकको प्यासने सताया। 19 पानी पिला दो, जितने अपन वातचीत करें ... और फिर जा करके शत्रुताका बदला लें।
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मुंहता नैणसीरी ख्यात
[ ३१६ बेहुं रुखा हुय आया।
ताहरां गोगादेजी कह्यो-'रे घोड़ा ल्यावो।' ताहरां ढाढी कहै - .... चाहोया नह लव्भए, गोगादे घोड़ाह ।
... बद्धे तुरी न चारिय, घी घत्तै थोड़ाह ॥
- ताहरां 'लड़ाई मंडो। भाटी नै जोईया राठोड़ांसूं वाजिया । ... ... गोगादे जी घावै पड़िया । साथळां बेहुं वढी । बेटो ऊदो पण पसवाड़े
पड़ियो' । तरवाररो नामांण किसू छै. सु तरवोर टेकनै गोगादेजी । बैठा घूमै छ ।
तितरै रांणंगदे चढियो नीसरियो । ताहरां गोगादेजी बोलिया.. . 'राव राणंगदे ! तू वडो सगो छ, म्हारो परवाड़ो लेल्यै' ।' ताहरां
रांणंगदे बोलियो-'तो सारीखां विष्टारो म्हे परवाड़ो लेता फिरां छां?' ताहरां रोणंगदे तो बाघो ही हो ।
तितरै धीरदे जोईयो आयो । ताहरां गोगादेजी बोलियो-'धीरदे ! श्राव, तूं वडो जोईयो छ । म्हारो परवाडो ले । थारौ काको म्हारै पेट माहै तड़फड़े छै । म्हारो परवाड़ो लै।' ताहरां धीरदे घिरियो । नड़ो ग्रायनै उतरियो । ताहरां गोगादेजी तरवाररी झड़प वाही सु जोईयो कनै पाय पड़ियो । ताहरां ताळी दे पर हसियो । ताहरां । धीरदे बोलियो
... I तब पानी पिलाया और घोड़ोंको ताजा करके दोनों ओरसे चले। 2 तब ढाढ कहता है। ढाढी = विरुद गाने वाली जाति । 3 हे गोगादे ! चरनेको छोड़े हुए घोड़े प्रावश्यकता पर हाथ नहीं पाते । ऐसे समय पर घोड़ोंको बँधा रख कर थोड़ा घी दे देना चाहिये, पर चरनेके लिए नहीं छोड़ना चाहिये । 4 तब लड़ाई शुरू हुई। भाटी और जोईये राठौड़ोंसे लड़े। 5 गोगादेजी आहत हुए। 6 दोनो जंघाएँ कट गई। 7 उनका पुत्र ऊदाभी पासमें
गिर गया। 8. उनकी (गोगादेजीकी) तलवारकी लचक कैसी बढ़िया है, वे उस तलवारको . ........ टिका कर उसके सहारे बैठे हुए घूम रहे हैं। 9 इतने में राणंगदे सवारी किया हया उधरसे
निकला। 10 राव राणंगदे ! त हमारा बड़ा सम्बन्धी है, मेरा प्रवाड़ा ले ले। प्रवाडावीरताका विरुद। II तेरे समान नीचके हम प्रवाड़े लेते फिरते हैं क्या ? 12 तब. राणंगदे
तो आगे चला गया। 13 तेरा काका मेरे पेटमें छटपटा रहा है। 14 तब धीरदे लौटा। .. 15 निकट पाकर घोड़ेसे उतरा । 16 तब गोगादेजीने झड़प कर तलवारका प्रहार किया सो ... जोईया पासमें आकर गिर पड़ा। . .
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३२०
मुंहता नैणसीरी ख्यात
बळिया काळा दाद, तूं गोगादे
पैहर मेळियौ ।
वेधीर, एका जेही नीवड़ी ||
हां महे' ।
ताहरां धीरदे पड़ियो, कांम श्रायो ।
ताहरां गोगादेजी बोलिया - 'जे कोई सुणतो हुवै तो सांभळज्यो', गोगादे कहै छै; राठोड़े पर जोईये वैर बराबर हुवो छै । जे कोई जीवतो हुवै तो महेवै जायनै कहज्यो । राव रांणंगदे विष्टाकारी दीनी छै । ज्यो वैर भाटियां कनां लेज्यो' । ताहरां झींपो झांस मांहै छिपियो हुतो, सु झींपै सुणियो । सु जाहरां झींपो महेवै गयो, ताहरां समाचार कह्या' ।
7
8
तितरै जोगी गोरखनाथ प्राय नीसरिया । गोगादे बैठो दीठो । ताहरां गोरखनाथ साथळां जोइन लगाई। एक साथळ ऊदैरी चेढी । एक साथळ ग्रापरी चेढी ' ' । ताहरां गोगादेजीनूं गोरखनाथजी शिष्य किया । प्रजेस गोगादेजी चिरंजीव छै" ।
12
गोगादेजी वीरमोत थळवट मांहै रहे । एक समइयै थळवट मांहै काळ पड़ियो । लोग मऊनूं चालियो । थोड़ो सो लोग रह्यो । । 14
I तव धीरदेने कहा—'वदला लेने वालोंमें अधीर हे गोगादे ! तूने अपने को और मुझको, दोनोंको भगवानसे मिला दिया । ( परस्पर क्षत्रियोचित काम कर वीर गतिको प्राप्त हुए 1 ) अत: अब अपने श्रापसमें जो भयंकर शत्रुता थी, वह खत्म हो गई । महेवेकी हानि की बात थी सो वह भी अब दोनों ओर एक जैसी बात हो जाने पर खत्म हो गई । श्रपना वैर बराबर हो गया ।' 2 जो कोई सुनता हो तो सुन लेना । 3/4/5 जो कोई जिंदा हो तो महेवे जाकर यह खबर देना कि राव गांगदेने हमें अपशब्द कह कर ललकारा है सो इस बैरका बदला भाटियोंसे लेना है। 6/7 झोंपा कहीं भाड़ी में छिपा हुआ था, उसने गोगादेकी इस वातको सुना और वह जब महेत्रे गया तो उनके ये समाचार कह सुनाये । 8/9 इतने में योगी गोरखनाथ उधर : या निकले। उन्होंने गोगादेको इम हालत में बैठे देखा । 10 जब गोरखनाथने टूटी हुई जंघाको तलाश करके गोगादेजीके शरीरमें जोड़ दी । II उनमें एक जांघ ऊदेकी श्रीर एक स्वयं गोगादेकी चिपकाई । 12 गोगादे अभी तक चिरंजीवी है । 13 वीरमजी के पुत्र गोगादेजी थल प्रांत में रहते हैं । 14 एक बार में दुकाल पड़ा सो लोगोंने मऊके रूपमें देशसे प्रस्थान कर दिया | मऊ = दुष्कालके कारण भूखों मरती हुई गरीब प्रजाका वह समूह जो वर्षा वहल प्रांत में खेती, मजदूरी श्रादि करनेको जा रहा हो ।
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मुंहता नैणसीरी ख्यात
[ ३२१ - बीजा सरब उचळिया। आप आपरै मतै गया। मजूरी कर खाधो । . .. पछै ऊपरसू असाढ़ आयो, ताहरां गांवां माहै लोग आय वसियो । सु वानर तेजो भलो रजपूत हुतौ। आपरो खासो चाकर हुतो सोई मऊ गयो हुतो सु भो पण पाछौ आयो । दोय साथै टाबर-एक बेटो... एक बेटी । एक पड़तल बळद' । तिकै रजपूत गांव मीतासर ।
आय वासो लियो। रात रह्यो । . प्रभात कोहर सांपड़णनूं गयो । ओ जांणतो न हुतो, पांणीडी माहै बैठो । झूलण लागो सु गांवरा धणी मोहिल देख अर उण रजपूतनूं बेटीरी गाळ दीवी"। अर कह्यो-'रे, पापी ! लोग पांणी पीवै । छै ।' अर उवै रजपूतनूं चोट वाही। बळदारो जूट वहतो हुतो तिकै पुरांणीरी दीवी। सु रजपूतनूं बुरी लागी। ताहरां लोकां कह्यो'रजपूत गोगादेजीरो छै, बुरी कीवी।' ताहरा मोहिलै पुरांणीतूं इयैरा मगर चीरिया । अर करो-'गोगादे करसी सो देखस्यां ।' ताहरां रजपूतांणी उण रजपूतनूं वरज राखियो । अर प्रो घरनूं
.
। दूसरे सभी लोगोंने उचाला कर दिया। 'उचाला' अर्थ के लिये देखिये इस दूसरे .. भागके पृ. ११७ की टिप्पणी । 2 अपने-अपने विचारसे भिन्न-भिन्न स्थानोंको गये। 3 मज
दूरी कर गुजरान किया। 4 फिर जब अगले वर्षका आषाढ़ मास पाया तब वापिस लोग अपने-अपने गांवोंमें आकर बसे । 5 वानर तेजा एक अच्छा राजपूत था और वह गोगादेजीका खासा सेवक था, वह भी मऊके रूपमें चला गया था, अव वापिस लौटी। 6 एक लड़का और एक लड़की, दो बच्चे साथमें। 7 सामान रखनेको एक बैल साथमें। 8 उस राजपूतने मीतासर गांवमें आकर विश्राम लिया और रात भर ठहरा। 9 प्रभात समय कुएँ पर नहानेको बैठ गया। 10 इसे पता नहीं था अतः वह पीनेके पानी भरनेकी कुंडी (हौज)में नहानेको गया। II जब वह उसमें स्नान करने लगा तो गांवके मालिक मोहिलने उस राजपूतको बेटीकी गाली दी। 12 जो बैलोंकी जोडी पानी निकाल रही थी, उनको हांकनेकी पुरानी लेकर उसको मारा। पुरांणी, (परांणी) = बैलोंको हांकनेकी एक लकड़ी जिसकी एक श्रोर तीखी लोहेकी कील लगी होती है। 13 यह राजपूत तो गोगादेजोका आदमी है. इसे मार कर तुमने बुरा किया। 14 तब मोहिलने पुरानीसे उसकी पीठ चीर दी। 15 गोगादे करेगा सो देख लेंगे। 16 तब एक राजपूत स्त्रीने उस राजपूतको रोक रखा।
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३२२ ]
मुंहता नैणसीरी ख्यात हालियो । घरै पाय, घर माहै रातरौ चांनणो कियो । ताहरां. गोगादे कह्यो-'जावो देखो, खबर करो तेजै वानररं घरै चानणो क्यु छै ? देखो, प्रायो न छै ?' ताहरां आदमी पाय खवर कर गया। कह्यो-'राज ! तेजसी वानर प्रायो छ ।' तद कह्यो-'बोलाय ले अाव।' तद बोलाय ले आयो । गोगादेजीसं मिळियो । ___बीजै दिन गोगादेजी तळाव सिनांन करणनूं पधारिया । साराही लोग तळाव मांहै झूलणन पैठा। गोगादेजो पाप सिनांन करणनूं पैठा। पण वानर तेजौ तळाव मांहैं वड़े नहीं। ताहरां गोगादेजी तेजैनूं सूंस दिराय तळाव मांहै झूलणनूं तेड़ियो । मांहि गयो । ताहरां गोगादेजो मगरांमें परांणीरा घाव दीठा, तद कह्यो-'यो काखू छै!' ताहरा उठे रजपूत वहुत दिलगीर हुवो । ताहरांगोगादेजी कह्यो-'रे किसै वास्त? ताहरां रजपूत सारी हकीकत कही। कह्यो-'राज ! थांहरो कर मारियो छै। ताहरां गोगादेजी कह्यो-'किसो गांम' ?' ताहरां ईयै कह्यो-'राज ! मीतासर रांण मांणकराव14 ।' ताहरां गोगादेजी कह्यो-'धीरज राखि, देखां, श्री परमेश्वर काढूं करै15 ?'
पछै मोहिलां ऊपर कटक कियो । कितरैहेकै दिनै देव-ऊठणी एकादशी आई, तिये दिन प्रापरो साथ ले गोगादेजी मीतासर ऊपर ... चढिया। गांव माहै सतावीस वीमाह; रजपूत, जाट, वांणियारै
___ I और यह अपने घरको चला। 2/3 घर पर पाकर जब उसने दीपक जला कर रातको प्रकाश किया, तब गोगादेने कहा-"जाकर देखो तो, पता लगायो कि तेजा वानरके : घर में प्रकाश क्यों हो रहा है ? वह आ तो नहीं गया है ?" .4 गोगादेजीसे मिला। 5 दूसरे . दिन गोगादेजी तालाब पर स्नान करने को पधारे। 6 साथके सब ही लोग स्नान करनेको .... तालावमें घुसे । गोगादेजी स्वयंने भी उसमें प्रवेश किया। 7 परन्तु तेजा वानर तालावमें प्रवेश नहीं करता है। 8 तब गोगादेजीने शपथ देकर तेजेको स्नान करनेके लिए तालाबके अन्दर बुलवाया। 9 अन्दर गया तव गोगादेजीने उसकी पीठ पर परानीके घाव देखे तो .. उन्होंने कहा-"यह क्या बात है ?" 10 तब वह राजपूत वहां बहुत उदास हआ। II तब गोगादेजीने कहा- "मेरे किस लिये ?" 12 आपका राजपूत हूँ, ऐसा जान करके मुझे मारा .. है। 13 कौनसा गांव ? 14 तब उसने कहा-राजन् ! मीतासर गांवके राना माणक-: : राबने । 15 तब गोगादेजीने कहा--'धीरज रखो, देखो, श्री परमेश्वर क्या करते हैं ?" . . 16 कितनेक दिनोंके बाद जब देवोत्थनी एकादशीका दिन आया, उस दिन अपना साथ लेकर ... गोगादेजीने मीतासरके ऊपर चढ़ाई कर दी। .
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.. मुंहता नैणसीरी ख्यात
[ ३२३ हुता सु जांनां प्रावती छी'। सु हेकै 'थळी हेठ गोगादेजी पण उतर बैठो' । लोकां केही दीठा, “सु जांणियो जान छ । पछै बारसरै दिन परभातै मोहिला ऊपर आया । वेढ हुई । सिरदार मोहिलांरो नीसर गयो । और सरब मार काढिया । गांव लूंटियो । कोहर ऊपर खेजड़ो छै; सु ऊठ आया । पछै तैनूं बगल माहै ले ऊभा रह्या । ऊ खेजड़ो मरदरी ताल समो छ । गोगादेजी इतरै डील हुंता' । पछै जांनां सतावीसै लूट लीवी । रजपूतरो वैर ले पधारिया !
इति वात गोगादेजीरी संपूर्ण ।
.
___ I उस दिन उस गांवमें राजपूत, जाट और वनियोंके २७ विवाह थे, अतः वाहिरसे बारातें आ रही थीं। 2 सो (उस गांवके पास) एक टीवेके नीचे गोगाजीने भी अपना पड़ाव - डाल दिया। 3 कई लोगोंने देखा तो समझा कि कोई वारात है। 4 फिर द्वादशीके दिन
प्रभात मोहिलों पर चढ़ करके पाये और लड़ाई हुई। 5 मोहिलोंका सरदार मारणकराव ... भाग निकला। 6 और दूसरे सबको मार डाला। 7 उस कूएंके ऊपर एक शमी-वृक्ष है,
वहां पर आये। 8 उस वृक्षको बगलके नीचे दे कर खड़े रहे। 9 वह खेजड़ा-वृक्ष पुरुषके ताल समान परिमारण जितना ऊंचा है। ताल = पुरुपका खड़ा हो कर अपरको हाथ उठाये हुए-एड़ीसे हाथकी अंगुलियों तकका एक मान । 10 गोगादेजीका शरीर इतना ऊंचा था। II फिर २७ बारातोंको भी लूट लिया। 12 अपने राजपूत के वैरका बदला लेकर गोगादेजी लौटे।
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श्री गणेशायनमः अथ अरड़कमलजी चूडावंतरी वात लिख्यते
अरड़कमलजीनूं एक दिन नागोर मांहै राव चूंडैजी बोल वाह्यो हुतो । सु अरड़कमलजीरै हीयै खटकतो हुतो। सु अरड़कमलरो हेरो ठांम-ठांम रहतो हुतो जु–'कठे ही रांणंगदे अथवा सादूळ । कुंवर कठे ही आवै, और हूँ मारूं तो धन्य म्हारो जीवियो। मोसूं रावजी वचन कह्यो छ ।' ___एकदा प्रस्ताव । छापर मोहिल राज करै ताहरां मोहिलां नाळेर सादूळ रांणंगदेवोतनूं पूंगळ मेल्हियो।' बांभण नाळेर ले अर पूंगळ गयो। जायनै राव रांणंगदेनूं दियो। कह्यो-'जी, मोहिला . सादूळ कुंवरनूं नाळेर दियो छै। ताहरां रांणंगदे कह्यो-'मांहरै . राठोड़ा सूं वैर; सु परणीजण कोई नो पावै । ताहरां वांभणनूं विदा दीनी । ___ताहरांसादूळ सुणियो-'जु रावजी मोहिलांरो नाळेर घेफे]रियो।' ताहरां सादूळ आदमी म्हेल नै वामण बुलायो । बांभणनूं तेडाय नाळेर .. वांदियो । बांभणनूं घणो खरच दे अर विदा कियो । को रजपूत तेड़ियो । तेडिनै कह्यो-"रावजीनूं कहो, मूंडा दीसस्यो । राठोड़ांसूं
___I नागोरमें एक दिन राव चूंडोजीने अरड़कमलजीको एक ताना मारा था। . ... 2 वह अरड़कमलजीके हृदयमें खटकता था। 3 इसलिये अरड़कमलने स्थान-स्थान पर अपने भेदिये रख छोड़े थे। 4 कहीं भी। 5 और मैं उनको मारदूं तो मेरा जीना धन्य । रावजीने मुझे ताना मारा था। 6 एक समयकी वात। 7 मोहिलोंने रांणग- - . देके पुत्र सादूलसे अपनी कन्याका संबंध करनेके लिये पूगल नारियल भेजा। . 8 ब्राह्मण।
तब रांणगदेने कहा-हमारी राठौड़ोंसे शत्रुता है अतः विवाह करनेको नहीं आ सकता। 10 तब ब्राह्मणको रवाना किया। II जब सादूलने सुना कि-'रावनीने मोहिलोंकी ओर से आये हुए नारियल को लौटा दिया। 12 सादूलने तब आदमी भेज कर ब्राह्मणको . वुलवाया । . 13 ब्राह्मणको बुला कर नारियलको सम्मानपूर्वक वंदन कर के ग्रहण किया । . 14 ब्राह्मणको बहुत द्रव्य देकर रवाना किया। 15 किसी राजपूतको वुलवाया। 16 बुला ... कर के कहा कि रावजीको कहदो कि इस प्रकार करनेसे तो अपनी बदनामी होगी। . . . . .
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मुंहता नेणसोरो ख्यात
[ ३२५
बीहता कितराइक दिन रहस्यो' ? हूं मोहिल परणीस' ।' ताहरां राव कासूं करें ? बेटो न रहै । टीकाइत बेटी सपूत # ।
ताहरां रावजी हुकम कियो- 'पधारो ।' ताहरां रजपूत एकठा करनै हालणरी तयारी कधी ' । ताहरां राव कन्है मोर घोड़ो मांगियो । ताहरां राव कहै - 'तूं घोड़ो जांणां राखसी नहीं । का गंवाड़ीस, का केहेनूं दे प्राईस । तूं घोड़ो मतां को- 'हूं घोड़ो म्हारै जीव हूं सोहरो राखीस '
ले
जावै ' ।' ताहरां
8
'
ताहरां राव कन्हा
0
I
घोड़ो लियो' । केसरिया करें सादौ कुंवार परणीजण चढियो " | आई छापर पहुंतो । मोहिल परणियो । रां मांणकरावरै सादो मांणकरावरै परणियो । गढ द्रोणपुर वीवा करण न दियो । सु भाटियांणी रावळ केहररी बेटी हुती, सु जोरावर । ताहरां प्रोडींटमें व्याह मांडियो | रांगै खेतैरी दोहीतरी, रांणा मांणकरावरी बेटी सादूळ भाटीनूं परणाई
2
।
3.
4
ताहरां मोहिले को - ' चढो । आदमी राखो, सु सेजवाळो ले श्रावसी । एथ राठौड़ नेड़ा है। थारे वर छे । थे चढि खड़ो " ।' ताहरां सादूळ कहै-"हूं परवाह देने पर्छ साथै चढ़ीस | एकलो चढ़
2. मैं मोहिलानी से विवाह करूँगा । 1 राठोड़ोंसे डर कर कितने दिन रह सकेंगे ? 3/4 सुपूत टीकायत वेटा रहा, वह जब नहीं मानता तो राव क्या करे ? 5 तब राजपूतोंको 6 उस समय रवसे मोर नामका घोड़ा मांगा । इकट्ठा कर के चलने की तैयारी की । 7. तब राव कहता है कि मैं जानता हूँ कि तू घोड़ा रख नहीं सकेगा । या तो खो देगा या किसी को दे आएगा | 8 मैं घोड़को मेरे जीसे भी अधिक आरामघोड़ा मत लेजा । यह 10 केसरिया वस्त्र पहिन कर के सादूल पूर्वक रखूंगा । 9 तब रावसे घोड़ा ले लिया । II था कर के छापर पहुँचा और राना मारणकराव के कुँवर विवाह करनेको रवाना हुआ । 12 रावल केहर की बेटी भटियानी माणकरावकी यहां मोहिल पुत्रीके साथ विवाह किया । स्त्री बड़ी जोरावर, उसने इस विवाहको नोडींट गांव में किया । 13 राना माणकरावकी 14 तब मोहिलोंने पुत्री जो राना खेताकी दोहीती थी, सादूल के साथ ब्याही गई | कहा – “तुम रवाना हो जानो । श्रादमियोंको पीछे रख दो सो वे मोहिलकी पालकी अपने साथ ले लायेंगे । यहां राठौड़ नजदीक हैं । तुम्हारा उनसे बैर है अतः तुम चढ़ कर पहिले रवाना हो जाओ ।"
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नहीं' ।' युं कहिनै रह्यो । ताहरां हेरै जायने कह्यो अरड़कमल नूं'सादो मोहिले परणीजणनूं प्रायो छे ।'
तर ढाढी कहै * -
नागांणाचो विणिये तुंणिये
"
अरड़कमल श्रो चंदा सुरियै । हेरू मंझि थये परणायो
,
सादा ! ग्ररड़कमलजी ग्रायो ॥
.
ताहरां अरड़कमलजी साथ करने चढियो । नागोरसूं चढियो । ताहरां वडोकरो सुगन हुवो" । सु ताहरां मेहराज सांखलो साथ हुतो सु तिणनूं अरड़कमलजी पूछियो' - 'सुगनरो फळ कहो ।' ताहरां मेहराज कहै - 'प्रांपैकाळे गोहिलरै घरै हालो' । ज्यं जाइ र जीमण कराड़ां । श्रर जाहरां कुंवरजी ! जीमणनूं बुलावै ताहरां काळैनूं भेळो बैसाणज्यो' । पेहलां कवो थे मतां भरज्यो" । काळैनूं भरणदेज्यो" । जाहरां काळ कवो भरै, ताहां पूछज्यो- 'जु, एक सुगन म्हांनूं इसोसोक हुवो, तेरो विचार काळाजी कहो" ।'
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ताहरां जायनै काळेरै उतरिया 3 | काळे भगतरी तैयारी की " | ज्युं प्रारोगण बैठा, ताहरां काळनूं भेळो बैसांणियो" । काळ कवी भरियो," ताहरां श्ररड़कमल पूछियो, "काळोजी ! म्हे तो
] तब सादूल कहता है कि मैं यहां त्याग (नेग र दानं ) दे देनेके बाद सबके साथ ही रवाना होऊंगा । अकेला नहीं जाऊँगा । 2 तव भेदियोंने जाकर अरड़कमलको कहा कि सादूल मोहिलोंके यहां शादी करनेको प्राया हुआ है । 3 / 4 तब ढाढी कहता है - "हे सादूल ! नागोरके भेदियोंके द्वारा तेरे विवाहका सब भेद ग्ररडंकमलने सुन लिया है । तेरा विवाह उन हेरुनोंकी उपस्थिति में ही हुआ है अतः अरड़कमल तेरे ऊपर चढ़ कर आया ही समझो ।” 5 तब अच्छा शकुन हुग्रा । 6 मेहराज सांखला साथमें था, उसको रकमलजीने पूछा । 7 अपन पहले काला गोहिलके यहां चलें । 8 वहां जाकर भोजन की तैयारी करवायें | 9 और जव कुंवरजी ! आपको भोजन करनेको बुलाने ग्रावे तव कालेको साथ बिठा कर भोजन करना । 10 / 11 पहला कौर ग्राप नहीं लेना, कालेको लेने देना । 12 जब काला कौर भरने लगे तब पूछना कि हमको एक ऐसा शकुन हुआ है, उसका फलाफल कालाजी हमें बताओ । 13 तब जाकर कालेके यहां ठहरे । 14 कालेने भोजन की तैयारी. को । IS जब भोजन करनेको वैठे तो कालेको सामिल विठाया । 16 कालेने ज्योंही कोर भरा ।
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[ ३२७ सादूळ ऊपर चढिया ; अर हालतां इसड़ो सुगन हुवो, तैरो विचार ... कहो' ।' ताहरां काळे कह्यो-'सुगन ले जावसी मेहराजरं घर ।
काळो बोलियो-'अरड़कमलजी ! थे जिए काम पधारो छो सो सिद्ध हुसी । सिरदार हाथ आवसी। थाहरी जैत हुसी । कालै विहांण इण विरियां मरसी। इयै सुगनरो अो विचार छै । ताहरां अरड़कमल आघा चढि खड़िया। महिराज सांखलैरो बेटो आल्हणसी राव रांणंगदे, सादै मारियो हुतो। तैरै वासते मेहराज पागू हुवो। कटक
सादै ऊपर लीये जावै । . प्रागै सादूळ भाटी परवाह दे, ढोल वजाय, सेजवाळो लेनै पूगळ
नं चालियो । ताहरां लायांरै मगरै अरड़ कमल जाय पहंतो' । ताहरां सादैनूं खबर हुई–'अरड़कमल आयो।' ताहरां अरड़कमल बोलियो'वडा भाटी ! जाहै नां, हूं घणी भुंयथी आयो हूं। ताहरां ढाढी कहै
'ऊ. मोर करै परळाई, मोर जाइ पण सादो न जाई ।' ___ताहरां सादूळ अपूठो घिरियो । रजपूत सांम्हां मंडियो। लड़ाई हुई। रजपूत कांम आयो। सादूळनूं घोड़ाहूं उतर पर इसी तरवार वाही सु घोड़ारा च्यारै पग अळगा पड़िया । सादूळ काम आयो ।
___I तब अरड़कमलने कहा-“कालाजी ! हम तो सादूलके ऊपर चढ़ कर आये हैं। चलते समय हमें इस प्रकारके शकुन हए हैं, उसका फलाफल विचार कर कहिए।" 2 तब कालेने कहा-"यह शकुन प्रापको मेहराज के घर पर ले जायेंगे। 3 जिस । 4 सरदार हाथ पायेगा। तुम्हारी जीत होगी। कल इस समय प्रभातमें वह मरेगा। इस शकुनका . यह फल है। 5 तब अरड़कमल चढ़ कर के आगे चला। 6 इधर सादूल भाटी त्याग देनेके बाद ढोल बजवा कर अपनी नववधूकी पालकीको साथ ले कर पूगलको रवाना हमा। ढोल बाजणो = विवाहके सानन्दपूर्वक सम्पन्न हो जाने और न्योछावर और त्याग आदि नेग एवं अन्य प्रथाओंके निर्विघ्न समाप्त हो जानेके बाद बारात रवाना हो जाते समय बारात वालोंकी अोरसे ढोल बजवाये जानेकी एक आवश्यक और महत्वपूर्ण प्रथा। इसे 'ढोल वाजणो', 'ढोल बजवावरणो', 'जीतोड़ारा ढोल धुरावणा' भी कहते हैं। 7 तब लायांकी पहाड़ी के पास अरड़कमल उसे जा पहुँचा। 8 अरड़कमलने कहा-"बड़े भाटी सरदार ! जाइये नहीं, मैं तो बहुत दूरसे आपके लिए आया हूँ। 9 तब ढाढी कहता है -"मोर घोड़ा उछलता-कूदता चाहै उड़ जाये, परंतु सादूल कहीं नहीं जायेगा।" 10 तब साल पीछा ...फिरा। II अरड़कमलने घोड़ेसे उतर कर सादुलके ऊपर ऐसी तलवार चलाई सो सादल
और घोड़ाके चारों पांव दूर जा गिरे।
'ऊड मारकर
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मुंहता नैणसीरी ख्यात ताहरां मोहिल आपरो हाथ वाढि पर सादूळरै साथै वाळियो । आप पूगळ गई । जाय सासूरै पगै लागी । सुसरनं मुंह दिखाळ अर कह्यो-'सुसराजी ! म्हैं थांहरो सासूजीरो मुंह देखणो हुतो तर वासते हूं एथै आई छु ।' पछै सासू सुसरैरो मुंह देख, अर सती हुई छ । अरड़ कमल सादैनूं मार नागोर अायो। राव चूंडंजीरै पाए लागो । ताहरां अरड़कमलजीनूं रावजी दूणो वधारो दियो । डीडवांणो पटै दियो ।
इति प्ररडकमलजीरी वात संपूर्ण
... I तव मोहिल कुंवरानी ने अपना हाथ काट कर उसे सादुलके साथ जला दिया । 2 स्वयं पूगल चली गई और वहां जा कर सासूके पाँवां लगी। 3 ससुरको अपना मुंह दिखा कर कहा-'ससुरजी ! आपका और सासूजीका दर्शन करना था इसलिये मैं यहां आई हूँ। 4. राव चूंडाजीके पाँवां लगा। 5, तब रावजीने अरडकमलजीको दुगुना वधारा और . सम्मान दिया और डीडवाना भी पट्टे में कर दिया।
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अथ वात रावजी रिणामलजीरी लिख्यते
एकदा प्रस्ताव' । राव श्री चूंडैजी मोहिलरै कहै रिणमल कुंवर तेडिनै विदा दीधी । ताहरां रिणमलजी हालियो। रजपूत भलाभला हुता सु रिणमलरै साथै हुवा | ताहरां रिणमलजी ५०० असवारांसू हालियो। ताहरां रिणमलजी धणले गांम जाय उतरियो, नाडूलरै । नाडूल सोनिगरा राज करै छै । रिणमलजी गाडा ले जाय धणलै छोडिया छै । .. अठै रिणमलजीरै तीन वार भुजाई होवै। कड़ाह थाट रहै ।
पाठ-पोहर सिकार खेलै । वडी साहिबो” । ... ताहरां सोनगरै सुणियो । ताहरां सोनगरै चारण मेल्हियो ।
कह्यौ-'जायनै खबर करो। रिणमलरै कितरोहेक° साथ छ ?' ताहरां चारण आयो । प्रायनै1 रिणमल आसीस दीधी । गढवीन14 कन्है15 बैसांणियो । सोनगरां की सु वातां पूछी। तितरै भूजाईरो पधारो हुवो"। रिणमलजी ई आया। चारण→ साथै ले
आया । भूजाई-घण-देवजी-रोटा, सोहिता । ईयै भांत चारण मुंजाई .. जीमियो । कह्यो-'गढवी ! तो→19 सवारै विदा देस्यां ।' तितरै
दिन ऊगो । अर प्राय सिकारियां कह्यो-'राज ! वांसोर डूंगरयां - . . .५ वाराह रोकिया छै। तुरत चढो।' चढिया। जाय पांचै वाराह
1 एक समयकी बात। 2 राव श्री चूंडाजीने मोहिलरानीके कहने से कुंवर रिणमलको बुला कर के निकाल दिया। 3 तब रिणमलजी रवाना हुए तो जो अच्छे-अच्छे राजपूत थे वे सब रिणमलजीके साथ हो लिये। 4 तन रिणमलजी नाडूलके धरणले गांवमें अाकर ठहरे। 5 रिणमलजीने अपने गांड़े लेजा कर धणलेमें छोड़े। 6 यहां रिणमलजीके दिनमें तीन बार पक्वान्न-रसोई बनती थी। हरदम कड़ाह चलते ही रहते थे। 7 वडा वैभव
और ठाट-बाट । पाठों पहर शिकार खेलते हैं। 8 सुना। 9 तब सोनगरोंने एक चारणको भेजा। 10 कितना सा । II आकर। 12 रिणमलको। 13 दी। 14 चारणको। 15 पास । 16 बठलाया । 17 इतनेमें भंजाई तयार होकरके आई । 18 मोयन प्रादि मसाले देकर बनाई हुई एक प्रकारकी बढिया मोटी वाटी। 19 तेरेको । 20 कल सुबह । 21 उदय हुआ। 22 पहाड़ियोंमें ।
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मारने ॐठ घाल ल्याया । भूंजाई तयार हुई हुती । श्राय प्रारोगण बैठा । पातळां पुरसी छै । सहु को जोमै छै । तिसड़े प्रायने वाहरुवा कह्यो”–'राज ! पनोतेरै वाह एक वडो वाराह ग्रायौ छै ।" युंहीज ऊठियो । घोड़े पलांण' मांडियो । तयार हुय तुरत ग्रसवार चढियो । चारण साथै चढियो । चढतां भोईं कह्यो रे, पनोतेर वाहळ भूंजाई करिज्यो ।' भूंजाई ग्रोथ' जायने तयार कीधी । ग्राप जाय वाराह मारियो । जितरं" पूठो बळियो" तितरे" देखे तो भुंजाई तयार छे । ग्राय पांतिये बैठा । श्रारोगता हुता । ग्राधोइक जीमिया हुता" नै वाहरू प्राया । ग्रायनै कह्यौ - 'कोलर तळाव एक नाहर नाहरी ग्राया छै ।' ताहरां ग्रध - जीमिया ऊठिया " । चढि दोड़िया । चारण पण '' साथै चढियो । जावतां " कह गया हुता " 'कोलररै तळाव भूंजाई करज्यो ।' वळे" "भोईयां जायने" कोलर रै तळाव भूंजाई तयार करी । आप जाय नाहर मार अपूठा आया?" । ग्रा भूंजाई तयार हुई छै । अर आया । ग्रागै घणो सीरो पुड़ी देवजीरोटो" तयार हुवो छै । सरव साथ प्राय भूंजाई बैठो। भूंजाई जीमने अपूठा घरै आया ' 1
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मारग मांहै ग्रावतां चारण विदा की " । कह्यो - 'जी,
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नाडूळ निजीक छै ।' ताहरां चारणनूं विदा दी । चारणरै घोड़े ऊपरची ली" । जितरै नाडूळ हूं" " निजीक आयो । कोस १ रही । ताहरां° पुकारियो–'वाहर रे ! वाहर रे !! बाहर 31 !!! ताहरां लोक
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9 उधर ।
करने वालोंने ) कहा । 10 जितनेमें । II 14 भोजन करते थे ।
पांचों वाराहों को मार और ऊंटों पर डाल कर ले आये ! 2 थी । 3 पत्तलें परोसी गई हैं । 4 सभी भोजन कर रहे हैं । 5 इतने में ग्राकर के बाहरुयोंने ( हेरा 6 नाले पर । 7 जीन । 8. एक जाति । पीछे फिरे । लौटे । 12 इतने में । 13 आकर पंक्ति में बैठे । 15 लगभग श्राधा भोजन किया था । 16 तत्र प्राधा भोजन किये हुए ही उठ गये । 17 भी । 18 जाते हुए । 19 थे। 20 फिर 21. जा कर । 22 लौट आये । 23 एक प्रकारकी वाटी । 24 भोजन कर के वापिस घर पर आये |
25 मार्ग में आते हुए चारण रवाना हुआ । 26 नजदीक 1 ऊपरका ( निकटका ) मार्ग लिया । 28 इतने में 1 करो, पीछा करो ।
29 से ।
27 चारणके घोड़ने 30 तव । 31 पीछा
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[ ३३१ नाडूळसू अपलांणै घोड़े चढि दोडिया' । आगै देखै तो चारण कूकतो' प्रावै छै । कह्यौ-'क्यु, खोसियो के तो यूँ ?' ताहरां चारण बोलियो'रे! मोनूं न खोसियो; थांयूँ खोसिया। रे ! रिणमल नाडूळ लेहो,।' कह्यो-'रे, कदी ?' आज लेही । रे, रजपूतां ! रिणमल एथ आय रह्यो छै' । बाप काढियो छै, अर प्रो' खरच करै छ । सु कोहीकारै माथै कड़कसी ।' 'कोहीकां रै, कैरै11 ?' 'सोनगरांरै माथै ; नाडूळ लेही । का हुलार माथै कड़क, सोझत लै। बीजो किणी ही माथै नहीं । हूं पुकारू छु रे, कान दीयै, कोई ऊलै कान
सुणज्यो ! म्हारो क्युं लोजै नहीं; पण थांहरी धरती लीजै छै" । .वाहर करो" ।' ..
पछै कितराहेक दिन रिणमलजी अठै रहिनै पर्छ चीत्रोड़
पधारिया । चीत्रोड़ मांहै रांणो लाखो राज करै । चूंडो कुंवर छ । - सु चीतोड़ छतीस ही राजकुळी चाकरी करै । वडो हिंदुसथान, ... वडो राज' । अठै रिणमलजी पण दीवांणरी चाकरी करै । ... एक दिनरो समाजोग छ। रांणो लाखो सिकार चढियो छ ।
चूंडो कुंवर साथै छ । प्रागै दरवाजै नीसरतां देखै तो एक कुंभार परणीज'र पावै छै । दरवाजै माहै पैसै छै । ताहरां दीवांण ऊभो
___ 1 तव नाडोलके लोग अपने घोड़ों पर बिना जीन रखे ही सवार होकर दौड़े। 2 पुकार करता हुया। 3 तेरेको किसीने लूटा है क्या ? 4 अरे ! मुझको नहीं लूटा है, तुमको लूटा है रे ! रिणमल नाडोल ऊपर अधिकार कर लेगा। 5 अरे ! कब ? 6 श्राज ले लेगा। 7 रिणमल यहां पा रहा है। 8 बापने उसको निकाल दिया है। 9 यह। 10 सो यह किन्हींके ऊपर आक्रमण करेगा। II कोई किनके ऊपर ? 12/13 या तो सोनगरों पर आक्रमण कर के नाडोल लेगा या हुलोंके ऊपर आक्रमण कर के सोजत ले। 14 दूसरे किन्हीं पर नहीं। 15 अरे ! मैं पुकार कर कहता हूँ, कोई मेरी बात पर कान देना । कोई इधर आकर मेरी वात सुनना। 16 मेरा कुछ नहीं लिया जा रहा है; परन्तु तुम्हारी धरती ली जा रही है। 17 दौड़ कर पीछा करो। 18 कितनेक दिन रिणमलजी यहां रह कर फिर चित्तौड़ पधारे। 19 चित्तौड़में क्षत्रियोंके - छत्तीस ही राजवंश चाकरी करते हैं। 20 मान-प्रतिष्ठामें हिन्दुस्थानका बड़ा राज्य । . 21 यहां रिणमलजी भी दीवान (राना)की चाकरी करते हैं। 22 आगे जन दरवाजेसे निकलते हुए देखते हैं तो एक कुम्हार विवाह कर के पा रहा है। 23 दरवाजेमें प्रवेश कर रहा है।
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मुंहता नैणसीरी ख्यात रहियो-'कुंभारनूं श्रावणद्यो'। ताहरां कुंभार ग्राघो पायो । ताहरां दीवांण कुंभार देखनै निसासो मूंकियो । ताहरां कुंवर चवंडै दोटो । सिकार रम अपूठा पधारिया । महलां मांह पधारिया । अमराव, राव सरव वाहुड़िया । ताहरां चवंडै कुंवरनं कह्यो-'वेटा ! थेई जावो । सुख करो' ।' ताहरां चवंडै हाथ जोड़ि विनती कीधो । दोवारण वोलिया-'चवंडा काढूं कहै ?' ताहरां कह्यो-'दीवांण .. दरवाजै माहै नीसरतां निसासो क्युं मूंकियो ? किस वास्त' ?' ताहरां कह्यो-'चवंडा ! ईयै ख्याल मत पड़े ।' कह्यो-'दीवांण ! वात कह्यां ही ज व011 ।' ताहरां दीवांण वोलिया-'चवंडा ! युं नहीं । रजपूतरी बेटी परणीजीजै तैरो कासू12 ? पण आपरा सगांरी वेटी.... परणीजीजै तो वीमाह हुवो जांणीजे । ताहरां चवं. कह्यो-'भलां - - दीवांण' !' . ___ ताहरां चवंडे सरव अमराव एकठा करने पूछियौ-'ठाकुरे ! किणहीरै मोटी बेटी छै! ? ताहरां कह्यो-'राज ! रिणमलजीरै डेरै म्होटी वेटी छ ।' ताहरां चवंडै कह्यो-'रिणमलजी ! म्हांनूं गोठ करो ! ताहरां रिगमलजी कह्यो-'वाह वाह !! ताहरां रिणमलजी.
___I तब दीवान ( राना ) खड़े रहे और कहा कि कुम्हारको आने दो। (राजस्थान में दूल्हेको, चाहे वह किसी भी जातिका हो, जबकि वह मौड़ बांधे हुए विवाह करनेको जा..... रहा हो अथवा विवाह कर के लोट रहा हो-उसे परम्परासे यह सम्मान प्राप्त है कि उस : .. समय यदि बड़ेसे बड़ा कोई राजा भी सामने आ जाय तो वह राजा उस दूल्हेके सम्मानमें मार्ग ...... . छोड़ कर खड़ा रह जाता है। दूल्हा और उसकी बरात मार्ग नहीं छोड़ते। रोजस्थानमें ...... इसीलिये दूल्हेको 'दूल्हा' नहीं कहा जाता। "वींदराजा"की सम्मानीय संज्ञासे संबोधन किया जाता है।) 2 तव कुम्हार आगे आया। 3 तब दीवानने कुम्हार दूल्हेको देख करे निःश्वास छोड़ा। 4 उस समय कुंवर चूंडेने देखा। 5 जब दीवान शिकारसे वापस लौटे। .. 6 उमराव और राव सभी चले गये। 7 तब दीवान (राना) ने कुंवरं चूंडेको कहा कि तुम भी जायो और आराम करो। 8 चूंडा तुम क्या कहना चाहते हो ? 9 दरवाजेसे निकलते.. हए दीवाननै निःश्वास क्यों छोड़ा ? किसलिये? 10 तव उत्तर दिया कि चूंडा! इस बातका कोई स्याल न करो। 11 दीवान ! यह वात तो कहना ही पड़ेगा। 12/13 किसी राजपूतकी बेटीसे यदि विवाह किया जाय तो उसका क्या महत्व ? परंतु यदि किसी वरावरीके संबंधीकी पनीसे विवाह किया जाय तो वह विवाह-विवाह हो जाना जाता है। 14 दीवान ! भली . बात। 15 किसी के बड़ी लड़की है ? 16 राजन् ! रिणमलजीके घर बड़ी लड़की है । 17 रिगमलजी आप हमको दावत दें।
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मुंहता नैणसीरी ख्यात
[ ३३३ ... मंदारियारा बाकरा ४०।५० मंगाया' । घणा गाऊथी अणाया।
घणा वांना किया । मार बाकरांनै गोठरी तयारी कीधी । चवंडैजीनूं
आदमी मंकियो। 'राज ! गोठ तयार छै । जीमणनै पधारो। : मेवाड़ा ठाकुर सोह बैठा छै ।'
ताहरां चवंडो आयो। बोलियो-'रिणमलजी ! दीवांणनं पर. णावो ।' ताहरां रिणमलजी बोलिया-'थांनूं परणावस्यां । दीवांगरी
वय अवर छै' ।' ताहरां चवंडो कहै-'रिणमलजी ! थे मांहरै म्होटा सगा । म्हांनूं रजपूत करो ।' वडी हठ हुई। रिणमलजी माने नहीं। चवंडोजी छाडै नहीं। युं करतां पाछलो पोहर हुयो । ताहरां चवंडोजी बोलिया-'रे, कोई चारण बांभण भलो छै ईयारै' ?' ताहरां कह्यो-'जी, चारण चांदण खिड़ियो छ ।' ताहरां चांदण खिड़ियन
तेडि नै कह्यो- 'थारै ठाकुरनूं समझावि । एक छोरू मर ही जाय .: छै1 ।' ताहरां चांदण बोलियो-'राज! राजा थां सीसोदियांरै वडो बेटो
हुवै12 | बाकीरा फिरता फूंद्यां दो। तैं वासतै न द्यां । अर थे बाई . . मांगो छों; अर जो म्हे द्यां; अर बाईरै छोरू हुवै सो 4?' ताहरां - चवंडोजी बोलिया-'छोरू हुवै सो चीत्रोडरो धणी ताहरां
चारण कहै-'राज ! चीत्रोड़री साहिबी कुण छोडै16?' ताहरां चूडैजी ... सूस कियो" । ताहरां चांदण जाइन रिणमलजीनूं कह्यो-'राज ! ... कासू करो छो18 ?' ...... 1/2 तव रिणमलजीने बहुत दूर से मंदारियाके ४०-५० बकरे मंगवाये। 3 अनेक
प्रकारके व्यंजन बनवाये। 4 बकरोंको मार कर के गोठकी तैयारी की। 5 जूडेजीको आदमी भेज कर कहलवाया कि राज ! गोठ तैयार है, भोजन करनेको पधारें। सभी मेवाडा ठाकुर बैठे प्रतीक्षा कर रहे हैं। · 6 रिणमलजी! आपकी पुत्रीका विवाह दीवानसे करिये । .7 तुमको व्याहेंगे। दीवानकी वय अधिक हो गई है। 8 रिणमलजी ! आप हमारे बड़े संबंधी हैं, आप हमें राजपूत बनायें। (हमें यह सम्मान दें।) 9 इनके यहां समझदार चारण
ब्राह्मण भी कोई है ?. 10/II तब चांदण खिड़िये नामके एक चारण को बुला कर कहा कि ... तुम अपने ठाकुरको समझायो कि वे ऐसा ही समझलें कि उनकी एक संतान मर गई है।
12/13 राज ! तुम सिसोदियोंमें जो बड़ा बेटा होता है वही राजा होता है। शेप इधर-.. उधर मारे फिरते हैं; इसलिये हम दीवानको अपनी कन्या नहीं देते हैं । 14 तुम कन्या मांग
रहे हो; मान लो, यदि हम देदें और उस कन्याके पुत्र हो जाय तो उसका क्या होगा ? I5 पुत्र '.. होगा तो वह चित्तोड़कार वामी होगा। 16 राज ! चित्तोड़का राज्य कौन छोड़े ? 17 तब
चूंडेने इस बातकी सौगंध खाई। 18 राजन् ! क्या विचार करते हो ?
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३३४ ।
मुंहता नैणसीरी ख्यात 'पुराणोई चंदण, नवो कुकाठ' !
कासू करणो छै ? दीवांणनूं परणावो' । ताहरां रिणमलजीनें ...... चांदण नीठ पग किया । तुरत दीवांण नाळेर मेलियो ।, दीवांण पधारिया। तियेहीज दिन दीवांणन परणाया। बडा हीड़ा किया ।
दीवांण परणियां पछै तेरह मासे मोकल जायो । जाहरां पांच वरसरो मोकल हुवो; ताहरां दीवांण विसरांमियो' । ताहरां सतियां नीसरी। ताहरां राठोड़ सती हुवणरी तयारी कीवी । ताहरां चवंडोजी जाय पगै पड़ने कह्यो –'माजी ! यो काखू करो छो ? थे तो राजवाईरो टीको पावस्यो ।' ताहरां कह्यो-'थां चवंडो छै तठे म्हारै वेटैनूं टीको कठा हुसी1° ?' ताहरां चवंडै कह्यो-'माजी ! टीको मोकलरो छै । हूं मोकल रो चाकर छू।' __ताहरां चवंडै मोकलनूं तेडिनै आपरा माथारी पात्र मोकलरै माथै म्हेली। मोकलरी पाघ आपरै माथै म्हेली । अर मोकल चवंडे सलाम की12 । सारां अमरावां मोकलनं सलाम कीधी। ताहरां मोकलरी मा चवंडै दवा दीन्ही । कह्यो-'चवंडै कियो ज्युं को करै नहीं। या चीतोड़री साहिबी तैं मोकलनूं दीन्हीं । और जे हूं
I पुराना होने पर भी चंदन, चंदन ही कहलाता है, वह काष्ठ नहीं कहलाता, परंतु दूसरा काष्ठ नया ही क्यों न हो, वह कुकाठ है, उसमें कोई सुगंध नहीं होती। 2 सोचना क्या है ? दीवान को व्याह दो। 3 चाँदरणने रिणमलजीको बड़ी मुश्किलसे तैयार किया। 4 तुरंत ही दीवानको नारियल भेज दिया गया। 5 उस ही दिन दीवानको व्याह दिया और खूब सेवाचाकरी की। 6 दीवानके विवाह करनेके १३ मास वाद मोकलका जन्म हुआ। 7 मोकल. . जब पांच वर्षका हुया तब दीवान घाम पहुँच गये। 8/9 उस समय जब स्त्रियां सती . .. .. होनेको निकलीं तो उनमें मोकलकी मा (रिणमलजीकी पुत्री) राठौड़ रानीने भी सती होनेकी ... तैयारी की। तव चूडेने उसके पांवों गिर कर कहा--'माताजी! आप यह क्या कर रही हैं ? . .
आप तो राजमाताका सम्मान प्राप्त करेंगी।' 10 'चूंडा ! तुम मौजूद हो तो मेरे वेटेको टीका कहांसे होगा ?' II 'माताजी ! टीका मोकलको मिलेगा, मैं तो उसका सेवक हूँ।... 12 तव चूंडेने मोकलको बुला कर अपने सिरको पघड़ी उतार कर मोकलके सिर पर ...... रख दी और मोकलंकी पघड़ी अपने सिर पर रख दी और फिर चूंडेने मोकलको प्रणाम किया। .. 13 उस समय मोकलकी मांने चूंडेको आशिप दी। 14 राठोड़ रानीने कहा-'चूंडा ! तूने जो काम किया है वैसा कोई नहीं कर सकता, यह चित्तौड़का राज्य तूने मोकलको दे दिया।
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[ ३३५ सती हूं तो म्हारो वचन सत्य छ, आ धरती मेवाड़री थांहरै पेटरां रै रहिज्यो।' इसो वचन राठवड़ कह्यो, सु आज लग पाळं छै । - रांणो मोकल चित्रौड़ राज करै।। .... एकदा प्रस्ताव । राव रिणमलजी छड़बडै साथसूं जात्रा करण पधारियो हुतो । पछै जात्रा कर पूठो पधारियो हुतो। सु मारगमें
आवतां ढूंढाड़ माहै राजा पूरणमल हुतो' । तियै कह्यो – 'म्हारा' .... चाकर रहस्यो ?' ताहरां कह्यो—'रहिस्यां' ताहरां कह्यौ-'भला' ।
एक दिन चोगानमें रमता, पूरणमलरै जोधो नै कांधळ साथै . हुता। सुं कांधळ जेठी घोड़े चढियो हुतो। सु घोड़ो पूरणमल दीठो ।
ताहरां मांगियो । ताहरां कांधळ कह्यो-'रिणमलजीनें पूछियां विना न देऊ ।' ताहरां पूरणमल कहै-'जोर ही घोड़ो लेईस11 ।' ताहरा जोधो
कांधळ डेरै आया। रिणमलजी कनै12 प्राय घोड़ारो वात कही। .. ताहरां घाटा रोकाया13 । अर घोड़ो लेणरी साजत मांडी छै14 ।
ताहरां रिणमलजी, जोधो, कांधळ बीजो ही सरब साथ लेने पूरणमलरै दरबार प्राया। जेथ पूरणमल बैठो हुतो तेथ गोडो दाबि अर जाय बैठा15 । बैस पर कर्णनं हाथ घातियो। कणो पकड़ पर ऊभो कियो । बाहिर ले आया। आय अर घोड़े चढ़िया । घोड़ो बेळास कियो"। पूरणमलनूं चाढियो । ताहरां पूरणमलरो रजपूत मारणनूं आयो । ताहरां कटारी काढी। इसड़ा हुवा जु पूरणमल मारै18 | ताहरां पूरणमल रजपूत पालिया । ताहरां उठारा चढिया पूरणमलनूं
... I मैं जो सती हूँ तो मेरा यह वचन सत्य जानना कि मेवाड़की धरती सदा तुम्हारे वंशजोंके पास बनी रहेगी। 2. राठौड़ रानीके कहे हुए इन वचनोंका अाज तक पालन किया जाता है।... 3 एक बारकी बात है। 4 राव रिणमल अपने थोड़ेसे आदमियोंके साथ तीर्थयात्रा करनेको गया था । 5 यात्रा कर के लौट रहा था। 6 आते हुए । 7 था । 8 उसने • कहा। 9 हमारे । 10. उस घोड़ेको पूर्णमलने देखा। II घोड़ा जबरदस्तीसे ले लूंगा। 12 पास। 13 पूर्णमलने सभी मार्ग रुकवा दिये। 14 और घोड़ा लेने की तैयारी हो रही है । IS जहां पूर्णमल बैठा था, वहां जाकर उसके घुटनेको दवा कर बैठ गये। 16 बैठ कर के पहुंचेमें हाथ डाला । पहुंचा पकड़ कर के उसे खड़ा कर दिया। (करणो = १ पहुंचा २ कमर ३ गरदन) 17 एक घोड़ेके ऊपर दोनों सवार हुए। 18 ऐसा ढंग बनाया कि मानो पूर्णमलको मार रहे हैं। 19 तब पूर्णमलने राजपूतोंको रोक दिया।
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लेहीज प्राया । ढूंढाड़ मांहै प्रायने उठे पूरणमलनूं भक्ति कर घोड़ो दै र विदा कियो' | कह्यो - 'म्हां कनां घोड़ो युं लीजै । ज्युं थां लेणो मांडियो त्युं न लीजै ।
पछै रिणमलजी नागोर प्रायो । जाहरां राव चूंडोजी कांम ग्राया, ताहरां टीको रिणमलजीनं हुवो। ताहरां रावजीरो जीव हुतौ जु'कान्हैनूं टीको देज्यो' ।' ताहरां रिणमलजी कान्हैनूं नागोर दियो । सतैनूं राव चूंडे मंडोर पैहलीहीज दियो हुतो । रिणमलजी सोभत रहता, रावजी दियो हुतो' ।
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ताहरां भाटियां सूं वैर । सु रोज चढै, धरती भाटियांरी मारै'। ताहरां भुजो संढायच प्रधान वरणाय भाटियां म्हेलियो । ताहरां भुजै राव रणमलजीनं गुण को " । ताहरां राव रिणमलजी को - 'हमें न मारूं'" ।' ताहरां भाटियां राव रिणमलजीनूं परणाया राव जोधो भाटियांरो दोहितो " ।
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ताहरां राव रिणमल, जो नरबदसूं वेढ कीवी' । ताहरां नरबद घावै पड़ियो । एक आंख फूटी । तीर लागो" । रजपूत कांम आया । रिणमलजी मंडोवर लोधी ' " । मडोवर मांहै सतो हुतो ।
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1/2 ढूंढाड़ में आकर के * वहां पूर्णमलको भोजन आदि की खातिर कर के और उस घोड़ेको देकर उसे अपने घर रवाना किया और कहा कि हमारे पाससे घोड़ा इस प्रकार लिया जाता है, जिस प्रकार तुमने लेनेका इरादा किया था उस प्रकार हमारा घोड़ा नहीं लिया जा सकता ।' 3/4/5 जब राव चूंडोजी काम श्रां गये तो राज्य तिलक रिणमलजीको हा | परन्तु रावजीने यह इच्छा प्रकट की थी कि टीका कान्हाको देना, ग्रतः रिणमलजी ने ( अपना अधिकार त्याग कर ) कान्हाको नागोर दे दिया 1 6 सत्तेको राव चंडेने पहिले ही मंडोर दे दिया था | 7 राव चंडाजीने रिगमलजीको सोजत दे रखा था, सो वे सोजत में रहने लग गये । 8/9 उन दिनों में भाटियोंसे शत्रुता चल रही थी, सो हमेशा चढाई कर के भाटियों के देश में विगाड़ करते हैं । 10 तव भाटियोंने चारण भुजा संढायचको मुखिया बना कर के रिमलजीको राजी करने के लिये भेजा । II भुजेने राव रिगमलजीका यशगान किया । 12 तव रिणमलजी प्रसन्न हुए और कहा कि 'अव में उनका बिगाड़ नहीं करूंगा।' 13 इस पर भाटियोंने राव रिणमलको प्रपनी कन्या व्याह दी। राव जोधा भाटियों का दोहिता । 14 राव रिगमल प्रोर जोधाने नरवदसे लड़ाई की । IS नरवंदके तीर लगने से उसकी एक ग्रांख फूट गई और ग्राहत होकर गिर पड़ा । 16 रिणमलजीने मंडोर पर अधिकार कर लिया ।
* यहां राव रिमलका पूर्णमलको लेकर ढूंढाड़से बाहिर ग्रा जाना होना चाहिये। ढूंढाड़में तो वे थे हो ।
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[३३७ अांखै जखम हुतो'। ताहरां राव रिणमलजी कह्यो-'सतानूं कोट
माहेरौँ मतां काढो ।' ताहरां सताने कोट मांहै राखियो। ताहरां राव - रिणमल सतेनूं मिळण पधारिया। रिणमलजी सतैनूं मिळियो। बैठो। - पगै लगायो । ताहरां जोधो कुंवर पगै लागो । ताहरां जीनसाल पैहरियां, हथियार वांधियां पगै लागो । ताहरां सतै जोधारै पूठे हाथ दियो । ताहरां जीनसाल हाथनूं लागी । ताहरां सतै पूछियो-'रिणमल प्रो कुण' ।' ताहरां कह्यो-'राज ! रावळो गुलांम छै, जोधो ।' ताहरां सतै कह्यो-'रिणमल ! टीको जोधैनूं देई, धरती जोधो राखसो ।'
को-'भलां राज1 ।' ताहरां रिणमलजी टीकाइत बेटो जोधो - थापियो । अाप मंडोवर ले जोधा दियो। आप नागोर पधारिया।
.. उठे एक दिन बैठो राव रिणमल बोलियो-'ठाकुरे ! चीतोड़रा ... समाचार आजकाल न आवै, कासू छैन ?' युं करतां एक दिन आदमी . आयो'" । कागद दियो नै कह्यो-'मोकल मारियो ।' ताहरां रावजी
वोलिया। कह्यो-'रे, मोकल मारियो' ?' पछै कागळ वचाया ।
रिणमलजी मोकलनूं पांणी दियो। नै पाप चीतोड़नूं मतो कियो । - ताहरां २१ पांवड़सांणा हुतो। पांवड़सांण ऊभी रहनै कह्यो-'भाई !
मोकल रो वैर लीय पछै काई वात करस्यां। सीसोदियांरी दीकरयां हूं वैरमें राठवड़ांनूं परणाऊं तो हूं रिणमल'।' ताहरां रिणमलजी . I मंडोरमें सत्ता था और वह अांखोंसे लाचार था। 2 सत्तेको कोटमेंसे मत निकालो। 3 सब साथ वालोंको उनके पाँवों लगाया। 4 कुंवर जोधाजी कवच पहिने हुये और हथियार बांधे हुए उनके पांवों लगा। 5 तव सत्ताने जोधाकी पीठ पर हाथ दिया। 6 कवच हाथको लगा। 7 तव सत्तेने रिणमलको पूछा-'रिणमल यह कौन ?' 8 उत्तर दिया कि राज ! यह आपका गुलाम जोधा है। 9 तब सत्तेने कहा-रिणमल ! टीका जोधाको देना । घरतीको जोधा रख सकेगा। 10 बहुत अच्छा महाराज! 11 तब रिणमलजीने अपने पुत्रों मेंसे जोधाको टीकायत स्थापित किया। 12 आपने मंडोरको लेकर जोधाको दे दिया
और स्वयं नागोर चले गये। 13 वहां एक दिन बैठे हुए राव रिणमलजीने कहा-'ठाकुरो ! : आजकल चितौड़के कोई समाचार नहीं मिल रहे हैं, क्या बात है ? 14 इस प्रकार प्रतीक्षा करते-करते एक दिन प्रादमी आ ही गया। 15 उसने पत्र दिया और कहा-'मोकल मारा गया । 16 अरे! मोकल मारा गया ? 17 रिणमलजीने मोकल को जलांजलि दी और खुदने चित्तौड़ जानेका विचार किया। 18 मोकलके बैर का बदला लेनेके बाद फिर कोई बात करेंगे। 19 सिसोदियोंकी पुत्रियोंको इस बैरके बदले में राठौड़ोंको व्याह दूं तो मैं रिणमल ।
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मुंहता नैणसीरी ख्यात कटक करनै चीतोड़ गया । ताहरां सीसोदिया नासि पईरै भाखरै जाय ... पैठा। घाटा वांधि अर जाय वैठा । ताहरां रिणमलजी जाय भाखर रोकियो । छव मास हुवा, भाखर भिळे नहीं । ताहरां भाखर माहिलो मेर ईयां काढियो हुतो सु प्रायनै रिणमलजीसौं मिटियो । तिय कह्यो-'जे दीवांणरो परवांणो हुवै तो हूं प्राय मिळां ।' ताहरां रिणमलजी परवांणो कर दियो। ताहरां ५०० जीनसालिया करने रिणमलजी पहाडनूं हालिया। ताहरां मेर कह्यो-'जी, मास १ लग धीरा रहो।' कह्यो-'क्युंजी ?' 'मारगमें नाहरी व्याई छै ।' ताहरां रिणमलजी कह्यो-'नाहरी म्हे जांणां, तूं हालि° ।' ताहरां प्रादमी ५०० पाळा जीनसालिया करनै रिणमलजी चढिया छै। आगै मैणो .. छै । ताहरां हालतां-हालतां नाहरी नजीक आई, ताहरां मैणो ऊभो रह्यो-'जी, प्रागै नाहरी छ।' ताहरां रिणमलजी बेटै अड़मालनूं कह्यो'हां!' ताहरां अड़माल नाहरी वतळाई' । ताहरां तूट अर आई। ताहरां नाहरीनूं कटारीसूं फाड़ नांखो। पछै अाघा हालिया। आगे पहाड़ माहै लेजाइ चाचै मेरैरै घरां मांहै ऊभा राखिया | ताहरां केई चाचेरै घरै चढिया; केई मेरै घरै चढिया। रिणमलजी महपैरै घरै चढिया। रिणमलजीनूं प्रतंग्या हुती15। 'स्त्री पुरुषरै भेळा थकां न जावतो" | ताहरां बारण17 ऊभा रहिनै कह्यो-'महपा! आव... बाहिर ।' ताहरां महपो स्त्रीरा कपड़ा पैहर धूंघट काढि अर नीसर . .. ... गयो । ताहरां रिणमलजी कह्यो-'महपा ! श्राव बाहिरै ।' ताहरां
1 तब सिसोदिये भाग कर पहीके पहाड़ोंमें जा घुसे । 2 सभी पहाड़ी मार्गोको रोक कर के जा बैठे। 3 तव रिणमलजीने भी जाकर पहाड़को घेर लिया। 4 छ मास हो गये परन्तु पहाड़ सर नहीं होता। 5 पहाड़ में से एक मेर को इन्होंने निकाल दिया था, वह रिणमलजीसे आकर मिला । 6 यदि दीवानका परवाना हो तो मैं आपमें आकर मिल जाऊं । 7 तब ५०० कवचधारी तैयार कर के रिणमलजी पहाड़को चले। 8 एक मास तक धीरज रखो । 9 मार्ग में नाहरीने बच्चे दिये हैं। 10 तब रिणमलजीने कहा-'नाहरीको . . हम समझ लेंगे-तू आगे चल । II तव रिणमलजीने अपने बेटेको कहा-'हां! मारदो !' ..... तब उसने नाहरीको छेड़ा। 12 तव नाहरी टूट कर सामने आई। 13 अड़मालने नाहरीको कटारीसे चीर दिया और फिर आगे चले । 14 पहाड़में लेजा कर सबको चाचा और मेरेके घरों के पास खड़ा कर दिया। 15/16 रिणमलजीकी प्रतिज्ञा थी कि जहां स्त्री और पुरुष (पति-पत्नी) दोनों एक जगह हों वहां वह नहीं जाता था। 17 द्वार पर । 18 निकल गया।
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[ ३३६ अोळगांणी' बोली-'राज ठाकुर तो म्हारा कपड़ा ले अर पधारिया । हूं कपड़ा बाहिरी बैठी छु ।' ताहरां रिणमलजी पूठा पधारिया । चाचो, मेरो मारिया । बीजा ही सीसोदिया घणा मारिया । ... दिन ऊगो, ताहरां रिणमलजी सीसोदियारा माथा वाढि चंवरी रचाय, तियांरी चोक्यां कीवी । तियां ऊपर बरछारी वेह मांडी। अर सीसोदियांरी बेटियां राठोड़ा परणाई। च्यार पोहर दिन वीमाह किया। अठै मेवासो भांजि ठोड़ मेरनूं दे अर चोत्रोड़ पधारिया । रिणमलजी कुंभैनूं टीको दियो । बीजा ही जिके सीसोदिया जिके फिरिया हुतां तियां मार, देस माहितूं काढि सावळ किया। रिणमलजी कुंभैनूं धरती साझ दीनी'°। कुंभो सुखसूं राज करै छ ।
ईयै जिनस देस सरब रिणमलजी वस कीधो छ । जाणे जियेनूं काढे11 । ....... एकदा प्ररतावा। चाचै मेरेरा बेटा रांणैजीसू आय मिळिया। महपो पमार आय मिळियो । हिवै महपो पमार रोग कुंभ कहै'धरती राठोड़े लीधी । धरतीरा धणी राठोड़ हुआ ।' . एक दिन रांणो कुंभो पोढियो छै । अको चाचावत पगै हाथ दै . छै । सु अकैरै प्रख्यां हूं आंसू ढळिया । ऊना टिबका रांणारै पगां ऊपर ढळिया, ताहरां रांणो जागियो । देखे तो अको रोवै छै । ताहरां
... I ओळगांणी = १ वियोगिनी। परदेशिनी। २ यश गानेवाली ३ स्त्री। 2 मैं वस्त्रहीन बैठी हुई हूँ। 3 तब रिणमलजी वहांसे लौट गये। 4 दूसरे भी बहुतसे सीसोदियोंको मार दिया। 5 दिन उग जाने पर रिणमलजीने चौंरीकी रचना की, सिसोदियोंके सिरोंको काट कर के उनकी चौकियां बनवाई। 6 उन चौकियों पर बरछोंकी वेह स्थापित की और सिसोदियोंकी कन्याओंका राठौड़ोंसे विवाह किया। वह = १ विवाहमंडप २. मंगल-कलश । विवाहमें स्थापित घट। - ३. नीचेसे ऊपरकी ओर क्रमशः छोटे, ऐसे ऊपरा ऊपरी रख कर की जाने वाली मिट्टीके सात घड़ोंकी स्थापना। विवाह-मंडपके चारों कोनों में ऐसी चार घट-श्रेरिणयां स्थापित की जाती हैं ।] 7 चारों पहर दिनमें विवाहोंका यही क्रम चला। 8 यहांका अड्डा तोड़ कर के वह जगह मेरको दी और स्वयं चित्तौंड पधार गये। 9 दूसरे जो सिसोदिये बागी हो गये थे उनको मार दिया और कइयोंको देशमेंसे निकाल दिया। इस प्रकार सबको सीधा कर दिया। 10 रिणमलने देशको निष्कंटक बना कर कुंभाको सुपर्द कर दिया। II इस प्रकार रिणमलजीने सारे देशको अधिकार में कर लिया है। चाहे जिसको निकाल देते हैं। 12 एक वारका जिक्र है। 13 अंब। 14 राठोडोंने देश ले लिया। 15 अक्का चांचावत पगचंपी कर रहा है । 16 सो अक्केकी अांखोंसे ग्रांस गिरे। 17 गरम बूंदें पैरों पर पड़ी तो राना जगा।
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मुंहता नैणसीरी ख्यात कहियो-'अका ! क्यों ?' कह्यो-'जी धरती सीसोदिया हं गई, राठवड़े लई। ते मोनूं दुख पावै छ ।' ताहरां रांणो बोलियो-'अका ! रिणमलजीनूं मारस्यो ?' कह्यो-'दीवांणरा पूठे हाथ हुसी तो मारस्यां।' ताहरां रांण हुकम कियो । 'रिणमलनूं मारो'। युं रोज अालोच करै ।
एक दिन राव रिणमल तळहटी पधारिया हुता। उठे आपरा लोक सर्व एकठा मिळिया । ताहरां रिणमलजीरो डूंम हुतो सु वोलियो -'याज काल्हि दीवांणरै अर थांहरै किण ही सौं चूक छै । ताहरां रिणमलजी कह्यो-'म्हारै तो चूक किण ही सौं नहीं।' तो कहियो-'दीवांणरै थांहीजसौं चूक छै'। जोधो कुंवर तळहटी राखज्यौ, थे गढ ऊपर रहो छो, तो कुंवर तळहटी राखज्यो ।' ताहरां रिणमलजी तो गढ ऊपर रहै । कुंवर सरव तळहटी रहै ।
एक दिन रांणो कुंभो बोलियो-'रावजी ! जोधो प्राज-काल न दीसै, कठै छै ? ।' रावजी वोलिया-'तळहटी छ ।' घोडांनं चारै छ। तो कह्यो-'ऊपर बोलावो।' ताहरां कह्यो-'वोलावस्या ।" ताहरां जोधेनूं राव रिणमलजी कहाड़ियो 11-'म्हे तेडावां तोई जोधा तूं मतां आवै ।' ताहरां एक दिन राणे कुंभ महप पमार, अकै चाचावत ईयां पालोच कियो । आज रिणमलनूं मारस्यां । रातरा पोडिया मारस्यां15।' रातरो चूक कियो । रात कुंभो पोढियो
____उसने कहा कि धरती सिसोदियोंसे गई, राठोड़ोंने ले ली; इस वातका मुझको दुख हो रहा है। 2 अवका ! रिणमलको मार दोगे ? तो उसने कहा कि पीठ पर यदि दीवानके हाथ होंगे तो मार देंगे। 3 एक दिन राव रिणमलजी तलहटी गये हुये थे। 4 वहां उनके सभी प्रादमी इकट्ठ होकर मिले। 5 उस समय रिणमलजीका एक डूम था सो वह बोला। 6 अाजकल दीवानको अापके किन्हीं पर नाराजी है (किसीको छलसे मार देनेकी बात सुनी जाती है।) 7 दीवानका यह धोखा आप हीके साथ है। 8 आप गढ पर रहते हो तो कुंवरको तलहटी में रखना । 9 जोधा आज-कल दिखाई नहीं दे रहा है, कहां है ? 10 बुला लेंगे। II तब रिणमलजीने जोवाको कहलवाया । 12 हम बुलावें तो भी जोधा तू पाना मत। 13 तव एक दिन राणा कुंभा, महपा पवार और अक्का चाचावत, इन सवने मिल कर परामर्श किया। 14 आज रिणमलको मार देंगे। I) रातको सोते हुएको मार देंगे। 16 रातको धोखा किया।
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मुंहता नैणसीरी ख्यात
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ऊठे, बैसे महिल हूं बारै जावै, फेर मांहि ग्रावै । ताहरां रांणी पूछियो- 'दीवांणजी ! आज कासूं छे ? दीवांण किणहीसौं चूक कियो छे ?" कह्यो - 'हवे । ताहरां रांणी बोली- देखिया ! हराम - खोरांरै कहै कोई रिणमलसूं चूक करता हुवो ? ' * ताहरां बोलिया म्हां तो रिणमल मरायो ।" रांणी बोली- 'कासं कियो ?" थांरै बाप वैर लियो, थांनू टीको दियो, थांरी धरती वसाई, तैरै वासतै थे मरावी ? थांसूं रिणमल कासूं वुरो कियो छे ?" ताहरां दीवांण छोकरी मेल्ही - 'जायने महिपैनं तेड़ि ल्याव । फुरमायो सु मतां करो ।" ताहरां छोकरी जायने कह्यो - 'महपाजी ! थांनूं दीवाण कांम फुरमायो छै सु हिवडां मत करो। " थांनूं दीवाण बुलावै छै ।'' ताहरां जांणियो- 'रिणमल जीवियो तो म्हे मरस्यां ' 12 ताहरां छोकरीनं माळा दीन्ही र कहियो - ' तूं कहे, कांम थां मासुको । छोकरी पाछी फिरी । श्रायनै रांणनूं कह्यो ।
'
कहियो - 'थांनूं कांम
113
ईंयां जायन रिणमलजी पोढिया हुतांनूं घाव कियो ।" ताहरां कटारीसूं एक रजपूत पोढियां ही मारियो । एक लोटै मारियो ।
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रातको कुंभा सोता हुआ कभी उठता है, कभी बैठता है, कभी महलके बाहर जाता है और फिर भीतर आता है। 2 दीवानजी ! आज क्या बात है ? किसीको दगा कर के मारनेका विचार किया है क्या ? 3 हां । 4 देखना ! कहीं हरामखोरोंके कहने से -रिमल के साथ चूक तो नहीं कर रहे हो ? 5 हमने तो रिणमलको मरवा दिया । 16 रानीने कहा - 'यह श्रापने क्या किया ? 7 उसने तुम्हारे बापको मारनेके बैरका बदला लिया, तुम्हारा राज्य- तिलक किया और तुम्हारे देशको फिरसे बसाया -- इसीलिए तुम उसे मरवा रहे हो ? तुम्हारे साथ रिगमलने कौनसा बुरा किया है ?' 8 तब दीवानने दासीको भेजा कि जाकर महिपेको बुला ले आ । 9 कहलवाया कि तुम्हें जिस कामके करनेके लिए आज्ञा दी गई है, वह मत करना | 10 / 11 तब दासीने जाकर कहा -- 'महिपाजी ! तुमको जिस कामको करनेकी दीवानने प्राज्ञा दी है उसे अभी तक मत करो। तुमको दीवान बुला रहे हैं । 32 तब उसने सोचा- 'यदि अब रिमल जिन्दा रह गया तो हम मारे जायेंगे । '13 तव दासीको एक माला दे कर कहा--'तू यह कह देना कि जो काम आपने फरमाया था सो कर दिया गया है । 14 इन्होंने जाकरके सोते हुए रिणमल पर प्रहार किया । [ ऐसा कहा जाता है कि राव रिणमल नींद में सोया हुआ था । षड़यंत्रकारियोंने उसे लंवे वस्त्रसे खाट सहित लपेट कर खाट के साथ बांध दिया, जिससे वह उठ कर उनका मुकाबला न कर सके । परन्तु रिणमलने ग्राहत अवस्थामें भी खाट सहित उठ कर उन लोगोंको मार दिया। उसके बाद उसका भी प्रारणांत हो गया ।]
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३४२ ]
मुंहता नैणसीरी ख्यात एक लाततूं मारियो । जणा तीन मारिया । रिणमलजी काम आयो। ___ ताहरां छोकरी मोहल चढि पुकारी- राठोड़ा ! थांहरो रिणमल मारियो । ताहरां तळहटी सुणियो । ताहरां जोधो, कांधळ, बीजो ही साथ सरव चढ नींसरियो। वासै फोज आई। लड़ाई हुई। कितराएक ठाकुर कांम पाया। चरड़ो चंद्रावत काम प्रायो। सिवराज, पूनो, ईंदो, भाटी, विजो । चरडे साद कियो-'वडा विजा !' ताहरां एक बीजो विजो हुतो, तिको वोलियो-'फाड़-फाड़ मुंहड़ो, . ... - आप मरतां बीजा ई नूं ले मरै ।' ताहरां चरड़ों बोलियों-हूं तोनूं नहीं कहूं छू ; हूं विजै ईंदै कहूं छ, कस्तूस्यैि मृघनूं, ऊगमडैरै पोतरै-.... नूं।" प्रोथ विजो ईदो चरडैरै कनै काम आयो। भीमो, वैरसल, .... वरजांग भीमावत काम आया । भीमो चवंडावत पकड़णी प्रायो।'
मांडळरै तळाव घोड़ानूं पांणी पायो, ताहरां एक तरफ जोधो नै सतो दोनूं हुता । दोय असवार घोड़ा पावता हुता । एका तरफ कांधळ घोड़ो पावतो हुतो । ताहरां कांधळ एकल असवारै घोड़े पावतांनूं वतळायो । ताहरां जोधै कांधळरो साद अोळखियो ।11 तोहरां जोधै कांधळनं बोलायो । बेऊ भाई एकठा हुवा । जोधे कांधळ रावतपणैरो टीको दियो।13 अ ठाकुर मारवाड़ माहै आया।
I उस समय राव रिणमलने उस हालतमें सोते-सोते ही एक राजपूतको तो. कटारीसे, एकको लोटेसे और एकको लात मार कर मार दिया, तीन जनोंको मार दिया। 2 तब .. दासी महल पर चढ कर पुकारी- राठोड़ो ! तुम्हारा रिणमल मारा, गया है। 3 तव .... जोषा और कांधल आदि दूसरा सव ही साथ सवार हो कर वहांसे भाग निकले। 4 उनके ... पीछे फौज चढ कर पाई, लड़ाई हुई जिसमें कितने ही. ठाकुर काम आ गये। 5 चरडेने ...
आवाज दी-'अरे यो ! बड़ा विज़ा !' 6 तब एक दूसरा. विजा था सोः बोला-'मुंह फाड़फाड़ कर क्यों वकता है, खुद मरताः हुआ दूसरोंको भी ले मरता है ? 7 तव चरड़ेने कहा-मैं तुझको अावाज नहीं दे रहा हूँ, कस्तुरीमृग वाले ऊगमड़ेके, पोते. विजा. ईदेको पुकार रहा हूँ। 8 वहां चर के पास विजा इंदा तो काम प्राः गया. था। 9; भीमा चूंडावत पकड़ा गया.। 10 तब कांधलने घोड़ेको पानी पिलाते हुए एक सवारको बतलाया । . II तव जोधेने कांधलकी आवाज पहिचान ली । 12: दोनों भाई मिले। 13: जोधेने वहीं .. :: कांधलको रावताईका टीका दे दिया । 14 फिरः ये सभी ठाकुर मारवाड़में आ गये। . . . . .
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मुंहता नैणसीरी ख्यात
[ ३४३
दूहा आगै सूर न काढिया, तुंगम काढी आय । जे मिस रांणो संजड़ी, लेई रिणमल राय ।। १ राय रिणमल नींद भरै, आवध लोह घण ऊबरै । कटारी काढी मरद घणो, तिम प्रागै सूर न तुंग किणी ॥२ तो दिन्नं मेवाडं, तो वियप्प कापियं सीसं । ना ऊ रयण वहीजै, वैसास कुंभकरणं कृतघ्नं ।। ३ जे रिणमल होवत दळ अंतर, कुंभकरन्न वहंत केणि पर । माथा सूळ सही सुरतांणां, प्रो समुंद्रां वरतावत आणां ॥४
जे वरतावी आण बेहूं सिंघां वीचाळे , हिंदू अनै हमीर मीर जे लुळिया भाळे । जे भग्गो पीरोज, खेत्र जेत्राई खेड़े ,
जे मारै महमंद, गज मारै संभेडै । रिणमल्ल राव विसरांमियौ, कुंभा की मन विक्कसै ? छळियो छदम से कूड़ कर, जेम सीह प्रागै ससै ॥ १
रावजी श्री रिणमलजीरी वात संपूर्ण ।
।। शुभं भवतु ॥ कल्याणमस्तु ।।
400
..:
(इन छन्दोंमें राव रिणमलकी वीरताका, मोकल और कुंभकर्णके साथ मेवाड़में किये गये राव रिणमलके उपकारोंका एवं कुंभकर्णकी कृतघ्नता और विश्वासघातका वर्णन किया गया है। छन्द अशुद्ध हैं ।)
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GOVERNMENT OF RAJASTHAN
RAJASTHAN ORIENTAL RESEARCH INSTITUTE
JODHPUR (INDIA)
BG
Hon, Director, Padmashree Muni Jinvijaya, Puratattvacharya
बायरायविधानिधान
SES
CA
DOODUD
13 DEDO
LEGO
.
PUBLICATIONS RAJASTHAN PURATANA GRANTHAMALA
General Editor: PADMASHREE MUNI JINVIJAYA, PURATATTVACHARYA
DECEMBER, 1961
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Page #355
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PUBLICATIONS
Up to July, 1961
RAJASTHAN PURATAN GRANTHAMALA
(General Editor-Padmashree MUNI JINVIJAYA, Puratattwacharya ) Rajasthan Oriental Research Institute, Jodhpur. November 1961,
A. SANSKRIT
1. Praman-manjari - by Sarvadeva, with commentaries by
Advayaranya, 'Balbhadra and Vaman Bhatt, ed. by Pattabhiram Shastri, Ex-Principal, Maharaja's Sanskrit College, Jaipur, now Prof. of Darshan, University of Calcutta.
-Rs. 6.00 2. Yantraraja-rachana-An astrological work written under
orders of Maharaja Sawai Jai Singh of Jaipur, ed. by Late Pt.
Kedar Nath Jyotirvid, Editor, Kavyamala Series. -Rs. 1.751P. 3. Maharshikul-vaibhavam Pt. I-by Late Vidyavachaspati
Madhusudan Ojha, ed. by Mahamahopadhyaya Pt. Giridhar Sharma Chaturvedi.
--Rs. 10.75 nP. 4. Maharshikul-vaibhavam Pt. II, Text.-by Late Vidyavacliaspati Madhusudan Ojha, ed. by Pt. Pradumna Ojha.
- Rs. 3.50 np. 5.:. Tarksamgrah--by Annam Bhatt with commentary of
Kshmakalyan Gani, ed. by Dr. Jitendra Jetli, MA., Ph.D.,
Prof., Ramananda Arts College, Ahemdabad. -Rs. 3.00 6. Karakasambandhodyota-by Rabhas Nandi, ed. by 4: H.P. Shastri, M.A., Ph. D., Vice Principal, B. J. Institute Vidya Bhawan, Ahemdabad.
-Rs. 1.75 nP. Vrittidipika--by Mouni Krishna Bhatt, ed. by Purushottam Sharma Chaturvedi, formerly Prof, Mayo College; Ajmer.
-Rs. 2.00 Shabdaratnapradipa—by an unknown author ed. by H.P. Shastri, M.A., Ph. D., Vice Principal, B. J. Institute Vidya Bhawan, Ahemdabad.
-Rs. 2.00
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[ 2 ] 9. Krishnagiti—by Somanatha, ed. by Dr. Priyabala Shah, M.A., :: Ph. D., D. Litt., Prof., Ramanands Arts College, Ahemdabad.
-Rs. 1.75 1P.
10. Nritt-samgrah-a treatise on Indian Dance--by an un
known author, ed. by Dr. Priyabala Shah, MA., Ph.D., D. Litt., Prof, Ramananda Arts College, Ahemdabad. -Rs. 1.75 nP.
11.
Shringarharavali--by Shri Harsha Kavi, ed. by Dr. Priyabala Shah, MA., Ph. D., D. Litt., Prof., Ramananda Arts College, Ahemdabad.
-Rs. 2.75 nP.
12. Rajvinod Mahakavyam-by Udairaj, a medieval Sanskrit
poem on the life and achievements of Mahmud Begra, Sultan of Ahemdabad, ed. by G. N. Bahura, M. A., Dy. Director, Rajasthan Oriental Research Institute, Jodhpur. ' -Rs. 2.25 nP.
13. Chakrapanivijaya Mahakavyam-by Lakslimi Dhar Bhatt,
a romantic Sanskrit poem based on the love story of Usha and Aniruddha, ed. by K.K. Shastri, Curator and Prof, B., J. Insti
tute, Gujrat Vidya Sabha, Ahemdabad. -Rs. 3.50 np. .. 14. Nrityaratna-Kosha Pt. 1–by Maharana Kumbhakarna
Deva of Chittore; a long awaited authentic treatise on Indian Dance, ed. by R. C. Parikh, Director, B. J. Institute, Gujrati Vidya Sabha, Ahemdabad.
Rs. 3.75 15. Uktiratnakar-by Sadhu Sunder Gani, ed. by Puratattwacharya
Muni Jinvijayaji, Hon. Director, Rajasthan Oriental Research Institute, Jodhpur. .
-Rs. 4.75 nP. :: 16. Durgapushpanjali--by Late Mahamahopadhyaya Pt. Durga
Prasad Dwivedi, ed. by G. D. Dwivedi, Lecturar, Maharaja's Sanskrit College, Jaipur.
.-Rs. 4.25 nP.. 17. Karnakutuhal and Shri Krishnalilamritam --by Mahakavi
Bholanath, a protege of Sawai Pratap Singh of Jaipur, ed. by G. N. Bahura, M.A., Dy. Director, Rajasthan Oriental Research Institutc, Jodhpur.
-Rs. 1.50 nP.
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[:3] 18. Ishwarvilasa Mahakavyam-by Kavikalanidhi Shri Krishna
Bhatt, a work based on the History of Jaipur, written under orders and in the time of Maharaja Sawai Ishwari Singh, son of
Maharaja Sawai Jai Singh of Jaipur. The work bears an eye:: witness description of the Ashwamedha yajna performed by
Sawai Jai Singhi, ed. by Mathuranath Bhatt, Sahityacharya, with a foreword by late Dr. P.K. Gode, M.A.,D. Litt., Curator, B. O. R. Institute, Poona.
-Rs. 11.50 np. 19. Rasadeerghika--by Vidyaram Kavi, a rare and abridged
work on Sanskrit rhetorics, ed. by G.N. Babura, M. A., Dy. Director, Rajasthan Oriental Rescarch Institute, Jodhpur.
-Rs. 2.00 20. Padya-muktawali-A compilation of Literary and Historical
poems of Krishna Bhatt, a contemporary of Sawai Jai Singh of
Jaipur, ed. by Mathuranath Bhatt, Sahityacharya. -Rs. 4.00 21. Kavyaprakash-of Manimata, with Samketa by Someshwar
Bhatt, found in Jaisalmer Grantha Bhandar. Edited by R. C. Parikh, Director B.J. Institute, Gujrat Vidya Sabha, Alemdabad.
Pt. I, Rs. 12.00 2002: . .
,, Pt. II, Rs. 8.25 nP. :23. Vasturatnakosha--by an unknown author, Edited by Dr.
Priyabala Shah. M. A., Ph. D., D. Litt. Prof. Ramanand Arts College, Ahemdabad.
.-Rs. 4 so np. 24: Dashkantha Vadham-by late Mahamahopadhyaya Durga
Prasadji Dwivedi, a poetical work on Ram-Charitra. Edited by Shri Gangadhar Dwivedi, Prof. Maharaja Sanskrit College, Jaipur.
-Rs. 4:00 25. Bhuwaneshwari Mahastotram-by Prithwidharacharya, with .: commentry of Padmanabha, edited by Shri G.N. Bahura, M.A.
..Dy. Director, Rajasthan Oriental Research Institute, Jodhpur. .. :. : . :.
-Rs. 3.75 nP. B. RAJASTHANI AND HINDI 1.: Kanadhade Prabandha-by Mahakavi Padmanabha, a famous
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[ 4 ]
;
Rajasthani Historic Pocm dealing with the chivalry of Kanadhade Chouhan at the time of the attack of Alauddin Khilji on the fort of Jalore, ed. by Prof. K.B. Vyas, M.A., Elphinstone College, Bombay.
-Rs. 12:25 nP. 2. Kyamkhan Rasa—by Alaf Khan, Nawab of Fatehpur
(Shekhawati), a Poetical History of Kayamkhanis, the Muslim · Rajpoots of Rajasthan, ed. by Dr. Dashrath Sharma, M. A.
D., Litt., Professor, Hindu College, Delhi and Shri Agar Chand Nahata, Bikaner.
-Rsi 4.75 nP. 3. Lava Rasa-by Gopaldan Kaviya, a contemporary description
of the battle of Madhorajpura between the Chief of Lava and Ameerkhan of Tonk, ed. by Mehtab Chand Khared, Jaipur,
-Rs. 3.75 0P. 4. Vankidas-ri-Khyat-a History of Rajasthan, writen in Rajas-'
thani prose by Vankidas, the famous Historian of Jodhpur, ed. by Prof. Narottamdas Swami, M.A. Vice Principal, Maharana Bhupal College, Udaipur.
--Rs. 5.50 np. 5. Rajasthani Sahitya Sangrah Pt. I-- A collection of old Rajas
thani literary prose, ed. by Prof. Narottamdas Swami, M.A.
Vice Principal, Maharana Bhupal College, Udaipur. -Rs. 2.25. 6. Rajasthani Sahitya Sangrah Pt II—Three old. Rajasthani
stories i.e. Bagdawatan Ri Vat, Pratap Singh Mahokam Singh Ri Vat and Veeramde Soneegara Ri Vat, edited by P.L. Menaria M.A., Sahitya Ratna, Offeg. Senior Research Asst. Rajasthan Oriental Researcli Institute, Jodhpur. ' -Rs. 2.75 nP. Kavindra Kalpalata--by Kavindracharya Saraswati; a conten- porary of Emperor Shahajahan, ed. by Rani Shrimati Lakshmi Kumari Chundawat, Jaipur. ..
-Rs. 2.00. 8. Jugal Vilasa--a poem by Maharaja Prithvi Singh of Kushalgarh, ed. by Rani Shrimati Lakshmi Kumari Chundawat, Jaipur.
-Rs. 1.75 nP. 9. Bhagat Mala—a poctical work in Rajasthani by Charan
.
.
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[ 5 ]
Brahma Dasji Dadupanthi, ed. by Udairaj Ujjwal, Jodhpur. -Rs. 1.75 nP. 10. A Classified List of Manuscripts Pt. I-a list of 4000, manuscripts collected in The Rajasthan Oriental Research Institute upto the year 1955. -Rs. 7.50 nP.
11. A Classified List of Manuscripts Pt. II-a list of 3855 Mss. collected in the Rajasthan Oriental Research Institute from Apr. 1956 to March 1958. Edited by Shri G. N. Bahura, Dy. Director, Rajasthan Oriental Research Institute, Jodhpur.
-Rs. 12.00.
12.
A List of Rajasthani Manuscripts Pt. I-Collected in the Rajasthan Oriental Research Institute, Jodhpur upto March 1958. Edited by Padmashri Muni Shri Jinvijaiji. -Rs. 4.50 np. 13: A List of Rajasthani Manuscripts-Pt. II-Mss collected during the year 1958-59. Edited by Purushottamlal Menaria M.A. -Rs. 2.75 Sahitya-Ratna.
14. Munhata Nensiri Khyat Pt. 1-by Munhata Nensi of Jodhpur. History of Rajasthan in Rajasthani prose, edited by Shri Badri Prasad Sakaria. -Rs. 8.50 nP.
A work on -Rs. 8.25
15. Raghuwar Jas Prakash-by Charan Kishnaji Adha. Rajasthani rhetories, edited by Shri Sitaram Lalas. 16. Veer Van-by Dhadhi Badar, a Rajasthani poem heroic events of Veeramji Rathod of Jodhpur. Rani Laxmi Kumari Chunda wat of Rawatsar. 17. A Catalogue of Late Purohit Harinarayanji B. A. Manuscripts Collection-edited by Shri G. N. Director Rajasthan Oriental Research Institute, Jodhpur and Shri L. N. Goswami, Senior Research Asst. Rajasthan Oriental Research Institute, Jodhpur. -Rs. 6.25 nP..
Vidyabhooshan Bahura. Dy.
relating a few Edited by Smt. -Rs. 4.50 nP.
18. Sooraj Prakash Pt. I-by Charan Karnidan Kaviya. History of the Rathods of Jodhpur in Rajasthani Poem, edited by Shri Sita Ram Lalas. -Rs. 8.00
19. Nehatarang-by Raoraja Budha Singhji Hada of Bundi. A work on rhetorics, edited by Shri Ramprasad Dadheech M. A.. Lecturer, Hindi Dept. Jaswant College, Jodhpur. -Rs 4.00
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RAJASTHAN ORIENTAL RESEARCH INSTI
JODHPUR
B. WORKS IN THE PRESS
Editor : 1. Tripura Bharati Laghustawa Muni Shri Jin vijayaji
by Laghu Pandit 2. Balsbiksha Vyakaran
by Sangram Singh 3. Padarth Ratna Manjusha
by Krishna Mishra 4. Karnamritaprapa by Someshwar 5. Prakritanand by Raghunath Kavi 6. Shakun-pradeep 7. Hameer Mahakavya of Naya
Chandra Soori 8. Ratna pareteksbadi of Thakka Pheru 9. Vasant Vilasa Phagu
Shri MC. Modi 10. Chandra Vyakaran by Chandra Shri B.D. Doshi
Gomi 11. Swayambhoochhanda
Shri H.D. Velankar 12. Nritya Ratna Kosh Pt. II
Prof. R.C. Parikh & by Maharana Kumbhakarna Dr. Priyabala Shah 13. Nandopakhyan
Shri B. J. Sandesara 14. Vrittajatisamuchchaya
Shii H.D. Velankar by Kavi Virahanka 15. Kari Darpan 16. Kari Kaustubha
Shri M.N. Gori by Kasi Raghunath Manohar 17. Gora Badal Padmini Chaupai Shri Udai Singh Bhatnagar
by Kavi Hemratan 18. Indra Prastha Prarbandh
Dr. Dashratha Sharma 19. Vasavdatta of Subandhu,
Dr. Jaideva Mohan al Shukla 20. Glatkharparadi Panchalaghu Pt. Amrit Lal Mohan Lal
Koryani 21. Bhuvan decpak of Yavnacharya Pt. Purshottam Bhatt 22. Rajasthan Men Sanskirt Sahitya Translation in Hindi
Ki Kiroj by Dr. Bhandarkar by Shri Brahma Dutt Trivedi 23 Munista Nensi ri Khyat Pt. II. Shri Badri Prasad Sakaria 24. Rathore Vanshri Vigat.
Muni Shri Jinvijayaji 23. Putataetra Sanshodhan Ka Itihasa
..
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26. Sooraj Prakash Pt. II 27. Rathodan Ri Vanshawali 28. Rajasthani Bhasha Sahitya Grantha Suchi
29. Mira Brihat Padawali, complited by Late Pt. Hari Narayanji Purohit Vidya Bhooshan
[ 7 ]
30. Rajasthani Sahitya Samgrah Pt. III 31. Sthulibhadra Kakadı
32. Matsya Pradesh Ki Hindi Ko Den,
33. Rukmini Harana by Sayanji Jhoola 34 Vrittamuktawali
by Shri Krishna Bhatt
35. Agamrahasya
Shri Sitaram Lalas Muni Shri Jinvijayaji Muni Shri Jinvijayaji
Padmashri Muni Jinvijayaji
Shri L.N. Goswami
Dr. A.R. Jajodia
Dr. Moti Lal Gupta, M.A. Ph. D.
P. L. Manariya M.A., Bhatt Shri Mathuranathji
Shri G. D. Dwivedi
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SOME COMMENTS 1-Kanadhade Prabandha-by Mahakavi Padmanabha, ed. by Prof. K. B. Vyas M. A., Elphinstone College, Bombay.
We are indeed grateful to the Rajasthan Puratattva Mandir for giving to the interested world this beautiful edition of a very fine work which should be known all over India.
SUNITI KUMAR CHATTERJI
M, A, D.Litt.
Chairman, Govt. of India Sanskrit Commission.
2–Rajavinoda Mahakavyam-by Udairaj, ed. by Shri Gopal
narayan Bahura, M. A., Dy. Director, Rajasthan Oriental Research Institu
The series of important rare Sanskrit and Prakrit texts called the Rajasthan Puratan Granthamala started by Muniji under: his General-Editorship is doing valuable service to Indology... With his characteristic vision and historical insight Muniji has selected for this scries some rare texts of great historical, literary and cultural valuc... These texts in Sanskrit will facilitate the ... scarch for similar texts...The manuscript of the Rajavinoda Kavya in praise of Mahamud Begda was acquired by Dr. Buhler in 1857 for the Govt. of Bonıbay.
Muni Jinvijayaji was the first to realise the importance of the poem and make arrangements for its editing and publication , in the scries of the Rajasthan 0. R. Institute Accordingly he cntrusted the work of editing this poem to Shri Gopalnarayan and I am happy to find that this learned editor has spared 110 pains in giving us an edition worthy of the scries in which it appears... I have to convey my hearty congratulations to Muni Jinvijayaji upon the wise planning of his scheme of Rajasthan Puratana Granthamala and its successful execution by entrusting :: different works in it io competent scholars like Shri Gopalnarayan, who also descrvcs thic best thanks of all lovers of Indian
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a new text,
i
History and Sanskrit by making available to them hitherto unknown and unpublished.
Annuals of the Bhandarkar Oriental Research Institute, Poona Vol. XXXVII, 1957
P. K. GODE, M, A., D.Litt.
i
3-Ishwarvilasa Mahakavyam-by Kavikalanidhi Krishna Bhatt, .... ed. by Shri Mathuranatha Bhatt, Sahityacharya, Jaipur. .. . The publication of an 18th century poem of Krishna Bhatt,
La Jaipur-court bard, brings out interesting fact that the
"Ashvamedha Yajna' was organised by rulers to assert their supremacy over neighbouring princes as late as 200 years ago.
Bhatt in his book 'Ishwarvilasa Kavya' describes the Ashvamedha Yajna' performed by his friend and master Raja Ishwari Singh some time after he ascended the Amber gaddi in 1743 on the death of his father Sawai Jai Singh II, who founded
: Jaipur.
.
: Bhatt himself attended the Yajna. Besides describing the Yajna' in detail, he names the persons who witnessed the
cermiony. 7th November, 1959.
TIMES OF INDIA
4-Classified List of Manuscripts Pt. II-ed by Shri G.N. Bahura M.A. Dy. Director Rajasthan Oriental Research Inst. Jodhpur.
A. All students in Indology will be glad to consult this excellent catalogue, containing many rare and precious Sanskrit works.
LOUIS RENOU
Director Indian Institute, Paris . . . 16th Feb, 1960:
B. It is evident from the list that the Institute possesses a 1. rich collection of Sanskrit Manuscripts on alnost all subjects and
branches of learning cultivated in ancient India, and also a large con number of Prakrit, Rajasthani, Old Gujarati and Hindi manus
cripts, and these lists will undoubtedly prove to be important i tools of research to scholars doing textual work in Sanskrit and . - derived languages. . .: Journal of
B. J. SANDESARA The Oriental Institute, Baroda.
December, 1960.
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[ 10 ]
C. The catalogue adds to our knowledge of the manuscript material still existing in the Indian libraries.
JSMEO
Via Merulana
248 Rome.
Journal of the Institute of Indology, University of Vienna.
D. Die Rajasthan Puratna Graathamala, welche im Auftrag der Regierung von Rajasthan Werke in Sanskrit, Prakrit, Alt-Rajasthani, Gujarati und Hindi herausgibt, ist in Europe bisher wenig bekannat. Sie hat jedoch bereits eine grobe Reihe schoner Veroffentlichungen herousgebracht, darunter manche bisher unbakannte Werke. Der vorliegende Band enthalt ein Handschriftenverzeichnis. Der erate Teil dieses Verzeichnisses behandelte die bis 1956 erworbenen Handschriften. Der vorliegende zweite Teil verzeichnet die Neuerwerbungen von April 1956 bis Marz 1958, zusammen mehr als 4000 Nummern. Angegeben. sind in hergebrachter Weise Tital, Verfasser, Datum und Beatterzahl der Handschrift und, wenn notig, sind kurze Bemerkungen beigefugt. Im ersten Anhang sind Anfang und Schlub ciner Anzahl wichtigerer Handschriften wiedergeben. Der zweite Anhang enthalt ein alphabetisches Verzeichnis der VerfassernaEin dritter Anhang bringt ein Verzeichnis der ehemaligen Palastbiblithek von Indra-gardh, die nunmehr unter die Obhut des Oriental Research Institute in Jodhpur gestellt ist. Druck und Ausstattung des Bandes sind sehr gut. Von einigen besonders wertvollen Handschriften sind einzelne Blatter abgebildet.
men.
*
Prisident IsMEO (Oriental Institute) Rome (Italy)
Giuseppe Tucci East and West." June-September, 1961
*
Indian Institute University of Oxford 26 July 1961
"...I appreciate them very much, for their being at rue cnrichment to any library specialised in the Orientalistic field."
Prof. TUCCI
E, FRAUWALLNER.
66
...I am very glad to know that the Institute is so actively engaged in editing the unpublished manuscripts of Rajasthan in Sanskrit and other languages. This is a valuable contribution to Sanskrit studies."
Prof. T. BURROW
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[
11
]
5-Dasakanthvadham, by M. M. Pandit Durgaprasad Dwivedi, edited by Shri Gangadhar Dwivedi.
"The author of the work under review has depicted the :: life of Rama from the spiritual point of view in his work called .. Dasakanthvadham on the lines of Yogavasistha, a well-known
extensive philosophical treatise on Advaita Vedanta... The author is a gifted poet of a very high order The treatment of the theme especially in the first chapter is highly elaborate and the
descriptions abound in rich poctical imagery of high aesthetic ....... value." Journal of the Oriental Institute Baroda
H. C. METHA Vol X. No. 3, March 1961
६-श्रीभुवनेश्वरीमहास्तोत्रम्-पृथ्वीधराचार्यविरचित, कविपद्मनाभकृत भाष्यसहित, सम्पादक श्रीगोपालनारायण बहुरा एम.ए., उपसञ्चालक राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान, जोधपुर । क. "मूल स्तोत्र की प्रबोधिनी टीका और पाद-टिप्पणियों में जो अनेकानेक पाठान्तर दिये गये हैं, उनसे इस प्रकाशन की उपयोगिता तथा महत्त्व बढ़ गया है। . २६ जून, १९६१ .
महाराजकुमार डा० रघुवीरसिंह एम.ए., एल.एल. बी., डी. लिट्. एम पी.
सीतामऊ .. ख. "इस स्तोत्र में भुवनेश्वरी के स्वरूप, ध्यान और मंत्रों का सम्यक् रूप से
विवेचन है । साथ ही अन्य १२ स्तोत्रों के द्वारा भुवनेश्वरी के माहात्म्य की पर्याप्त सामग्री एकत्र की गई है। यथासंभव उपासनासम्बन्धी कई ज्ञातव्य विषय दिए गए हैं। प्रारंभ में 'प्रास्ताविक परिचय' नाम से श्रीगोपालनारायण बहुरा ने विद्वत्तापूर्ण भूमिका लिखी है। उससे इस स्तोत्र तथा इसके विषय को
समझने में बड़ी सहायता मिलती है। .. ता० २० अक्टूबर, १९६१
-दैनिक हिन्दुस्तान, नई दिल्ली
७- राजस्थानी साहित्य संग्रह--
भाग १. सम्पादक श्रीनरोत्तमदास स्वामी, एम.ए. ... भाग २. सम्पादक श्रीपुरुषोत्तमलाल मेनारिया, एम.ए., साहित्य-रत्न ।
...."साहित्य और भाषा की दृष्टि से ही नहीं, इतिहास-सम्बन्धी भी बहुत
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[ 12 ]
अधिक सामग्री उक्त वार्ता-साहित्य में प्राप्य है । तत्कालीन आचार-विचार, रहन-सहन, धार्मिक भावनाओं और अंध विश्वासों आदि की ठीक-ठीक जानकारी प्राप्त करने के लिये इस प्रकार के गद्य साहित्य का गहरा अध्ययन सर्वथा .... अनिवार्य हो जाता है 1......पाद-टिप्पणियों में दिये गये पाठान्तरों और साथ ही आवश्यक शब्दार्थों से इस संस्करण का विशेष महत्त्व हो गया है। इन दोनों ..... भागों में दी गई भूमिकायें भी उपयोगी और विचार-प्रेरक हैं।
ता० २६ जून, १९६१
८-स्व० पुरोहित हरिनारायणजी विद्याभूयण-ग्रंथसंग्रह-सूची सम्पादक ... श्रीगोपालनारायण वहुरा, एम.ए. और श्रीलक्ष्मीनारायण गोस्वामी दीक्षित । ....
स्वर्गीय पुरोहित हरिनारायणजी स्वयं ही एक सजीव संस्था थे। उन्होंने. एकाकी जो काम किया, वह अनेकानेक संस्थाओं के मिल कर काम करने पर भी उतनी पूर्णता और तत्परता से किया जाना कठिन ही होता.। अत: उनके .. निजी पुस्तकालय के राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान को सौंपे जाने से वस्तुतः एक बड़ी सांस्कृतिक निधि की सुरक्षा हो गई है, जिसके लिये राजस्थान ही नहीं भारत का समूचा शिक्षित समाज पुरोहितजी के सुपुत्र श्रीरामगोपालजी का सदैव अनुगृहीत रहेगा । अतः ऐसे महत्त्व के पुस्तक-संग्रह की यह पुस्तक-सूची अवश्य ही विद्वानों, संशोधकों आदि सव ही के लिये बहुत ही उपयोगी होने वाली है । प्रतिष्ठान का यह प्रकाशन संग्रहणीय है। ता० २६ जून, १६६१
६-सूरजप्रकाश भाग १-कविया करणीदानजीकृत, सम्पादक श्रीसीताराम - : लालस। . साहित्य-प्रेमियों के साथ ही इतिहासकारों के लिये कविया करणीदानकृत.... "सूरजप्रकास" का विशेष महत्त्व है ! मारवाड़ के इतिहास के प्रमुख आधारग्रंथ के रूप में इस ग्रंथ का अध्ययन किया जाता है। अतः उसको प्रकाशित करने का आयोजन कर प्रतिष्ठान ने एक बड़ी कमी को पूरा किया है। ता० २६ जून, १९६१
___महाराजकुमार डॉ० रघुवीरसिंह.. एम.ए., एल.एल. बी., डी. लिट., एम.पी.
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Sadhana Press, Jodhpur.
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