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मुंहता नैणसीरी ख्यात
[ ३३६ अोळगांणी' बोली-'राज ठाकुर तो म्हारा कपड़ा ले अर पधारिया । हूं कपड़ा बाहिरी बैठी छु ।' ताहरां रिणमलजी पूठा पधारिया । चाचो, मेरो मारिया । बीजा ही सीसोदिया घणा मारिया । ... दिन ऊगो, ताहरां रिणमलजी सीसोदियारा माथा वाढि चंवरी रचाय, तियांरी चोक्यां कीवी । तियां ऊपर बरछारी वेह मांडी। अर सीसोदियांरी बेटियां राठोड़ा परणाई। च्यार पोहर दिन वीमाह किया। अठै मेवासो भांजि ठोड़ मेरनूं दे अर चोत्रोड़ पधारिया । रिणमलजी कुंभैनूं टीको दियो । बीजा ही जिके सीसोदिया जिके फिरिया हुतां तियां मार, देस माहितूं काढि सावळ किया। रिणमलजी कुंभैनूं धरती साझ दीनी'°। कुंभो सुखसूं राज करै छ ।
ईयै जिनस देस सरब रिणमलजी वस कीधो छ । जाणे जियेनूं काढे11 । ....... एकदा प्ररतावा। चाचै मेरेरा बेटा रांणैजीसू आय मिळिया। महपो पमार आय मिळियो । हिवै महपो पमार रोग कुंभ कहै'धरती राठोड़े लीधी । धरतीरा धणी राठोड़ हुआ ।' . एक दिन रांणो कुंभो पोढियो छै । अको चाचावत पगै हाथ दै . छै । सु अकैरै प्रख्यां हूं आंसू ढळिया । ऊना टिबका रांणारै पगां ऊपर ढळिया, ताहरां रांणो जागियो । देखे तो अको रोवै छै । ताहरां
... I ओळगांणी = १ वियोगिनी। परदेशिनी। २ यश गानेवाली ३ स्त्री। 2 मैं वस्त्रहीन बैठी हुई हूँ। 3 तब रिणमलजी वहांसे लौट गये। 4 दूसरे भी बहुतसे सीसोदियोंको मार दिया। 5 दिन उग जाने पर रिणमलजीने चौंरीकी रचना की, सिसोदियोंके सिरोंको काट कर के उनकी चौकियां बनवाई। 6 उन चौकियों पर बरछोंकी वेह स्थापित की और सिसोदियोंकी कन्याओंका राठौड़ोंसे विवाह किया। वह = १ विवाहमंडप २. मंगल-कलश । विवाहमें स्थापित घट। - ३. नीचेसे ऊपरकी ओर क्रमशः छोटे, ऐसे ऊपरा ऊपरी रख कर की जाने वाली मिट्टीके सात घड़ोंकी स्थापना। विवाह-मंडपके चारों कोनों में ऐसी चार घट-श्रेरिणयां स्थापित की जाती हैं ।] 7 चारों पहर दिनमें विवाहोंका यही क्रम चला। 8 यहांका अड्डा तोड़ कर के वह जगह मेरको दी और स्वयं चित्तौंड पधार गये। 9 दूसरे जो सिसोदिये बागी हो गये थे उनको मार दिया और कइयोंको देशमेंसे निकाल दिया। इस प्रकार सबको सीधा कर दिया। 10 रिणमलने देशको निष्कंटक बना कर कुंभाको सुपर्द कर दिया। II इस प्रकार रिणमलजीने सारे देशको अधिकार में कर लिया है। चाहे जिसको निकाल देते हैं। 12 एक वारका जिक्र है। 13 अंब। 14 राठोडोंने देश ले लिया। 15 अक्का चांचावत पगचंपी कर रहा है । 16 सो अक्केकी अांखोंसे ग्रांस गिरे। 17 गरम बूंदें पैरों पर पड़ी तो राना जगा।