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मुंहता नैणसीरी ख्यात कटक करनै चीतोड़ गया । ताहरां सीसोदिया नासि पईरै भाखरै जाय ... पैठा। घाटा वांधि अर जाय वैठा । ताहरां रिणमलजी जाय भाखर रोकियो । छव मास हुवा, भाखर भिळे नहीं । ताहरां भाखर माहिलो मेर ईयां काढियो हुतो सु प्रायनै रिणमलजीसौं मिटियो । तिय कह्यो-'जे दीवांणरो परवांणो हुवै तो हूं प्राय मिळां ।' ताहरां रिणमलजी परवांणो कर दियो। ताहरां ५०० जीनसालिया करने रिणमलजी पहाडनूं हालिया। ताहरां मेर कह्यो-'जी, मास १ लग धीरा रहो।' कह्यो-'क्युंजी ?' 'मारगमें नाहरी व्याई छै ।' ताहरां रिणमलजी कह्यो-'नाहरी म्हे जांणां, तूं हालि° ।' ताहरां प्रादमी ५०० पाळा जीनसालिया करनै रिणमलजी चढिया छै। आगै मैणो .. छै । ताहरां हालतां-हालतां नाहरी नजीक आई, ताहरां मैणो ऊभो रह्यो-'जी, प्रागै नाहरी छ।' ताहरां रिणमलजी बेटै अड़मालनूं कह्यो'हां!' ताहरां अड़माल नाहरी वतळाई' । ताहरां तूट अर आई। ताहरां नाहरीनूं कटारीसूं फाड़ नांखो। पछै अाघा हालिया। आगे पहाड़ माहै लेजाइ चाचै मेरैरै घरां मांहै ऊभा राखिया | ताहरां केई चाचेरै घरै चढिया; केई मेरै घरै चढिया। रिणमलजी महपैरै घरै चढिया। रिणमलजीनूं प्रतंग्या हुती15। 'स्त्री पुरुषरै भेळा थकां न जावतो" | ताहरां बारण17 ऊभा रहिनै कह्यो-'महपा! आव... बाहिर ।' ताहरां महपो स्त्रीरा कपड़ा पैहर धूंघट काढि अर नीसर . .. ... गयो । ताहरां रिणमलजी कह्यो-'महपा ! श्राव बाहिरै ।' ताहरां
1 तब सिसोदिये भाग कर पहीके पहाड़ोंमें जा घुसे । 2 सभी पहाड़ी मार्गोको रोक कर के जा बैठे। 3 तव रिणमलजीने भी जाकर पहाड़को घेर लिया। 4 छ मास हो गये परन्तु पहाड़ सर नहीं होता। 5 पहाड़ में से एक मेर को इन्होंने निकाल दिया था, वह रिणमलजीसे आकर मिला । 6 यदि दीवानका परवाना हो तो मैं आपमें आकर मिल जाऊं । 7 तब ५०० कवचधारी तैयार कर के रिणमलजी पहाड़को चले। 8 एक मास तक धीरज रखो । 9 मार्ग में नाहरीने बच्चे दिये हैं। 10 तब रिणमलजीने कहा-'नाहरीको . . हम समझ लेंगे-तू आगे चल । II तव रिणमलजीने अपने बेटेको कहा-'हां! मारदो !' ..... तब उसने नाहरीको छेड़ा। 12 तव नाहरी टूट कर सामने आई। 13 अड़मालने नाहरीको कटारीसे चीर दिया और फिर आगे चले । 14 पहाड़में लेजा कर सबको चाचा और मेरेके घरों के पास खड़ा कर दिया। 15/16 रिणमलजीकी प्रतिज्ञा थी कि जहां स्त्री और पुरुष (पति-पत्नी) दोनों एक जगह हों वहां वह नहीं जाता था। 17 द्वार पर । 18 निकल गया।