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मुंहता नैणसीरी ख्यात
सांढियां त्यां । खंगार विण आपड़ियो नहीं रहे।" तर फेरने सांडिली न हळवे - हळवे जांण लागा । रावळ पाछो-पाछो फिर जोवतो जाय । जो खंगार जै प्रापड़ियो नहीं । ग्रठे खंगार सवार ५० सूं चढियो कांईका मनै कियो - "जु साथ थोड़ो छै ।" तरै खंगार कह्यो - " न करें श्री ठाकुर । रावळ सांढियां ल्ये नै हूं ऊभी रहूं !" सु भाखर बारै फेर ऊपरवाš हुयनै कोसे १६ सांमो ग्रायी । ग्रटी रिणधीर थूव चढनै पाछो जोयो, जु खंगार नायो" । ग्रागे देखें तो सांमो साथ झकियो ' । तरै रावळनूं कह्यो - "आप साथनूं पैला थोड़ा दीस
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लेस्यां । "
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छै । खंगार म्हारै डील प्रायां विगर नहीं रहै ।" तरै बीच ग्राप ऊभो रयो नै साथ ढाई सौ ओळ रुखा डावी कांनी " नै ग्रढाई सौ जीमणी वाजू ऊभा राखिया । कह्यो - "विच में श्राव तरै एक-एक भालो सको वाहिजो '" । पांच से भाला लागसी तरै मार सु पैली कांनी खंगाररो भाई साहिबने पीतरयाई फूल, यां कह्यो - "आप खंगारनं मरतो न देखां । श्रावो पहली मरां । उतावळा " देखने खंगार कह्यो-' जांचो मत करो। थे जांणो द्यो जु म्हे. मरण द्यां । ” युं कही नै पचास असवार जीनसालिया नख चख सुधा था त्यांरो गोळ करने उपाड़ नांखिया' । सु ओळ रुखा ऊभा हुता, तिकें: केई भाला वाही किया कै न वाही सकिया, नै आय भेळा हुवा | तरवारियां भी दी । रावळरो वजीर श्राप खंगार पाड़िड़यो । वीजो पण साथ घणो पाड़ियो" । रावळरो साथ भागो । तरै रावळ निपट भलो हुवो । तीन वेळा उपाड़-उपाड़ खंगाररै साथमें नांखिया '
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1 धीरे-धीरे । 2 खंगारको अभी तक पहुंच नहीं पाये ( पकड़ा नहीं गया ) | 3 कुछ लोगोंने । 4 सो पहाड़ से बच कर निकटके मार्ग से १६ कोस चल कर ( रावलके) सामने प्राया । 5 टेकरी पर 1 6 खंगार नहीं प्राया । 7 दिखाई दिया । 8 आपके मुकाविलेमें वे कम दिखते हैं । 9 खंगार सीधा मेरे पर आये बिना नहीं रहेगा । 10 पंक्तिवद्ध | II वाय तरफ । 12 बीच में या जावे तव एक-एक भाला सभी मार दें। 13 उस प्रोर में संगारके भाई साहिब और पितृव्य फूल, इन्होंने कहा । 15 श्रातुर | 16 शीघ्रता, आतुरता । 17 इस प्रकार कह कर के जो पचास सर्वांगावृत कवचधारी अश्वारोही थे, उन सबने अपना एक गोल (समूह) बना कर अपने घोड़ोंको एक साथ उठाया । 18 दूसरे भी कई मनुष्यों को मार डाला | 19 तीन बार अपने घोड़ेको उठा उठा कर खंगारकी सेना में डाला ।