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. मुंहता नैणसीरी ख्यात
[ २२१ लीवी । जेठवा उठारा छूटा समंदररी तीर छाइयै जाय रह्या' । उठे जेठवो खींवो वडो रजपूत ।
रावळ जांम लाखावत नवी धरती खाटी-जेठवां, वाढेळां, काठियांरी । सु गांव ४००० हालार हिमैं कहीजै । नवोनगर रावळ वसायो त? आगै जेठवा वसता। गांव ४५०० = एक हजार १००० वाढेलांरा, २००० काठियांरा । अजेस पिण इणां गांवां चोथ काठी लै छ । १५०० जेठवारा । अठै रावळरी वडी ठकुराई। गांव हजार ४००० दाबिया । रावळ जोरै वहण लागो तरै रजपूतांनूं कह्यो - "प्रापै सपूत हुवा नै घणी नवी धरती खाटी, पण आंपांनं वापीकां खेतां मांहीसूं खंगार काढिया, अपां एक धको खंगारनूं दां' ।" तरै वरसातरा दिन था । काचैखडै पखालद थको राव धीणोदरी पाखती थो । बेटो ऊमरकोट परणीजण मेलियो थो सु साथ सोह बेटा साथै मेलियो थो। अाप छड़व. हीज साथ थो, सु रावळ हेरो करायो । हेरो कराय थोड़ा देखनै असवार ५०० खंगार ऊपर प्रायो। खंगार धोणोदरी भाखरी माणस ५० सूं वैठो थो। घोड़ी, सांढ, भैंस, गाय मुंहड़े प्रागै चरती थी। दूध भै सियां, सांढियां, गायां, घोड़ारै साथरै वास्तै माटा भरिया था। पीवणरी तयारी हुई, तितरै तोर
बोलियोतरै सोढे नदै कह्यो-" रावजी ! उठो, साथ आयो ।' ...सु राव तो उठातूं चढनै भाखरी गयो। वांस रावळ उठे प्रायो,
तरै दीठो-"हमार हीज अठासू ऊठिया दीसै छ1।" रावळ ताका
करण लागो । जांणियो-"जु खंगार गयो।" तरै रिणधीर गाजणियो, .: पैहला खंगार कनै रहतो, सु रिणधीर कह्यो-"यूं काहूं जोवो14 ? आवो
___I जेठवे वहांसे छूटे, समुद्रके किनारे छाईये गांवमें जा कर रहे। 2 प्राप्त की। 3 सो ये चार हजार गांव अव हालार कहे जाते हैं। 4 अभी तक इन गांवोंमें काठी चौथ (चौथा भाग) लेते हैं ! 5 चार हजार गांवोंके ऊपर अधिकार किया। 6 रावल जब अपनी शक्तिसे शासन करने लगा तब उसने अपने राजपूतोंसे कहा। 7 अपन एक धक्का खंगारको
दें। 8 बेटेको ऊमरकोट व्याहनेको भेजा था। 9 स्वयंके पास छुटपुटा साथ ही था अतः ...... रावल ने पीछा करवाया। 10 इतने में एक तीरका शब्द हुा । II पहाड़ी। 12 अभी
ही यहांसे उठ कर चले गये मालूम होते हैं। 13 रावल इधर-उधर देखने और विचार करने लगा। 14यों क्या देख रहे हो?