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________________ २२० ] मुंहता नैणसीरी ख्यात राव जीवै छै ।" वेढ हुतां पण घणी वेळा हुई थी' । माहोमांही हीचिया था। रावळरो साथ पाछो लियो, डेरै गया, तरै रावळ. कह्यो-" म्हे देवी लोपी, तरै प्रांपांसू आसापुरा अरूठ । धरती छोड़ो।" तरै धरती छोड़ने कोस तीस ३० तथा ३५, जेठवां, काठियां, वाढेलां कोसां ६० तथा ७० माहै सोरठरी धरती खाली थी, अठ.. रावळ जांम संमत १५९६ नवोनंगर वसायनै रह्यो । नागनय ऊपर ... ' वास कियो । भाद्रेसर वांस खंगार ली। तिका अजै भुजरा धणीरै .. दाखलै छ । ___ रावळ गिरनाररा धणी चीगसखां' गोरीसू मिळियो । उणसूं मेळ हुवो। उण कह्यो-"तूं गुजरातरै पातसाहतूं. मेळ मत करें। म्हारै काम अरथ म्हारो थको रहै । थारी पाखती'' जेठवा केलवे रहै छ, सु त्यांन1 मार लो। उण हुकम दियो हीज थो, नै जेठवै । काठियां भेळा हुयन' कह्यो-"यो प्रांपणी धरती माहै मांडो प्राय पैठो13 । पछ ही अठ टिकसी तो आपांन मारसी तो आवो प्रांप35. उणसं एक वेढ करो।" तरै माणस हजार दस चढियो-पाळो भेळो हुयनै आया। रावळ पण आपरो साथ हजार छव करने गयो। परगने बरड़े वेद कीवी। रावळरै भाई हरधवळ असवार १००० टाळनै पैलां उपर तूट पड़ियो। पैलांरा सरदार सोह कूट, मारिया उठ हरधवळ काम आयो । वेढ रावळ जीती। पैला हारिया। पैलांरा .. सरदार तीने ही जेठवो, भीम, काठी, हाजो, वाढेल, भांण, माणस ७००... सूं काम आया। पैला भागा। रावळ यांनूं धकायनै धरती श्राप हेठे .. I लड़ाई होते हुए भी बहुत समय हो गया था। 2 परस्पर भिड़त हुई थी। 3 हमने देवीको बीचमें दे कर के भी बचनका पालन नहीं किया, इसलिये प्रामापुता अपनेसे गई। । यहां पर रावल जाम नवानगर नामक नगर बसा कर रहा। 5 भाटेनर पीछेो संगार ने ले लिया। 6 वह अब तक भुजके स्वामीके अधिकार में है। 7 चंगेजखां .... ६ मिला। मेरे कामके लिये मेरे अविकारमें ही रहना। 10 पातमें। II उनको। 12 पट्ट हो कर के। 15 यह अपने देश में जबरदस्ती पा कर धुम गया। 14 पीछे यदि यहां टिक गया तो अपने को मारेगा। 15 अपन ! 16 तद ये दस हजार पैदल पीर सवार . बार ः चा प्राद। 17 दुश्मनोंके सभी वरदारोंको मार डाला।
SR No.010610
Book TitleMunhata Nainsiri Khyat Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1962
Total Pages369
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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