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मुंहता नैणसीरी ख्यात . सिर तो साख साच कहि सामंद्र
लाखैरी किसड़ी' लहर ।। १ द्वारामती रहंत दीठा, मिळे महल चक्र दीठा मेळ । वधै घणूं तोही वेळावळ वीभाहर ज्यूं नांखै वेळः ॥ २ है हाटक' हाथी नग हेकै संख ता दिसि सीपनी सही अम्ह-दिस नोख लहर अजावत, इसड़ी नांखीज उवही ॥ ३
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वात
... जाड़ेचो फूल धवळरो । तिको केलाकोट राज करै छै । भुजसूं कोस ८ तथा ६ दिखणनूं छै । तिका ठोड़ हमार' सूंनी छै । कोट घरांरी दीवांणरी ठोड़ अनामत सारा अारिख छ । समंदथा कोस
५ छै। तिण दिन फूल राज करै छ। तिण समै धरती माहै ऊपरा- ऊपरी सुगाळ हुआ छ। सु वाणियांरै धांन पारपखै भेळो" हुो छ।
सु वाणिया निपट तोटै गया । तरै वरतियां कना मेह बंधावणरो तलास कियो । तरै वरतिये कह्यो-"एक हिरण मंगावो ।” तरै हिरण : १.प्राणन: कागळ १ में जंत्र लिखनै वरतिये कोरनै हिरणरै सींग माहै
घातनै कोस २ भाखर थो त, हिरणरै सहनांण कर छोड़ दियो । मेह "बंधियो। वांणियां कह्यो-"यो कागळ भींजसी तरै मेह प्रासी । बीजू मेह नहीं आवै.' । कह्यो-"भली बात ।"
। कसी। 2 तरंग, दान देने में उदार वृत्ति। 3 देखा। 4 समुद्र। 5 दानकी लहर, उदारता । 6 घोड़ा। 7 सोना। 8 हमारी पोर । 9 ऐसी। 10 समुद्र, महादानी। .... II वह ! 12 इस समय। 13 समान। 14 एक के ऊपर एक, वर्ष प्रति वर्ष ।
15 सुभिक्ष । 16 अपार । 17 इकट्ठा। 18 सो बनियोंको बहुत हानि हुई। 19 मंत्र, यंत्र और टोना करने वाले, मंत्रवादी। 20 लाकर के। 21 पहाड़। 22 यह कागज भीगेगा तब वर्षा होगी। 23 अन्यथा वर्षा नहीं होवे ।