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________________ मुंहता नैणसीरी ख्यात [२१३ धोधारी साहबी, भार-भरत, माल, वित सूधी हाथ आवसी'।" गुर .. चेला यूं कहि ऊठिया, नै कह्यो -"म्हे भाखर चढां छां, जठे मांहरा ..: पग भाखर मां कळिया देखो, तठै हमार भाठा भेळा कर राखो । नै .साहवी पावो तरै उठे देहुरो करावज्यो ।" यूं कहि गुर चेलो रमिया, ... न कह्यो-"तूं वात मांनीस नहीं, पण तिण वातरो अो सहनांण छै" जो थारो बाप आजसू पनरै दिनै मरै तो सोह साच मांनै । म्हेजांमनूं ... श्राप दियो छ । तूं उण ठोड़ बैस, तरै राव कहाडै ।" पछै दिन १५ हुवा तरै भींवरो वाप हमीर मुंवो; तरै भींव साच जांणियो' । तरै भींव किणहीनूं क्युं दियो, किणहीनूं क्युं दियो; माणस ४००, पांच - (सौ) भाई-बंध भेळा किया । तठा पछै धोधै मोरबीरो विगाड़ कियो हुतो, सु मोरवी, वीरमगांमरा थांणारो साथ अजांणजकरो धोधां माथै तूट पड़ियो', माणस हजार तीन, तिण माणस ७०० मारिया, बीजा लाटू-पाटू हुता सु नास गया। तुरक पण माणस घणा काम आया, सु तुरक पाछा वळिया; लूट काई न की । मोरबीरी हदमें - पाछा जाय पागड़ा छोड़िया। भीम या वात सुणी तरै प्रापरो साथ ले जाय साहबी ली। मालवितरो धणी हुवो। रावाईरो टीको काढियो। धोधा वासै रह्या हुता तिणे सुणियो, भींव ठाकुराई ली । तरै धोधा भेळा हुय भींव ऊपर I सभी सामान, धन और मवेशी इत्यादि सहित धोधोंका राज्य तुम्हारे हाथ लगेगा। ... : 2/3 गुरु और चेला यों कह करके उठे और कहा-'हम पहाड़ पर चढ़ रहे हैं, पहाड़ पर जिस जगह हमारे पांवोंके पंकिल चिन्ह देखो वहां अभी तो पत्थर इकट्ठ करके रख देना। 4 और जव तुम्हें राज्य मिल जाय तब वहां मंदिर बनवा लेना। 5 यों कह करके गुरु और चेला रवाना हुए और तब कहा-'तू हमारी बात मानेगा नहीं, परंतु उस बातकी सच्चाईका यह निशान है कि आजसे पन्द्रहवें दिन तेरा बाप मर जाय तो हमारी भविष्यवाणीकी सभी बातें सच मानना । हमने जामको श्राप दिया है, तू उसकी जगह बैठना और तब राव कहलवाना । 6/7 फिर जब १५ दिन हो गये तो भीमका बाप हमीर मर गया तो भीमने सभी वातोंको सच ... माना। 8 किसीको कुछ और किसीको कुछ दे दिवा कर अपने भाई-बंधुनोंमेंसे ४००, ५०० ___ मनुष्य अपने पास इकट्ठ कर लिये। 9 सो मोरबी और वीरमगामके थानोंके सैनिक अचानक धोधों पर टूट पड़े। 10 दूसरे जो कायर थे वे भाग गये। II तुर्क वापिस लौट गये, कोई लूट उन्होंने नहीं की। 12 मोरबीकी सीमामें जा कर ही घोड़ोंसे उतरे । ... (पागड़ा छोड़णो-घोड़ेकी रकाबमेंसे पांव निकालना, घोड़ेसे उतरना) 13 जो धोधा लोग पीछे रह गये थे उन्होंने सुना कि भीमने राज्य पर अधिकार कर लिया है।
SR No.010610
Book TitleMunhata Nainsiri Khyat Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1962
Total Pages369
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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