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________________ १८२] मुंहता नैणसीरी ख्यात बेटो धनराज । संमत १६४० छडांणी पटै । पछै संमत १६४६ सांवरला दियो' । संमत १६६२ गुजरात दांतीवाड़ारा कोळियांसू वेढ हुई तठे काम आयो। ६ धनराज सांवळदासोत । संमत १६५८ कुंपावस सिवांणारो .. मनोहरदास कलावत भेळो। सं० १६६३ सांवरला दियो । पछै ... कीटणोद दीवी । संमत १६६२ झांवर दीवी । संमत १६६५ कीटणोद दियो । ७ रूपसी। ७ करन । ७ प्रथीराज । पीढी तीन दीवांणरै वास रह्या - १ जैसो। २ भैरवदास । ३ अचळो। ४ संसारचंद मांडणजीरै वास । भाटी सांवळदास संसारचंदोत, वैरसी रायमलोत, ईसरदास रायमलोत, कलो रायमलोत ऐ च्यारै ही मोटा राजारै वास आया, तरै नोळ उवेड़ो दरबार आवतां आयो । तरै राव नींबो महेसोत सवणी थो, तिण कह्यो- "थे जोधपुर घणो दिन चाकरी रहसो । थांसू प्रोळ कदै छूट नहीं। नै वैरसी नै सांवळदास दूजा पण ठाकुर, मोटा राजार बैटारै काम प्रावस्यो " ... ६ नरसिंघदास सांवळदासोत । संमत १६६२ कूपावस मनोहरदास भेळो । सं० १६६७ भुडहड़ सिवांणारी पटै। संमत १६८४ दहीपड़ो पटै । पछै राजसिंघ खींवावतरै वसियो। सं० १६७७ वाला I उस सांखलीका बेटा धनराज, जिसे सम्बत् १६४० में छडाणी गांव और सम्वत् १६४ में सांवरला गांव पट्टेमें दिये थे। 2 संवत् १६६२में गुजरातमें दांतीवाड़ाके कोलियोंसे लड़ाई हुई वहां काम पाया। 3 संवत् १६५८में मनोहरदास कलावतके साथ सिवाना परगनेका ... कूपावस गांव पट्टेमें। संवत् १६६३में सांवरला गांव दिया और फिर कीटगोद दिया। संवत् १६६२में झंवर गांव और सम्बत् १६९५में कीटगोद गांव पुन: पट्ट में दिये। 4 तीन ... पीढी तक दीवान (राणा) की चाकरी में रहे। 5 तब दरवार में आते हुएको नेवला आड़ा पाया । 6 तब राव नींबा महेशोत जो शकुनी धा, उसने कहा- "तुम जोधपुर बहुत दिन तक .::: चायारी में रहोगे। तुमसे पोल पर पहरा देनेकी चाकरी कभी छूटेगी नहीं। और वैरसी और सांवलदास तथा दूसरे ठाकुर भी मोटा राजाके वेटोंकी सेवामें काम प्रावोगे ।" 7 संवत् ..." १६६२में पावसका पट्टा मनोहरदासके सम्मिलित । सम्वत् १६६७में सिवाना परगनेका.. भुइहड़ गांव और सम्बत् १६८४ दहीपड़ा गांव पट्टेमें। ........
SR No.010610
Book TitleMunhata Nainsiri Khyat Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1962
Total Pages369
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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