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मुंहता नैणसीरी ख्यात
पुररी मुंहम लोत लागी तिणसूं खोड़ावतो' ।
७ रामचंद नरसिंघदासोत । संमत १६८६ दहीपड़ो पटै । ७ रासो नरसिंघदासरो । ७ बलीराम नरसिंघदासोत । ८ हरीदास रामचंदोत । लाडखांन । महेस । ७ मुकुंददास नरसिंघोत ।
६ प्रागदास सांवळदासोत । संमत १६७२ मोकळनड़ी पटै । संमत १६७९ बालां सोतरी पटै । संमत १६८२ सूरपुरो, मोकळनड़ी सिवांणारी पटै । सं० १६९२ अमरसिंघजीरै गयो । पछे संमत १६६६ वळै पाछो आयो । सांमरला नैं भुडहड़ पटै ।
७ भींव प्रागदासोत । संमत १६६१ अमरसिंघजीरै गयो थो । पाछो आयो । सांमरला नै भुडहड़ पटै ।
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रतनसी भींवोत । उजेण कांम आयो ।
लखमीदास |
६ हरीसिंघ रतनसीयोत ।
गोयंददास ।
७ सबळसिंघ प्रागदासोत । सूरपुरो, मोकळनड़ी पटै' ।
७ सूजो प्रागदासोत । संमत १७१६ कीटणोद पटै ।
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७ दूदो प्रागदासोत | तांबड़ियो पटै ।
७ केसोदास प्रागदासोत । कूंपावस पटै । कूंडांणै गढ ढोवो हुवो, तद भलो हुवो, पोकरणरो कोट राखियो
८ सुंदरदास ।
वेणीदास ।
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कुंभो ।
1 पीछे राजसिंह खींवावत के यहां वस गया । सम्वत् १६७७ में बालापुरकी मुहिम में लात लग गई जिससे लंगड़ाता हुग्रा चलता था । 2 सम्वत् १६७२ में मोकलनड़ी गांव, सम्वत् - १६७९ में सोजत परगनेका बालां गांव और सम्वत् १६८२ में सिवाना परगने के सूरपुरा ग्रौर मोकलनड़ी गांव पट्टेमें | 3 सम्वत् १६६२ अमरसिंहजीके यहां चला गया । 4 सम्वत् १६६६ में वापिस आ गया । 5 सांमरला और भुडहड़ गांव पट्टे में | 6 सम्वत् १६९१में अमरसिंहजीके यहां चला गया था, किन्तु वापिस आ गया । सांमरला और भुडहड़ गांव पट्टे में | 7 सूरपुरा और मोकलनड़ी गांव पट्टे में 8 सम्वत् १७१६ कीटगोद गांव पट्टे में | 9 तांवड़िया गांव पट्टे में । 10 कूं पावस गांव पट्टे में। कूडाणे गढ पर आक्रमण हुआ तब यह शुभचिंतक रहा, पोकररण के कोटको बचा लिया ।