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.. मुंहता नैणसीरी ख्यात
[ ५३ तरण' धाय निस फोज तूटती , उडियण नर जाते आवग्ग । सुगिर सुरंग उर सुचित जैत-सुत । खित डोलियो नवहतो' खग ॥२ निसा फोज घटी तो नीमटती , फिरतै नर नाखत्र' अणफेर । उरधज कियौ न जैत-अगोभ्रम, मन मूळरज ज्यूंही धू मेर' ॥३
रावळ मूळराजरा बेटा, प्रांक ६. ७ देवराज मूळ राजरो, तिको टोकै तो न बैठो । मूळ राज
रतनसी मरियां पछै दूदो जसहड़ोत रावळ हुवो" । दूदो तिलोकसी साको कर मुंवां पछै रावळ घड़सी रतनसीयोत पातसाहनूं अौळग नै धरती वाळी" । पछै घड़सीनूं जसहड़ तेजसी चूक कर मारियो । घड़सीरै बेटो को न थो18 । पछै विमळादे रावळ मालदेरी बेटी केहर रांणा रूपड़ारो दोहीतरो", तिणनूं ° बारूछांहिणसूं तेड़नै जेसळमेर टीको दियो।
८ केहर देवराजरो रावळ हुवो, रावळ घड़सी पछै ।
८ हमीर देवराजरो। जिणरा वांसला उरजनोत भाटी सत्तारा . पोतरा। जोधपुर चाकर छै। हमीर देवराजोतरै मारोठ हुती ।
हमीररो धड़ो १ जेसळमेर चाकर । आगै पोकरणरा वाहळा24 ऊपर रहता । उरजनोत जोधपुर चाकर । जैतो साळोड़ी पीपळ-वडसायै
I सूर्य । 2 रात । 3 तारे । 4 समस्त । 5 शृंग। 6 कंपायमान हुआ। 7 सिंह । 8 तीन । 9 बीतती हुई। 10 नक्षत्र । II नहीं फिरने वाला । 12 जैतेके वंशजने । 13 जिस प्रकार ध्रुव और मेरु अटल हैं उसी प्रकार मूलराजका मन अटल है। 14 मूल राजका बेटा देवराज
गद्दी नहीं बैठा। 15 मूलराज और रतनसीके मरनेके बाद दूदा जसहड़ोत रावल हुआ। ... 16 दूदा और तिलोकसीके मर जानेके. बाद रावल घड़सी रतनसीयोत बादशाहकी खुशामद ... करके धरतीको लौट आया। 17 फिर घड़सीको जसहड़ने धोखेसे मारा । 18 घड़सीके बेटा
कोई नहीं था। 19 दोहिता। 20 जिसको। 21 बुला कर। 22 जिसके पीछेके । 23 पोते। 24 नाला।