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मुंहता नैणसीरी ख्यात दूहा-"मूवां गाढे तै हुवै, दीनो वचन सतोल ।
क्यं पाळीस कमालदी, बंधवतणरा बोल ॥१ अखै कमालहि मूळ रज, सुण नरवै नरनाह । साय अमांन समंधरै, सहिया सोह पतसाह ॥२ इक भाणेज असांहजो', कुंवर वचाय चियार । मूळू कहै कमालदी, सां कीधा तो सार' ॥३
दूहा-सोरठा असहांजी अमान', मूळू कहै कमालदी। म करै मूसलमांन", मिलक म मारै म नव हथ ।।४ इमांन मां11 उतपत्ति जे, नोज12 मजार निवेस । कमाल पयंपे' मूळरज, तास न कोई वेस14 11५ कमाल पयंपै मूळरज, सुण मेरा सुरतांण ।
जां धड़ ऊपर सीस छै", पाळिस वाच प्रमाण ॥६ इतरा सिरदार कमालदीनूं सांपिया-घड़सी, लखमण, मैंगळ भाटी, कानड़दे, ऊनड़। पछै किंवाड़ प्रोळरा नांख माणस १२०स कांम आयो।
साखरो गीतघड़ रयण-गळंती घड़ी-घड़ी घर, पुड़ लोना खत्रमाळ- प्रज।। मेर-सिखर उर ऊपर मंडियो , मन धू चळे न मूळरज।
I पालन करेगा। 2 भाईकी प्रतिज्ञाको। 3 कहता है। 4 नृपतियोंका नृपति 5 हमारा । 6 चारों। 7 अपनी प्रतिज्ञाको याद कर । 8 हमारी 19 अमानत । 10 उन्हें मुसलमान मत बना लेना। II धर्ममें । 12 नहीं। 13 कहता है। 14 तेरे साथ कोई कपटक वात नहीं है । 15 जव तक धड़के ऊपर शीश है । 16 प्रामाणिक पुरुपकी तरह अपने वचनोंक पालन करूंगा। 17 कमालुद्दीनको इतने सरदार सुपुर्द कर दिये। 18 पीछे पोल के किंवाड़ खोल कर १२० मनुप्योंके साथ काम आया । 19 पिछली रात 1 20 नक्षत्रमाला 21 सुमेरुगिरि पर्वतका शिखर । 22 मूलराजका मनरूपी ध्रुव चलायमान नहीं होता।