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मुंहता नैणसीरी ख्यात
[ १५५ ___पायो । पछै मोटो राजा संमत १६५१ काळ कियो । पछै सं० १६५२
राजा सूरजसिंघ लवेरा वांस गांव २५ दिया, तठा पछै परधानगी दी । पछै सं० १६६३ लवेरारै पटै ऊपर आसोपरो पटो। पातसाही माहै हेटरो जैतवार हुवो ।
संमत १६७१ रा जेठ सुद ८ अजमेर रा।। किसनसिंघ उदैसिंघोत राजाजीरा डेरां ऊपर गोयंददासनूं मारण आयो । त? भाटी गोयंददास, 'रा। किसनसिंघ, करन सकतसिंघोत घणा साथसू कांम आयो। पातसाह जहांगीररी तणावां माहै ।
भा।। गोयंददास। बेटा, प्रांक ५६ मोहणदास । ६ नरहरदास । ६ रामसिंघ । ६ वेणीदास । ६ प्रथीराज।
भाटी मोहणदास गोयंददासोत । संमत १६६३रै वरस कंवर गजसिंघ तोडै राजा जगनाथरै परणियो। उठे कंवर गजसिंघनूं सीतळा नीसरी । कंवरजीरो डोल रूड़ो नहीं, तरै भाटी गोयंददास मोहणदास नूं कंवरजी ऊपर वारियो। कंवरजीरै डील समाध हुई, मोहणदास
रांम कह्यो । . ६ नरहरदास गोयंददासोत । संवत १६७२ डांवररो पटो गांव
सातसूं राजा सूरज सिंघजी दियो थो। पछै संमत १६७६ वैसाख माहै रा।। नरहरदास ईसरदासोतनूं वैर मांहै मारियो, तरै छाडायो' । पर्छ
फिर सम्वत् १६४३में लवेराके चारों वास प्राप्त किये। 2 संवत् १६५१में मोटा राजा मरा। 3 फिर राजा सूरजसिंहने लवेराके पीछे २५ गांव दिये और जिसके बाद अपना प्रधान बनाया । 4 पीछे लवेराके पट्टे के ऊपर (अतिरिक्त) अासोपका पट्टा दिया । और बादशाही दरबार में भी निम्न श्रेणीसे बढ़ कर ऊपरका रुतबा (प्रतिष्ठा) पाने में विजयी हुआ। 5 सम्वत् १६७१के जेठ सुदी ८ को अजमेर में राजाजीके डेरोंके ऊपर राव किशनसिंह उदयसिंहोत गोयंददासको मारनेके लिये पाया। बादशाह जहांगीरके संबंधकी इस लड़ाईमें भाटी गोयंददास, राव किशनसिंह और करण सकतसिंहोत कई आदमियों के साथ काम आये । 6 सम्बत् १६६३में कुंवर गजसिंहका टोडेके राजा जगन्नायके यहां विवाह हुमा । वहां कुंवर गजसिंहको शीतलाकी बीमारी हो गई। कुंवरजीका शरीर स्वस्थ नहीं। तब भाटी गोयंददासने अपने पुत्र मोहनदासको कुंवरजी पर वार दिया जिससे कुंवरजीको तो पाराम हो गया और मोहनदारा मर गया। 7 पीछे सम्बत् १६७६ के वैशाखमें राव नरहरदास ईशरदासोतको शतावंश मार दिया तब डांवरका पट्टा जब्त हो गया।