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____ मुंहता नैणसीरी ख्यात
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वात
तिण समै धार पंवार धणी छै। पंवारांरै एक मुंहतो' वडो आदमी छै । परधान वडो आदमी नांवजाद छै । तिणरै माथै केहेक रुपिया हुवा, नै हाथो सोएक माथै हुवा । सु पईसा तो ज्यूं त्यूं कर भरिया, नै हाथी कठेही जुड़े नहीं । सु उण परधानरो कबीलो सारो अटक माहै', तिको बिना हाथी दियां छूट नहीं । सु मुंहतो घणी ही राईतनां फिरियो, पिण हाथी कठेही जुड़े नहीं । हाथी मांगियां कुण दै ? सु तिण दिन रावळ देवराज वडो दातार, वडो जूंझार, वडो नांवजाद । सु धाररा धणियांरो मुंहतो रावळ देवराज कनै आयो । सु प्रो मुंहतोई नांवजाद थो, सु देवराजरा हुजदारांसू' मिळियो, उणां घरै उतारियो । घणो आदर-भाव कियो, वात पूछी, कह्यो-"क्यूं
आया छो ?' तरै प्रापरी वात मांड कही । नै देवराजरा हुजदार
पिण वडा माणस हुता, तिण भलो समो' जोयनै धाररा मुंहता, . रावळसू मिळायो । वात एकंत मिळ सको कीवी11 । आगला राजा
सती हुता । अचड़ां बोल उबारणरी घणी वात मन मां राखता13। तरै देवराज कामदारांनूं कह्यो-"प्रो वडो मुंहतो वडै दरबाररो पर. धांन इतरा4 राईतन छोड़नै मोनूं जांणनै इतरी भूय प्रायो, तौ इणरो जरूर अरथ सारणो” ।" तरै हाथी सौ दिया । मुंहतानूं घोड़ो सिरपाव दै सीख दी18 । हाथियांरै बांट-खरचरा दाम लेखो कर दिया19 | महावत भोई साथै दिया। कह्यो-"धार जायनै पोहचाय
1 महता, कामदार, प्रधानामात्य । 2 अपने नामसे पहचाना जाने वाला। 3 जिसके ऊपर कई रुपयोंका और एकसौ हाथियोंका कर्जा हो गया। 4 और हाथी कहीं भी मिले नहीं। 5 सो इस कारण उस प्रधानका सारा परिवार भी जेलमें। 6 सो वह प्रधान कई रजवाड़ोंमें फिरा (राईतन=राजा)। 7 प्रमुख कर्मचारियोंसे। 8 उन्होंने उसे अपने घरमें ठहराया। 9 तब अपनी अथसे इति तक कही । 10 मौका। II एकान्तमें मिल कर सब बात कही। 12 पहलेके राजा दानी थे (सती=दानी, सत्यवादी)। 13 श्रेष्ठ पुरुषोंकी
वात (प्रतिज्ञा) निवाहनेकी मनमें बहुत उत्सुकता रखते थे। 14 इतने । I5 रजवाड़े, .. राज्य, राजाओंको। 16 दूर । 17.तो इसका काम जरूर पार लगाना। 18 प्रधानको
घोड़ा और सिरोपाव देकर रवाना किया। 19 हाथियोंके जैसलमेरसे धार पहुँचने तकके ....... - मार्ग में लगने वाले दिनोंकी खुराक खर्चका हिसाव करके उतनी रकम भी दी।