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मुहता नैणसीरी ख्यात
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में कियो' ।' नै बाहिड़मेरी सीतारा बेटा रावळ लूणकरण नै रावत करमसीनूं इणे परा काढिया । औ रावत भीमा बाहड़मेरारा भांणेज, अँ सिंध गया'। पछै कितरेके दिने रावळ जैतसी इणांसूं घणो ललोपतो कराय, पछै कह्यो' - " भाटी च्यार ४ बूढो म्हां कनै मेलो, राज थे भोगवो ँ । हूं तो इण वात गाढो राजी छं " | म्हारै थे सपूत छो? । लूणकरण करमसी वे कपूत छै, सु परा गया । वलाय चूकी ।" बाप बेटांरै ऊपरलो रस हुवो' । तिण दिन पायगां घोड़ा घणा बाधे । तरै रावळ जैतसी बेटांनूं कहाड़ियो " - " इतरा घोड़ा बाधा चारीजै, इतरो हासल आपण किसं छे ? घोड़ा असवारीरा पायगां वाधा राखो । बीजा खारींग मांहै छोड़ दो ।" तरे छोड़ दिया। रावळ जैतसी वडेरा भाई सारा हाथ किया । भाटियां सारां आगे कह्यो" म्हांरो जीव निपट दोहरो हुवो छै" ।" तरै कह्यो " - "कुण:वास्तै” ?” तरै कह्यो - " इणे म्हारी बूढे वारे इजत पाड़ी, मोनूं रोक मांहै कियो'' ।” सारै राईतने सुनियो" । तरै भाटिये सारां कह्यो - " हमैं राज कहो सु करां" ।" तरै रावळ पांच भाटियां कनै वाह मांगी", दो तो दिलरी वात कहूं" । तरै सारां बांह दीवी" । तर रावळ जैतसी भाटियां आगे कह्यो - "लूंणकरणनूं तेड़ावो, नै इणांनूं
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2 बाहड़मेरी सीताके वेटे -
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I इन्होंने मिल करके रावलको कई दिन कैदमें रखा । रावल लूणकरण और रावत करमसीको इन्होंने निकाल दिया । ये रावत भीमा बाहड़मेरेके भानजे सिवको चले गये । 4 इनकी बहुत खुशामद करके फिर कहा । 5 मेरे पास चार बूढ़े भाटियोंको रख दो और राज तुम करो । 6 मैं तो इस वातसे खूब खुश हूं । 7 मेरे तो तुम ही सपूत हो । 8 लूणकरण और करमसी दोनों कपूत हैं, सो तो चले गये. अपने आप बला टल गई । 9 बाप बेटोंमें ऊपरकी (कपटपूर्ण) प्रीति हुई । दिनों घुड़सालमें घोड़े बहुत बंधे रहते थे । II कहलवाया 1 12 अपने इतनी कौनसी ग्रामदनी है ? | 13 दूसरे । 14 रावल जैतसीने अपने बड़े-बूढ़े भाईयों को अपने वशमें कर लिया । 15 मेरा जीव बहुत दुख पा रहा है। 16 तब कहा । 1.7 किस लिये ? 18 इन्होंने बुढापेमें मेरी बेइज्जती की और मुझे कैदमें डाल दिया । 19 सव राजाश्रोंने सुना (सभी रजवाड़ों में वात प्रगट हो गई ) । 20 तव सभी भाटियोंने कहा - " ग्रव प्राप श्राज्ञा दें सो करें ।" 21 तब रावलने पांच प्रमुख भाटियोंसे वचन मांगा। 22 यदि वचन दें तो मैं मेरे दिलकी बात कहूं । 23 तव सभीने वचन दिया।