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________________ २७० ] मुंहता नैणसीरी ख्यात मो ऊपर रीस कर मोनू मराड़े तो कुण छोडावे' ?' ताहरां रजपूत बोलिया - 'जे' लाखोजी तोनू काढै तो साथै नीसरां ; मारै तो साथै मरां । पण° तूं प्रावात पूछ ।' 1 1 2 ताहरां राखायत एक दिन लाखैजीनू पूछियो- 'मांमाजी ! आज ठाकुररी कृपा कर अर' रावळे सोह' थोक छै"; श्रर धरती वरकरार छै; पण परभातरै पोहर 11 राज' दरवार करो छो, ताहरां रावळो मुंह उतरियो लागे सुं कासू जाणीजै ? ताहरां लाखेजी कह्यो - ' रूड़ा भांगेज ! तोनू कहीस, पण एकांत कहीस । इण वातरो विवरो छैन ।' प्राडा" घातनं 8 लाखजी भांगेजन 1 3 15 6 सु युं करतां'" दिन तीन चार साथ ले अर चढिया सु समुद्र 7 .21 23 24 26 पधारिया । रजपूत पण सोह" साथै लिया । त समुद्र मांहै पैठा " । पैंस ग्रर एक वडो पाटलो तिण ऊपर भांजनू वैसांण अर पाटलानूं धकाय नर वहतै पांणी मांहै वहाय दियो । ताहरां रजपूर्त दीठो, मांहरो जोर कोई पूजै नहीं । श्रर भांजनू लाख बहाय दियो । जाहरां भांणेज निजर हुतां" अलोप हुवो, ताहरां लाखोजी अपूठा पधारिया " । अर भांगेज, या अपछरा रहे छे, तेथ जाय पहुंतो | तेथ लाखोजी आगे ग्रपछरावांनू कहि राख्यो हुतो.. 'भांज राखायत ग्रावसी, थे सोहरो राखिया ।' तिण जवाब ऊपर अपछरा आई । ग्रायनै भांजनू ले गई ले जायनै घर मांहै सोहरी राखियो । रात उठहीज भांणेज वसियो 27 28 29. 0 31 32 33 । परभात हुवो, 22 Iौर मामाजी मुझ पर क्रोध कर के मरवा डालें तो मुझे कौन छुड़ावे ? 2 यदि । 6 ईश्वरकी कृपासे । 3 तुमको निकाल दें तो । 4 निकल जायें । 5 परन्तु । 7 श्रौर । 8 आपके राज्यमें । 9 सव | 10 वैभव हैं । II प्रभात के प्रहर में । 12 ग्राप । 13 अच्छे (योग्य) भानजे ! 14 तुझको कहूँगा । 15 इस वातके पीछे एक विवरण है । 16 ऐसे करते-करते । 17 बीचमें । 18 डाल कर । 19 सव | 20 प्रवेश किया । 21 प्रवेश कर के । 22 लकड़े का तखता । 23 तखतेको धक्का दे, दूर निकाल, बहते हुए पानी में बहा दिया बाहिर हो गया । 27 पीछे लौट आये । 31 सुखपूर्वक । 32 रखना | 33 वास किया । । 24 लगे नहीं, पहुँचे नहीं । 25/26 हण्टिसे 28 ग्रप्सरा | 29 agi 1 30 था ।
SR No.010610
Book TitleMunhata Nainsiri Khyat Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1962
Total Pages369
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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