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________________ २१६ ] मुंहता नैणसीरी ख्यात गीत दूजो साहिव दूसरो खंगार सवाई, दावो सिर दातारां। . जेहो कवी दियंतो जंगम, हसियो वेचण हारां ॥१ भूलो नहीं अंजण मायाभ्रम, जिण कीरत हित जांणी । सोदागर चेहरिया सामै, मोटेरा मालांणी ॥२ दीपाविया सुदन पर दीप, रायजादे वड राजां । भारमलोत तिके नव दै भड़, है चाडै जेहाजां ॥३ ओ ऊनड़ लाखां अहिनांणे, वसुह उबारणवारां । घोड़ा दे घमडोह घातिया, हेडाऊ हेकारां ।।४ बात लावैरी भाद्रेसर ता कोस ४ किलोकोट छ । तठे वडी ठाकुराई हुई। लाखै पछै कितरीहीक पीढियां हालो नै रायधण बे भाई हुा । त्यांरां छोरू हाला नै रायधण कहांणा । निवळा पड़िया, तरै धोधारी ठाकुराई माहै मुकाती थका रैहता । रायधणां विचै हालांर क्युं पांचदस गांव इधकेरा' था। दस माणसांरी जोड़ इधकी थी । भींव हमीरोत लाखड़ोरी साहवो ली, तरै हाले जांणियो। भीव ठाकुराईरो धणी हुवो तो म्हे काईक ठोड़ प्रोटहां तो रूड़ा' । तरै धांधांसूं धरती छूटो तरै जांणियो-भाद्रेसर भाद्रावळ जोगीरै नांवै10 वसियो थो, सु भाद्रेसर खाली देखनै जाय अोटहियो । धोधै प्रायनै कह्यो-'थे . ____ I भाद्रेसरसे किलाकोट चार कोस की दूरी पर है। 2 जहाँ लाखाकी बड़ी ठकुराई .... हुई। 3 दो। 4 उनके (पुत्र) वंशज हाला और रायधरण-इन दो शाखाओं में प्रसिद्ध हुए। 5 निर्बल हो गये। 6 तब धोधोंको ठकुराई में मुकातीकी हैसियतसे रहते थे । (मुकाती = .. गांव या खेतकी कर के रूपमें निश्चित रकम (मुकाता) देने वाला । 7 विशेप। 8 दस जोड़ी ... मनुष्योंकी भी विशेष थी (यह दसके समाहार अर्थमें एक मुहावरा है ।) 9 हम भी किसी जगहको दबा दें तो ठीक है। 20 नाम पर । भाद्रेसरको खाली देख वहां जा कर के अधिकार करने का विचार किया । ___* इसका पुराना नाम कपिलकोट है। कहा. जाता है कि यहां कपिल मुनिने तप किया था, इससे इसका नाम कपिलकोट प्रसिद्ध हुआ और कालान्तरमें किलाकोट और फिर केराकोट कहा जाने लगा। यह भी किम्बदंती है कि लाखाकी रानी केर(वा)को स्मृतिमें इसका नाम केराकोट रखा गया था। . की छटो
SR No.010610
Book TitleMunhata Nainsiri Khyat Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1962
Total Pages369
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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