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________________ मुंहता नैणसीरी ख्यात [ ३१ मांहोमांहै परधांनां नै पंवारांरै बोलाचाली हुई । नै परधान पाछा आया । हाथी पंवारां न दिया । तठा पछै रावळ देवराज धार ऊपर कटक कियो, सु पंवारांरा वावसूता त्यां रावळ चढ़ियांरी खबर दी । तरै पंवार सांमां मेड़तै आया, हाथी लाया और डंड दे मन मनायो देवराजरो। रावळ मुंध देवराजरै पाट हुवो । . रावळ मुंधरा बेटा१ रावळ वछु । १ जगसी। वात भाटियारी भाटियां मांहै एक साख* मंगरिया छै। पैहली तो सुणियो थो, अ मंगळरावरा पोतरा छ । पछ गोकळ रतनूं कह्यो-"ौ विजैराव लांजो रावळ दुसाझरो तिणरी औलादरा छै । पैहली हिंदू था, हमैं तो किणही सबब मुसलमान हुवा छै । तिकै जैसळमेरथा' कोस २५ . आथवणनूं मंगळीका-थळ छै, तठे रहै छै। वा ठोड़ मंगळीका-थळ कहावै छै । तद्रम छै । सु भोमियो होय सु डांडी आवै। असैंधो डांडी टळे सु घोड़ो असवार गरक हुजाय । अभूमियो डांडीसौं टळे सु मरै । इणांरो ऊमरकोट खाडाहळवें सीव-कांकड़13 एकणकांनी चीन्हातूं सींव । सिंधरै सावड़ातूं सींव, भाखररा गांव हींगोळजांतूं सीव । एकण कांनी मैहरसूं सीव । खाटहड़ा खारी सौं, मैहर तुरक थळ माहै रहै. छ, सु जैसळमेररा चाकर । गांव सांखली, खुहियो, .. - . I भाटियोंके प्रधानोंमें और पंवारोंके परस्पर कहा-सुनी हो गई। 2 चढ़ाई की। 3 पंवारोंके जो जासूस थे उन्होंने रावलकी चढ़ाईकी खबर पहुँचाई। 4 वंशशाखा । 5 पौत्र । .6 अव । 7 से। 8 पश्चिम दिशाकी ओर। 9 वहां एक ऐसा मरुस्थल है। (द्रसप्रचंड वायुवेग-आंधियोंके कारण निरंतर बदलते रहने वाले टीवोंका मरु-प्रदेश । 10 जानकार हो सो तो पगडंडी चला आवे। II अपरिचित यदि पगडंडीसे टल जाय तो घोड़ा और सवार दोनों उसमें धंस जाते हैं। 12 अनजानसे यदि पगडंडी छूट जाय तो वह मर जाता है। 13 सीमा-सरहद । J4 एक ओर ।
SR No.010610
Book TitleMunhata Nainsiri Khyat Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1962
Total Pages369
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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