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________________ . मुंहता नैणसीरी ख्यात [ २५३ मंगळ त्रिणेन न मयंद मैंगळे पनगे गुरड़ न सकियो पाल' एको कळह घणै ऊठतो झालौ साहि (ब)न सकियो झाल ॥ ५ वात १ जीव रन धरमदासांरणी कही नै पहला सुरगी थी तिका तो लिखी हीज हुती । वात जाईचा साहिबरी नै झाला रायसिंघरी फेर लिखी' ___ जाड़ेचो साहिब पहला भारै भुजनगररै धणियांरो चाकर थो। सु किणीक वास्तै रीसांणो हुवो, तरै छाडनै अहमंदावादरा धणीरो चाकर मूसाखांन तिण कनै गयो । उठे मास ७ रहिनै सातलपुर पटै करायनै पाछो वळतो' हळवदथी कोस ८ माळियो गांव रायधणांरो तिणरै कांठ' असवार ५००सूं प्राय उतरियो थो।। - सु ा खबर रायसिंघनूं पांसवाथा वाघेलै रिणमल सगो थो उण खबर मेली'-'जु पोहर ४ रातरो साहिब गांव माळियै रहसी12 ।' सु रायसिंघ किणीनूं वात जणाई नहीं । असवार-पाळा14 हजार ३००० चढनै खड़ियो सु भाख-फाटती रायसिंघ माळियै आयो। __साहिब घड़ी एक पहला रायसिंघरै परधान भाटी गोविंददास खबर दी थी। सु झै चढ तयार हुइ ऊभा रया था । सु सांम्हां आय । तळाव १ मांहै दबिया ऊभा था। साहिब साथै पबो जाड़ेचो वडो __'अग्नि। 2 तृण-समूह । 3 हस्ति-समूह, हाथियोंका झुड। 4 पन्नग-समूह, सर्प-समूह। 5 वर्जन, रोक । 6 युद्ध । 7 जाड़ेचा साहिब और झाला रायसिंहके युद्धको बात जो पहिले लिखी गई है वह तो सुनी हुई लिखी गई थी। इनके इस युद्धकी एक और बात धर्मदासके पुत्र रतनूं-बारहठ जीवाने (प्रकारान्तरसे) इस प्रकार कही सो वह भी यहां . और लिखी जा रही है। 8 वह उससे किसी कारण रुष्ट हो गया, तब वहांसे छोड़ कर के अहमदाबादके स्वामीका चाकर मूसाखान था उसके पास चला गया। 9 लौटता हुआ। , 10 रायधनोंका मालिया गांव उसके किनारे । । रायसिंहका संबंधी (समधी) वाघेला ..रिणमल था, उसने पांसवा गांवसे यह खबर भेजी। 12 रातके चारों पहर (रात भर) साहिब ‘मालिया गांवमें रहेगा। 13 रायसिंहने किसीको भी इस बातकी सूचना नहीं दी । 14 सवार और पैदल । 15 चला, रवाना हुआ। 16 प्रभातके समय। 17 सो ये भी चढ़ कर तैयार खड़े थे।
SR No.010610
Book TitleMunhata Nainsiri Khyat Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1962
Total Pages369
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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