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________________ २५२ ] मुंहता नैणसीरो ख्यात . तिण वातरी साखरो दूहो' कण बे हूंता काछ, साहिव जसवंत सारिखा। झालो झंझेड़े गयो, पाछै रहियो पाछ ।' गीत साहिब हमोरोतरो भड़ घणा तोय आजूणो' भांजे विढवा ऊठियो वांकम-वीख साहिब एको लाख सरीखो साहिब एको कोड़ सरीख ।। १. झाले क्यु साहिब झाला औ' मयंद ऊठियो निभै-मणो' मुंह झालियो न जाये मिळ त्रिणे घणे ही मंगळ तणो । २ हामावत एको हारवसी1 दळ-अर' दाख दहण खग" दाहि... कुंजर कोड़ मिळे जो कारी सीह झड़फतो सके न साहि ॥३ ।। खग बंधव पेखे खळ-खोहण खत्री ऊठियौ धूणै खाग गुरड़ तरणो मुंह तोय न अहिजै18 नव-कुळ जो मिळ आवै नाग ।। ४ I उस वातकी साक्षीका दोहा। 2 झाला रायसिंह, साहिब और जसवंत, दोनों पोरके वीरोंकी सेनाओं में परस्पर ऐसा भयंकर युद्ध हुआ कि उसमें रायसिंहके. सिवा .. कोई शेष नहीं रहा । साहिब और जसवंतने रायसिंहकी सेनाका और रायसिंहने साहिब और जसवंत सहित उनकी समस्त सेनाका खातमा कर दिया। 3 वीर। 4 अाज, आजका। 5 वांकी चाल वाला, वांकी तौर वाला। 6 पकड़ते हैं। 7 ये। 8 मृगेन्द्र, सिंह । ... 9 निर्भय मन वाला, निडर। 10 का। II हारेगा, हरावेगा। 12 शत्र दल ।.. 13 देख कर। 14 खन। 15 सहन करना, धारण करना। 16 शत्रु का नाश करने वाला। 17 खड्ग। 18 पकड़ा जा सके।
SR No.010610
Book TitleMunhata Nainsiri Khyat Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1962
Total Pages369
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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