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मुंहता नैणसीरी ख्यात
राजपूत थो । रायसिंघ साथै वीको ईडरियो नै पठाण हवीव वडा रजपूत था. सु वाजिया' । वीको पवो वाजिया । रायसिंघ नै साहिब वाजिया । बेऊं खेत रया ।
राव खंगार घोड़ा हजार बारें # १२०००सूं कोस ७ पर ग्राजोर उतरियो थो' । नै जांम वीभो हळवदश्री कोस १ उतरियो छै । तिण सगँ ग्रा वेढ इणां हुई' । वेऊं कांम ग्रायासु राव जांग ि परा खड़िया' ।
साहिव तो कांम प्रायो । रायसिंघनूं जोगियां उपाड़ियो माणस ६०सूं'°। वांसै टीकं रायसिंघ चंद्रसेन बैठो । वरस १० हुवा है । हालांसूं लाख महमूंदी बेटी २ देतां रायधण मळगेरा, तिण वैर भागो नहीं" ।
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तिण समै रायसिंघ जोगी १०० लेने हळवदरै तळाव ग्राय उतरियो । दिन २ हुवा। रांणा चंद्रसेन रायसिंघोतनूं खबर हुई'कोई वडा जोगेश्वर श्राया छे ।' तरं चंद्रसेन दुपहरीनं सुखपाळ' १ मांहै वैस 3 डीकरा - २ नांना सुखपाळ माह बैसाण ग्रसवार १० तथा १२, पाळा ५ तथा ७ साथै ले जोगियांरें पगे-लागण गयो । पंगे लागो । पर्छ बूवना' १० उण महिला ऊठनै चंद्रसेन कनै आय बैठा । चंद्रसेननूं कहण लागा - ' प्रायस " कुण छे ?' तरै चंद्रसेन कहण लागो - 'कोई वडा सिध छै तरै उणै कयो - 'सिध न छै । थारो
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साहिवके साथमें पव्वा जाड़ेचा बड़ा वीर राजपूत था और रायसिंह के साथ में चीका ईडरिया और हवीव पठान दोनों बड़े वीर राजपूत थे - ये परस्पर लड़े । 2 वीका और पव्वा लड़े | 3 रायसिंह और साहिब परस्पर लड़े । 4 दोनों वीर गतिको प्राप्त हुए । (यहाँ रायसिंह और साहिब दोनोंका खेत रह जाना बताया गया है, किंतु श्रागे के विवरणसे पता चलता है कि रायसिंह मरा नहीं, घायल हो गया था और उसे ग्राहत अवस्था में जोगी. उठा कर ले गये । ) 5 वारह हजार | 6 आकर ठहरा था। 7 उस समय इनके परस्पर यह लड़ाई हुई । 8 दोनों काम श्रा गये तव रात्र जाम चढ कर चला गया । 9 साहिव तों मर गया । TO रायसिंहको उसके ६० आदमियोंके साथ जोगी उठा कर ले गये । II एक लाख महमूंदी और दो कन्याएँ देते हुए भी हालोंसे रायवरण राजी नहीं, इसलिये शत्रुता मिटी नहीं | महमूंदी = एक सिक्का । 12 पालकी । 13 बैठकर । 14 लड़के |
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16 साधु, जोगी । 17 योगी, सन्यासी !
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